महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Mahatma Gandhi Essay in Hindi

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। महात्मा गांधी भारत का बच्चा-बच्चा जानता है क्योंकि वह हमारे राष्ट्रपिता है। बच्चों को विद्यालय में महात्मा गांधी के बारे में बताया जाता है, ताकि विद्यार्थी भी उनके मार्गदर्शन पर चलकर एक आदर्श व्यक्ति बन सकें। इसीलिए अकसर विद्यार्थियों को परीक्षा में या फिर किसी डिबेट में महात्मा गांधी के ऊपर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) आता है। कई बार निबंध कम शब्दों का होता है तो कई बार ज्यादा शब्दों का। इसीलिए आज के इस लेख में हम आपको महात्मा गांधी का निबंध अलग-अलग शब्दों में बताएंगे। 

महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1879 को भारत के गुजरात राज्य में पोरबंदर गांव में हुआ था। इनके पिताजी का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी ना केवल एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि वह एक बहुत ही उत्कृष्ट व्यक्तित्व के मालिक थे। आज भारत में और दुनिया भर में लोग इन्हें उनकी महानता, सच्चाई, आदर्शवाद जैसी खूबियों की वजह से जानते हैं। इन्होंने भारत को आजाद कराने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पर अफसोस की बात है कि 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। 

महात्मा गांधी पर निबंध 150 शब्दों में

भारत के गुजरात में जन्में महात्मा गांधी एक बहुत ही सच्चे और देशभक्त भारतीय थे। इसीलिए पूरे भारत के लिए 2 अक्टूबर 1869 का दिन बहुत ही यादगार है क्योंकि इस दिन मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था। महात्मा गांधी ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए ब्रिटिश शासन में एक बहुत ही ना भूलने वाली भूमिका निभाई थी। इनकी शिक्षा की बात की जाए तो इन्होंने पहले पोरबंदर से ही शिक्षा हासिल की थी। फिर बाद में गांधीजी उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए थे। 

इस तरह से इंग्लैंड में उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और उसके बाद जब यह भारत लौटे तो उन्होंने भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के लिए सत्याग्रह आंदोलन चलाया। इसके अलावा भी गांधी जी ने और भी बहुत से आंदोलन चलाए थे। इसके चलते फिर 15 अगस्त 1947 को हमारे देश भारत को आजादी मिल गई थी। लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि 30 अक्टूबर 1948 को गांधीजी की गोली लगने से मृत्यु हो गई थी। 

महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है और इन्हें बापू के नाम से भी पुकारा जाता है। गांधी जी ने भारत को आजाद कराने के लिए बहुत से आंदोलन चलाए थे जिनके परिणामस्वरूप भारत को आजादी मिल सकी। बापू ने भारत में मैट्रिक तक की पढ़ाई की थी और उसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए थे। इंग्लैंड से महात्मा गांधी जब वकील बन कर वापस भारत आए तो उन्होंने भारत की स्थिति को देखा। उन्होंने यह फैसला कर लिया कि वह अपने देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद करवा कर रहेंगे। 

महात्मा गांधी बहुत ही बेहतरीन राष्ट्रवाद नेता थे जिन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। बापू जी के इतने बड़े योगदान की वजह से ही उन्हें भारत के इतिहास में इतना ज्यादा महत्व दिया गया है। हर साल 2 अक्टूबर के दिन पूरे भारत में महात्मा गांधी का जन्मदिन बहुत बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। यह दिन गांधी जयंती के नाम से प्रसिद्ध है।

सभी स्कूलों में और शिक्षा संस्थानों में बच्चों को विशेषतौर से महात्मा गांधी के जीवन से प्रेरित किया जाता है, ताकि वे भी उनके जैसे योग्य इंसान बन सकें। भारत देश को आजाद कराने वाले महान गांधी जी को नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को गोली मार दी थी जिसकी वजह से बापू जी की मृत्यु हो गई थी। ऐसे महान व्यक्ति की मृत्यु होने पर पूरा देश बहुत ही ज्यादा सदमे में चला गया था। 

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में

मोहनदास करमचंद गांधी एक बहुत ही महान व्यक्ति थे जिनकी महानता से भारत के ही नहीं बल्कि विदेशों के लोग भी बहुत ज्यादा प्रेरित रहते थे। अगर इनके जन्म की बात की जाए तो देश के राष्ट्रपिता का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में स्थित पोरबंदर में हुआ था। यह अपने पिता करमचंद गांधी और माता पुतलीबाई गांधी की चौथी और सबसे आखिरी संतान थे। 

गांधीजी की शुरुआती शिक्षा 

गांधीजी की शुरुआती शिक्षा उनके जन्म स्थान पोरबंदर में ही हुई थी। जानकारी के लिए बता दें कि महात्मा गांधी एक बहुत ही साधारण से विद्यार्थी थे और यह बहुत ही कम बोला करते थे। इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा मुंबई यूनिवर्सिटी से की थी फिर बाद में यह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेश चले गए थे। वैसे तो गांधीजी का सपना डॉक्टर बनने का था लेकिन क्योंकि वो एक वैष्णव परिवार से संबंध रखते थे इसलिए उन्हें चीर-फाड़ करने की आज्ञा नहीं थी। इसलिए इन्होंने वकालत में अपनी शिक्षा पूरी की। 

गांधी जी का विवाह 

जिस समय गांधी जी की उम्र सिर्फ 13 साल की थी उस समय इनका विवाह कस्तूरबा देवी से कर दिया गया था जोकि पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री थी। गांधीजी विवाह के समय स्कूल में पढ़ा करते थे। 

गांधीजी का राजनीति में प्रवेश 

जिस समय गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे उस समय भारत में स्वतंत्रता आंदोलन की लहर चल रही थी। सन् 1915 की बात है जब गांधी जी भारत लौटे थे तो उस वक्त कांग्रेस पार्टी के सदस्य श्री गोपाल कृष्ण गोखले ने बापू से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के लिए कहा था। उसके बाद फिर गांधी जी ने कांग्रेस में अध्यक्षता प्राप्त करने के बाद पूरे भारत की भ्रमण यात्रा की। उसके बाद फिर गांधी जी ने पूरे देश की बागडोर को अपने हाथों में लेकर संपूर्ण देश में एक नए इतिहास की शुरुआत की। इसी दौरान जब 1928 में साइमन कमीशन भारत आया तो ऐसे में गांधी ने उसका खूब डटकर सामना किया। तरह से लोगों को बहुत ज्यादा प्रोत्साहन मिला और जब गांधी जी ने नमक आंदोलन और दांडी यात्रा निकाली तो उसकी वजह से अंग्रेज बुरी तरह से घबरा गए। 

महात्मा गांधी ने देश भर के लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वे अपने स्वदेशी सामान को इस्तेमाल करें। बता दें कि गांधीजी ने जितने भी आंदोलन किए वे सभी आंदोलन अहिंसा से दूर थे। परंतु फिर भी उन्हें नमक आंदोलन की वजह से जेल तक भी जाना पड़ गया था। लेकिन गांधीजी ने अपना संघर्ष जारी रखा और अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए उन्होंने आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत को आजाद करवा लिया। 

गांधी जी की मृत्यु 

देश के बापू महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को बिरला भवन के बगीचे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बापू के सीने में नाथूराम विनायक गोडसे ने तीन गोलियां चलाई थी‌। मरते समय उनके मुंह से हे राम निकला था। इस तरह से 78 साल में देश के राष्ट्रपिता इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। लेकिन उनके आदर्शों और उनकी बातों का आज भी लोग बहुत ज्यादा सम्मान करते हैं। 

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दोस्तों यह थी हमारी आज की पोस्ट जिसमें हमने आपको महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) बताया। हमने महात्मा गांधी पर निबंध कम शब्दों में और अधिक शब्दों में बताया है जिससे कि आप अपनी जरूरत के अनुसार निबंध लिख सकें। हमें पूरी आशा है कि महात्मा गांधी पर निबंध आपके लिए अवश्य उपयोगी रहा होगा। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो हमारे इस लेख को उन लोगों के साथ भी शेयर करें जो महात्मा गांधी पर निबंध ढूंढ रहे हैं। 

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महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) - महात्मा गांधी पर निबंध 100, 200, 500 शब्दों, 10 लाइन

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हमारे देश भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी यानी बापू का जीवन समूचे संसार के लिए प्रेरणा का स्रोत है। अपने विद्यार्थी जीवन, साउथ अफ्रीका प्रवास, चंपारण सत्याग्रह से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन और जीवन के अंतिम पड़ाव तक बापू ने अहिंसा, सत्य, अस्तेय जैसे सिद्धांतों पर आधारित एक ऐसा जीवन जिया जिसकी कोई दूसरी मिसाल धरती पर बमुश्किल ही मिलेगी। हाड़-मांस से निर्मित ऐसा कोई व्यक्ति कभी इस दुनिया में रहा भी होगा, इस पर लोगों के लिए यकीन कर पाना भी मुश्किल होगा। एक ऐसा आदर्शवादी व्यक्ति जिसका जीवन बहुतों के लिए प्रेरणास्रोत था, है और रहेगा। उन्होंने जिन मूल्यों को स्थापित किया उसे गांधी दर्शन की संज्ञा दी जाती है। महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in hindi) ऐसे जीवट के धनी व्यक्ति के जीवन से परिचित होने का एक अच्छा तरीका है।

महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में (100 Word Essay On Mahatma Gandhi)

गांधी जी के आदर्श (gandhi’s principles):, गांधी के नेतृत्व में अभियान, महात्मा गांधी पर 10 लाइन (10 lines on mahatma gandhi in hindi).

महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) - महात्मा गांधी पर निबंध 100, 200, 500 शब्दों, 10 लाइन

गांधी जी ने भारत के लोगों को आत्मनिर्भर होना सिखाया। हर तबके के लोग उन्हें पसंद करते थे और उनकी तारीफ करते थे। महात्मा गांधी को 'महात्मा' की उपाधि नोबल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दिया था। वहीं उन्हें 'राष्ट्रपिता' की उपाधि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दी थी। महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi essay in hindi) के इस लेख से गांधी जी के जीवन और दर्शन के साथ साथ उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी भी आपको मिलेगी।

ये भी देखें :

  • रक्षाबंधन पर निबंध
  • अग्निपथ योजना रजिस्ट्रेशन
  • 10वीं के बाद किए जाने वाले लोकप्रिय कोर्स
  • 12वीं के बाद किए जा सकने वाले लोकप्रिय कोर्स

चूंकि महात्मा गांधी का पूरा जीवन समाज को समर्पित था और इसी के लिए वे जिये भी व इसके लिए ही वे शहीद भी हुए, ऐसे में महात्मा गांधी के जीवन से संबंधित जानकारी भारत के प्रत्येक बच्चे को हो, इसके लिए भारतीय शिक्षा व्यवस्था समर्पित है। यही कारण है कि छोटी कक्षाओं के छात्रों को महात्मा गांधी पर निबंध (mahatma gandhi par nibandh) लिखने का कार्य दिया जाता है जिसके माध्यम से वे इस महान शख्सियत के जीवन से परिचित व प्रभावित होते हैं। यहां तक कि कई बार अच्छे अंक के लिए छोटी कक्षा के छात्रों से परीक्षा में भी महात्मा गांधी पर निबंध संबंधी प्रश्न पूछा जाता है। ऐसे में महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi par Nibandh) छात्रों के लिए न सिर्फ चारित्रिक, बल्कि शैक्षणिक उत्थान के लिए भी महत्वपूर्ण है।

वहीं कई ऐसे छात्र जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या फिर किसी प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं, उनके लिए भी तमाम निबंध के विषयों के बीच राष्ट्रपिता महात्मा गांधी या बापू या महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Nibandh) एक महत्वपूर्ण टॉपिक रहता आया है। ऐसे में महात्मा गांधी निबंध (Mahatma Gandhi Nibandh) विशेष इस लेख के माध्यम से ऐसे छात्रों को भी महात्मा गांधी के जीवन का एक अवलोकन प्राप्त होगा, जिसकी वजह से वे बेहतर प्रदर्शन कर पाने में सक्षम होंगे।

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को उनके पूरे जीवनकाल में राष्ट्र उत्थान के लिए किए गए उत्कृष्ट कार्यों और उनकी स्वयं की उत्कृष्टता की वजह से 'महात्मा' के रूप में जाना जाता है। वे एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा अहिंसा के प्रचारक थे जिन्होंने भारत को अहिंसा का पालन करते हुए ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।

इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई के दौरान उनकी उम्र महज 18 साल थी। इसके बाद उन्होंने लॉ यानी कानून की प्रैक्टिस करने के लिए दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की, जहां अंग्रेजी मूल का न होने के कारण उन्हें शासक वर्ग की रंगभेद नीति का शिकार होना पड़ा। इस घटना से गांधी जी को गहरा आघात पहुंचा। इसके बाद वे ऐसे अन्यायपूर्ण कानूनों में बदलाव लाने के लिए राजनीतिक कार्यकर्ता बन गए।

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बाद में, वह भारत लौट आए और उन्होंने अपने देश भारत को अंग्रेजी हुकुमत से स्वतंत्र कराने के लिए एक दुर्जेय और अहिंसक संघर्ष शुरू किया। साल 1930 में, उन्होंने ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च) का नेतृत्व किया जिसने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला कर रख दी। उन्होंने कई भारतीयों को ब्रिटिश अत्याचार से आजादी के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया और कइयों को ब्रिटिश अत्याचार व शोषण से मुक्ति दिलाई।

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महात्मा गांधी पर निबंध हिंदी में (Mahatma Gandhi essay in hindi ) : महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (200 Word Essay On Mahatma Gandhi in hindi)

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। महात्मा गांधी उन महान लोगों में से एक हैं, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत से भारत को आजादी दिलाने की लड़ाई में भारतियों का नेतृत्व किया। कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड जाने से पहले, उन्होंने भारत में ही अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी की। बाद में उन्होंने ब्रिटिश शासन द्वारा अपमानित और प्रताड़ित भारत के लोगों की सहायता करने का फैसला किया। ब्रिटिश उत्पीड़न का मुकाबला करने के लिए, गांधी जी ने अहिंसा का मार्ग चुना।

आंदोलन - अहिंसक आंदोलनों के लिए गांधी जी का कई बार उपहास किया गया, फिर भी वे भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने अहिंसक आंदोलनों में लगे रहे। वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक विश्वविख्यात नेता थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए कड़ा संघर्ष किया। गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग, सविनय अवज्ञा, सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन शुरू किए, जिनमें से सभी ने भारत की स्वतंत्रता में सफलतापूर्वक योगदान दिया।

स्वतंत्रता के लिए संघर्ष - एक प्रभावशाली स्वतंत्रता सेनानी के रूप में महात्मा गांधी को कई बार जेल और कैद में रखा गया, फिर भी वे भारतियों के न्याय के लिए ब्रिटिश अत्याचार के खिलाफ लड़ते रहे। उनका अहिंसा और सभी धर्मों के लोगों की एकजुटता में दृढ़ विश्वास था, जिसे उन्होंने स्वतंत्रता के अपने अभियान के दौरान बनाए रखा। कई वर्षों के संघर्षों के बाद, वे और अन्य स्वतंत्रता सेनानी, अंततः 15 अगस्त, 1947 को भारत को एक स्वतंत्र देश के रूप में स्थापित करने में सफल रहे। हालांकि 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति द्वारा उनकी हत्या कर दी गई।

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में (500 Word Essay On Mahatma Gandhi in hindi)

भारत में, महात्मा गांधी को "बापू" या "राष्ट्रपिता" के रूप में जाना जाता है। बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उन्हें दी गई इन उपाधियों की तरह ही, देश के लिए उनका बलिदान और उनके सिद्धांतों को वास्तविक बनाने के उनके प्रयास, दुनिया भर के भारतीयों के लिए गर्व की बात है।

गांधी जी का बचपन (Gandhi’s Childhood): महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। वह एक हिंदू घर में पले-बढ़े और मुख्य रूप से शाकाहारी थे। उनके पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी, पोरबंदर राज्य के दीवान थे। वह दक्षिण अफ्रीका में शांतिपूर्ण विरोध आंदोलन शुरू करने वाले पहले व्यक्ति थे, जो उन्हें अन्य प्रदर्शनकारियों से अलग करता था। महात्मा गांधी ने दुनिया को सत्याग्रह का संदेश दिया, जो किसी भी अन्याय से लड़ने का एक अहिंसक तरीका था।

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गांधी जी अपने सख्त आदर्शों के लिए जाने जाते थे। वह नैतिकता, सिद्धांतों और अनुशासन का पालन करने वाले व्यक्ति थे, जो आज भी दुनिया भर के युवाओं को प्रेरित और प्रोत्साहित करता है। वह हमेशा जीवन में आत्म-अनुशासन के मूल्य का प्रचार करते थे। उनका मानना था कि यह बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने में बेहद कारगर रहता है, जिसका उपयोग उन्होंने अपने अहिंसा के विचारों को बढ़ावा देने के लिए भी किया। गांधी जी का जीवन इस बात का बेहतरीन उदहारण है कि यदि हम कठोर अनुशासन पर टिके रहते हैं और खुद को उसके लिए प्रतिबद्ध रखते हैं, तो इसकी सहायता से हमें किसी भी उद्देश्य को प्राप्त करने में सफलता मिल सकती है। गांधी जी की इन्हीं विशेषताओं ने उन्हें एक आम व्यक्ति से महान व्यक्ति बनाया, उनकी इन्हीं विशेषताओं की वजह से उन्हें दी गई महात्मा की उपाधि, आज के दौर में भी बिना किसी किन्तु-परंतु के एकदम उचित नजर आती है।

बापू का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान (Contribution To Freedom Struggle)

कई सामाजिक सरोकारों पर महात्मा गांधी के प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता।

खादी आंदोलन : महात्मा गांधी ने खादी और जूट जैसे प्राकृतिक रेशों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 'खादी आंदोलन' की शुरुआत की। खादी आंदोलन बड़े "असहयोग आंदोलन" का हिस्सा था, जिसने भारतीय वस्तुओं के उपयोग का समर्थन और विदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल का विरोध किया था।

खेती : महात्मा गांधी कृषि के एक प्रमुख समर्थक थे और उन्होंने लोगों को कृषि में काम करने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया।

आत्मनिर्भरता : उन्होंने भारतीयों से शारीरिक श्रम में संलग्न होने का आग्रह किया और उन्हें सादा जीवन जीने और आत्मनिर्भर बनने के लिए संसाधन जुटाने की सलाह दी। उन्होंने विदेशी वस्तुओं के उपयोग से बचने के लिए चरखे से सूती कपड़े बुनना शुरू किया और भारतीयों के बीच स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को प्रोत्साहित किया।

छूआछूत : यरवदा जेल में अपनी नजरबंदी के दौरान, जहां उन्होंने समाज में 'अस्पृश्यता' के सदियों पुराने कुप्रथा के खिलाफ उपवास किया, वहीं उन्होंने आधुनिक समय में ऐसे शोषित समुदायों के उत्थान में काफी मदद भी की। इसके अलावा उन्होंने समाज में शिक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य और समानता को भी बढ़ावा दिया।

धर्मनिरपेक्षता : गांधी ने भारतीय समाज में एक और योगदान दिया, धर्मनिरपेक्षता का योगदान। उनका मानना था कि किसी भी धर्म का सत्य पर एकाधिकार नहीं होना चाहिए। महात्मा गांधी ने अंतर्धार्मिक मित्रता को बढ़ावा दिया।

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यूपी बोर्ड 10वीं एडमिट कार्ड

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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, गांधी जी को कई बार अपने समर्थकों के साथ यातना झेलनी पड़ी और उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन इस दौरान भी वो टस से मस न हुए और अपने देश के लिए स्वतंत्रता उनकी प्राथमिक इच्छा बनी रही। जेल जाने के बाद भी वे कभी हिंसा के रास्ते पर नहीं लौटे। उन्होंने विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों का नेतृत्व किया और "भारत छोड़ो आंदोलन" की शुरुआत की। भारत छोड़ो आंदोलन एक बड़ी सफलता थी। ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी में महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण योगदान था। साल 1930 में, महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया। यह एक ऐसा आंदोलन था जो किसी भी दमनकारी निर्देश या नियमों का पालन करने से इंकार करता था। नतीजतन, इस रणनीति और इसके प्रवर्तकों को गंभीर हिंसा और क्रूरता का शिकार होना पड़ा।

महात्मा गांधी की मृत्यु शांति और लोकतंत्र के उद्देश्यों पर सबसे विनाशकारी आघात थी। उनके निधन से देश के मार्गदर्शक का वो स्थान खाली रह गया, जिसे कभी भरा नहीं जा सकता।

कई ऐसे छात्र होते हैं जिन्हें परीक्षा में या गृह कार्य में महात्मा गांधी पर निबंध (mahatma gandhi nibandh) लिखने के लिए दिया जाता है। ऐसे में हर बार महात्मा गांधी पर निबंध लिखना उनके लिए तभी मुमकिन हो सकता है जब उनके पास महात्मा गांधी के बारे में आधारभूत ज्ञान हो। ऐसे में इस लेख में महात्मा गांधी पर 10 लाइन (10 lines on mahatma gandhi in hindi) बिन्दुओं के माध्यम से जोड़ा गया है, जिसे याद रख उन्हें कभी भी महात्मा गांधी निबंध (mahatma gandhi nibandh) लिखने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। निम्नलिखित महात्मा गांधी पर 10 लाइन (10 lines on mahatma gandhi in hindi) के माध्यम से महात्मा गांधी के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को एक जगह समेटने की कोशिश की गई है। इन बिन्दुओं को याद रखकर छात्र कभी भी महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in hindi) लिख सकेंगे।

  • महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था। बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
  • महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी, पोरबंदर राज्य के दीवान थे। वहीं उनके माताजी का नाम पुतलीबाई गांधी था जोकि करमचंद उत्तमचंद गांधी की चौथी व सबसे छोटी पत्नी थी।
  • महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में शांतिपूर्ण विरोध आंदोलन शुरू करने वाले पहले व्यक्ति थे। दुनियाभर में उन्हें भारत के महानतम स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाना जाता है।
  • महात्मा गांधी को दुनिया भर में अहिंसा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। उन्होंने दुनिया को सत्याग्रह का संदेश दिया था।
  • महात्मा गांधी ने खादी और जूट जैसे प्राकृतिक रेशों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 'खादी आंदोलन' की शुरुआत की। खादी आंदोलन बड़े "असहयोग आंदोलन" का हिस्सा था, जिसने भारतीय वस्तुओं के उपयोग का समर्थन और विदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल का विरोध किया था।
  • महात्मा गांधी के कुछ बेहद चर्चित आंदोलन असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, दलित आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, चंपारण सत्याग्रह आदि रहे।
  • ब्रिटिश काल के दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा मगर उन्होंने अंग्रेजों के सामने कभी भी घुटने नहीं टेके। अंत में उनके अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप भारत को 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली।
  • महात्मा गांधी को 'महात्मा' व 'राष्ट्रपिता' की उपाधि से संबोधित किया जाता है। महात्मा गांधी को 'महात्मा' की उपाधि नोबल पुरुस्कार के विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दिया था। वहीं उन्हें 'राष्ट्रपिता' की उपाधि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिया था।
  • महात्मा गांधी के द्वारा लिखी गई उनकी प्रमुख पुस्तकों के नाम हैं - महात्मा गांधी की आत्मकथा – ‘सत्य के प्रयोग’, हिन्द स्वराज, मेरे सपनों का भारत, दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह, ग्राम स्वराज।
  • महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में नाथुराम गोडसे द्वारा गोली मारकर तब कर दी गई थी जब वे हमेशा की तरह वहाँ शाम को प्रार्थना करने जा रहे थे। नाथुराम ने इससे पहले भी कई मौकों पर महात्मा गांधी की हत्या करने के कई असफल प्रयास किए थे।

हम उम्मीद करते हैं कि इस हिंदी में महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi hindi) के माध्यम से गांधी जी पर निबंध (essay on Gandhiji in hindi) लिखने संबन्धित आपकी सारी शंकाओं का समाधान हो गया होगा। महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Gandhiji in hindi) की ही तरह और भी अन्य निबंध पढ़ने के लिए इस लेख में उपलब्ध लिंक्स पर क्लिक करें।

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Essay On Mahatma Gandhi In Hindi (100, 200, 300, 500, 700, 1000 Words)

महात्मा गाँधी पर निबंध 1 (100 शब्द) :.

महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है जिनके पिता का नाम करमचंद गाँधी था और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था। महात्मा गाँधी जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने एक राष्ट्रवादी नेता की तरह ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतवासियों का भरपूर नेतृत्व किया था।

महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था लेकिन इनकी मृत्यु 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली में स्थित बिरला मंदिर की प्रार्थना सभा में हुई थी। मोहनदास करमचंद गाँधी जी की हत्या हिन्दू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर की थी जिसके लिए उसे भारत सरकार के द्वारा फांसी की सजा दी गई थी। सन् 1948 में रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें एक और “राष्ट्र का शहीद” नाम दिया था।

महात्मा गाँधी पर निबंध 2 (200 शब्द) :

महात्मा गाँधी जी एक सच्चे भारतवासी होने के साथ-साथ एक महान और उत्कृष्ट व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे जिन्हें आज के समय में भी देश और विदेशों के लोगों को अपनी महानता, आदर्शवाद और महान जीवन की वजह से प्रेरित करते हैं।

महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक स्थान पर एक हिंदू परिवार में हुआ था जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। भारत देश के लिए 2 अक्तूबर एक बहुत ही पुन्य तिथि थी क्योंकि आज के दिन महात्मा गाँधी जी का जन्म हुआ था।

गाँधी जी ने ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद कराने के लिए अविस्मरणीय भूमिका निभाई थी। गाँधी जी ने अपनी विश्वविद्यालय की शिक्षा इंग्लैड से की थी जहाँ से वे एक वकील बनकर लौटे थे जिसके बाद उन्होंने ब्रिटिश शासन द्वारा समस्याओं का सामना करने वाले भारतियों की मदद करने लगे थे।

गाँधी जी ने भारतीय लोगों की मदद करने के लिए सत्याग्रह नामक आंदोलन का शुभारंभ किया। भारत को स्वतंत्र कराने के लिए गाँधी जी ने बहुत से अन्य आंदोलन भी चलाए थे जिनके बाद भारत को अंत में 15 अगस्त, 1947 को आजादी मिली थी लेकिन इसके एक साल बाद 30 अक्तूबर, 1948 को दिल्ली में गाँधी जी की मृत्यु हो गई थी।

महात्मा गाँधी पर निबंध 3 (300 शब्द) :

भूमिका : महात्मा गाँधी जी को बापू या राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि सभी लोग उन्हें इन्हीं नामों से पुकारा करते थे। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है जो एक बहुत ही महान स्वतंत्रता सेनानी थे और एक राष्ट्रवाद नेता की तरह ही उन्होंने भी ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारत देश का नेतृत्व किया था।

गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। गाँधी जी ने ऐसे बहुत से आंदोलन चलाए हैं जिनके द्वारा किसी भी देश या राष्ट्र की उन्नति हो सकती है। गाँधी जी द्वारा ही भारत देश को आजादी मिल पाई थी।

महात्मा गाँधी का जीवन : महात्मा गाँधी जी ने अपनी मैट्रिक से आगे की पढाई इंग्लैण्ड में की थी जहाँ से गाँधी जी वकील बनकर ही भारत वापस लौटे थे। भारत आकर उन्होंने भारतवासियों का मार्गदर्शन करना शुरू कर दिया जिससे कुछ लोगों ने उन्हें राजनीति में प्रवेश करने के लिए कहा।

महात्मा गाँधी जी ने अहिंसा के धर्म को अपनाते हुए बहुत सारे आंदोलन चलाए जिसके सामने अंग्रेजों को अपने घुटने टेकने पड़े और अंत में अंग्रेजो ने भारत को आजाद कर दिया और भारत छोड़कर चले गए। भारत के आजाद होने के कुछ समय बाद महात्मा गाँधी जी की हिंदू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे के द्वारा दिल्ली के बिरला मंदिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

उपसंहार : महात्मा गाँधी जी को भारतीय इतिहास में युग पुरुष के रूप में सदैव याद रखा जाएगा। आज महात्मा गाँधी जी को सारी दुनिया श्रद्धा के साथ नमन करती हैं। महात्मा गाँधी जी के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए उनके ऊपर बहुत-सी भाषाओं में फिल्में बनाई गई हैं जिससे आज के बच्चे, युवा अपने जीवन को प्रेरणादायक बना सकें।

जब महात्मा गाँधी जी का जन्मदिन होता है तो उस दिन पूरा विश्व श्रद्धा और सम्मान के साथ गाँधी जी के जन्मदिन को मनाता है। गाँधी जी के सम्मान के रूप में अमेरिका देश ने भी 2 अक्तूबर को गाँधी जयंती के रूप में मनाना शुरू कर दिया है।

महात्मा गाँधी पर निबंध 4 (400 शब्द) :

भूमिका : महात्मा गाँधी जी को महात्मा उनके महान कार्यों और महानता के लिए कहा जाता है जिन्हें उन्होंने अपने जीवन भर किया था। महात्मा गाँधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ एक अहिंसक कार्यकर्ता भी थे जिन्होंने अपने पूरे जीवन में अहिंसा का पालन किया था जिसका उदाहरण ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद कराना है।

गाँधी जी ने अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए बहुत से आंदोलन चलाए लेकिन उन्होंने किसी भी आंदोलन को हिंसात्मक नहीं होने दिया। गाँधी जी ने बहुत सी जगहों पर शिक्षा प्राप्त की थी जिससे ही उन्होंने राजनीति सीखी थी।

महात्मा गाँधी का जन्म : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था जिनके पिता जी का नाम करमचंद गाँधी और माँ का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी पर उनकी माँ के संस्कारों का बहुत अधिक गहरा प्रभाव पड़ा था।

महात्मा गाँधी जी ने बहुत सारे आंदोलन चलाए ताकि वे अपने भारत के लोगों को ब्रिटिश शासन से छुटकारा दिला सकें। उन्होंने सत्याग्रह किया जिसके सामने अंग्रेजों ने अपने घुटने टेक दिए जिसके बाद भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।

(और पढ़ें :    राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध  ,  महात्मा गाँधी से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें )

महात्मा गाँधी की मृत्यु : महात्मा गाँधी जी ने अपने पूरे जीवन को देश के लिए बलिदान कर दिया था इसलिए वे जब तक जिंदा रहे तब तक देश के उन्नति के लिए काम करते रहे। गाँधी जी ने देश को एक करने के लिए हिंदू मुस्लिम एकता की भावना का शुभारंभ किया लेकिन कुछ लोग इस भावना के विरुद्ध थे।

महात्मा गाँधी जी 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला मंदिर में प्रार्थना सभा के लिए गए थे तभी एक हिंदू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। महात्मा गाँधी जी की मृत्यु से पूरा भारत बहुत गहरे सदमे में चला गया। गाँधी जी की मृत्यु के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमारे बीच रहेंगे।

उपसंहार : एक समय ऐसा भी आया था जब गाँधी जी को काली त्वचा और गोरी त्वचा वाले व्यक्ति के भेदभाव का शिकार होना पड़ा था जिसके बाद ही उन्होंने राजनीति में प्रवेश करने का निश्चय किया। गाँधी जी राजनीतिक कार्यकर्ता बनकर पास किए गए गलत कानूनों में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते थे।

गाँधी जी ने भारत देश को स्वतंत्र और शक्तिशाली बनाने के लिए एक अहिंसक आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन ने ही नमक सत्याग्रह में होने वाले दांडी मार्च का नेतृत्व किया था। गाँधी जी ने अपनी स्वतंत्रता के लिए बहुत सारे भारतियों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए प्रेरित किया।

महात्मा गाँधी पर निबंध 5 (500 शब्द) :

भूमिका : महात्मा गाँधी जी भारत के एक महान और उत्कृष्ट व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे जिन्हें आज भी देश और विदेश के लोगों को अपनी महानता, आदर्शवाद जीवन की वजह से प्रेरित करते हैं। महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के काठियावाड़ में स्थित पोरबंदर स्थान पर हुआ था।

महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है जो उनके पिता जी के नाम पर रखा गया था क्योंकि गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी था और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी अपने पिता की चौथी और आखिरी संतान थे।

महात्मा गाँधी जी की प्रारंभिक शिक्षा : महात्मा गाँधी जी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही हुई थी जिसमें वे एक बहुत ही साधारण विद्यार्थी थे। प्रारंभिक शिक्षा के दौरान गाँधी जी अपने सहपाठियों से बहुत ही कम बोलते थे लेकिन अपने अध्यापकों का पूरा आदर करते थे। गाँधी जी ने अपनी मैट्रिक की परीक्षा अपने स्थानीय विद्यालय से उत्तीर्ण की थी।

प्रारंभ में तो गाँधी जी बहुत ही मेहनती और सत्यवादी थे क्योंकि वे कभी भी कोई बात नहीं छिपाते थे। गाँधी जी झगड़ा, शरारत और उछल-कूद से कोशों दूर रहते थे। गाँधी जी ने बंबई युनिवर्सिटी की मैट्रिक की परीक्षा को पास किया और भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया।

गाँधी जी के गुजरती भाषा से अचानक अंग्रेजी भाषा में आने से उन्हें व्याख्यानों को समझने में बहुत अधिक परेशानी होती थी। गाँधी जी की इच्छा थी कि वे एक डॉक्टर बने लेकिन वे एक वैष्णव परिवार के व्यक्ति थे जिन्हें चीरफाड़ करने की अनुमति नहीं थी। अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद गाँधी जी को अगली उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड जाना पड़ा था।

विवाह : जब गाँधी जी 13 साल के थे तो वे अपने स्कूल की पढाई पूरी कर रहे थे। 13 साल की उम्र में उनका विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की बेटी से हो गया था जिसका नाम कस्तूरबा देवी था।

राजनीति में प्रवेश : जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे तब भारत में स्वतंत्रता आंदोलन चल रहा था। सन् 1915 में गाँधी जी फिर से भारत लौटे थे। इन दिनों कांग्रेस पार्टी के गणमान्य सदस्य श्री गोपाल कृष्ण गोखले जी थे। गोपाल कृष्ण गोखले जी ने गाँधी जी से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की अपील की जिसकी वजह से गाँधी जी ने कांग्रेस में अध्यक्षता हासिल की और पूरे भारत का भ्रमण किया। जब गाँधी जी ने देश की बागडोर को अपने हाथों में ले लिया तो पूरे देश में एक नए इतिहास का सूत्रपात हुआ।

जब साल 1928 में साइमन कमिशन भारत आया तो गाँधी जी ने उसका डटकर सामना किया। गाँधी जी की एकता से लोगों को बहुत प्रोत्साहन मिला। जब गाँधी जी ने नमक आंदोलन और दांडी यात्रा की तो अंग्रेज पूरी तरह हिल गए। महात्मा गाँधी जी कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे जिसकी वजह से वे स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने लगे। गाँधी जी ने तिलक जी के साथ इस आंदोलन को आगे बढ़ाया था।

उपसंहार : बापू जी ने बहुत से देशों की यात्रा भी की थी जिसके बाद उन्होंने भारत लौटकर ब्रिटिश शासन के द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को रोकने के लिए और उनका सामना करने के लिए भारत के लोगों की मदद करना शुरू कर दिया। महात्मा गाँधी जी एक भारतीय थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन को हराने के लिए सत्याग्रह आंदोलन का शुभारंभ किया था।

महात्मा गाँधी जी की वजह से ही भारत देश को आजादी मिल पाई थी जिसके लिए उन्होंने बहुत से लोगों को प्रेरित किया था। महात्मा गाँधी जी को 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला मंदिर में हिंदू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने गोली मार दी थी जिससे उनकी मृत्यु हो गई थी।

महात्मा गाँधी पर निबंध 6 (600 शब्द) :

भूमिका : महात्मा गाँधी जी एक अहिंसा प्रिय व्यक्ति थे क्योंकि उनका मानना था कि जो चीज हिंसा से प्राप्त नहीं की जा सकती है उसे अहिंसा और प्रेम से आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। महात्मा गाँधी वो महान हस्ती थे जिन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए बहुत से आंदोलनों का नेतृत्व किया था।

महात्मा गाँधी जी एक वकील थे जिन्होंने राजनीति में प्रवेश करके बहुत से लोगों को सही और अहिंसापूर्ण मार्ग दिखाया था। महात्मा गाँधी जी ने ब्रिटिश शासन द्वारा तिरस्कृत और अपमानित किए जाने वाले भारतवासियों को स्वतंत्रता दिलाई थी।

गाँधी जी का परिवार : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। महात्मा गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता जी का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी अपने पिता की चौथी और आखिरी संतान थे जिनके पिता राजकोट के दीवान थे।

गाँधी जी पर उनकी माता पुतलीबाई गाँधी का बहुत अधिक गहरा प्रभाव पड़ा था। गाँधी जी का विवाह 13 साल की उम्र में पोरबंदर के एक व्यापारी की बेटी कस्तूरबा देवी स हुआ था। गाँधी जी का पूरा परिवार विशुद्ध भारतीय परिवार था जो सदाचार को ही अपने जीवन का परम मूल्य समझता था।

