essay in hindi sadachar

Sadachar Essay in Hindi- सदाचार पर निबंध

In this article, we are providing Sadachar Essay in Hindi. सदाचार पर निबंध in 500 words.

Sadachar Essay in Hindi- सदाचार पर निबंध

भूमिका-  मानव जीवन का सर्वोत्तम गुण सदाचार ही है। यह सभी धर्मों का सार है। यह मनुष्य को उच्च एवं वंदनीय बनाता है। इसके अभाव में मनुष्य समाज में सम्मान नहीं प्राप्त कर सकता। किसी विद्वान् का कथन है’धन नष्ट हो गया तो कुछ नष्ट नहीं हुआ, स्वास्थ्य नष्ट हो गया तो कुछ नष्ट हुआ, लेकिन चरित्र नष्ट हो गया तो सब कुछ नष्ट हो गया।” सदाचार के समक्ष धन और स्वास्थ्य तुच्छ हैं। यह एक दैवी शवित है। वास्तव में सदाचार ही सर्वश्रेष्ठ मानव-धर्म है।

सदाचार सर्वोत्तम मित्र के रूप में- सदाचार मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र है। सदाचारी में आत्म-विश्वास होता है। वह निर्भीक होता है। वह असफल होने पर भी साहस नहीं छोड़ता है। सदाचारी असत्य तथा बेईमानी से दूर रहता है। भावनाओं से पवित्र होता है। वह जानता है कि दूसरों को पीड़ा पहुंचाना सदाचार की राह से भटकना है। सभी दार्शनिक तथा धर्म गुरुओं ने सदाचार की महिमा का प्रतिपादन किया है।

सदाचारी के गुण- सदाचारी में अनेक गुण विद्यमान होते हैं। वह सत्य का अनुगामी होता है। वह काम, क्रोध, दूर रहता है। स्पस्टवाद होने पर भी दूसरों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचता। वः दूसरों के कष्टोँ का निवारण दूर रहता है।स्पष्टवादी होने पर भी दूसरों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचाता। वह दूसरों के कष्टों का निवारण करने के लिएँ सदैव उद्यत रहता है।

महत्व- सदाचार के अभाव में मानव तथा शत्रु में भेद स्थापित करना कठिन है। सदाचार के बल पर ही मानव सर्वोच्च प्राणी मन गया है। हमारे ऋषियों को सदाचारी होने के कारण ही इतना मान तथा सम्मान मिला है। इसी गुण के कारण वे मार्ग दर्शक बन सके। गोखले, तिलक, गाँधी आदि नेता सदाचारी होने के कारण जनता के कठोहार बन सके। संसार सदाचारी का सम्मान करता है। लोगों के हृदय में उसके प्रति श्रद्धा होती है। उसका जीवन सुखी और शांतिमय होता है। सदाचारी व्यक्ति के सत्संग में सद्गुणों का विकास होता है। मार्ग से भटका हुआ व्यक्ति भी संमार्ग पर चलने लगता है।

कतिपय उदाहरण- भारत का इतिहास सदाचारी मानवों की जीवन गाथाओं से भरा पड़ा है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम सदाचार की साकार प्रतिमा थे। शिवजी तथा महाराणा प्रताप के उज्वल चरित्र से भारत का इतिहास आलोकित है। स्वामी रामतीर्थ, दयानन्द, विवेकानंद अदि ऋषियों ने देश-विदेश का भ्र्मण करके सदाचार की मशाल को प्रज्वलित किआ ।

चरित्र निर्माण के साधन – चरित्र निर्माण के तीन प्रमुख साधन है- सत्संग, अध्यन, अभ्यास । सदाचारी बनने के लिए महान् चरित्र वालों का सत्संग अपेक्षित है। सद्गुणों को विकसित करने वाले ग्रंथों का अध्ययन आवश्यक है। अध्ययन के माध्यम से जो उत्तम संस्कार किये जाएँ उन्हें सतत् अभ्यास से जीवन में ढालना चाहिए।

