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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध – Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi : आज हमने आदर्श विद्यार्थी पर निबंध लिखा है इस निबंध की सहायता से विद्यार्थियों को पढ़कर उन्हें अच्छी शिक्षा मिलेगी और उन्हें एक आदर्श विद्यार्थी बनने की प्रेरणा भी मिलेगी जिससे उनके जीवन में बदलाव आएगा और वे अच्छी प्रकार से पढ़ लिख पाएंगे और सफलता को प्राप्त कर पाएंगे.

आदर्श विद्यार्थी पर यह निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के विद्यार्थियों की सहायता के लिए लिखा गया है.

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi

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Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi for Class 1,2,3,4

एक आदर्श विद्यार्थी का लक्ष्य होता है कि वह एकाग्रता पूर्वक पढ़ाई करके एक सफल व्यक्ति बने. आदर्श विद्यार्थी देश की तरक्की में चार चांद लगा देता है वह हमेशा अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए ही सोचता रहता है.

एक आदर्श विद्यार्थी वह होता है जो विद्यालय में प्रतिदिन जाता हूं और शिक्षकों द्वारा पढ़ाए जाने पर एकाग्रता पूर्वक पढ़ता हूं.

वह बेकार की बातों में अपना समय व्यर्थ नहीं करता है. वह नियमित रूप से स्कूल से मिले हुए होमवर्क को करता है और साथ ही पढ़ाए गए पाठ को दोहराता है.

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आदर्श विद्यार्थी हमेशा अनुशासन में रहता है वह साफ सुथरे कपड़े पहनता है और उसकी आंखों में एक अलग ही तेज होता है वह निडर और साहसी होता है. स्कूल के सभी बच्चे उसकी तरह बनना चाहते हैं आदर्श विद्यार्थी अन्य विद्यार्थियों का प्रेरणा स्रोत होता है.

वह हमेशा अपने से बड़ों का सम्मान करता है और सभी के साथ प्रेम भाव से रहता है.

Best Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi 250 words

एक आदर्श विद्यार्थी अपने स्कूल के साथ-साथ अपने माता-पिता और देश का नाम भी रोशन करता है ऐसे विद्यार्थी बचपन से ही बहुत होशियार होते हैं और इनके मुंह पर एक अलग सा ही तेज होता है. ऐसे विद्यार्थी हमेशा दूसरों के प्रति सेवा भावना रखते हैं.

ऐसे विद्यार्थियों को जो भी कार्य दिया जाता है वह पूरी एकाग्रता से करता है और कार्य पूरा होने तक अपना कर्तव्य निभाता है. आदर्श विद्यार्थी कर्मठ और ईमानदार होते है. ऐसे विद्यार्थी हमेशा कुछ ना कुछ सीखने की कोशिश करते रहते हैं अपने समय का सदुपयोग करते है.

आदर्श विद्यार्थी हमेशा सत्य का साथ देते है इन्हें झूठ से बहुत नफरत होती है. ऐसे ही झूठ बोलने वाले लोगों को सत्य बोलने के लिए प्रेरित करते है. विद्यार्थी हमेशा सभी की सहायता के लिए तत्पर रहते है. आदर्श विद्यार्थी हमेशा अपने जीवन में कुछ ना कुछ नियम बना कर चलता है और उनका पालन करता है.

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ऐसे विद्यार्थी अपना जीवन अनुशासन में रहकर व्यतीत करते हैं वह कभी भी विद्यालय में उत्पात मचाते है. हमेशा अपने गुरुजनों की आज्ञा का पालन करते है और अपने माता-पिता, अपने से बड़े लोगों का हमेशा सम्मान करते है.

इन विद्यार्थियों को विलासिता की चीजों की लालसा नहीं होती है इन्हें तो सिर्फ अच्छी किताबें पढ़ने का शौख होता है. ऐसे विद्यार्थी महान लोगों की किताब पढ़कर उससे कुछ ना कुछ सीखते रहते हैं और साथ ही अपने जीवन में भी इन बातों को उतारते है. जिससे भविष्य में ये सफलता के शिखर को छूते है.

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi for Class 5,6,7,8 Student

एक विद्यार्थी ही किसी देश के आने वाले भविष्य का निर्माण करता है क्योंकि विद्यार्थियों को ही आगे जाकर युवा शक्ति के रूप में उभरना है एक विद्यार्थी यह जो किसी देश को अच्छा बना सकता है तो किसी देश को पूरा भी बना सकता है इसीलिए एक विद्यार्थी का आदर्श विद्यार्थी होना बहुत आवश्यक होता है.

आदर्श विद्यार्थी वह नहीं होता है जो सिर्फ कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करता है आदर्श विद्यार्थी वह होता है जो कक्षा में अच्छे अंक लाने के साथ साथ सामाजिक जीवन की भी समझ रखता हो और बड़ों का सम्मान करता हो.

एक अच्छे विद्यार्थी की निशानी गई होती है कि वह हमेशा आशावादी बना रहे क्योंकि अगर वह आशावादी नहीं होगा तो कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाएगा और बुरी संगत में पड़ सकता है.

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एक आदर्श विद्यार्थी हमेशा अपने सहपाठियों की मदद करता है कोई भी मुसीबत आने पर उनका डटकर सामना करता है वह ईमानदारी और कर्मठता पूर्वक अपने कर्तव्यों को पूरा करता है. वह हमेशा सभी लोगों से अच्छा व्यवहार करता है उसका आचरण हमेशा हंसमुख और दिल जीतने वाला होता है.

एक अच्छा विद्यार्थी वही होता है जो सदैव सहायता करने के लिए तत्पर रहता हो और पढ़ाई के साथ साथ खेलकूद वाद विवाद प्रतियोगिता और पुरस्कार जीतने के साथ ही दिल जीतने की भी क्षमता रखता हो, वह हमेशा नियमित रूप से सुबह जल्दी उठता है और स्वास्थ्य के प्रति हमेशा सजग रहता है इसलिए वह सुबह योगा भी करता है और मन को शांत रखने के लिए ध्यान भी लगाता है.

एक आदर्श विद्यार्थी हर काम समय पर करता है क्योंकि उसे समय के मूल्य की अच्छे से पहचान होती है उसकी सोच अपने तक सीमित नहीं रहती है वह अन्य लोगों के बारे में भी उतना ही सोचता है वह हर धर्म और देश के नागरिकों का सम्मान करता है.

वह हमेशा नियमों की पालना करता है और जो नियमों का पालन नहीं करता उन्हें उसके बारे में समझाता है ऐसे विद्यार्थी ही आगे जाकर अपने मां बाप का नाम और देश का नाम रोशन करते है. आदर्श विद्यार्थी हमेशा अपनों को साथ लेकर चलता है.

जिससे वह स्वयं तो सफल होता ही है साथ में अपने साथियों को भी सही राह पर ले जाकर सफलता का रास्ता दिखाता है.

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi 1400 Words

एक आदर्श विद्यार्थी जन्म से आदर्श विद्यार्थी नहीं होता है वह अच्छे लोगों के साथ रहकर अच्छी शिक्षा प्राप्त करके और अच्छे गुणों को अपना कर ही एक आदर्श विद्यार्थी बनता है.

जब भी कोई व्यक्ति एक कार्य को बार बार करता है तो है उसमें कर्मठ हो जाता है और उसको वह कार्य पसंद आने लगता है और आसानी से हो जाए उसे बार-बार कर पाता है और वह सफल हो जाता है.

उसी प्रकार विद्यार्थी भी अगर बचपन से ही अच्छे को को अपनाएं तो वह भी जिंदगी के हर मोड़ पर कठिनाइयों से लड़ता हुआ सफलता को प्राप्त कर सकता है.

आदर्श विद्यार्थी की विशेषताएं –

(1) कर्मठ – आदर्श विद्यार्थी जब भी कोई कार्य करता है तो वह उस कार्य को पूरा मन लगाकर करता है जिसके कारण वह हमेशा सफलता को प्राप्त करता है इसी कारण वह पढ़ाई में खेल में एवं अन्य क्षेत्रों में सफल हो जाता है क्योंकि वह निरंतर उसके लिए कर्मठता पूर्वक प्रयत्न करता रहता है.

(2) ऊर्जावान – अच्छा विद्यार्थी हर दिन नई ऊर्जा के साथ उठता है वह कभी भी किसी प्रकार का अलग से नहीं करता है वह अच्छा भोजन खाता है साथ ही योगा और व्यायाम भी करता है जिससे उसका शरीर पूरे दिन ऊर्जा से भरा हुआ रहता है और उसका पढ़ाई में अत्यधिक मन लगता है.

(3) जिज्ञासु – एक सफल विद्यार्थी का पहला रहस्य यही है कि वह जिज्ञासु होता है क्योंकि जिज्ञासु विद्यार्थी अपने शिक्षक से हर प्रकार के सवाल करता है और उनका जवाब हासिल करता है लेकिन जो विद्यार्थी शिक्षक से बात ही नहीं करता किसी भी प्रकार की सीखने की जिज्ञासा नहीं रखता तो वह कभी भी सफल नहीं हो सकता है

(4) सकारात्मक – विद्यार्थी का सकारात्मक होना बहुत जरूरी है क्योंकि जब तक विद्यार्थी सकारात्मक नहीं होगा तब तक वह किसी भी क्षेत्र में अपना शत-प्रतिशत नहीं दे पाएगा और वह लक्ष्य से भटक जाएगा. विद्यार्थी को मुसीबत में होने पर भी सकारात्मक सोचना चाहिए तभी जाकर उस मुसीबत का हल निकाला जा सकता है.

(5) धैर्यवान और विवेकशील – आदर्श विद्यार्थी हमेशा धैर्यवान और विवेकशील होते हैं यह कभी भी किसी कार्य को करने के लिए जल्दबाजी नहीं करते हैं और कठिनाई आने पर अपने विवेक से काम लेते है इसी कारण वे एक आदर्श विद्यार्थी बन पाते है.

(6) सच्चा और आज्ञाकारी – एक आदर्श विद्यार्थी हमेशा सच बोलता है और जो विद्यार्थी हमेशा सच बोलता है वही आगे बढ़ता है क्योंकि जो झूठ बोलता है वह एक झूठ को छुपाने के लिए उसे और अधिक झूठ बोलने पड़ते है जिसके कारण वह कभी भी सफल नहीं हो पाता है.

अच्छे विद्यार्थी हमेशा अपने से बड़ों की आज्ञा का पालन करते है जिसके कारण वे सभी के प्रिय होते है और अपने कार्य में भी सफल होते है.

(7) नेतृत्व करने वाला – अच्छा विद्यार्थी नेतृत्व करने वाला होता है वह हमेशा अपने साथियों को साथ लेकर चलता है वह अपने ज्ञान का कभी भी अभिमान नहीं करता है इसी कारण उसमें धीरे-धीरे नेतृत्व करने की क्षमता विकसित होती है वह आगे जाकर देश के लिए अच्छा कार्य करता है.

(8) ज्ञानवान – आदर्श विद्यार्थी हमेशा ज्ञानवर्धक बातें करता है वह कभी भी फालतू की चर्चा नहीं करता है हमेशा अपने काम से काम रखता है और कक्षा में भी हमेशा प्रथम आता है क्योंकि वह हमेशा ज्ञानवर्धक पुस्तकें पढ़ता रहता है जिसे उसके ज्ञान में बढ़ोतरी होती रहती है.

(9) अनुशासन प्रिय – अच्छा विद्यार्थी हमेशा अनुशासन में रहता है वह समय पर उठता है समय पर भोजन करता है समय पर स्कूल जाता है, समय पर खेलता है और समय पर अपना कार्य करता है. वह स्कूल समाज और देश के नियमों का भी पालन करता है इसी कारण अनुशासन में रहने वाले विद्यार्थी हमेशा अन्य विद्यार्थियों से आगे रहते है.

(10) समय का सदुपयोग – आदर्श विद्यार्थी हमेशा समय का सदुपयोग करता है क्योंकि एक बार समय अगर बीत जाता है तो वह दोबारा लौटकर नहीं आता है इसलिए वह अच्छे से जानता है कि समय की बर्बादी उसके जीवन के बर्बादी है इसलिए वह हमेशा समय का सदुपयोग करके अपना सफल भविष्य बनाता है.

आदर्श विद्यार्थी कैसे बने –

(1) आज्ञाकारी बने – आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए आपको अपने माता पिता, गुरुजनों और अन्य बड़े लोगों की आज्ञा का पालन करना होगा क्योंकि वे जो भी कार्य आपको करने के लिए कहते हैं वह आप के भले के लिए ही होता है जैसे ही आप बड़ों की आज्ञा का पालन करने लगेंगे आपको आपके जीवन में बदलाव दिखाई देने लग जाएंगे.

(2) दूसरों के प्रति सद्भावना रखें – एक आदर्श विद्यार्थी को हमेशा दूसरों के प्रति सद्भावना रखनी चाहिए उन्हें कभी भी किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए क्योंकि आप दूसरे लोगों का ख्याल रखेंगे तो वह भी आपका ख्याल रखेंगे और आपको भी उतना ही प्यार करेंगे.

(3) अच्छी पुस्तकें पढ़ें – जीवन भी अच्छी पुस्तकें पढ़ना बहुत जरूरी होता है और एक विद्यार्थी के लिए तो यह और भी आवश्यक हो जाता है क्योंकि यह जीवन का पहला बड़ा होता है ऐसे ही इसी वक्त विद्यार्थी को अच्छी शिक्षा मिल जाती है तो वह जीवन भर अच्छा काम करता है, अच्छे लोगों के साथ रहता है और जीवन में सभी सफलताओं को प्राप्त करता है.

(4) आदर और सम्मान करें – एक विद्यार्थी को सभी व्यक्तियों का सम्मान करना चाहिए और उनका आदर भी करना चाहिए क्योंकि आदर और सम्मान एक ऐसी चीज है जिसे आप जितना दोगे उतना ही आपको मिलेगा इसलिए अगर आप जीवन में सफल होना चाहते हैं आपको दूसरे लोगों को आदर और सम्मान देना पड़ेगा.

(5) दिनचर्या की तालिका बनाएं – कई विद्यार्थियों को पढ़ने लिखने में बहुत दिक्कत आती है क्योंकि वह अपने समय का सही से उपयोग नहीं करते हैं जिसके कारण वह पढ़ लिख नहीं पाते है और परीक्षा में सफल नहीं हो पाते है.

इसलिए विद्यार्थियों को अपनी दिनचर्या की तालिका बनानी चाहिए जिससे उन्हें आसानी होगी कि कौन सा कार्य होने कब करना है और कौन सा विषय कब पढ़ना है इससे उनकी पढ़ने में भी रुचि बढ़ेगी और समय का सदुपयोग भी होगा.

(6) स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें – जो व्यक्ति स्वस्थ नहीं रहता है वह पढ़ाई लिखाई तो क्या वह कुछ भी नहीं कर पाता है इसलिए हमेशा विद्यार्थी को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए क्योंकि बिना स्वस्थ शरीर के आप कुछ भी नहीं कर सकते है.

(7) नम्र और उदार बने – कई विद्यार्थी काफी लड़ाई झगड़ा करते हैं और एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं उन्हें ऐसा कभी भी नहीं करना चाहिए उन्हें अपने साथियों और अन्य लोगों के साथ नम्र व्यवहार करना चाहिए जब कभी भी किसी को उनकी आवश्यकता हो तो उदारता पूर्वक उनकी सहायता करनी चाहिए.

(8) सेवा भावना रखें – विद्यार्थियों को हमेशा सेवा भावना रखनी चाहिए उन्हें बड़े बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए क्योंकि उन्हीं से उन्हें पूरे जीवन की जानकारी मिलती है और नई शिक्षाप्रद कहानियां भी सुनने को मिलती है.

(9) आशावादी रहे – जो विद्यार्थी थोड़ी सी असफलता मिलने पर निराश हो जाते हैं उन्हें कभी भी निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि निराशावादी लोग कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर सकते जैसे कि उगते हुए सूरज को सभी देखना पसंद करते है लेकिन डूबते हुए सूरज को कोई भी देखना पसंद नहीं करता है इसलिए हमेशा आशावादी रहकर सफलता प्राप्त करें

(10) लक्ष्य का निर्धारण करें – अगर आपको किसी कार्य में सफलता प्राप्त करनी है तो आपको हमेशा उसका लक्ष्य निर्धारण करना आवश्यक होता है लक्ष्य कि आप समंदर में खोई हुई नाव की तरह होते हो जो की लहरों के थपेड़े खाते-खाते नष्ट हो जाती है इसलिए हमेशा लक्ष्य का निर्धारण करके आगे पढ़े आपको सफलता अवश्य मिलेगी.

