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' मशीनी युग ने कितने हाथ काट दिए हैं। '- इस पंक्ति में लेखक ने किस व्यथा की ओर संकेत किया है ?

लेखक ने उन कारीगरों की तरफ़ संकेत किया है जो हाथ से बनी वस्तुओं से अपना जीवनयापन करते हैं। आज के मशीनी युग ने उन कारीगरों के हाथ काटकर मानों उनकी रोटी ही छीन ली है। उन कारीगरों का रोजगार इन पैतृक काम धन्धों से ही चलता था। उसके अलावा उन्होंने कभी कुछ नहीं सीखा था। वे पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी इस कला को बढ़ाते चले आ रहे हैं और साथ में रोज़ी रोटी भी चला रहें हैं। परन्तु मशीनी युग ने जहाँ उनकी रोज़ी रोटी पर वार किया है , वही दूसरी ओर इन बेशकीमती कलाओं का अंत भी किया है। ऐसी अनगिनत कलाएँ हैं जो लुप्त अवस्था में हैं और इनको करने वाले कारीगर इस युग के अंधकार में खो रहे हैं। यही वो व्यथा है जो लेखक व्यक्त करना चाहता है। ऐसे कारीगर कला होने पर भी बेकार हो गए और उनकी रोज़ी रोटी भी खत्म हो गई।.

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मशीनी युग में अनेक परिवर्तन आए दिन होते रहते हैं। आप अपने आस - पास से इस प्रकार के किसी परिवर्तन का उदाहरण चुनिए और उसके बारे में लिखो।

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महंगाई पर निबंध

Mehangai Essay in Hindi: कुछ परेशानियां आजीवन मनुष्य के साथ चलती रहती है। गरीब और मध्यम के परिवार के लिए इन परेशानियों का नाम महंगाई होता हैं।

Mehangai-Par-Nibandh

हम यहां पर महंगाई पर निबंध (Mehangai Par Nibandh) शेयर कर रहे है। इस निबंध में महंगाई के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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महंगाई पर निबंध | Mehangai Essay in Hindi

बढ़ती महंगाई पर निबंध 100 शब्दों में (mahangai per nibandh).

वस्तुओं की कीमतें दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। महंगाई की मार लोगों को खा रही है। गरीब लोगों के लिए इनकम कम है और महंगाई ज्यादा होने की वजह से व्यक्ति अपने घर में जरूरत के सामान भी खरीदने में असमर्थ है।

महंगाई की मार किसान और निम्न स्तर के लोगों पर बहुत ज्यादा असर कर रही है। किसान लोगों की जिंदगी इस महंगाई ने नरक बना दी है। महंगाई की वजह से मनुष्य अपने आप को असहाय महसूस करने लग चुका है।

सरकार को महंगाई दूर करने के लिए नियमित रूप से कदम उठाने चाहिए। ताकि गरीब लोगों को होने वाली समस्याएं दूर हो सके। सरकार को कालाबाजारी रोकने के लिए भी अपने प्रयास जारी रखने चाहिए। ताकि कालाबाजारीओं के चक्कर में जो महंगाई बढ़ रही है, उसे कम किया जा सके।

देश में बढ़ रही महंगाई देश की अर्थव्यवस्था को और देश में रहने वाले लोगों की अर्थव्यवस्था यानी कि लोगों की वित्तीय व्यवस्था को पूरी तरह से बिगाड़ रही है। हर वस्तु इतनी महंगी हो गई है कि लोगों के लिए उसे खरीदना मुश्किल होता जा रहा है।

Mehangai Essay in Hindi

बढ़ती महंगाई पर निबंध 200 शब्दों में

भारत जब आजाद हुआ है तब से दिन प्रतिदिन हर वस्तु की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है। वस्तु की कीमतें लगातार इस प्रकार से बढ़ रही है कि निम्न स्तर और मध्यम स्तर के लोगों के लिए हर कोई वस्तु खरीदना मुश्किल हो गया है। दूसरी तरफ सैलरी और कमाई में जितना इजाफा नहीं हुआ है। उससे ज्यादा वस्तुओं की कीमतें महंगी होती जा रही है।

देखा जाए तो पेट्रोल और डीजल के दाम भी पिछले कई दिनों से इतनी तेजी पर है कि हर कोई व्यक्ति पेट्रोल और डीजल अपने वाहन में भरवाने से हिचकीचा रहा है। दिन प्रतिदिन बढ़ती महंगाई गरीबों के लिए समस्या पैदा कर रही है। गरीब लोगों के लिए हर वस्तु का खरीदना मुश्किल होता जा रहा है। क्योंकि देश में इस प्रकार से बढ़ती महंगाई जिसके बीच गरीब व्यक्ति और अधिक गरीब होता जा रहा है।

महंगाई को इस तरह से बढ़ने से रोकने के लिए सरकार को कई प्रकार के कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार को नियमित रूप से यह बात अवश्य चेक करनी चाहिए कि कालाबाजारी कितनी हो रही है। क्योंकि आज के समय में भी किसान से अनाज बहुत ही कम दाम में खरीदा जाता है। लेकिन बाजार में जाकर उसी अनाज की कीमत कई गुना हो जाती है।

बीच में बिचौलियों की संख्या अधिक हो जाने की वजह से गरीबों को और अधिक गरीबी झेलनी पड़ रही है। इसी प्रकार से हर सामान के उत्पादन करता से कम दाम में खरीदकर बिचौलिए बाजार में उसी वस्तु को ज्यादा दाम में बेच रहे हैं और इसी वजह से दिन प्रतिदिन महंगाई बढ़ती जा रही है।

Mehangai Essay in Hindi

महंगाई पर निबंध 250 शब्दों में (Essay on Mehangai in Hindi)

आज हमारे जीवन में महंगाई बढ़ने का प्रमुख कारण मांग और पूर्ति के बीच असंतुलन का होना हैं। जब हम किसी वस्तु की मांग करते हैं तो उस वस्तु की पूर्ति पूर्णतया नहीं हो पाती है। ऐसे में उस वस्तु की कीमत अपने आप दोगुनी हो जाती है। इससे सब की अर्थव्यवस्था बिगड़ जाती है क्योंकि लोग बाग उन वस्तुओं की कालाबाजारी कम कीमत पर कर दोगुनी कीमत पर बेच देते हैं।

सबसे ज्यादा महंगाई बढ़ने के कारण प्रकृति का प्रकोप जैसे-बाढ़, सूखा, अतिवृष्टि, भूकंप आदि हैं। यह सब महंगाई को बढ़ाने में सहायक होते हैं। इन अब की वजह से खेती की उपज बहुत घट जाती है और जो भी खाद्यान्न की और अन्य वस्तुएँ है, उन सबको बहुत ज्यादा कीमत पर बाहर से मंगवाना पड़ता हैं।

जमाखोरी, काला बाज़ारी आदि मानव निर्मित कारण हैं। इसके अलावा दोषपूर्ण वितरण प्रणाली, असफल सरकारी नियंत्रण तथा मनुष्य की स्वार्थपूर्ण प्रवृत्ति भी इसके लिए उत्तरदायी हैं। महंगाई का सही अर्थ होता है वस्तुओं की कीमत का ज्यादा होना। महंगाई की वजह से हमारे देश की अर्थव्यवस्था में बहुत बार उतार-चढ़ाव देखने को मिले। महंगाई ने ही मनुष्य के जीवन की आजीविका को भी प्रभावित किया है। आज तक हमारे समाज में महंगाई और मुद्रा-स्फीति बहुत ही बड़ी समस्या है।