उपसंहार-  सफल एवं सार्थक जीवन के लिए सदाचारी होना आवश्यक है। उत्तम चरित्र का प्रभाव व्यापक एवं अचूक होता है। चरित्र का हास होने से मानव को अनेक दु:खों और कष्टों का सामना करना पड़ता है। समाज के लोग उसे हेय दृष्टि से देखते हैं। सदाचारी का तो केवल भौतिक शरीर ही नष्ट होता है। उसकी यश ज्योति संसार में बिखरी रहती है। सदाचार व्यक्तिगत, राष्ट्रीय तथा सामाजिक उन्नति का स्रोत है। सदाचारी व्यक्तियों के चरण चिहनों पर युग चलता है।

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3 thoughts on “Sadachar Essay in Hindi- सदाचार पर निबंध”

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Thanks a lot …..

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शिक्षा मे सदाचार पर 100 शब्द लिखो | हिंदी निबंध

शिक्षा मे सदाचार.

संकेत बिंदु : सदाचार क्या है संसकार और सदाचार लाभ

Write 200 words on ‘Shiksha mein Sadachar’ in Hindi.

शिक्षा में सदाचार का मतलब है आदर्श और नेक व्यवहार। यह एक महत्वपूर्ण संस्कार है जो हमें सही और गलत के बीच भेदभाव करने की कला सिखाता है। सदाचार के अनुसार, हमें दूसरों का सम्मान करना चाहिए और उनकी भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए। यह हमें सही निर्णय लेने और हमारे साथियों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने में मदद करता है।

संस्कार और सदाचार का लाभ यह है कि वे हमें सही रास्ता दिखाते हैं और उस राह पर दृढ रहने में सहायता करते हैं। वे हमें समाज में अच्छे नागरिक बनने के लिए मार्गदर्शन करते हैं और हमें अपने कर्तव्यों का पालन करने की प्रेरणा देते हैं। सदाचार और संस्कार हमें सामाजिक और नैतिक मूल्यों को समझने और अपनाने में भी मदद करते हैं।

आजकल की शिक्षा प्रणाली किताबी और तकनिकी ज्ञान की तरफ अधिक ध्यान देती है. जिससे बच्चे नैतिक मूल्यों और सदाचरण से दूर होते जा रहे हैं. जिसके परिणाम स्वरुप आतंकवाद बढ़ता जा रहा है.

इसलिए हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि सदाचार और संस्कार हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिसे किसी भी हालात में भुलाया नहीं जा सकता।

Short Story for Children | Importance of Saying NO Politeness can be Harmful – Short Moral Stories for Kids

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जीवन में सदाचार का महत्व पर निबंध | Essay on Good Behaviour in Hindi

नमस्कार आज का निबंध, जीवन में सदाचार का महत्व पर निबंध Essay on Good Behaviour in Hindi पर दिया गया हैं.

विद्यार्थी जीवन में सदाचार क्या हैं इसका महत्व अर्थ आशय दस नियम आदि पर स्टूडेंट्स के लिए सरल भाषा में निबंध दिया गया हैं. आशा करते है आपको ये सदाचार का निबंध पसंद आएगा.

जीवन में सदाचार का महत्व पर निबंध Essay on Good Behaviour in Hindi

जीवन में सदाचार का महत्व पर निबंध Essay on Good Behaviour in Hindi

सदाचार का महत्व जब कोई शिक्षा आचरण और अमल में लाई जाती है तो वह प्रभावशाली हो जाती है और उसका असर होता है।

अन्यथा हमारा आत्मबल कमजोर है तो वाणी भी कमजोर होगी। इससे हमारी वाणी का असर संतान पर भी नहीं होगा। सदाचार का सीधा संबंध संस्कारों से है।

मानवता और सदाचार से आत्मीयता का विस्तार होता है। सम्पूर्ण संसार अपना परिवार नजर आता है। सदाचार के बिना मानवता का कोई अर्थ नहीं।

सदाचार मनुष्य में थोपा नहीं जा सकता, क्योंकि सद्गुण उसमें जन्म से होते हैं, किंतु संस्कारों द्वारा उन्हें विकसित किया जाता है।