(11) सदैव विद्यालय जाए – कुछ विद्यार्थी विद्यालय में जाने से कतराते है और कुछ विद्यार्थी कोई ना कोई बहाना बनाकर विद्यालय से छुट्टी ले लेते है और वह अनमोल शिक्षा से वंचित रह जाते है इसलिए हमेशा विद्यालय जाना आवश्यक होता है.

(12) बुरी संगति से दूर रहे – कुछ विद्यार्थी बुरे लोगों के साथ रहकर बुरी संगति में पड़ जाते है जिसके कारण उनका पढ़ाई लिखाई में मन नहीं लगता है और उनका पूरा जीवन खराब हो जाता है इसलिए हमेशा अच्छे लोगों के साथ रहे जैसे आप भी एक आदर्श विद्यार्थी बन सकें.

निष्कर्ष –

एक आदर्श विद्यार्थी ही जीवन में सफल हो सकता है क्योंकि आदर्श विद्यार्थी में बचपन से ऐसे गुण होते हैं जिससे वह जीवन में आने वाली हर मुश्किलों का धैर्य पूर्वक सामना कर सकता है वह अन्य लोगों की तुलना भी बहुत समझदार होता है इसीलिए वह बचपन से ही अपना लक्ष्य निर्धारण कर लेता है और बड़ी सफलता प्राप्त करता है.

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23 thoughts on “आदर्श विद्यार्थी पर निबंध – Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi”

Sir this essay is osm i appreciate it thank u so much sir it helped me a lot keep it up sir

Welcome Rupali gupta

Sorry to say but there are so many mistakes in it but it is nice . Keep it up . And thanks for this . ☺☺☺👌👍👍

Thank you Prachi

op essay nice nice

Thank you Iron man for appreciation.

Thanks for this beautiful essay 😀😀😀

Welcome, Prabhnoor Kaur ji

thanks for this beautiful essay

Thank you utkarsh for appreciation keep visiting Hindi yatra.

Thank you very much

Welcome Gurveer, keep visiting Hindi yatra.

Admin ji bahut badhiya soch paye hai aapne aise hi nibandh likhte rehna aur hame aur jagrut aur hoshiyaar banana Meri teacher ko yah bahut acha laga unhone aapki kafi tarif ki hai….

Aayush Divase sarhana ke liye aap ka bahut bahut dhanyawad, or aap ki teacher ko hindi yatra ki tarf se dhanyawad bol na.

Hmm mujhe ye San essay padh me acha laga aur jab ye essay Mene MERI teacher ko dikhaya to MERI class m Impression ban gyi

Priyanshu achi baat hai aap ko nibandh pasand aaya, aise hi nibandh padhne ke liye hindi yatra par aate rahe.

Exam me mujhe is me 25 mey 20 mile DHANYAVAAD

Karttavy Mehdiratta, bhut acche mazrks mile hai aap ko aise hi mehnat karte rahe, dhanyavad.

Yah paragraph Kaisa hoga ma ak Jan Ka nam bata ti hu diya

Tnks for such a wonder essay of 250 words only really tnks to producer coz it have great meaning

Welcome Saad and keep visiting our website.

Aur aaisa hi bhejiye

Dhanyawad Saurav kumar, hum aise hi essay likhte rhe ge aap website par aate rahe.

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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध (Ideal Student Essay in Hindi)

एक आदर्श छात्र वह है जो समर्पित रूप से अध्ययन करता है, स्कूल और घर में ईमानदारी से व्यवहार करता है और साथ ही सह-पाठ्यचर्या वाली गतिविधियों में भाग लेता है। हर माता पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा एक आदर्श छात्र बने जो दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सके। आदर्श छात्रों का हर जगह (स्कूलों, कोचिंग सेंटरों और खेल अकादमियों में) स्वागत किया जाता है। आदर्श छात्र सटीकता के साथ उन्हें सौंपे गए सभी कार्यों को पूरा करते हैं। वे शीर्ष पर रहना पसंद करते हैं और उस स्थान को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।

आदर्श विद्यार्थी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Ideal Student in Hindi, Adarsh Vidyarthi par Nibandh Hindi mein)

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

एक आदर्श छात्र वह है जिसे हर दूसरा छात्र देखता है। कक्षा में या खेल के मैदान में अपने सभी कार्यों को पूरा करने के लिए उनकी सराहना की जाती है। वह अपने शिक्षकों का पसंदीदा होता है और स्कूल में विभिन्न कर्तव्यों का कार्यभार उसे सौंपा जाता है। हर शिक्षक चाहता है कि उनकी कक्षा ऐसे छात्रों से भरी रहे।

समाज के लिए बहुमूल्य

हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे दूसरों के लिए एक आदर्श उदाहरण बने। कई छात्र अपने माता-पिता की अपेक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं लेकिन एक आदर्श छात्र बनने के लिए उनमें दृढ़ संकल्प और कई अन्य कारकों की कमी होती है। कुछ लोग प्रयास करते हैं और असफल होते हैं पर कुछ लोग प्रयास करने में ही असफ़ल हो जाते हैं लेकिन क्या अकेले छात्रों को इस विफलता के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए? शायदनहीं!

अन्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा

एक आदर्श विद्यार्थी समाज के अन्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होता है। समाज के अन्य विद्यार्थी उसके आचरण और स्वभाव से सिखते है। आदर्श विद्यार्थी समाज के लिए एक बहुमूल्य रत्न होता है , जो समाज को नई ऊंचाइयों पर ले जाता है।

किसी ने भी परिपूर्ण या आदर्श रूप में जन्म नहीं लिया है। किसी भी छात्र में आदतें पैदा करने में लिए समय लगता है जिससे वही छात्र आदर्श बनता है। माता-पिता और शिक्षक दोनों को बच्चे में छिपी संभावितता पहचानने के लिए प्रयास करने चाहिए।

आदर्श छात्र पर निबंध : एक आदर्श छात्र की विशेषताएं – 2 (400 शब्द)

एक आदर्श छात्र वह है जो शिक्षा के साथ-साथ अन्य सह-पाठयक्रम गतिविधियों में भी अच्छा है। हर माता-पिता चाहते हैं कि उसका बच्चा स्कूल में अच्छा प्रदर्शन करे पर कुछ ही बच्चे अपने माता-पिता की उम्मीदें पूरी कर पाते हैं। माता-पिता की भूमिका न केवल अपने बच्चों को व्याख्यान देने और उनसे उच्च उम्मीदें लगाने की होती है बल्कि उन अपेक्षाओं को पूरा करने में उनकी मदद करने और उनका मार्गदर्शन करने की भी होती है।

एक आदर्श छात्र की विशेषताएं

यहां एक आदर्श छात्र की मुख्य विशेषताएं बताई गई हैं:

एक आदर्श छात्र लक्ष्य निर्धारित करता है और उन्हें प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करता है। वह अध्ययन, खेल और अन्य गतिविधियों में सर्वश्रेष्ठ करना चाहता है और ऐसा करने के लिए अपने सर्वोत्तम प्रयास में शामिल होने से संकोच नहीं करता।

  • लक्ष्य निर्धारण करना

एक आदर्श छात्र कभी भी मुश्किल होने पर हार नहीं मानता। वह निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निर्धारित रहता है और सफ़लता प्राप्त करने के लिए लगातार कार्य करता है।

  • समस्या निवारक

कई छात्र विद्यालय / कोचिंग सेंटर तक देर से पहुंचने, अपने होमवर्क को पूरा नहीं करने, परीक्षा में अच्छी तरह से प्रदर्शन नहीं करने आदि के लिए बहाने देते हैं। हालांकि एक आदर्श छात्र वह है जो बहाने मारने की बजाए ऐसी समस्याओं का हल ढूंढता है।

आदर्श छात्र भरोसेमंद होता है। शिक्षक अक्सर उन्हें अलग-अलग कर्तव्यों का आवंटन करते हैं जो वे बिना असफल हुए पूरा करते हैं।

एक आदर्श छात्र हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखता है। यदि पाठ्यक्रम बड़ा है, यदि शिक्षक अध्ययन करने के लिए समय दिए बिना परीक्षा लेता है, यदि कुछ प्रतियोगी गतिविधियां अचानक रखी जाती हैं तो भी आदर्श छात्र घबराता नहीं है। आदर्श विद्यार्थी हर स्थिति में सकारात्मक बना रहता है और मुस्कुराहट के साथ चुनौती स्वीकार करता है।

  • जानने के लिए उत्सुक

एक आदर्श छात्र नई चीजें सीखने के लिए उत्सुक रहता है। वह कक्षा में सवाल पूछने में संकोच नहीं करता। एक आदर्श छात्र भी पुस्तकों को पढ़ने और इंटरनेट पर सर्फ करने के अपने तरीके से अलग-अलग चीज़ों के बारे में अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए तत्पर रहता है।

  • पहल करता है

एक आदर्श छात्र भी पहल करने के लिए तैयार रहता है। यह ज्ञान और क्षमता को जानने, समझने और बढ़ाने का एक बढ़िया तरीका है।

एक आदर्श छात्र बनने के लिए दृढ़ संकल्प करना पड़ता है। परन्तु इसके लिए किए गए प्रयास अच्छे होने चाहिए। यदि कोई बच्चा कम उम्र से उपरोक्त विशेषताओं को विकसित करता है तो जैसे जैसे उसकी उम्र बढ़ती जाएगी वैसे-वैसे वह निश्चित रूप से बहुत कुछ हासिल कर लेगा।

आदर्श छात्र पर निबंध : आदर्श छात्र कैसे बने – 3 (500 शब्द)

हर एक व्यक्ति आदर्श छात्र बनना चाहता है लेकिन केवल कुछ ही ऐसा बनने में सक्षम हैं। इस प्रकार की उत्कृष्टता हासिल करने के लिए बहुत अधिक प्रयास किए जाने की ज़रूरत है। हालांकि एक बार जब आप इसे हासिल कर लेते हैं तो आपको कोई नहीं रोक सकता। हर चीज़ में अच्छा होना आदत हो जाती है और आप इससे कम कोई समझौता नहीं करना चाहते।

आदर्श छात्र कैसे बने?

यहां कुछ ऐसी तकनीकें हैं जो आपको एक आदर्श छात्र बनने में मदद करती हैं:

यदि आप एक आदर्श छात्र बनने की कामना करते हैं तो सबसे पहले आपको यह करना होगा कि आप संगठित हो। सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए अपने कमरे, अलमारी, अध्ययन की मेज और आसपास की  व्यवस्था। अव्यवस्थित परिवेश मस्तिष्क को अव्यवस्थित कर देते हैं।

हर दिन एक निश्चित समय पर जागने और सोने की कोशिश करें। अपने अध्ययनों के साथ-साथ अन्य गतिविधियों को समायोजित करने के लिए एक सूची बनाएं। अपने समय को अधिकतम इस्तेमाल करने के लिए सही शेड्यूल बनाए रखें।

  • करने वाले कामों की सूची बनाएं

दैनिक कार्यों की सूची तैयार करना अच्छी आदत है। हर सुबह दिन में पूरा करने वाले कामों की आवश्यक चीज़ों की एक सूची तैयार करें। कार्यों को प्राथमिकता दें और उन्हें समय दें। अपने पास इस तरह की सूची रखने से बेहतर समय प्रबंधन में मदद मिलती है। जैसे आप काम को पूरा करते हैं तो उनको जांचते रहें। इससे आपको उपलब्धि की भावना मिलती है और आप प्रेरित रहते हैं।

स्कूल में और अन्य जगहों में पहल करने में संकोच न करें। अपनी क्षमताओं का परीक्षण करने के लिए नई परियोजनाएं बनाएं और समझें कि आपकी रुचि वास्तव में क्या है। इस तरह आप न केवल नई चीजों के बारे में सीखेंगे बल्कि उनका प्रदर्शन करने की अपनी क्षमता को भी समझेंगे।

  • कुछ नया सीखें

पढ़ने की आदत बनाएं, सूचनात्मक वीडियो और ऐसी अन्य सामग्री देखें। यह नई चीजें सीखने, विभिन्न दृष्टिकोणों को समझने और अपने संपूर्ण ज्ञान और क्षमता को बढ़ाने का एक अच्छा तरीका है।

  • अच्छे दोस्त बनाएं

ऐसा कहा जाता है आप जिन पांच लोगों के साथ सबसे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं आप में उन पाँचों के औसत गुण आ जाते हैं इसलिए यदि आप एक आदर्श छात्र बनना चाहते हैं तो उन लोगों के साथ दोस्ती बनाएं जो अपनी पढ़ाई के प्रति गंभीर हैं और उनके साथ रहें जो प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित हैं बजाए उनके जो अपने जीवन को लापरवाही से लेते हैं।

  • स्वस्थ जीवन शैली का पालन करें

एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसमें नीचे साझा किए गए तीन पहलुओं का ध्यान रखना शामिल है:

  • स्वस्थ खाना खाएं

स्वस्थ रहने के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों को शामिल करके उचित आहार लेना जरूरी है। आप केवल तब ही अच्छे प्रदर्शन कर पाएंगे जब आप शारीरिक और मानसिक रूप से फिट होंगे।

प्रत्येक दिन 8 घंटे नींद पूरा करना आवश्यक है। आपको अपनी नींद पर किसी भी मामले में समझौता नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे आप में सुस्ती और चेहरे पर थकावट दिखती है। ज़रूरत से ज्यादा सोना भी इस तरह के प्रभाव का कारण बन सकता है तो आपको उस से भी बचाना चाहिए।

जैसे-जैसे कोई छात्र उच्च कक्षा में प्रवेश करता है वैसे-वैसे उस छात्र का जीवन काफी व्यस्त हो जाता है। शारीरिक व्यायाम करने के लिए आधे घंटे से एक घंटे की कसरत करना अनिवार्य है। आप अपनी पसंद के किसी भी व्यायाम का चयन कर सकते हैं। टहलना, साइकिल चलाना, तैराकी, योग, नृत्य या किसी भी चीज में आपकी रुचि हो सकती है।

माता-पिता को यह समझना चाहिए कि उनका बच्चा अपने दम पर उत्कृष्टता प्राप्त नहीं कर सकता है। उसे उनके समर्थन की जरूरत है। माता-पिता को बच्चो से उच्च उम्मीदें रखने की बजाए उन्हें जीवन के विभिन्न चरणों में मदद करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

Essay on Ideal Student in Hindi

निबंध – 4 (600 शब्द): क्या चीज़ छात्र को आदर्श बनाती है

आदर्श छात्र जन्म से आदर्श या संपूर्ण नहीं होते हैं। वे अपने माता-पिता और शिक्षकों द्वारा आदर्श बनाए जाते हैं। स्कूल में छात्र के प्रदर्शन पर, घर का वातावरण एक बड़ा प्रभाव डालता है। शिक्षक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि माता-पिता और शिक्षक केवल छात्र का मार्गदर्शन कर सकते हैं और अंततः यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह खुद को कैसे संचालित करता है।

क्या चीज़ छात्र को आदर्श बनाती है?