हमारी जरूरत की सभी वस्तुएँ बहुत महंगी आती हैं और कभी-कभी तो वस्तुएँ बाजार से ही गायब हो जाती हैं। लोग अपनी तनखा में सरकार से जब वृद्धि की मांग करते हैं तो सरकार के पास इसका कोई जवाब नही होता। क्योंकि देश के पास धन नहीं है। सिक्के की कीमत घटती जाती है और महंगाई बढती जाती है।

Mehangai Essay in Hindi

बढ़ती महंगाई पर निबंध 300 शब्दों में (Mehangai Par Nibandh in Hindi)

आज के समय में देश में महंगाई को बढ़ता हुआ देखकर हर कोई व्यक्ति अचंभित है और हर व्यक्ति के लिए इस तरह से महंगाई का बढ़ना मुश्किल पैदा कर रहा है। गरीब लोगों के लिए यह समस्या भयानक साबित हुई है। पिछले कई सालों से महंगाई की रफ्तार बढ़ती जा रही है और इसी महंगाई की वजह से गरीब किसान लोग अपना घर खर्चा नहीं चला पाते हैं।

महंगाई बढ़ने के कारण

देश में जिस प्रकार से महंगाई बढ़ रही है। उस महंगाई के बढ़ने के पीछे कई कारण है, जो कुछ इस प्रकार से है:

  • देश में जनसंख्या वृद्धि दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जनसंख्या वृद्धि की वजह से हर वस्तु की डिमांड मार्केट में बढ़ रही है और इसी वजह से महंगाई बढ़ना जायज हो गया है।
  • जमाखोरों और कालाबाजारीओ की वजह से महंगाई बढ़ रही है। क्योंकि यह लोग कम दाम में माल खरीद कर अपने पास स्टॉक कर लेते हैं और उसे बाजार में उचित दाम में बेचते हैं।
  • महंगाई बढ़ाने के पीछे बड़े-बड़े उद्योगपतियों का भी हाथ है। क्योंकि यह लोग अपने उत्पाद को बाजार में उच्च दाम में बेचते हैं, जिससे देश में महंगाई का सामना हम सभी को करना पड़ रहा है।

बढ़ती महंगाई को रोकने के उपाय

जिस प्रकार से महंगाई बढ़ती जा रही है। यदि ऐसा ही रहा तो देश में गरीब लोगों का हाल बहुत बुरा हो जाएगा। ऐसे में महंगाई को रोकने के लिए हमें प्रयास करना चाहिए। बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं:

  • सरकार के द्वारा जमाखोरों और कालाबाजारी करने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
  • सरकार के द्वारा जितना हो सके उतना उत्पादन करता से सीधा कस्टमर तक हर वस्तु पहुंचाने का प्रयास किया जाना चाहिए। ताकि बिचौलिए लिए लोगों की वजह से वस्तु की कीमत में बढ़ोतरी ना हो।
  • सरकार और हम सभी को जनसंख्या नियंत्रण पर विशेष ध्यान देना अनिवार्य है। जनसंख्या वृद्धि की वजह से ही महंगाई बढ़ रही है।

महंगाई का इस प्रकार से बढना हर किसी को चिंता में डाल रहा है। देश में बढ़ रही महंगाई गरीब लोगों के लिए समस्या पैदा कर रही है।

महंगाई  पर निबंध 850 शब्दों में (Badhati Mahangai Per Nibandh)

भारत एक कृषि प्रधान देश है। लेकिन फिर भी हमारे देश की समूची अर्थव्यवस्था की वजह से भी कृषि अच्छी वर्षा पर निर्भर करती है। बिजली उत्पादन भी महंगाई को प्रभावित करता है।

मुद्रा स्फीति और महंगाई

बढती हुई महंगाई का मुद्रा-स्फीति के साथ बहुत ही गहरा संबंध है। क्योंकि हमारी सरकार हर साल घाटे के बजट को बढ़ा देती है, जिससे कीमतें भी बढ़ जाती हैं। इसका परिणाम ये निकलता है कि रुपए की कीमत घट जाती है।

अक्सर देखा गया है कि सभी लोग महंगाई के भत्ते की मांग करते हैं। सरकार ने कृषि की तो घोर उपेक्षा की। परन्तु काले धन को रोकने के लिए हमारी सरकार ने कुछ नहीं किया। यहा तक कि भ्रष्टाचार को रोकने के इंतजाम भी नहीं किये, जिस वजह से मुद्रा-स्फीति को नहीं रोका गया है। इसी वजह से महंगाई भारत देश में साल-दर-साल ऊपर चली जा रही है।

महंगाई के कारण

महंगाई के बढने के बहुत से कारण होते हैं। लेकिन महंगाई की समस्या हमारे ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की एक बहुत ही गंभीर समस्या है, जो लगातार बढती जा रही है।

  • जनसंख्या वृद्धि -हमारे देश में जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है, उस तरह से फसलों की पैदावार यहा नहीं हो रही है। पिछली 2-3 सालों से फसलों की पैदावार में अधिक वृद्धि हो रही है। देश में अतिवृष्टि और अनावृष्टि दोनों की वजह से ही अन्न की कमी हो रही है, इसीलिए जनसंख्या वृद्धि के कारण महंगाई की लोगों को बहुत मार झेलनी पड़ रही है।
  • जमाखोरी की समस्या – जमाखोरी से भी महंगाई की समस्या बहुत बढती जा रही है। कालाबाजारी की वजह से लोगों को खाने के लिए अन्न भी नहीं मिल पाता है।
  • व्यापारियो की दोषपूर्ण वितरण की प्रणाली – कई बार हम लोगों के द्वारा देखा गया है कि हमारे देश में सभी वस्तुओं का अच्छा उत्पादन होने के बाद भी वह वस्तु हमें समय पर नहीं मिल पाती हैं और अगर मिलती भी है तो वह बहुत महंगी मिलती हैं। इसमें हमारी वितरण प्रणाली का दोष होता है। भ्रष्ट व्यापारी भ्रष्ट नेताओं की वजह से बहुत महंगाई आम लोगों को झेलनी पड़ती है।
  • कौन कौन जिम्मेदार है – बढ़ती हुई महंगाई के लिए सबसे ज्यादा अमीर लोग जिम्मेदार होते हैं। क्योंकि वह बाजार से बहुत कम कीमतों पर चीजों खरीद लेते हैं और फिर बाद में उनको समय आने पर अधिक मूल्य में मार्केट में भेज देते हैं। इससे वो लोग अपने फायदे के लिए आम जनता को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। इसके अलावा सरकारी अफसर, नेता, बड़े-बड़े उद्योगपति यह सभी महंगाई को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

महंगाई को रोकने के उपाय

अगर कोशिश की जाये तो भारत में महंगाई को रोका भी जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले सरकार को मुद्रा-स्फीति पर रोक लगानी होगी और बजट घाटों को बनाना बंद करना होगा। महंगाई को रोकने के उपाय निम्न है:

  • सरकार को बड़े-बड़े नगरों के विकास के साथ साथ गांवों के विकास पर अधिक ध्यान देना चाहिए। क्योंकि अब लोग गांव में सुविधाएं ना होने के कारण ज्यादातर लोग शहरों की तरफ भाग रहे है। क्योंकि ना गांव में पानी की व्यवस्था है ना बिजली की व्यवस्था और जीवन के मूलभूत संसाधनों की आवश्यकताओं की भी बहुत कमी है। इसी वजह से सरकार को गांव की तरफ विशेष ध्यान देना चाहिए। पूरे देश के लिए एक तरह की सिंचाई व्यवस्था का आयोजन होना चाहिए। महंगाई को रोकने के लिए समय-समय पर हड़तालें और आंदोलन चलाये गये हैं।
  • सरकार को कालाबाजारी, जमाखोरों को रोकने के लिए बहुत ही सख्त कानून बनाने चाहिए। क्योंकि यह लोग आम जनता का बहुत शोषण करते हैं। बाजार से कम कीमत पर वस्तुओं का क्रय विक्रय कर देते हैं, इससे लोगों को बहुत महंगाई झेलनी पड़ती है।
  • महंगाई को खत्म करने के लिए जनता को भी सरकार का साथ देना चाहिए। जनता का कर्तव्य है कि महंगी चीजों से दूर रहे उसे महंगाई से होने वाली समस्याओं के बारे में सोचना चाहिए।