भौतिकता की चकाचौंध में आज आध्यात्मिकता की उपेक्षा हो रही है, जिसके दुष्परिणाम हमारे सामने आते हैं। कटुता, वैर भाव, स्वार्थपरता आदि तमाम दुष्प्रवृत्तियां जाने- अनजाने हमारे आचरण में आती हैं, जो व्यक्तित्व को धूमिल करने के साथ ही असामाजिकता को बढ़ावा देती हैं।

समझदारी इसी में है कि हम जीवन की वास्तविकता को समझें और सही समय पर सही मार्ग पर सही कदम रखें, जिससे अपने कल्याण के साथ-साथ दूसरों के कल्याण के भी माध्यम बन सकें। सही अर्थो में तभी हमारा जीवन सफल होगा।

भौतिक उन्नति केवल शारीरिक सुख पहुंचा सकती है आत्मिक नहीं। इसके लिए सदाचार के मार्ग पर हमें चलना होगा। सदाचार से ही जीवन को सुखी बनाया जा सकता है।

जीवन में सदाचार का महत्व निबंध | Sadachar Par Nibandh In Hindi

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं. समाज में रहकर वह कई काम करता हैं, परन्तु समाज के कुछ नियम हैं. नियमों के अनुसार किया गया काम  सदाचार कहलाता हैं.

जैसे गुरुजनों का आदर करना, सत्य बोलना, सेवा करना, किसी को कष्ट न पहुचाना, मधुर वचन बोलना, विनम्र रहना, बड़ो का आदर करना आदि सदाचार के उदाहरण  हैं. ये उत्तम चरित्र के गुण हैं. जिस व्यक्ति के व्यवहार में ये  गुण (virtue)  होते हैं, वह सदाचारी कहलाता हैं.

सदाचार का अर्थ व परिभाषा (moral conduct meaning arth definition in hindi)

यह सदाचार शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हैं, सत+आचार सत का अर्थ हैं अच्छा और आचार का अर्थ हैं व्यवहार. इस तरह सदाचार का अर्थ हैं अच्छा व्यवहार.

अच्छे व्यवहार से ही व्यक्ति के सदाचारी होने की पहचान होती हैं. सदाचारी बनने के लिए ईमानदार होना आवश्यक हैं.

जो व्यक्ति अपने प्रति ईमानदार होता हैं, वह सबके प्रति इमानदारी बरतता हैं. चाहे वह सेवा की बात हो या कर्तव्य की, धन की बात हो या कमाई की, लेने की बात हो या देने की. सब में उसका व्यवहार ईमानदारीपूर्ण रहता हैं.

ईमानदार व्यक्ति गरीब होते हुए भी धनी होता हैं, क्योंकि ईमानदारी के कार्यों से उसे सम्मान और आनन्द मिलता हैं. बेईमान व्यक्ति धनवान तो हो सकता हैं, परन्तु वह आनन्द एवं सम्मान नही प्राप्त कर सकता हैं.

सदाचार के गुण और जीवन में सदाचार का महत्व (moral conduct  virtue  & importance In Life)

जो व्यक्ति सदाचारी होता हैं, वह अनुशासित और संयमी भी होता हैं. इन गुणों को उसके बोल-चाल, कार्य व्यवहार, खान पान और रहन सहन आदि में देखा जाता हैं.

वह स्वयं अनुशासित रहकर अच्छे व्यवहार का परिचय देता हैं.सत्य बोलना एक प्रकार की अखंड तपस्या हैं, झूठ बोलना अच्छा नही माना जाता हैं.

जों व्यक्ति ह्रदय से सत्य बोलने का व्रत लेता हैं, वह सदाचारी होता हैं. ऐसा व्यक्ति मरते दम तक सत्य बोलने के धर्म का पालन करता हैं.

सदाचारी व्यक्ति जहाँ भी जाता हैं, प्रसन्न रहता हैं और अपने सम्पर्क में आने वालों को भी प्रसन्नता देता हैं. उसके पास सद्गुण तथा सद्व्यवहार का भंडार होता हैं. वह झूठी प्रशंसा से प्रभावित नही होता हैं, वह निर्भय होता हैं.