यहां कुछ चीजें हैं जो विद्यार्थी को आदर्श बनाती हैं:

  • आदर्श छात्र कक्षा में जितना ध्यान देते हैं और समझते हैं उतना ही अच्छा वे अपने कक्षा सत्रों में कर सकते हैं।
  • वे अपने संदेहों को स्पष्ट करने के लिए कक्षा में सवाल पूछने में संकोच नहीं करते।
  • वे यह सुनिश्चित करते हैं कि वे हर दिन घर पर जाने से पहले कक्षा में मिले कार्य को पूरा करें।
  • वे चीजों को व्यवस्थित रखते हैं।
  • वे न केवल अकादमिक रूप से बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करते हैं बल्कि खेल, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं, कला और शिल्प गतिविधियों जैसी अन्य गतिविधियों में भी हिस्सा लेते हैं।
  • वे पहल करते हैं और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैंI वे असफलता के डर के कारण अवसरों को नहीं छोड़ते।
  • वे विफल होने पर भी हार नहीं मानते हैं। वे चीजों को फिर से करने की कोशिश करते हैं जब तक वे वांछित परिणाम प्राप्त नहीं करते।

आदर्श छात्र स्कूल में पसंदीदा होते हैं

आदर्श छात्र वे होते हैं जो स्कूल में लगभग हर चीज में अच्छे होते हैं। वे सकारात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं। कक्षा में हर कोई उनका मित्र बनना चाहता है। सर्वश्रेष्ठ छात्र के रूप में एक आदर्श छात्र होने पर शिक्षक और साथ ही अन्य छात्रों पर अच्छी छाप पड़ती है। अगर आपका मित्र पढ़ाई में अच्छा है तो आपको पढ़ाई में सहायता मिलती है। उनके नोट्स हमेशा आपके लिए आसानी से उपलब्ध होते हैं। वह आपको नियमित रूप से अध्ययन करने और खेल, संगीत, नृत्य जैसी अतिरिक्त पाठ्यचर्या वाली गतिविधियों में भाग लेने के लिए भी प्रेरित करता है। एक व्यक्ति की कंपनी विशेष रूप से उम्र के बढ़ने वाले वर्षों में उस पर एक बड़ा प्रभाव डालती है। जो अच्छे / आदर्श छात्रों का साथ रखते हैं उनमें अच्छी आदतें पैदा होना निश्चित है।

शिक्षकों के बीच आदर्श छात्र उनका पसंदीदा होता है। शिक्षक कक्षा में दूसरों को उनका उदाहरण देते हैं और उन्हें उनकी अच्छी आदतों को अपनाने के लिए कहते हैं। शिक्षक अपनी अनुपस्थिति में इन छात्रों को अन्य कार्य सौंप देते हैं जैसे कि परियोजनाओं की तैयारी, पुस्तकों/नोटबुक का वितरण और कक्षा की निगरानी। हर शिक्षक चाहता है कि उनकी कक्षा में हर छात्र आदर्श हों।

आदर्श छात्र होना जीवन में हमेशा मदद करता है

ऐसा कहा जाता है आप जो बार-बार करते असल में आप वैसे ही होते हैं। तब उत्कृष्टता जीवन का एक रास्ता बन जाती है। एक आदर्श छात्र हमेशा व्यवस्थित होता है। वह अपने कमरे, स्कूल बैग, किताबों और अन्य सामान को एक संगठित ढंग से रखता है ताकि जब उसे ज़रूरत पड़े तब समय की बर्बादी न हो। वह जानता है कि उसे सामान की तलाश कहां करनी है। संगठित होने का मतलब केवल चीजों को सही तरीके से रखने का मतलब नहीं है बल्कि इसका मतलब है कि अपने कार्य को एक कुशल तरीके से प्राथमिकता देने और संगठित करने की क्षमता है ताकि उन्हें समय पर पूरा किया जा सके। बाद में यह एक आदत बन जाती है और यहां तक ​​कि जब छात्र बड़े होते हैं तो इस आदत की वजह से संगठित रहते हैं। जो लोग संगठित होते हैं वे दोनों निजी और पेशेवर जीवन को कुशलता से प्रबंधित कर सकते हैं।

एक आदर्श छात्र जानता है कि कैसे विभिन्न गतिविधियों के बीच एक संतुलन को बनाए रखना है और वह जैसे-जैसे पेशेवर जीवन में बढ़ता है उसके लिए कार्य-जीवन का संतुलन बनाए रखना आसान हो जाता है। वह काफी कठिन काम करता है और केंद्रित रहता है और यही बाद के जीवन में उसे बहुत कुछ करने में मदद करता है।

एक आदर्श छात्र का जीवन दूर से मुश्किल लग सकता है। हालांकि आदर्श छात्र का जीवन वास्तव में उन लोगों की तुलना में बहुत अधिक सुलझा हुआ होता है जो अपनी पढ़ाई और अन्य कार्यों पर पूरा ध्यान नहीं देते हैं। आदर्श छात्रों को महत्वकांशी माना जाता है। वे अपने जीवन में उच्च लक्ष्य रखते हैं और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।

FAQs: Frequently Asked Questions on Ideal Student (आदर्श विद्यार्थी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- अनुशासन का पालन तथा आत्मनिर्भर होने की प्रवृत्ति।

उत्तर- भारत में प्रत्येक वर्ष 17 नवंबर को विद्यार्थी दिवस मनाया जाता है।

उत्तर- संपूर्ण विश्व डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की याद में 15 अक्टूबर को विश्व विद्यार्थी दिवस मनाता है।

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Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi: जानिए आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 

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  • Updated on  
  • फरवरी 12, 2024

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi

एक आदर्श छात्र के गुणों के बारे में जानने से छात्रों को अपनी शक्तियों और कमजोरियों का आकलन करने में मदद मिल सकती है, जिससे व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा मिलता है। एक आदर्श छात्र की विशेषताओं को समझने से छात्रों को शैक्षणिक और व्यक्तिगत लक्ष्य निर्धारित करने में सहायता मिल सकती है, वे बेहतर छात्र बनने की दिशा में काम कर सकते हैं। आदर्श छात्र के बारे में पढ़ना या लिखना छात्रों को इन गुणों को अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित कर सकता है। इसलिए कई बार छात्रों को आदर्श विद्यार्थी पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 100 शब्दों में निबंध , आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 200 शब्दों में निबंध, एक आदर्श छात्र के जीवन में माता-पिता की भूमिका, एक आदर्श विद्यार्थी के लक्षण, आदर्श विद्यार्थी पर 10 लाइन्स.

एक आदर्श छात्र वह है जो सीखना पसंद करता है और स्कूल में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करता है। वे हमेशा अपने शिक्षकों की बात सुनते हैं, अपने सहपाठियों की मदद करते हैं और नियमों का पालन करते हैं। वे अपने होमवर्क और प्रोजेक्ट पर कड़ी मेहनत करते हैं और जब तक चीजें आसान नहीं हो जाती हैं तो वे हार नहीं मानते हैं। आदर्श छात्र स्कूल में भी विनम्र और सभी का सम्मान करने वाले होते हैं। वे समय पर कक्षा में आते हैं, ध्यान देते हैं और दूसरों को बाधित नहीं करते हैं। जब उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, तब भी वे सकारात्मक रहते हैं और प्रयास करते रहते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे ईमानदार और भरोसेमंद होते हैं, जो उन्हें दूसरों का आदर करने वाला व्यक्ति बनाता है। सरल शब्दों में एक आदर्श छात्र इस बात का सबसे अच्छा उदाहरण है कि स्कूल में अच्छा प्रदर्शन कैसे किया जाए और एक अच्छा इंसान कैसे बनें।

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi 200 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:

एक आदर्श छात्र वह है जो अपने शिक्षकों और बड़ों का सम्मान करता है और उनकी बात सुनता है। वे अपने गुरुओं के साथ एक मजबूत जुड़ाव महसूस करते हैं और मार्गदर्शन के लिए उनकी ओर देखते हैं। आदर्श विद्यार्थी अपने लक्ष्यों और सपनों के प्रति हमेशा सजग रहते हैं। वे हमेशा नई चीजें सीखने के लिए उत्सुक रहते हैं और खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करना कभी नहीं छोड़ते। आदर्श छात्र न केवल अपने देश से प्यार करते हैं बल्कि समाज में सभी के लिए बेहतर बनाने की दिशा में भी काम करते हैं। वे दूसरों के साथ अन्याय नहीं करते और सभी के साथ दयालुता के भाव से रहते हैं।

एक आदर्श विद्यार्थी के सर्वश्रेष्ठ गुणों में निस्वार्थ होने और दूसरों की मदद करना शामिल है। वे असफलताओं को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते बल्कि उन्हें बेहतर बनने के लिए सीखने के अवसर के रूप में उपयोग करते हैं। कोई भी व्यक्ति पूर्ण पैदा नहीं होता है, लेकिन कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के माध्यम से, वे सकारात्मक आदतों को अपनाकर दूसरों के लिए आदर्श बन जाते हैं। एक आदर्श छात्र बनने के लिए व्यक्ति को अपने प्रयासों में समर्पित और निरंतर रहना चाहिए। वे अपने साथियों के लिए एक अच्छा उदाहरण स्थापित करते हैं और दूसरों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करते हैं। एक आदर्श छात्र बनना इतना मुश्किल नहीं है। 

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध 500 शब्दों में निबंध

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi 500 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:

एक आदर्श छात्र की पहचान शैक्षणिक उपलब्धियों या बुद्धि के साथ साथ उनके सीखने और व्यक्तिगत विकास पर भी निर्भर करती है। कक्षाओं और पाठ्यपुस्तकों के साथ एक आदर्श छात्र की पहचान उनके समर्पण, जिज्ञासा, सत्यनिष्ठा और सहज व्यवहार से भी होती है। आज की गतिशील और परस्पर जुड़ी दुनिया में एक आदर्श छात्र में वे गुण होते हैं जो विकास, नेतृत्व और समाज में सकारात्मक योगदान को बढ़ावा देते हैं। आदर्श विद्यार्थी हमेशा दूसरों की मदद करते हैं और प्रत्येक क्षेत्र में अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं। 

एक आदर्श छात्र के जीवन में माता-पिता की भूमिका अहम है। माता-पिता भावनात्मक समर्थन और प्रोत्साहन प्रदान करते हैं, जिससे छात्रों को प्रेरित रहने और अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है। प्रोत्साहित करने वाले शब्द एक छात्र के आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को बढ़ा सकते हैं। शैक्षणिक प्रदर्शन और व्यवहार के संबंध में स्पष्ट अपेक्षाएं निर्धारित करने से छात्रों को यह समझने में मदद मिलती है कि उनसे क्या अपेक्षा की जाती है। माता-पिता किताबें, इंटरनेट एक्सेस और एक शांत अध्ययन स्थान जैसे आवश्यक संसाधन प्रदान करके घर पर सीखने के लिए अनुकूल माहौल बना सकते हैं। वे पढ़ाई और होमवर्क पूरा करने के लिए एक दिनचर्या स्थापित करने में भी मदद कर सकते हैं।

माता-पिता अपने बच्चों में जिम्मेदारी, अनुशासन और दृढ़ता जैसे मूल्यों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।  ये गुण शैक्षणिक सफलता और व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक हैं। स्कूली कार्य, प्रगति और चुनौतियों के बारे में माता-पिता और छात्रों के बीच नियमित संचार से माता-पिता को सूचित रहने और अपने बच्चे की शिक्षा में शामिल रहने में मदद मिलती है। यह संचार किसी भी मुद्दे या क्षेत्र की पहचान करने में भी मदद कर सकता है जहां सहायता की आवश्यकता हो सकती है। माता पिता एक आदर्श विद्यार्थी के मार्गदर्शक के रुप में कार्य कर सकते हैं। 

जैसे-जैसे छात्र बड़े होते हैं, माता-पिता को धीरे-धीरे स्वतंत्रता देते हैं, साथ ही जरूरत पड़ने पर सहायता और मार्गदर्शन भी प्रदान करते हैं। यह संतुलन छात्रों को आवश्यक जीवन कौशल विकसित करने में मदद करता है और उन्हें कक्षा से परे सफलता के लिए तैयार करता है।

एक आदर्श छात्र वह होता है जो सीखने के लिए प्रेरित और उत्सुक होता है। वे चुनौतियों से नहीं डरते और हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं। वे अपने शिक्षकों और सहपाठियों के साथ सम्मान से पेश आते हैं और सुव्यवस्थित होते हैं और अपने समय का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करते हैं। आदर्श छात्र अपने कार्यों को पूरी सजगता से करने के साथ दूसरों की भी मदद करते हैं और कक्षा में सकारात्मक योगदान देते हैं। आदर्श विद्यार्थी का लोगों के साथ प्रेम भाव से व्यवहार उसे लोगों से अलग बनाता है। आदर्श विद्यार्थी भविष्य में महान नेतृत्व वाले व्यक्ति बनते हैं। यदि आप एक आदर्श छात्र बनना चाहते हैं, तो इन गुणों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करें, और आप सही रास्ते पर होंगे।

एक आदर्श छात्र अपने माता-पिता के महत्व को समझता है और बड़े होने पर हमेशा उनका ख्याल रखता है। वे दूसरों की सेवा करने में विश्वास करते हैं और अपने परिवार की चिंताओं और मुद्दों के प्रति दयालु होते हैं। वे सबकी सेवा में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं और समाज की समस्याओं का समाधान खोजने के लिए भी हमेशा उत्सुक रहते हैं।

हमारे देश को ऐसे ही छात्रों की आवश्यकता है जो मजबूत और प्रगतिशील हों। उनमें ज्ञान की प्यास होनी चाहिए और अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करने का दृढ़ संकल्प होना चाहिए, भले ही इसके लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़े। ये छात्र हमारे देश की प्रगति और समग्र विकास के लिए आवश्यक हैं।

आदर्श विद्यार्थी पर 10 लाइन्स नीचे दी गई है:

  • एक आदर्श छात्र की पहचान सीखने और आत्म-सुधार के प्रति उनके समर्पण से होती है।
  • वे अपनी पढ़ाई और चुनौतियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदर्शित करते हैं।
  • आदर्श विद्यार्थी अपने शिक्षकों, साथियों और स्कूल के माहौल के प्रति सम्मानजनक होते हैं।
  • उनके पास मजबूत संगठनात्मक कौशल होता है और वे अपना समय प्रभावी ढंग से प्रबंधित करते हैं।
  • एक आदर्श छात्र सहानुभूतिशील होता है और जरूरतमंदों की मदद करने को तैयार रहता है।
  • वे अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेते हैं और सभी प्रयासों में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करते हैं।
  • आदर्श छात्र अपनी शैक्षणिक गतिविधियों में सत्यनिष्ठा और ईमानदारी का प्रदर्शन करते हैं।
  • वे पाठ्येतर गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं और अपने स्कूल समुदाय में सकारात्मक योगदान देते हैं।
  • एक आदर्श छात्र बाधाओं और असफलताओं का सामना करने में भी लचीलापन दिखाता है।
  • वे समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने और करुणा, नेतृत्व और आजीवन सीखने के मूल्यों को अपनाने की आकांक्षा रखते हैं।

एक आदर्श छात्र में समर्पण, प्रेरणा, लचीलापन, जिम्मेदारी, अखंडता और सीखने और चुनौतियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण जैसे गुण होते हैं। वे सहानुभूति, सम्मान और दूसरों की मदद करने की इच्छा भी प्रदर्शित करते हैं।

माता-पिता और शिक्षक मार्गदर्शन, प्रोत्साहन और सकारात्मक वातावरण प्रदान करके आदर्श छात्र गुणों के विकास में सहायता कर सकते हैं। उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करना चाहिए और एक सहायक वातावरण बनाना चाहिए जो व्यक्तिगत विकास और शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा दे।

चरित्र विकास एक आदर्श छात्र को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि इसमें ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, सहानुभूति और लचीलापन जैसे गुण शामिल होते हैं। ये गुण न केवल शैक्षणिक सफलता में बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में भी योगदान देते हैं, जिससे छात्र समाज के जिम्मेदार और दयालु सदस्य बनते हैं।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के  अन्य निबंध से जुड़े ब्लॉग्स  पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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Hindi Essay on “Adarsh Vidyarthi”, “आदर्श विद्यार्थी पर हिंदी निबंध”, for Class 6, 7, 8, 9, and 10 and Board Examinations.