महात्मा गाँधी जी का विदेश गमन : जब महात्मा गाँधी जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण कर ली तो उन्हें आगे की शिक्षा ग्रहण करने के लिए इंग्लैण्ड जाना पड़ा। गाँधी जी की पढाई अभी चल रही थी कि उनके पिता जी का देहांत हो गया। इंग्लैण्ड में गाँधी जी ने अध्ययन के साथ-साथ पहली बार स्वतंत्र विश्व का दर्शन किया था।

इंग्लैण्ड जाने के बाद भी गाँधी जी ने मांसाहारी भोजन को हाथ भी नहीं लगाया क्योंकि उन्होंने अपनी माता से ऐसा न करने का वादा किया था। गाँधी जी ने इंग्लैण्ड में बहुत सी बाधाओं का सामना किया क्योंकि उन्हें शाकाहारी भोजन के लिए बहुत कष्टों का सामना करना पड़ता था। गाँधी जी अपनी वकालत की पढाई पूरी करके भारत लौट आए जिस बीच उनकी माँ का स्वर्गवास हो गया।

गाँधी जी का दक्षिण अफ्रीका प्रस्थान : जब गाँधी जी बंबई में वकालत कर रहे थे तब उन्हें बंबई से ही साल 1893 में पोरबंदर के अब्दुल्ला एंड कंपनी केश के मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा था। जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका पहुंचे तो वहां पर पहुंचकर उन्हें पता चला कि वहां पर जितने भी भारतवासी बसे हुए थे उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता है।

उस समय वहां पर रंग-भेद का भेदभाव अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका था। गाँधी जी इस बात को सहन नहीं कर पाए जिसकी वजह से उनके मन में राष्ट्रिय-भावना जागृत हुई। गाँधी जी ने रंग-भेद को समाप्त करने के लिए सत्याग्रह आंदोलन चलाया जिसमें उन्हें सफलता प्राप्त हुई और अंग्रेजों को अपने कानून को वापस लेना पड़ा जिसके फलस्वरूप दक्षिण अफ्रीका पर किए जाने वाले अत्याचार बंद हो गए।

स्वदेश आगमन : महात्मा गाँधी जी अपने देश भारत सन् 1915 में लौटे थे जब अंग्रेज बहुत अधिक तेजी से भारतियों का दमन कर रहे थे। इसी समय पर रोलैक्ट एक्ट जैसे कानून को भी चलाया गया था। पंजाब के अमृतसर में बैसाखी के दिन 13 अप्रैल, 1919 के समय जलियावाला में एक महासभा हुई तब बाग के गेट को बंद कर दिया गया और उस पर सिपाही तैनात कर दिए गए। अंग्रेजों की योजना यह थी कि अगर भीड़ में भगदड़ हुई तो कोई भी बचकर बाहर नहीं जा पाएगा।

बाग में बैठे हजारों लोगों के ऊपर अंग्रेजों के द्वारा सिपाहियों को गोलीबारी करने का आदेश दे दिया था। अंग्रेजों ने आम सभा को शोक सभा में बदल दिया जिससे पूरा बाग कुछ ही देर में लाशों से भर गया। जलियावाला बाग हत्याकांड ने पूरी मानव जाति को लज्जित कर दिया था। उस समय कांग्रेस पार्टी की स्थिति कुछ खास मजबूत नहीं थी।

उपसंहार : महात्मा गाँधी जी ने स्वतंत्रता दिलाने का दृढ निश्चय किया जिसके बाद ब्रिटिश शासन ने बहुत से प्रयत्न किए लेकिन गाँधी जी अपने फैसले पर अडिग रहे। कई बार तो गाँधी जी को स्वतंत्रता सेनानी होने की वजह से जेल भी जाना पड़ा था लेकिन उन्होंने भारतवासियों के न्याय के लिए ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लड़ाई को जारी रखा।

गाँधी जी देश और सभी धर्मों की एकता में बहुत विश्वास रखते थे जिसका होना आजादी के लिए बहुत अधिक जरुरी था। गाँधी जी के साथ-साथ कई अन्य भारतीयों ने भी बहुत अधिक संघर्ष किया जिसके बाद अंत में भारत को 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।

महात्मा गाँधी पर निबंध 7 (700 शब्द) :

भूमिका : महात्मा गाँधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत को आजादी दिलाने के संघर्ष में बिता दिया। महात्मा गाँधी जी एक वकील थे लेकिन वकील होने के बाद भी उन्होंने अपना पूरा जीवन भारतवासियों के लिए नेता के रूप में बिता दिया था।

महात्मा गाँधी जी के जीवन से सभी लोगों खासकर युवा व्यक्तियों को प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए। महात्मा गाँधी जी को सभी लोग बापू या राष्ट्रपिता कहते थे क्योंकि उन्होंने हमें आजादी दिलाने के लिए अपना पूरा जीवन व्यतीत कर दिया।

गाँधी जी का जन्म : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी अपने पिता की चौथी और सबसे छोटी संतान थे।

गाँधी जी के पिता राजकोट के दीवान और माता सती-साध्वी और धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं जिसका उनका बेटे पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था। गाँधी जी अपने माता के संस्कारों से बहुत अधिक प्रभावित थे। गाँधी जी का पूरा परिवार विशुद्ध भारतीय परिवार था जिसमें सदाचार को जीवन का बहुमूल्य धन माना जाता था।

गाँधी जी का प्रारंभिक जीवन : गाँधी जी के पिता राजकोट के दीवान थे इसलिए उनका प्रारंभिक जीवन राजकोट में ही व्यतीत हुआ था। गाँधी जी एक बहुत ही साधारण से व्यक्ति थे जो अपने मित्रों और सहपाठियों से बहुत कम बोलते थे लेकिन अपने से बडो और शिक्षकों का पूरा आदर करते थे।

गाँधी जी ने अपने स्कूली जीवन में बहुत से पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीती हैं लेकिन वे पढाई और खेल में अधिक तेज नहीं थे। गाँधी जी को उनके बचपन में धर्म-कर्म की पूरी शिक्षा उनकी माता ने उन्हें दी थी। गाँधी जी बहुत ही विनम्र व्यवहार के थे लेकिन किसी बच्चे का इतना विनम्र होना ठीक नहीं था लेकिन गाँधी जी में ये सभी संस्कार जन्म से ही थे।

अहिंसा नीति में भूमिका : भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में महात्मा गाँधी जी के आने के बाद अहिंसा का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया था लेकिन इसके साथ-साथ देश में बहुत से हिंसक स्वतंत्रता संघर्ष चल रहे थे जिनके महत्व को नकारा नहीं जा सकता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए बहुत से भारतीय वीर अंग्रेजी हुकूमत से लड़ते हुए शहीद हो गए थे।

लेकिन महात्मा गाँधी जी के अहिंसा आंदोलन वो आंदोलन थे जिसमें देश की पूरी स्वतंत्रता के लिए शांतिपूर्वक प्रदर्शन किए जाते थे। महात्मा गाँधी जी ने अपने हर आंदोलन के लिए अहिंसा के मार्ग को अपनाया था।

भारत छोड़ो आंदोलन : द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद अंग्रेजों ने अपने दिए हुए वचन से पीछे हटना शुरू कर दिया जिससे भारतियों ने “अंग्रेजो! भारत छोड़ो” का नारा लगाया। इस आंदोलन की वजह से पूरे देश में बहुत से नागरिक अवज्ञा आंदोलन चल गए और भारतियों ने खुद को द्वितीय विश्व युद्ध से अलग करने की भी मांग करनी शुरू कर दी।

गाँधी जी ने इस लड़ाई में भाग लेते समय यह कहा था कि यह मेरी आखिरी लड़ाई है। गाँधी जी ने अपने सभी साथियों के साथ आत्म समर्पण किया था जिसकी वजह से पूरे देश में अशांति फैल गई थी। भारत छोड़ो आंदोलन भारत में ब्रिटिश राज की आखिरी कील साबित हुई है।

महान बलिदान : जब तक गाँधी जी जिंदा रहे तब तक अपने देश के उद्धार के लिए कार्य करते रहे। गाँधी जी ने जो हिन्दू-मुस्लिम एकता का शुभारंभ किया उससे कुछ लोग खुश नहीं थे जिसका विरोध करने के लिए हिंदू कार्यकर्ता ने 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला भवन में सभा के समय मौका पाकर गाँधी जी की गोली मरकर हत्या कर दी जिसके लिए नाथूराम गोडसे को फांसी की सजा दी गई थी। गाँधी जी की मृत्यु की वजह से पूरा भारत देश शोक सागर में डूब गया लेकिन उनके मरने के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमेशा याद रखे जाएंगे।

उपसंहार : महात्मा गाँधी जी एक महान समाज सुधारक और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य पूरा तो कर लिया लेकिन उसके कुछ समय के बाद ही उनका देहांत हो गया था। गाँधी जी ने शारीरिक श्रम के लिए भारतवासियों को प्रेरित किया और एक साधारण जीवन जीने और आत्म निर्भर बनाने के लिए सभी संसाधनों की व्यवस्था भी करने के लिए कहा।

महात्मा गाँधी जी ने पूर्ण रूप से स्वतंत्र बनने के लिए और स्वदेशी सामान को अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जिससे भारत उन्नति कर सके इसलिए गाँधी जी को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है।

महात्मा गाँधी पर निबंध 8 (1000 शब्द) :

भूमिका : हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी केवल भारत के ही नहीं बल्कि पूरे संसार के महान पुरुष थे जिन्हें आज के युग की महान विभूति माना जाता है। अहिंसा एक ऐसी नीति है जिसमें कभी भी किसी को भी जाने या अनजाने में ठेस नहीं पहुंचाई जाती है। विश्व में गाँधी जी का एक उदाहरण उनके द्वारा किया गया सत्याग्रह है जिसके समक्ष अंग्रेजों को झुकना ही पड़ा था।

यह वह नीति है जिसे गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी जैसे महान व्यक्तियों द्वारा प्रसारित किया गया और महात्मा गाँधी उन प्रसिद्ध व्यक्तियों में से एक ही थे जो अहिंसा नीति का पालन करते थे। भारत की स्वतंत्रता के लिए उनके द्वारा बहुत से प्रयत्न किए गए जिसके बाद ही हमें स्वतंत्रता की प्राप्ति हुई थी।

महात्मा गाँधी जी का जन्म : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था।

गाँधी जी एक विशुद्ध भारतीय हिंदू परिवार से थे जिनके लिए केवल सदाचार ही बहुमूल्य होता था। गाँधी जी के पिता राजकोट के दीवान थे इसलिए अपने परिवार की वकालत की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए गाँधी जी ने इंग्लैण्ड से अपनी वकालत की शिक्षा प्राप्त की।

महात्मा गाँधी जी की शिक्षा : गाँधी जी का जन्म पोरबंदर में हुआ था जिसकी वजह से उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी पोरबंदर में ही हुई थी। गाँधी जी ने अपनी मैट्रिक की परीक्षा अपने स्थानीय विद्यालय से उत्तीर्ण की थी। गाँधी जी ने बंबई यूनिवर्सिटी की मैट्रिक की परीक्षा को सन् 1887 में उत्तीर्ण किया था जिसके बाद उन्होंने भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया था।

गाँधी जी के अचानक गुजरती भाषा से अंग्रेजी भाषा में आने से उन्हें थोड़ी-सी परेशानी हुई थी। गाँधी जी का सपना डॉक्टर बनने का था लेकिन उनके परिवार को चीरफाड़ करने की इजाजत नहीं थी इसलिए वे इंग्लैण्ड गए और वकालत की शिक्षा ग्रहण की।

महात्मा गाँधी का विवाह : गाँधी जी जब अपनी स्कूली शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब उनकी उम्र केवल 13 साल थी। 13 साल की उम्र में गाँधी जी का विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की बेटी कस्तूरबा देवी से कर दिया गया था। जब गाँधी जी वकालत की शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब वे एक बेटे के पिता बन चुके थे।

महात्मा गाँधी जी की विदेश यात्रा : गाँधी जी अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब उनके पिता जी का स्वर्गवास हो गया। गाँधी जी को वकालत की शिक्षा ग्रहण करने के लिए इंग्लैण्ड जाना पड़ा जहाँ पर उन्होंने अध्ययन के साथ-साथ पहली बार स्वतंत्र विश्व के अपनी खुली आँखों से दर्शन किए थे। गाँधी जी ने विदेश जाने से पहले अपनी माँ से मांस-मछली न खाने का वादा किया था जिसे उन्होंने मरते दम तक निभाया था।

गाँधी जी को शाकाहारी भोजन प्राप्त करने के लिए बहुत सारे कष्टों का सामना करना पड़ता था। गाँधी जी अपनी वकालत की पढाई पूरी करके भारत लौटे ही थे कि इसी बीच उनकी माता का देहांत हो गया। गाँधी जी के जीवन में उनकी माँ ने ही दया, प्रेम, करुणा और ईश्वर के प्रति निःस्वार्थ भाव से श्रद्धा पैदा की थी।

चंपारण और खेडा आंदोलन : सन् 1917 में चंपारण के किसानो पर अंग्रेजों के द्वारा बहुत अत्याचार किए जा रहे थे। अंग्रेज उन्हें नील की खेती करने पर विवश करते थे और एक तय कीमत पर उस नील को खरीद लेते थे जिसका विरोध करने के लिए गाँधी जी ने एक आंदोलन की शुरुआत की जिसमें अंग्रेजों को उनकी मांगों को मानना ही पड़ा।

गाँधी जी के इस आंदोलन को लोगों के द्वारा चंपारण आंदोलन के नाम से जाना जाता है इसके साथ-साथ सन् 1918 में गुजरात में खेडा गाँव को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा था जिसकी वजह से उस क्षेत्र में आकाल की भयंकर स्थिति उत्पन्न हो गई लेकिन इसके बाद भी अंग्रेज कर में किसी भी तरह की छूट नहीं करना चाहते थे। इसका विरोध करने के लिए गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की जिसकी वजह से अंग्रेजों ने करों में छूट की।

असहयोग आंदोलन : जब अंग्रेजों ने क्रूर नीति अपनाकर जलियावाला बाग हत्याकांड किया तो उसका जबाव देने के लिए गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। असहयोग आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ शुरू किया गया एक अहिंसक आंदोलन था क्योंकि गाँधी जी का मानना था कि अंग्रेज भारत में अपना शासन स्थापित करने में इसलिए समर्थ हो पाए थे क्योंकि उन लोगों को भारतियों का भरपूर सहयोग मिला था।

गाँधी जी की बात मानते हुए लोगों ने अंग्रेजी सरकार के अधीन पदों से इस्तीफा देना शुरू कर दिया इसके साथ-साथ लोगों ने अंग्रेजी वस्त्रों और वस्तुओं को खरीदना बंद कर दिया और स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरू कर दिया। असहयोग आंदोलन में किसी भी तरह की हिंसा का प्रयोग नहीं हुआ लेकिन फिर भी इसने अंग्रेजों को हिला कर रख दिया।

नमक सत्याग्रह : महात्मा गाँधी जी ने दांडी यात्रा की जिसे नमक सत्याग्रह भी कहते हैं जिसमें गाँधी जी ने नमक पर लगने वाले कानूनों का विरोध किया और खुद अपने हाथों से नमक तैयार किया। गाँधी जी ने नमक पर अंग्रेजों के एकाधिकार के विरोध में दांडी यात्रा की शुरुआत की जो पूरे 24 दिनों में पूरी हुई थी।

24 दिनों में गाँधी जी साबरमती आश्रम से गुजरात के दांडी नामक तटीय गाँव पहुंचे थे जिसकी वजह से नमक कानून की अवहेलना की गई और लोगो ने खुद नमक बनाना और बेचना शुरू कर दिया। नमक सत्याग्रह ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा और स्वतंत्र भारत के सपने को मजबूती देने का काम किया।

स्वतंत्रता प्राप्त होना : जब सन् 1920 में तिलक जी की मृत्यु हो गई तो उसके बाद स्वतंत्रता आंदोलन का पूरा भार गाँधी जी पर आ गया। गाँधी जी आंदोलन का पूर्ण संचालन अहिंसा की नीतियों पर चलकर कर रहे थे। इसी समय गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन को चलाया था जिसमें हजारों की संख्या में वकील, शिक्षक, विद्यार्थी, व्यापारी, आदि शामिल हुए थे।

गाँधी जी का यह आंदोलन अहिंसक था। बाद में सन् 1929 में रावी नदी के किनारे पर कांग्रेस अधिवेशन हुआ जिसमें गाँधी जी ने पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा की थी। इसके बाद गाँधी जी ने नमक कानून का विरोध किया जिसमें गाँधी जी ने 24 दिनों की यात्रा की जिसके बाद वे दांडी पहुंचे थे और अपने हाथों से नमक बनाया था। इस यात्रा और नमक बनाने की वजह से गाँधी जी को जेल भी जाना पड़ा था। अंत में गाँधी जी और अन्य कई भारतियों की वजह से 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।

उपसंहार : महात्मा गाँधी जी का कहना था कि हथियार और हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं हो सकते हैं। ये किसी भी समस्या को कम करने की जगह पर और अधिक बढ़ा देता है। हिंसा किसी भी व्यक्ति में नफरत, डर और गुस्सा को बढ़ा देता है।

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हमारे द्वारा नीचे महात्मा गांधी पर सरल शब्दों में निबंध दिए गए हैं। वे हमारे दिलों में हमेशा रहेंगे। भारत का हर बच्चा और व्यक्ति उन्हें बापू या राष्ट्रपिता के नाम से जानता है। नीचे दिए गए निबंधों के माध्यम से आप अपने बच्चों की स्कूल की हर प्रतियोगिता या परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद कर सकते हैं।

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi 100 Words

महात्मा गांधी को जीवन पर्यंत उनके महान कार्यों के लिए महात्मा बुलाया जाता रहेगा। वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और अहिंसा का पालन करने वाले कार्यकर्ता थे. उन्होंने अहिंसा के दम पर भारत को अंग्रेजों के राज से मुक्त करवाया। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक शहर में हुआ था। वे जब इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई कर रहे थे तब महज 18 साल के थे। बाद में वे अपने कानून का अभ्यास करने के लिए दक्षिण अफ्रीका के एक ब्रिटिश उपनिवेश में गए जहां अपनी काली त्वचा के कारण गोरे लोगों ने उनके साथ भेदभाव किया। इसलिए उन्होंने इन अनुचित कानूनों में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एक राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निश्चय किया।

  • Mahatma Gandhi Slogan in Hindi 

इसके बाद वे भारत लौट आएं और उन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए एक शक्तिशाली और अहिंसक आंदोलन शुरु किया। सन 1930 में गांधीजी ने दांडी मार्च का नेतृत्व किया। उन्होंने बहुत से भारतीयों को अपनी स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए प्रेरित किया।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 200 Words

महात्मा गांधी भारत के महान और उत्कृष्ट व्यक्तित्व थे, जो अभी भी अपनी महानता, आदर्शवाद और महान जीवन की विरासत के जरिए देश -विदेश में लोगों को प्रेरित करता है। बापू का जन्म 2 अक्तूबर को 1869 को भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक शहर में एक हिंदू परिवार में हुआ था। अक्टूबर माह के दूसरे दिन जब बापू का जन्म हुआ, वह भारत के लिए एक महान दिन था। उन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत को स्वतंत्रता कराने के लिए अपनी महान और अविस्मरणीय भूमिका अदा की। बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। वे अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही कानून की पढाई के लिए इंग्लैंड चले गयें थे। सन 1891 में एक वकील के रूप में भारत लौट आयें।

  • Mahatma Gandhi Quotes On Cleanliness In Hindi

भारत आने के बाद, उन्होंने ब्रिटिश शासन से विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहे भारतीय लोगों की मदद करना शुरू कर दिया। उन्होंने भारतीयों की मदद के लिए अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया। भारत की स्वतंत्रता के लिए बापू द्वारा शुरू की गई अन्य बड़ी गतिविधियों में 1920 में असहयोग आंदोलन, वर्ष 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन थे। सभी आंदोलनों ने भारत में ब्रिटिश शासन को हिलाकर रख दिया और बहुत से आम नागरिकों को स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।

  • Gandhiji Ke Andolan In Hindi 

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 500 Words

महात्मा गांधी को हमारे देश की आजादी में उनके महान योगदान के लिए “देश के पिता या बापू” के रूप में जाना जाता है। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अहिंसा और लोगों की एकता में विश्वास किया और भारतीय राजनीति में आध्यात्मिकता लायें। उन्होंने भारतीय समाज में अस्पृश्यता को हटाने, भारत में पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कड़ी मेहनत की, सामाजिक विकास के लिए गांवों को विकसित करने के लिए आवाज उठाई, स्वदेशी वस्तुओं और अन्य सामाजिक मुद्दों को उठाने के लिए लोगों को प्रेरित किया। वे आजादी की लड़ाई में भाग लेने के लिए आम लोगों को आगे लायें और उन्हें अपनी सच्ची स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।

  • Gandhi Jayanti Speech In Hindi

वे उन व्यक्तियों में से एक थे जिन्होंने अपने महान आदर्शों और सर्वोच्च त्यागों के माध्यम से आजादी के सपने को सच्चाई में बदल दिया। वे आज भी हमारे बीच उनके महान कार्यों और अहिंसा, सच्चाई, और प्रेम जैसे प्रमुख गुणों के लिए याद कियें जाते है। वे एक महान आत्मा के रूप में पैदा नहीं हुए थे बल्कि उन्होंने अपने कठिन संघर्षों और कार्यों के माध्यम से खुद को महान बना दिया। वे राजा हरिश्चंद्र नामक नाटक के पात्र राजा हरिश्चंद्र के जीवन से बेहद प्रभावित थे। स्कूली शिक्षा के बाद, उन्होंने इंग्लैंड से अपनी क़ानून की डिग्री पूरी की और एक वकील के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया लेकिन एक महान नेता के रूप में कार्य करना जारी रखा।

  • Mahatma Gandhi Quotes in Hindi

उन्होंने भारत की आज़ादी के लिए कई बड़े आन्दोलनों जैसे 1920 में असहयोग आंदोलन, 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1 942 में भारत छोड़ो आंदोलन आदि की शुरुआत की। कई संघर्षों और कार्यों के बाद, ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत को आजादी प्रदान की गई। वे एक बहुत ही सरल व्यक्ति थे जिन्होंने रंग और जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए काम किया। उन्होंने भारतीय समाज में अस्पृश्यता को दूर करने के लिए कड़ी मेहनत की और अछूतों को “हरिजन” नाम दिया, जिसका अर्थ है भगवान के लोग।

वे एक महान सामाजिक सुधारक और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, जो अपने जीवन के लक्ष्य को पूरा करने के एक दिन बाद मृत्यु को प्राप्त हुए। उन्होंने भारतीय लोगों को मेहनतकश बननें के लिए प्रेरित किया और कहा कि एक सरल जीवन जीने और आत्मनिर्भर बनने के लिए सभी संसाधनों की व्यवस्था वे स्वयं करें। उन्होंने स्वदेशी सामानों के उपयोग को बढ़ावा देने और विदेशी सामानों के उपयोग से बचने के लिए चरखे के माध्यम से सूती कपड़े की बुनाई शुरू कर दी। वे कृषि के समर्थक थे और इसके लिए उन्होंने बड़ी संख्या में लोगों को कृषि कार्य करने के लिए प्रेरित किया। वे एक ऐसे आध्यात्मिक व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय राजनीति में आध्यात्मिकता का प्रवेश करवाया। 30 जनवरी 1948 को उनका निधन हुआ और उनके शरीर का अंतिम  संस्कार राजघाट , नई दिल्ली में किया गया। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए 30 जनवरी को हर साल भारत में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi | स्कूली छात्रों के लिए महात्मा गांधी पर निबंध

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  • Updated on  
  • जनवरी 22, 2024

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

भारत के स्वतंत्रता सेनानी और बापू के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने अंग्रेज़ों की गुलामी से भारत को आज़ाद कराने के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया था। आज़ादी के लिए उन्होंने चंपारण, खेड़ा, आंदोलन, आंदोलन और भारत छोड़ो आदि आंदोलन किए। ऐसे में कई बार विद्यार्थियों को महात्मा गांधी पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि महात्मा गांधी पर एक सूचनात्मक निबंध कैसे लिखें। यहाँ आपको 100, 200 और 500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in Hindi के कुछ सैम्पल्स दिए गए हैं। आईये पढ़ते हैं उन सैम्पल्स को।

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महात्मा गांधी पर निबंध लिखने के लिए, आपको उनके बारे में निम्नलिखित विवरणों का उल्लेख करना होगा।

  • देश के लिए योग
  • आजादी के लिए निभाया कर्तव्य

महात्मा गांधी पर 100 शब्दों में निबंध इस प्रकार हैः

महात्मा गांधी पर 200 शब्दों में निबंध इस प्रकार हैः

महात्मा गांधी को महात्मा , ‘महान आत्मा’ और कुछ लोगों द्वारा उन्हें बापू के नाम से जाना जाता है। महात्मा गांधी वह नेता थे जिन्होंने 200 से अधिक वर्षों से भारतीय जनता पर ब्रिटिश उपनिवेशवाद की बेड़ियों से भारत को मुक्त कराया था। 2 अक्टूबर, 1869 को भारत के पोरबंदर में जन्मे महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। गांधी बचपन से ही न तो कक्षा में मेधावी थे और न ही खेल के मैदान में बेहतर थे। उस समय किसी ने अनुमान नहीं लगाया होगा कि लड़का देश में लाखों लोगों को एक कर देगा और दुनिया भर में लाखों लोगों का नेतृत्व करेगा।

वहीं विश्व स्तर पर प्रसिद्ध व्यक्ति, महात्मा गांधी को उनकी अहिंसक, अत्यधिक बौद्धिक और सुधारवादी विचारधाराओं के लिए जाना जाता है। महान व्यक्तित्वों में माने जाने वाले, भारतीय समाज में गांधी का कद बेजोड़ है क्योंकि उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने के उनके श्रमसाध्य प्रयासों के लिए ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जाना जाता है। गांधी जी की शिक्षा का विचार मुख्य रूप से चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों, नैतिकता और मुक्त शिक्षा पर केंद्रित था। वह इस बात की वकालत करने वाले पहले लोगों में से थे कि शिक्षा को सभी के लिए मुफ्त और सभी के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो।

महात्मा गांधी पर निबंध 400 शब्दों में

महात्मा गांधी पर निबंध- 400 शब्दों में इस प्रकार है:

देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता है।

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गाँधी के पिता कठियावाड़ के छोटे से रियासत (पोरबंदर) के दिवान थे। आस्था में लीन माता और उस क्षेत्र के जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा, जैसे की आत्मा की शुद्धि के लिए उपवास करना आदि। 13 वर्ष की आयु में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा से करा दिया गया था।

असहयोग आंदोलन

जलियांवाला बाग नरसंहार से गाँधी जी को यह ज्ञात हो गया था कि ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है। अतः उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा। और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।

नमक सत्याग्रह

12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गाँधी जी द्वारा किए गए आंदोलनों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।

दलित आंदोलन

गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की गई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।

भारत छोड़ो आंदोलन

ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के बॉम्बे अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।

चंपारण सत्याग्रह

ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानों से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई थी। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया। और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।

महात्मा गांधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में

500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। भारत को स्वतंत्रता दिलवाने में उन्होंने एहम भूमिका निभायी थी। 2 अक्टूबर को हम उन्हीं की याद में गांधी जयंती मनाते है। वह सत्य के पुजारी थे। गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

गांधी जी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी था और वह राजकोट के दीवान रह चुके थे। गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था और वह धर्मिक विचारों और नियमों का पालन करती थीं। कस्तूरबा गांधी उनकी पत्नी का नाम था वह उनसे 6 माह बड़ी थीं। कस्तूरबा और गांधी जी के पिता मित्र थे, इसलिए उन्होंने अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दी। कस्तूरबा गांधी ने हर आंदोलन में गांधी जी का सहयोग दिया था।

गांधी जी ने पोरबंदर में पढ़ाई की थी और फिर माध्यमिक परीक्षा के लिए राजकोट गए थे। वह अपनी वकालत की आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए इंग्लैंड चले गए। गांधी जी ने 1891 में अपनी वकालत की शिक्षा पूरी की। लेकिन किसी कारण वश उन्हें अपने कानूनी केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां जाकर उन्होंने रंग के चलते हो रहे भेद-भाव को महसूस किया और उसके खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने की सोची। वहां के लोग लोगों पर ज़ुल्म करते थे और उनके साथ दुर्व्यवहार करते थे।

भारत वापस आने के बाद उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की तानाशाह को जवाब देने के लिए और अपने लिखे समाज को एकजुट करने के बारे में सोचा। इसी दौरान उन्होंने कई आंदोलन किये जिसके लिए वे कई बार जेल भी जा चुके थे। गाँधी जी ने बिहार के चम्पारण जिले में जाकर किसानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की। यह आंदोलन उन्होंने जमींदार और अंग्रेज़ों के खिलाफ किया था। एक बार गाँधीजी को स्वयं एक गोरे ने ट्रेन से उठाकर बाहर फेंक दिया क्योंकि उस श्रेणी में केवल गोरे यात्रा करना अपना अधिकार समझते थे परंतु गांधी जी उस श्रेणी में यात्रा कर रहे थे।

गांधी जी ने प्रण लिया कि वह काले लोगों और भारतीयों के लिए संघर्ष करेंगे। उन्होंने वहाँ रहने वाले भारतीयों के जीवन सुधार के लिए कई आन्दोलन किये । दक्षिण अफ्रीका में आन्दोलन के दौरान उन्हें सत्य और अहिंसा का महत्त्व समझ में आया। जब वह भारत वापस आए तब उन्होंने वही स्थिति यहां पर भी देखी, जो वह दक्षिण अफ्रीका में देखकर आए थे। 1920 में उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया और अंग्रेजों को ललकारा।

1930 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चलाया और 1942 में उन्होंने अंग्रेजों से भारत छोड़ने का आह्वान किया। अपने इन आन्दोलन के दौरान वह कई बार जेल गए। हमारा भारत 1947 में आजाद हुआ, लेकिन 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई, जब वह संध्या प्रार्थना के लिए जा रहे थे।

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi में हम महात्मा गांधी के कुछ अनमोल विचार के बारे में जानेंगे जो आपको अपना जीवन बदलने की राह आसान करेंगेः

  • “एक कायर प्यार का प्रदर्शन करने में असमर्थ होता है, प्रेम बहादुरों का विशेषाधिकार है।”
  • “मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन।”
  • “किसी चीज में यकीन करना और उसे ना जीना बेईमानी है।”
  • “राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है।”
  • “पृथ्वी सभी मनुष्यों की ज़रुरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन लालच पूरी करने के लिए नहीं।”
  • “प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है और फिर भी हम जिसकी कल्पना कर सकते हैं उसमे सबसे नम्र है।”
  • “एक राष्ट्र की संस्कृति उसमे रहने वाले लोगों के दिलों में और आत्मा में रहती है।”
  • “जहाँ प्रेम है वहां जीवन है।”
  • “सत्य बिना जन समर्थन के भी खड़ा रहता है, वह आत्मनिर्भर है।” 
  • “एक धर्म जो व्यावहारिक मामलों के कोई दिलचस्पी नहीं लेता है और उन्हें हल करने में कोई मदद नहीं करता है वह कोई धर्म नहीं है।”

Mahatma Gandhi Essay in Hindi जानने के साथ ही हमें महात्मा गांधी के बारे में रोचक तथ्यों के बारे में जानना चाहिए, जोकि इस प्रकार हैंः

mahatma gandhi essay in hindi

  • महात्मा गांधी की मातृ-भाषा गुजराती थी।
  • महात्मा गांधी ने राजकोट के अल्फ्रेड हाई स्कूल से पढ़ाई की थी।
  • महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को ही अंतरराष्ट्रीय अंहिसा दिवस के रूप मे विश्वभर में मनाया जाता है।
  • वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे उनके दो भाई और एक बहन थी।
  • माधव देसाई, गांधी जी के निजी सचिव थे।
  • महात्मा गांधी की हत्या बिरला भवन के बगीचे में हुई थी।
  • महात्मा गांधी और प्रसिध्द लेखक लियो टॉलस्टॉय के बीच लगातार पत्र व्यवहार होता था।
  • महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह संघर्ष के दोरान, जोहांसबर्ग से 21 मील दूर एक 1100 एकड़ की छोटी सी कालोनी, टॉलस्टॉय फार्म स्थापित की थी।
  • महात्मा गांधी का जन्म शुक्रवार को हुआ था, भारत को स्वतंत्रता भी शुक्रवार को ही मिली थी तथा महात्मा गांधी की हत्या भी शुक्रवार को ही हुई थी।
  • महात्मा गांधी के पास नकली दांतों का एक सेट हमेशा मौजूद रहता था।

महात्मा गांधी जी के सिद्धांत, प्रथा और विश्वास

गांधी जी के बयानों, पत्रों और जीवन के सिद्धांतों, प्रथाओं और विश्वासों ने राजनीतिज्ञों और विद्वानों को आकर्षित किया है, जिसमें उन्हें प्रभावित किया है। कुछ लेखक उन्हें नैतिक जीवन और शांतिवाद के प्रतिमान के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जबकि अन्य उन्हें उनकी संस्कृति और परिस्थितियों से प्रभावित एक अधिक जटिल, विरोधाभासी और विकसित चरित्र के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिसकी जानकारी नीचे दी गई है:

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सत्य और सत्याग्रह

गांधी ने अपना जीवन सत्य की खोज और पीछा करने के लिए समर्पित कर दिया, और अपने आंदोलन को सत्याग्रह कहा, जिसका अर्थ है “सत्य के लिए अपील करना, आग्रह करना या उस पर भरोसा करना”। एक राजनीतिक आंदोलन और सिद्धांत के रूप में सत्याग्रह का पहला सूत्रीकरण 1920 में हुआ, जिसे उन्होंने उस वर्ष सितंबर में भारतीय कांग्रेस के एक सत्र से पहले ” असहयोग पर संकल्प ” के रूप में पेश किया।

हालांकि अहिंसा के सिद्धांत को जन्म देने वाले गांधी जी नहीं थे, वे इसे बड़े पैमाने पर राजनीतिक क्षेत्र में लागू करने वाले पहले व्यक्ति थे। अहिंसा की अवधारणा का भारतीय धार्मिक विचार में एक लंबा इतिहास रहा है, इसे सर्वोच्च धर्म माना जाता है। 

गांधीवादी अर्थशास्त्र

गांधी जी सर्वोदय आर्थिक मॉडल में विश्वास करते थे, जिसका शाब्दिक अर्थ है “कल्याण, सभी का उत्थान”। समाजवाद मॉडल की तुलना में एक बहुत अलग आर्थिक मॉडल था।

बौद्ध, जैन और सिख

गांधी जी का मानना ​​था कि बौद्ध, जैन और सिख धर्म हिंदू धर्म की परंपराएं हैं, जिनका साझा इतिहास, संस्कार और विचार हैं।

मुस्लिम 

गांधी के इस्लाम के बारे में आम तौर पर सकारात्मक और सहानुभूतिपूर्ण विचार थे और उन्होंने बड़े पैमाने पर कुरान का अध्ययन किया। उन्होंने इस्लाम को एक ऐसे विश्वास के रूप में देखा जिसने शांति को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया, और महसूस किया कि कुरान में अहिंसा का प्रमुख स्थान है।

गांधी ने ईसाई धर्म की प्रशंसा की। वह ब्रिटिश भारत में ईसाई मिशनरी प्रयासों के आलोचक थे, क्योंकि वे चिकित्सा या शिक्षा सहायता को इस मांग के साथ मिलते थे कि लाभार्थी ईसाई धर्म में परिवर्तित हो जाए। सीधे शब्दों में समझें तो गांधीजी हर धर्म का सम्मान और विश्वास करते थे।

गांधी जी ने महिलाओं की मुक्ति का पुरजोर समर्थन किया, और “महिलाओं को अपने स्वयं के विकास के लिए लड़ने के लिए” आग्रह किया। उन्होंने पर्दा, बाल विवाह, दहेज और सती प्रथा का विरोध किया।

अस्पृश्यता और जातियां

गांधी जी ने अपने जीवन के शुरुआती दिनों में अस्पृश्यता के खिलाफ बात की थी। 

नई शिक्षा प्रणाली, बुनियादी शिक्षा

गांधी जी ने शिक्षा प्रणाली के औपनिवेशिक पश्चिमी प्रारूप को खारिज कर दिया। 

सम्बंधित आर्टिकल्स 

सादा जीवन, उच्च विचार।

महात्मा गांधी जी को भारत में राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया जाता है। स्वतंत्र भारत के संविधान द्वारा महात्मा को राष्ट्रपिता की उपाधि प्रदान किए जाने से बहुत पहले, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे।

गांधी की मां पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थीं। उनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। वह नियमित रूप से उपवास रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं।

गाँधी का मत था स्वराज का अर्थ है जनप्रतिनिधियों द्वारा संचालित ऐसी व्यवस्था जो जन-आवश्यकताओं तथा जन-आकांक्षाओं के अनुरूप हो।

इसका सूत्रपात सर्वप्रथम महात्मा गांधी ने 1894 ई. में दक्षिण अफ़्रीका में किया था।

महात्मा गांधी, मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से, (जन्म 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, भारत- मृत्यु 30 जनवरी, 1948, दिल्ली), भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, और लेखक जो अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बने।

महात्मा गांधी

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi)

महात्मा गांधी

उद्देश्यपूर्ण विचारधारा से ओतप्रोत महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व आदर्शवाद की दृष्टि से श्रेष्ठ था। इस युग के युग पुरुष की उपाधि से सम्मानित महात्मा गाँधी को समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है पर महात्मा गाँधी के अनुसार समाजिक उत्थान हेतु समाज में शिक्षा का योगदान आवश्यक है। 2 अक्टुबर 1869 को महात्मा गाँधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ। यह जन्म से सामान्य थे पर अपने कर्मों से महान बने। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा इन्हें एक पत्र में “महात्मा” गाँधी कह कर संबोधित किया गया। तब से संसार इन्हें मिस्टर गाँधी के स्थान पर महात्मा गाँधी कहने लगा।

महात्मा गांधी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Mahatma Gandhi in Hindi, Mahatma Gandhi par Nibandh Hindi mein)

महात्मा गांधी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

“अहिंसा परमो धर्मः” के सिद्धांत को नींव बना कर, विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से महात्मा गाँधी ने देश को गुलामी के जंजीर से आजाद कराया। वह अच्छे राजनीतिज्ञ के साथ ही साथ बहुत अच्छे वक्ता भी थे। उनके द्वारा बोले गए वचनों को आज भी लोगों द्वारा दोहराया जाता है।

महात्मा गाँधी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा दीक्षा

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को, पश्चिम भारत (वर्तमान गुजरात) के एक तटीय शहर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। आस्था में लीन माता और जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। 13 वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से करवा दिया गया था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से हुई, हाईस्कूल की परीक्षा इन्होंने राजकोट से दिया, और मैट्रीक के लिए इन्हें अहमदाबाद भेज दिया गया। बाद में वकालत इन्होंने लंदन से किया।

महात्मा गाँधी का शिक्षा और स्वतंत्रता में योगदान

महात्मा गाँधी का यह मानना था की भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं अपितु समाज के अधीन है। इसलिए महात्मा गाँधी भारतीय शिक्षा को ‘द ब्यूटिफुल ट्री’ कहा करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा। भारत का हर नागरिक शिक्षित हो यही उनकी इच्छा थी। गाँधी जी का मूल मंत्र ‘शोषण विहिन समाज की स्थापना’ करना था। उनका कहना था की 7 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए। शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो। साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता। शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है।

बचपन में गाँधी जी को मंदबुद्धि समझा जाता था। पर आगे चल कर इन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। हम महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में सम्बोधित करते है और भारत की स्वतंत्रता में उनके योगदान के लिए सदा उनके आभारी रहेंगे।

इसे यूट्यूब पर देखें : Mahatma Gandhi par Nibandh

Mahatma Gandhi par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)

देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता हैं।

बापू को ‘फ ा दर ऑफ नेशन ’ (राष्ट्रपिता) की उपाधि किसने दिया ?