सदाचार जीवन का आधार क्यों हैं (Why Good Behavior Basis Of Our Life)

विपत्तियाँ और प्रतिकूल परिस्थतियाँ प्रायः सभी के जीवन में आती हैं, किन्तु सदाचारी व्यक्ति इनसें कभी विचलित नही होता हैं.

ऐसे व्यक्ति के जीवन में कितनी भी बड़ी विपदा आ जाए तो भी वह उससे मुकाबला करने की क्षमता रखता हैं. उसमें असीम धैर्य एवं सहनशक्ति जैसे महान गुण होते हैं.

परोपकार करना उसका स्वभाव होता हैं. वह अपने कार्यों से सदा दूसरों का भला करता हैं. लोग उस पर विश्वास करते हैं. सभा हो या समुदाय, सदाचार से युक्त व्यक्ति सर्वत्र पूजा जाता हैं.

सदाचार सफलता का मार्ग हैं. जो व्यक्ति को मंजिल तक पहुचाता हैं. अच्छे व्यवहार के कारण कठिन काम भी सहजता से बन जाते हैं. इसके द्वारा मनुष्य अपनी असीम शक्ति को प्रकट कर सकता हैं.

सदाचार के बल पर असीम शक्ति को प्रकट करने वाला सामर्थ्यवान मनुष्य संत और महापुरुष के रूप में जाना जाता हैं. वह अपने महान कार्यों से महापुरुष कहलाता हैं. ऐसे ही महापुरुष हमारे जीवन के आदर्श होते हैं.

उनका सद्व्यवहार भी अनुकरणीय होता हैं. हमे परस्पर सद्व्यवहार करना चाहिए. सद्व्यवहार ही वास्तव में सदाचार हैं.

  • ईमानदारी पर सुविचार
  • शिष्टाचार पर निबंध
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों जीवन में सदाचार का महत्व पर निबंध Essay on Good Behaviour in Hindi का यह निबंध आपको पसंद आया होगा.

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सदाचार पर निबंध | Sadachar Par Nibandh

सदाचार पर निबंध – सदाचार मानव जीवन के लिए सबसे सर्वश्रेष्ठ गुण माना जाता है। लेकिन सभी लोगो के मन में सदाचार का भाव होना आम बात नही है , इसके लिए कठोर तपस्या, धैर्य, साधना, त्याग और बलिदान की आवश्यकता पड़ती है। सदाचार के गुण अपनाकर आप अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकते हैं।

एक सदाचारी व्यक्ति कभी निराश नहीं होता है। उसके जीवन में कैसी भी परिस्थियाँ हो, वह डटकर उसका मुकाबला करता है। प्रत्येक व्यक्ति और उसका परिवार समाज का अंग होता हैं। और समाज में कुछ नियम और मर्यादाएँ होतीहैं। इन्ही नियम और मर्यादाओं का पालन करके प्रत्येक व्यक्ति को अपने परिवार के साथ-साथ देश का भी नाम रौशन करना चाहिए।

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Page Contents

सदाचार का अर्थ

सदाचार दो शब्दों से मिलकर बना है सत् और आचार। जिसका शाब्दिक अर्थ होता है सज्जन का आचरण। सदाचार में व्यक्ति सत्य, अहिंसा,विश्वास और प्रेम-भाव को धारण करता है। सदाचार के गुण को धारण करने वाला व्यक्ति सदाचारी कहलाता है। एक सदाचारी व्यकित ईमानदार और आत्मविश्वास से भरपूर होता है। और उसे संसार में बहुत सम्मान मिलता है।

एक सदाचारी व्यक्ति हमेशा सत्य बोलता है। और मरते दम तक सत्य की राह पर चलता है। सदाचारी व्यक्ति हमें प्रसन्न चित रहता हैं और अपने सम्पर्क में आने अन्य व्यकियों को भी प्रसन्नता देता हैं। विपत्तियाँ और प्रतिकूल परिस्थतियाँ सभी मनुष्य के जीवन में आती हैं, लेकिन सदाचारी व्यक्ति कभी इनसें डगमगाता नही हैं।