वितरण की व्यवस्था का समुचित होना

हमारी जरूरत की सभी चीजों के उपयोग के लिए समुचित वितरण के लिए बहुत कानून बनाएं गए है। हर जगह खदानों की पूर्ति के लिए खाद्यान्न आपूर्ति विभाग स्थापित किए गए हैं। जगह जगह पर राशन की दुकान खोली गई है ताकि लोगों को राशन के लिए दूर-दूर तक ना भटकना पड़े।

अगर हमारे देश में खाद्यान्न वितरण की प्रणाली सही होगी तो महंगाई को बहुत आसानी से रोका जा सकता है। इसके लिए सरकार का पूरा सहयोग और जनता का सहयोग होना बहुत जरूरी है लेकिन ऐसा होता नहीं है।

महंगाई को कम करने के लिए हमारे देश मे उपयोगी राष्ट्र नीति की जरूरत है। जैसे-जैसे हमारे देश मे जनसंख्या बढ़ रही है। उस तरीके से महंगाई को रोकना बहुत ही जरूरी है, नहीं तो हमारी आजादी को दुबारा से खतरा पैदा हो सकता है। क्योंकि जब तक जनसंख्या वृद्धि में रोक नहीं लगेगी तब तक महंगाई को भी कम नहीं किया जा सकता।

आज के आर्टिकल में हमने महंगाई पर निबंध (Mehangai Essay in Hindi) के बारे में बात की है। मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे द्वारा लिखा गया यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल में कोई शंका है तो कमेंट बॉक्स में जरूर पूछे।

  • भ्रष्टाचार पर निबंध
  • विमुद्रीकरण पर निबंध
  • बेरोजगारी की समस्या पर निबंध

Rahul Singh Tanwar

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विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder of Science Essay in Hindi) - 100 - 200 शब्द के निबंध, प्रस्तावना

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हमारे दैनिक जीवन से लेकर ब्रह्मांड में घटित होने वाली सभी घटनाओं के पीछे कोई न कोई विज्ञान छिपा हुआ है। हमें बस जरूरत है, तो उसे समझने और सामने लाने की। विज्ञान अपने आप में एक विशाल विषय है। हमारे जीवन के हर पहलू में विज्ञान के चमत्कार (wonder of science in hindi) देखने को मिलते हैं। इसके हर पहलू को कवर कर पाना लगभग असंभव है। विज्ञान के चमत्कार पर लिखे गए इस निबंध में हम आप लोगों को नवीनतम विज्ञान के चमत्कारों (wonders of science in hindi) से अवगत करवाने का प्रयास करेंगे। हिंदी में पत्र लेखन सीखें ।

विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Essay on Vigyan ke chamatkar in Hindi) - प्रस्तावना (Introduction)

विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (essay on vigyan ke chamatkar in hindi) - 100 - 200 शब्द, विज्ञान के चमत्कार (essay wonder of science in hindi) - अंतरिक्ष के क्षेत्र में, विज्ञान के चमत्कार (wonder of science essay in hindi) - सूचना और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में, विज्ञान के चमत्कार (wonder of science essay in hindi) - शिक्षा के क्षेत्र में, विज्ञान के चमत्कार (wonder of science) - कंप्यूटर के क्षेत्र में, विज्ञान के चमत्कार (wonder of science) - मनोरंजन के क्षेत्र में, विज्ञान के चमत्कार (wonder of science essay in hindi) - चिकित्सा के क्षेत्र में, विज्ञान के चमत्कार (wonder of science) - 2022 के नोबल पुरस्कार विजेता और उनके अनुसंधान, विज्ञान के चमत्कार (wonder of science) - 2021 के नोबल पुरस्कार विजेता और उनके अनुसंधान, विज्ञान के चमत्कार (wonder of science) - 2020 के नोबल पुरस्कार विजेता और उनके अनुसंधान, विज्ञान के चमत्कार (wonder of science) - 2019 के नोबल पुरस्कार विजेता और उनके अनुसंधान, विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (wonder of science essay in hindi) - विज्ञान के चमत्कार लाभ और हानि, विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (wonder of science essay in hindi) - विज्ञान के चमत्कार से लाभ, विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (wonder of science essay in hindi) - विज्ञान के चमत्कार से हानि, विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (wonder of science essay in hindi) - क्या है भविष्य.

विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder of Science Essay in Hindi) - 100 - 200 शब्द के निबंध, प्रस्तावना

विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (vigyan ke chamatkar nibandh) में हम आपको विज्ञान की परिभाषा के साथ-साथ विश्व में होने वाले नए अनुसंधानों, खोज तथा अविष्कारों और प्रयोगों से अवगत कराने का प्रयास करेंगे। विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (vigyan ke chamatkar par nibandh) विशेष इस लेख से आपकी जानकारी तो समृद्ध होगी ही और साथ ही आपको परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने में भी मदद करेगा।

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हमेशा से कहा जाता रहा है कि ‘आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है’, जैसे-जैसे मानव जाति की आवश्यकता बढती गई, वैसे-वैसे ही उसने अपनी सुविधा के लिए अविष्कार करना आरंभ किया। विज्ञान से तात्पर्य एक ऐसे व्यवस्थित ज्ञान से है जो विचार, अवलोकन और प्रयोगों से प्राप्त किया जाता है जो कि किसी अध्ययन की प्रकृति या सिद्धांतो की जानकारी प्राप्त करने के लिए किए जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिए भी किया जाता है, जो तथ्य, सिद्धांत और तरीको का प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करता है।

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किसी भी वस्तु के बारे में जानकारी प्राप्त करना और जानकारी को सही तरीके से लागू करना तथा किसी भी वस्तु का सही अवलोकन अथवा विश्लेषण करना ही विज्ञान है। ‘वि’ का अर्थ है विकास करना, इससे तात्पर्य है कि विकास करने वाले ज्ञान को ही विज्ञान कहते हैं। आज विज्ञान के चमत्कार (vigyan ke chamatkar par nibandh) के माध्यम से ही मानव जाति इतनी समृद्ध हो पाई है। यदि प्राचीन काल की बात करें, तो मानव विकास उसकी चेतना के जागृत होने तथा उसकी जिज्ञासा का समुद्र की तरह विशाल होने के कारण ही हो पाया है। सबसे पहले मानव ने अपनी कमजोरियों को समझा और उसके बाद अपनी सीमाओं को, फिर मानव ने अपने दृढ़ निश्चय से अपनी कमजोरियों को दूर करने तथा अपनी सीमाओं को पार करने का अथक प्रयास किया।

इसमें मानव की चेतना ने मानव का बहुत साथ दिया। मानव चेतना ने स्वयं की कमजोरियों के बारे में उसे आभास कराया जैसे कि वह जंगली जानवरों से कमजोर है, मानव को उनसे लड़ने और अपनी रक्षा करने के लिए औजारों की आवश्यकता है, आदि तथा मानव की जिज्ञासा ने मानव को नई-नई वस्तुओं के बारें में जानकारी एकत्र करने के लिए प्रेरित किया जैसे वह किस वस्तु के माध्यम से एक मजबूत औजार बना सकता है जो उसके और उसकी परिवार की रक्षा कर सकता है। यही वह समय था जब पुरातन काल से मानव की चेतना और जिज्ञासा ने मानव को प्रगति की राह पर बढ़ते रहने को प्रेरित किया। इसके पश्चात मानव ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और निरंतर अपना और अपने समाज का विकास करता चला गया।