महात्मा गाँधी को पहली बार फादर ऑफ नेशन कहकर किसने संबोधित किया, इसके संबंध में कोई स्पष्ठ जानकारी प्राप्त नहीं है पर 1999 में गुजरात की हाईकोर्ट में दाखिल एक मुकदमे के वजह से जस्टिस बेविस पारदीवाला ने सभी टेस्टबुक में, रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार गाँधी जी को फादर ऑफ नेशन कहा, यह जानकारी देने का आदेश जारी किया।

महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन

निम्नलिखित बापू द्वारा देश की आजादी के लिए लड़े गए प्रमुख आंदोलन-

  • असहयोग आंदोलन

जलियांवाला बाग नरसंहार से गाँधी जी को यह ज्ञात हो गया था की ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है। अतः उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा। और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।

  • नमक सत्याग्रह

12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गाँधी जी द्वारा किये गए आंदोलनों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।

  • दलित आंदोलन

गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना हुई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।

  • भारत छोड़ो आंदोलन

ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के मुम्बई अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।

  • चंपारण सत्याग्रह

ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानो से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई थी। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया। और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।

महात्मा गाँधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिस साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi – निबंध 3 (500 शब्द)

“कमजोर कभी माफ़ी नहीं मांगते, क्षमा करना तो ताकतवर व्यक्ति की विशेषता है” – महात्मा गाँधी

गाँधी जी के वचनों का समाज पर गहरा प्रभाव आज भी देखा जा सकता है। वह मानवीय शरीर में जन्में पुन्य आत्मा थे। जिन्होंने अपने सूज-बूझ से भारत को एकता के डोर में बांधा और समाज में व्याप्त जातिवाद जैसे कुरीति का नाश किया।

गाँधी जी की अफ्रीका यात्रा

दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी को भारतीय पर हो रहे प्रताड़ना को सहना पड़ा। फर्स्ट क्लास की ट्रेन की टिकट होने के बावजूद उन्हें थर्ड क्लास में जाने के लिए कहा गया। और उनके विरोध करने पर उन्हें अपमानित कर चलती ट्रेन से नीचे फेक दिया गया। इतना ही नहीं दक्षिण अफ्रीका में कई होटल में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया।

बापू की अफ्रीका से भारत वापसी

वर्ष 1914 में उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के बुलावे पर गाँधी भारत वापस आए। इस समय तक बापू भारत में राष्ट्रवाद नेता और संयोजक के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे। उन्होंने देश की मौजूदा हालात समझने के लिए सर्वप्रथम भारत भ्रमण किया।

गाँधी, कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बेहतरीन लेखक

गाँधी एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बहुत अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने जीवन के उतार चढ़ाव को कलम की सहायता से बखूबी पन्ने पर उतारा है। महात्मा गाँधी ने, हरिजन, इंडियन ओपिनियन, यंग इंडिया में संपादक के तौर पर काम किया। तथा इनके द्वारा लिखी प्रमुख पुस्तक हिंद स्वराज (1909), दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह (इसमें उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपने संघर्ष का वर्णन किया है), मेरे सपनों का भारत तथा ग्राम स्वराज हैं। यह गाँधीवाद धारा से ओतप्रोत पुस्तक आज भी समाज में नागरिक का मार्ग दर्शन करती हैं।

गाँधीवाद विचार धारा का महत्व

दलाई लामा के शब्दों में, “आज विश्व शांति और विश्व युद्ध, अध्यात्म और भौतिकवाद, लोकतंत्र व अधिनायकवाद के मध्य एक बड़ा युद्ध चल रहा है” इस अदृश्य युद्ध को जड़ से खत्म करने के लिए गाँधीवाद विचारधार को अपनाया जाना आवश्यक है। विश्व प्रसिद्ध समाज सुधारकों में, संयुक्त राज्य अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग, दक्षिण अमेरिका के नेल्सन मंडेला और म्यांमार के आंग सान सू के जैसे ही लोक नेतृत्व के क्षेत्र में गाँधीवाद विचारधारा सफलता पूर्वक लागू किया गया है।

गाँधी जी एक नेतृत्व कर्ता के रूप में

भारत वापस लौटने के बाद गाँधी जी ने ब्रिटिश साम्राज्य से भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई का नेतृत्व किया। उन्होंने कई अहिंसक सविनय अवज्ञा अभियान आयोजित किए, अनेक बार जेल गए। महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर लोगों का एक बड़ा समूह, ब्रिटिश सरकार का काम करने से इनकार करना, अदालतों का बहिष्कार करना जैसा कार्य करने लगा। यह प्रत्येक विरोध ब्रिटिश सरकार के शक्ति के समक्ष छोटा लग सकता है लेकिन जब अधिकांश लोगों द्वारा यह विरोध किया जाता है तो समाज पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है।

प्रिय बापू का निधन

30 जनवरी 1948 की शाम दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में मोहनदास करमचंद गाँधी की नाथूराम गोडसे द्वारा बैरटा पिस्तौल से गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में नाथूराम सहित 7 लोगों को दोषी पाया गया। गाँधी जी की शव यात्रा 8 किलो मीटर तक निकाली गई। यह देश के लिए दुःख का क्षण था।

आश्चर्य की बात है, शांति के “नोबल पुरस्कार” के लिए पांच बार नॉमिनेट होने के बाद भी आज तक गाँधी जी को यह नहीं मिला। सब को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले प्रिय बापू अब हमारे बीच नहीं हैं पर उनके सिद्धान्त सदैव हमारा मार्ग दर्शन करते रहेंगे।

Mahatma Gandhi Essay

FAQs: महात्मा गांधी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर. अल्फ्रेड हाई स्कूल को अब मोहनदास हाई स्कूल के नाम से जाना जाता है।

उत्तर. 30 जनवरी1948 को शाम 5.17 बजे गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

उत्तर. नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने उन्हें बापू के नाम से सम्बोधित किया।

उत्तर. बेरेटा 1934. 38 कैलिबर पिस्तौल का इस्तेमाल नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी को मारने के लिए किया था।

उत्तर. ऐसा माना जाता है कि भारत रत्न और नोबेल पुरस्कार महात्मा गांधी से बड़ा नहीं है।

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Mahatma Gandhi essay in Hindi

Mahatma Gandhi essay in Hindi : महात्मा गांधी भारत के राष्ट्रपिता और एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होने सत्य और अहिंसा के सिद्धांत पर कई आंदोलन चलाए थे। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी ( Mohandas Karamchand Gandhi ) था, जिनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को ब्रिटिश शासन (अंग्रेजों) से आजाद कराया था।

गांधी जी एक महान विचारक और समाज सुधारक भी थे, जिन्होने सामाजिक कुरितियों जैसे जातिवाद, छुआछुत और बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई थी। इसके अलावा उन्होने स्वदेशी आंदोलन का भी नेतृत्व किया था। ऐसे महान व्यक्ति के बारे में आपको जरूर पढ़ना चाहिए।

स्कूलों में अक्सर Mahatma Gandhi Essay in Hindi में लिखने के लिए कहा जाता है। इसलिए मैं आपको महात्मा गाँधी पर निबंध 200, 300, 500 और 1000 word मे लिखकर दूंगा, जिससे निबंध प्रतियोगिता में बहुत अच्छे अंक ला सकते है।

महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi essay in Hindi

महात्मा गांधी, जिन्हें भारत में “ बापू ” या “ राष्ट्रपिता ” के नाम से भी जाना जाता है, वे भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और महान विचारक थे। उन्होंने अहिंसा, सत्य और प्रेम के सिद्धांतों के आधार पर भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने इंग्लैंड में कानून (वकालत) की पढ़ाई की और फिर भारत लौटने के बाद एक वकील के रूप में काम किया। 1893 में, वे दक्षिण अफ्रीका चले गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी।

1915 में भारत लौटने के बाद, गांधी जी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने भारत में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व किया था, जिनमें दांडी यात्रा, सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन शामिल थें।

महात्मा गांधी के सफल आंदलनों की वजह से ब्रिटिश शासन काफी कमजोर हुआ, और अंतत: 1947 में  उन्हे भारत छोड़ना पड़ा। इस तरह भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में गांधी जी का काफी योगदान था। गांधी जी एक महान सत्य और अहिंसा प्रचारक थे, जिन्होने अपनी पूरी जिंदगी में इन सिद्धांतों का पालन किया और दुनिया भर के लोगों को भी प्रेरित किया।

महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में – Gandhi Jayanti per Nibandh Hindi

प्रस्तावना.

महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व वाले व्यक्ति है जिन्हे भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में भारत के पोरबंदर स्थान पर हुआ था। उन्होने अपनी पूरी जिंदगी में केवल अहिंसा और सत्य के सिद्धांतो पर कार्य किया।

गांधी जी भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे, जिनका भारत की आजादी में काफी बड़ा योगदान रहा है। उन्होने काफी सारे सफल आंदोलनों का नेतृत्व किया हैं।

महात्मा गांधी का जीवन

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था, जिनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतली बाई था। गांधी जी ने प्रारंभिक जीवन में हिंदू शिक्षा प्राप्त की, जिसमें उन्होने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषाओं का अध्ययन किया।

1888 में, गांधी जी कानून की पढ़ाई के लिए लंदन गए, जहां पढ़ाई पूरी करने के बाद वे दक्षिण अफ्रीका में एक भारतीय कंपनी में काम करने गए। वहां पर उन्होने भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव पर एक सफल आंदोलन किया।

इसके बाद गांधी जी 1915 में भारत लौटे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व संभाला। और फिर गांधी जी ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए काई आंदोलनों का नेतृत्व किया, जैसे- सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी यात्रा, भारत छोड़ो आंदोलन आदि।

महात्मा गांधी राष्ट्रपिता के रूप में

महात्मा गांधी को भारत के राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया है, क्योंकि उन्होने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में काफी बड़ा योगदान दिया था, और इसके अलावा उन्होने भारत को अहिंसा, सत्य और प्रेम की शिक्षा भी दी है।

उपसंहार

महात्मा गांधी काफी महान व्यक्ति थे, जिन्होने भारत देश को आजादी दिलाने में काफी बड़ा योगदान दिया। इसके अलावा भारत को एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित किया। उन्होने पूरे विश्व में लोगों के बीच समानता और भाईचारे को बढ़ावा देने की शिक्षा। और एक सादा और स्वेदशी जीवन जीने का उदाहरण प्रस्तुत किया।

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में

महात्मा गांधी काफी एक बहुत ही महान पुरुष थे जिन्होने पूरे विश्व को अहिंसा, सत्य और प्यार का पाठ पढ़ाया था। गांधी जी के इन्ही सिद्धांतों की वजह से उन्हे केवल भारत में ही नही बल्कि पूरे संसार में महान पुरुष माना जाता है।

गांधी जी ने काफी सारे शांतिपूर्वक आंदोलन किए थे, जिसकी वजह से अंग्रेजो को भारत को छोड़ना पड़ा था। गांधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे, और इसके साथ – साथ एक अच्छे समाज सुधारक भी थे। उन्होने अपनी पूरी जिंदगी में लोगों के बीच समानता और भाईचारा लाने का काम किया। उन्होने महिलाओं के अधिकारों, दलितों के अधिकारों और श्रमिकों के अधिकारों के लिए भी काम किया।

गांधी जी का परिवार

महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदा करमचंद गांधी है और इनके पिता का नाम करमचंद गांधी है। इसके अलाव इनकी माता का नाम पुतलीबाई है। गांधी जी अपने पिता की चौथी पत्नी की अंतिम संतान थे।

गांधी जी की माता अत्यधिक धार्मिक महिला थी, जिनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। इसके अलावा गांधी जी के पिता, करमचंद गांधी ब्रिटिश आधिपत्य के तहत पश्चिमी भारत की एक छोटी सी रियासत पोरबंदर के दिवान थे।

गांधी जी के परिवार में 4 बेटे और 13 पोते-पोतियां हैं। अगर आज के समय की बात करें तो उनके पोते-पोतियां और उनके 154 वंशज आज 6 देशों रह रहे हैं।

महात्मा गांधी की शिक्षा

गांधी जी ने प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से ही प्राप्त की थी, जहां उन्होंने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषओं का अध्ययन किया। इसके बाद 1888 में गांधी जी कानून की पढ़ाई के लंदन गए। वे लंदन विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई पूरी करके दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होने एक भारतीय कंपनी में काम किया।

दक्षिण अफ्रीका में सक्रियता

जब गांधी जी दक्षिण अफ्रीका गए तब उन्होने देखा कि वहां भारतीय लोगों के साथ भेदभाव हो रहा है। वहां पर नस्लीय भेदभाव भी हो रहा था। उस समय महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्य के सिद्धातों से एक आंदोलन का नेतृत्व किया, जिससे दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को भी अधिकार मिले।

स्वदेश आगमन

दक्षिण अफ्रीका में सफल आंदोलन करने के बाद गांधी जी 1915 में स्वदेश लौट आए। इसके बाद उन्होने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व संभाला और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को एक नयी दिशा दी। उन्होने अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर एक स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसने ब्रिटिश शासन काफी प्रभावित किया।

गांधी जी ने भारत आने के बाद काफी सारे आंदोलन किए, और सभी आंदोलन अंहिसा और शांतिपूर्वक तरीके से किए थे, जिससे उनके अधिकतर सभी आंदोलन सफल हुए थे।

महात्मा गांधी का जीवन काफी शिक्षाप्रद था। उन्होने पूरे विश्व को कई शिक्षाएं दी, जैसे- अहिंसा, सत्य, सादगी, स्वदेश प्रेम, सेवा। गांधी जी की शिक्षाएँ दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणाएं है, जिससे एक बेहतर और अधिक न्यायपूर्ण दुनिया बनायी जा सकती है। इसलिए हम सभी को महात्मा गांधी जी की शिक्षाओं को अपनाना चाहिए।

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में – Mahatma Gandhi essay in 1000 Word

महात्मा गांधी ( Mahatma Gandhi ) एक अच्छे समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी और आध्यात्मिक नेता थे। इसी वजह से गांधी जी को भारत में “ राष्ट्रपिता” और “ बापू” के नाम से जाना जाता है। उन्होने काफी सारे अंदोलन किए थे, और सभी आंदोलन अहिंसा, सत्य और प्रेम के सिद्धांतों पर आधारित थे।

महात्मा गांधी जी का जन्म

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था, जो राजकोट राज्य के दिवान थे। और उनकी माता का नाम पुतली बाई था, जो एक धार्मिक गृहिणी थी। महात्मा गांधी जी अपने परिवार में सबसे छोटे थे।

महात्मा गांधी जी की शिक्षा

महात्मा गांधी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही प्राप्त की थी। उन्होने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषाओं का अध्ययन किया था, और सा एक पारंपरिक हिंदू शिक्षा प्राप्त की। गांधी जी ने पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीती।

गांधी जी की तेरह वर्ष में पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा के साथ विवाह करवा दिया गया था, जब वे स्कूल में पढ़ते थे। युवा अवस्था में गांधी जी ने 1887 में जैसे-तैसे ‘मुबंई यूनिवर्सिटी’ की मैट्रिक की परीक्षा पास की और भावनगर स्थित ‘सामलदास कॉलेज’ में दाखिला लिया।

गांधी जी एक डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन वैष्णव परिवार में चीर-फाड़ की इजाजत नही थी, इसलिए उन्हे बैरिस्टर (कानून) की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड जाना पड़ा।

महात्मा गांधी जी की विदेश यात्रा

सितंबर 1888 में, गांधी जी लंदन (इंग्लैंड) पहुंच गए। वहां पर उन्होने चार लॉ कॉलेज में से एक ‘इनर टेंपल’ कानून महाविद्यालय में प्रवेश लिया। उन्होने 1890 में, लंदन विश्वविद्यालय में मैट्रिक की परीक्षा दी।

गांधी जी ने अपनी लॉ की पढ़ाई को काफी गंभीरता से लिया। उन्होने लंदन में शाकाहारी रेस्तरां के लिए हड़ताल भी की थी। गांधी जी लंदन वेजिटेरियन सोसाइटी में कार्यकारी समिति के सदस्य बने थे।

दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन

महात्मा गांधी थोड़े समय के लिए इंग्लैंड से भारत आए थे, तब वे अब्दुल्ला के चचेरे भाई के लिए वकील बनने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए, जो दक्षिण अफ्रीका के शिपिंग व्यापारी थे। लेकिन वहां उन्होने देखा कि वहां पर भारतीय लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।

गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में एक सत्याग्रह आंदोलन चलाया ताकि वहां रहने वाले भारतीयों को न्यायपूर्ण अधिकार मिले। यह सत्याग्रह आंदोलन अफ्रीका में सात वर्षों से अधिक समय तक चला। इसमें उतार-चढ़ाव आते रहे, लेकिन गांधी जी के नेतृत्व में सभी भारतीय अल्पसंख्यकों के छोटे से समुदाय ने संघर्ष जारी रखा।

अंतत: दक्षिण अफ्रीका में सभी भारतीयों को न्यायपूर्ण अधिकार मिले।

महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन

दक्षिण अफ्रीका में सफल आंदोलन करने के बाद गांधी जी सन् 1914 में भारत लौट आए। उस समय सभी देशवासियों ने गांधी जी को महात्मा कहकर पुकारना शुरू कर दिया। इसके बाद गांधी जी ने चार वर्ष बारतीय स्थिति का अध्ययन किया।

गांधी जी ने भारत में कई आंदोलनों का सफल नेतृत्व किया था।

1. चंपारण सत्याग्रह आंदोलन

चंपारण सत्याग्रह आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1917 में बिहार के चंपारण जिले में शुरू हुआ था। यह आंदोलन ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आम जनता के अहिंसक प्रतिरोध पर आधारित था।

2. खेड़ा आंदोलन

एक बार गुजरात का एक गांव काफी बुरी तरह से बाढ़ की चपेट में आ गया था, तो स्थानीय किसानों ने कर माफी के लिए शासकों से अपील की। लेकिन शासकों ने उनकी अपील को नही स्वीकारा। इसके बाद गांधी जी ने खेड़ा आंदोलन शुरू किया गया, जिसकी वजह से 1918 में सरकार ने अकाल समाप्ति तक राजस्व कर के भुगतान की शर्तों पर ढील दी।

3. रॉलेट ऐक्ट के विरुद्ध आंदोलन

अंग्रेजों ने भारत में उठ रही आजादी की आवाज को दबाने के लिए 1919 में एक रॉलेट ऐक्ट लगाया था, जिसे काले कानून के नाम से भी जाना जाता था। इस ऐक्ट से ब्रिटिश सरकार किसी भी भारतीय व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी।

उस समय महात्मा गांधी के नेतृत्व में रॉलेट ऐक्ट के विरोध हुए आंदोलन में पूरा देश शामिल हुआ था।

4. असहयोग आंदोलन

असहयोग आंदोलन काफी महत्वपूर्ण आंदोलन है, जो महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में 1920 में शुरू किया गया था। इस आंदोलन से सभी भारतीयों में स्वतंत्रता के लिए एक नई जागृति पैदा हुई। इस आंदोलन का उद्देश्य था कि ब्रिटिश स्रकार से राष्ट्र के सहयोग को वापिस लेना।

5. नमक सत्याग्रह आंदोलन

महात्मा गांधी के सभी आंदोलनों में से एक सबसे महत्वपूर्ण आंदोलन यह भी था। यह आंदोलन 12 मार्च 1930 में साबरमती आश्रम जो कि अहमदाबाद में है, से शुरू हुआ, और दांडी गांव तक 24 दिनों तक पैदल मार्च के रूप में चला। यह आंदोलन ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ आंदोलन था।

6. दलित आंदोलन

महात्मा गांधी एक अच्छे समाज सुधारक भी थे, जिन्होने देश में फैल रहे छुआछुत के विरोध में 8 मई 1933 को आंदोलन शुरू किया था। इस आंदोलन ने पूरे देश में काफी हद तक छुआछुत को कम किया था। इसके बाद गांधी जी ने 1932 में छुआछुत विरोधी लीग की स्थापना की थी।

7. भारत छोड़ो आंदोलन

महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ 1942 में एक बहुत बडा आंदोलन छेड़ा, जिसका नाम, भारत छोड़ो आंदोलन था। इस आंदोलन से गांधी जी ने अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबुर किया। इसके साथ ही गांधी जी ने एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन करो या मरो भी शुरू किया, जिससे इस आंदोलन को और मजबूती मिली।

इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार की हुकूम को काफी कमजोर कर दिया था।

महान बलिदान

भारत छोड़ो आंदोलन के बाद बाद ब्रिटिश हुकूमत काफी कमजोर हुई और अंतत: 1947 में पूरा भारत स्वतंत्र हो गया। लेकिन गांधी जब तक जिंदी थे, तब तक देश के उद्धार के लिए काम करते रहे। गांधी जी ने हिंदु और मुस्लिम एकता का अभियान शुरू किया था, लेकिन इससे कुछ लोग खुश नही थे।

30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला भवन में सभा के समय नाथूराम गोड़से ने मौका देखकर गांधी जी को गोली मार दी। हालांकि गांधी जी के मरने के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमेशा जिंदा है।

महात्मा गांधी सच में एक महान पुरुष थे, जिन्होने अच्छी तरह से स्वतंत्र सेनानी और समाज सेवक का रोल निभाया। गांधी जी ने शांति और अहिंसा के आधार पर आंदोलन किया और अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबूर किया।

महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम नही बल्कि पूरे विश्व पटल पर शांति और अहिंसा का प्रतीक है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वर्ष 2007 से गांधी जयंती पर ‘विश्व अहिंसा दिवस’ के रूप मनाने की घोषणा की।

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi | राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में

  • by Rohit Soni
  • Education , Biography , Essay

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Table of Contents

महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में

Mahatma Gandhi Essay in Hindi | महात्मा गांधी पर निबंध

भारत के बापू (राष्ट्रपिता) कहे जाने वाले महात्मा गांधी हमारे देश के एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। गांधीजी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात के पोरबंदर क्षेत्र में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘करमचंद गांधी’ था जो पोरबंदर के ‘दीवान’ थे तथा माता का नाम ‘पुतलीबाई’ था और वे एक धार्मिक महिला थी। गांधी जी का पूरा नाम ‘मोहनदास करमचंद गांधी’ था। इनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था।

हम उन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से भी जानते हैं, गांधी जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में और माध्यमिक शिक्षा राजकोट से पूरी की उन्होंने इंग्लैंड जाकर अपनी वकालत की परीक्षा पास की। उस समय भारत पर अंग्रेजों का शासन था और महात्मा गांधी जी ने देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ और देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन , नागरिक अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे आंदोलन चलाए थे। आखिर में महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में और कई कोशिशों के कारण देश को 15 अगस्त सन् 1947 में आजादी प्राप्त हुई।

देश की आजादी के लिए गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाया। गांधी जी ने जिस प्रकार सत्याग्रह, शांति और अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया उसका कोई दूसरा उदाहरण इतिहास में देखने को नहीं मिलता।

महात्मा गांधी सादा जीवन उच्च विचार के व्यक्ति थे। वे स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग पर बढ़ावा देते थे और खादी वस्त्र पहनते थे। उन्होंने लोगों को मानवता का संदेश दिया दुर्भाग्यवश ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी महात्मा गांधी जी का देहांत 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारने से हुई।

भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने अपना पूरा जीवन देश को समर्पित किया। ऐसे महान पुरुष के आदर्श और विचारों को आज भी हम अपनाकर समाज में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं।

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महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में

प्रस्तावना – गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर जिले में हुआ था। भारत को स्वतंत्रता दिलवाने में उन्होंने अहम भूमिका निभायी थी। और 2 अक्टूबर को हम उनकी याद में गाँधी जयंती मनाते है। वह सत्य और अहिंसा के पुजारी थे। गांधीजी का पूरा नाम ‘मोहनदास करमचंद गाँधी’ था। उनके पिताजी का नाम करमचंद उत्तमचंद गाँधी था और वह राजकोट के दीवान रह चुके थे। गाँधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था और वह धर्मिक विचारों वाली थी। उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था वह उनसे 6 माह बड़ी थी। कस्तूरबा और गांधी जी के पिता मित्र थे इसलिए उन्होंने अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दी। कस्तूरबा गाँधी ने हर आंदोलन में गांधी जी का बराबर सहयोग दिया था।

गांधी जी की शिक्षा – उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में की थी फिर माध्यमिक शिक्षा के लिए राजकोट चले गए थे। गाँधी जी ने बंबई युनिवर्सिटी की मैट्रिक की परीक्षा को पास किया और भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया। और इसके बाद वह अपनी वकालत की आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए इंग्लैंड चले गए। गाँधी जी ने 1891 में अपनी वकालत की शिक्षा पूरी की।

विवाह – जब गाँधी जी अपने स्कूल की पढाई पूरी कर रहे थे, तभी 13 साल की उम्र में उनका विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की बेटी से हो गया था जिसका नाम कस्तूरबा देवी था। जो की गांधी जी से उम्र मे बड़ी थीं।

राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश – जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे तब भारत में स्वतंत्रता आंदोलन चल रहा था। सन् 1915 में गाँधी जी फिर से भारत लौटे थे। इन दिनों कांग्रेस पार्टी के गणमान्य सदस्य श्री गोपाल कृष्ण गोखले जी थे। गोपाल कृष्ण गोखले जी ने गाँधी जी से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की अपील की जिसकी वजह से गाँधी जी ने कांग्रेस में अध्यक्षता हासिल की और पूरे भारत का भ्रमण किया। जब गाँधी जी ने देश की बागडोर को अपने हाथों में ले लिया तो पूरे देश में एक नए इतिहास का सूत्रपात हुआ।

जब सन् 1928 में साइमन कमिशन भारत आया तो गाँधी जी ने उसका डटकर सामना किया। गाँधी जी की एकता से लोगों को बहुत प्रोत्साहन मिला। जब गाँधी जी ने नमक आंदोलन और दांडी यात्रा की तो अंग्रेज पूरी तरह हिल गए। महात्मा गाँधी जी कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे जिसकी वजह से वे स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने लगे। गाँधी जी ने तिलक जी के साथ इस आंदोलन को आगे बढ़ाया था।

उपसंहार – गांधी जी ने बहुत से देशों की यात्रा भी की थी जिसके बाद उन्होंने भारत लौटकर ब्रिटिश शासन के द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को रोकने के लिए और उनका सामना करने के लिए भारत के लोगों की मदद करना शुरू कर दिया। महात्मा गाँधी जी ने ब्रिटिश शासन को हराने के लिए सत्याग्रह आंदोलन का शुभारंभ किया था। हमारा भारत 15 अगस्त 1947 में आजाद हुआ परन्तु दुःख की बात यह है कि नाथुराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर महात्मा गाँधी की हत्या कर दी जब वह संध्या प्रार्थना के लिए जा रहे थे।

Mahatma Gandhi par 10 lines in Hindi

1) गाँधीजी का पूरा नाम ‘मोहनदास करमचंद गांधी’ है। 2) गांधीजी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर जिले में हुआ था। 3) 2 अक्टूबर को विश्व अहिंसा दिवस और गांधी जयंती के नाम से जाना जाता है। 4) गांधी जी के पिताजी करमचंद गांधी एक दीवान थे। 5) माता जी का नाम पुतलीबाई था जिनका धर्म के प्रति काफी झुकाव था। 6) गांंधीजी का विवाह महज 13 वर्ष की उम्र में ही ‘कस्तूरबा गांधी’ से हुआ था। 7) गांधी जी ने अपनी कानून की पढ़ाई लंदन से पूरा किया था। 8) गांधी जी ने जीवन के 3 सिद्धांत बताये है- सत्य, अहिंसा, और ब्रम्हचर्य। 9) गांधी जी ने भारत को आजादी दिलाने के लिए सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाया था। 10) महात्मा गांधी जी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को हुई थी।

महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन

1) भारत देश की आज़ादी में गांधीजी का महत्वपूर्ण योगदान है। 2) गांधी जी सदैव ही छुआछूत व समाज की अन्य कुरीतियों के विरोध में थे। 3) गांधी जी गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। 4) देश की आज़ादी के लिए बापू ने कई सारे आन्दोलन किए। 5) सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, नागरिक अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे आंदोलन चलाए थे। 6) गांधीजी द्वारा बनाया गया पहला ‘सत्याग्रह आश्रम’ वर्तमान में राष्ट्रीय स्मारक है। 7) गांधीजी ने लोगों की सेवा के लिए अपना पहला आश्रम साबरमती नदी के तट पर बनाया। 8) भारत की आज़ादी की ओर गांधीजी का सबसे पहला चम्पारण आंदोलन था। 9) बापू ने स्वदेशी आंदोलन चलाया जिसमें लोगो से विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर स्वदेशी अपनाने की मांग की। 10) उनके द्वारा आंदोलन हमेशा ही सत्य और अहिंसा की नींव पर किये जाते थे।

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महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में

महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे जिन्होंने अपने अद्भुत और अदृश्य नेतृत्व से दुनिया को चमकाया। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, जिन्हें लोग प्यार से “बापू” कहकर सम्मानित करते थे।

गांधी जी ने अपने जीवन में ‘सत्याग्रह’ और ‘अहिंसा’ के सिद्धांतों का पालन किया और इन्हें अपने आंदोलनों की ओज में बदल दिया। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अनशन, नमक सत्याग्रह, खिलाफत आंदोलन जैसे अनेक आंदोलनों का आयोजन किया।

महात्मा गांधी ने ‘स्वदेशी आंदोलन’ के माध्यम से ब्रिटिश वस्त्रों के खिलाफ भारतीय वस्त्रों का प्रमोशन किया और लोगों को स्वदेशी बनावट की ओर प्रवृत्त किया। उनकी ‘चम्पारण सत्याग्रह’ ने बिहार के किसानों की आवश्यकताओं के लिए संघर्ष किया और उन्हें न्याय दिलाने में सफल रहा।

गांधी जी का एक और महत्वपूर्ण योगदान था उनका आध्यात्मिकता का सिद्धांत। उनका उद्देश्य था समर्थ, न्यायसंगत, और नैतिक समाज की रचना करना जिसमें अधिकांश लोग सुख-शान्ति में जी सकें।

महात्मा गांधी का निधन 30 जनवरी 1948 को हुआ, लेकिन उनके आदर्श और विचारशीलता आज भी हमें प्रेरित करते हैं। उन्होंने सत्य, अहिंसा, और एकता के माध्यम से विश्व को सजीव उदाहरण दिखाया और उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में सम्मानित किया गया।

FAQ Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी का जन्म कब और कहाँ हुआ.

2 October 1869 को महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।

महात्मा गांधी का नारा क्या है?

8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ते समय महात्मा गांधी द्वारा भारतीयों से दृढ़ निश्चय के लिए आह्वान करते हुए ‘करो या मरो’ का नारा दिया।

महात्मा गांधी ने कौन कौन सी पुस्तक लिखी है?

हिन्द स्वराज मेरे सपनों का भारत दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह ग्राम स्वराज सच्चाई भगवान है प्रकृति इलाज पंचायत राज भगवान के लिए मार्ग हिंदू धर्म का सार कानून और वकील गीता का संदेश सांप्रदायिक सद्भावना का रास्ता

महात्मा गांधी ने कितने आंदोलन किए थे?

1. चंपारण आंदोलन (1917) 2. खेड़ा आंदोलन (1918) 3. खिलाफत आंदोलन (1919) 4. असहयोग आंदोलन (1920) 5. सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) 6. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)

महात्मा गांधी की मृत्यु कब और कहां हुई?

Mahatma Gandhi की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली में स्थित बिरला हाउस में हुई जो अब गांधी स्मृति के नाम से जाना जाता है। उनकी हत्या नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) ने गोली मार कर की थी।

महात्मा गांधी को सर्वप्रथम बापू किसने कहा था?

महात्मा गांधी को सर्वप्रथम बापू चंपारण के किसाना राजकुमार शुक्ला ने कहा था। अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ बापूजी के आंदोलन की शुरुआत चंपारण से ही हुई थी। बापू को चंपारण बुलाने में सबसे बड़ा योगदान चंपारण के किसान राजकुमार शुक्ला का माना जाता है। राजकुमार शुक्ला ही थे जिन्होंने सबसे पहले महात्मा गांधी को बापू कहकर पुकारा था।

चंद्रयान 3 पर निबंध 100, 300, 500 शब्दों में | Chandrayaan 3 Essay in Hindi

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essay on mahatma gandhi in hindi in 500 words

महात्मा गांधी पर निबंध | Mahatma Gandhi Essay in Hindi

महात्मा गांधी पर निबंध, 200, 250, 300, 500, 1000 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi, 200, 250, 300, 500, 1000 words, Mahatma Gandhi Par Nibandh Hindi Mein)

Mahatma Gandhi Essay in Hindi – मोहनदास करमचन्द गांधी एक ऐसे महान पुरुष थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा और मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था. गांधी जी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे और उनकी ख्याति न केवल अपने देश में बल्कि पुरे संसार में भी फैली हुई थी. गांधी का कहना था कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने से ही भारत को स्वतंत्र किया जा सकता है, और इसी अटूट विश्वास के फलस्वरूप उन्हें जनता का भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ. गांधी जी ने भारत की आजादी के लिए यही रास्ता चुना और वे किसी भी तरह की अहिंसक कार्रवाई के घोर विरोधी थे.

गांधी जी ने आखिरकार सत्य और अहिंसा को अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल करके कई वर्षों तक ब्रिटिश हुकूमत के अधीन रहे भारत देश को आजाद कराया. भारत में अंग्रेजों द्वारा भारतीय जनता पर अत्याचार किए जा रहे थे और निर्बलों तथा रक्षाहीनों का पूंजीवादी शोषण अपने चरम पर था. गांधीजी को इन सभी कारकों के परिणामस्वरूप राजनीति में प्रवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उन्होंने मानवता को अपने धर्म के रूप में देखा था.

गांधीजी का कहना था, मैं तब तक धार्मिक जीवन व्यापन नहीं कर सकता जब तक कि मैं खुद को पूरी मानवता के साथ आत्मसात नहीं कर लेता और मैं इसे तब तक पूरा नहीं कर सकता जब तक मैं राजनीति में नहीं आता. राजवैद्य जीवराम कालिदास ने साल 1915 में पहली बार गांधी जी के लिए “महात्मा” की उपाधि का प्रयोग किया. था. चूंकि उन्होंने देश की स्वतंत्रता में सबसे बड़ा योगदान दिया, इसलिए महात्मा गांधी को भारतीय लोग भगवान के रूप में पूजते हैं, जो उन्हें बापू के रूप में संदर्भित करते हैं. आज के इस आर्टिकल में हम आपको महात्मा गाँधी पर निबंध ( Mahatma Gandhi Essay in Hindi ) बताने जा रहे है.