सदाचार व्यक्ति को काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार से कोसो दूर रहता है। वह अपने जीवन में सत्संग, अध्यन और अभ्यास के द्वारा सफलता हासिल करता है। सदाचार मनुष्य जीवन का वो अनमोल गहना है, जिसकी तुलना में दुनियाँ की सभी भौतिक वस्तुएं तुच्छ नजर आती है। सदाचार मनुष्य की सबसे बड़ी बल शक्ति भी मानी जाती है क्योंकि इसके द्वारा मनुष्य सभी प्रकार की मानसिक दुर्बलताओं से दूर रहता है।

सदाचार का महत्त्व

व्यक्ति के चरित्र निर्माण पर सदाचार का बहुत बड़ा योगदान होता है। हमारे देश के ऋषि मुनि, साधु संत और महापुरुषों ने सदाचार के गुणों को अपनाकर संसार में सत्य, शांति और अहिंसा का पाठ पढ़ाने में कामियाब रहे। सदाचार का गुण अपनाने के बाद मनुष्य को अन्य किसी चीजों की आवश्यकता नहीं पड़ती है। सदाचार एक ऐसा अनमोल अलंकार है जिसे अपनाकर व्यक्ति अपने साथ-साथ राष्ट्र और समाज का कल्याण कर सकता है।

एक सदाचारी व्यक्ति को हर कोई पसंद करता है। क्योंकि सदाचारी बुरे कर्मों जैसे की क्रोध, ईर्ष्या, छल, मोह, क्रोध आदि से दूर रहता है और अपने जीवन में सुख-समृद्धि हासिल करता है। एक सदाचारी व्यक्ति कठिन से कठिन परिस्थियों में भी किसी को जितनी आसानी से कर लेता है उतनी आसानी से कोई नहीं कर पाता है।

एक चरित्रहीन व्यक्ति पशु के समान होता है और सदाचार हमें पशुओं से अलग रखता है। एक माली पौधा तैयार करने के लिए पानी, खाद डालता है, और समय-समय पर उसके आस-पास की सफाई भी करता है ताकि पेड़ का विकास अच्छी तरह हो। ठीक इसी प्रकार के बच्चों का भविष्य बनाने में माता, पिता और गुरुजनों बहुत बड़ा योगदान होता है।

सदाचार के द्वारा विश्व में प्रसिद्धि हासिल करता है। विश्व में जितने भी महापुरुष हुए उन्होंने अपने जीवन में सदाचार का ही पालन किया था जैसे जैसे- गुरू नानक, संत कबीर, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामदास, संत तुकाराम लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी आदि।

सदाचार की विशेषतायें

सदाचार की निम्न विशेषतायें होती है –

  • सदाचारी व्यक्ति कर्म को सबसे ज्यादा महत्त्व देता है।
  • सदाचार से हमें सत्य बोलने की प्रेरणा मिलती है।
  • सदाचारी व्यक्ति कभी क्रोध नहीं करता है।
  • सदाचारी व्यक्ति नैतिक और मौलिक कर्त्तव्यों का पालन करता है।
  • सदाचारी व्यक्ति अपने जीवन में कभी निराश नहीं होता है।
  • सदाचारी व्यक्ति सदैव बड़ों का समाना करता है।
  • सदाचार व्यक्ति को महान बनाता है।
  • सदाचारी का व्यवहार सदैव सरल, प्रेम भाव और मिलनसार होता है।
  • सदाचार मनुष्य को देवत्व की ओर ले जाता है।
  • सदाचारी व्यक्ति की परिवार और समाज में बहुत इज्जत होती है।

इन्हें भी पढ़े –

  • भ्रष्टाचार पर निबंध
  • पर्यावरण पर निबंध
  • प्रदूषण पर निबंध
  • परोपकार पर निबंध
  • राष्ट्रीय एकता पर निबंध

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सदाचार पर निबंध

Sadachar Par Nibandh : हम यहां पर सदाचार पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में सदाचार के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

Sadachar-Par-Nibandh

Read Also:  हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

सदाचार पर निबंध | Sadachar Par Nibandh

सदाचार पर निबंध (250 शब्द).