मानव द्वारा अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किए गए अथक प्रयासों की वजह से और विज्ञान के चमत्कार (wonder of science in hindi) से ही ऐसा संभव हो पाया है। मानव ने हर क्षेत्र में अपना विकास किया, पृथ्वी से लेकर ब्रह्मांड तक मानव ने विज्ञान के चमत्कार के माध्यम से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास किया। हमारे वैज्ञानिकों ने ऐसे प्रयोगों को सफल बनाया है, जो मानव जाति के लिए बहुत महत्वपूर्ण थे। उन्होंने शिक्षा, यातायात, संचार, चिकित्सा, आदि सभी क्षेत्रों में चमत्कार किए हैं।

यदि हम यातायात के साधनों की बात करें, तो एक समय ऐसा था जब मनुष्य अपने पैरों के माध्यम से ही विचरण करता था और उसे किसी भी स्थान पर पहुँचने में बहुत समय लगता था। इस आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करते हुए इंसान ने पहिए का अविष्कार किया और आज वह इससे बहुत आगे निकल चुका है। एक समय था जब मनुष्य के लिए उड़ना कल्पना मात्र था, परंतु मनुष्य ने विज्ञान की सहायता से इस कल्पना को यथार्थ में परिवर्तित किया और हवाई जहाज का निर्माण किया। अब हम इसे विज्ञान का चमत्कार नहीं कहेंगे, तो और भला क्या कहेंगे। यातायात के क्षेत्र में विज्ञान के ऐसे बहुत से वंडर ऑफ साइंस हैं जो अकल्पनीय हैं, जैसे पानी के बड़े-बड़े जहाज, बुलेट ट्रेन, मेट्रो ट्रेन, हवाई जहाज, अंतरिक्ष में पहुँचने के लिए स्पेस क्राफ्ट आदि जो आज इस समाज के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं।

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भारत की विज्ञान के क्षेत्र में उपलब्धियां बढ़ती ही जा रहीं हैं। हमारा चंद्रयान-3 चंद्रमा की दक्षिणी सतह पर सफलतापूर्वक उतरने वाला यान बन गया है। इसके अलावा सूर्य के बारे में अनुसंधान करने वाला आदित्य एल-1 विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिकों क्षमता को प्रदर्शित करता है।

वंडर ऑफ साइंस की वजह से हमारा देश भारत भी अंतरिक्ष के क्षेत्र में काफी आगे बढ़ता जा रहा है भारत ने भी एक साथ 104 उपग्रह लांच करके नया कीर्तिमान स्थापित किया है, साथ ही पिछले वर्ष हमारे देश के विज्ञानिकों ने उपग्रह को अंतरिक्ष में ही समाप्त करने के लिए मिसाइल का सफल परीक्षण किया। भारत ने एंटी-सैटेलाइट मिसाइल के लिए पृथ्वी एयर डिफेंस (पैड) सिस्टम को विकसित किया है। इसे प्रद्युम्न बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर भी कहते हैं। यह एक्सो-एटमॉसफियरिक (पृथ्वी के वातावरण से बाहर) और एंडो-एटमॉसफियरिक (पृथ्वी के वातावरण से अंदर) लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम हैं।

हमारे देश ने विज्ञान के चमत्कार के माध्यम से अंतरिक्ष के क्षेत्र में बहुत से कीर्तिमान स्थापित किए है जिसमे से भारत का मंगल मिशन सफलता की नई उच्चाईयों को छु रहा है। यह मंगल गृह पर पहला ऐसा मिशन था जो सफल रहा था। साथ ही भारत के चंद्रयान प्रथम ने ही चंद्रमा पर पानी होने की पुष्टि की थी। हालांकि हमारा चंद्रयान द्वितीय सफल नहीं हो पाया पर हमारे वैज्ञानिकों ने अथक प्रयास कर इन चमत्कारों को आत्मसात करने का प्रयास किया है। साथ ही हमने ‘नाविक’ नामक अपना मैप नेविगेशन सिस्टम भी तैयार किया है जिससे भविष्य में हमारी गूगल मैप पर निर्भरता समाप्त होगी।

इसके साथ पिछले साल ही यह ज्ञात हुआ है कि ब्लैक होल के भीतर रोशनी होती है। अमेरिकी और यूरोपीय टेलिस्कोप द्वारा की गई खोज ने दुनिया को यह बताया है कि अंतरिक्ष में ब्लैक होल के आसपास बहुत तेज विकिरण एक्स-रे उत्सर्जन होता है। यह पहली बार है जब किसी ब्लैक होल से प्रकाश की खोज की गई है। इस रिसर्च में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी से एक्सएमएम-न्यूटन और नासा से नूस्टार-न्यूक्लियर स्पेक्ट्रोस्कोपिक टेलीस्कोप ऐरे का प्रयोग किया गया था। इस मिशन का नेतृत्व अमेरिका के डैन विल्किंस ने किया।

आज का युग अंतरिक्ष का युग है और वहां की यात्रा पर्यटन का एक नया माध्यम बन चुकी है। पिछले वर्ष ब्रिटेन के रिचर्ड ब्रैनसन ने 71 वर्ष की आयु में अंतरिक्ष की यात्रा की। उनकी कंपनी वर्जिन गैलेटिक्स ने यूनिटी नाम का रॉकेट शटल बनाया जिसमें उन्होंने बाहरी अंतरिक्ष की 85 किलोमीटर यात्रा की।

दूसरी ओर अमेज़न कंपनी के संस्थापक जेफ़ बेजोस ने ब्लू ऑरिजिन कंपनी के स्पेस शटल न्यू शेपर्ड से अपनी अंतरिक्ष यात्रा की थी।

एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स ने स्टारशिप नाम का विश्व का सबसे बड़ा राकेट बनाया है। 2021 में उनकी कंपनी के जरिए 4 यात्रियों ने अंतरिक्ष की यात्रा की।

कहा जाता है कि आज का युग सूचना और प्रौद्यागिकी का युग है। आज मानव ने दूर-संचार तथा इन्टरनेट को आत्मसात कर लिया इसके साथ ही कंप्यूटर, मोबाइल आज मानव के जीवन का हिस्सा बन गए है। दूर संचार और इन्टरनेट को सुचारू रूप से चलाने के लिए फाइबर ऑप्टिकल नामक नई तकनीक का प्रयोग अब किया जा रहा है।फाइबर-ऑप्टिक संचारण एक प्रणाली है जिसमें सूचनाओं की जानकारी एक स्थान से दूसरे स्थान में ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से प्रकाश बिन्दुओं के रूप में भेजी जाती हैं। प्रकाश एक विद्युत चुम्बकीय तरंग वाहक विकसित करता है जो विधिवत् रूप से जानकारी को साथ ले जाते हैं। 1970 के दशक में इसे सबसे पहले विकसित किया गया, फाइबर-ऑप्टिक संचार प्रणाली ने दूरसंचार उद्योग में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है और सूचना युग के आगमन में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। विद्युत संचरण पर इसके फायदे के कारण, विकसित दुनिया में कोर नेटवर्क में ताबें की तारों के स्थान पर ऑप्टिकल फाइबर का प्रयोग किया जा रहा है।

शिक्षा के क्षेत्र में विज्ञान का बहुत अधिक महत्व है, आज इस कोरोना काल में विज्ञान के माध्यम से ही छात्र अपनी पढाई को जारी रखने में सक्षम हुए हैं। आज हम लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से अपने घर बैठे ही अपने स्कूल की कक्षा ले सकते हैं। इन्टरनेट के माध्यम से वीडियो कॉल के जरिए हम अपनी कक्षा बिना रुके ले सकते हैं। साथ ही दुनिया भर की जानकारी हम मोबाइल पर एक क्लिक करके ही प्राप्त कर सकते हैं।