Hindi Essay on “Adarsh Vidyarthi”, “आदर्श विद्यार्थी पर हिंदी निबंध”, for Class 6, 7, 8, 9, and 10 and Board Examinations. विद्यार्थी अवस्था भावी जीवन की आधारशिला होती है। विनम्रता एक आदर्श विद्यार्थी की पहचान होती है। गुरुजनों से ज्ञान प्राप्त करने के लिए विनम्रता परम आवश्यक है। इस प्रकार, यदि बच्चे का छात्र जीवन परिश्रम, अनुशासन, संयम एवं नियमित रूप से व्यतीत हुआ है, यदि छात्रावस्था में उसने मन लगाकर विद्याध्ययन किया है, यदि उसने गुरुओं की सेवा की है, यदि वह अपने माता-पिता तथा गुरुजनों के साथ विनम्र रहा है, तो निश्चय ही उसका भावी जीवन सुखद एवं सुन्दर होगा।

Hindi Essay on “Adarsh Vidyarthi”, “आदर्श विद्यार्थी पर हिंदी निबंध”

'तद् विद्धि प्राणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया' ।
प्रेम की राह दिखा दुनिया को रोके जो नफरत की आँधी ।। तुममे ही कोई नेहरू होगा, तुममें ही कोई होगा गाँधी ।।
"सुखार्थी वा त्यजेत विद्याम्, विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम्। सुखार्थिनः कुतो विद्या, विद्यार्थिनः कुतः सुखम् ॥”
'क्षणत्यागे कुतो विद्या, कणत्यागे कुतो धनम् ।'
काकचेष्टा वकोध्यानं श्वान निद्रा तथैव च। अल्पाहारी गृहत्यागी विद्यार्थी पंच लक्षणम् ॥

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Adarsh Vidyarthi Par Nibandh

Adarsh Vidyarthi Par Nibandh: आदर्श विद्यार्थी पर निबंध

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Adarsh Vidyarthi Par Nibandh

यहां हम आपको Adarsh Vidyarthi Par Nibandh उपलब्ध करा रहे हैं. इस निबंध को आप कक्षा 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के लिए या अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए उपयोग कर सकते हैं. यदि आप को किसी स्पीच के लिए टॉपिक adarsh vidyarthi essay in hindi मिला है तो आप इस लेख को स्पीच के लिए भी उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि आपको किसी निबंध प्रतियोगिता के लिए भी Adarsh Vidyarthi Par Nibandh लिखना है तो आपको यह आर्टिकल पूरा बिल्कुल ध्यान से पढ़ना चाहिए.

adarsh vidyarthi essay in hindi (100 Words)

एक आदर्श विद्यार्थी आज्ञाकारी होता है। वह अपने गुरु और माता पिता की कही गई हर बात का पालन करता है। आदर्श विद्यार्थी अपना काम स्वयं करते हैं। वे हमेशा समय पर स्कूल जाते हैं और अपना गृहकार्य पूरा रखते हैं। ऐसे विद्यार्थी सुबह जल्दी उठते हैं और रात में जल्दी सो जाते हैं। अपना हर काम समय पर पूरा करते हैं। वे बहुत लगन शील और परिश्रमी होते हैं।

अनुशासित जीवन जीते हैं और इसलिए ही अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं। आदर्श विद्यार्थी अपने जीवन में ऊंचाइयों को छूता है और अपने माता पिता का नाम रोशन करता है। 

adarsh vidyarthi par anuched (150 Words)

आदर्शों के साथ जीवन जीने वाला विद्यार्थी आदर्श विद्यार्थी कहलाता है। आदर्श विद्यार्थी में सरलता होती है। वे सरल भाव के साथ अपना काम करते हैं। ये बहुत निर्मल और सच्चे होते हैं। इनकी प्रशंसा हर कोई करता है। अपने विद्यालय और घर दोनों में ही यह बड़े अनुशासन और समय बद्धता के साथ रहते हैं। विद्यालय में समय पर पहुंचते हैं।

अपने गुरुओं द्वारा दिए गए कार्य को पूर्ण करके लाते हैं। घर पर भी सदैव अपने से बड़ों और माता पिता की बात को मानते हैं। सभी का सम्मान करते हैं और अपने से छोटों का आदर करते हैं। अपने अधिकतर काम को स्वयं ही करते हैं। सबकी मदद करने को हमेशा तत्पर रहते हैं। हमेशा मीठी वाणी बोलते हैं।

आदर्श विद्यार्थी अपने कर्मों और गुणों द्वारा अपने जीवन में सदैव सफलता प्राप्त करते हैं। किंतु विफल होने पर भी ये हार मानते है। अपने लक्ष्य को पाने की लिए निरंतर प्रयास करते रहते हैं। एक आदर्श विद्यार्थी कभी हार नहीं मानता बल्कि हमेशा प्रयत्न करते रहते हैं, और अंत में सफलता को प्राप्त करते हैं।

Adarsh Vidyarthi Par Nibandh

adarsh vidyarthi nibandh in hindi (200 Words)

आदर्श विद्यार्थी उच्च विचार वाले होते हैं। वे सादगी और सरलता के साथ अपना जीवन जीते हैं। आदर्श विद्यार्थी, विद्यालय के बनाए गए सभी नियमों का पालन करते हैं। वे अपने गुरु की आज्ञा का पालन करते हैं तथा अपने माता पिता की बात मानते हैं। विद्यालय में दिया गया गृहकार्य को समय पर पूरा कर लेते हैं और परीक्षा में भी अच्छे अंकों से पास होते हैं। इसके साथ साथ वे खेल कूद जैसी गतिविधियों में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। ये सबसे मिल जुलकर रहते हैं। सबकी जरूरत पढ़ने पर सहायता करते हैं। आदर्श विद्यार्थी के अंदर कई अच्छे गुण होते हैं।

वे ईमानदार, सच्चे, निर्भीक और सकारात्मक होते हैं। इनमें द्वेष की भावना नहीं होती ये सभी के साथ प्रेम भाव से रहते हैं। ये सच्चाई की राह पर चलते हैं और हमेशा सच बोलते हैं। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए एक व्यक्ति को अपने अध्ययन काल से ही आदर्शों का मार्ग अपना लेना चाहिए। ताकि वे अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर उसे प्राप्त कर सकें। राष्ट्र को आज ऐसे ही विद्यार्थियों और युवाओं की जरूरत है, जो अपने आदर्शों और परिश्रम के बल पर कुछ कर दिखाएं और देश का नाम ऊंचा करें।

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essay on adarsh vidyarthi in hindi (250 Words)

आदर्श विद्यार्थी अनुशासित होते हैं। वे सबसे प्रेम पूर्वक व्यवहार करते हैं। इनमें सरलता और सहजता होती है। ये अपना काम स्वयं करना पसंद करते हैं। सुबह जल्दी उठकर व्यायाम करते हैं। इसके बाद स्नान कर पूर्ण गणवेश धारण कर स्कूल जाते हैं। अपने विद्यालय के नियमों का पालन करते हैं। आदर्श विद्यार्थी अपने गुरुओं के सबसे अच्छे और प्रिय विद्यार्थियों में से एक होते हैं। इन्हें स्कूल में आयोजित होने वाले विशेष कार्यक्रमों का कार्यभार भी सौंपा जाता है। ये पूरी लगन से अपनी पढ़ाई में ध्यान देते हैं, और इसलिए ही कक्षा में अच्छे अंकों से पास भी होते हैं।

इसके अलावा विद्यालय में आयोजित होने वाले खेल कूद और अन्य गतिविधियों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। आदर्श विद्यार्थी जागरूक और उत्सुक होते हैं। इनमें सदैव नई चीज़ें जानने की उत्सुकता रहती है। इसलिए इनके पास ज्ञान का भंडार भी होता है। इन्हें अपने आस पास और देश में चल रही चीजों के बारे में हर जानकारी होती है। ये किसी भी नए कार्य को करने में सकुचाते नहीं है बल्कि उसे करने की पहल करते हैं। ये अपने सहपाठियों के साथ मिल जुलकर रहते हैं और उनकी अध्ययन करने में सहायता भी करते हैं। ये अपने जीवन में एक लक्ष्य को लेकर चलते हैं और उसे हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। एक आदर्श विद्यार्थी को अपने विद्यालय और घर में प्रेम और स्नेह मिलता है। हर कोई इनका उदाहरण देकर दूसरों को ऐसा बनने के लिए प्रेरित करते हैं। हमारे देश के महापुरुष अपने जीवन में एक आदर्श विद्यार्थी रहे हैं, इसलिए हमें भी एक आदर्श विद्यार्थी बनना चाहिए।

adarsh vidyarthi par nibandh in hindi (300 Words)

आदर्श विद्यार्थी अपने जीवन के शुरुआती दौर यानी की अध्ययन काल से ही आदर्शों के मार्ग को चुन लेते हैं। अपने बचपन के दिनों से ही वे आदर्श के साथ जीने लगते हैं। ऐसे विद्यार्थी अपने जीवन में कई उपलब्धियों को हासिल करते हैं। आदर्श विद्यार्थी अपने कर्मों से अपना इतिहास रचते हैं।

आदर्श विद्यार्थी का मतलब क्या होता है?

आदर्श विद्यार्थी का मतलब होता है जो विद्यार्थी अपने अध्ययन काल में आदर्शों की रह पर चलता है। हर काम को समय पर करने के आदि होते हैं और अनुशासन का पालन करते हैं। वे अपना सम्पूर्ण जीवन आदर्शों का अनुसरण करते हुए ही जीते हैं। इनका जीवन भी औरों की तरह संघर्षों से भरा होता है लेकिन ये बड़ी सरलता से उसका सामना करते हैं।

आदर्श विद्यार्थी के लक्षण

आदर्श विद्यार्थी अनुशासित जीवन जीते हैं और अपने कामों को समय पर पूर्ण करते लेते हैं। इनका व्यवहार से सरल होते हैं। ये सभी लोगों से चाहे वे जैसा भी आचरण करते हो, उनसे अच्छा ही व्यवहार करते हैं। अपनों से बड़ों का, गुरु जनों और माता पिता का मान सम्मान करते हैं। एवम छोटों और अपनी उम्र के लोगों के साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार करते हैं। 

एक अच्छा विद्यार्थी होना क्यों जरूरी है?

एक अच्छा विद्यार्थी अपने जीवन में हर परिस्थिति पर विजय हासिल करता है। ये समय के पाबंद होते हैं इसलिए इनका हर काम समय से पहले पूर्ण हो जाता है। अपनी मधुर वाणी और अच्छे आचरण से ये हर किसी का मन जीत लेते हैं।

आदर्श विद्यार्थी चरित्रवान होता हैं। जिसे हर कहीं सराहा जाता है। ये सभी का आदर करते हैं इसलिए इन्हें भी बदले में सबसे सम्मान मिलता है। ये परेशानियों से घबराते नहीं है बल्कि उसका डंटकर मुकाबला करते हैं। ये परिस्थितियों से घबराते नहीं है बल्कि उन्हें अपने अनुसार करके अपने काम को सिद्ध कर लेते हैं।

adarsh vidyarthi par nibandh (500 Words)

आदर्शों पर चलने वाला और आदर्शों के साथ जीवन जीने वाला व्यक्ती आदर्श व्यक्ति कहलाता है। ऐसे ही जब एक विद्यार्थी अपने अध्ययन जीवन में आदर्श की राह पर चलता है, तो वह आदर्श विद्यार्थी कहलाता है। जिसके कारण इन्हें हर जगह सराहा जाता है और हर कोई इनकी प्रशंसा करता है। इनके माता पिता और गुरु जन इनसे हमेशा प्रसन्न रहते हैं। एक आदर्श विद्यार्थी बेहद गुणी होता है, जिसके कारण इन्हें हर जगह आदर सम्मान दिया जाता है।

आदर्श विद्यार्थी में क्या गुण होते है?

आदर्श विद्यार्थी उच्च गुणों से परिपूर्ण होता है। एक आदर्श विद्यार्थी में निम्न गुण पाए जाते हैं।

  • आदर्श विद्यार्थी समय के बड़े पाबंद होते हैं। इन्हें समय की महत्त्वता पता होती है। इसलिए ये अपना हर काम समय पर करते हैं। किसी भी स्थान पर समय पर पहुंच जाते हैं।
  • अपने गुरुजनों और माता पिता के आज्ञाकारी होते हैं। उनकी कही गई बातों का मान रखते हैं और उनका अनुसरण करते हैं।
  • किसी भी कार्य को करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। इनमें कार्य को करने का उत्साह होता है।
  • ये हमेशा सकारात्मक होते हैं और हर काम में कोई न कोई अच्छी बात ढूंढ ही लेते हैं। अपनी विफलता से घबराते हैं नहीं है बल्कि उसके लिए प्रयत्न करते हैं।
  • परिश्रमी होते हैं। अपने जीवन में लक्ष्य को हासिल करने के लिए हर संभव प्रयास और मेहनत करते हैं।

एक आदर्श विद्यार्थी कैसे बनाएं?

किसी को आदर्श विद्यार्थी बनाने के लिए उनके सामने अपना उदाहरण प्रस्तुत करें। जब आप स्वयं अपने व्यवहार में आदर्श व्यक्ति के गुण लायेंगे तो वे अपने आप आपके गुणों को अपना लेंगे। कोई भी व्यक्ति आपकी बातों से ज्यादा आपके व्यवहार से प्रभावित होता है। इसलिए अगर आप एक आदर्श विद्यार्थी बनाना चाहते हैं तो स्वयं आदर्शों की रह पर चलिए और उन्हें अपने आचरण से आदर्श का पाठ पढ़ाइए। 

विद्यार्थी का प्रथम कर्तव्य क्या है?

एक आदर्श विद्यार्थी का परम कर्तव्य है अपने गुरु की बात का पालन करना। गुरु की बातों का पालन करके विद्यार्थी अपने अध्ययन जीवन में तो सफलता पाता ही है बल्कि जीवन में भी आने वाली परिस्थितियों पर विजय हासिल करता है। विद्यार्थियों का कर्तव्य है की वे अपने अध्ययन पर ध्यान दें। पुरी ईमानदारी से अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मेहनत करें और अपने माता पिता का स्वप्न पूरा करें। 

आदर्श विद्यार्थी इतने गुणवान होते हैं की वे अपने आचरण से हर किसी का मन और विश्वास जीत लेते हैं। इनके गुणों के कारण कई लोग इनका अनुसरण भी करने लगते हैं। ये सभी लोगों के सामने ऐसी मिसाल पेश करते हैं की इनसे मिलने वाला हर व्यक्ति इनके ही जैसा बनना चाहता है। आज देश को ऐसे ही आदर्श विद्यार्थी की आवश्यकता है, जो अपनी मेहनत, बुद्धि, विवेक और लगनशीलता से अपने कार्य करें और देश की उन्नति में योगदान दें। ऐसे कितने ही महापुरुष हुए हैं जिन्होंने अपने जीवन में आदर्शों का पालन किया, जिनकी गाथा भारत के स्वर्णिम इतिहास के पन्नों में लिखी गई।

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adarsh vidyarthi in hindi

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Nibandh

Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi

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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध

रूपरेखा : प्रस्तावना - आदर्श विद्यार्थी का अर्थ - विद्या प्राप्ति लक्ष्य - जिज्ञासा बिना ज्ञान नहीं - आदर्श विद्यार्थी बनाने के पीछे किसकी भूमिका - आदर्श विद्यार्थी कैसे बने - आदर्श विद्यार्थी के दस गुण - उपसंहार।

एक आदर्श विद्यार्थी वह है जो पूरी लगन से अध्ययन करता है, स्कूल, घर और समाज में ईमानदारी से व्यवहार करता है, सभी लोगों के साथ अच्छे से रहता है तथा उनकी मदत करता है और साथ ही सह-पाठ्यचर्या वाली गतिविधियों में भाग लेता है। हर माता पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा एक आदर्श विद्यार्थी बने जो दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सके। आदर्श छात्रों का हर जगह (जैसे- स्कूलों, महाविद्यालय, कोचिंग सेंटरों, खेल संस्थाओं और शिक्षा से सम्बंधित सेमिनारों में) स्वागत किया जाता है।

आदर्श छात्र अपनी लगन और मेहनत के साथ उन्हें सौंपे गए सभी कार्यों को पूरा करते है और जब तक दिया हुआ कार्य पूर्ण न वे चैन से नहीं बैठते। वे शीर्ष पर रहना पसंद करते हैं और उस स्थान को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। एक आदर्श छात्र वह है जिसे परिवार, समाज एवं देश के हर व्यक्ति सम्मान भाव से देखता है। कक्षा में, खेल के मैदान में या सामाजिक सेवाओं में अपने सभी कार्यों को पूरा करने के लिए उनकी सराहना की जाती है। आदर्श विद्यार्थी बनना सभी विद्यार्थी के लिए महत्वपूर्ण हैं।

जो विद्यार्थी पूरी लगन से अध्ययन (पढाई) करता है, स्कूल, घर और समाज में ईमानदारी से व्यवहार करता है, सभी लोगों के साथ अच्छे से रहता है तथा उनकी मदत करता है और साथ ही सह-पाठ्यचर्या वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में भाग लेता है वही आदर्श विद्यार्थी कहलाता हैं। आदर्श विद्यार्थी, विद्यार्थी का वो रूप है जिसे घर, परिवार, समाज और देश का हर व्यक्ति सम्मान देता है और उसे सरहाना करता है। जीवन में एक सफल व्यक्ति बनने के लिए विद्यार्थी का आदर्श विद्यार्थी बनना अनिवार्य है। आदर्श विद्यार्थी सफलता की कुंजी है।

जीवन का प्रथम भाग (प्राय: पच्चीस वर्ष की वय तक) विधोपार्जन का काल है। विद्याध्ययन करने का स्वर्ण काल है। भविष्य का श्रेष्ठ नागरिक बनने की क्षमता और सामर्थ्य उत्पन करने का समय है। अत: विद्यार्थी को विद्या की क्षुधा शान्त करने तथा जीवन निर्वाहि योग्य बनाने के लिए आदर्श विद्यार्थी बनना होगा। आदर्श विद्यार्थी उत्तम विचारों का संचय करेगा, क्षुद्र स्वार्थों और दुराग्रहों से मुक्त रहेगा। मन वचन कर्म में एकता स्थापित कर जीवन के सत्य रूप को स्वीकार करेगा।