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

Table of Contents

महात्मा गांधी पर निबंध (Short and Long Essay on Mahatma Gandhi in Hindi)

महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (mahatma gandhi essay in hindi 200 words).

महात्मा गांधी का जन्म पश्चिम भारत (अब का गुजरात) में 2 अक्टूबर वर्ष 1869 को हुआ. इनकी माँ का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गाँधी था. गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद्र गाँधी था था. इनके पिता काठियावाड़ की रियासत के दीवान हुआ करते थे. माता की आस्था और स्थानीय जैन रीति-रिवाजों के फलस्वरूप गांधीजी के जीवन पर इस धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा. 13 साल की उम्र में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा से हुआ था.

गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से पूरी हुई, इसके बाद वे राजकोट और अहमदाबाद गए जहां से उन्होंने आगे की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह लंदन चले गए जहां से उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की.

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महात्मा गांधी का सोचना था कि  भारतीय शिक्षा को संचालित करने के लिए सरकार नहीं, बल्कि समाज को जागरूक होना चाहिए. इस वजह से महात्मा गांधी ने एक बार भारत की शिक्षा को “द ब्यूटीफुल ट्री” से संबोधित किया था. उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया. इनका कहना और सपना था कि देश का प्रत्येक नागरिक शिक्षित हो. और “शोषण विहिन समाज की स्थापना” करना गांधीजी का मूल मंत्र था.

महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay In Hindi 250 Words)

हमारे देश भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ. गांधीजी की माता पुतलीबाई और पिता करमचंद गांधी थे. मोहनदास करमचंद्र गांधी को  ज्यादातर लोग बापू या राष्ट्रपिता के रूप में संदर्भित करते हैं. इस बात का कोई निश्चित रिकॉर्ड नहीं है कि शुरू में महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में किसने संदर्भित किया था, लेकिन साल 1999 में गुजरात के उच्च न्यायालय के समक्ष जस्टिस बेविस पारदीवाला द्वारा लाए गए एक मामले के परिणामस्वरूप, रवींद्रनाथ टैगोर ने सबसे पहले सभी टेस्टबुक में गांधीजी को फादर ऑफ नेशन कहा, और इसके बाद यह आदेश जारी किया.

गांधी जी जब विदेश से वकालत की पढाई करके लौटे तब भारत में अंग्रेजी हुकूमत का राज था. इस अंग्रेजी हुकूमत की नीवं की उखाड़ फैकने के लिए महात्मा गांधी जी ने कई क्रांतिकारी लड़ाई लड़ी. देश को आजादी दिलाने के लिए स्वराज और नमक सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, दाढ़ी मार्च, स्वतंत्रता और भारत का विभाजन और भारत छोड़ो आंदोलन निकाले गए.

अंत में महात्मा गांधी के नेतृत्व और कई प्रयासों के कारण भारत को आजादी मिली. गांधी जी ने भारत की आजादी के लिए सत्य और अहिंसा का रास्ता चुना. महात्मा गांधी से पहले भी लोग सत्य और अहिंसा के बारे में जानते थे, परन्तु गांधी जी ने जिस प्रकार शान्ति और अहिंसा के मार्ग पर चलकर सत्याग्रह किया, उससे अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा. गांधी जी का जीवन सादगी पूर्ण था. वे स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल पर जोर देते थे और हमेशा सफेद वस्त्र धारण करते थे.

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay In Hindi 500 Words)

भारत की आजादी में महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने लौह मन वाले देश की जनता को 200 साल से भी ज्यादा समय से चली आ रही ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाई.

महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन

नीचे हम आपको महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन के बारे में बताने जा रहे हैं-

चंपारण सत्याग्रह आंदोलन – साल 1917 में महात्मा गांधीजी के निर्देशन में बिहार के चंपारण क्षेत्र में सत्याग्रह आंदोलन हुआ. इसे चंपारण का सत्याग्रह भी कहा जाता है. यह गांधी के नेतृत्व में भारत में प्रारंभिक सत्याग्रह आंदोलन था. गांधी ने किसान आंदोलन के दौरान भारत में पहला सफल सत्याग्रह प्रयोग किया. यह आंदोलन नील उत्पादकों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ था, जो एक जबरदस्त और सफल आंदोलन बन गया.

खेड़ा आंदोलन – यह आंदोलन भी किसान से जुड़ा आंदोलन था। जब गुजरात के एक गाँव खेड़ा में बाढ़ आई, तो स्थानीय किसानों ने अधिकारियों से करों (टैक्स) को माफ़ करने के लिए गुहार लगाई. इसे लेकर गांधी जी ने हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की. और किसानों ने कर न देने का संकल्प लिया. साथ ही किसानों ने सामाजिक बहिष्कार का आयोजन किया. परिणामस्वरूप वर्ष 1918 में सरकार ने अकाल के अंत तक राजस्व कर संग्रह की शर्तों में ढील दी.

रॉलेट एक्ट का   विरोध – अंग्रेजी सरकार ने साल 1919 में बढ़ते आंदोलनों के भीतर स्वतंत्रता की बढ़ती आवाज को दबाने के लिए रॉलेट एक्ट लाया गया. इसे काला कानून भी कहा जाता है. इस एक्ट के अंतर्गत वायसराय कुछ कामों की छुट मिल गई जिसमे किसी भी राजनेता को किसी भी पल गिरफ्तार करने और बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार किया जा सकता है. गांधी के रहते हुए भारत की जनता ने इस एक्ट का पुनर्जोर विरोध किया.

असहयोग आंदोलन – गांधी जी और कांग्रेस के नेतृत्व में साल 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू किया गया. गांधीजी का सोचना था कि ब्रिटिश हुकूमत में निष्पक्ष न्याय प्राप्त करना असंभव था, इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से देश के सहयोग को हटाने के लिए असहयोग आंदोलन की योजना बनाई. इस आंदोलन ने देश की आजादी में एक नया जीवन प्रदान किया.

नमक सत्याग्रह – नमक सत्याग्रह को दांडी सत्याग्रह और दांडी मार्च के रूप में जाना जाता है. साल 1930 में जब अंग्रेजी हुकूमत ने नमक टैक्स लगाया तो महात्मा गांधी ने इस कानून के विरोध में यह आंदोलन शुरू किया. गांधी सहित 78 लोग अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से 390 किलोमीटर पैदल चलकर दांडी के तटीय गांव पहुंचे. यह यात्रा 12 मार्च को शुरू हुई और 6 अप्रैल, 1930 तक चली. कुल 24 दिनों तक चली इस यात्रा में हाथों पर नमक प्राप्त करके नमक-विरोधी नियम का उल्लंघन करने का आह्वान किया गया.

दलित आंदोलन – 8 मई, 1933 को, महात्मा गांधी ने छुआछूत की व्यापक प्रथा के विरोध में दलित आंदोलन शुरू किया. इस आंदोलन ने देश को इस हद तक प्रभावित किया कि छुआछूत काफी हद तक समाप्त हो गया. गांधी जी ने इससे पहले साल 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की भी स्थापना की थी.

भारत छोड़ो आंदोलन – साल 1942 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बॉम्बे सत्र के दौरान गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. यह आंदोलन ब्रिटिश प्रभुत्व के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ. इस आंदोलन के कारण अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा.

महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन (10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi)

  • गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है.
  • गांधी जी का जन्म गुजरात के पोरबंदर जिले में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था.
  • इनकी माँ का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गांधी था.
  • इनके पिता एक दीवान थे और माँ जैन धर्म के प्रति सद्भावना थी.
  • सिर्फ 13 साल की उम्र में इनका विवाह कस्तूरबा के साथ हुआ.
  • स्कूल और कॉलेज की पढाई भारत से और कानून की पढाई लंदन से पूरी की.
  • देश की आजादी के दौरान पहला आंदोलन चम्पारण था.
  • गांधी जी देश के राष्ट्रपिता के साथ साथ राजनीतिक और समाज सुधारक भी थे.
  • गांधीजी द्वारा निर्मित प्रथम ‘सत्याग्रह आश्रम’ मौजूदा समय में एक राष्ट्रीय स्मारक है.
  • गांधी जी के जीवन में तीन मूल मन्त्र – सत्य, अहिंसा और ब्रम्हचर्य.

निष्कर्ष – आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया महात्मा गाँधी पर निबंध ( Mahatma Gandhi Essay in Hindi ). उम्मीद करते है आपको यह जानकरी जरूर पसंद आई होगी.

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi: गांधी जी ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ और दक्षिण अफ्रीका में भारत के अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन के नेता थे जिन्होंने भारत देश वासियों के नागरिक अधिकारों की वकालत की थी। तो, आइये देखते हैं उनके जीवन की कुछ झलक, जिनसे हम सीख ले सकें.

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi (250 Words)

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मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता पोरबंदर के दीवान (मुख्यमंत्री) थे; उनकी गहरी धार्मिक माँ वैष्णववाद के लिए समर्पित थी।

अपने अहिंसक दर्शन के लिए दुनिया भर में प्रतिष्ठित, मोहनदास करमचंद गांधी को उनके कई अनुयायी महात्मा के रूप में जानते थे। उन्होंने 1900 के दशक की शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका में एक भारतीय अप्रवासी के रूप में अपनी सक्रियता शुरू की, और विश्व युद्ध 1 के बाद के वर्षों में, वे ब्रिटेन से स्वतंत्रता हासिल करने के लिए भारत के संघर्ष में अग्रणी व्यक्ति बन गए।

अपनी तपस्वी जीवनशैली के लिए जाने जाने वाले-वे अक्सर केवल एक लंगोटी और शॉल पहनते थे और हिंदू धर्म के प्रति आस्था रखते थे. गांधी जी को कई बार कैद किया गया, और उन्होंने भारत के सबसे गरीब वर्गों के उत्पीड़न का विरोध करने के लिए कई भूख हड़तालें भी की।

महात्मा गांधी को दक्षिण अफ्रीका में एक भारतीय आप्रवासी के रूप में काफ़ी भेदभाव सहा। जब डरबन में एक यूरोपीय मजिस्ट्रेट ने उनसे अपनी पगड़ी उतारने के लिए कहा, तो उन्होंने इनकार कर दिया और अदालत कक्ष से बाहर चले गए।

अप्रैल-मई 1930 के प्रसिद्ध नमक मार्च में, हजारों भारतीयों ने महात्मा गांधी का अहमदाबाद से अरब सागर तक साथ दिया। इस मार्च में महात्मा गांधी सहित लगभग 60,000 लोगों की गिरफ्तारी हुई।

1947 में विभाजन के बाद, उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच शांति की दिशा में काम करना जारी रखा। गांधी को जनवरी 1948 में एक हिंदू कट्टरपंथी द्वारा दिल्ली में गोली मार दी गयी।

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था, जिसको गांधी जयंती के रूप में जाना जाता है। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। 13 साल की उम्र में, महात्मा गांधी की शादी कस्तूरबा से हुई जो एक अरेंज मैरिज थी। कस्तूरबा ने 1944 में अपनी मृत्यु तक अपने पति के सभी प्रयासों का समर्थन किया।

उनके पिता पोरबंदर के दीवान थे। महात्मा गांधी अपने पिता की चौथी पत्नी पुतलीबाई के पुत्र थे, जो एक संपन्न वैष्णव परिवार से थीं।

महात्मा गांधी का जीवन और संघर्ष के तरीके अब लोगों को काफी प्रभावित करते हैं। एक आदमी की महानता का एहसास तब होता है जब उसका जीवन लोगों को बेहतर बदलाव के लिए प्रभावित करता है, और इसी तरह महात्मा गांधी का जीवन था। उनकी मृत्यु के दशकों के बाद, उनके बारे में पढ़ने पर, लोगों ने बेहतर तरीके से अपने जीवन को बदल दिया।

लगभग 20 वर्षों के लिए दक्षिण अफ्रीका में, महात्मा गांधी ने विरोध प्रदर्शन की अहिंसक पद्धति का उपयोग करते हुए अन्याय और नस्लीय भेदभाव का विरोध किया। सादगीपूर्ण जीवन शैली के कारण उनके बहुत प्रशंसक थे । उन्हें लोग प्यार से बापू के नाम से संबोधित करते थे।

गांधी की पहली बड़ी उपलब्धि 1918 में थी जब उन्होंने बिहार और गुजरात के चंपारण और खेड़ा आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, स्वराज और भारत-छोड़ो आंदोलन का भी नेतृत्व किया।

मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने की थी। नाथूराम गोडसे एक हिंदू राष्ट्रवादी और हिंदू महासभा का सदस्य था। उन्होंने गांधी पर पाकिस्तान का पक्ष लेने का आरोप लगाया और अहिंसा के सिद्धांत का विरोध किया।

मोहनदास गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, भारत में हुआ था। वह 1900 के दशक के सबसे सम्मानित आध्यात्मिक और राजनीतिक नेताओं में से एक बन गए थे । गांधी ने अहिंसक प्रतिरोध से भारतीय लोगों को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने में मदद की। उनको भारतीयों द्वारा राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया गया।

लोग गांधी को ‘ महात्मा ‘ कहते हैं, जिसका अर्थ है महान आत्मा। 13 साल की उम्र में, उन्होंने कस्तूरबा से शादी की थी, जो 13 साल की ही थी। गांधी के चार बच्चे थे। उन्होंने लंदन में कानून (Law) का अध्ययन किया और अभ्यास करने के लिए 1891 में भारत लौट आए।

उन्होंने साहस, अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों के आधार पर कार्रवाई की एक विधि विकसित की जिसको सत्याग्रह नाम दिया गया। उनका मानना ​​था कि लोगों के व्यवहार का तरीका उनके द्वारा हासिल की गई चीज़ों से अधिक महत्वपूर्ण है।

सत्याग्रह ने राजनीतिक और सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अहिंसा और सविनय अवज्ञा को सबसे उपयुक्त तरीकों के रूप में बढ़ावा दिया। 1915 में गांधी भारत लौट आए। 15 वर्षों के भीतर वे भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बन गए।

सत्याग्रह के सिद्धांतों का उपयोग करते हुए उन्होंने अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के अभियान का नेतृत्व किया। गांधी को दक्षिण अफ्रीका और भारत में उनकी गतिविधियों के लिए अंग्रेजों द्वारा कई बार गिरफ्तार किया गया था। उनका मानना ​​था कि उचित कारण के लिए जेल जाना सम्मानजनक है।

1947 में भारत को स्वतंत्रता दी गई और भारत और पाकिस्तान में विभाजन हुआ। हिंदू और मुसलमानों के बीच दंगे हुए। महात्मा गांधी एक अखंड भारत के लिए एक वकील थे, जहां हिंदू और मुस्लिम शांति का समर्थन करते थे।

13 जनवरी, 1948 को, 78 वर्ष की आयु में, उन्होंने खून खराबे को रोकने के लिए अनशन शुरू किया। 5 दिनों के बाद विरोधी नेताओं ने लड़ाई रोकने का संकल्प लिया और गांधी ने अपना अनशन तोड़ दिया। 12 दिन बाद एक हिंदू कट्टरपंथी, नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।

महात्मा गांधी ने दुनिया को दिए पांच महान योगदान:

  • एक नई भावना और तकनीक – सत्याग्रह.
  • नैतिक ब्रह्मांड एक है, इसलिए व्यक्तियों, समूहों और राष्ट्रों की नैतिकता समान होनी चाहिए।
  • उनका आग्रह है कि साधन और अंत सुसंगत होना चाहिए.
  • यह तथ्य कि उन्होंने खुद को कभी अवतार सिद्ध करने की कोशिश नहीं की।
  • अपने सिद्धांतों के लिए दर्द सहने और मरने की इच्छा। इनमें से सबसे बड़ा उनका सत्याग्रह है।

महात्मा गांधी जी का जीवन, विचार और कार्य उन सभी के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो मानव जाति के लिए बेहतर जीवन चाहते हैं।

मोहनदास गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को, पश्चिमी भारत के समुद्री तट पर, गुजरात के एक छोटे से शहर पोरबंदर में हुआ था।

उसके द्वारा उठाए गए नैतिक मुद्दों का महत्व व्यक्तियों और राष्ट्रों के भविष्य के लिए आज भी है। हम आज भी महात्मा गांधी की शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हैं, जो चाहते थे कि हम सदियों पुरानी कहावत को याद रखें।

“मृत्यु के बावजूद, जीवन बना रहता है, और घृणा के बावजूद, प्यार बना रहता है।”

रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें ‘महात्मा’ के रूप में संबोधित किया। सुभाष चंद्र बोस ने हिंद आज़ाद रेडियो पर अपने संदेश में उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहा था।

दक्षिण अफ्रीका में, मोहनदास ने डरबन से प्रिटोरिया की अपनी यात्रा के दौरान नस्लीय भेदभाव के कड़वे अनुभव का स्वाद चखा, जहाँ एक मुकदमे के सिलसिले में उनकी उपस्थिति आवश्यक थी।

Maritzburg Station पर उन्हें ट्रेन के प्रथम श्रेणी के डिब्बे से बाहर कर दिया गया क्योंकि वे ठंड में ‘कलर्स’ कांप रहे थे। Maritzburg Station के Waiting Room में बैठे बैठे, उन्होंने फैसला किया कि अधिकारों के लिए लड़ने के बजाय भाग जाना कायरता है। इस घटना के साथ सत्याग्रह की अवधारणा विकसित हुई।

  • भारत में उनका पहला सत्याग्रह 1917 में बिहार के चंपारण में हुआ था, जिसमें Indigo Plantations के लिए किसानों का अधिकार था।
  • अहमदाबाद में, मिल श्रमिकों और मिल मालिकों के बीच विवाद था। गांधी जी ने श्रमिकों के समर्थन में अनशन किया।
  • 1919 में, उन्होंने रोलेट बिल के खिलाफ सविनय अवज्ञा का आह्वान किया।
  • 1921 में, गांधीजी ने गरीब जनता के साथ खुद को पहचानने के लिए और खादी, हाथ से घूमने वाले कपड़े का प्रचार करने के लिए धोती पहन ली।
  • उन्होंने स्वदेशी आंदोलन भी शुरू किया, जिसमें देश में निर्मित वस्तुओं के उपयोग को महत्त्व दिया गया। उन्होंने भारतीयों से विदेशी कपड़े का बहिष्कार करने और इस तरह से ग्रामीणों के लिए काम करने के लिए हाथ से बनी खादी को बढ़ावा देने के लिए कहा।
  • 12 मार्च 1930 को, गांधीजी ने साबरमती आश्रम, अहमदाबाद से समुद्र तट पर बसे दांडी गांव तक, ऐतिहासिक नमक मार्च में 78 स्वयंसेवकों के साथ बैठक की। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक अहिंसक आंदोलन था।
  • मार्च 1931 में, कुछ संवैधानिक मुद्दों को हल करने के लिए गांधी-इरविन पैक्ट पर हस्ताक्षर किए गए और इसने सविनय अवज्ञा को समाप्त कर दिया।
  • 1933 में, उन्होंने Young India की जगह Harijan के साप्ताहिक प्रकाशन की शुरुआत की।
  • 1942 में गांधीजी ने एक व्यक्तिगत सत्याग्रह शुरू किया। उस वर्ष लगभग 23 हजार लोग जेल में बंद हुए थे।
  • ऐतिहासिक “भारत छोड़ो” प्रस्ताव 8 अगस्त 1942 को कांग्रेस द्वारा पारित किया गया था। गांधी जी के “ करो या मरो ” (Do or Die) के संदेश ने लाखों भारतीयों को प्रभावित किया।

30 जनवरी 1948 को, गांधी जी, नई दिल्ली के बिरला हाउस में प्रार्थना सभा के दौरान नाथूराम विनायक गोडसे द्वारा दागी गई गोलियों से मारे गए।

गाँधी जी के बारे में अधिक जाने – बायोग्राफी

उम्मीद है महात्मा गांधी जी पर ये निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi, Mahatma Gandhi Essay in Hindi ) आपकी जरूरत पर खरे उतरेंगे. आपके लिए ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी लेकर आते रहेंगे. पढ़ने के लिए धन्यवाद.

यह भी पढ़ें –

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  • Tags: Essay of Gandhi Jayanti in Hindi , Essay on Mahatma Gandhi in Hindi , Mahatma Gandhi Essay in Hindi

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महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi)

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महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi): इस लेख में हम महात्मा गांधी पर बहुत सारे निबंध के देखेंगे। महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में, महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में, महात्मा गांधी पर निबंध, 300, 200, 100 शब्दों में। इसके साथ ही हम महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन, 20 लाइन वाले निबंध हैं, बच्चों के लिए।

जैसा कि आपको भी पता है गांधी जयंती 2 अक्टूबर को हर साल मनाया जाता है और इस अवसर पर लोग गांधी जी के बारे में जानने के लिए ज्यादा इच्छुक होते हैं। इस लेख में भी आपको बहुत ऐसे जनकारियाँ प्रदान की जाएगी जिसकी मदद से आप महात्मा गांधी जी के बारे में बहुत सारी बातें जान पाएंगे।

तो फिर दोस्तों देर किस बात की चलिए शुरू करते हैं आज का हमारा लेख महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) और महात्मा गांधी के बारे में और जानते हैं।

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महात्मा गांधी पर निबंध: रवींद्रनाथ टैगोर पहले व्यक्ति थे जिन्होंने गांधीजी के लिए ‘महात्मा’ शब्द का इस्तेमाल किया था। संस्कृत में ‘महात्मा’ शब्द का अर्थ ‘महान आत्मा’। उनके महान विचारों और विचारधाराओं ने लोगों को उन्हें ‘महात्मा गांधी’ कहने के लिए सम्मानित किया। और जैसे उन्हें उपाधि दी गई, देश के लिए उनके बलिदान और उनके संघर्ष उनका विश्वास एक वास्तविकता है जो दुनिया भर के भारतीयों के लिए बहुत गर्व का विषय है।

उनका पालन-पोषण एक हिंदू परिवार में हुआ और उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन किया। उनके पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी पोरबंदर राज्य के दीवान थे। दक्षिण अफ्रीका में, उन्होंने अहिंसक विरोध आंदोलन शुरू करने वाले पहले व्यक्ति थे, इसने उन्हें अन्य प्रदर्शनकारियों से अलग बना दिया। महात्मा गांधी ने सत्याग्रह की अवधारणा भी बनाई जो अन्याय का विरोध करने का एक अहिंसक तरीका है। उन्होंने अपने जीवन के 20 साल दक्षिण अफ्रीका में भेदभाव के लिए लड़ते हुए बिताए।

उनकी ‘अहिंसा’ की विचारधारा, जिसका अर्थ है किसी को चोट न पहुँचाना, की अत्यधिक सराहना की गई और दुनिया भर में कई महान हस्तियों ने भी इसका अनुसरण किया। वह ऐसे व्यक्ति बने जिसे किसी भी परिस्थिति में पराजित नहीं किया जा सकता था। खादी या जूट जैसे रेशों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए महात्मा गांधी ने ‘खादी आंदोलन’ शुरू किया था।

खादी आंदोलन सबसे बड़े आंदोलन का हिस्सा था, “असहयोग आंदोलन” जिसने भारतीय सामानों के उपयोग को प्रोत्साहित किया और विदेशी वस्तुओं के उपयोग को रोक दिया। महात्मा गांधी कृषि के प्रबल समर्थक थे और लोगों को कृषि कार्य करने के लिए प्रेरित करते थे।

उन्होंने भारतीय लोगों को शारीरिक श्रम के लिए प्रेरित किया और कहा कि उन्हें एक साधारण जीवन जीने और आत्मनिर्भर बनने के लिए सभी संसाधनों की व्यवस्था स्वयं करनी चाहिए।

उन्होंने विदेशी वस्तुओं के उपयोग से बचने और भारतीयों में स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए चरखे के माध्यम से सूती कपड़े बुनना शुरू किया।

महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन (Mahatma Gandhi Essay in Hindi 10 Lines)

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“ महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन”:

1.) महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता थे।

2.) उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

3.) उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।

4.) उनके माता-पिता करमचंद गांधी और पुतलीबाई थे।

5.) तेरह साल की उम्र में उनका विवाह कस्तूरबा गांधी से कर दिया गया था।

6.) गांधीजी ने हमें सत्य और अहिंसा के सिद्धांत सिखाए।

7.) उन्होंने असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन आदि जैसे कई आंदोलनों का नेतृत्व किया।

8.) उनके प्रयासों से 1947 में भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली।

9.) उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहा जाता है।

10.) उनके जन्मदिन को पूरे भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।

महात्मा गांधी पर निबंध 20 लाइन (Mahatma Gandhi Essay in Hindi 20 Lines)

“ महात्मा गांधी पर निबंध 20 लाइन “:

1.) गांधीजी को महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है, उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

2.) गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था।

3.) गांधी के पिता पोरबंदर के दीवान थे।

4.) गांधीजी ने इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई की।

5.) वकालत पास करने के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए मुंबई में वकालत की।

6.) 1896 में गांधी जी दक्षिण अफ्रीका गए।

7.) गांधीजी 1896 से 1915 तक दक्षिण अफ्रीका में रहे और अभ्यास किया।

8.) वहां दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने अश्वेतों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया।

9.) 1915 में भारत लौटने के बाद, गांधीजी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में पूरी तरह से सक्रिय हो गए।

10.) गांधीजी ने कई आंदोलन किए, जैसे दांडी मार्च, असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन प्रमुख हैं।

11.) गांधी की पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था और उनके 4 बेटे थे।

12.) गांधीजी हमेशा मितव्ययिता पर जोर देते थे।

13.) गांधी जी सत्य और अहिंसा का पालन करने वाले व्यक्ति थे और उन्होंने जीवन भर सभी को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया।

14.) गांधीजी स्वदेशी उत्पादों और स्वदेशी के प्रबल समर्थक थे।

15.) गांधी एक बहुत ही स्वतंत्र और स्वाभिमानी व्यक्ति थे।

16.) गांधी की आत्मकथा का शीर्षक ‘माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ’ है।

17.) गांधी जी ने अहमदाबाद में साबरमती नदी के तट पर साबरमती आश्रम की स्थापना की।

18.) गांधीजी द्वारा किए गए अद्भुत कार्यों के कारण, उन्हें भारत में राष्ट्रपिता के रूप में संबोधित किया जाता है।

19.) 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे नाम के व्यक्ति ने गांधीजी की हत्या कर दी थी।

20.) गाँधी जी अहिंसा के पुजारी थे।

महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi 100 Words)

“ महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में”: गुजरात की शांत जगह में जन्मे, महात्मा गांधी एक स्वतंत्रता सेनानी बन गए और भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने के लिए जोरदार लड़ाई लड़ी। वह अहिंसा में विश्वास करते थे और संघर्ष जीतने के मामले में शांति को सबसे महत्वपूर्ण मानते थे।

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उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत एक वकील के रूप में की थी। वह उसी का पीछा करने के लिए भारत आया था और उस कौशल से अच्छा जीवन नहीं बना सका जिसे उसने बरी कर दिया था।

वह यहां कानून का ठीक से अभ्यास करने में विफल रहे और इसके परिणामस्वरूप दक्षिण अफ्रीका में स्थानांतरित हो गए। उन्होंने वहां एक परिवार शुरू किया। युवा गांधी उन मूल्यों का जीवंत प्रतिबिंब हैं जो उनकी मां ने उन्हें सिखाए थे।

महात्मा गांधी पर निबंध 150 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi 150 Words)

“ महात्मा गांधी पर निबंध 150 शब्दों में”: महात्मा गांधी एक महान नेता थे। उनका पूरा नाम मोहनदास और गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता दीवान थे। वह एक औसत छात्र था। वे इंग्लैंड गए और बैरिस्टर बनकर लौटे।

दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी ने भारतीयों का बुरा हाल देखा। वहां उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई और एक आंदोलन का आयोजन किया।

भारत में, उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए असहयोग और सत्याग्रह आंदोलनों की शुरुआत की। वह कई बार जेल गए। वह हिंदू-मुस्लिम एकता चाहते थे। 1947 में उन्होंने हमें आजादी दिलाई।

गांधी जी एक महान समाज सुधारक थे। उन्होंने दलितों और निम्न वर्ग के लोगों के लिए काम किया। वह बेहद सादा जीवन जीते थे। वह शांति चाहता था। वह अहिंसा में विश्वास करता था।

30 जनवरी 1948 को उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हम उन्हें प्यार और सम्मान से ‘बापू’ कहते हैं। वह राष्ट्रपिता हैं।

1.) मंगल पांडेय पर निबंध (Mangal Pandey Essay in Hindi)

2.) रानी लक्ष्मीबाई पर निबंध (Rani Laxmibai Essay in Hindi)

3.) चंद्र सेखर आज़ाद पर निबंध (Chandra Shekhar Azad Essay in Hindi)

4.) सुखदेव थापर पर निबंध (Sukhdev Thapar Essay in Hindi)

महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi 200 Words)

“महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में”: मोहन दास करम चंद गांधी, राष्ट्रपिता जिन्हें महात्मा गांधी या बापू के नाम से जाना जाता है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था। उनके पिता करम चंद गांधी दीवान थे और उनकी मां पुलीबाई एक धार्मिक और धर्मपरायण महिला थीं।

सात साल की उम्र में वे स्कूल गए। मैट्रिक और कॉलेज की पढ़ाई के बाद वे कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए। वहाँ वह बैरिस्टर बन गया और घर लौट आया। उन्होंने बॉम्बे में अपना अभ्यास शुरू किया और फिर वे राजकोट चले गए।

एक मामले में उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा, जहां वे इक्कीस साल तक रहे। वहां उन्होंने भारतीयों की दयनीय स्थिति देखी। उन्होंने भारतीयों के प्रति गोरे लोगों के अन्याय के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी। उनके प्रयासों के कारण 1914 में भारतीय राहत अधिनियम पारित किया गया। इससे भारतीयों की स्थिति में काफी सुधार हुआ।

1915 में वे भारत वापस आए और कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ अपना सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया। उनके नेतृत्व में, कांग्रेस ने ब्रिटिश सरकार के अन्यायपूर्ण कृत्यों का विरोध करने के लिए अहिंसा और असहयोग आंदोलन शुरू किया। उन्होंने ऐतिहासिक दांडी मार्च का नेतृत्व किया और नमक कानून तोड़ा।

1942 में उन्होंने “भारत छोड़ो” आंदोलन शुरू किया और अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया। आखिरकार उनके प्रयासों से ही अगस्त 1947 में भारत को आजादी मिली।

उन्होंने बेहद सादा जीवन व्यतीत किया। यहीं से उन्होंने इस देश को आजादी दिलाई। उन्होंने हरिजनों के उत्थान के लिए काम किया। 30 जनवरी, 1948 की शाम को, नाथू राम गोडसे ने हमेशा की तरह अपनी प्रार्थना सभा के दौरान बिड़ला भवन में उन पर तीन गोलियां चलाईं। इस प्रकार मानवता के सच्चे सेवक ने समय की रेत पर अपने पदचिन्ह छोड़े।

महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi 250 Words)

“ महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में”: महात्मा गांधी का जन्म और पालन-पोषण एक हिंदू परिवार में हुआ था। उनका जन्म गुजरात के तटीय क्षेत्रों और पश्चिमी भारत में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा लंदन में बिताया और वहां अपनी शिक्षा पूरी की। लंदन में भी गांधीजी ने उनकी शिक्षाओं और सिद्धांतों का पालन करने के लिए काफी भीड़ जुटाई थी।

अहिंसा एक ऐसा शब्द था जिसे उन्होंने कानून की पढ़ाई के दौरान लंदन में गढ़ा था। उन्हें बाईस वर्ष की निविदा उम्र में निर्णय लेने के लिए बुलाया गया था। उन्होंने अपना पहला न्यायनिर्णय जून 1891 में किया था। वे अपनी शिक्षा के बाद दो साल के लिए भारत वापस आए।

हालांकि ये दो साल उनके लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहे। वह अपने पैतृक स्थान गुजरात में रहे और यहां वकालत की। वह भारत में कई वर्षों तक खुद को एक उचित लाइसेंस सुरक्षित नहीं कर सका। वह कानून के क्षेत्र में एक सफल अभ्यास शुरू नहीं कर सका।

महात्मा गांधी ने एक भारतीय मर्चेंट नेवी का प्रतिनिधित्व किया था और इसीलिए उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वह वहीं बस गए और नागरिक अधिकार आंदोलनों पर अपना काम शुरू कर दिया। इन वर्षों में, उन्होंने न्याय और नागरिक अधिकारों के क्षेत्र में खुद को सशक्त रूप से शिक्षित किया।

वह स्वदेशी और पूर्ण स्वराज जैसी दुनिया का उपयोग करने वाले पहले भारत थे। उन्होंने जातिवाद, जातीयता के आधार पर भेदभाव का कड़ा विरोध किया। उन्होंने किसानों और किसानों को सहयोग समूहों में संगठित करके अपनी यात्रा शुरू की।

उन्होंने देश के तत्कालीन शासकों द्वारा फसलों पर अत्यधिक कर लगाने का विरोध किया। वह अस्पृश्यता की क्रूर प्रथा को भी समाप्त करना चाहता था।

महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi 300 Words)

“ महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में”: मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें लोग प्यार से ‘बापू’ कहते थे, उन्हें महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है। उनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर प्राप्त की और अपने माता-पिता से अत्यधिक प्रभावित थे।

उन्हें उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेजा गया था। उन्होंने कानून की पढ़ाई की और 1891 में उन्हें बार में बुलाया गया। वह भारत लौट आया और अपना कानूनी अभ्यास स्थापित किया लेकिन एक वकील के रूप में सफल नहीं हो सका।

दो साल बाद वह एक कानूनी मामले के लिए दक्षिण अफ्रीका गए। उन्होंने वहां के भारतीयों को अन्याय और अत्याचार के खिलाफ संघर्ष करने के लिए निर्देशित किया, जिसे वे क्रूर कानूनों के तहत झेल रहे थे। यह एक अहिंसक सफल आंदोलन था।

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21 साल बाद वे भारत लौट आए और भारत की आजादी के संघर्ष में शामिल हो गए। साबरमती उनके अहिंसक, असहयोग आंदोलनों की कई गतिविधियों का केंद्र था। इसके लिए उन्हें कई बार जेल भी भेजा गया था। उन्होंने अन्याय के खिलाफ निडर होकर लड़ाई लड़ी और हर जगह अत्याचारी थे।

वह सत्याग्रह में दृढ़ता से विश्वास करते थे जो अन्याय, क्रूरता और असत्य के खिलाफ सत्य पर आधारित लड़ाई है। उन्होंने अगस्त 1947 में देशवासियों को उनकी स्वतंत्रता के लिए सफलतापूर्वक नेतृत्व किया।

महात्मा गांधी एक महान मानवतावादी थे। वह एक ईश्वर से डरने वाले और आध्यात्मिक दिमाग वाले व्यक्ति थे। राष्ट्रपिता ने न केवल देश की सेवा की बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान और कई सामाजिक और नैतिक बुराइयों को दूर करने के लिए जीवन भर काम किया।

उन्होंने एक शानदार लंबा जीवन जिया और हमारे सामने महान नैतिक मानक स्थापित किए। उन्होंने दुनिया को शांति का सच्चा रास्ता दिखाया। वह भारत को समृद्ध देखना चाहते थे, लेकिन विभाजन के समय हिंदू-मुस्लिम एकता के नेक काम के लिए वे शहीद हो गए, जब 30 जनवरी, 1948 को एक धार्मिक कट्टरपंथी, नाथूराम गोडसे ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी। उनके अंतिम शब्द ‘हे राम’ थे।

महात्मा गांधी पर निबंध 350 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi 350 Words)

“ महात्मा गांधी पर निबंध 350 शब्दों में”: मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें पूरे विश्व में महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है, ब्रिटिश शासन से मुक्ति पाने के लिए भारत के संघर्ष में एक महान व्यक्ति थे। 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में पैदा हुए, उन्होंने अद्भुत उपाय के रूप में अहिंसा और नागरिक अवज्ञा की दरकार को महसूस किया और उन्हें न्याय और मुक्ति प्राप्त करने के लिए प्रभावी उपाय माना।

गांधीजी का बदलावकारी सफर उनके दक्षिण अफ्रीका में व्यतीत हुए वर्षों में शुरू हुआ, जहां उन्होंने जातिगत भेदभाव का सामना किया। यहां पर ही उन्होंने “सत्याग्रह” का शब्द शिक्षा दिया, जिसमें अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रतिरोध को एक माध्यम माना। यह सिद्धांत बाद में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की मूल आधारशिला बन गया।

भारत लौटकर, गांधी ने उत्पीडित वर्ग के अधिकारों की प्रचार के लिए विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिनमें किसानों और मजदूरों के अधिकार शामिल थे। उन्होंने गरीबों पर टैक्स का बोझ कम करने के लिए अभियान चलाया और स्वायत्तता को बढ़ावा देने के लिए खादी जैसे स्थानीय उत्पादन का उपयोग करने की सलाह दी।