कंप्यूटर के क्षेत्र में भी सुपर कंप्यूटर की अवधारणा आज के युग में जन्म ले चुकी है। यह विश्व का सबसे तेज़ कंप्यूटर होता है जो डेटा को बहुत तेज़ी से प्रोसेस करता है। यह सामान्य कंप्यूटर की तुलना में बहुत तेज़ी से गणना करता है। सुपर कंप्यूटर की कंप्यूटिंग परफॉरमेंस को MIPS के स्थान पर FLOPS (Floating-point operations per second) में मापा जाता है। विश्व में सबसे तेज़ सुपर कंप्यूटर का नाम ‘फुगाकू’ है जोकि एक जापानी कंप्यूटर है तथा भारत के सबसे तेज़ सुपर कंप्यूटर का नाम ‘परम सिद्धि’ है।

विज्ञान के चमत्कारों ने हमेशा से मानव जीवन को सरल बनाने का प्रयास किया है। यही कारण है कि मानव आज तकनीक पर बहुत निर्भर हो गया है। आज हम घर बैठे-बैठे किसी से भी मोबाइल के माध्यम से बात कर सकते है। कंप्यूटर के माध्यम से हमारा कार्य सरल हो गया है और यातायात के विभिन्न साधनों के माध्यम से हमारी यात्रा सुखद हो गई है। यह विज्ञान के चमत्कार ही है जिनके वजह से मानव ने अपना जीवन सरल बना लिया है।

विज्ञान ने मनोरंजन के क्षेत्र में अद्भुत भूमिका निभाई है। आज विज्ञान के चमत्कारों के कारण ही मानव के पास मनोरंजन के बहुत सारे विकल्प हैं। मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर, लैपटॉप, गेम्स आदि कुछ उदाहरण है जिससे मानव अपना मनोरंजन कर सकता है। इसके अलावा फेसबुक, इन्स्टाग्राम, यूट्यूब, टिकटॉक, ट्विटर आदि कुछ ऐसे ऐप हैं जो मानव का मनोरंजन करने में सहायता करते हैं। जुलाई 2023 में मार्क जकरबर्ग ने 'थ्रेड्स' नामक एक नया सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लॉंच किया है, जो विश्व का 24 घंटे के अंदर सबसे ज्यादा डाउनलोड किए जाने वाला एप बन गया है।

मनुष्य ने चिकित्सा के क्षेत्र में भी बहुत से चमत्कार किए हैं। एक समय था जब छोटी-छोटी बीमारियाँ मनुष्य की मृत्यु का कारण बनती थी। परन्तु आज इंसान ने विज्ञान के माध्यम से इस क्षेत्र में बहुत अधिक सफलता प्राप्त की है। यदि पिछले कुछ वर्षो के चिकित्सा के क्षेत्र में नोबल पुरस्कारों की बात करें, तो हमें नए-नए विज्ञान के चमत्कार देखने को मिलते हैं -

2022 का नोबल पुरस्कार भौतिकी मे एलेन एस्पेक्ट, जॉन एफ क्लॉजर और एंटोन जेलिंगर को दिया गया। यह पुरस्कार जटिल फोटॉनों के साथ प्रयोगों, बेल असमानताओं के उल्लंघन की स्थापना और एडवांस क्वांटम सूचना विज्ञान के लिए दिया गया है। रसायन विज्ञान 2022 में नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से कैरोलिन बर्टोज़ज़ी, मोर्टन मेल्डल और के. बैरी शार्पलेस को "क्लिक केमिस्ट्री और बायोऑर्थोगोनल केमिस्ट्री के विकास के लिए" प्रदान किया गया। फिजियोलॉजी या मेडिसिन 2022 में नोबेल पुरस्कार स्वांटों पाबों को "विलुप्त होमिनिन और मानव विकास के जीनोम से संबंधित उनकी खोजों के लिए" प्रदान किया गया।

2021 का नोबल पुरस्कार अमेरिकी वैज्ञानिक डेविड जूलियस और अर्देम पटापाउटियन को दिया गया। उन्हें तापमान और स्पर्श के लिए रिसेप्टर्स की अपनी खोजों के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। यह खोज यह समझने में मदद करेगी कि कैसे गर्मी, ठंड और यांत्रिक बल तंत्रिका आवेगों (nerve impulses ) को शुरू करते हैं जो बदले में मनुष्यों को दुनिया को समझने और अनुकूलित करने की अनुमति देते हैं।

2020 के लिए यह पुरस्कार दो अमेरिकन वैज्ञानिक हार्वे जे ऑल्टर और माइकल हॉफटन व ब्रिटिश वैज्ञानिक चार्ल्स एम राइस को संयुक्त रूप से दिया गया है। उन्हें यह सम्मान हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज के लिए दिया किया गया।

इस बीमारी के कारण दुनिया भर में लोगों को सिरोसिस और लीवर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के शिकार हो जाते थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में हेपेटाइटिस वायरस के करीब 7 करोड़ से अधिक मरीज हैं और इस वायरस के कारण हर साल करीब चार लाख लोग को मौत का सामना करना पड़ता है। हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज के बाद खून का परीक्षण और जरूरी दवाइयों का निर्माण संभव हुआ है जिससे कई लोगों की जान बचाई जा सकी है।

2019 का चिकित्सा के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार संयुक्त रूप से विलियम जी.कैलिन जूनियर, सर पीटर जे.रेटक्लिफ, ग्रेग एल. सेमेंज़ा को दिया गया। इन तीनों विजेताओं को शरीर की कोशिकाओं में जीवन और ऑक्सीजन को ग्रहण करने की क्षमता के संबंध में महत्वपूर्ण खोज करने के लिए पुरस्कार दिया गया है। इस खोज से यह ज्ञात होगा कि किस तरह ऑक्सिजन के स्तर कोशिकीय चयापचय और शारीरिक कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं।' इससे अनीमिया, कैंसर आदि जैसे अन्य कई रोगों से लड़ने के लिए नई रणनीतियों का मार्ग प्रशस्त होगा।

कहते हैं ना कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। ठीक उसी तरह, विज्ञान के चमत्कार का सकारात्मक पक्ष भी है और नकारात्मक भी है। जहाँ विज्ञान ने मानव जाति का जीवन सरल किया है वही इसने मानव के विनाश का मार्ग भी प्रशस्त किया है। मानव ने बड़े-बड़े हथियार बनाए हैं। जिसने हमारी प्रकृति और पर्यावरण को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हमने बड़े-बड़े एटम बम, हाइड्रोजन बम बनायें है, जिससे मानव जाति के साथ-साथ इस पृथ्वी पर रहने वाले हर जीव का सर्वनाश हो सकता है।

विज्ञान से हमें अनेक लाभ प्राप्त हुए हैं। विज्ञान ने मानव का जीवन पहले के मुक़ाबले बेहद आसान बना दिया है। एक समय था जब मानव का जीवन बहुत कठिन था, परन्तु मानव ने अपने सामने आने वाली कठिनाइयों पर विज्ञान की मदद से विजय प्राप्त की है। मानव ने कष्ट देने वाले रोगों से लेकर विश्व के प्रत्येक जीव को विज्ञान के चमत्कार के माध्यम से नियंत्रण करने का प्रयास किया है। विज्ञान के माध्यम से ही आज हम टेक्नोलॉजी से जुड़ पाए हैं, जिसका उपयोग हम समाज के विकास और आम जन-जीवन को सरल बनाने के लिए करते हैं। आज के दौर में हम जो कुछ भी करते, देखते या सीखते हैं उसमे कहीं न कहीं विज्ञान का योगदान है। बात किसी स्मार्ट गैजेट की हो या फिर या फिर हमारे दैनिक जीवन में उपयोग किए जाने वाले किसी भी वस्तु की हर जगह आप आपने आस पास विज्ञान को पाएंगे।