विद्यार्थी का लक्ष्य है विद्या प्राप्ति करना। विद्या प्राप्ति के माध्यम हैं गुरुजन या शिक्षक । आज की भाषा में कहे तो, अध्यापक या प्राध्यापक। शिक्षक से विद्या-प्राप्ति के तीन उपाय हैं नप्रता, जिज्ञासा और सेवा। गाँधी जी प्राय: कहा करते थे- जिनमें नम्रता नहीं आती, वे विद्या का पूरा सदुपयोग नहीं कर सकते। तुलसीदास ने इसी बात का समर्थन करते हुए कहा हैं, 'यथा नवहिं बुध विद्या पाये। अध्यापक के प्रति नम्रता दिखाइए और समझ न आने वाले प्रश्न को बार-बार पूछ लीजिए, उन्हें क्रोध नहीं आएगा । वैसे भी नम्रता समस्त सद्गुणों की जननी है। बड़ों के प्रति नम्रता दिखाना विद्यार्थी का कर्तव्य है, बराबर वालों के प्रति नम्रता विनयसूचक है तथा छोटों के प्रति नम्रता कुलीनता का द्योतक है।

जिज्ञसा के बिना ज्ञान प्राप्त नहीं होता। यह तीव्र बुद्धि का स्थायी और निश्चित गुण है। पाठ्य-पुस्तकों तथा पाद्यक्रम के प्रति जिज्ञासा-भाव विद्यार्थी की बुद्धि विकसित करेगा और विषय को हृदयंगम करने में सहायक होगा । जिज्ञासा एकाग्रता की सखी है। अध्ययन के समय एकाग्रचित्तता पाठ को समझने और हृदयंगम करने के लिए अनिवार्य गुण है। पुस्तक हाथ में हो और चित्त (ध्यान) हो दूरदर्शन के 'चित्रहार (अर्थात फिल्मों के कहानी)' में, तो पाठ कैसे स्मरण होगा ? इसीलिए आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए किसी भी कार्य करते वक़्त तथा पढाई करते वक़्त मन में उसे पूरा करने के लिए जिज्ञासा होनी चाहिए।

आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए सबसे अधिक और अहम भूमिका होती है उनके माता-पिता की। हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे अपनी कक्षा में हर काम में प्रथम रहें, दूसरों के लिए एक आदर्श उदाहरण बने। कई छात्र अपने माता-पिता की अपेक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं लेकिन एक आदर्श छात्र बनने के लिए उनमें दृढ़ संकल्प और कई अन्य कारकों की कमी होती है। कुछ लोग प्रयास करते हैं और असफल होते हैं पर कुछ लोग प्रयास करने में ही असफ़ल हो जाते हैं लेकिन क्या अकेले छात्रों को इस विफलता के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए? नहीं! माता-पिता को यह समझना चाहिए कि वे अपने बच्चे के समग्र व्यक्तित्व को बदलने और जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। यह उनका कर्तव्य है कि वह अपने बच्चों को स्कूल में अच्छा करने के महत्व को समझने में उनकी सहायता करें। इसीलिए किसी भी विद्यार्थी का आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए उनकी माता-पिता का सहयोग देना अनिवार्य है।

जो विद्यार्थी पूरी लगन से अध्ययन (पढाई) करता है, स्कूल, घर और समाज में ईमानदारी से व्यवहार करता है, सभी लोगों के साथ अच्छे से रहता है तथा उनकी मदत करता है और साथ ही सह-पाठ्यचर्या वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में भाग लेता है, उन्हें आदर्श विद्यार्थी कहते हैं। एक आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए सबसे पहले-

  • आत्मनिर्भरता रहे अर्थात एक विद्यार्थी को हमेशा आत्मनिर्भरता रहना चाहिए आत्मनिर्भरता का अर्थ है- स्वयं पर भरोसा रखना, स्वंय पर निर्भर रहना। एक विद्यार्थी को हमेशा आत्मनिर्भरता रहना चाहिए अर्थात स्वंय पर निर्भर रहना चाहिए।

एक आदर्श विद्यार्थी को हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए। विद्यार्थी को हमेशा माता-पिता, शिक्षकों, बड़ों की आज्ञाओं को हमेशा पालन करना चाहिए। जीवन को आनंदपूर्वक जीने के लिए विद्या और अनुशासन दोनों आवश्यक हैं। अतः अनुशासन जीवन के लिए परमावश्यक है तथा उसकी प्रथम शिक्षा है।

यदि आप एक आदर्श विद्यार्थी बनना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको यह करना होगा कि आप संगठित हो। सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए अपने कमरे, अलमारी, अध्ययन की मेज और आसपास की व्यवस्था को संयोजित कर के रखना होगा।

  • विद्वानों का कहना है कि, दैनिक कार्यों की सूची तैयार करना अच्छी आदत है। प्रतिदिन कोई भी कार्य करने से पहले आप एक सूची तैयार करें जैसे कि, आपको कितने बजे उठना है, कितने बजे यह कार्य शुरु करना है, कितने बजे उसे समाप्त करना है आदि।

जैसे की आप जानते है घर हो या स्कूल हो या समाज का कोई कार्य, हर विद्यार्थी को उसे पूर्ण करने के लिए दिया जाता है। तो उसे आप सबसे पहले सही ढंग से पूर्ण करने के लिए कोशिश करें तथा पहले करने में आप बिलकुल भी संकोच न करें। इससे आपको प्रेरणा मिलेगी और कोई भी कार्य करने में आपको उत्साह होगा।

  • हर एक विद्यार्थी के अंदर सहायता का गुण होना आवश्यक है। अच्छे विद्यार्थी में स्वार्थ का गुण नहीं होना चाहिए उसे खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचना चाहिए। एक आदर्श और अच्छा विद्यार्थी हमेशा सकारात्मक सोच के साथ जीता है।

एक आदर्श विद्यार्थी को हमेशा कुछ नया सिखने का जज्बा होना चाहिए। अपने दिनचार्य में किये गए कार्यों से कुछ नया सिखने की कोशिश करनी चाहिए उसे विभिन्न दृष्टिकोणों से समझने का प्रयत्न करें। यह अपने संपूर्ण ज्ञान और क्षमता को बढ़ाने का एक अच्छा तरीका है।

ऐसा कहा जाता है आप जिन के साथ सबसे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं आप में उन्हीं के गुण आ जाते हैं इसलिए यदि आप एक आदर्श विद्यार्थी बनना चाहते हैं तो उन लोगों के साथ दोस्ती बनाएं जो सभी लोगों से अच्छा व्यवहार रखता है, जो समय पर पढाई करता है, जिसे जीवन में लक्ष्य हासिल करना है और जो विद्यार्थी अपनों से बड़े सभी लोगों का आदर सम्मान करता हैं।

एक आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। स्वस्थ रहने के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों को शामिल करके उचित आहार लेना जरूरी है। प्रत्येक दिन 8 घंटे नींद पूरा करना आवश्यक है। शारीरिक व्यायाम करने के लिए आधे घंटे से एक घंटे की कसरत करना अनिवार्य है। इससे विद्यार्थी हमेशा स्वस्थ और फुर्तीला रहेगा।

विद्यार्थी को आदर्श जीवन जीने के लिए उन्हें हमेशा जिंदादिली के साथ रहना चाहिए। जिन विद्यार्थियों के मन में हमेशा उत्साह, जोश और उमंग का वास होता है, वही विद्यार्थी सही अर्थों में आदर्श विद्यार्थी हैं।

जो विद्यार्थी पूरी लगन से अध्ययन (पढाई) करता है, स्कूल, घर और समाज में ईमानदारी से व्यवहार करता है, सभी लोगों के साथ अच्छे से रहता है तथा उनकी मदत करता है और साथ ही सह-पाठ्यचर्या वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में भाग लेता है, उन्हें आदर्श विद्यार्थी कहते हैं। यहां आदर्श विद्यार्थी के दस गुण के बारे में बताया गया है जो कि इस प्रकार है-

  • अनुशासन में रहे अर्थात आदर्श विद्यार्थी को हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए
  • संगठित बने अर्थात संयोजित बने
  • सहायता का गुण रखे अर्थात अपने अंदर हमेशा दूसरों की सहयता करने का सोच रखनी चाहिए

हर एक विद्यार्थी के अंदर सहायता का गुण होना आवश्यक है। अच्छे विद्यार्थी में स्वार्थ का गुण नहीं होना चाहिए उसे खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचना चाहिए। एक आदर्श और अच्छा विद्यार्थी हमेशा सकारात्मक सोच के साथ जीता है। अच्छे विद्यार्थी का कर्तव्य है कि निस्वार्थ भाव से सभी की सहायता करना चाहिए जैसे- कक्षा का सहपाठी की मदत करना, रास्ता क्रॉस करने के समय किसी बूढ़े व्यक्ति की मदद करना, अपनी पुरानी किताबों को जरूरतमंद को देना आदि ।

  • सूची बनाए अर्थात कोई भी कार्य करने से पहले उसके बारे में सूची तैयार करें

विद्वानों का कहना है कि, दैनिक कार्यों की सूची तैयार करना अच्छी आदत है। प्रतिदिन कोई भी कार्य करने से पहले आप एक सूची तैयार करें जैसे कि, आपको कितने बजे उठना है, कितने बजे यह कार्य शुरु करना है, कितने बजे उसे समाप्त करना है आदि। इससे आप अपने समय को अधिकतम इस्तेमाल करने में सक्षम होंगे।

  • पहल करें अर्थात किसी का दिया गया कोई भी कार्य सबसे पहले आप पूरी करने की कोशिश करें
  • जिंदादिली के साथ रहे अर्थात जीवन का हर पल जिंदादिली के साथ जीना चाहिए
  • कुछ नया सीखें अर्थात जीवन में हमेशा कुछ नया सिखने का प्रयत्न करें
  • अच्छे दोस्त बनाएं अर्थात जीवन में हमेशा दोस्त बनाने से पहले उसके बारे में अच्छे तरीके से जान लें
  • स्वस्थ जीवन रखे अर्थात एक आदर्श विद्यार्थी को स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना चाहिए
  • आत्मनिर्भरता रहे अर्थात एक विद्यार्थी को हमेशा आत्मनिर्भरता रहना चाहिए

आत्मनिर्भरता का अर्थ है- स्वयं पर भरोसा रखना, स्वंय पर निर्भर रहना। एक विद्यार्थी को हमेशा आत्मनिर्भरता रहना चाहिए अर्थात स्वंय पर निर्भर रहना चाहिए।

कोई भी विद्यार्थी परिपूर्ण या आदर्श रूप में जन्म नहीं लिया है। आदर्श विद्यार्थी जीवन पाने के लिए मेहनत और लगन करनी पड़ती है तब जा के वह सफल रूप से पूर्ण होता है। एक आदर्श विद्यार्थी का जीवन सुनने में मुश्किल जरूर लग सकता है परन्तु वास्तव में आम लोगों की तुलना में बहुत अधिक सुलझा हुआ होता है। आदर्श विद्यार्थियों को महत्वकांशी माना जाता है। वे अपने जीवन में उच्च लक्ष्य रखते हैं और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। एक आदर्श विद्यार्थी बनने के लिए दृढ़ संकल्प लेना पड़ता है।

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vidyarthi essay in english

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व निबंध– Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Essay In Hindi

In this article, we are providing Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Essay In Hindi विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व निबंध। Essay in 150, 200, 300, 500, 1000 words For Class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 Students. Checkout article on Essay on Discipline in Hindi

Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Essay In Hindi

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व | Vidyarthi Jeevan | Chatra Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Essay in Hindi ( 250 words )

हर व्यक्ति के जीवन में अनुशासन महत्त्वपूर्ण होता हैं । विद्यार्थीयों के जीवन में तो अनुशासन बहुत ही महत्वपूर्ण होता हैं । जीवन में अनुशासन रखने से हमें जीवन में सफलता प्राप्त होती हैं । हिंदी में एक कहावत भी हैं की अनुशासन ही सफलता की कुंजी हैं । स्कुल में नियमित आना , शिक्षकों का और सभी छात्रों का सम्मान करना , समय से पढ़ाई करना , शिक्षक सिखाते समय अपना ध्यान पढ़ाई पर ही केंद्रित रखना यह विद्यार्थी जीवन के अनुशासन हैं । यह अनुशासनों का पालन करने से विद्यार्थीयों में नियमितता , धैर्य जैसे गुण आते हैं और विद्यार्थी जीवन में सफल होते हैं ।

अनुशासन ही विद्यार्थीयों को स्कुल में और समाज में सफलता देता हैं । अनुशासन के वजह से ही विद्यार्थी अपने लक्ष्य को आसानी से हासिल कर पाते हैं । अनुशासन विद्यार्थी को जिम्मेदार बनाता हैं ‌। अनुशासन के वजह से विद्यार्थी बुरी संगत से दूर रहता हैं । विद्यालयों में छात्रों को अनुशासन का पालन करना सिखाया जाता हैं । विद्यार्थी जब अनुशासन का पालन करते हैं तभी वह आगे जाकर कुछ अच्छा करते हैं और उससे देश का विकास होने में मदद होती हैं । बिना अनुशासन देश का विकास संभव नहीं हैं । इसलिए देश का विकास होने के लिए विद्यार्थीयों को बचपन से ही विद्यालयों में अनुशासन सिखाया जाता हैं । अनुशासन से ही बहुत लोगों ने सफलता प्राप्त की हैं । इसलिए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण हैं ।

Adarsh Vidyarthi Par Nibandh

Vidyarthi Jeevan Par Nibandh

Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Nibandh ( 400 words )

अनुशासन का विद्यार्थी जीवन में बहुत ही ज्यादा महत्व है क्योंकि यह समय वह होता है जहाँ हम जो कुछ सीखते है वह हमारे जीवन भर काम आता है। अनुशासन के अंदर बड़ों का इज़्ज़त करना, समय का सही उपयोग, नियमों का पालन,अच्छे संस्कार का अनुसरण आदि आता है। जो विद्यार्थी अनुशासन हीन होता है उसके जीवन में असफलता आना पका है क्योंकि वो अपना जीवन नियम के अनुसार नही बल्कि भावना के अनुसार चलाएगा और भावना हमेशा धोखा देती है और इसके विपरीत जो विद्यार्थी नियम का पक्का होता है वे अपने उज्वल भविष्य को अपने आने वाले जीवन में ला सकता है।

अगर कोई विद्यार्थी अनुशासनहीन होगा तो न कोई उसे पसंद करेगा और साथ ही साथ वो बुरी आदत का शिकार हो जायेगा जैसे कि छूट बोलना,टीचर की बात न मानना, माता पिता का आदर न करना, बुरी संगत में रहना ऐसे बुरे आदत में फसकर अपने जीवन को बर्बाद कर लेता है इसलिए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व बहुत है।जो अनुशासित विद्यार्थी होते है वे जानते है कि उन्हें कौन सा काम सबसे पहले करना है और वह अपने प्रति बहुत ईमानदार है ऐशे ही अन्य विद्यार्थी को भी पता रहना चाहिए कि कौन सा काम उन्हें सबसे पहले करना है और कौन सा बाद में।

विद्यार्थी को अगर अच्छे से अनुशासन सीखना है तो वो प्रकृति से सिख सकते है जिस प्रकार से सूरज अपने नियमित समय पर उगता है और अपने नियमित समय पर ढल जाता है,नदियाँ हमेशा बहती है,गर्मी और ठंड के मौसम अपने नियमित समय पर आते जाते रहते है। ये सारे काम अपने नियमित रूप से चालू रहते है अगर प्रकृति ये सारे काम को नियमित रूप से ना करे तो मानव जाति का पतन हो जाएगा ठीक इसी तरह विद्यार्थी भी अपने काम को नियमित रूप से ना करे और अपने आप को अनुशासन में ना रखे तो विद्यार्थी के जीवन में बहुत कठिनाई आ जायेगी इसलिए विद्यार्थी को जीवन में अनुशासन होना जरूरी और साथ – साथ हर एक विद्यार्थी को समय को बर्बाद ना करके अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए मेहनत करनी चाहिए |

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबन्ध- Essay on Student and Discipline in Hindi

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Hindi Essay on “Vidyarthi Aur Rajniti” , ” विद्यार्थी और राजनीति ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

विद्यार्थी और राजनीति

Vidyarthi aur Rajniti

निबंध नंबर : 01

आयु में अध्ययन का एक विशिष्ट भाग विद्यार्थी जीवन कहलाता है। इस अवस्था में जीवन को सफल बनोन के लिए अनेक प्रकार की विद्यांए प्राप्त करने का इच्छुक व्यक्ति ही सामान्यतया विद्यार्थी कहलाता है। इस कार्य के लिए प्राय: मानव-आयु का एक भाग अर्थात 25 वर्षो तक की आयु भी निर्धारित कर दी गई है। इस काल को भविष्य की तेयारी का काल भी कहा जाता है। जैसे अच्छी फसल लेने के लिए एक किसान को हर प्रकार से परिश्रम करके खेत को तैयार कर, फिर अच्छे बीज बोने, सिंचाई तथा देखभाल जैसे कई कार्य पूरी तैयारी के साथ करने पड़ते हैं, उसी प्रकार भविष्य में जीवन की सफलता के लिए विद्यार्थी को भी अनेकविध शिक्षणात्मक कार्य करने पड़ते हैं। इस बात का पूरा ध्यान रखना पड़ता है कि व्यर्थ की खरपतावार उगकर खेती और उसमें उगने वाली फसल को बरबाद न कर दें। ठीक किसान के समान विद्यार्थी को भी ध्यान रखना पड़ता है कि व्यर्थ की बातें और झंझट आदि उसकी शिक्षा की राहत पर आकर उसके भविष्य रूपी खेत को चौपट न कर दें। आजकल विलासिता, फैशल, गुंडागर्दी और राजनीति-रूपी खरपतवार शिक्षा क्षेत्र में इस सीमा तक उग आती हे कि कई बार अच्छे-भले लोगों तक का भविष्य भी उजड़-पुजडक़र रहह जाया करता है। यही सब देख-सुन आज यह स्वाभाविक प्रश्न उठाया जाता है कि क्या विद्यार्थी को राजनीति में भाग लेना चाहिए अथवा नहीं?