हमारे जीवन के लिए सदाचार महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे हमारी भलाई और खुशी के लिए आवश्यक बुनियादी गुण हैं। एक बहेतरीन और स्वस्थ जीवन जीने के लिए  सदाचार को जीवन में  विकसित करने की आवश्यकता होती है। सदाचार से अक्षय धन मिलता है। सदाचार ही बुराइयों को नष्ट करता है। सभी धर्मों का सार एक मात्र सदाचार ही है। सदाचार के  गुण  से मनुष्य का चरित्र उज्ज्वल बनता है।

यह शब्द संस्कृृत भाषा के सत् और आचार शब्दों से मिलकर बना है। जिसका शाब्दिक अर्थ होता है सज्जन का आचरण। सदाचार से संसार में मनुष्य को आदर सन्मान मिलता है। संसार में उसकी प्रतिष्ठा  बढ़ती रहती है। सदाचार मनुष्य आत्मविश्वास  से भरपुर होता है।किसी भी मनुष्य के लिए सदाचार जीवन में अपनाना गौरव की बात होती है।

सदाचार हमें स्पष्ट सोच देता है। सदाचार मनुष्य को काम, क्रोध, लोभ, मोह तथा अहंकार से दूर रखता है। जीवन में सदाचार सत्संग, अध्यन तथा अभ्यास के द्वारा प्रतिपादित होता है। सदाचार मनुष्य जीवन को सार्थकता प्रदान करता है। यह वो गहना है, जिसकी तुलना में विश्व की कोई भी मूल्यवान वस्तु तुच्छ नजर आती है।

सदाचार का बल संसार की सबसे बड़ी शक्ति मानी जाती है क्योंकि इसके सामने  मनुष्य  की सभी मानसिक दुर्बलताओं अपने घुटने टेक देती है। समाज के कल्याण का हिस्सा बनने के लिए सदैव सदाचार का पालन करें और अपने बच्चों को भी को सदाचार अवश्य सिखाएं। क्योंकि यह वह गुण है जिसकी वजह से हमारा व्यक्तित्व निखारता है और पूरा जीवन शांतिमय बनता है।  सदाचारी व्यक्ति मरणोपरांत के बाद भी याद किया जाता है।

सदाचार पर निबंध (800 शब्द)

हम अपने मन, वाणी और वर्तन के द्वारा जो अच्छा कार्य करते है उसे सदाचार कहा जाता है। यह हमारे जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण गुण माना जाता है। मनुष्य जीवन में सदाचार का होना आसान बात नही है , इसके लिए हमें कठोर तपस्या, साधना, संयम और त्याग की  आवश्यकता पड़ती है। सदाचार के द्वारा आप एक मजबूत चरित्र  का निर्माण कर सकते हो।

सामाजिक व्यवस्था के लिए सदाचार का  अधिक महत्त्व  है। सदाचार मानव को पशुओं से अलग करता है और एक श्रेष्ठ मानव की पहचान देता है। सदाचारी व्यक्ति  मानसिक रूप से संतुष्ट काफी होता है, जिसकी खुशियां हमेशा द्वार पर रहती हैं और दुखों को वह अपने नजदीक भी नहीं आने देता।

सदाचार का महत्व

बड़े बड़े ऋषि मुनि, साधु संत और विश्व के महापुरुषों ने ही सदाचार को अपनाकर ही संसार को शांति एवं अहिंसा का पाठ पढ़ाने में कामियाब रहे। सदाचार की राह पकड़ कर ही मनुष्य ईश्वर के समीप हो सकता है। इस गुण के द्वारा मनुष्य धार्मिक, बुद्धिमान और दीर्घायु बनता है और सदेव उसे सुख की प्राप्ति होती है। देश, राष्ट्र और समाज के कल्याण के लिए हर मनुष्य में सदाचार होना बेहद जरुरी है।

स्वामी रामकृष्ण परमहंस, स्वामी रामतीर्थ, स्वामी विवेकानन्द जैसे सदाचारी पुरूष ने आचरण और विचारों से पूरे विश्व को प्रभावित किया।सदाचार मनुष्य को देवत्व प्रदान करता है। सदाचार एक ऐसा अनमोल अलंकार है, जिसे अपनाने के बाद मनुष्य को किसी भी कीमती रत्न की जरुरत नही पड़ेगी।