उनका सबसे प्रसिद्ध प्रदर्शन, 1930 की नमक सत्याग्रह, में उन्होंने दांडी जाकर 240 मील की पैदल यात्रा की, जिससे ब्रिटिश नमक कानून के खिलाफ विरोध का प्रतीक बनाया। यह अहिंसात्मक अवज्ञानबल के क्रियान्वित होने की क्रिया ने राष्ट्रभर में एक सार्वभौमिक उत्साह को प्रेरित किया और विश्व स्तर पर भारत की स्वतंत्रता की खोज को प्रकाश में लाया।

गांधीजी की अहिंसा या “अहिंसा” की दर्शना उनके पथ का अनुसरण करने के लिए लाखों लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने यह माना कि अहिंसात्मक प्रतिरोध के माध्यम से व्यक्तियों को उनके द्वारा निर्धारित मूल दोषों को प्रकट करने की क्षमता होती है और आखिरकार उनके दिल को जीत सकती है। उनके उपदेशों ने एकता, सत्य और स्वार्थता की महत्वपूर्णता को उजागर किया।

महात्मा गांधी के परिवर्तनकारी प्रयासों ने उन्हें इतिहास पर गहरा प्रभाव डाला है। उनके जीवन का कार्य शांतिपूर्ण प्रतिरोध और नैतिक नेतृत्व की परिवर्तनात्मक शक्ति को प्रदर्शित किया। उन्होंने साबित किया कि परिवर्तन हिंसा का उपयोग किए बिना भी हो सकता है, और उन्होंने एक साहसीता, दया और सत्य की अविचल खोज में अविचल विरासत छोडी।

1.) लाला लाजपत राय पर निबंध (Lala Lajpat Rai Essay in Hindi)

2.) बल गंगाधर तिलक पर निबंध (Bal Gangadhar Tilak Essay in Hindi)

3.) बिपिन चंद्र पल पर निबंध (Bipin Chandra Pal Essay in Hindi)

4.) विनायक दामोदर सावरकर पर निबंध (Veer Savarkar Essay in Hindi)

महात्मा गांधी पर निबंध 400 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi 400 Words)

“ महात्मा गांधी पर निबंध 400 शब्दों में”: भारत के बापू, जिन्हें टैगोर ने जीवन और ईश्वर के प्रति अपनी गहरी अंतर्दृष्टि के लिए महात्मा की उपाधि से सम्मानित किया, महात्मा गांधी भारत के महानतम नेताओं में से एक थे।

अहिंसा या अहिंसा के तरीकों का उपयोग करते हुए, उन्होंने दिखाया कि कैसे बिना रक्तपात के स्वतंत्रता प्राप्त करना संभव है, उन्होंने सत्याग्रह के तरीकों का प्रचार और अभ्यास किया या सत्य के अलावा कुछ भी नहीं अपनाया।

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी एक सरकारी अधिकारी थे, जबकि उनकी मां पुतलीबाई एक धार्मिक महिला थीं। बचपन में गांधीजी अपने माता-पिता से काफी प्रभावित थे।

वह बड़ा होकर सभी जीवों के प्रति पवित्र और पवित्र बन गया। अपने बाद के साथ राजकोट में स्थानांतरित होने के बाद, उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा वहीं प्राप्त की। उनके माध्यमिक स्तर के दौरान, उनके परिवार ने कस्तूरबा के साथ उनका विवाह तय किया।

मोहनदास एक मेहनती छात्र थे और उन्होंने आसानी से अपनी डिग्री प्राप्त की। अपने स्कूली जीवन में भी, उन्होंने कभी भी किसी भी परीक्षा को पास करने के लिए बुरे तरीके नहीं अपनाए। एक बार उसने अपने भाई के कंगन से कुछ सोना चुरा लिया।

लेकिन बाद में चोरी की जानकारी होने पर उसने सीधे अपने पिता के सामने इस बात को कबूल कर लिया। उनके पिता की क्षमा ने उनकी आत्मा को बदल दिया। यह सब उसे एक बेहतर इंसान बनने में सक्षम बनाता है।

गांधीजी जल्द ही बैरिस्टर बन गए और कानून की पढ़ाई के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए। लेकिन एक ब्रिटिश अधिकारी द्वारा ट्रेन में अपने रास्ते में नस्लीय घृणा प्राप्त करने के बाद, उन्होंने वहीं रहने और मानवाधिकारों के लिए लड़ने का फैसला किया।

उन्होंने अफ्रीकियों और भारतीयों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार के बारे में सीखा और खुद को पूरी तरह से इसमें शामिल कर लिया। अफ्रीका को उसकी स्वतंत्रता देते हुए वह भारत लौट आया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ उसकी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। उन्होंने साबरमती आश्रम का निर्माण कराया जो जल्द ही क्रांति का केंद्र बन गया।

उन्होंने उनके खिलाफ लड़ने के लिए अहिंसा या अहिंसा की स्थापना की। उन्होंने असहयोग आंदोलन, दांडी नमक मार्च, सविनय अवज्ञा आंदोलन जैसे कई आंदोलन किए और राष्ट्रीय संघर्ष को तेज करने के लिए उपवास किया। उनके तरीके ने सभी भारतीयों को प्रेरणा दी।

वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गठन में जवाहरलाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, वल्लवभाई पटेल से जुड़े थे। गांधीजी ने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार और स्वदेशी उत्पादों के उपयोग की पहल की।

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्होंने करो या मरो के नारे से सबको एकजुट किया। जल्द ही भारत ने उनके नेतृत्व में स्वतंत्रता प्राप्त की। हालांकि वह विभाजन को स्वीकार नहीं कर सके।

30 अक्टूबर 1948 को उनकी प्रार्थना के दौरान नाथूराम गोडसे ने बंदूक की नोक पर उनकी हत्या कर दी थी। जवाहरलाल नेहरू ने उनकी मृत्यु पर कहा, ‘हमारे जीवन से प्रकाश चला गया है और यह हर जगह अंधेरा है।”

महात्मा गांधी पर निबंध 450 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi 450 Words)

“महात्मा गांधी पर निबंध 450 शब्दों में”: महात्मा गांधी, “राष्ट्रपिता” के रूप में पूजे जाने वाले, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख नेता थे। 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में पैदा हुए, उन्होंने एक दृष्टिगत बनने का सफर किया जिनके असदायक असलीता, अहिंसा, सत्य और नागरिक अवज्ञा ने विश्व पर अविस्मरणीय प्रभाव डाला।

गांधीजी का महात्मा बनने का सफर उनके दक्षिण अफ्रीका में अनुभवों के साथ शुरू हुआ, जहां उन्होंने जातिवादी भेदभाव का सामना किया। वहां उन्होंने पहली बार असहिंसात्मक प्रतिरोध का उपयोग किया, “सत्याग्रह” का, इन्साफ के खिलाफ प्रतिष्ठा के लिए। यह प्रणाली बाद में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का मूलबंद बन गई।

भारत लौटकर गांधीजी ने किसानों, मजदूरों और नील उत्पादकों के अधिकारों की प्रचार की अनगिनत अभियानों का नेतृत्व किया। उन्होंने ब्रिटिश द्वारा लगाए गए करों की बोझ कम करने और खादी की उत्पादन के माध्यम से स्वायत्तता को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा।

गांधीजी के नेतृत्व में महत्वपूर्ण पल थे 1930 में नमक मार्च, एक 240 मील की यात्रा दंडी तक, ब्रिटिश नमक पर मोनोपोली के खिलाफ प्रतिष्ठान के लिए। इस अवज्ञानबल की क्रिया ने राष्ट्रभर में विरोध की एक लहर को उत्तेजित किया और भारत के स्वतंत्रता संग्राम को आंतरराष्ट्रीय ध्यान में लाया।

गांधीजी के असहिंसा या “अहिंसा” के तत्व उनका सबसे शक्तिशाली हथियार था। उन्होंने यह माना कि शासकों की प्रतिरोध करने के लिए विभाजन उन्हें नकारने की शक्ति को जागरूक कर सकता है और उनकी सहानुभूति को जीत सकता है। यह सिद्धांत जनसमूह को एकता का साधन बनाता है और संघटित क्रिया की शक्ति को महत्व देता है।

उनका जीवन उनके सरलता और सत्य के प्रति समर्पण की प्रतिज्ञा था। वह जो कहते थे, वही करते थे, साधारण कपड़े पहनते और असहाय लोगों के कल्याण के लिए अपना जीवन गुजारते थे। गांधीजी के भूख हड़ताल, उपवास और अथक प्रयास ने स्वतंत्रता संग्राम को एकता और शक्ति प्रदान की।

1942 का वर्ष भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए दूसरा परिवर्तनकारी मोमेंट था। गांधीजी की “करो या मरो” की पुकार ने राष्ट्र को प्रेरित किया, और जेल में होने के बावजूद, उन्होंने लोगों के लिए मार्गदर्शक प्रकाश बना रखा।

गांधीजी का प्रभाव भारत की सीमाएँ पार करता था। उनके सिद्धांतों ने वैश्विक नेताओं को और नागरिक अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए आंदोलनों को प्रेरित किया। उनके प्रयासों का परिणामस्वरूप भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त करता है।

दुखद तौर पर, महात्मा गांधी का 30 जनवरी, 1948 को एक पागलकेने द्वारा हत्या कर दिया गया, जिन्होंने उनके अहिंसा के दृष्टिकोण पर असहमति व्यक्त की थी। उनकी शारीरिक मौजूदगी शायद खत्म हो गई थी, लेकिन उनकी विरासत जीवित है। गांधीजी के उपदेश आज भारत ही नहीं, बल्कि पुरे विश्व में न्याय, समानता और शांति के लिए लड़ने के लिए व्यक्तियों को प्रेरित करते हैं।

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi 500 Words)

“महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में”: महात्मा गांधी महान देशभक्त भारतीय थे। वह अविश्वसनीय रूप से महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उसे निश्चित रूप से मेरे जैसे किसी की तारीफ करने की जरूरत नहीं है। इसके अलावा, भारतीय स्वतंत्रता के लिए उनके प्रयास अद्वितीय हैं।

सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि उनके बिना आजादी में काफी देरी होती। नतीजतन, अंग्रेजों ने उनके दबाव के कारण 1947 में भारत छोड़ दिया। महात्मा गांधी पर इस निबंध में, हम उनके योगदान और विरासत को देखेंगे।

सबसे पहले, महात्मा गांधी एक उल्लेखनीय सार्वजनिक व्यक्ति थे। सामाजिक और राजनीतिक सुधार में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी। इन सबसे बढ़कर उन्होंने समाज को इन सामाजिक बुराइयों से मुक्ति दिलाई।

इसलिए, कई उत्पीड़ित लोगों ने उनके प्रयासों से बड़ी राहत महसूस की। इन प्रयासों के कारण गांधी एक प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय व्यक्ति बन गए। इसके अलावा, वह कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स में चर्चा का विषय बने।

महात्मा गांधी ने पर्यावरणीय स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सबसे उल्लेखनीय, उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आवश्यकता के अनुसार उपभोग करना चाहिए। उन्होंने जो मुख्य प्रश्न उठाया वह था “एक व्यक्ति को कितना उपभोग करना चाहिए?”। गांधी ने निश्चित रूप से इस प्रश्न को सामने रखा।

इसके अलावा, गांधी द्वारा स्थिरता का यह मॉडल वर्तमान भारत में बहुत प्रासंगिक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वर्तमान में भारत की जनसंख्या बहुत अधिक है। अक्षय ऊर्जा और लघु-स्तरीय सिंचाई प्रणालियों को बढ़ावा दिया गया है। यह अत्यधिक औद्योगिक विकास के खिलाफ गांधीजी के अभियानों के कारण था।

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महात्मा गांधी का अहिंसा का दर्शन शायद उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान है। अहिंसा के इस दर्शन को अहिंसा के नाम से जाना जाता है। सबसे उल्लेखनीय, गांधीजी का उद्देश्य हिंसा के बिना स्वतंत्रता प्राप्त करना था।

चौरी-चौरा कांड के बाद उन्होंने असहयोग आंदोलन छोड़ने का फैसला किया। चौरी-चौरा कांड में हुई हिंसा के कारण ऐसा हुआ था। नतीजतन, कई लोग इस फैसले से परेशान हो गए। हालाँकि, गांधी अहिंसा के अपने दर्शन में अथक थे।

धर्मनिरपेक्षता गांधी का एक और योगदान है। उनका मानना ​​था कि सत्य पर किसी भी धर्म का एकाधिकार नहीं होना चाहिए। महात्मा गांधी ने निश्चित रूप से विभिन्न धर्मों के बीच मित्रता को प्रोत्साहित किया।

महात्मा गांधी ने दुनिया भर के कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं को प्रभावित किया है। उनका संघर्ष निश्चित रूप से नेताओं के लिए प्रेरणा बन गया। ऐसे नेता हैं मार्टिन लूथर किंग जूनियर, जेम्स बेव और जेम्स लॉसन। इसके अलावा, गांधी ने नेल्सन मंडेला को उनके स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रभावित किया। इसके अलावा, लांजा डेल वास्तो गांधी के साथ रहने के लिए भारत आए।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने महात्मा गांधी का बहुत सम्मान किया है। संयुक्त राष्ट्र ने 2 अक्टूबर को “अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस” ​​के रूप में मनाया है। इसके अलावा, कई देश 30 जनवरी को अहिंसा और शांति के स्कूल दिवस के रूप में मनाते हैं।

महात्मा गांधी को दिए गए पुरस्कारों की चर्चा बहुत अधिक है। शायद कुछ ही राष्ट्र बचे हैं जिन्होंने महात्मा गांधी को सम्मानित नहीं किया है।

अंत में, महात्मा गांधी अब तक के सबसे महान राजनीतिक प्रतीकों में से एक थे। सबसे उल्लेखनीय, भारतीय उन्हें “राष्ट्र के पिता” के रूप में वर्णित करते हैं। उनका नाम निश्चित रूप से सभी पीढ़ियों के लिए अमर रहेगा।

1.) अरुणा असफ अली पर निबंध (Aruna Asaf Ali Essay in Hindi)

2.) लक्समी सहगल पर निबंध (Laxmi Sahgal Essay in Hindi)

3.) सरदार वलभभाई पर निबंध (Sardar Vallabhbhai Essay in Hindi)

4.) जवाहरलाल नेहरू पर निबंध (Jawaharlal Nehru Essay in Hindi)

निष्कर्ष – महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi)

दोस्तों आशा करता हूं आपको यह लेख महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) , पसंद आया होगा और आपको गांधी जी की विचारधारा के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला होगा।

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महात्मा गाँधी पर निबंध – Mahatma Gandhi Essay In Hindi

इस पोस्ट में आपको महात्मा गांधी पर निबंध ( Mahatma Gandhi Essay In Hindi ) 100, 150, 200, 300 और 500 शब्दों में पढ़ने को मिलेगा। जो 1 से 12 तक सभी कक्षाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उम्मीद करता हूँ आपको हमारी ये पोस्ट काफी पसंद आएगी।

 महात्मा गांधी पर 100 शब्दों में निबंध – Mahatma Gandhi Essay In Hindi In 100 Words

गुजरात के शांत स्थान में जन्मे, महात्मा गांधी स्वतंत्रता सेनानी बन गए और भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने के लिए संघर्ष किया। वह अहिंसा में विश्वास करते थे और संघर्ष जीतने के मामले में शांति को सबसे महत्वपूर्ण मानते थे। उन्होंने एक वकील के रूप में अपना जीवन शुरू किया।

वह यहां ठीक से कानून का अभ्यास करने में विफल रहे और इसके परिणामस्वरूप दक्षिण अफ्रीका में स्थानांतरित हो गए। उन्होंने वहां एक परिवार शुरू किया। गांधी उन मूल्यों का एक प्रतिबिंब है जो उनकी मां ने उन्हें सिखाया था। देश की आजादी के लिए महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इसे भी पढ़ें:- महात्मा गांधी पर निबंध 10 पंक्ततियां

Mahatma Gandhi Per Nibandh 150 Words – Mahatma Gandhi Essay 150 Words

भारत की आजादी के लिए महात्मा गांधी ने काफी संघर्ष किया था। गांधीजी का विवाह कस्तूरबा गांधी से हुआ था। उनका विवाह 13 वर्ष की आयु में हुआ। मोहनदास और कस्तूरबा ने 1888 में एक बच्चे को जन्म दिया। महात्मा गांधी ने अपनी शिक्षा जारी रखी और दक्षिण अफ्रीका चले गए। वहां उन्होंने कानून के क्षेत्र में अपनी पढ़ाई जारी रखी।

उन्होंने लंदन में एक वकील के रूप में लोगों पर अच्छी छाप छोड़ी। उन्हें 22 वर्ष की उम्र में निर्णय लेने के लिए बुलाया गया था। उन्होंने अपना पहला निर्णय 22 वर्ष की आयु में 1891 में किया। उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया और लंदन में वापस रहने के लिए कहा गया। हालाँकि, उनका परिवार भारत में था, वह वापस भारत आ गए। महात्मा गांधी से लंदन में अश्वेत रंग के व्यक्ति के रूप में भेदभाव किया भी किया गया था।

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Mahatma Gandhi Per Nibandh 200 Words – Mahatma Gandhi Essay 200 In Hindi

Mahatma Gandhi Essay In Hindi

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गांधी जी को रंग के आधार पर बहुत भेदभाव का सामना करना पड़ा। Mahatma Gandhi ने अपने नस्ल और रंग के कारण किए गए भेदभाव और आलिंगन के बाद दुनिया के प्रति अपने दृष्टिकोण को पूरी तरह से बदल दिया। उन्होंने लड़ने की कसम खाई। उन्होंने इस प्रकार के भेदभाव के खिलाफ लड़ने का फैसला किया। उन्होंने इसके खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिए एक बिंदु बनाया।

वह कानून की प्रैक्टिस करने के लिए भारत वापस आए लेकिन भारत में अपना करियर नहीं बना सके। वहाँ वह अपने जीवन के अगले 20 वर्षों तक रहे। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में एक आश्रम भी शुरू किया। दक्षिण अफ्रीका में उनके आदर्शों ने भी गांधीजी को बड़े पैमाने पर बदल दिया।

उन्होंने अब पूरी तरह से मां के मूल्यों को आत्मसात कर लिया था और दुनिया की समस्याओं के खिलाफ शांत और अहिंसक तरीके से लड़ने का फैसला किया है। महात्मा गांधी वर्ष 1894 में नटाल भारतीय कांग्रेस के संस्थापक थे।

Mahatma Gandhi नस्लीय भेदभाव के खिलाफ लड़ते रहे। वह पहले ही दक्षिण अफ्रीका में कई नागरिक अधिकारों के आंदोलनों में लड़ चुके थे। एक नागरिक अधिकार कार्यकर्ता के रूप में उनकी यात्रा 22 साल की उम्र में शुरू हुई।

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महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्द – Mahatma Gandhi Essay In Hindi 300 Words

महात्मा गांधी का जन्म और पालन-पोषण एक हिंदू परिवार में हुआ था। उनका जन्म गुजरात के तटीय क्षेत्रों और पश्चिमी भारत में हुआ था। उन्होंने लंदन में अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जीया और वहाँ अपनी शिक्षा पूरी की। लंदन में भी, गांधीजी ने उनकी शिक्षाओं और सिद्धांतों का पालन करते हुए काफी भीड़ जुटा ली थी।

अहिंसा एक शब्द था जिसे उन्होंने कानून की पढ़ाई के दौरान लंदन में पढा था। वह अपनी शिक्षा के बाद दो साल के लिए भारत वापस आए। हालांकि, ये दो साल उनके लिए बहुत चुनौतीपूर्ण थे। वे गुजरात के अपने मूल निवास स्थान पर रहे और यहाँ कानून का अभ्यास किया। वह भारत में कई वर्षों तक अपने आप को उचित पद नहीं दे सके। वह कानून के क्षेत्र में एक सफल अभ्यास शुरू नहीं कर सके।

Mahatma Gandhi ने एक भारतीय व्यापारी नौसेना का प्रतिनिधित्व किया था, और इसीलिए उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वह वहां बस गए और नागरिक अधिकारों के आंदोलनों पर अपना काम शुरू किया। इन वर्षों में, उन्होंने न्याय और नागरिक अधिकारों के क्षेत्र में खुद को शिक्षित किया। वह स्वदेशी और पूर्ण स्वराज जैसी दुनिया का उपयोग करने वाले पहले भारतीय थे।

उन्होंने जातीयता के आधार पर जातिवाद भेदभाव का विरोध किया। उन्होंने किसानों और जवानों को सहयोग समूहों में संगठित करके अपनी यात्रा शुरू की। उन्होंने देश के तत्कालीन शासकों द्वारा फसलों पर कराधान का अत्यधिक विरोध किया। वह अस्पृश्यता की क्रूर प्रथा को भी समाप्त करना चाहते थे। इसी प्रकार के प्रयास वे निरंतर करते रहे तथा देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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 महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्द – Mahatma Gandhi Essay In Hindi 500 Words

महात्मा गांधी, जो अहिंसा और सत्य के उपदेशक हैं। भारत की आजादी में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। उनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था। वह एक अच्छे परिवार से ताल्लुक रखते थे।

अपने स्कूल के दिनों के दौरान, वह एक शर्मीला लड़का बना रहा, लेकिन एक अच्छा और नियमित छात्र था। बाद में वे कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए और बैरिस्टर बन गए। फिर वे भारत लौट आए और बॉम्बे हाई कोर्ट में वकालत करने लगे। लेकिन उन्हें कानूनी पेशे में बहुत दिलचस्पी नहीं थी। इसलिए, वह भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में शामिल हो गए।

वह दक्षिण अफ्रीका चले गए। वहां उन्होंने बहुत सारे भारतीयों को बेहतर बनाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया। उन्होंने सभी कष्टों को झेला लेकिन अपने दृढ़ विश्वास से लगे रहे।

वह ब्रिटिश शासन के अधीन पीड़ित और भूख से मर रही भारतीय जनता की दयनीय दुर्दशा को सहन नहीं कर सके। भारत की धरती से अंग्रेजों को उखाड़ने के लिए, महात्मा गांधी ने सब कुछ त्याग दिया।

उनका पूरा जीवन वीरता और बलिदानों की गाथा है। स्वतंत्रता Mahatma Gandhi के जीवन की सांस थी। 1919 में उन्होंने एक अहिंसक और शांतिपूर्ण आंदोलन शुरू किया। हिंदू-मुस्लिम एकता, अस्पृश्यता को दूर करना और स्वदेशी (घरेलू-निर्मित) वस्तुओं का उपयोग उनके जीवन भर का मिशन था।

उन्होंने खादी या जूट जैसे हैंडस्पून फाइबर के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए ‘ खादी आंदोलन ‘ शुरू किया। खादी आंदोलन ’एक बड़े आंदोलन“ नॉनको-ऑपरेशन आंदोलन ”का हिस्सा था जिसने भारतीय वस्तुओं के उपयोग और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार को प्रोत्साहित किया।

महात्मा गांधी शांति और दृढ़ विश्वास के व्यक्ति थे। वो एक महान आत्मा थी। उन्होंने बहुत ही साधारण कपड़े पहने और साधारण शाकाहारी भोजन लिया। वह सिर्फ बोलने में ही नहीं बल्कि कुछ कर दिखाने में भी विश्वास रखते थे। उन्होंने जो उपदेश दिया उसका अभ्यास किया।

विभिन्न समस्याओं के प्रति उनका दृष्टिकोण अहिंसक था। वह एक ईश्वरवादी व्यक्ति था। वह हर आकार या रूप में सांप्रदायिकता से नफरत करते थे। वे सभी के मित्र थे। उन्हें सार्वभौमिक रूप से प्यार पसंद था। इसीलिए भारतीय जनता ने उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी।

भारतीय राजनीति के मंच पर Mahatma Gandhi द्वारा निभाया गया हिस्सा अविस्मरणीय है। भारतीय स्वतंत्रता के लिए संघर्ष के उन तूफानी दिनों में, गांधी को पीड़ा हुई और उन्हें कई बार जेल में डाल दिया गया, लेकिन अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता उनका प्रथम लक्ष्य बना रहा। उन्होंने कई स्वतंत्रता संग्रामों का मार्गदर्शन किया और “ भारत छोड़ो आंदोलन ” शुरू किया।

महात्मा गांधी निबंध पर निष्कर्ष – Conclusion on Mahatma Gandhi essay

30 जनवरी, 1948 को उनकी दुखद मौत ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था। उनकी मृत्यु शांति और लोकतंत्र की शक्तियों के लिए सबसे बड़ा आघात था। उनकी मृत्यु ने राष्ट्र के जीवन में एक महान रिक्तता छोड़ दी। उनके जन्मदिन 2 अक्टूबर को ‘गांधी जयंती’ के रूप में मनाया जाता है, जो कि भारतीय और राष्ट्रीय स्तर पर ‘ अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस ‘ के रूप में मनाया जाता है।

पूरी दुनिया अभी भी बीसवीं सदी के इस दिग्गज को प्यार करती है और सम्मान करती है जिसने समय की रेत पर एक अमिट छाप छोड़ी है।

इसे भी पढ़ें : बाल दिवस ( Bal Diwas Essay ) पर निबंध

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महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi) - गांधी जयंती पर निबंध 10 लाइनें, 100, 200, 500 शब्दों में निबंध लिखना सीखें

Updated On: September 29, 2023 12:06 pm IST

प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिवस को गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं। गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi) लिखने में छात्रों को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। नीचे दिये गये आर्टिकल से आप निबंध लिखना सीख सकते है।

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गांधी जयंती पर निबंध

गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): “अहिंसा के पुजारी” और “राष्ट्रपिता” कहलाने वाले महात्मा गांधी जी को बापू नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। महात्मा गाँधी जी का जन्म शुक्रवार 2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी व इनकी माता का नाम पुतली बाई था। इनकी माता एक धार्मिक महिला थी नियमित तौर पर उपवास रखती थी। गाँधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत में विश्वास रखने वाले परिवार में हुआ था। जैन धर्म का महात्मा गाँधी जी पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा जिस वजह से अहिंसा, सत्य जैसे व्यवहार स्वाभाविक रूप से गाँधी जी में बचपन से ही दिखने लगे थे। वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे, उनके 2 भाई और 1 बहन थी। गाँधी जी के पिता हिन्दू तथा मोढ़ बनिया जाति के थे। लोग गाँधीजी को प्यार से बापू कहते थे। साधारण जीवन उच्च विचार वाले बापू जी ने अंग्रेजी हुकूमत से अंतिम साँस तक अहिंसा की राह में चलते हुए संघर्ष किया। भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन में हर तबके के लोगों को अपने साथ जोड़कर भारत को आज़ादी दिलाने में गाँधी जी ने अहम योगदान दिया है। ये  भी पढ़ें -  दशहरा पर निबंध

महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi 200 words)

गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): गांधी जयंती महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए भारत में हर साल 2 अक्टूबर को मनाया जाने वाला एक अवसर है। इसे आधिकारिक तौर पर भारत की राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक के रूप में घोषित किया गया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया था। स्मारक सेवाएं इसे चिह्नित करती हैं, और पूरे भारत में श्रद्धांजलि दी जाती है, जिसमें उन प्रसिद्ध स्थानों को शामिल किया गया है जहां उनका दौरा किया गया था और उनका अंतिम संस्कार किया गया था। गांधी जी हमारे देश के राष्ट्रपिता और बापू के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। वो एक सच्चे देशभक्त नेता थे और अहिंसा के पथ पर चलते हुए पूरे देश का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में नेतृत्व किया। गांधी जी के अनुसार ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता की लड़ाई जीतने के लिये अहिंसा, सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता ही एकमात्र हथियार था। गांधी जी को कई बार जेल भी जाना पड़ा था हालांकि देश को आजादी मिलने तक उन्होंने अपने अहिंसा आंदोलन को जारी रखा था। उनका विश्वास हमेशा सामाजिक समानता में था और वह अस्पृश्यता के भी खिलाफ थे। देश की राजधानी नई दिल्ली में गांधीजी की समाधि या राजघाट पर बहुत सी तैयारियों के साथ गांधी जयंती मनायी जाती है। राजघाट के समाधि स्थल को फूलों की माला से सजाया जाता है और गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। समाधि पर सुबह के समय धार्मिक प्रार्थना भी रखी जाती है। इसे पूरे देशभर में स्कूल और कॉलेजों में विद्यार्थियों के द्वारा राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है।  

गांधी जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी के जीवन और उनके कार्यों पर आधारित नाट्य ड्रामा, कविता व्याख्यान, गायन, भाषण, निबंध लेखन आदि प्रतियोगिताएं भी होती हैं। महात्मा गांधी की याद में लोग गांधी जी का सबसे प्रिय गीत “रघुपति राघव राजा राम” भी गाते हैं। ये भी पढ़ें-  दिवाली पर निबंध

गांधी जयंती पर निबंध 500+ शब्दों में (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi in 500+ words)

मोहनदास करमचंद गांधी.

गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti) - मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म भारत के पोरबंदर, कंथियावाड़ में पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी और उनकी चौथी पत्नी पुतलीबाई के घर हुआ था। 1882 में उन्होंने कस्तूरबाई माकनजी से शादी की, जिनसे उनके पांच बच्चे हुए। गांधीजी ने 1887 में सामलदास कॉलेज, भाऊनगर में दाखिला लिया, लेकिन एक सत्र के बाद छोड़ दिया। हालाँकि, उन्हें कानून की पढ़ाई के लिए लंदन जाने के लिए प्रोत्साहित किया गया और वह 4 सितंबर 1888 को लंदन के लिए रवाना हो गए। 

गांधी जयंती

भारत में प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इसी दिन वर्ष 1869 को गांधीजी का जन्म हुआ था। हमारे देश की आजादी में राष्ट्रपिता का योगदान सबसे अहम था, इसीलिए हर साल उनके सम्मान में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय उत्सव और अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन सरकारी छुट्टी होती है। इस अवसर पर स्कूलों और सरकारी संस्थानों में तरह-तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों में तो खासतौर से निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। सभी सरकारी जगहों पर गांधीजी को श्रद्धांजलि दी जाती है। गांधी जयंती पर लोग गांधी जी के आदर्शों के महत्त्व को समझते हुए अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं।

देश की आजादी में गांधीजी का योगदान सबसे महत्त्वपूर्ण साबित हुआ। उन्होंने अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर ही ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद करवाया। गांधी जी ने न सिर्फ देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई बल्कि वह भारत के साथ कई अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गए। गांधी जी ने 4 महादेशों और 14 देशों में लोगों को नागरिक अधिकार आंदोलनों के लिए प्रेरित करने का काम भी किया, तो वहीं भारत में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा जैसे आंदोलनों की शुरुआत की। देश की आजादी के लिए गांधी जी हमेशा आगे रहे और हर भारतीय की आवाज़ बने। गांधी जी का सपना न केवल देश की आजादी था बल्कि वह देश को भी एकता के सूत्र में बंधा हुआ देखना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने हर संभव कोशिश की।

गांधीजी के अनुसार मन, वचन और शरीर से किसी को भी दु:ख न पहुँचाना ही अहिंसा है। गांधीजी के विचारों का मूल लक्ष्य सत्य एवं अहिंसा के माध्यम से विरोधियों का हृदय परिवर्तन करना है। अहिंसा का अर्थ ही होता है प्रेम और उदारता की पराकाष्ठा। गांधी जी व्यक्तिगत जीवन से लेकर वैश्विक स्तर पर ‘मनसा वाचा कर्मणा’ अहिंसा के सिद्धांत का पालन करने पर बल देते थे। आज के संघर्षरत विश्व में अहिंसा जैसा आदर्श अति आवश्यक है। गांधी जी बुद्ध के सिद्धांतों का अनुगमन कर इच्छाओं की न्यूनता पर भी बल देते थे।

महात्मा गाँधी जी अहिंसा के पुजारी थे। सत्य की राह में चलते हुए अहिंसात्मक रूप से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए उनके द्वारा किये गए कार्य पद्धतियों को उन्होंने सत्याग्रह नाम दिया था।उनके द्वारा सत्याग्रह का अर्थ अन्याय, शोषण, भेदभाव, अत्याचार के खिलाफ शांत तरीकों से बिना किसी हिंसा के अपने हक़ के लिए लड़ना था। गाँधी जी द्वारा चम्पारण और बारदोली सत्याग्रह किये गए जिसका उद्देश्य अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार और अन्यायपूर्ण रवैये के खिलाफ लड़ना थाकई बार इन सत्याग्रह के दौरान महात्मा गाँधी जी को जेल जाना पड़ा था। अपने सत्याग्रह में गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन का समय-समय पर प्रयोग किया।

स्वदेशी आन्दोलन

स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत बंगाल विभाजन के विरोध में हुई थी और इस आन्दोलन की औपचारिक शुरुआत कलकत्ता के टाउन हॉल में 7 अगस्त ,1905 को एक बैठक में की गयी थी। इसका विचार सर्वप्रथम कृष्ण कुमार मित्र  के पत्र संजीवनी में 1905 ई. में प्रस्तुत किया गया था। इस आन्दोलन में स्वदेशी नेताओं ने भारतियों से अपील की कि वे सरकारी सेवाओं,स्कूलों,न्यायालयों और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करें और स्वदेशी वस्तुओं को प्रोत्साहित करें व राष्ट्रीय कोलेजों व स्कूलों की स्थापना के द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा को प्रोत्साहित करें। अतः ये केवल राजनीतिक आन्दोलन ही नहीं था बल्कि आर्थिक आन्दोलन भी था।

स्वदेशी आन्दोलन को अपार सफलता प्राप्त हुई थी। बंगाल में जमींदारों तक ने इस आन्दोलन में भाग लिया था। महिलाओं व छात्रों ने पिकेटिंग में भाग लिया। छात्रों ने विदेशी कागज से बनी पुस्तकों का बहिष्कार किया। बाल गंगाधर तिलक,लाला लाजपत राय, बिपिन चन्द्र पाल और अरविन्द घोष जैसे अनेक नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया। अनेक भारतीयों ने अपनी नौकरी खो दी और जिन छात्रों ने आन्दोलन में भाग लिया था उन्हें स्कूलों व कालेजों में प्रवेश करने रोक दिया गया। आन्दोलन के दौरान वन्दे मातरम को गाने का मतलब देशद्रोह था। यह प्रथम अवसर था जब देश में निर्मित वस्तुओं के प्रयोग को ध्यान में रखा गया।

खिलाफत आन्दोलन

प्रथम विश्व युद्ध के बाद खिलाफत आंदोलन की शुरुआत हुई। असहयोग भारत (नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट) और खिलाफत आंदोलन प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात भारत में भारतीयों द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ अनेक आंदोलन किये थे, जिसमें 1919 से 1922 तक दो महत्वपूर्ण आंदोलन खिलाफत आंदोलन एवं असहयोग आंदोलन चलाये गये थे।  खिलाफत आंदोलन  का मुख्य उद्देश्य तुर्की के खलीफा पद को पुनः स्थापित करना था। खिलाफत आंदोलन 1919 से 1924 तक चला था। हालाँकि इस आंदोलन का सीधा सम्बन्ध भारत से नहीं था। इस का प्रारम्भ 1919 में अखिल भारतीय कमिटी का गठन करके किया गया था। अखिल भारतीय कमिटी का गठन अली बंधुओं द्वारा किया गया था।

अंत्योदय एक ऐसा मिशन था जो गांधीजी के दिल के करीब था। अंत्योदय शब्द का अर्थ है "  अंतिम व्यक्ति का उत्थान  " या सबसे निराश, सबसे गरीब वर्ग के लोगों के उत्थान की दिशा में काम करना, जो कि बापू के अनुसार, केवल सर्वोदय द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है, अंत्योदय द्वारा सभी का विकास।

सात्विक आहार

महात्मा गांधी सात्विक खाने में विश्वास रखते थे। गुस्सा दिलाने वाले खाने से वह परहेज करते थे इसलिए हरी सब्जियों की मात्रा खाने में रखते थे। उबली हुई सब्जियों को बिना नमक के साथ खाना उनकी आदतों में रहा है। चुकंदर बैंगन भी उबालकर गांधी जी अपनी डाइट में लेते थे। सादा खाना उनकी पसंद हमेशा से रहा था, इसी क्रम में उन्होंने दाल और चावल को अपनी डाइट का हिस्सा बनाया था। दाल और चावल भी सात्विक खाने का प्रतीक होता है। इसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी अच्छी होती है।

महात्मा गाँधी के साथ चरखे का नाम भी विशेषतौर पर जोड़ा जाता है। भारत में चरखे का इतिहास बहुत प्राचीन होते हुए भी इसमें उल्लेखनीय सुधार का काम महात्मा गाँधी के जीवनकाल का ही मानना चाहिए। सबसे पहले सन 1908 में गाँधी जी को चरखे की बात सूझी थी, जब वे इंग्लैंड में थे। उसके बाद वे बराबर इस दिशा में सोचते रहे। वे चाहते थे कि चरखा कहीं न कहीं से लाना चाहिए। गाँधी जी ने चरखे की तलाश की थी। एक गंगा बहन थीं, उनसे उन्होंने चरखा बड़ौदा के किसी गांव से मंगवाया था। इससे पहले गाँधी जी ने चरखा कभी देखा भी नहीं था, सिर्फ उसके बारे में सुना था। बाद में उस चरखे में उन्होंने काफ़ी सुधार भी किए। दरअसल गाँधी जी के चरखे और खादी के पीछे सेवा का भाव था। उनका चरखा एक वैकल्पिक आर्थिक व्यवस्था का प्रतीक भी था। महिलाओं की आर्थिक स्थिति के लिए भी, उनकी आजादी के लिए भी। आर्थिक स्वतंत्रता के लिए भी और उस किसान के लिए भी, जो 6 महीने ख़ाली रहता था।