प्रश्न निश्चय ही सामयिक और महत्वपूर्ण है। इसी कारण विद्यार्थी राजनीति में भाग ले अथवा नहीं, इस प्रश्न को लेकर आज कई मत-वाद प्रचलित हैं। एक मत वालों का कहना है कि विद्यार्थी को सभी प्रकार की राजनीति में अवश्य भाग लेना चाहिए। इस मत वाले मानते हैं कि विद्यार्थी-जीवन क्योंकि भविष्य की तैयारी का जीवन है, अत: राजनीति में भाग लेकर आज का विद्यार्थी कल का राजनेता बनने और देश की बागडोर संभालने की पूरी तैयारी कर सकता है। अत: राजनीति को भी एक प्रकार की शिक्षा और उसका अंग ही माना जाना चाहिए। ऐसे लोग लालबहादुर शास्त्री, सुभाषचंद्र बोस जैसे कुछ सफल राजनेताओं का उदाहरण भी देते हैं। इनका कहना है कि ये लोग विद्यार्थी काल में राजनीति में कूद पडऩे के कारण आगे चलकर सफल राजनेता बन सके।

इसके विपरीत दूसरे मत के लोग यह मानते हैं कि विद्यार्थी को राजनीति में एकदम भाग नहीं लेना चाहिए। वह इसलिए कि आज की राजनीति अपने पवित्र लक्ष्यों से भटक चुकी है, अत: उसका अंग बनने पर विद्यार्थी के भी भटक जाने का खतरा अधिक बना रहता है। अक्सर देखा गया है कि राजनीतिक आंदोलन कई बार हिंसक हो उठते हैं। भाग लेने वाले का कोई अंग-भंग हो सकता है उसे जेल-यात्रा भी करनी पड़ सकती है। ये बातें उसके मन को अशांत बनाए रखकर शारीरिक और मानसिक स्पर पर अपंग भी बना सकती है। समय, शक्ति और धन का दुरुपयोग हो सकता है। जो उसे कहीं का भी नहीं रहने देसकता। जहां तक लालबहादुर शास्त्री जैसे कुछ लोगों के उदाहरण का प्रश्न है, उसके बारे में इन लोगों का कहना है कि तब परिस्थितियां और थीं। तब राजनीतिक वातावरा आज की तरह दूषित और लक्ष्यों से भ्रष्ट नहीं था। स्वतंत्रता-प्राप्ति का पवित्र और स्पष्ट लक्ष्य सबके सामने था। पर आज तो प्राय: सभी राजनीतिक दल केवल सत्ता के भूखे है, एक-दूसरे को नीचा दिखाकर स्वंय आगे आना चाहते हैं। इसके लिए ये विद्यार्थी और युवा-शक्ति को गुमराह कर भडक़ा देते हैं, उन्हें कहीं का भी नहीं रहने देते। अच्छा यही है कि राजनीति जैसे भ्रष्ट खेलों में विद्यार्थी न पड़े, केवल अपने अध्ययन और शिक्षा के पवित्र लक्ष्य पर ही डटे रहे। भविष्य की बातें भविष्य के लिए छोड़ दें ओर उन तक पहुंच पाने की तैयार करता रहे।

उपर्युक्त दोनों मतों की तुलना में तीसरा मत और दृष्टिकोण समन्यवादी है। इस मत के मानने वालों का कहना है कि विद्यार्थी को राजनीति के मामले में केवल सीखने और शिक्षा लेने वाला दृष्टिकोण रखना चाहिए। उसे शिखा का अंग मानकर देश-विदेश की सभी प्रकार की विचारधाराओं का गंभीर अध्ययन तो अवश्य करते रहना चाहि, पर सक्रिय राजनीति में उसकका भाग न लेना ही उचित है। इस तरह तटस्थ रहकर, युग-परिवेश का गहरा और राजनीतिक संदर्भों में अध्ययन कर विद्यार्थी भविष्य में अधिक अच्छा और सफल राजनेता एंव नागरिक बन सकता है। मतलब यह है कि अपने शिक्षा-काल में विद्यार्थी राजनीति के मामले में भी मात्र विद्यार्थी ही रहे, उसका सक्रिय अंग न बने। यही उचित एंव लाभदायक है।

उपर्युक्त तीनों मतों में से हमारे विचार में आज की विषम परिस्थितियों में विद्यार्थी के संदर्भ में तीसरा समन्वयवादी मत या विचार ही अधिक उपयुक्त है। विद्यार्थी वास्तव में शिक्षार्थी है ओर शिक्षा का अर्थ केवल किताबी शिक्षा नहीं, केवल परीक्षांए पास करना ही नहीं है, बल्कि जहां से जो कुछ भी सीखने को मिलता है, वह सीखकर भविष्य की तैयारी करनाा है। यह तैयारी राजनीति में सक्रिय सहयोग जैसे झंझटों से संभव नहीं हो सकती, जिज्ञासु तटस्थता से ही संभव और पूर्ण हो सकती है। अत-राजनीति हो या कोई अन्य मामला, विद्यार्थी का सभी मामलों में कुछ सीखकर भविष्य की तैयारी ही एकमात्र उद्देश्य रहना चाहिए। सभी जगह उसका विद्यार्थी बना रहना ही शुभ एंव हितकर हो सकता है।

निबंध नंबर : 02

Vidyarthi aur Rajneeti

आज के युग में विद्यार्थी हो या कोई अन्य, अपने आप को राजनीति से एकदम अलग नहीं रख सकता। लेकिन आज का राजनीतिक वातावरण जिस प्रकार की उद्दण्डता और भ्रष्टाचार से ग्रस्त होकर रह गया है, सोचना आवश्यक हो जाता है कि भविष्य के नागरिकों, भविष्य में देश की बागडोर हर क्षेत्र में सम्भालने वाले आज के विद्यार्थियों को इस प्रकार की राजनीति में भाग लेना चाहिए अथवा नहीं।

एक विचार यह है कि विद्यार्थियों को हर प्रकार की राजनीति से दूर रह कर केवल अध्ययन में मन लगाना चाहिए ताकि उन का मन-मस्तिष्क तरोताजा और स्वस्थ रह सके, जिस से भविष्य में वे अच्छे नागरिक सिद्ध होने के साथ-साथ हर क्षेत्र में देश की बागडोर भी सफलता के साथ सम्भाल सकें। दूसरा विचार यह सामने आया है, क्योंकि कल को विद्यार्थियों ने ही बड़े होकर राजनीति करनी है, इस कारण उसका अभ्यास उन्हें आज से ही आरम्भ कर देना चाहिए अर्थात् विद्यार्थी को हर प्रकार की राजनीति में खुद भाग लेना चाहिए। तीसरा विचार यह है कि विद्यार्थी को राजनीति के क्षेत्र में भी अन्य पढ़ाई की तरह विद्यार्थी बने रह कर ही भाग लेना चाहिए अर्थात् सभी प्रकार की राजनीतिक गतिविधियों को गहराई से देख समझने की कोशिश करनी चाहिए ताकि उसका कोई अपना स्वस्थ राजनीतिक दृष्टिकोण विकास पा या बन सके।

इन सभी प्रकार के विचारों पर गम्भीरता से विचार करने पर हमें अन्तिम विचार ही उचित प्रतीत होता है। इसका कारण स्पष्ट है। बनी बनाई राजनीति या राजनीतिक दलो के सदस्य बनकर अक्सर विद्यार्थियों का उपयोग अपने औज़ार के रूप में किया परत है। उन्हें तोड-फोड भीड इकद्री करने, नारे लगवाने का साधन बनाकर कही का नहा रहने देते। परिणाम यह होता है कि विद्यार्थी नेता तो क्या बनना, पढ़ाई-लिखाई ना अधूरे रह जाते हैं। यदि वे अपनी पढाई करते हुए राजनीति के सभी रूपों का अध्ययन करते रहेंगे, तो स्वस्थ राजनीतिक मार्ग का निर्णय कर पाने में समर्थ होकर कल को वास्तव में देश की बागडोर सम्भाल पाएँगे। सो हम तो अपने साथियों को यही सलाह देना चाहेंगे कि राजनीतिक दृष्टि से भी वे विद्यार्थी अर्थात् अध्ययन करने वाले ही बने रहें। इसी में उनका तथा देश-जाति का भी भला है।

निबंध नंबर : 03

विद्यार्थी तथा राजनीति

Vidyarthi tatha Rajniti

विद्यार्थी देश का भविष्य हैं। भविष्य को बनाने में वे एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन विद्यार्थियों में से ही भविष्य के शासक निकलते हैं। इसलिए उन्हें अपने देश की मुश्किलों का ध्यान रखना चाहिए। उन्हें देश में घट रही घटनाओं के बारे में पूरी दिलचस्पी लेनी चाहिए।

अब प्रश्न यह उठता है कि विद्यार्थियों को अपने भविष्य को बनाने के लिए राजनीति में कदम रखना चाहिए या नहीं। जो इस बात का पक्ष लेते हैं उनके अनुसार ऐसा करने से व्यक्ति का व्यक्तित्व निखरता है तथा उसमें नेतृत्व का गुण पैदा होता है। इसे मानवता की भावनाओं की शक्ति प्राप्त होती है। पिछली पीढ़ी अच्छा काम करने में असमर्थ रही है। राजनीतिज्ञों के स्वार्थी सिद्धांतों ने देश को तबाही के समीप ला कर रखा दिया है। विद्यार्थी एक बड़ी सेना है। वे देश की कार्य प्रणाली को बदल सकते हैं।

वे जो विद्यार्थियों का राजनीति में भाग लेने का विरोध करते हैं, उनके अनुसार विद्यार्थी जीवन वह समयकाल है जब उसे जानकारी एकत्रित करनी होती है। उन्हें फालत के कार्यों में समय व्यर्थ नहीं गवाना चाहिए। उन्हें जीवन में आने वाले संघर्ष का सामना करने के लिए बद को शारीरिक तथा मानसिक रूप से तैयार करना चाहिए। राजनीति को चालाकी का खेल माना जाता है। विद्यार्थी भोले होते हैं। वे सिद्धांतहीन राजनीतिज्ञों के हाथों की कठपुतली बन कर रह जाते हैं। यह उनके जीवन के उद्देश्य को नष्ट कर देती है। इसलिए उन्हें विद्यार्थी जीवन में राजनीति से दूर रहना चाहिए।

विद्यार्थी जीवनकाल जीवन को आकार देता है। विद्यार्थियों को उन सभी गुणों को प्राप्त करना चाहिए जो उन्हें जीवन में सफलता प्रदान करें। राजनीतिक तथा राष्ट्रीय मुद्दों की जानकारी रखना बिल्कुल भी गलत नहीं है। उन्हें पूर्ण रूप से राजनीति के प्रति जागृत होना चाहिए। विद्या तथा राजनीति एक-दूसरे के विपरीत हैं। विद्यार्थियों को राष्ट्रीय हित के विषयों पर चर्चाएं करते रहना चाहिए। उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करने के पश्चात् राजनीति में कदम रखना चाहिए।

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आज का विद्यार्थी पर निबंध | Aaj Ka Vidyarthi Essay In Hindi

Aaj Ka Vidyarthi Essay In Hindi : नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है आज हम आज का विद्यार्थी पर निबंध (Essay on today’s student) लेकर आए हैं. एक आदर्श विद्यार्थी और आधुनिक युग के मोडर्न विद्यार्थी के मानदंडो में कितना फर्क आ गया हैं.

क्या आज का विद्यार्थी भावी कर्णधार बनने की तपस्या में रत है अथवा वह नकारात्मक विचारों और कुचक्रों के बंधन में है इसकी चर्चा हम आज के निबंध, भाषण, अनुच्छेद, पैराग्राफ में कर रहे हैं.

आज का विद्यार्थी पर निबंध Aaj Ka Vidyarthi Essay In Hindi

आज का विद्यार्थी पर निबंध Aaj Ka Vidyarthi Essay In Hindi

300 शब्द : आज का विद्यार्थी निबंध

बदलाव ही प्रकृति का नियम है जिसके साथ सभी को बदलना पड़ता है। जैसे-जैसे शिक्षा बदल रही है वैसे वैसे ही विद्यार्थी भी बदल रहे हैं। यह परिवर्तन का ही प्रभाव है कि पुराने गुरुकुल के विद्यार्थी आज के समय में तेज-तर्रार विद्यार्थी बन चुके हैं।

पहले जहां अभिभावक के द्वारा ही अपने बच्चों के जीवन की दिशा को तय किया जाता था वहीं आज के विद्यार्थी अपने आप से खुद ही अपने जीवन की दिशा तय कर रहे हैं और वह अपने रुचि के हिसाब से विषय की पढ़ाई कर रहे हैं। वह अपने लक्ष्यों के बारे में भली-भांति जानते हैं।

आज का विद्यार्थी अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने मनपसंद पाठ्यक्रम को सही प्रकार से पढ़ रहा है। वर्तमान के समय के विद्यार्थी के दिमाग में कई महत्वकांक्षाए होती हैं। वह एक अच्छी जिंदगी जीने का सपना देखता है।

आज का विद्यार्थी पैसे के महत्व को अच्छी तरह से समझता है। उसे यह पता है कि बिना पैसे के एक अच्छी जिंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती है और इसीलिए वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दिन रात पढ़ाई के पीछे मेहनत कर रहा है। 

आज का विद्यार्थी सिर्फ किताबों में ही नहीं डूबा हुआ है बल्कि वह किताबों के साथ राजनीति में भी रुचि ले रहा है और नेताओं के चरित्र और उनके कामों के बारे में जान रहा है।

आज के विद्यार्थी के द्वारा मनोरंजन के आधुनिक साधनों का भी आनंद लिया जा रहा है। वह दूरदर्शन के धारावाहिक और फिल्में भी देख रहा है। वह गाने सुनने का भी शौकीन है। कुछ विद्यार्थी तो पढ़ाई के दरमियान ही बाल कलाकार के तौर पर विभिन्न सीरियल में काम करने का भी प्रयास कर रहे हैं। 

खेल जगत के सितारे को भी आज के विद्यार्थी काफी अधिक पसंद करते हैं। विद्यार्थी जीवन के दरमियान खेलों में अच्छा प्रदर्शन देने वाला विद्यार्थी आगे चलकर के राष्ट्रीय टीम में खिलाड़ी भी बन रहे हैं।

700 शब्द : आज का विद्यार्थी निबंध

विद्यार्थी का अर्थ है विद्या प्राप्त करने वाला किसी  प्रकार की विद्या या कला या शास्त्र सीखने में लगा हुआ व्यक्ति विद्यार्थी हैं. इस सम्बन्ध में उम्रः का कोई प्रावधान नहीं है एक बालक से लेकर वयस्क वृद्ध जो कोई भी शिक्षा प्राप्ति के कर्म में रत है उन्हें विद्यार्थी की संज्ञा दी जाती हैं.

हमारी सामाजिक व्यवस्था में बाल्यकाल से लेकर किशोर होने तक के समय को विद्यार्थी काल कहा जाता है यह जीवन निर्माण काल भी हैं.