जिस तरह से किसी भी वस्तु का कोई सकारात्मक पहलु होता है, उसी तरह उसका नकारात्मक पहलु भी होता है। विज्ञान के चमत्कार से जितनी हमारी सुविधाएं बढ़ी हैं, हमारी मुश्किलें भी उतनी ही बढ़ी हैं। विज्ञान का योगदान आज के दौर में इतना अधिक बढ़ गया है कि हम विज्ञान पर ही निर्भर रहते हैं। समाज को नुकसान पहुँचाने के लिए कुछ ऐसे घातक हथियारों का निर्माण हो चूका है जिससे पुरे विश्व को कुछ क्षणों में ही नष्ट किया जा सकता है। साथ ही कुछ ऐसी वस्तुएं भी हैं जिनका हम अपने दैनिक जीवन में निरंतर उपयोग करते हैं जिससे हमारा वातावरण, पर्यावरण और जन-जीवन खतरे के तरफ बढ़ता हुआ नजर आ रहा है।

जैसा कि हम समझ चुके हैं कि विज्ञान ने जहाँ मानव जीवन को सुंदर, सुखद तथा आरामदायक बनाने का काम किया है, वहीं हिरोशिमा और नागासाकी के रूप में इसके विनाश की क्षमता को भी हमने देखा है। महाविनाश के लिए बनाए गए हथियार, जैविक हथियार चुटकियों में विज्ञान के चमत्कारों को मिट्टी में मिलाने में सक्षम है। विज्ञान के चमत्कारों का वास्तविक लाभ तभी मिलेगा जब उनका प्रयोग जगत कल्याण के लिए किया जाए, नहीं तो विज्ञान के अभिशाप की विभीषिका पूरी दुनिया को झेलनी पड़ेगी।

Frequently Asked Question (FAQs)

विज्ञान से तात्पर्य ऐसे ज्ञान से है जो विचार अवलोकन और प्रयोगों से प्राप्त होता है । निरंतर विकसित होने वाला ज्ञान विज्ञान कहलाता हैं।

मानव जाति का विकास मानव की जिज्ञासा और चेतना के माध्यम से हुआ जिसने मानव को निरंतर अविष्कार करने के लिए प्रेरित किया।

जेफ़ बेज़ोस ने न्यू शेपर्ड नामक अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष की यात्रा की ।

एलन मास्क की कंपनी का नाम स्पेस एक्स है और उसने विश्व के सबसे बड़े स्पेस शटल स्टारशिप का निर्माण किया है।

2021 का नोबल पुरस्कार अमेरिकी वैज्ञानिक डेविड जूलियस और अर्देम पटापाउटियन को प्रदान किया गया है।

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आज की युवा पीढ़ी पर निबंध

युवा पीढ़ी पर निबंध। essay on the younger generation in hindi..

युवा पीढ़ी यानी हमारे देश के नौजवान समाज का एक महत्वपूर्ण अंग है। हमारा आने वाला भविष्य हमारी युवा पीढ़ी की सोच और उनके प्रदर्शन पर निर्भर करती है। युवा वर्ग जिसे अंग्रेजी में youth, young जनरेशन कहा जाता है। युवा पीढ़ी में जोश और उमंग की कोई कमी नहीं होती है। वह हमेशा आसमान को छू लेना चाहते है अर्थात कामयाबी की शिखर तक पहुंचना चाहते है।युवा पीढ़ी में भरपूर जूनून होता है कुछ कर दिखाने का, कुछ बनने का। युवा वर्ग में अनोखी क़ाबलियत होती है कि वह पूरी दुनिया को बदल सके। युवा पीढ़ी पुरे कायनात को बदलने की शक्ति रखते है। युवा पीढ़ी के कन्धों पर कुछ जिम्मेदारियां होती है। युवा वर्ग अपने हौसले और जूनून को सही मार्ग पर ले जाए तो एक सकारत्मक समाज की रचना कर सकते है।

युवा पीढ़ी ने समाज के हर क्षेत्र में अपना भरपूर योगदान दिया है। विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में उन्होंने की खास उपलब्धियां है जो देश को एक नयी उज्जवल भविष्य की ओर ले जा रहा है। वहीँ युवा पीढ़ी के कुछ लोगों ने अपनी स्वंत्रता का गलत फायदा उठाते हुए अपना सर्वनाश कर लिया है। युवा पीढ़ी को अपने जिम्मेदारियों को धैर्य, लगन और पुरे आत्मविश्वास के साथ निभाना चाहिए। हमारे देश के युवा पीढ़ों ने कई कार्य सफलतापूर्वक किये है और देश का नाम रोशन किया है। वह सिपाही बने और देश के लिए अपनों प्राणो की आहुति दे दी। वह इंजीनियर और डॉक्टर भी बने ताकि वह समाज की भली भाँती सेवा कर सकें।

युवा वर्ग के कुछ नौजवान पैसे कमाने के लिए आसान तरीके सोचते है। इसी चक्कर में कभी -कभी अपना रास्ता भटक जाते है और गलत मार्ग की ओर चल पड़ते है जिसके नतीजे भयंकर हो सकते है। आज कल की युवा पीढ़ी हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने हेतु बड़ी उत्सुक रहती है। युवा पीढ़ी निडरता और हिम्मत के साथ हर कठिन परिस्थति का सामना करने का दृढ विश्वास रखती है। युवा पीढ़ी में तर्क करने की काबलियत बहुत अधिक होती है। वह अपने नविन विचारों को निडरता के साथ सबके समक्ष रखते है। लेकिन जोश में नियंत्रण रखने की आवश्यकता होती है। क्यूंकि जोश में होश खो देना मूर्खता की निशानी होती है।

आज कल युवा पीढ़ी में सोशल मीडिया की तरफ झुकाव काफी ज़्यादा है। नए -नए फ़ोन्स के प्रति आकर्षण और व्हाट्सप्प और फेसबुक जैसे नेटवर्किंग जगहों पर उनका रुझान ज़्यादा बढ़ गया है। युवा पीढ़ी में नए -नए फैशंस की तरफ भी झुकाव ज़्यादा देखा जा रहा है। कुछ नौजवानो में धैर्य और सहसीलता बिलकुल कम होती है जिसकी वजह से वह ज़िन्दगी में गलत निर्णय ले लेते है। इसके लिए उन्हें आगे पछताना पड़ता है।

सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल नौजवानो के लिए लाभप्रद साबित हो सकते है। जिसका इस्तेमाल वह बखूबी करते है। अपने विचारों का सही रूप से आदान -प्रदान करना यह उनकी पीढ़ी की जिम्मेदारी है। अपने नए सुविचारों का तथाकथित समाज में प्रयोग करके समाज को एक नयी दिशा की ओर ले जा सकते है। युवा वर्ग समाज की नकारात्मक सोच को बदलने की ताकत रखते है बस जज़्बा सही होना चाहिए।

आज की युवा पीढ़ी मोबाइल और कंप्यूटर पर ज़्यादा व्यस्त रहते है जिसकी वजह से वह अपने परिवारों को ज़्यादा वक़्त नहीं देते है। युवा वर्ग को अपने परिवार की उतनी कदर करनी चाहिए जितना वह अपने दोस्तों की करते है। हर क्षेत्र का सही उपयोग सही समय पर करना एक जिम्मेदार नौजवान का कर्त्तव्य है।