हालाँकि स्वराज शब्द का अर्थ स्वशासन है, लेकिन गांधीजी ने इसे एक ऐसी अभिन्न क्रांति की संज्ञा दी जो कि जीवन के सभी क्षेत्रों को समाहित करती हैगांधी जी के लिये स्वराज का अर्थ व्यक्तियों के स्वराज (स्वशासन) से था और इसलिये उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके लिये स्वराज का मतलब अपने देशवासियों हेतु स्वतंत्रता है और अपने संपूर्ण अर्थों में स्वराज स्वतंत्रता से कहीं अधिक है। आत्मनिर्भर व स्वायत्त्त ग्राम पंचायतों की स्थापना के माध्यम से ग्रामीण समाज के अंतिम छोर पर मौजूद व्यक्ति तक शासन की पहुँच सुनिश्चित करना ही गांधी जी का ग्राम स्वराज सिद्धांत था। आर्थिक मामलों में भी गांधीजी विकेंद्रीकृत अर्थव्यवस्था के माध्यम से लघु, सूक्ष्म व कुटीर उद्योगों की स्थापना पर बल देते थे। गांधी जी का मत था कि भारी उद्योगों की स्थापना के पश्चात् इनसे निकलने वाली जहरीली गैसें व धुंआ पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं, साथ ही बहुत बड़े उद्योगों का अस्तित्व श्रमिक वर्ग के शोषण का भी मार्ग तैयार करता है।

महात्मा गांधी पर 10 लाइनों में निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi in 10 Lines)

  • महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था।
  • गाँधी जी का जन्म स्थान गुजरात का पोरबंदर शहर है।
  • गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता जी का नाम पुतली बाई था।
  • महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था।
  • गाँधी जी का विवाह 15 वर्ष की आयु में कस्तूरबा गाँधी जी से हुआ था।
  • गाँधी जी राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे।
  • गाँधी जी ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन से क़ानून की पढ़ाई पूरी की थी।
  • महात्मा गाँधी जी गोपाल कृष्ण गोखले जी को अपना राजनितिक गुरु मानते थे।
  • गाँधी जी को बापू, महात्मा, राष्ट्रपिता आदि नामो से भी जाना जाता है।
  • 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे के गाँधी जी को गोली मार उनकी हत्या कर दी थी ।

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essay on mahatma gandhi in hindi in 500 words

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गांधी जयंती पर निबंध (Gandhi Jayanti Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500 शब्दों मे

essay on mahatma gandhi in hindi in 500 words

गांधी जयंती पर निबंध(Gandhi Jayanti Essay in Hindi) – महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए भारत में हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाया जाता है। इसे आधिकारिक तौर पर भारत की राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक के रूप में घोषित किया गया था, और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया था।

उनकी स्मृति में चित्रकला और निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। अहिंसक आंदोलन महात्मा गांधी के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी के प्रयास का जश्न मनाने के लिए इसे लागू किया जाए और पुरस्कृत किया जाए।

आमतौर पर उनकी याद में महात्मा गांधी के पसंदीदा भजन (रघुपति राघव राजा राम) गाए जाते हैं। पूरे भारत में महात्मा गांधी की मूर्तियों को फूलों और मालाओं से सजाया जाता है और कुछ लोग उस दिन मांस और शराब का सेवन करने से परहेज करते हैं। सार्वजनिक भवन, जैसे बैंक और डाकघर, दिन के लिए बंद रहते हैं।

महात्मा गांधी जयंती निबंध पर 10 लाइन (10 Lines Essay On Mahatma Gandhi Jayanti in Hindi)

  • प्रत्येक वर्ष, 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए गांधी जयंती को भारत के राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
  • इस दिन को हम अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाते हैं, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने अपनाया है।
  • यह भारत में आधिकारिक तौर पर घोषित छुट्टियों में से एक है।
  • दुनिया भर के लोग उस दिन महात्मा गांधी के योगदानों को श्रद्धांजलि देते हैं और उनकी शिक्षाओं की प्रशंसा करते हैं।
  • भारत के निवासी, गांधी की मूर्तियों को फूलों से सजाते हैं।
  • राज घाट स्मारक के पास, राजनीतिक दल और लोग राष्ट्रपिता को अपनी श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्रित होते हैं।
  • विभिन्न स्कूल और कॉलेज महात्मा गांधी की स्मृति में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
  • महात्मा गांधी ने अहिंसा और शांति का विचार दिया।
  • उन्होंने हमेशा शराब पीने जैसी बुरी आदतों का विरोध किया।
  • उस दिन हम उनकी विचारधारा और शिक्षाओं को याद करते हैं, जो उन्होंने समाज को दी।

गांधी जयंती पर निबंध 100 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 100 words in Hindi)

यह राष्ट्रपिता (महात्मा गांधी, जिन्हें बापू भी कहा जाता है) की जयंती है। गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को पूरे भारत में एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में मनाई जाती है। यह स्कूलों, कॉलेजों, शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी कार्यालयों, समुदायों, समाज और अन्य स्थानों में कई उद्देश्यपूर्ण गतिविधियों का आयोजन करके मनाया जाता है। भारत सरकार द्वारा 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है। इस दिन, पूरे भारत में सरकारी कार्यालय, बैंक, स्कूल, कॉलेज, कंपनियां आदि बंद रहते हैं लेकिन इसे बड़े उत्साह और ढेर सारी तैयारियों के साथ मनाया जाता है।

गांधी जयंती पर निबंध 150 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 150 words in Hindi)

गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है। यह दिन उनकी जयंती का प्रतीक है। गांधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे। हम इस दिन को देश के लिए किए गए उनके बलिदान की याद में मनाते हैं। उन्होंने अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने के लिए विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व किया। सत्याग्रह प्रसिद्ध आंदोलनों में से एक था। भारत छोड़ो आंदोलन और स्वदेशी आंदोलन अन्य दो प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण आंदोलन हैं जिन्होंने हमें 1947 में आजादी दिलाई।

इस दिन, कई छात्र लोगों को अहिंसा का संदेश देने वाले नाटक करते हैं। कई छात्र उनकी जयंती को चिह्नित करने के लिए इस दिन देशभक्ति के गीत गाते हैं। कई छात्र गांधीजी और उनकी शिक्षाओं के विषय पर पेंटिंग करते हैं। यह दिन देशभक्ति के उत्साह में डूबा हुआ है और हम उनकी बुद्धिमान शिक्षाओं को याद करते हैं- “बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत बोलो”। इस दिन उनके जीवन पर केन्द्रित कई फिल्में टेलीविजन और रेडियो चैनलों पर प्रसारित की जाती हैं। जल्द ही हम हिंदी, मलयालम में गांधी जयंती पर पैराग्राफ अपडेट करेंगे।

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गांधी जयंती पर निबंध 200 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 200 words in Hindi)

गांधी जयंती प्रत्येक 2 अक्टूबर को पड़ती है। यह एक राष्ट्रीय पर्व है। मोहनदास करमचंद गांधी अपने शिक्षण में अहिंसा का प्रचार करने के लिए जाने जाते हैं। स्वदेशी और सत्याग्रह सहित उनके विभिन्न आंदोलन अहिंसा की उनकी धारणाओं पर आधारित थे।

वह बहुत पहले से ‘मेक इन इंडिया’ की अवधारणा में विश्वास करते थे और इसलिए उन्होंने अपने साथी लोगों को चरखे के रूप में जाने जाने वाले हाथ के पहिये के माध्यम से कपड़े बुनने के लिए कहा। उन्होंने खादी के कपड़े पहने और विदेशी उत्पादों को त्याग दिया। वे न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने जातिवाद और छुआछूत जैसे सामाजिक कलंक को दूर किया। उन्होंने तत्कालीन अछूतों को हरिजन या ईश्वर की संतान का नाम दिया।

उनकी शिक्षाओं को चिह्नित करने के लिए स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पूरे काउंटी में गांधी जयंती पूरे दिल से मनाई जाती है। विभिन्न छात्र ‘अहिंसा’ या अहिंसा और स्वदेशी आंदोलन की शिक्षाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए नाटकों और नुक्कड़ नाटकों में अभिनय करते हैं। छात्र इस दिन पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताओं में भी भाग लेते हैं और उनकी तस्वीरें भी बनाते हैं।

उनके सम्मान में बैंक और कार्यालय बंद रहते हैं। सिद्धांत और छात्र उनकी शिक्षाओं पर भाषण देते हैं। फिल्मों का प्रसारण उनके जीवन पर केन्द्रित होता है। अन्य नेताओं के साथ-साथ उनके अथक प्रयासों के कारण ही आज हम अपने देश में खुलकर सांस ले सकते हैं।

गांधी जयंती पर निबंध 250 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 250 words in Hindi)

गांधी जयंती भारत में हर साल 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है और कॉलेज, स्कूल और कार्यालय बंद रहते हैं।

गांधी जयंती कैसे मनाई जाती है?

गांधी जयंती को राष्ट्रपिता और सत्य और अहिंसा के साथ उनके प्रयोग के प्रति बहुत सम्मान के साथ मनाया जाता है। पूरे देश में कई स्थानों पर निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिता और अन्य जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

गांधी जयंती दक्षिण अफ्रीका में भी मनाई जाती है, जहां गांधी जी ने भारतीयों और मूलनिवासी अश्वेतों के अधिकारों की वकालत करते हुए 21 साल तक लड़ाई लड़ी। दुनिया के अन्य हिस्सों में भारतीय दूतावासों में विशेष स्मारक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने महात्मा गांधी की जन्म तिथि, 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय शांति और अहिंसा दिवस के रूप में नामित किया, जिसे पूरे विश्व में मनाया जाता है।

गांधी जयंती का महत्व

अपने पूरे सार्वजनिक जीवन में, महात्मा गांधी ने दैनिक गतिविधियों और आचरणों में सख्त अनुशासन का अभ्यास किया था। उन्हें अपनी नीतियों पर अगाध विश्वास था, जो जनता में भी परिलक्षित होता था। वह एक महानायक थे जिन्होंने दुनिया को दमन और अन्याय से लड़ने के लिए एक नया हथियार दिया – “असहयोग”। सत्य, अहिंसा और असहयोग की उनकी संयुक्त नीतियां जनता के बीच एक त्वरित हिट थीं। उनका जन्मदिन मनाना और उनके मूल्यों को याद रखना हमें एक समाज और एक राष्ट्र के रूप में और अधिक विकसित होने में मदद करता है।

गांधी जयंती एक राष्ट्रीय त्योहार है जब राष्ट्र अपने महान योद्धा को याद करता है जिन्होंने लाखों लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और देश को अंग्रेजों के दमनकारी शासन से मुक्त कराया।

गांधी जयंती पर निबंध 300 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 300 words in Hindi)

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1969 को हुआ था। हम उनकी जयंती और हमारे देश को ब्रिटिश राज के चंगुल से मुक्त कराने के उनके प्रयासों को चिह्नित करने के लिए गांधी जयंती मनाते हैं। राष्ट्रपिता के रूप में भी जाने जाने वाले, उन्होंने अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने और ‘भारत’ के सार को बनाए रखने के लिए विभिन्न आंदोलनों में अपना योगदान दिया है। अहिंसा और सादा जीवन उनके दो बुनियादी सिद्धांत थे जिनका उन्होंने पालन किया।

अफ्रीका में कानून की शिक्षा प्राप्त एक व्यक्ति अपने देशवासियों को आजाद कराने के लिए भारत लौटा। सिर्फ एक धोती पहने, उसे एक जोड़ी गिलास और एक छड़ी के साथ जोड़कर, वह साथी भारतीयों के साथ नमक निकालने और ब्रिटिश उपनिवेशों को यह दिखाने के लिए मीलों पैदल चलकर दांडी गए कि हमारे पास अपार शक्तियाँ हैं। सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रचारक, उन्होंने अपने देशवासियों को अस्पृश्यता जैसी तत्कालीन मौजूदा सामाजिक बुराइयों से भी मुक्त कराया।

वह आत्मनिर्भरता में विश्वास करते थे और इसलिए अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कपड़े पहनने के बजाय अपने खुद के कपड़े बुनने की अवधारणा को बढ़ावा दिया। इसने भारतीय महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाया, इसलिए उन्हें मुक्ति मिली।

भारत इस तरह गांधी जयंती मनाता है:

  • स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बच्चों और लोगों को उनके योगदान से अवगत कराने के लिए नाटकों, नृत्य प्रदर्शनों, भाषणों और पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं।
  • सम्मान में बैंक और कार्यालय बंद रहे।
  • राजघाट, नई दिल्ली में एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता है और उसे फूलों से सजाया जाता है।
  • उनके जीवन को दर्शाने वाली फिल्में टेलीविजन पर प्रसारित की जाती हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र ने अहिंसा में अपने विश्वास को चिह्नित करने के लिए 2 अक्टूबर को अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया है।

गांधी जी ने हमें आत्मनिर्भरता, ईमानदारी और अहिंसा का महत्व सिखाया। छात्र उनके पसंदीदा भजन- ‘रघुपति राघव’ को गाने के अलावा विधानसभाओं में इसका पालन करने की शपथ लेते हैं।

गांधी जयंती पर निबंध 500 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 500 words in Hindi)

गांधी जयंती एक प्रमुख राष्ट्रीय त्योहार है जिसका उत्सव भारत में 2 अक्टूबर को मनाया जाता है। सबसे उल्लेखनीय, यह त्यौहार मोहनदास करमचंद गांधी की जयंती मनाता है। इसके अलावा, गांधी जयंती भारत के तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया गया है। त्योहार निश्चित रूप से भारत में एक महत्वपूर्ण अवसर है।

महात्मा गांधी का जन्म ब्रिटिश शासन के तहत भारत में हुआ था। वह निश्चित रूप से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सबसे प्रमुख व्यक्ति थे। महात्मा गांधी को “राष्ट्रपिता” की उपाधि से सम्मानित किया गया है। यह भारत की स्वतंत्रता के लिए उनके निरंतर सर्वोपरि प्रयासों के कारण था।

गांधी का व्यापारी वर्ग का परिवार था। यह आत्मविश्वासी व्यक्ति 24 वर्ष की आयु में दक्षिण अफ्रीका चला गया। वह वहां कानून की पढ़ाई करने गया था। 1915 में दक्षिण अफ्रीका से उनकी वापसी हुई। फिर वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने। अपने अथक परिश्रम के कारण वे जल्द ही कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए।

महात्मा गांधी के प्रयास केवल भारतीय स्वतंत्रता तक ही सीमित नहीं थे। मनुष्य ने विभिन्न प्रकार की सामाजिक बुराइयों से भी संघर्ष किया। ये सामाजिक बुराइयाँ अस्पृश्यता, जातिवाद, स्त्री अधीनता आदि थीं। इसके अलावा, उन्होंने गरीबों और ज़रूरतमंदों की मदद के लिए भी महत्वपूर्ण प्रयास किए।

महात्मा गांधी को भारत में ब्रिटिश शासन के प्रति घोर अरुचि थी। हालांकि, वह हिंसा के रास्ते के पक्ष में नहीं थे। गांधी अहिंसा (अहिंसा) के दर्शन में सख्ती से विश्वास करते थे। नतीजतन, उस व्यक्ति ने शांतिपूर्ण तरीके से ब्रिटिश शासन का विरोध किया। इसके अलावा, गांधी के शांतिपूर्ण विरोध और आंदोलन अत्यधिक प्रभावी थे। उनके तरीके और योजनाएँ बहुत कुशल थीं। अपनी अविश्वसनीय प्रभावशीलता के कारण, गांधीजी अन्य विश्व नेताओं के लिए प्रेरणा बन गए। एक बार फिर, गांधी को महात्मा की एक और उपाधि से सम्मानित किया गया। महात्मा शब्द का अर्थ महान आत्मा है। उनके जन्मदिन को शानदार स्मरण और उत्सव के दिन में बदल दिया गया।

महात्मा गांधी की स्मृति

सबसे पहले, गांधी जयंती और कुछ नहीं बल्कि महात्मा गांधी की एक भव्य स्मृति है। गांधी जयंती निश्चित रूप से भारत के राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है। देशभक्ति के इस अवसर का उत्सव हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में आयोजित किया जाता है।

गांधी जयंती के अवसर पर प्रार्थना सेवा और श्रद्धांजलि होती है। ये प्रार्थना सेवाएं और श्रद्धांजलि पूरे देश में होती हैं। इसके अलावा, गांधी जयंती पर विभिन्न प्रार्थना सभाएं और स्मारक समारोह भी होते हैं। ये आयोजन स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी और निजी संस्थानों में होते हैं। खास बात यह है कि इस तरह के आयोजनों में हर तबके के लोग हिस्सा लेते हैं।

जगह-जगह चित्रकला, निबंध आदि की प्रतियोगिताएं होती रहती हैं। इसके अलावा, ऐसी प्रतियोगिताओं के लिए पुरस्कारों का वितरण होता है। कई स्कूलों और कॉलेजों में छात्र महात्मा गांधी के जीवन पर वृत्तचित्र और प्रदर्शन भी देखते हैं। नतीजतन, युवाओं के बीच अहिंसक जीवन शैली को बढ़ावा मिल रहा है। गांधीजी के पसंदीदा भजन (हिंदू भक्ति गीत) के गायन कार्यक्रम भी हैं। एक अन्य अनुष्ठान गांधी प्रतिमाओं को फूलों और मालाओं से सजाया जाता है। अंत में, कुछ व्यक्ति गांधी जयंती पर मांस खाने या शराब पीने से बचते हैं।

गांधी जयंती महात्मा गांधी के महान व्यक्तित्व का सम्मान करती है। यह इस महान व्यक्तित्व के जीवन को प्रतिबिंबित करने और संजोने का अवसर है। इसके अलावा, सभी को इस दिन उनकी तरह जीने की कोशिश करनी चाहिए। गांधी जयंती निश्चित रूप से भारत में एक बहुत ही देशभक्ति का दिन है।

गांधी जयंती निबंध पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: (FAQs)

Q.1 गांधीजी ने अपने प्रथम सत्याग्रह का प्रयोग कहाँ किया था.

उत्तर. गांधीजी ने अपना पहला सत्याग्रह 1906 में दक्षिण अफ्रीका में प्रयोग किया।

Q.2 महात्मा गांधी के आध्यात्मिक गुरु कौन थे?

उत्तर. लियो टॉल्स्टॉय महात्मा गांधी के आध्यात्मिक गुरु थे।

Q.3 हम अहिंसा का अंतर्राष्ट्रीय दिवस कब मनाते हैं?

उत्तर. अहिंसा का अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2 अक्टूबर को गांधीजी के जन्मदिन पर मनाया जाता है।

Q.4 गांधीजी को किस विश्वविद्यालय ने अपने स्थापना दिवस पर आमंत्रित किया था?

उत्तर. गांधीजी को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा विश्वविद्यालय की आधारशिला रखने के लिए बोलने के लिए आमंत्रित किया गया था।

Q.5 गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत कब लौटे थे?

उत्तर. गांधीजी 9 जनवरी को दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे और इस दिन को प्रवासी भारत दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Q.6 आरबीआई द्वारा महात्मा गांधी श्रृंखला के बैंक नोट कब जारी किए गए थे?

उत्तर. 1996 में RBI द्वारा महात्मा गांधी श्रृंखला के बैंकनोट जारी किए गए थे।

essay on mahatma gandhi in hindi in 500 words

महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने जिंदगीभर भारत को आज़ादी दिलाने के लिये संघर्ष किया। महात्मा गांधी एक ऐसे महापुरुष थे जो प्राचीन काल से भारतीयों के दिल में रह रहे है। भारत का हर एक व्यक्ति और बच्चा-बच्चा उन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से जानता है।

2 अक्टूबर को पूरे भारतवर्ष में गांधी जयंती मनाई जाती हैं एवं इस दिन को पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। इस मौके पर राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान व्यक्त करने एवं उन्हें सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तरों आदि में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

इन कार्यक्रमों के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी जी के महत्व को बताने के लिए निबंध लेखन प्रतियोगिताएं भी आयोजित करवाई जाती हैं।

इसलिए आज हम आपको देश के राष्ट्रपितामह एवं बापू जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में कुछ निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं-

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी पर निबंध – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी अपने अतुल्य योगदान के लिये ज्यादातर “ राष्ट्रपिता और बापू ” के नाम से जाने जाते है। वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारत में ग्रामीण भागो के सामाजिक विकास के लिये आवाज़ उठाई थी, उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओ के उपयोग के लिये प्रेरित किया और बहोत से सामाजिक मुद्दों पर भी उन्होंने ब्रिटिशो के खिलाफ आवाज़ उठायी। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे। बाद में वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होकर संघर्ष करने लगे।

भारतीय इतिहास में वे एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने भारतीयों की आज़ादी के सपने को सच्चाई में बदला था। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यो के लिये याद करते है। आज भी लोगो को उनके जीवन की मिसाल दी जाती है। वे जन्म से ही सत्य और अहिंसावादी नही थे बल्कि उन्होंने अपने आप को अहिंसावादी बनाया था।

राजा हरिशचंद्र के जीवन का उनपर काफी प्रभाव पड़ा। स्कूल के बाद उन्होंने अपनी लॉ की पढाई इंग्लैंड से पूरी की और वकीली के पेशे की शुरुवात की। अपने जीवन में उन्होंने काफी मुसीबतों का सामना किया लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी वे हमेशा आगे बढ़ते रहे।

उन्होंने काफी अभियानों की शुरुवात की जैसे 1920 में असहयोग आन्दोलन, 1930 में नगरी अवज्ञा अभियान और अंत में 1942 में भारत छोडो आंदोलन और उनके द्वारा किये गये ये सभी आन्दोलन भारत को आज़ादी दिलाने में कारगार साबित हुए। अंततः उनके द्वारा किये गये संघर्षो की बदौलत भारत को ब्रिटिश राज से आज़ादी मिल ही गयी।

महात्मा गांधी का जीवन काफी साधारण ही था वे रंगभेद और जातिभेद को नही मानते थे। उन्होंने भारतीय समाज से अछूत की परंपरा को नष्ट करने के लिये भी काफी प्रयास किये और इसके चलते उन्होंने अछूतों को “हरिजन” का नाम भी दिया था जिसका अर्थ “भगवान के लोग” था।

महात्मा गाँधी एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे और भारत को आज़ादी दिलाना ही उनके जीवन का उद्देश्य था। उन्होंने काफी भारतीयों को प्रेरित भी किया और उनका विश्वास था की इंसान को साधारण जीवन ही जीना चाहिये और स्वावलंबी होना चाहिये।

गांधीजी विदेशी वस्तुओ के खिलाफ थे इसीलिये वे भारत में स्वदेशी वस्तुओ को प्राधान्य देते थे। इतना ही नही बल्कि वे खुद चरखा चलाते थे। वे भारत में खेती का और स्वदेशी वस्तुओ का विस्तार करना चाहते थे। वे एक आध्यात्मिक पुरुष थे और भारतीय राजनीती में वे आध्यात्मिकता को बढ़ावा देते थे।

महात्मा गांधी का देश के लिए किया गया अहिंसात्मक संघर्ष कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने पूरा जीवन देश को स्वतंत्रता दिलाने में व्यतीत किया। और देशसेवा करते करते ही 30 जनवरी 1948 को इस महात्मा की मृत्यु हो गयी और राजघाट, दिल्ली में लाखोँ समर्थकों के हाजिरी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। आज भारत में 30 जनवरी को उनकी याद में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

“भविष्य में क्या होगा, यह मै कभी नहीं सोचना चाहता, मुझे बस वर्तमान की चिंता है, भगवान् ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।”

महात्मा गांधी जी आजादी की लड़ाई के महानायक थे, जिन्हें उनके महान कामों के कारण राष्ट्रपिता और महात्मा की उपाधि दी गई। स्वतंत्रता संग्राम में उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

आज उनके अथक प्रयासों, त्याग, बलिदान और समर्पण की बल पर ही हम सभी भारतीय आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं।

वे सत्य और अहिंसा के ऐसे पुजारी थे, जिन्होंने शांति के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था, वे हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। महात्मा गांधी जी के महान विचारों से देश का हर व्यक्ति प्रभावित है।

महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन, परिवार एवं शिक्षा – Mahatma Gandhi Information

स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य सूत्रधार माने जाने वाले महात्मा गांधी जी गुजरात के पोरबंदर में  2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में जन्में थे। गांधी का जी पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

उनके पिता जी करम चन्द गांधी ब्रिटिश शासनकाल के समय राजकोट के ‘दीवान’ थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि धार्मिक विचारों वाली एक कर्तव्यपरायण महिला थी, जिनके विचारों का गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

वहीं जब वे 13 साल के थे, तब बाल विवाह की प्रथा के तहत उनकी शादी कस्तूरबा से कर दी गई थी, जिन्हें लोग प्यार से ”बा” कहकर पुकारते थे।

गांधी जी बचपन से ही बेहद अनुशासित एवं आज्ञाकारी बालक थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गुजरात में रहकर ही पूरी की और फिर वे कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए, जहां से लौटकर उन्होंने भारत में वकाकलत का काम शुरु किया, हालांकि, वकालत में वे ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाए।

महात्मा गांधी जी के राजनैतिक जीवन की शुरुआत – Mahatma Gandhi Political Career

अपनी वकालत की पढ़ाई के दौरान ही गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव का शिकार होना पड़ा था। गांधी जी के साथ घटित एक घटना के मुताबिक एक बार जब वे ट्रेन की प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठ गए थे, तब उन्हें ट्रेन के डिब्बे से धक्का मारकर बाहर निकाल दिया गया था।

इसके साथ ही उन्हें दक्षिण अफ्रीका के कई बड़े होटलों में जाने से भी रोक दिया गया था। जिसके बाद गांधी जी ने रंगभेदभाव के खिलाफ जमकर संघर्ष किया।

वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटाने के उद्देश्य से राजनीति में घुसे और फिर अपने सूझबूझ और उचित राजनैतिक कौशल से देश की राजनीति को एक नया आयाम दिया एवं स्वतंत्रता सेनानी के रुप में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सैद्धान्तवादी एवं आदर्शवादी महानायक के रुप में महात्मा गांधी:

महात्मा गांधी जी बेहद सैद्धांन्तवादी एवं आदर्शवादी नेता थे। वे सादा जीवन, उच्च विचार वाले महान व्यक्तित्व थे, उनके इसी स्वभाव की वजह से उन्हें लोग ”महात्मा” कहकर बुलाते थे।

उनके महान विचारों और आदर्श व्यत्तित्व का अनुसरण अल्बर्ट आइंसटाइन, राजेन्द्र प्रसाद, सरोजनी नायडू, नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जैसे कई महान लोगों ने भी किया है।

ये लोग गांधी जी के कट्टर समर्थक थे। गांधी जी के महान व्यक्तित्व का प्रभाव सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी था।

सत्य और अहिंसा उनके दो सशक्त हथियार थे, और इन्ही हथियारों के बल पर उन्होंने अंग्रजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था।

वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता होने के साथ-साथ समाजसेवक भी थे, जिन्होंने भारत में फैले जातिवाद, छूआछूत, लिंग भेदभाव आदि को दूर करने के लिए भी सराहनीय प्रयास किए थे।

अपने पूरे जीवन भर राष्ट्र की सेवा में लगे रहे गांधी जी की देश की आजादी के कुछ समय बाद ही 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे द्धारा हत्या कर दी गई थी।

वे एक महान शख्सियत और युग पुरुष थे, जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थिति में भी कभी भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा और कठोर दृढ़संकल्प के साथ अडिग होकर अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ते रहे। उनके जीवन से हर किसी को सीख लेने की जरूरत है।

महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi par Nibandh

प्रस्तावना-

2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी जी द्धारा राष्ट्र के लिए किए गए त्याग, बलिदान और समर्पण को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

वे एक एक महापुरुष थे, जिन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से आजाद करवाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। गांधी जी का महान और प्रभावशाली व्यक्तित्व हर किसी को प्रभावित करता है।

महात्मा गांधी जी की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका – Mahatma Gandhi as a Freedom Fighter

दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव के खिलाफ तमाम संघर्षों के बाद जब वे अपने स्वदेश भारत लौटे तो उन्होंने देखा कि क्रूर ब्रिटिश हुकूमत बेकसूर भारतीयों पर अपने अमानवीय अत्याचार कर रही थी और  देश की जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी।

जिसके बाद उन्होंने क्रूर ब्रिटिशों को भारत से बाहर निकाल फेंकने का संकल्प लिया और फिर वे आजादी पाने के अपने दृढ़निश्चयी एवं अडिग लक्ष्य के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

महात्मा गांधी जी द्धारा चलाए गए प्रमुख आंदोलन:

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन चलाए। उनके शांतिपूर्ण ढंग से चलाए गए आंदोलनों ने न सिर्फ भारत में ब्रिटिश सरकार की नींव कमजोर कर दी थीं, बल्कि उन्हें भारत छोड़ने के लिए भी विवश कर दिया था।  उनके द्धारा चलाए गए कुछ मुख्य आंदोलन इस प्रकार हैं-

चंपारण और खेड़ा आंदोलन – Kheda Movement

साल 1917 में जब अंग्रेज अपनी दमनकारी नीतियों के तहत चंपारण के किसानों का शोषण कर रहे थे, उस दौरान कुछ किसान ज्यादा कर देने में समर्थ नहीं थे।

जिसके चलते गरीबी और भुखमरी जैसे भयावह हालात पैदा हो गए थे, जिसे देखते हुए गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से चंपारण आंदोलन किया, इस आंदोलन के परिणामस्वरुप वे किसानों को करीब 25 फीसदी धनराशि वापस दिलवाने में सफल रहे।

साल 1918 में गुजरात के खेड़ा में भीषण बाढ़ आने से वहां के लोगों पर अकाली का पहाड़ टूट पड़ा था, ऐसे में किसान अंग्रेजों को भारी कर देने में असमर्थ थे।

जिसे देख गांधी जी ने अंग्रेजों से किसानों की लगान माफ करने की मांग करते हुए उनके खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलन छेड़ दिया, जिसके बाद ब्रिटिश हुकूमत को उनकी मांगे माननी पड़ी और वहां के किसानों को कर में छूट देनी पड़ी।

महात्मा गांधी जी के इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है।

महात्मा गांधी जी का असहयोग आंदोलन – Asahyog Movement

अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों एवं जलियावाला बाग हत्याकांड में मारे गए बेकसूर लोगों को देखकर गांधी जी को गहरा दुख पहुंचा था और उनके ह्रद्य में अंग्रेजों के अत्याचारों से देश को मुक्त करवाने की ज्वाला और अधिक तेज हो गई थी।

जिसके चलते उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर असहयोग आंदोलन करने का फैसला लिया। इस आंदोलन के तहत उन्होंने भारतीय जनता से अंग्रेजी हुकूमत का समर्थन नहीं देने की अपील की।

गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े स्तर पर भारतीयों ने समर्थन दिया और ब्रिटिश सरकार के अधीन पदों जैसे कि शिक्षक, प्रशासनिक व्यवस्था और अन्य सरकारी पदों से इस्तीफा देना शुरु कर दिया साथ ही सरकारी स्कूल, कॉलजों एवं सरकारी संस्थानों का जमकर बहिष्कार किया।

इस दौरान लोगों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई और खादी वस्त्रों एवं स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरु कर दिया। गांधी जी के असहयोग आंदोलन ने भारत में ब्रिटिश हुकूमत की नींव को कमजोर कर दिया था।

सविनय अवज्ञा आंदोलन/डंडी यात्रा/नमक सत्याग्रह(1930) – Savinay Avagya Andolan

महात्मा गांधी ने यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ चलाया था। उन्होंने ब्रटिश सरकार के नमक कानून का उल्लंघन करने के लिए इसके तहत पैदल यात्रा की थी।

गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अपने कुछ अनुयायियों के साथ सावरमती आश्रम से पैदल यात्रा शुरु की थी। इसके बाद करीब 6 अप्रैल को गांधी जी ने दांडी पहुंचकर समुद्र के किनारे नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के नमक कानून की अवहेलना की थी।

नमक सत्याग्रह के तहत भारतीय लोगों ने ब्रिटिश सरकार के आदेशों के खिलाफ जाकर खुद नमक बनाना एवमं बेचना शुरु कर दिया।

गांधी जी के इस अहिंसक आंदोलन से ब्रिटिश सरकार के हौसले कमजोर पड़ गए थे और गुलाम भारत को अंग्रेजों क चंगुल से आजाद करवाने का रास्ता साफ और मजबूत हो गया था।

महात्मा गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन(1942)

अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ने के उद्देश्य  से महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ साल 1942 में ”भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की थी। इस आंदोलन के कुछ साल बाद ही भारत ब्रिटिश शासकों की गुलामी से आजाद हो गया था।

आपको बता दें जब गांधी जी ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी, उस समय दूसरे विश्वयुद्ध का समय था और ब्रिटेन पहले से जर्मनी के साथ युद्ध में उलझा हुआ था, ऐसी स्थिति का बापू जी ने फायदा उठाया। गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर भारत की जनता ने एकत्र होकर अपना समर्थन दिया।

इस आंदोलन का इतना ज्यादा प्रभाव पड़ा कि ब्रिटिश सरकार को भारत को स्वतंत्रता देने का वादा करना पड़ा। इस तरह से यह आंदोलन, भारत में ब्रिटिश हुकूमत के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ।

इस तरह महात्मा गांधी जी द्धारा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलाए गए आंदोलनो ने  गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई और हर किसी के जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा है।

वहीं उनके आंदोलनों की खास बात यह रही कि उन्होंने बेहद  शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाए और आंदोलन के दौरान किसी भी तरह की हिंसात्मक गतिविधि होने पर उनके आंदोलन बीच में ही रद्द कर दिए गए।

  • Mahatma Gandhi Slogan

महात्मा गांधी जी ने जिस तरह राष्ट्र के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया एवं सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलवाने के लिए कई बड़े आंदोलन चलाए, उनसे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं आज जिस तरह हिंसात्मक गतिविधियां बढ़ रही हैं, ऐसे में गांधी जी के महान विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। तभी देश-दुनिया में हिंसा कम हो सकेगी और देश तरक्की के पथ पर आगे बढ़ सकेगा।

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60 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi”

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Gandhi ji is my favorite

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अपने अलग अलग तरह से गाँधी जी के कार्यो को बताया है बहुत अच्छा

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महात्मा गाँधी पर निबंध – 10 lines, 300, 500 words | essay of mahatma gandhi in hindi.