एक विद्यार्थी का पहला और सबसे आवश्यक गुण है जिज्ञासा. बिना जिज्ञासा के भाव ज्ञान प्राप्ति सम्भव नहीं हैं आज के दौर के विद्यार्थी में सबसे बड़ी यह समस्या पाई जाती है कि उनमें शिक्षा के प्रति उदासीनता का भाव नजर आता हैं. सम्भवतः यह हमारी शिक्षा पद्धति की कमजोरी को भी इंगित करता हैं.

आज से 300 वर्ष पूर्व अमेरिका भारत की तरह ही ब्रिटिश उपनिवेश राज्य था. मगर स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद अमेरिका में जिस कार्य पर सर्वाधिक जोर दिया गया वह थी शिक्षा व्यवस्था.

जिसका असर आज हम अमेरिकी वर्चस्व के रूप में देखते हैं. हमारा भावी भारत कैसा होगा इसे आज के स्कूलों एवं विद्यार्थियों में देखा जा सकता हैं. आज का विद्यार्थी ही भावी भारत का कर्णधार होगा.

एक विद्यार्थी में जिज्ञासा, शिक्षक के प्रति आदर, शिक्षण संस्थाओं के प्रति सम्मान के भाव, कड़ी मेहनत और ईमानदारी के गुणों की अपेक्षा की जाती हैं.

आज भारत की स्कूली शिक्षा व्यवस्था का स्तर औसत कहा जा सकता हैं मगर देश के विश्व विद्यालयों तथा उच्च शिक्षण संस्थाए राजनीति का अड्डा बनती जा रही हैं.

स्टूडेंट्स अपने अध्ययन की बजाय राजनीति धरने, विरोध प्रदर्शन और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में मुखर रूप से सामने आ रहे हैं. देश के बड़े संस्थानों में इस तरह की घटनाएं न केवल आज के छात्र की छवि को कलंकित करती हैं बल्कि देश के अन्य शिक्षण संस्थाओं में अध्ययनरत छात्रों पर भी नकारात्मक असर करती हैं.

भारत को विश्व का सबसे युवा देश कहा जाता हैं. मानवीय संसाधन से समर्थ भारत के युवा उच्च शिक्षा की डिग्रीया लेकर भी आज बेरोजगार घूम रहे हैं. विद्यार्थियों का असंतोष और व्यवस्था के प्रति नाराजगी के भाव को पैदा करने में हमारी शिक्षा पद्धति की भूमिका रही हैं.

वहीँ दूसरी तरफ आज देश के गरीब परिवारों के छात्र विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं. विश्व के कई देशों में भारतीय डॉक्टर्स और इंजीनिरयर्स का दबदबा भारत के स्वर्णिम भविष्य की ओर संकेत करता हैं.

आज के विद्यार्थी के पास पर्याप्त क्षमता हैं इन्टरनेट ने उनकी पढ़ाई के स्वर्णिम द्वार भी खोल दिए हैं. मगर जब तक शिक्षा को रोजगारपरक नहीं बनाया जाएगा, देश में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या दिनोंदिन बढ़ती ही जाएगी.

जब एक परिवार का बच्चा अपने बड़े भाई या बहिन को उच्च योग्यता प्राप्त करने के उपरांत भी 10-20 हजार की नौकरी के लिए दर दर की ठोकरे खाते देखता हैं तो यह उसके मस्तिष्क में शिक्षा व्यवस्था के प्रति नकारात्मक भावों को जन्म देता हैं.

न चाहकर भी उसके दिमाग में यह विचार घर करने लगता है कि मेरा भाई पढ़ा लिखा होकर कुछ न कर पाया तो क्या मुझसे हो पाएगा. सरकार व समाज को आज के विद्यार्थी के भविष्य के लिए चिंता करनी चाहिए तथा बढती शिक्षित बेरोजगारी पर किसी तरह लगाम कसनी ही होगी.

समूचे भारत का भविष्य हमारे विद्यार्थियों पर टिका हैं. हम आशान्वित है कि वे जल्द ही देश का नेतृत्व करने के लिए स्वयं को तैयार करने में जुट जाएगे. एक आदर्श विद्यार्थी के रूप में सभी अपेक्षित गुणों को अपनाकर समाज को नई दिशा दे सकेगे.

7 दशकों के बाद भी आज हम गरीबी, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं निश्चय ही हमारे विद्यार्थी इन्हें मिटाने के लिए समयानुकूल कार्ययोजना लाएगे. वे जीवन में नैतिकता, सदाचार, ईमानदारी और धर्म के पथ पर चलते हुए भारत को विश्व गुरु बनाने के पथ पर आगे ले जाएगे.

चूँकि विद्यार्थी काल तक उन्हें अच्छे बुरे का अधिक ज्ञान नहीं होता है अतः हमारे शिक्षकों व अभिभावकों का यह दायित्व बनता है कि वे छात्रों को अनुशासित जीवन पद्धति में ढालते हुए भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का विद्वान् यौद्धा बनाएं जो धर्म व राष्ट्र को तोड़ने वाली शक्तियों से बाहुबली बनकर सामना कर सके.

पश्चिम के विचारों पर आधारित हमारी स्कूली शिक्षा का भारतीयकरण किये जाने की आवश्यकता हैं. आज के विद्यार्थी हमारे शिक्षकों को गुरु व अभिभावक के रूप में न देखकर एक सरकारी कर्मचारी टीचर के रूप में देखते हैं.

हमारे इतिहास में गुरु के सम्बन्ध में ऐसे हीन विचार पूर्व में कभी नहीं थे. आवश्यकता इस बात कि है कि हम गुरुजनों को वह सम्मानीय पद प्रदान करे जिसके लिए हमारे ग्रथों में कहा गया है गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरुदेवो महेश्वराय.

  • आदर्श विद्यार्थी पर निबंध
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध
  • विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध
  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध हिंदी में

उम्मीद करता हूँ दोस्तों Aaj Ka Vidyarthi Essay In Hindi का यह निबंध आपकों पसंद आया होगा. इस शोर्ट एस्से में आज के मोडर्न विद्यार्थी के बारे में दी गई जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध हिंदी में Vidyarthi Jeevan And Anushasan Short Essay

Vidyarthi Aur Anushasan Short Essay |अनुशासन हीनता के कारण

मित्रों Vidyarthi Aur Anushasan विद्यार्थी और अनुशासन  पर हिंदी में निबंध प्रस्तुत है. यदि वर्तमान परिवेश में देखा जाये तो विद्यार्थी और अनुशासन Essay in Hindi , निबंध लेखन का एक महत्वपूर्ण विषय है. आप विद्यार्थी और अनुशासन पर हिंदी निबंध पढ़ें एवं अपने ज्ञान का वर्धन करें. हमें उम्मीद है कि विद्यार्थी और अनुशासन निबंध आपको अवश्य पसंद आएगा.   

दरअसल आपको यह बता दें कि नियमवद्ध एवं नियन्त्रण में रहकर कार्य करना अनुशासन कहलाता है। अनुशासन मानवजीवन का महत्त्वपूर्ण अंग है। सूर्य का अस्त होना, ऋतुओं का परिवर्तन इस तथ्य के प्रमाण हैं। कोई भी जब अनुशासनहीन जाता है तो अव्यवस्था पूरी तरह से फैलती है। प्रत्येक मनुष्य अनुशासन में रहकर ही समाज के लिए बहुत ही उपयोगी हो सकता है। स्तिथियों में अनुशासन का होना बहुत अनिवार्य है क्योंकि उन्होंने आगे चलकर देश की बागडोर सम्भालनी है। शासन विद्यार्थी जीवन की सफलता की एक बहुत बड़ी कुंजी है।

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अनुशासन का महत्त्व

बता दें कि बिना अनुशासन के विद्यार्थी जीवन का निर्माण बिल्कुल भी नहीं कर सकता। जो विद्यार्थी अनुशासन में नहीं रहता उसे असफलता का मुँह देखना अवश्य पड़ता है। जिस सेना में अव्यवस्था हो वह सेना भी देश की रक्षा करने में पूरी तरह से असफल हो जाती है। जिस कारखाने में मजदूर अनुशासनहीन हो जाते हैं, वह शीघ्र ही अवनति के गड्डे में गिर जाता है।

कहा जाता है कि शिक्षा प्रांगण में राजनीति भी इसका एक कारण बना हुआ है। विद्यार्थी आज-कल नकारात्मक राजनीति भी करने पर उतारू है, झूठ, लड़ाई-झगड़े से चुनाव जीतना चाहते हैं। विद्यार्थी अपना यूनियन बनाकर बेतूकी बातें मनवाते हैं। परीक्षा भी परिश्रम से पास करने के बजाए नक़ल करने के नए-नए तरीके ढूंढ रहे हैं। शिक्षकों के प्रति उनके मन में कोई सम्मान की भावना नहीं होती। वर्तमान समय में उपयुक्त करने के अलावे अनेक कारण हैं, जिससे आज विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता दिखाई मिलती है।

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अनुशासनहीनता रोकने के उपाय

अनुशासनहीनता रोकने का पहला उपाय है-आत्मानुशासन में रहना। अगर मनुष्य अपने शासन में रहता है तो यह समस्या नहीं आती है। इसके अलावा छात्रों को नैतिक शिक्षा अवश्य दी जानी चाहिए। छात्रों के साथ मित्रवत व्यवहार करना, उनकी बातें सुनकर उनकी समस्या का निवारण करने से अनुशासनहीनता पूरी तरह से रोकी जा सकती है।

विद्यालय में एक आदर्श विद्यार्थी कहलाने के लिए अनुशासन का पालन बहुत ही आवश्यक है। इसके लिए विद्यालय के नियमों, अपने अध्यापक एवं प्रधानाचार्य की आज्ञा का पालन करना अत्यावश्यक हो जाता है। इतना ही नहीं, विद्यालय की संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना और अपने आसपास साफ़-सफ़ाई रखना अनुशासन के ही अंग माने गये हैं। दुर्भाग्य से विद्यार्थी अनुशासनहीनता पर उतरकर अवांछनीय कार्यों में पूरी तरह से शामिल हो जाते हैं।

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आज की स्थिति

प्राचीनकाल में विद्यार्थी गुरुकुल में रहकर शिक्षा ही ग्रहण किया करते थे। वहाँ का वातावरण बडा अनुशासित होता था। विद्यार्थी अपने गुरुओं का पूरा सम्मान भी किया करते थे। वहाँ अमीर-गरीब, ऊँच-नीच का भेदभाव बिल्कुल भी न था। सभी विद्यार्थी इकट्ठे होकर एक ही गुरू के पास विद्या ग्रहण किया करते थे। भगवान् कृष्ण एवं सुदामा ने सदीपन ऋषि के आश्रम में इकट्ठे ही विद्या ग्रहण की। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के बिना सफल जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज भारत में जीवन के प्रत्येक पहलू में अनुशासनहीनता दृष्टिगोचर हो रही है। विद्यार्थी की रुचि पढ़ाई की ओर नहीं। कभी एक विश्वविद्यालय में तो कभी दूसरे विश्वविद्यालय, कभी एक परीक्षा केन्द्र में तो कभी दूसरे परीक्षा केन्द्र में हड़ताल, मारपीट आदि समाचार प्रतिदिन का विषय अधिकतर बने हुए हैं। अपनों से बड़ोंका आदर करना, उनका कहा मानना तो विद्यार्थी एकदम से भूलता ही जा रहा है। शारीरिक दण्ड न होने के कारण अनुशासनहीनता बहुत तेजी से बढ़ती ही जा रही है। परीक्षाएं तो आजकल अध्यापकों के लिए सिर दर्द बन कर रह गई हैं। नकल करना विद्यार्थी अपना पूर्ण अधिकार समझते हैं।

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  • विद्यार्थी जीवन के अनुशासनहीनता के अनेक कारण हैं- अनुशासनहीनता का पहला कारण माता-पिता की ढील होती है। पहले तो माता पिता प्यार के कारण बच्चों को कुछ नहीं कहते परन्तु जब हाथ से निकल जाते हैं तो बहुत ही पश्चाताप करते हैं।
  • आजकल विद्यार्थी पढ़ाई में रुचि बिल्कुल भी नहीं रखते। वे केवल साज शृंगार, सुख, आराम का इच्छुक पाते हैं। उन्हें अनुशासन में रहने के नियमों पर चलने को कहा जाता है तो वे अनुशासनहीनता का सहारा एकदम से ले लेते हैं।
  • विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता का तीसरा कारण राजनीतिक पार्टियां होती हैं। राजनीतिक पार्टियां अपना स्वार्थ हल करने के लिए विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता पूरी तरह से फैलाती हैं।
  • अध्यापक की अपनी कमजोरी भी इसका एक बहुत ही बड़ा कारण है। जब अध्यापक अपने विषय का पूरा ज्ञाता नहीं होता तो विद्यार्थी शीघ्र ही उनकी कमजोरी को भांप लेते हैं तथा अपनी पढ़ाई में रुचि बिल्कुल भी नहीं रखते हैं।

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आपको यह भी बता दें कि विद्यार्थी जीवन एक अमूल्य हीरे के समान ही होता है। अगर इसे अनुशासित ढांचे में ढालोगे तो यह एक ओर चमक उठेगा। अनुशासन में रहकर ही जीवन की गाड़ी ठीक – ठाक ढंग से चलती है। अनुशासन केवल विद्यार्थी के लिए ही बहुत ही आवश्यक नहीं होता बल्कि प्रत्येक मानव एवं प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह अनिवार्य होता है। इससे समाज में शान्ति बनी रहती है एवं समाज समृद्धि की ओर एकदम से अग्रसर बना होता है।

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Punjabi Essay on “Vidyarthi aur Fashion”, “ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਅਤੇ ਫੈਸ਼ਨ”, Punjabi Essay for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਅਤੇ ਫੈਸ਼ਨ

Vidyarthi aur Fashion

ਭੂਮਿਕਾ: ਹਰ ਮਨੁੱਖ ਅੰਦਰ ਸੋਹਣਾ ਬਣਨ ਅਤੇ ਸੋਹਣਾ ਜਾਪਣ ਦੀ ਪ੍ਰਵਿਰਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਉਹ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਸ ਵਿਚ ਕੋਈ ਅਜਿਹੀ । ਖਾਸ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ (ਭਾਵੇਂ ਬਣਾਉਟੀ ਹੀ ਸਹੀ) ਹੋਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਵੱਲ ਸਾਰੇ ਆਕਰਸ਼ਤ ਹੋਣ ਅਤੇ ਉਹ ਦੂਜਿਆਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਤ ਵੀ ਕਰ ਸਕੇ।

ਬਦਲ ਰਹੇ ਸਮੇਂ ਨਾਲ ਬਦਲਣਾ ਅਤੇ ਆਪਾ ਸੁਆਰਨਾ ਚੰਗਾ ਗੁਣ ਹੈ, ਜੋ ਸਲੀਕੇ ਨਾਲ ਸੁਆਰਿਆ ਜਾਵੇ ਤਾਂ। ਲੋੜ ਤੋਂ ਵੱਧ ਉਚੇਚ (ਵੇਸ਼ਨ ਦਾ ਅਸਰ ਉਲਟਾ ਵੀ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਲਈ ਮਰਯਾਦਾ, ਆਦਰਸ਼ ਤੇ ਸਲੀਕੇ ਨੂੰ ਨਹੀਂ ਭੁੱਲਣਾ ਚਾਹੀਦਾ।

ਫੈਸ਼ਨ ਦਾ ਅਰਥ : ਫੈਸ਼ਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਭਾਸ਼ਾ ਦਾ ਸ਼ਬਦ ਹੈ, ਜਿਸ ਦਾ ਅਰਥ ਹੈ-ਰਿਵਾਜ, ਪ੍ਰਥਾ, ਰੀਤ, ਵਿਹਾਰ ਆਦਿ ਪਰ ਸਾਡਾ ਇਥੇ ਫੇਸ਼ਨ ਤੋਂ ਭਾਵ ਨਵੀਨ ਤੌਰ-ਤਰੀਕੇ ਅਤੇ ਵਰਤ-ਵਿਹਾਰ ਤੋਂ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਪਹਿਰਾਵਾ, ਖਾਣ-ਪੀਣ, ਬੋਲਚਾਲ ਤੇ ਰਹਿਣ-ਸਹਿਣ ਆਦਿ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ।

ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਤੇ ਫੈਸ਼ਨ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ : ਵਿਦਿਆਰਥੀ-ਵਰਗ ਵਿਚ ਇਕ ਬਹੁਤ ਵੱਡੀ ਗਲਤਫਹਿਮੀ ਘਰ ਕਰ ਚੁੱਕੀ ਹੈ ਕਿ ਸਕੂਲ ਜਾਂ ਕਾਲਜ ਦਾ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਫੈਸ਼ਨ ਤੋਂ ਬਗੈਰ ਰਹਿ ਹੀ ਨਹੀਂ ਸਕਦਾ। ਇਸ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਹੈ ਪੱਛਮੀ ਸੱਭਿਅਤਾ ਅਤੇ ਟੀ ਵੀ ਦਾ। ਅਸਰ | ਪੰਛਮੀ ਸੱਭਿਅਤਾ ਖਾਸ ਕਰਕੇ ਸਾਡੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਵਰਗ ਤੇ ਇਸ ਕਦਰ ਹਾਵੀ ਹੋ ਗਈ ਹੈ ਕਿ ਉਸ ਦਾ ਧਿਆਨ ਪੜਾਈ ਵੱਲ ਘੱਟ। ਤੇ ਓਸ਼ਨ ਵਲ ਵਧੇਰੇ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ। ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਨੂੰ ਇਹ ਕਦੇ ਨਹੀਂ ਭੁੱਲਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਕਿ ਸਾਦਾ ਜੀਵਨ ਤੇ ਉੱਚ ਵਿਚਾਰ ( Simple living and high thinking) ਹੀ ਸਫਲਤਾ ਦੀ ਕੁੰਜੀ ਹਨ ਪਰ ਉਹ ਬਣਾਉਟੀ ਸੁਹਜ ਵੱਲ ਰੁਚਿਤ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ।ਨਕਲ ਤੇ ਵਿਖਾਵੇ ਵਿਚ ਜ਼ਿਆਦਾ ਯਕੀਨ ਕਰਨ ਲੱਗ ਪਿਆ ਹੈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਫੈਸ਼ਨ ਸਿਰਫ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੇ ਨਮੂਨਿਆਂ ਤੱਕ ਹੀ ਸੀਮਤ ਨਹੀਂ, ਇਹ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਖਾਣ-ਪੀਣ, ਬੋਲਣਚਲਣ, ਪੜ੍ਹਨ-ਲਿਖਣ ਤੇ ਰਹਿਣੀ-ਬਹਿਣੀ ਵਿਚ ਵੀ ਜ਼ਾਹਰ ਹੋ ਰਹੇ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ :

ਪਹਿਰਾਵਾ : ਸਕੁਲਾਂ ਜਾਂ ਕਾਲਜਾਂ ਵਿਚ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਵਰਦੀ ਪਾਉਣ ਲਈ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ਤਾਂ ਜੋ ਹਰ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਵਿਚ ਇਕਸਾਰਤਾ ਬਣੀ ਰਹੇ, ਕੋਈ ਵੀ ਆਪਣੇ-ਆਪ ਨੂੰ ਅਮੀਰ ਜਾਂ ਗਰੀਬ ਨਾ ਸਮਝੇ | ਵਰਦੀ ਦੀ ਸਿਲਾਈ ਵੀ ਸਧਾਰਨ ਕਿਸਮ ਦੀ ਹੁੰਦੀ। ਸੀ ਤੇ ਕਿਸੇ ਕਿਸਮ ਦੇ ਚੱਲ ਰਹੇ ਫੈਸ਼ਨ ਤੋਂ ਰਹਿਤ ਪਰ ਅੱਜ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਵਰਦੀ ਪਾ ਕੇ ਸਕੂਲ/ਕਾਲਜ ਜਾਣਾ ਸ਼ਾਨ ਦੇ ਖ਼ਿਲਾਫ਼ ਸਮਝ ਰਹੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਨਵੀਨ ਤੋਂ ਨਵੀਨਤਮ ਕਿਸਮ ਦੇ ਅਤੇ ਫੈਸ਼ਨਪ੍ਰਸਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਫੈਸ਼ਨ ਦੀ ਦੌੜ ਵਿਚ ਲੜਕੇ ਅਤੇ ਲੜਕੀਆਂ ਦੋਵੇਂ ਇਕ-ਦੂਜੇ ਨਾਲੋਂ ਵੱਧ ਹਨ।

ਪੜਾਈ : ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦਾ ਮੁੱਖ ਮਕਸਦ ਹੈ ਪੜਾਈ ਵੱਲ ਧਿਆਨ ਦੇਣਾ, ਕਲਾਸਾਂ ਲਾਉਣੀਆਂ, ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਹਾਜ਼ਰ ਹੋਣਾ ਅਤੇ ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਦਾ ਸਤਿਕਾਰ ਕਰਨਾ ਆਦਿ, ਪਰ ਅੱਜ ਪੜ੍ਹਾਈ ਸਬੰਧੀ ਵੀ ਫੈਸ਼ਨ ਪ੍ਰਚਲਤ ਹੋ ਗਏ ਹਨ। ਪਾਠ-ਪੁਸਤਕਾਂ ਦੀ ਥਾਂ ਗਾਈਡਾਂ ਪੜ੍ਹਨੀਆਂ, ਸਕੂਲ/ਕਾਲਜ ਸਿਰਫ਼ ਇਕ ਕਾਪੀ ਤੇ ਪੈਂਨ ਜਾਂ ਫ਼ਾਈਲ ਆਦਿ ਹੀ ਲੈ ਕੇ ਜਾਣਾ, ਸਕੂਲ/ਕਾਲਜ ਵਿਚ ਹਾਜ਼ਰ ਹੋ ਕੇ ਵੀ ਕਲਾਸਾਂ ਵਿਚੋਂ ਗੈਰ-ਹਾਜ਼ਰ ਰਹਿਣਾ, ਲਾਇਬ੍ਰੇਰੀ ਦੀ ਥਾਂ ਕੰਟੀਨਾਂ ਵਿਚ ਸਾਰਾ-ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਗੱਪਾਂ ਮਾਰਨੀਆਂ ਤੇ ਚਟਪਟੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਖਾਣੀਆਂ, ਪੜਨਾ ਛੱਡ ਕੇ ਅਵਾਰਾਗਰਦੀ ਕਰਨੀ, ਇਮਤਿਹਾਨਾਂ ਵਿਚ ਨਕਲਾਂ ਮਾਰਨੀਆਂ ਤੇ ਇੱਥੋਂ ਤੱਕ ਕਿ ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਨਾਲ ਵੀ ਗੁਸਤਾਖੀ ਕਰਨ ਤੋਂ ਪਿੱਛੇ ਨਹੀਂ ਰਹਿੰਦੇ।

ਅਨੁਸ਼ਾਸਨਹੀਣਤਾ : ਸਕੂਲਾਂ/ਕਾਲਜਾਂ ਵੱਲੋਂ ਨਿਸਚਿਤ ਕੀਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਹਦਾਇਤਾਂ (Code of Conduct) ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਨਾ ਕਰਨੀ ਵੀ ਇਨਾਂ ਦਾ ਇਕ ਫੈਸ਼ਨ ਬਣ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਵੱਲੋਂ ਜਾਰੀ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਜੁਰਮਾਨਾ ਅਦਾ ਕਰਨਾ ਮਨਜ਼ਰ ਹੈ ਪਰ ਹੁਕਮ-ਅਦੂਲੀ ਤੋਂ ਬਾਜ਼ ਨਹੀਂ ਆਉਣਾ।

ਖ਼ੁਰਾਕ : ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਵਿਚ ਖੁਰਾਕ ਸਬੰਧੀ ਫੈਸ਼ਨ ਵੀ ਪ੍ਰਚਲਤ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ। ਉਹ ਸਵੇਰ ਦੇ ਵੇਲੇ ਘਰੋਂ ਕੁਝ ਵੀ ਨਹੀਂ ਖਾ ਕੇ ਜਾਂਦੇ । ਤੇ ਨਾ ਹੀ ਉਨਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਨਾਲ ਘਰੋਂ ਰੋਟੀ ਵਾਲਾ ਟਿਫ਼ਨ ਲੈ ਕੇ ਜਾਣਾ ਹੈ ਬਲਕਿ ਉਹ ਤਾਂ ਕੰਟੀਨਾਂ ਵਿਚ ਬਹਿ ਕੇ ਚਾਹ, ਕਾਫੀ ਚਟਪਟੀਆਂ, ਤਲੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ, ਜੰਕ-ਫੂਡ, ਪੇਸਟਰੀਆਂ, ਬਰਗਰ, ਕੋਲਡ-ਡਰਿਕਸ ਲੈ ਕੇ ਆਪਣਾ ਰੋਹਬ ਜਿਹਾ ਜਮਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਅਜਿਹੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਸਿਹਤ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਜਾਵੇ ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕੋਈ ਪਰਵਾਹ ਨਹੀਂ।

ਬੋਲਚਾਲ : ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਪੰਜਾਬੀ ਮਾਂ-ਬੋਲੀ ਨੂੰ ਛੱਡ ਚੁੱਕਾ ਹੈ ਤੇ ਹਿੰਦੀ ਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਵਿਚ ਬੋਲਣਾ ਆਪਣੀ ਸ਼ਾਨ ਸਮਝ ਰਿਹਾ ਹੈ।ਉਂਝ ਗੱਲ ਭਾਵੇਂ ਪੰਜਾਬੀ ਵਿਚ ਹੀ ਕਰੇ ਪਰ ਹਿੰਦੀਨੁਮਾ ਪੰਜਾਬੀ ਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਦੀ ਭਰਪੂਰ ਸ਼ਬਦਾਵਲੀ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਰਨੀ ਤੇ ਗੱਲ-ਗੱਲ ਤੇ ਅੰਰ , ਐਕਚੂਲੀ, ਆਦਿ ਕਹਿਣਾ ਤਾਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਫੈਸ਼ਨ ਬਣ ਗਿਆ ਹੈ।

ਰੰਗਾਂ ਦੀ ਇਕਸਾਰਤਾ : ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਵਿਚ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਵੇਖਣ ਵਿਚ ਆਉਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਜੁੱਤੀਆਂ, ਐਨਕਾਂ, ਪਰਸ, ਨੇਲਪਾਲਿਸ਼, ਪੈੱਨ, ਬਸਤੇ, ਕਾਪੀਆਂ ਆਦਿ ਦੇ ਰੰਗ ਆਪਣੇ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨਾਲ ਮੈਚ ਕਰਕੇ ਲਿਆਉਂਦੇ ਹਨ। ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਮਹਿੰਗੀਆਂ ਤੋਂ ਮਹਿੰਗੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਖ਼ਰੀਦਣੀਆਂ ਵੀ ਫੈਸ਼ਨ ਸਮਝਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਜੋ ਉਹ ਦੂਜਿਆਂ ਵਿਚ ਆਪਣਾ ਟਹੁ ਜਿਹਾ ਬਣਾ ਸਕੇ ।ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਨਿੱਤ ਨਵੀਆਂ ਫ਼ਿਲਮਾਂ ਵੇਖਣੀਆਂ, ਫਿਲਮੀ ਐਕਟਰਾਂ ਦੀਆਂ ਤਸਵੀਰਾਂ ਕੋਲ ਰੱਖਣੀਆਂ, ਆਪਣੇ-ਆਪ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਫ਼ਿਲਮੀ ਹੀਰੋ ਵਾਂਗ ਪੇਸ਼ ਕਰਨਾ, ਮਿੱਤਰਾਂ-ਸਹੇਲੀਆਂ ਦੇ ਜਨਮ-ਦਿਨ ਤੇ ਮਹਿੰਗੇ-ਮਹਿੰਗੇ ਤੋਹਫ਼ੇ ਦੇਣੇ, ਪਾਰਟੀਆਂ ਕਰਨੀਆਂ ਆਦਿ ਫ਼ਜ਼ੂਲ-ਖ਼ਰਚੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਫੈਸ਼ਨ ਤੇ ਮਨਪ੍ਰਚਾਵਾ ਬਣ ਗਿਆ ਹੈ। |

ਫੇਸ਼ਨ-ਪ੍ਰਚਾਰ ਲਈ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ : ਫੈਸ਼ਨ ਨੂੰ ਹਵਾ ਦੇਣ ਲਈ ਵੱਡੇ-ਵੱਡੇ ਸਟੋਰ ਤੇ ਸ਼ੋਅ-ਰੂਮਾਂ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਰੋਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣ ਸਟੋਰਾਂ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਆਦਮ-ਕੱਦ ਬੁੱਤ ਨਵੇਂ ਡਿਜ਼ਾਈਨਾਂ ਤੇ ਨਵੇਂ ਸਟਾਈਲਾਂ ਨਾਲ ਸ਼ਿੰਗਾਰ ਕੇ ਰੱਖੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਇਨ ਤੋਂ ਸਹਿਜੇ ਹੀ ਪ੍ਰਭਾਵਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਫੈਸ਼ਨ ਮੁਕਾਬਲੇ ਵੀ ਫੈਸ਼ਨ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਤੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਨੂੰ ਵਧਾ ਰਹੇ ਹਨ। ਬਿਊਟੀ ਪਾਰਲਰਾਂ ਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵਧ ਰਹੀ ਹੈ।

ਨੁਕਸਾਨ  : ਦਿਨ-ਦਿਨ ਵਧ ਰਹੇ ਫੈਸ਼ਨ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦਾ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਨੁਕਸਾਨ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ। ਉਹ ਪੜਾਈ ਤੇ ਹੋਰ ਜੁਮੇਵਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਭੁੱਲ ਗਏ ਹਨ, ਪਸਾ ਬਰਬਾਦ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ। ਘਰੋਂ ਵਧੇਰੇ ਪੈਸਾ ਪਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਝਨ ਬੋਲਦੇ ਠੱਗੀਆਂ ਮਾਰਦੇ ਤੇ ਚੋਰੀਆਂ ਵੀ ਕਰਦਾ । ਹਨ ਜੀਆ ਖੇਡਣਾ, ਸ਼ਰਾਬਾ ਪੀਣੀਆਂ, ਨਸ਼ਾ ਕਰਨਾ ਤੇ ਹੱਲੜਬਾਜ਼ੀ ਕਰਨੀ ਇਨਾਂ ਦਾ ਮੁਢਲਾ ਕੰਮ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ। ਸਰੀਰ ਰੋਗੀ ਹੋ ਗਏ ਹਨ। ਮਾਨਸਿਕਤਾ ਵੀ ਰੋਗੀ ਹੋ ਰਹੀ ਹੈ। ਭਾਰਤ ਦਾ ਭਵਿੱਖ ਵਿਦਿਆਰਥੀ-ਜਗਤ ਢਹਿੰਦੀ ਕਲਾ ਵੱਲ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ।

ਸਾਰੰਸ਼ : ਅਖ਼ੀਰ ਵਿੱਚ ਅਸੀਂ ਕਹਿ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਅਸਲ ਮਕਸਦ ਪੜਾਈ, ਅਨੁਸ਼ਾਸਨ, ਮਰਯਾਦਾ ਤੇ ਚ ਬਲੀਕਾ ਨਹੀਂ ਭੁੱਲਣਾ ਚਾਹੀਦਾ। ਉਸ ਨੂੰ ਫ਼ੈਸ਼ਨਾਂ ਤੋਂ ਦੂਰ ਰਹਿ ਕੇ ਸਾਦਗੀ ਵਾਲਾ ਜੀਵਨ ਬਤੀਤ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਸਾਦਗੀ ਜੀਵਨ ਨੂੰ ਘਮੰਡ-ਹਤ ਬਣਾ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ਤੇ ਫੇਸ਼ਨ ਨਾਲ ਧਨ, ਸਮਾਂ ਤੇ ਸਿਹਤ ਦੀ ਬਰਬਾਦੀ ਤਾਂ ਹੁੰਦੀ ਹੀ ਹੈ, ਨਾਲ ਦੀ ਨਾਲ ਕਈ ਬੁਰਾਈਆ ਪੇਰਦੀਆਂ ਹਨ। ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਆਪਣੇ ਫ਼ਰਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਸਮਝਣ, ਫੋਕੀ ਟੌਹਰ ਨੂੰ ਤਿਆਗਣ, ਸਾਦਾ ਜੀਵਨ ਤੇ ਉੱਚੇ-ਸੁੱਚੇ ਵਿਚਾਰ ਅਪਣਾਉਣ ਤੇ ਸਮੇਂ ਦਾ ਪੂਰਾ-ਪੂਰਾ ਲਾਭ ਉਠਾਉਣ ਤਾਂ ਹੀ ਵਿਦਿਆਰਥੀ, ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਨਜ਼ਰ ਆਏਗਾ, ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਫੈਸ਼ਨ ਸ਼ੋਅ ਦੀ ਪੁਤਲੀ ਹੀ ਜਾਪੇਗਾ।

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