कुछ नौजवान अपने  मनोरंजन और ग़मों को भुलाने के लिए नशे के पदार्थों का सहारा लेते है जो की गलत कदम है। अपने परिवार और समाज के प्रति उत्तरदायित्व युवा वर्ग को होना चाहिए। नशे की दुनिया एक नकारात्मक कदम है जिसपर अंकुश लगाना युवा वर्ग का दायित्व है। विश्व में कई जगहों पर हिंसा का कारण युवा वर्ग है। कभी -कभी वह ज़िन्दगी के कुछ पड़ाव में गलत फैसला ले लेते है और किसी की भी बातों में आ जाते है। हर सही फैसले और कार्य का चुनाव करना भी उनका ही कर्तव्य है। उन्हें किसी भी हाल में अपने संयम को नहीं खोना है।

माँ -बाप का भी कर्तव्य है कि जब बच्चे इस उम्र में आ जाये उससे पहले वह गलत और सही के बीच की रेखा को समझा दे और जिससे वह सही फैसला ले सकें। इस उम्र में युवा वर्ग बहुत अधिक उत्सुक रहते है और जिन्दगी के हर पहलु को जानने के लिए हर प्रकार का प्रयोग करते है। इसमें नियंत्रण लाना यह युवा वर्ग की जिम्मेदारी है। युवा वर्ग में नौजवानो के अंदर कई प्रतिभाएं होती है जिसे उन्हें पहचान कर सही मार्ग पर जाना चाहिए। उन्हें असफलताओं से घबराकर निराश और बेसब्र नहीं होना चाहिए। आज की युवा पीढ़ी कल देश का सुनहरा भविष्य बनेगी। उन्हें सही प्रोत्साहन के साथ उन्हें अपनी ज़िन्दगी और देश की उन्नति को ऊचाँइओ पर ले जाना है।

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Hindi Essay on “Mehangai ki Samasya – Mulyavridhi”, “महँगाई की समस्या – मूल्यवृद्धि”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

महँगाई की समस्या – मूल्यवृद्धि

Mehangai ki Samasya – Mulyavridhi

निबंध नंबर : 01

वस्तुओं की कीमतों में निरन्तर वृद्धि से एक ऐसी चिन्ताजनक स्थिति उत्पन्न हो गयी है, जिसका विकल्प निकट भविष्य में दिखाई नहीं दे रहा है। स्वतन्त्रता से पूर्व हमारे देश में मूल्य-वृद्धि की इतनी भयावह स्थिति नहीं थी, जितनी आज हो गयी है। उस समय जो वस्तुओं की कीमतें थीं। वे सर्वसाधारण के लिए कोई। दुःख का कारण नहीं था। सभी सहजता के साथ जीवन को आनन्दपूर्वक बिता रहे। थे। यद्यपि उस समय भी वस्तुओं की मूल्य-वृद्धि हो रही थी। उससे जीवन-रथ को आगे बढ़ाने में कोई बाधा नहीं दिखाई देती थी। इसके विपरीत आज का जीवन-पथ तो वस्तुओं की कीमतों में लगातार वृद्धि होने से काँटों के समान चुभने वाला हो गया है।

अब प्रश्न है कि आज वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होने का कारण क्या है ? वस्तुओं की कीमतें इतनी तीव्र गति से क्यों बढ़ रही हैं ? अगर इन्हें रोकने के लिए प्रयास किया गया है, तो फिर ये कीमतें क्यों न रुक पा रही हैं ? दिन-दूनी रात चौगुनी गति से इस मूल्य-वृद्धि के बढ़ने के आधार और कारण क्या है ?

भारतवर्ष में वस्तुओं की बढ़ती हुई कीमतों के विषय में यह तथ्य स्पष्ट हो जाता है कि आजादी के बाद हमारे देश में कीमतों की बेशुमार वृद्धि हुई है। बार-बार सत्ता-परिवर्तन और दलों की विभिन्न सिद्धान्तवादी विचारधाराओं से अर्थव्यवस्था को कोई निश्चित दिशा नहीं मिली है। बार-बार सत्ता परिवर्तन के कारण अर्थव्यवस्था पर बहुत असर पड़ा है। जो भी दल सत्ता में आया, उसने अपनी-अपनी आर्थिक नीति की लागू किया। यों तो सभी सरकार ने मुद्रास्फीति पर काबू पाने को बराबर प्रयास किया। फिर भी अपेक्षित सफलता किसी भी सरकार को नहीं मिली।

प्रथम पंचवर्षीय योजना में कृषि उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि होने के कारण थोक कीमतों में 18.4 प्रतिशत कमी हुई। लेकिन इस योजना के अन्त में कीमतों का बढ़ना पुनः जारी हो गया। दूसरी पंचवर्षीय योजना के दौरान कीमतों का बढ़ना । रुका नहीं और इनकी वृद्धि 30 प्रतिशत हो गई। तीसरी पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत खाद्यान्न की अत्यधिक वृद्धि के कारण कीमतों की वृद्धि दर लगभग स्थिर थी। । लेकिन सन् 1962 में चीनी आक्रमण और सन् 1965 में पाकिस्तानी आक्रमण के फलस्वरूप युद्ध-खर्च के साथ-साथ अन्य राज्यों में सूखा और बाढ़ की भयंकर स्थिति  से खाद्यान्न में भारी कमी के कारण मूल्य दर बढ़ना शुरू हो गयी। इसी प्रकार से सन् 1971 में पाकिस्तानी आक्रमण के साथ लगभग एक करोड़ शरणार्थियों के पूर्वी पाकिस्तान से आने के कारण सरकार को खर्च पूरा करने के लिए अतिरिक्त कर

भी लगाने पड़े थे। इससे वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि दर करनी पड़ी। इस प्रकार  समय-समय पर मूल्य स्थिरता के बाद मूल्यवृद्धि इस देश की नियति बन गई है।

वस्तुओं की कीमतों में लगातार वृद्धि होने के कारण अनेक हैं। जनसंख्या का तीव्र गति से बढ़ने के कारण पूर्ति माँग के अनुसार नहीं बढ़ना, मुद्रापूर्ति का लगभग एक प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ते जाना और वस्तु का उत्पादन इस गति से न होने के साथ-साथ रोजगारों में वृद्धि, घाटे की वित्त-व्यवस्था, शहरीकरण के प्रवृत्ति काले धन का दुष्प्रभाव तथा उत्पादन में धीमी वृद्धि आदि के कारण कीमती में वृद्धि हुई। यही नहीं देश में भ्रष्ट व्यवसायी और दोषपूर्ण वितरण व्यवस्था ने कीमतों में निरन्तर वृद्धि की है।

कीमतों में निरन्तर वृद्धि के मुख्य कारणों में सर्वप्रथम एक यह भी कारण | है कि विज्ञान की विभिन्न प्रकार की उपलब्धियों से आज मानव मन डोल गया है। वह विज्ञान के इस अनीखे चमत्कार में आ गया है। इनके प्रति लालायित होकर आज मनुष्य में अपनी इच्छाओं को बेहिसाब बढ़ाना शुरू कर दिया है। फलतः वस्तु की माँग और पूर्ति उत्पादन से कहीं अधिक होने लगी है। इसलिए माँग की और  खपत की तुलना में वस्तु उत्पादन की कमी देखते हुए वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि करने के सिवाय और कोई चारा नहीं रह जाता है। इस तरह महँगाई का दौर हमेशा होता ही रहता है।

वस्तुओं की कीमतों के बढ़ने से जीवन का अव्यवस्थित हो जाना स्वाभाविक है। आगे की कोई आर्थिक नीति तय करने में भारी अड़चन होती है। कीमतों की वृद्धि दर और कितनी और कव घट-बढ़ सकती है, इसकी जानकारी प्राप्त करना एक कठिन बात है। महंगाई बढ़ने से चारों ओर से जन-जीवन के अस्त-व्यस्त हो जाता है। इससे परस्पर विश्वास और निर्भरता की भावना समाप्त होकर कटुता का विष बीज बो देती है। अतएव वस्तुओं की बढ़ती हुई कीमतों को स्थिर करने के लिए कोई कारगर कदम उठाना चाहिए। इससे जीवन और समुन्नत और सम्पन्न  हो सके।