Essay of Mahatma Gandhi in Hindi

Essay of Mahatma Gandhi in Hindi

जब भी हमारे मन में स्वतंत्रता की बात आती है तो सबसे पहला नाम मोहनदास करमचंद गांधी जी का आता है जिन्हें राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। महात्मा गांधी एक स्वतंत्रता सेनानी के अलावा एक अच्छे नेता (leader) और वकील (advocate) भी थे।

1857 की क्रांति (Revolution Of 1857) को और आगे बढ़ाने देश के लोगों को जागरूक करके अंग्रेज शासन के खिलाफ आवाज उठाने में महात्मा गांधी जी का बहुत बड़ा योगदान रहा।

आइए पढ़ते हैं Mahatma Gandhi Per Essay (महात्मा गाँधी पर निबंध)

Table of Contents

10 lines on Mahatma Gandhi In Hindi (महात्मा गांधी पर निबंध)

1. महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।

2. गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

3. इनके पिताजी का नाम करमचंद गांधी और माताजी का नाम पुतलीबाई था।

4. महात्मा गांधी जी के पिताजी गुजरात के बहुत बड़े दीवान थे।

5. महात्मा गांधी जी की शादी केवल 13 साल की उम्र में गुजरात की कस्तूरबा गांधी से हो गई थी।

6. गांधी जी शादी के बाद पढ़ने के लिए लंदन गए थे।

7. लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई करने के बाद वे साउथ अफ्रीका में बैरिस्टर की ट्रेनिंग और नौकरी के लिए गए थे।

8. महात्मा गांधी जी ने साउथ अफ्रीका में पहली बार वहां के काले लोगों के हक के लिए लड़ाई लड़ी। 

9. साउथ अफ्रीका में अंग्रेजों को हराने के बाद अहिंसा का मार्ग अपनाते  हुए 1915 में गांधी जी अपने देश भारत आए और अंग्रेजो के खिलाफ कई सारे सत्याग्रह और देशव्यापी आन्दोलन चलाए।

10. महात्मा गांधी का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ा योगदान रहा जिसे हम कभी भूल नहीं सकते।

महात्मा गाँधी पर निबंध 300 शब्दों में

महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर जिला में 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था। महात्मा गांधी को हम भारतीय राष्ट्रपिता के रूप में सदैव याद रखेंगे।

महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, राजनेता, वकील थे जिन्होंने भारत को अंग्रेज सरकार से आजाद करवाने के लिए विभिन्न आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।

उन्होंने हर किसी को अपने जीवन में सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की सीख दी।

महात्मा गांधी की शादी 13 वर्ष की उम्र में कस्तूरबा गांधी से करवा दी गई जिसके बाद उन्होंने अपने पढ़ाई को जारी रखा और बैरिस्टर की पढ़ाई पढ़ने के लिए लंदन गए।

गांधी जी 1915 में भारत वापस आए उन्होंने इसके बाद उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया जिसमें उनका पहला आंदोलन 1917 बिहार के चंपारण में हुआ। ये गांधी जी का भारत में  पहला सफल आंदोलन था।

चंपारण आंदोलन के बाद महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन , असहयोग आंदोलन , दांडी मार्च , और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे विभिन्न आंदोलनों में हिस्सा लिया।

अंत में 1947 में महात्मा गांधी ने भारत को अंग्रेजों से आज़ाद करवाया और दुनिया को सत्य और अहिंसा की ताकत से परिचय करवाया।

महात्मा गांधी को आज भी सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक माना जाता है जिसके लिए ना केवल भारत बल्कि पश्चिमी देशों में भी इनकी कई मूर्तियों (statues) को बनाया गया हैं और आज भी गांधी जी भारत में ही नहीं दुनिया भर के तमाम देशों में जाना जाता है।

महात्मा गांधी को ना केवल भारत के राष्ट्रपिता बल्कि एक सर्वोच्च नागरिक, राजनेता, स्वतंत्रता सेनानी और समाज सेवक के रूप में सदैव याद रखेंगे।

तो ये था Essay in Hindi on Mahatma Gandhi 300 words में , आइये अब जानते है Essay in Hindi on Mahatma Gandhi 500 words में

Essay in Hindi on Mahatma Gandhi – 500 words

गुजरात के पोरबंदर में जन्मे महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहन दास करमचंद गांधी था। महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद गांधी था जो गुजरात के एक बहुत बड़े दीवान थे, साथ ही महात्मा गांधी के माता जी का नाम पुतलीबाई था।

मोहनदास करम चंद्र गांधी की शादी 13 वर्ष की उम्र में कस्तूरबा गांधी से हो गई थी जिसके बाद उनके 4 पुत्र हुए।

महात्मा गांधी अपने स्नातक की पढ़ाई पूरी करके लंदन बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए गए जहां से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद ट्रेनिंग और नौकरी के लिए साउथ अफ्रीका गए।

महात्मा गांधी ने साउथ अफ्रीका में पहली बार आंदोलन करना शुरू किया जहां उनकी मुलाकात गोपाल कृष्ण गोखले से हुई जिन्होंने इन्हें राजनीति और आंदोलन का ज्ञान दिया।

दक्षिण अफ्रीका में काले लोगों के हक के लिए लड़ाई लड़ने के दौरान उन्होंने भूख हड़ताल और राजनीति की ताकत को पहचाना जिसके बाद 1915 में वह भारत आए।

महात्मा गांधी भारत आने के बाद 1917 में बिहार के चंपारण आंदोलन से स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेना शुरू किया जहां बिहार के मजदूरों के लिए उन्होंने आवाज उठाई।

इस आंदोलन के सफल होने के बाद महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन और असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च , राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस , भारत छोड़ो आंदोलन जैसे विभिन्न मुख्य आंदोलन गतिविधियों का हिस्सा बने।

महात्मा गांधी की तीव्रता और उनके प्रभाव शीला व्यक्तित्व को देखकर रविंद्र नाथ टैगोर ने उन्हें महात्मा की उपाधि दी। जिसके बाद उन्हें मोहनदास करमचंद गांधी के बजाय महात्मा गांधी कहा जाने लगा।

अंत में 1947 में भारत आजाद हुआ और भारतीय राजनीति, ग्रामीण जीवन के आदर्शीकरण में भी गांधी जी का बहुत बड़ा सहयोग रहा, जिस वजह से हम महात्मा गांधी को सदैव भारतीय राष्ट्रपिता और एक सच्चे देशभक्त के रूप में याद रखा जाएगा।

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निष्कर्ष – Essay of Mahatma Gandhi in Hindi

उम्मीद करते हैं आपको महात्मा गाँधी के उपर ये निबंध “ Essay of Mahatma Gandhi in Hindi ” पढ़ने के बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी (Mahatma Gandhi) के बारे में अच्छे से जान पाए होंगे।

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi

by StoriesRevealers | Apr 28, 2020 | Essay in Hindi | 0 comments

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

Mahatma Gandhi Essay in Hindi: महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्हें उनके महान कार्यों के कारण राष्ट्रपिता और महात्मा की उपाधि दी गई थी।

स्वतंत्रता संग्राम में उनके द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है।

आज हम सभी उनके प्रयासों, बलिदान, दृढ़ संकल्प और समर्पण के कारण स्वतंत्र और चैन की सांस ले रहे हैं।

वे सत्य और अहिंसा के पुजारी थे, जिन्होंने अंग्रेजों को शांतिपुर्ण तरीके से भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया। देश का प्रत्येक व्यक्ति महात्मा गांधी के महान विचारों से प्रभावित है।

महात्मा गांधी का परिवार और जन्म

स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य वास्तुकार माने जाने वाले महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

उनके पिता, करम चंद गांधी, ब्रिटिश शासन के दौरान, राजकोट के ’दीवान’ थे, माता पुतलीबाई, धार्मिक विचारों वाली एक आज्ञाकारी महिला थीं, जिसका गांधीजी पर गहरा प्रभाव था।

उसी समय, जब वे 13 वर्ष के थे, बाल विवाह की प्रथा के तहत उनकी शादी कस्तूरबा से हुई। गांधीजी बचपन से ही बहुत अनुशासित और आज्ञाकारी बच्चे थे।

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गुजरात में पूरी की और फिर कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए, फिर कुछ समय बाद वह भारत में काम शुरू करने के लिए भारत लौट आए, हालाँकि, वे वकालत में अधिक समय तक नहीं रहे। 

गांधीजी का राजनीतिक व्यवसाय

गांधीजी को दक्षिण अफ्रीका में अलगाववाद का शिकार होना पड़ा था।

गांधीजी के साथ एक घटना के अनुसार, एक बार जब वह ट्रेन के प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठे, तो उन्हें ट्रेन के डिब्बे से बाहर कर दिया गया था।

इसके साथ ही, उन्हें दक्षिण अफ्रीका के कई बड़े होटलों में जाने से भी रोक दिया गया, जिसके बाद गांधीजी ने अलगाववाद के खिलाफ जमकर लड़ाई लड़ी।

Also Read: Swachh Bharat Abhiyan Essay in hindi

उन्होंने भारतीयों के साथ भेदभाव को नष्ट करने के उद्देश्य से राजनीति में प्रवेश किया और फिर अपनी विवेकशीलता और उचित राजनीतिक कौशल के साथ देश की राजनीति को एक नया आयाम दिया और एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

महात्मा गांधी बहुत ही वैचारिक और आदर्शवादी नेता थे। वह एक सरल, उच्च विचार वाले व्यक्ति थे, उनके स्वभाव के कारण, लोग उन्हें महात्मा कहते थे।

अल्बर्ट आइंस्टीन, राजेंद्र प्रसाद, सरोजिनी नायडू, नेल्सन मंडेला, और मार्टिन लूथर किंग जैसे कई महान लोगों द्वारा उनके महान विचारों और आदर्शवाद का पालन किया गया है।

ये लोग गांधीजी के वफादार समर्थक थे। गाँधी जी के महान व्यक्तित्व का न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी प्रभाव था।

सत्य और अहिंसा उनके दो शक्तिशाली हथियार थे और इसके साथ, उन्होंने अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया।

वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थे जिन्होंने भारत में जातिवाद, छुआछूत, लैंगिक भेदभाव आदि को दूर करने के लिए सराहनीय प्रयास किए। 

गांधी, जिन्होंने अपना पर्ण जीवन राष्ट्र की सेवा में लगा दिया था, की हत्या 30 जनवरी, 1948 को देश की आजादी के तुरंत बाद, नाथूराम गोडसे द्वारा कर दी गई थी।

वह एक महान व्यक्ति और युगपुरुष थे जिन्होंने सबसे कठिन परिस्थितियों में भी कभी भी सच्चाई को नहीं छोड़ा और अपने लक्ष्य का पीछा करने के लिए दृढ़ निश्चय रखते थे।

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Essay on Mahatma Gandhi in Hindi | महात्मा गाँधी पर निबंध

essay on mahatma gandhi in hindi

  • Post author By Admin
  • January 8, 2022

Mahatma Gandhi जी का नाम कौन नहीं जानता, राष्ट्रहित में उन्होंने जो कार्य किए है, उसके लिए उनका जितना शुक्रियादा किया जाए उतना कम है। 

राष्ट्र के लिए किए गए उनके कार्यो के लिए उन्हें देश का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। 

जिस तरह के उनके विचार थे वह पुरे भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में एक मिसाल कायम कर चुके है। 

उनको हमारे बीच से गए हुए लगभग 70 साल से भी अधिक समय हो गया है, लेकिन अभी भी वह अपने विचारो के ज़रिये हमारे बीच उपस्थित है। 

स्कूलों में आज भी उनके जीवन के बारे में बताया जाता है, ताकि बच्चे उनके जीवन से शिक्षा ले सकें और एक अच्छे इंसान बन सकें। 

आज भी गूगल पर बहुत अधिक बार Essay on Mahatma Gandhi in Hindi सर्च होता है, लोग इनके बारे में जानने को इच्छुक रहते है। 

महात्मा गाँधी जी एक बहुत ही महान शख्सियत थे, इसलिए ताकि आने वाली पीढ़ियां भी लम्बे समय तक उन्हें याद रखें इसलिए स्कूलों में Mahatma Gandhi nibandh लिखवाए जाते है। 

लेकिन कईं लोग ऐसे है, जिन्हे Mahatma Gandhi जी पर निबंध लिखना नहीं आता और जो की हमें अच्छा नहीं लगता। 

इसलिए आज के इस ब्लॉग में हम आपके साथ Mahatma Gandhi जी के ऊपर लिखे कुछ निबंध शेयर करेंगे,

जिस से आपको Essay on Mahatma Gandhi in Hindi (महात्मा गाँधी पर निबंध) को लिखने के लिए ओर मदद मिल सके। 

साथ में हम आपको पूरी डिटेल में यह भी बताएँगे की Mahatma Gandhi Essay in Hindi या महात्मा गांधी जी के ऊपर आप खुद निबंध कैसे लिख सकते हो। 

Table of Contents

How to Write Essay on Mahatma Gandhi in Hindi?

यदि आप Mahatma Gandhi जी के बारे में केवल निबंध पढ़ना चाहते है तो आप ब्लॉग में थोड़ा नीचे स्क्रॉल कर के पढ़ सकते है।  

लेकिन यदि आप सीखना चाहते है की how to write essay on Mahatma Gandhi in hindi तो आप हमारे साथ ऐसे ही बने रहे -:

तो आप Mahatma Gandhi Essay in Hindi कुछ इस प्रकार लिख सकते हो -:

  • आप पहले यह तय कर ले की आप जो Mahatma Gandhi par nibandh लिख रहे हो, वह निबंध कितने शब्दों का होना चाहिए। 
  • शब्द पहले ही तय कर लेने से आप यह जान पाओगे की आपको महात्मा गाँधी जी के जीवन के बारे में कितनी डिटेल में लिखना है। 
  • निबंध लिखते समय आप सबसे पहले इंट्रोडक्शन में महात्मा गाँधी जी के बारे में थोड़ी सी जानकरी दे, जैसे की हमनें इस ब्लॉग की शरुआत में आपको महत्मा गाँधी जी के बारे में थोड़ी जानकारी दी। 
  • उसके बाद आपको महात्मा गाँधी जी के जन्म के बारे में लिखना है, आप इसमें उनके माता पिता के बारे में भी जानकरी दे सकते है। 
  • उनके जन्म के बारे में बताने के बाद आप उनकी शिक्षा के बारे में बताए। 
  • फिर आप उसके बाद देश के लिए जो योगदान दिए है, उनको बहुत अच्छे से डिटेल में लिखे।
  • उसके बाद उनकी मृत्यु के बारे में लिख कर, अपने निबंध का एक निष्कर्ष लिख दे। 
  • निष्कर्ष में आप वह बातें लिख सकते है जो की हमें गाँधी जी के जीवन से सीखने के लिए मिलती है। 

आप इन पॉइंट्स का इस्तेमाल कर के महात्मा गाँधी जी पर Essay लिख सकते है, नीचे हम डिटेल में बात करेंगे की आप Mahatma Gandhi par nibandh कैसे लिख सकते है। 

महात्मा गांधी जी का जन्म

यदि आप essay on mahatma gandhi in hindi लिख रहे हो, तो आपको सबसे पहले तो आपको उनके जन्म के बारे में पता होना चाहिए। 

क्यूंकि आप चाहे कितने ही शब्दों का निबंध लिख रहे हो, आप को सबसे पहले तो महात्मा गाँधी जी के जन्म के बारे में ही लिखना होगा। 

Mahatma Gandhi जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था, जहाँ इनका जन्म हुआ था उस जगह का नाम है पोरबंदर, यह गुजरात में स्थित है। 

आप कुछ इस तरिके से इनके जन्म के बारे में अपने निबंध में लिख सकते है, यदि आपको एक लम्बा निबंध लिखना है तो आप इसमें कुछ ओर बातें भी लिख सकते है,

जैसे की हर साल 2 अक्टूबर को इनके जन्मदिन के उपलक्ष में पुरे देश में गाँधी जयंती मनाई जाती है, जिस दिन पुरे देश में राष्टीय छुट्टी होती है। 

इसके आलावा आप इनके पुरे नाम को निबंध में लिख सकते है, इनका पूरा नाम मोहनदास कर्मचंद गाँधी था। 

महात्मा गांधी जी के माता पिता

mahatma gandhi father and mother

महात्मा गाँधी जी के जन्म को लिखने के बाद, आप उनके माता पिता के बारे में लिखे। 

आप कम शब्दों में ऐसे लिख सकते है की महात्मा गाँधी जी के पिता जी का नाम करमचंद गाँधी था और माता जी का नाम पुतलीबाई था। 

यदि आप एक कम शब्दों का निबंध लिख रहे है तो आप केवल उनके माता पिता का नाम लिख दे 

और यदि आप को अधिक शब्दों का निबंध लिखना है तो आप उनके माता पिता के बारे में भी थोड़ी जानकरी दे सकते है। 

जैसे की उनके पिता पोरबंदर में दीवान का कार्य किया करते थे और उनकी माता एक धार्मिक स्री थी, आप उनके बारे में ऐसे ही और जानकारी दे सकते है। 

इस से आपका निबंध काफी डिटेल्ड होगा और आप एक अच्छा और लम्बा निबंध लिख पाओगे। 

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi : बचपन

उनके जन्म और उनके माता पिता के बारे में लिखने के बाद आप उनके बचपन के बारे में लिख सकते हो। 

यदि आप कम शब्दों जैसे की 100 शब्दों का निबंध लिख रहे हो तो आप उनके बचपन के बारे में चाहे मत लिखिएगा। 

उसकी जगह आप उनके देश के प्रति जो योगदान है, उन पर अधिक ध्यान दीजियेगा। 

लेकिन यदि आप एक लम्बा निबंध लिख रहे है तो आप उनके बचपन के बारे में अवश्य लिखिए,

आप बताये की गाँधी जी बचपन में कैसे इंसान थे, उन्हें क्या करना पसंद था, यह आपके निबंध को बहुत ही अच्छा कर देगा। 

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi : जीवन

यह आपके निबंध essay on mahatma gandhi in hindi का सबसे महत्वपूर्ण भाग है, यहाँ आपको महात्मा गाँधी जी के पुरे जीवन के बारे में लिखना है। 

उनके परिवार में कौन कौन था, उन्होंने शिक्षा क्या प्राप्त की थी, वह अपने जीवन में किस से प्रेरणा लेते थे,

उन्होंने देश के लिए क्या क्या योगदान दिए, इत्यादि उनके जीवन के बारे में आप बहुत कुछ लिख सकते है। 

यह आपके निबंध का सबसे महत्वपूर्ण भाग है तो आप इसको बहुत ध्यान से लिखें। 

यदि आप एक लम्बा निबंध लिख रहे है तो आप को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी, आप उनके जीवन के बारे में बहुत डिटेल में जानकारी दे सकते हो। 

लेकिन यदि आप एक कम शब्दों का भी निबंध लिख रहे, तो भी आप पूरी कोशिश करें की आप उनके जीवन के बारे में जितनी बातें आपके निबंध में लिख सकते है,

उतनी बातें आप अपने निबंध में लिखे, बेशक आपको उन बातों को एक – एक लाइन में क्यों ना लिखना पड़े। 

एक अच्छा निबंध वही होता है जो की उसके टॉपिक के अनुसार अच्छी से अच्छी जानकरी प्रदान कर सके। 

तो जब आप महात्मा गाँधी जी के ऊपर निबंध लिख रहे है तो आप को यह पूरी कोशिश करनी चाहिए की उनके बारे में अधिक से अधिक जानकरी आप प्रदान कर सकें। 

इसलिए आप उनके जीवन के ऊपर विशेष ध्यान दे और अपने निबंध को शुरू से ही इस तरीके से लिखें की आप कम शब्दों में भी उनके जीवन के बारे में अधिक से अधिक बता सको। 

महात्मा गांधी जी की मृत्यु 

अब हम essay on Mahatma Gandhi in Hindi के आखिर में पहुँच चुके है, आप अपने निबंध के आखिर में उनकी मृत्यु कब हुई थी यह लिखे। 

महात्मा गाँधी जी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को हुई थी, जब नाथूराम गोडसे ने उनकी गोली मार कर हत्या कर दी थी। 

यदि आप कम शब्दों का निबंध लिख रहे हो तो आप के बार में ना लिखे। 

इसकी जगह आप उनके जीवन की कोई ऐसी बात लिखे जो की सबको प्रेरणा दे। 

इसके बाद आप अपने निबंध में निष्कर्ष डाल सकते हो, निष्कर्ष में आप यह लिख सकते है की उनके जीवन से हमें क्या क्या सीखने को मिलता है। 

हमें महात्मा गाँधी जी के जीवन से बहुत कुछ सीखने के मिलता है, वह एक ऐसे व्यक्ति थे, जिस से हर किसी को प्रेरणा लेनी चाहिए। 

100 Words Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

Mahatma Gandhi par nibandh कैसे लिखना है, यह आप अच्छे से जान पाओ इसलिए हम यहाँ महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में शेयर कर रहे है। 

हमें आशा है की आपको इस से निबंध लिखने में मदद मिलेगी, यदि आप 100 से अधिक शब्दों का निबंध लिखना चाहते है तो आप चिंता मत कीजिये,

नीचे हमनें इस से अधिक शब्दों के लेख भी शेयर किए है। 

महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर को गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था, उनकी माता का नाम पुतलीबाई था। गाँधी जी ने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए बहुत अधिक कार्य किए है। वह हिंसा के खिलाफ थे और लोगो को अहिंसा के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते थे, उन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए बहुत सारे आंदोलन किए थे। देश को आजादी दिलाने के लिए उनके किए गए कार्यो की वजह से उन्हें देश का राष्टपिता कहा जाता है। गांधी जी बहुत ही साधारण जीवन व्यतीत करना पसंद करते थे, वह जो धोती पहनते थे, उसके लिए सूत वह स्वंय चरखा चला कर कातते थे। 

300 Words Essay on Mahatma Gandhi in Hindi 

यह रहा 300 वर्ड्स का essay on mahatma gandhi in hindi, यदि आप महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में लिखना चाहते है तो आप कुछ इस प्रकार से लिख सकते है। 

अहिंसा के रास्ते पर चलने वाले महात्मा गाँधी जी आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन वह उनके विचारो के ज़रिये आज भी हमारे साथ है। महात्मा गाँधी जी एक ऐसी शख्शियत थे, जिनके जीवन से हर कोई प्रेरणा ले सकता है। उनके द्वारा किए गए अनगिनत प्रयत्नो का हमारी आजादी में एक अहम योगदान है। 

श्री महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर शहर में हुआ था। इनके पिता श्री करमचंद गाँधी जी पोरबंदर में ही एक दीवान का कार्य करते थे और उनकी माता जी पुतलीबाई एक धार्मिक महिला थी, उनकी माता जी सदैव प्रभु आस्था में लीं रहती थी, उनके माता जी के विचारो का गाँधी जी पर गहरा प्रभाव था। गाँधी जी का विवाह 13 वर्ष की छोटी उम्र में ही कस्तूरबा जी से करवा दिया गया था। 

महत्मा गाँधी जी का बचपन में पढाई में मन नहीं लगता था, कईं लोग उन्हें उस समय मंदबुद्धि भी कहा करते थे। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा पोरबंदर से पूरी की और बाद में उन्होंने राजकोट से हाई स्कूल पास किया। मैट्रिक की पढ़ाई के लिए इनके पिता जी ने इन्हे अहमदाबाद भेज दिया। महात्मा गाँधी जी ने अपनी वकालत की पढाई लन्दन से पूरी की। वह चाहते तो एक वकील के तौर पर एक सुकून का जीवन यापन कर सकते थे, लेकिन उन्होंने देश हित में अपना जीवन यापन करने की ठानी। 

शिक्षा के क्षेत्र में गाँधी जी का अहम योगदान है, वह शिक्षा को “द ब्यूटीफुल ट्री” कहा करते थे, वह यह चाहते थे की भारत का हर एक नागरिक गरीब हो या अमीर हर किसी को शिक्षा प्राप्त हो। उनका कहना था की 7 से 14 वर्ष की आयु के हर एक बच्चे को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए। गाँधी जी ने देश के लिए बहुत सारी चीज़े की, वह एक ऐसे समाज की स्थापना करना चाहते थे, जहाँ किसी का भी शोषण ना हो। 

500 Words Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

यह रहा 500 वर्ड्स का essay on mahatma gandhi in hindi, यदि आप महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में लिखना चाहते है तो आप कुछ इस प्रकार से लिख सकते है। 

जिन लोगों ने देश की आज़ादी की नींव रखी थी, उनमें से एक शख्श का नाम था महात्मा गाँधी जी। महात्मा गाँधी जी ने हमारे देश को आज़ादी दिलाने के लिए बहुत ही प्रयत्न किए। जहाँ एक तरफ पुरे देश में आज़ादी के लिए आग भड़क रही थी, वहीँ दूसरी तरफ गाँधी जी अहिंसा के मार्ग को अपना कर लोगो को सही रास्ता दिखा रहे थे। उन्होंने हमें सिखाया की हिंसा से ज्यादा ताक़तवर शांति का मार्ग होता है। 

गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में करमचंद गाँधी और पुतलीबाई के घर हुआ था। उनके पिता करमचंद गाँधी पोरबंदर में एक दीवान थे और उनकी माता पुतलीबाई एक धार्मिक औरत थी। उनकी माता जी हमेशा प्रभु की भक्ति करने में लीन रहती थी, उनकी माता के गुणों का गाँधी जी के ऊपर बहुत प्रभाव था। 

गाँधी जी का विवाह 13 साल की बहुत छोटी उम्र में ही हो कस्तूरबा जी से हुआ था, महत्मा गाँधी जी के 4 बेटे थे Harilal Gandhi, Manilal Gandhi, Ramdas Gandhi और Devdas Gandhi। कस्तूरबा गाँधी जी के पिता और महात्मा गाँधी जी के पिता दोनों आपस में काफी अच्छे दोस्त थे। कस्तूरबा जी महात्मा गाँधी जी के हर आंदोलन में उनका साथ देती थी। 

महात्मा गाँधी जी का बचपन में पढाई में मन नहीं लगता था। इन्होने अपनी शुरू की शिक्षा पोरबंदर से पूरी की और हाई स्कूल की परीक्षा राजकोट से पूरी की। फिर वह अपने वकालत की पढाई को पूरा करने के लिए इंग्लैंड चले गए। उन्होंने अपनी वकालत की पढाई 1891 में पूरी की, उसके बाद वह अपने किसी क़ानूनी केस की वजह से साउथ अफ्रीका चले गए। वहां उन्होंने रंग के ऊपर होते भेद भाव को देखा जो की उन्हें बहुत बुरा लगा, वहां से उन्होंने इसके खिलाफ आवाज़ उठानी शुरू कर दी। महात्मा गाँधी जी कहीं भी कुछ गलत होता हुआ नहीं देख पाते थे और हमेशा अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज़ को उठाते थे। 

साउथ अफ्रीका से भारत वापिस आने के बाद उन्होंने भारत से ब्रिटिश राज को हटाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए। वह एक ऐसे भारत को देखना चाहते थे, जहाँ पर हर एक नागरिक को समान अधिकार मिले, जहाँ कोई किसी के अधीन ना हो। अपने इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने कईं आंदोलन किए, अपने इन आंदोलन की वजह से उन्हें बहुत बार जेल भी जाना पड़ा। गाँधी जी ने बिहार के चम्पारण में किसानो के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को लेकर अपनी आवाज़ उठाई। गाँधी जी ने साउथ अफ्रीका में काले लोगों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ भी आंदोलन किए और वहां भी लोगो को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाया। 

गाँधी जी ने भारत देश को आज़ादी दिलाने के लिए 1920 में सविनय अवज्ञा आंदोलन, 1930 में असहोयग आंदोलन किया। उन्होंने ने अपने इन आंदोलनो की मदद से अंग्रेजो को ललकारा, जिस वजह से उन्हें बहुत बार जेल भी जाना पड़ा। उन्होंने देश के हित के लिए बहुत कार्य किए। 

30 जनवरी 1948, यह वह दुखद दिन था, जब यह महान शख्सियत हमें छोड़ कर चली गयी। नाथूराम गोडसे नाम के एक व्यक्ति ने इस दिन गोली मारकर इनकी हत्या कर दी थी। 

गांधी जी की विचारधारा

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi कैसे लिखे, यह जानने के बाद आपको गांधी जी की विचारधारा से भी परिचित होना चाहिए। ताकि आप महात्मा गांधी पर निबंध लिखते समय उनकी विचारधारा का भी प्रयोग कर सके। गांधी जी की विचारधारा विशेषतः नैतिकता, सामाजिक न्याय, आपसी सद्भावना, स्वच्छता, धर्मनिरपेक्षता और सर्वधर्म पर आधारित थी। उनकी विचारधारा न केवल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित करने में मदद की, बल्कि विश्वभर के लोगों के दिलों में एकता, शांति और न्याय के लिए उनकी प्रेरणा का स्रोत बनी। यहां हम गांधी जी की मुख्य विचारधारा को विस्तार से देखेंगे:-

सामाजिक न्याय और उदारता

गांधी जी ने सामाजिक न्याय और उदारता के महत्व को मान्यता दी। उनका मानना था कि समाज के सभी वर्गों के लोगों को जीवन में समानता और न्याय मिलना चाहिए। वह निष्ठा से लड़ने और जीने के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देते थे।

आपसी सद्भावना और एकता

गांधी जी ने आपसी सद्भावना और एकता को अपनी विचारधारा का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया। उन्हें धार्मिक, जातिगत और सामाजिक भेदभाव बिल्कुल पसंद नहीं था। वह सबको एक ही मानवीयता के दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा देते थे।

गांधी जी ने स्वच्छता को अपनी विचारधारा का महत्वपूर्ण तत्व माना। वह मानते थे कि स्वच्छता न केवल शरीरिक, बल्कि मनोवैज्ञानिक और मौलिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। स्वच्छता को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानकर वह दूसरों को भी इसके महत्व को समझाने का प्रयास करते थे।

धर्मनिरपेक्षता और सर्वधर्म समभाव

गांधी जी ने धर्मनिरपेक्षता को अपनी विचारधारा का मूल माना। उन्होंने सभी धर्मों का सम्मान किया और सभी मानवों को आपस में भाईचारे के साथ जीने का संदेश दिया। वे अलगाव के बजाय एकता की बात करते थे और लोगों को सभी धर्मों के प्रति समझदारी और समरसता की ओर प्रोत्साहित करते थे।

तो यह था आज का ब्लॉग essay on mahatma gandhi in hindi के बारे में। 

आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको बताया की कैसे आप महात्मा गाँधी जी पर निबंध लिख सकते है। 

वैसे तो हमनें आपको इस ब्लॉग  में 3 निबंध लिख कर भी दिए है, आप उन्हें भी अपने अनुसार प्रयोग कर सकते है। 

लेकिन हम तो आपको यही राय देंगे की आप इनसे केवल एक आईडिया ले और हमारे बताये तरीके से खुद एक निबंध लिखे। 

हमें उम्मीद है की आपको आज का यह ब्लॉग पसंद आया होगा, ऐसे ही और ब्लॉग्स पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट coursementor के साथ जुड़ें रहे। 

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महात्मा गांधी पर निबंध कैसे लिखे हिंदी में?

महात्मा गाँधी पर आप इस तरीके से  निबंध लिख सकते हो -:

1. इंट्रोडक्शन लिखिए। 

2. महात्मा गाँधी जी के जन्म के बारे में लिखें

3. उनकी शिक्षा के बारे में लिखें 

4. उनके जीवन के बारे में लिखें

5. देशहित में उनके योगदानों के बारे में लिखें

6. उनकी मृत्यु के बारे में लिखें

7. निष्कर्ष लिखें।

गाँधीजी की माता किसी के बीमार पड़ने पर उसकी क्या करती थीं?

गाँधी जी की माता किसी के बीमार पड़ने पर उनकी बहुत सेवा किया करती थी। वह एक बहुत ही धार्मिक औरत थी, वह अपना अधिकतर समय प्रभु भक्ति और अपने परिवार की सेवा में लगा देती थी। 

  • Tags essay on mahatma gandhi in hindi , mahatma gandhi nibandh

essay on mahatma gandhi in hindi in 500 words

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Mahatma gandhi essay in hindi महात्मा गाँधी पर निबंध हिंदी में.

Hello, guys today we are going to discuss Mahatma Gandhi essay in Hindi. Who was Mahatma Gandhi? We have written an essay on Mahatma Gandhi in Hindi. Now you can take an example to write Mahatma Gandhi essay in Hindi in a better way. Mahatma Gandhi Essay in Hindi is asked in most exams nowadays starting from 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Father of nation essay in Hindi or mahatma Gandhi Essay in Hindi. महात्मा गाँधी पर निबंध।

Hindiinhindi Mahatma Gandhi Essay in Hindi

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 300 Words

महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपने पूरे जीवन को भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में बिताया था। महात्मा गांधी जी को भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है और उनका जन्म 2 October 1869 में पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था। 2 अक्टूबर का दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।

वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के लिये प्रेरित किया और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए लोगो को प्रेरित किया। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यों के लिये याद करते है। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे और ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद (स्वतंत्र) कराना चाहते थे।

उन्होंने भारत में अपनी पढ़ाई पूरी की और कानून के अध्ययन के लिए इंग्लैंड चले गए। वहां से गाँधी जी एक वकील के रूप में भारत लौट आए और भारत में कानून का अभ्यास करना शुरू कर दिया। गाँधी जी भारत के लोगों को मदद करना करना चाहते थे, जो ब्रिटिश शासन द्वारा अपमानित और दुखी थे। भारत में ही गाँधी जी एक सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।

महात्मा गाँधी जी भारत स्वतंत्रता आंदोलन के महान नेता थे जो भारत की स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष करते थे। उन्होंने 1930 में नमक सत्याग्रह या दंडी मार्च का नेतृत्व किया। उन्होंने और भी कई आन्दोलन किये। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए बहुत से भारतीयों को प्रेरित किया था।

एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में, उन्हें कई बार जेल भेज दिया गया था लेकिन कई भारतीयों के साथ उनके बहत सारे संघर्षों के बाद उन्होंने भारतीयों के न्यायसंगतता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई जारी रखी, और अंत में महात्मा गाँधी और सभी स्वत्रंता सेनानियों की मदद से भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद (स्वतंत्र) हो गया। लेकिन 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हो गया। महात्मा गांधी की हत्या नथुराम गोडसे ने की थी। महात्मा गाँधी जी एक महान स्वत्रंता सेनानी थे। जिन्हें उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जायेगा।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 500 Words

2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी एक ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने भारत को आज़ाद कराने के साथ-साथ भारतीयों को अहिंसा के मार्ग पर चलना सिखाया। वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी भी थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत की स्वतंत्रता के लिए नोछावर कर दिया। महात्मा गांधी जी को भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है। 2 अक्टूबर का दिन भारत में गाँधी जयंती के रूप में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।

गांधीजी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा राजकोट में प्राप्त की, 13 वर्ष की अल्पआयु में ही इनका विवाह हो गया था। इनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था। मेट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद में वकालत की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए। वे तीन वर्ष तक इंग्लैंड में रहे। वकालत पास करने के बाद वे भारत वापस आ गए।

वहां से गाँधी जी एक वकील के रूप में भारत लौटे और भारत में कानून का अभ्यास करना शुरू कर दिया। गाँधी जी भारत के लोगों की मदद करना करना चाहते थे, जो ब्रिटिश शासन द्वारा अपमानित और दुखी थी। भारत में ही गाँधी जी एक सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।

वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के लिये और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए लोगो को प्रेरित किया। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतल्य कार्यों के लिये याद करते है। वे भारतीय संस्कति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे और ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद कराना चाहते थे।

महात्मा गाँधी जी भारत स्वतंत्रता आंदोलन के महान नेता थे जो भारत की स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष करते थे। 1921 में गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन चलाया। गांधीजी ने अछूतों के उद्धार लिए कार्य किया, स्त्री शिक्षा और राष्ट्र भाषा हिंदी का प्रचार किया, हरिजनों के उत्थान के लिए काम किया। गांधी जी धीरे-धीरे सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध हो गये।

अंग्रेजी सरकार ने आन्दोलन को दबाने का प्रयास किया। भारतवासियों पर तरह-तरह के अत्याचार किये। गांधी जी ने 1930 में भारत छोड़ों आन्दोलन चलाया। भारत के सभी नर नारी उनकी एक आवाज पर उनके साथ बलिदान देने के लिए तैयार थे। उन्होंने और भी कई आन्दोलन किये। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए बहुत से आरतीयों को प्रेरित किया था।

गांधीजी को अंग्रेजों ने बहुत बार जेल में बंद किया था। लेकिन कई भारतीयों के साथ उनके बहुत सारे संघर्षों के बाद उन्होंने भारतीयों के न्यायसंगतता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई जारी रखी, और अंत में महात्मा गाँधी और सभी स्वत्रंता सेनानियों की मदद से भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया। लेकिन 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हो गया। महात्मा गांधी की हत्या नथुराम गोडसे ने की थी। इससे सारा विश्व भावुक हो उठा।

महात्मा गाँधी जी एक महान स्वत्रंता सेनानी थे। जिन्हें उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 700 Words

जन्म और परिवार

गाँधी जी का पूरा नाम मोहन दास कर्म चन्द गाँधी था। इनका जन्म गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान पर 2 अक्तूबर 1869 ई. को हुआ। आपके पिता कर्मचन्द राजकोट राज्य के दीवान थे। माता पुतलीबाई धार्मिक स्वभाव वाली महिला थी। इनका विवाह कस्तूरबा गाँधी जी के साथ हुआ।

प्रारम्भिक शिक्षा और नकल का विरोध

इनकी शिक्षा पोरबन्दर में हुई। मैट्रिक तक की शिक्षा उन्होंने स्थानीय स्कूलों में ही प्राप्त की। वह पढ़ने-लिखने में भी औसत दर्जे के थे। वे सहपाठियों से बहुत कम बोलते थे।

जब मोहनदास नौवीं कक्षा में पढ़ते थे तब एक दिन शिक्षा विभाग के निरीक्षक स्कूल का निरीक्षण करने आए। उन्होंने कक्षा में छात्रों को अंग्रेजी के पाँच शब्द लिखवाए। मोहनदास ने ‘केटल’ (Kettle) शब्द की वर्तनी ग़लत लिखी। अध्यापक ने बूट की नोक मारकर इशारे से मोहनदास को अगले छात्र की नकल करने को कहा, लेकिन मोहनदास को यह बात अच्छी नहीं लगी। नकल करना और चोरी करना उनका नज़र में बुरी बात थी। इसलिए उन्होंने नकल नहीं की।

उन्हीं दिनों बालक मोहनदास ने सत्यवादी हरिश्चन्द्र नाटक देखा। नाटक का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा और जीवनभर सच्चाई के रस्ते पर ढृढ़ता से चले | बचपन में गाँधी जी के मन में एक ग़लत धारणा बैठ गई थी कि पढ़ाई में सुलेख की जरुरत नहीं है। युवावस्था में जब वे दुसरो की सुन्दर लिखाई देखते तो हैरान रह जाते। बार-बार प्रयत्न करने पर भी लिखाई सुन्दर न हो सकी। तब उन्हें यह बात समझ आई। ‘सन्दर लिखाई न होना अधूरी शिक्षा की निशानी है।’

मैट्रिक परीक्षा पास करने के पश्चात जब वे कानून की पढ़ाई करने इंग्लैंड गए तब इनकी माता ने इनसे तीन वचन लिए –

1. माँस न खाना 2. शराब न पीना 3. पराई स्त्री को बुरी नज़र से न देखना

तीनों वचनों को गाँधी जी ने पूरा जीवन निभाया। गाँधी जी वहाँ से एक अच्छे बैरिस्टर बनकर भारत लौटे। स्वदेश लौटने पर गाँधी जी ने मुम्बई और राजकोट में वकालत की।