निबंध नंबर : 02

मँहगाई की समस्या

Mehangai ki Samasya

भूमिका- मूल्य वृद्धि या मंहगाई क्या है ? दैनिक जीवन के उपयोग की वस्तुओं के मूल्य बढ़ जाते हैं और जन साधारण उन वस्तुओं को सुविधापूर्वक प्राप्त नहीं कर पाता, तो उस समय समाज में अशान्त फैलती है। स्पष्ट है कि दैनिक उपयोग की वस्तुओं के मूल्य बढ़ जाना ही मंहगाई कहलाती है। वर्तमान भारत में इस मंहगाई के कारण ही वर्ग भेद बढ़े हैं तथा निर्धन व्यक्ति, मजदूर वर्ग बढ़ती हुई मंहगाई के चक्र में पिसते गए हैं।

मंहगाई के कारण- वस्तु की मांग और उत्पादन का सीधा सम्बन्ध है। यदि वस्तु की मांग बढ़ती है तो उसका उत्पादन भी बढ़ता है। यदि वस्तु की मांग घटती है तो स्वाभाविक रूप से उसका उत्पादन भी घटेगा। जब उत्पादन की अपेक्षा मांग बढ़ती है तो वस्तुओं को अधिक ऊंचे भाव पर बेचा जाता है जिससे स्वाभाविक ही महंगाई बढ़ेगी। महंगाई का सबसे बड़ा कारण होता है, उपज में कमी। सूखा पड़ना, बाढ़ आना, चोर बाजारी, जमाखोरी और भ्रष्टाचार भी इसके कारण है। भारत वर्ष को चीन और पाकिस्तान जैसे देशों से युद्धों का सामना करना पड़ा। 1971 में पाकिस्तान से युद्ध होने के बाद बंगला देश से करोड़ों शरणार्थी भारत आए और उन पर करोड़ों रुपया व्यय करना पड़ा।

दूसरा बड़ा कारण जमाखोरी है। उपज जब मण्डियों में आती है, अमीर व्यापारी भारी मात्रा में अनाज एवं वस्तुएं खरीद कर अपने गोदाम भर लेता है और इस प्रकार बाजार में वस्तुओं की कमी हो जाती है। व्यापारी अपने गोदामों की वस्तुएं तभी निकालता है जब उसे कई गुणा अधिक कीमत प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त मुद्रा-स्फीति के कारण भी चीजें महंगी होती जा रही हैं। राष्ट्र की उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाना अनिवार्य है। इसके साथ ही कार के पास आवश्यक वस्तुओं के विशाल भण्डार होने चाहिए ताकि समय आने पर व्यापारी अनचाह रूप म कीमतें बढ़ाए तो सरकार आवश्यक अन्न, चीनी आदि का वितरण कर सके। वितरण प्रणाली में सुधार करना आवश्यक है।

सरकारी तंत्र में भी सुधार करना आवश्यक है। रिश्वतखोर सरकारी कर्मचारी जो व्यापारियों से ‘महीना’ लेकर उस पर बोझ डालती है। इस पद्धति से कठोरता से निपटना होगा। कर चोरी और कर वसली जैसी समस्याओं के लिए भी कठोर उपाय अपनाने होगें। उचित मूल्यों की दुकानें खोलना, राशिनिंग करना भी महंगाई को रोकने के लिए आवश्यक है। देश का कितना दुर्भाग्य है कि स्वतन्त्रता के लम्बे समय के बाद भी किसानों की सिंचाई की पर्ण सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।

उपसंहार- किसी भी देश की प्रगति तभी हो सकती है। जब देश के नागरिकों के सामने सदैव रोटी, मकान या कपडे की समस्या न हो। जीवन की गाड़ी को चलाने के लिए जीवनोपयोगी वस्तुओं का सुलभ होना अनिवार्य है। यदि निम्न वर्ग के लोगों को उचित दाम पर आवश्यक वस्तुएं नहीं मिलेंगी तो असंतोष बढ़ेगा और हमारी स्वतन्त्रता के लिए पुन: खतरा पैदा हो जाएगा।

निबंध नंबर : 03

भारत में निवास करने वाला शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा। महंगाई से आक्रांत न हो। आज यह समस्या मानव त्रासदी का प्रमुख कारण बनी हुई है। बाजार में उपभोग्य वस्तुओं की कीमतें दिन-प्रतिदिन बदली ही जा रही हैं। आज अधिकांश परिवार महंगाई के कारण संकट में इस कारण वे अपने परिवारीजनों का भरण-पोषण करने में असमर्थ है। मुद्रा की कीमत दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। इस समस्या से जनता तथा सरकार दोनों परेशान हैं। इस प्रकार समस्त देश का जीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है। यदि शीघ्र ही इसका निराकरण नहीं किया गया तो देश में क्रांति उत्पन्न हो जाएगी और भयंकर विद्रोह छिड़ जाएगा।

आज दैनिक प्रयोग में आने वाली वस्तओं की कीमत निरंतर बढ़ती जा रही है। उससे हमारे समक्ष अनेक समस्याएँ उपस्थित हो गई हैं। जैसे: –

  • महंगाई तो बढ़ रही है, परंतु उपभोग्य वस्तुओं का उत्पादन उस गति से नहीं हो पा रहा है। अतः वस्तु के अभाव के कारण मूल्यों में तीव्रतर वृद्धि होती जा रही है। हालांकि भारत सरकार इसे रोकने का प्रयास कर रही है, लेकिन अभी वह इसमें पूर्णत: सफल नहीं हुई है।
  • बढ़ती हुई महंगाई से पूरा देश आक्रांत है। जिस गति से रुपए का मूल्य गिर रहा है, आज एक रुपया 1947 के 10 पैसे की कीमत के बराबर है। इससे वस्तु के उत्पादन में वद्धि होने पर भी उसकी कीमत निरंतर बढ़ रही हैं।
  • आज व्यक्ति वस्तु के अभाव के भय से उसका संचय करना में जुटा है और इस प्रवृत्ति के कारण गरीब एवं मध्यम परिवार महगा। के शिकार होते जा रहे हैं।
  • पूंजीपति लोग मनमानी मात्रा में वस्तुओं का संग्रह करके बाजार अभाव पैदा कर रहे हैं और संग्रह की हुई वस्तुओं को मनमाने मूल्य पर बेच रहे हैं जिससे महंगाई निरंतर बढ़ती ही जा रही है। इस पर कार रोक लगा रही है, पर पूर्णरूप से सफलता अभी नहीं मिली है।
  • चूंकि कुछ क्षुद्र राजनेता काले बाज़ार को प्रोत्साहन देते हैं, अत: जह शासन प्रणाली भी महंगाई की समस्या को बढ़ावा देती है। इससे रिश्वतखोरी और काले धन वाले लोग पनप रहे हैं और वे सामाजिक जन-जीवन को खतरे में डाल रहे हैं।
  • हम विदेशों में खाद्यान्न के बदले अन्य वस्तुओं को भेज रहे हैं जिससे महंगाई में वृद्धि हो रही है।

आज बढ़ती हुई महंगाई से समस्त जनता में त्राहि-त्राहि मची हुई है। लेकिन यह परेशानी तभी हल हो सकती है जब सभी देशवासी संकल्प करें कि वे मुनाफाखोरी, चोरबाज़ारी और भ्रष्टाचारी को कदापि सहन नहीं करेंगे। सचमुच तभी इस समस्या का समाधान हो सकता है।

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