सन् 1893 में वे एक मुकद्दमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए। वहाँ के गोरे शासकों द्वारा प्रवासी भारतीयों से कुलियों जैसा व्यवहार देखकर उनमें राष्ट्रीय भावना जागी।

1915 ई. में रौलेट एक्ट

आप भारत वापस लौटे तो काले कानून लागू थे। 1915 में रौलेट एक्ट का विरोध किया। सन् 1919 के जलियाँवाला काण्ड ने मानवता को झकझोर दिया। स्वदेश लौटने पर गाँधी जी ने अपने आपको देश सेवा के लिए सौंप दिया।

1920 ई. में असहयोग आन्दोलन

1920 ई. में असहयोग आन्दोलन का सूत्रपात करके भारत की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ा। कुछ ही दिनों में उनकी महानता की कीर्ति सारे देश में फैल गई। वे आज़ादी की आशा के केन्द्र बन गए।

1928 ई. में साइमन कमीशन वापिस जाओ

1928 ई. में साइमन कमीशन भारत आया तो गाँधी जी ने उसका पूर्ण रूप से बहिष्कार किया।

नमक सत्याग्रह आन्दोलन तथा डाँडी यात्रा

11 मार्च सन् 1930 में आपने नमक सत्याग्रह आन्दोलन तथा डाँडी यात्रा शुरू की। इन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए सत्य और अहिंसा को अपना अस्त्र बनाया। सन् 1942 में आपने “अंग्रेज़ो भारत छोड़ो आन्दोलन” चला कर एक सूत्र में पिरो दिया। इन्होंने कई बार जेल यात्राएँ की। उन्होंने अपने, देशवासियों और देश के सम्मान की रक्षा के लिए अत्याचारी को खुल कर चुनौती दी। उन्होंने देश को असहयोग का नया रास्ता दिखाया। आठ वर्ष तक रंग-भेद के विरोध में सत्याग्रह करते रहे। भारत की सोई हुई आत्मा को जगाया। इसलिए इन्हें ‘राष्ट्रपिता’ या ‘बापू’ कहा जाता है।

गाँधी जी की तीन शिक्षाएं

बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो एवं बुरा मत बोलो काफ़ी प्रचलित हैं। जिन्हें बापू के तीन बन्दर के नाम से भी जाना जाता है।

संसार से विदाई : अहिंसा के पुजारी बापू गाँधी को 30 जनवरी, 1948 को प्रातः की सभा में जाते हुए एक उन्मादी नौजवान नत्थूराम विनायक गोडसे ने गोली मारकर शहीद कर दिया। इनकी समाधि राजघाट दिल्ली में स्थित है।

प्रेरणा स्रोत

आपके व्यक्तित्व में मुसीबतों को सहना प्रायश्चित करना, अहिंसा के मार्ग पर चलना, आचरण का ध्यान रखना आदि गुणों का समावेश था। संसार के अनेक नेताओं ने इन्हीं से प्रेरणा ली। इन्हीं गुणों के कारण ही वे महान बने और आज भी अमर हैं।

हमें भी गाँधी जी के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए, उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए। भारत हमेशा उनके द्वारा स्वतन्त्रता-संग्राम में किये योगदान के लिए सदैव उनका ऋणी रहेगा।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 800 Words

महात्मा गाँधी को ”बापू” के नाम से भी जाना जाता है। बापू का अर्थ है “पिता”। वे सच्चे अर्थों में राष्ट्र के पिता थे। उनको ‘‘महात्मा” कहकर सर्वप्रथम गरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने पुकारा था। उन्होंने ही गाँधी जी को यह उपाधि उनके महान् गुणों और आदर्शों को ध्यान में रख कर प्रदान की थी। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर गाँधी जी का नाम सदैव अंकित रहेगा।‘बापू जी’ के नाम से विख्यात गाँधी जी एक युगपुरुष थे। वे हमारे देश के ही नहीं अपित विश्व के महान पुरूषों में से एक थे। राष्ट्र उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से संबोधित करता है।

महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। उनका जन्म 2 अक्तूबर 1869 ई० को पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता करमचंद गाँधी राजकोट के प्रसिद्ध दीवान थे। पढ़ाई में औसत रहने वाले गाँधी जी ने कानून की पढ़ाई ब्रिटेन में पूरी की। प्रारम्भ में मुम्बई में उन्होंने कानून की प्रैक्टिस की परन्तु वे इसमें सफल नहीं हो सके। कानून से ही सम्बन्धित एक कार्य के सिलसिले में उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहाँ पर उनका अनुभव बहुत कटु था क्योंकि वहां भारतीयों तथा अन्य स्थानीय निवासियों के साथ अंग्रेज बहुत दुर्व्यवहार करते थे। भारतीयों की दुर्दशा को वे सहन नहीं कर सके। दक्षिण अफ्रीका के वर्णभेद और अन्याय के प्रति उन्होंने संघर्ष प्रारम्भ किया। इस संघर्ष के दौरान 1914 ई० में उन्हें जेल भेज दिया गया। वे अपने प्रयासों में काफी हद तक सफल रहे। जेल से छूटने के पश्चात् उन्होंने निश्चय किया कि वे अन्याय के प्रति अपना संघर्ष जारी रखेंगे।

देश वापस लौटने के पश्चात् गाँधी जी स्वतन्त्रता की लड़ाई में कूद पड़े। उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने के पश्चात् अपनी लड़ाई तेज कर दी। गाँधी जी ने अंग्रेजी सरकार का बहिष्कार करने के लिए देश की जनता को प्रेरित किया परन्तु उन्होंने इसके लिए सत्य और अहिंसा का रास्ता अपनाने के लिए कहा। ऐतिहासिक डांडी यात्रा उन्हीं के द्वारा आयोजित की गई जिसमें उन्होंने अंग्रेजी सरकार के नमक कानून को तोड़ा। उन्होंने लोगों को अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए ‘असहयोग आंदोलन’ में भाग लेने हेतु प्रेरित किया जिसमें सभी विदेशी वस्तुओं एवं विदेशी शासन का बहिष्कार किया गया। 1942 ई. में उन्होंने ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ चलाया तथा अंग्रेजी सरकार को देश छोड़ने के लिए बाध्य कर दिया। उनके अथक प्रयासों व कुशल नेतृत्व के चलते अंग्रेजी सरकार को अंततः भारत छोड़ना पड़ा और हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी दासता से मुक्त हो गया।

स्वतन्त्रता के प्रयासों के अतिरिक्त गाँधी जी ने सामाजिक उत्थान के लिए भी बहुत प्रयास किए। अस्पृष्यता तथा वर्ण-भेद का उन्होंने सदैव विरोध किया। समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष को देखकर उनका मन बहुत दु:खी हुआ। अतः उन्होंने हिन्दुस्तान के विभाजन की स्वीकृति दे दी जिससे पाकिस्तान का उदय हुआ। 30 जनवरी 1948 ई. को नत्थू राम गौडसे नामक व्यक्ति द्वारा उनकी हत्या कर दी गई। इस प्रकार यह युगपुरुष चिरकाल के लिए मातृभूमि की गोद में सो गया।

गाँधी की अचानक मृत्यु व हत्या ने सारे देश के झकझोर दिया। सब जगह जैसे अंधकार व हाहाकार मच गया। यद्यपि गाँधी जी आज पार्थिव रूप में हमारे साथ नहीं है। परन्तु उनके महान् आदर्श हमें सदैव प्रेरित करते रहेंगे। वे सचमुच एक तपस्वी और निष्काम कर्मयोगी थे। आज भी भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व उनके शांति प्रयासों के लिए उन्हें सदैव याद करता है। प्रतिवर्ष 2 अक्तूबर के दिन हम गाँधी जयंती के रूप में पर्व मनाकर उनका स्मरण करते हैं तथा उनकी समाधि ‘राजघाट’ पर जाकर श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं।

हमें गर्व है कि महात्मा गाँधी एक भारतीय थे। उनका जीवन व आदर्श हमेशा हमें प्रेरणा देते रहेंगे। उनके बताये मार्ग पर चलकर ही भारत सच्चे अर्थों में महान् बन सकता है। उनका मृत्यु-दिवस 30 जनवरी प्रति वर्ष बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सारे देश में प्रार्थना सभाएं की जाती हैं और उनको बड़ी श्रद्धा से याद कर श्रद्धांजलि दी जाती है।

गाँधीजी एक युग पुरूष थे। ऐसे व्यक्ति कई सदियों में जन्म लेते हैं और मानवता को सही दिशा प्रदान करते हैं। उनकी याद में अनेक शहरों, सड़कों, राजमार्गों, विद्यालयों, संस्थानों आदि का नामकरण उनके नाम पर किया गया है। गाँधी जयंती भी सारे देश में बड़े समारोह पूर्वक मनाई जाती है। उस दिन सारे देश में सार्वजनिक अवकाश रहता है। दिल्ली में यमुना के तट पर गाँधीजी की समाधि है। जहां प्रतिदिन हजारों लोग दर्शन करने आते हैं और गाँधीजी के जीवन से प्रेरणा और शिक्षा प्राप्त करते हैं। गाँधीजी की समाधि सचमुच एक राष्ट्रीय स्मारक है।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 1300 Words

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल ।। साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल ॥

भूमिका –

किसी राष्ट्र की संस्कृति और इतिहास का गौरव वे महान् व्यक्तित्व होते हैं जो अखिल विश्व को अपने सिद्धान्त और विचारधारा से सुख और शान्ति, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाते हैं। ऐसे व्यक्तित्व केवल अपने जीवन के लिए ही नहीं जीते हैं; | अपितु वे अखिल मानवता के लिए जीते हैं। उनके जीवन का आदर्श होता हैं –

वृक्ष कबहुँ फल नाहिं भर्ख, नदी न संचै नीर। परमारथ के कारने, साधुन धरा शरीर॥

भारतीय ऐसे महामानव को अवतार कहने लगते हैं। पश्चिमी देशों में पैदा हुए ईसा, सुकरात, अब्राहम लिंकन ऐसे ही युगानुरूप महापुरुष थे। भारत में इस तरह के महान् पुरुषों ने अधिक जन्म लिया। राम, कृष्ण, गुरु नानक, स्वामी दयानन्द आदि महापुरुषों की गणना ऐसे ही महामानवों में की जा सकती है। ईसा धार्मिक थे पर राजनीतिक नहीं। अब्राहिम लिंकन राजनीतिक थे पर धार्मिक नहीं, पर महात्मा गांधी ऐसे महात्मा थे जो धार्मिक भी थे और राजनीतिक भी। शरीर से दुर्बल पर मन से सबल, कमर पर लंगोटी और ऊपर एक चादर ओढ़े हुए इस महामानव के चरणों की धूल को माथे पर लगाने में धनिक तथा राजा और महाराजा भी अपना सौभाग्य समझते थे। मुट्ठी भर हड्डियों के इस ढांचे में विशाल बुद्धि का सागर समाया हुआ था। तभी तो प्रसिद्ध विद्वान् आईंस्टीन ने कहा था, “आने वाली पीढ़ियों को विश्वास नहीं होगा कि एक हाड़-मांस के पुतले ने बिना एक बूंद खून गिराए अहिंसा और सत्य का सहारा लेकर ब्रिटिश साम्राज्य की जड़े हिला दीं और उन्हें भारत से जाने के लिए विवश कर दिया।”

जीवन परिचय –

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्तूबर सन् 1969 ई. में काठियावाड़ की राजकोट रियासत में पोरबन्दर में हुआ। पिता कर्मचन्द राजकोट रियासत के दीवान थे तथा माता पुतलीबाई धार्मिक प्रवृत्ति की सती-साध्वी घरेलु महिला थी जिनकी शिक्षाओं का प्रभाव बापू पर आजीवन रहा। आरम्भिक शिक्षा राजकोट में हुई। गांधी साधारण मेधा के बालक थे। विद्यार्थी जीवन की कुछ घटनाएँ प्रसिद्ध हैं—जिनमें अध्यापक के कहने पर भी नकल न करना, पिता की सेवा के प्रति मन में गहरी भावना का जन्म लेना, हरिश्चन्द्र आर श्रवण नाटकों की गहरी छाप, बरे मित्र की संगति में आने पर पिता के सामने अपने दोषो को स्वीकार करना। वास्तव में ये घटनाएँ बापू के भव्य जीवन की गहरी आधार शिलाएँ थी।

तेरह वर्ष की छोटी आयु में ही इनका विवाह कस्तूबरा के साथ हो गया था। मीट्रिक की शिक्षा के पश्चात् बैरिस्टरी पास करने के लिए विलायत गए। विलायत-प्रस्थान से पूर्व माँ ने अपने पुत्र से प्रतिज्ञा करवाई थी कि शराब, माँस तथा पर स्त्री से अपने को सदैव दूर रखेंगे और माँ के आज्ञाकारी पुत्र ने इन्हीं बुराइयों की अन्धी और गन्दी गलियों से अपने आप को बचा कर रखा।

सन् 1891 में बैरिस्टरी पास करके ये भारत लौटे तथा बम्बई में वकालत आरम्भ कर दी। लेकिन वकालत के भी अपने मूल्य थे – झूठे मुकद्दमें न लेना तथा गरीबों के लिए मुफ्त लड़ना। सन् 1893 में एक मुकद्दमें की पैरवी के लिए गांधी दक्षिणी अफ्रीका गए। मुकद्दमा तो आपने जीत लिया पर दक्षिणी अफ्रीका में गोरे-काले के भेदभाव को देखकर और भारतीयों पर होने वाले अत्याचारों से आपका मन बहुत खिन्न हुआ। आपने वहां सत्याग्रह चलाया और नटाल कांग्रेस पार्टी की स्थापना की। दक्षिणी अफ्रीका में गोरों ने उन्हें यातनाएं दीं। गांधी जी को मारा, उन पर पत्थर फेंके, उनकी पगड़ी उछाली, पर गांधी अपने इरादे से टस से मस न हुए। आखिर जब भारत लौटे तो गोरे-काले का भेद-भाव मिटा कर विजय वैजयन्ती फहराते हुए।

भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में –

भारत में स्वतन्त्रता आन्दोलन की भूमिका बन रही थी। लोकमान्य तिलक का यह उद्घोष जन-मन के मन में बस गया था कि “स्वतन्त्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।” महात्मा गांधी ने भी इसी भूमिका में काम करना आरम्भ कर दिया। यह बात अलग है कि उनके दृष्टिकोण और तिलक के दृष्टिकोण में अन्तर था, पर लक्ष्य एक था। दोनों एक पथ के पथिक थे। फलत: सत्य और अहिंसा के बल पर महात्मा गांधी ने संवैधानिक रूप से अंग्रेज़ों से स्वतन्त्रता की मांग की। इधर विश्वव्यापी प्रथम युद्ध छिड़ा। अंग्रेज़ों ने स्वतन्त्रता देने की प्रतिज्ञा की और कहा कि युद्ध के पश्चात् हम स्वतन्त्रता दे देंगे। श्री तिलक आदि पुरुषों की इच्छा न रहते हुए भी महात्मा गांधी ने उस युद्ध में अंग्रेज़ों की सहायता की। युद्ध समाप्त हो गया, अंग्रेज़ वचन भूल गए। जब उन्हें याद दिलाया गया तब वे इन्कार कर गए। आन्दोलन चला, आज़ादी के बदले भारतीयों को मिला ‘रोलट एक्ट’ और ‘जलियांवाल बाग का गोली कांड’। सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन आरम्भ हुआ।

विद्यार्थी और अध्यापक उस आन्दोलन में डटे, पर चौरा-चौरी के कांड़ से गांधी जी ने आन्दोलन वापस ले लिया। फिर नमक सत्याग्रह चला। ऐसे ही गांधी जी के जीवन में अनेक सत्याग्रह और उपवास चलते रहे। 1939 ई. में फिर युद्ध छिड़ा। भारत के न चाहते हुए इंग्लैंड ने भारत का नाम युद्ध में दिया। महात्मा गांधी बहुत छटपटाए। 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया। सभी प्रमुख राजनीतिक नेता जेलों में बन्द कर दिए गए। युद्ध की समाप्ति पर शिमला कान्फ्रेंस हुई पर यह कान्फ्रेंस बहुत सफल न हुई। फिर 1946 ई. में अन्तरिम सरकार बनी पर वह भी सफल न हुई।

असाम्प्रदायिक –

असल में महात्मा गांधी शुद्ध हृदय में असाम्प्रदायिक थे। उनके कार्य में रोड़ा अटकाने वाला था कट्टर साम्प्रदायिक मुस्लिम लीग का नेता कायदे आज़म जिननाह। गाँधी जी ने उसे अपने साथ मिलाने का भरसक प्रयत्न किया पर वही ढाक के तीन पात। अंग्रेज़ो के उकसाने के कारण जिन्ना टस से मस नहीं हुए। इधर भारत में साम्प्रदायिकता की होली खेली जाने लगी। हिन्दू और मुसलमान एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए। पंजाब और बंगाल में अमानुषिकता चरम सीमा तक पहुंच गई। इधर अंग्रेज़ भारत छोड़ने को तैयार नेहरू, पटेल आदि के आग्रह से, न चाहते हुए भी गांधी जी ने भारत विभाजन स्वीकार कर लिया और 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेज़ों ने भारत छोड़ा अखण्ड नहीं, खण्डित करके। उसके दो टुकड़े कर दिए – भारत और पाकिस्तान। साम्प्रदायिकता की ज्वाला तब भी न बुझी। खून की होली तब भी बन्द न हुई। महात्मा गाँधी सब प्रान्तों में घूमे। इस साम्प्रदायिक ज्वाला को शान्त करते हुए देहली पहुँचे।

30 जनवरी, 1948 को जब गांधी जी बिरला मन्दिर से प्रार्थना सभा की ओर बढ़ रहे थे तो एक पागल नवयुवक ने उन्हें तीन गोलियों से छलनी कर दिया, बापू ‘राम-राम’ कहते हुए स्वर्ग सिधार गिए। अहिंसा का पुजारी आखिर हिंसा की बलि चढ़ा। सुधारक ऐसे ही मरा करते हैं। ईसा, सुकरात, अब्राहिम लिंकन ने भी ऐसे ही मृत्यु को गले लगाया था। नेहरू के शब्दों में बापू मरे नहीं, वह जो प्रकाश मानव के हृदय में रख गए, वह सदा जलता रहेगा, इसलिए वह सदा अमर हैं।

महात्मा गांधी का दर्शन और जीवन व्यावहारिक था। उन्होंने सत्ता और अहिंसा का मार्ग अश्व के सामने रखा वह उनके अनुभव और प्रयोग पर आधारित था। उनका चिंतन अखिल मानवता के मंगल और कल्याण पर आधारित था। वे एक ऐसे समाज की स्थापना करना शहते थे जो भेद-रहित समाज हो तथा जिसमें गुण और कर्म के आधार पर ही व्यक्ति को श्रेष्ठ माना जाए। भौतिक प्रगति के साथ-साथ बापू आध्यात्मिक पवित्रता पर भी बल देते रहे। यही कारण था कि वे ईश्वर के नाम के स्मरण को कभी नहीं भुलाते। उनका प्रिय भजन था –

“रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम” और “वैष्णव जन तो तेने रे कहिए। जिन पीर पराई जाणे रे॥”

आज समस्त विश्व में उनके चिंतन और दर्शन पर शोध-कार्य किया जाता है तथा उनके आदर्श और सिद्धान्त को विश्व-कल्याण के लिए अनिवार्य समझा जाता है। महात्मा गांधी विचारक तथा समाज सुधारक थे। उपदेश देने की अपेक्षा वे स्वयं उस मार्ग पर चलने पर विश्वास रखते थे। ईश्वर के प्रति उनकी अटूट आस्था थी और बिना प्रार्थना किए वे रात्रि सोते नहीं थे। उनका जीवन और दर्शन आज भी विश्व का मार्ग-दर्शन करता है।

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essay on mahatma gandhi in hindi in 500 words

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Essay on Mahatma Gandhi – Contributions and Legacy of Mahatma Gandhi

500+ words essay on mahatma gandhi.

Essay on Mahatma Gandhi – Mahatma Gandhi was a great patriotic Indian, if not the greatest. He was a man of an unbelievably great personality. He certainly does not need anyone like me praising him. Furthermore, his efforts for Indian independence are unparalleled. Most noteworthy, there would have been a significant delay in independence without him. Consequently, the British because of his pressure left India in 1947. In this essay on Mahatma Gandhi, we will see his contribution and legacy.

Essay on Mahatma Gandhi

Contributions of Mahatma Gandhi

First of all, Mahatma Gandhi was a notable public figure. His role in social and political reform was instrumental. Above all, he rid the society of these social evils. Hence, many oppressed people felt great relief because of his efforts. Gandhi became a famous international figure because of these efforts. Furthermore, he became the topic of discussion in many international media outlets.

Mahatma Gandhi made significant contributions to environmental sustainability. Most noteworthy, he said that each person should consume according to his needs. The main question that he raised was “How much should a person consume?”. Gandhi certainly put forward this question.

Furthermore, this model of sustainability by Gandhi holds huge relevance in current India. This is because currently, India has a very high population . There has been the promotion of renewable energy and small-scale irrigation systems. This was due to Gandhiji’s campaigns against excessive industrial development.

Mahatma Gandhi’s philosophy of non-violence is probably his most important contribution. This philosophy of non-violence is known as Ahimsa. Most noteworthy, Gandhiji’s aim was to seek independence without violence. He decided to quit the Non-cooperation movement after the Chauri-Chaura incident . This was due to the violence at the Chauri Chaura incident. Consequently, many became upset at this decision. However, Gandhi was relentless in his philosophy of Ahimsa.

Secularism is yet another contribution of Gandhi. His belief was that no religion should have a monopoly on the truth. Mahatma Gandhi certainly encouraged friendship between different religions.

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Legacy of Mahatma Gandhi

Mahatma Gandhi has influenced many international leaders around the world. His struggle certainly became an inspiration for leaders. Such leaders are Martin Luther King Jr., James Beve, and James Lawson. Furthermore, Gandhi influenced Nelson Mandela for his freedom struggle. Also, Lanza del Vasto came to India to live with Gandhi.

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The awards given to Mahatma Gandhi are too many to discuss. Probably only a few nations remain which have not awarded Mahatma Gandhi.

In conclusion, Mahatma Gandhi was one of the greatest political icons ever. Most noteworthy, Indians revere by describing him as the “father of the nation”. His name will certainly remain immortal for all generations.

Essay Topics on Famous Leaders

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FAQs on Mahatma Gandhi

Q.1 Why Mahatma Gandhi decided to stop Non-cooperation movement?

A.1 Mahatma Gandhi decided to stop the Non-cooperation movement. This was due to the infamous Chauri-Chaura incident. There was significant violence at this incident. Furthermore, Gandhiji was strictly against any kind of violence.

Q.2 Name any two leaders influenced by Mahatma Gandhi?

A.2 Two leaders influenced by Mahatma Gandhi are Martin Luther King Jr and Nelson Mandela.

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Essay on Mahatma Gandhi [100, 150, 200, 300, 500 Words]

Essay on Mahatma Gandhi in English: In this article, you are going to read short and long essays on Mahatma Gandhi in English (100, 150, 200-250, 300, and 500 words). This article will be also helpful for you If you are looking for a speech on Mahatma Gandhi or Paragraph on Mahatma Gandhi in English. We’ve written this article for students of all classes (nursery to class 12). So, let’s get started.

Table of Contents

Short Essay on Mahatma Gandhi 100 Words

Mahatma Gandhi was one of the greatest leaders of our country. He was born in Porbandar, India, on October 2, 1869. His father Karamchand Gandhi was the Dewan and his mother Putlibai was a pious lady. Gandhiji went to England to become a barrister. In 1893 he went to South Africa and worked for the rights of our people.

He returned to India in 1915 and joined the freedom struggle. He started many political movements like Non-cooperation movement, Salt Satyagraha, Quit India Movement to fight against the British. Gandhiji worked for the ending of the caste system and the establishment of Hindu-Muslim unity. He was killed by Nathuram Godse On January 30, 1948.

Essay on Mahatma Gandhi in English

Mahatma Gandhi Essay in English 150 Words

Mahatma Gandhi was a great leader. His full name was Mohandas and Gandhi. He was born on October 2, 1869 at Porbandar. His father was a Diwan. He was an average student. He went to England and returned as a barrister.

In South Africa, Gandhiji saw the bad condition of the Indians. There he raised his voice against it and organised a movement.

In India, he started the non-cooperation and Satyagraha movements to fight against the British Government. He went to jail many times. He wanted Hindu-Muslim unity. In 1947, he got freedom for us.

Gandhiji was a great social reformer. He worked for Dalits and lower-class people. He lived a very simple life. He wanted peace. He believed in Ahimsa.

On January 30, 1948, he was shot dead. We call him ‘Bapu’ out of love and respect. He is the Father of the Nation.

Mahatma Gandhi Essay in English

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Essay on Mahatma Gandhi 200-250 Words

Mohandas Karamchand Gandhi, popularly known as Mahatma Gandhi was an Indian lawyer, freedom activist, and politician. Gandhiji was born on October 2, 1869 at Porbandar, Gujarat. His father Karamchand Gandhi was the Chief Minister (diwan) of Porbandar state. His mother Putlibai was a religious woman.

He went to England to study law at the age of 18 years. After his return to India, he started a practice as a lawyer in the Bombay High Court. He went to South Africa and started practicing law. There he protested against the injustice and harsh treatment of the white people towards the native Africans and Indians.

He returned to India in 1915 and started to take interest in politics. Mahatma Gandhi used the ideals of truth and non-violence as weapons to fight against British colonial rule. He worked for the upliftment of Harijans. He fought against untouchability and worked for Hindu-Muslim unity.

Through his freedom movements like Non-cooperation movement, Khilafat movement, and civil disobedience movement he fought for freedom against the British imperialists. 1942, he launched the Quit India movement to end the British rule. At last, India got freedom in 1947 at his initiative.

People affectionately call him ‘Bapu’ and the ‘Father of the Nation’. He was shot dead in 1948 by the Hindu fanatic Nathuram Godse.  Gandhiji’s life is a true inspiration for all of us.

Essay on Mahatma Gandhi

Mahatma Gandhi Essay in English 300 Words

Mahatma Gandhi was born at Porbandar in Gujarat on 2nd October, 1869. His father was the Diwan of the State. His name was Karam Chand Gandhi. Mahatma Gandhi’s full name was Mohan Das Karamchand Gandhi. His mother’s name was Putali Bai. Mahatma Gandhi went to school first at Porbandar then at Rajkot. Even as a child, Mahatma never told a lie. He passed his Matric examination at the age of 18.

Mohan Das was married to Kasturba at the age of thirteen. Mahatma Gandhi was sent to England to study law and became a Barrister. He lived a very simple life even in England. After getting his law degree, he returned to India.

Mr. Gandhi started his law practice. He went to South Africa in the course of a law suit. He saw the condition of the Indians living there. They were treated very badly by the white men. They were not allowed to travel in 1st class on the trains, also not allowed to enter certain localities, clubs, and so on. Once when Gandhiji was travelling in the 1st class compartment of the train, he was beaten and thrown out of the train. Then Mahatma decided to unite all Indians and started the Non-violence and Satyagrah Movement. In no time, the Movement picked up.

Mahatma Gandhi returned to India and joined Indian National Congress. He started the Non-violence, Non-cooperation Movements here also. He travelled all over India, especially the rural India to see the conditions of the poor.

Mahatma Gandhi started Satyagrah Movement to oppose the Rowlatt Act and there was the shoot-out at Jalian-Wala-Bagh. The Act was drawn after many people were killed. He then started the Salt Satyagraha and Quit India Movements. And finally, Gandhiji won freedom for us. India became free on 15th August, 1947. He is called as “Father of the Nation”. Unfortunately, Gandhiji was shot on 30 January 1948 by a Hindu extremist Nathuram Godse.

Also Read: Gandhi Jayanti Speech 10 Lines

Mahatma Gandhi Essay in English 500 Words

Introduction:.

Mohandas Karamchand Gandhi, popularly known as Mahatma Gandhi was a politician, social activist, writer, and leader of the Indian national movement. He is a figure known all over the world. His name is a household word in India, rather, in all the world round. His creed of non-violence has placed him on the same par with Buddha, Sri Chaitanya, and Jesus Christ.

Family & Education:

Mahatma Gandhi was born in the small town of Porbandar in the Kathiwad state on October 2, 1869. His father Karamchand Gandhi was the prime minister of Rajkot State and his mother Putlibai was a pious lady. Her influence shaped the future life of Mahatma Gandhi.

He was sent to school at a very early age, but he was not a very bright student. After his Matriculation Examination, he went to England to study law and returned home as a barrister. He began to practice law in Bombay but he was not very successful.

Life in South Africa:

In 1893 Gandhiji went to South Africa in connection with a case. He found his own countrymen treated with contempt by the whites. Gandhiji started satyagraha against this color hated. It was a non-violent protest, yet hundreds were beaten up and thousands were sent to jail. But Gandhiji did not buzz an inch from his faith in truth and non-violence and at last, he succeeded in his mission. He was awarded the title of Mahatma.

Fight for India’s Independence:

In 1915 Gandhiji came back to India after twenty long years in South Africa. He joined the Indian National congress and championed the cause of India’s freedom movement. He asked people to unite for the cause of freedom. He used the weapons of truth and non-violence to fight against the mighty British.

The horrible massacre at Jalianwalabag in Punjab touched him and he resolved to face the brute force of the British Government with moral force. In 1920 he launched the Non-cooperation movement to oppose British rule in India.

He led the famous Dandi March on 12th March 1930. This march was meant to break the salt law. And as a result of this, the British rule in India had already started shaking and he had to go to London for a Round Table Conference in 1931. But this Conference proved abortive and the country was about to give a death blow to the foreign rule.

In 1942 Gandhiji launched his final bout for freedom. He started the ‘Quit India’ movement. At last, the British Government had to quit India in 1947, and India was declared a free country on August 15, 1947.

Social Works:

Mahatma Gandhi was a social activist who fought against the evils of society. He found the Satyagraha Ashram on the banks of the Sabarmati river in Gujarat. He preached against untouchability and worked for Hindu-Muslim unity. He fought tirelessly for the rights of Harijans.

Conclusion:

Mahatma Gandhi, the father of the nation was a generous, god-loving, and peace-loving person. But unfortunately, he was assassinated by Nathuram Godse on 30th January 1948 at the age of 78. To commemorate Gandhiji’s birth anniversary Gandhi Jayanti is celebrated every year on October 2. Gandhiji’s teachings and ideologies will continue to enlighten and encourage us in the future.

Read More: 1. Essay on Swami Vivekananda 2. Essay on Subhash Chandra Bose 3. Essay on Mother Teresa 4. Essay on APJ Abdul Kalam 5. Essay on Sarvepalli Radhakrishnan

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Essay on Mahatma Gandhi in 250 words

Mahatma Gandhi, born on October 2, 1869, in Porbandar, Gujarat, India, was a preeminent leader of the Indian independence movement against British colonial rule. Known for his philosophy of nonviolent resistance, Gandhi became a symbol of peace, truth, and justice.

Gandhi’s early life was marked by his experiences in South Africa, where he developed his principles of Satyagraha (truth force) and Ahimsa (nonviolence) while fighting against racial discrimination. Upon returning to India in 1915, Gandhi emerged as a prominent leader in the struggle for independence.

Gandhi’s approach to activism was rooted in nonviolent protest and civil disobedience. He led numerous campaigns and movements, including the Salt March in 1930, where he and his followers marched to the Arabian Sea to protest the British salt monopoly. Through his leadership and principles, Gandhi inspired millions of Indians to join the freedom struggle.

Despite facing imprisonment and persecution, Gandhi remained steadfast in his commitment to nonviolence and truth. He advocated for the rights of the oppressed, including the untouchables or Dalits, and promoted communal harmony and religious tolerance.

Gandhi’s efforts culminated in India’s independence from British rule on August 15, 1947. However, his vision of a united, secular, and peaceful India was marred by the partition of the country into India and Pakistan, leading to widespread violence and displacement.

Even after independence, Gandhi continued to advocate for social justice and equality. However, his life was tragically cut short when he was assassinated by a Hindu extremist on January 30, 1948.

Mahatma Gandhi’s legacy remains a source of inspiration for people around the world. His principles of nonviolence, truth, and compassion continue to guide movements for peace, justice, and human rights globally. Gandhi’s life and teachings remind us of the power of love, tolerance, and the pursuit of truth in the face of adversity.

Essay on Mahatma Gandhi in 500 Words (English)

Mahatma Gandhi, popularly known as Father of Nation, plays a vital role in the Independence struggle of India. His full name was Mohandas Karamchand Gandhi. With his dedication and determination, he successfully led many freedom movements in India. He is majorly known for his “Dandi March”, also called as Salt Satyagraha, held from March 12, 1930 to April 6, 1930. It was a 24-days march starting from Sabarmati Ashram to Dandi.  In the era of violence, he supported the non-violence freedom movements. He was a great patriotic leader with an unbelievably attractive personality. His contributions in India’s independence is unforgettable.

Background of Mahatma Gandhi

Mohandas Karamchand Gandhi was born on October 2, 1869 in a Gujarati family. His birthplace is Porbandar (also known as Sudamapuri). He is the fourth and youngest son of Karamchand Gandhi and Putlibai. He has 2 elder brothers and 1 sister. At the age of 13 years, Mohandas Gandhi was married to a 14-year-old girl, Kasturbai Makhanji Kapadia. Mohandas and Kasturba  had four sons: Harilal, Manilal, Ramdas, and Devdas.

Mahatma Gandhi Education

Mahatma Gandhi studied law from London and returned to India in June 1891. After his inability  to cross-examine witnesses, he moved to South Africa to be a lawyer. During his 21 years of stay in South Africa, he developed political views.

Achievements of Mahatma Gandhi

Mahatma Gandhi received innumerable awards and recognition. However, people know only a few. Some of the main achievements are mentioned here.

  • Because of his continuous struggle, he successfully contributed in eliminating the British rule from India in 1947. 
  • Gandhi received the Queen’s South Africa Medal along with thirty-seven other Indians. 
  • Teachings of Mahatma Gandhi were appreciated and followed by many popular leaders including Martin Luther King Jr and Nelson Mandela.
  • Honoring Mahatma Gandhi, UN celebrates October 2 as “the International Day of Nonviolence.” Also, many countries observe January 30 as the School Day of Nonviolence and Peace.

Mahatma Gandhi Death

Mahatma Gandhi was assassinated on January 30, 1948 by Nathuram Godse. 

Conclusion – Mahatma Gandhi is remembered as the Father of Nation because of his unforgettable contribution in the freedom of India. He has devoted his entire life to the nation.

Short Essay on Mahatma Gandhi

Mahatma Gandhi, also known as the Father of the Nation in India, was a prominent leader of the Indian independence movement against British rule. Born on October 2, 1869, in Porbandar, Gujarat, Gandhi led India to independence through his philosophy of nonviolent resistance, Satyagraha.

Gandhi’s life was characterized by simplicity, humility, and a steadfast commitment to truth and nonviolence. He advocated for social justice, equality, and the rights of marginalized communities, including the untouchables or Dalits.

Through his principles of ahimsa (nonviolence) and civil disobedience, Gandhi inspired millions of people to join the freedom struggle. His leadership and teachings galvanized the nation and eventually led to India’s independence from British colonial rule on August 15, 1947.

Gandhi’s legacy extends far beyond India’s independence. His philosophy of nonviolence and Satyagraha influenced many other civil rights movements around the world, including the American civil rights movement led by Martin Luther King Jr.

Despite facing numerous challenges and enduring hardships, Gandhi remained committed to his principles and never wavered in his pursuit of truth and justice. His life and teachings continue to inspire generations of people to strive for peace, equality, and social harmony.

Mahatma Gandhi’s contributions to the world will always be remembered, cherished, and celebrated as a beacon of hope and inspiration for humanity. His message of love, compassion, and nonviolence remains as relevant today as it was during his lifetime.

10 Lines on Mahatma Gandhi

  • Mahatma Gandhi is known as “Father of Nation”, commonly called as Bapu.
  • He was born on October 2, 1869 in Porbandar, Gujarat.
  • His full name was Mohandas Karamchand Gandhi.
  • Mohandas was married to Kasturbai Makhanji Kapadia, commonly known as Kasturba Gandhi.
  • His birthday is celebrated as Gandhi Jayanti in India and International Day of Nonviolence worldwide.
  • Mahatma was a law graduate and worked as Civil rights activist in South Africa (1893–1914)
  • He wrote several books including his autobiography, The Story of My Experiments with Truth, Satyagraha in South Africa.
  • Mahatma Gandhi was an integral part of India’s independence. He followed the path of non-violence to eliminate the rule of Britishers in India.
  • He initiated several movements that lead to including Champaran agitation in Bihar (1917), Kheda Satyagraha (1918), Khilafat movement (1919), Salt Satyagraha or Dandi March (1930).
  • In 1930, Time magazine named Gandhi the Man of the Year.
  • Nathuram Godse assassinated Mahatma Gandhi on January 30, 1948.

Essay on Mahatma Gandhi- Tips to Write Essay

  • Students should write an essay in points so that teacher can easily read the essay to give good marks. 
  • It is suggested to not repeat the information. 
  • Carefully read the complete essay about Mahatama Gandhi after completing. This will help in eliminating some unintentional errors.

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