सदाचार का अर्थ

सदाचार दो संस्कृत शब्दों का मिलन है। सत् और आचार शब्दों से मिलकर बना यह शब्द काफी प्रभावशाली है। सदाचार सदाचार का अर्थ होता है एक अच्छा आचरण। सदाचार में सत्य, अहिंसा,विश्वास और मैत्री-भाव जैसे जीवनविकास के गुण भी शामिल होते है। सदाचार को धारण करने वाले व्यक्ति सदाचारी कहलाता है।

सदाचार को कभी बेचा या खरीदा नही जा सकता। उसकी कीमत कभी नही आंकी जा सकती। सदाचार हमें उत्तम शिक्षा, अनुशासन और सत्संगति से प्राप्त होता है। इसके अलावा इसे प्राप्त करने का कोई अन्य मार्ग नहीं है।

सदाचार और विद्यार्थी जीवन

विद्यार्थी जीवन पूरे जीवन की आधारशिला है। विनम्रता, परोपकार, सच्चरित्रता, सत्यवादिता जैसे गुण विद्यार्थी को सिखाने चाहिए। ताकि वो जीवन के हर क्षेत्र में बुराइयों से बच सके और खुद को नकारात्मक वातावरण से दूर रखे। विद्यार्थी को अपना अधिक से अधिक  समय सत्संगति के साथ गुजारना चाहिए। विद्यार्थी जीवन में सिखाए गए सदाचार के पाठ उन्हें आदर्श विद्यार्थी बनने के पथ पर ले जाते है। एक आदर्श विद्यार्थी समाज के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणादायी होता है।

सदाचार के लाभ

सदाचार हमें माता-पिता और गुरू की आज्ञा का पालन करना सिखाता है। साथ ही साथ में परोपकार, अहिंसा, नम्रता और दया जैसे गुण को विकसित करता है। सदाचार से मनुष्य को हर जगह पर आदर मिलता है। संसार में उसकी पूजा और प्रतिष्ठा होती है। सदाचार जीवन में अपनाने से शरीर स्वस्थ, बुद्धि निर्मल और मन प्रसन्न रहता है। सदाचारी व्यक्ति को कोई भी कार्य कठिन और मुश्किल नहीं लगता।

यह मनुष्य को असत्य और बेईमानी से दूर रखता है। उसे जीवन में कभी असफल नहीं होने देता है। सदाचारी व्यक्ति हमेशा दूसरों के दुखों को देखकर भावुक हो जाता है और दुखी लोगों के दुःख दूर करने के लिए सदा तत्पर रहता है। सदाचारी व्यक्ति के व्यक्तित्व में एक अनोखा आकर्षण होता है। इसलिए उनके संपर्क में आने वाले दुराचारी व्यक्ति भी दुराचार को छोड़कर सदाचार को अपना लेता है।

दुराचारी  को हर जगह से दुत्कारा जाता है। इस प्रकार की व्यक्ति का जीवन दुखों से भरा रहता है। जगह जगह पर उसे अपमान मिलता है। दुराचारी व्यक्ति धर्म एवं पुण्य से हीन होता है। ऐसे लोगो को ना ही तो  सुख मिलता है और ना ही सदगति प्राप्त होती है।

सदाचार और वर्तमान समय

आज के इस विकसित युग में सदाचार की भावना लोगों में लुप्त होती नजर आ रही है। आज वर्तमान काल में समाज में भ्रष्टाचार, लांच रिश्वत, गुना खोरी कई दूषणो अपना घेरा डाला हुआ है। मानव मानव का प्रतिस्पर्धी बन गया है। सदाचार और नैतिकता जैसे गुणों को आज  बचपन से ही सीखने की जरुरत है, वरना पृथ्वी पर से सदाचार जैसे शब्दों का नामोनिशान मिट जायेगा। अगर पृथ्वीपर सदाचार ही नहीं रहेगा तो  यह इंसान एक खतरनाक नर भक्षी का रूप भी धारण कर सकता है।

सदाचार भारतीय संस्कृृति का एक हिस्सा है। सदाचार को जीवन में अपनाने से लौकिक और आत्मिक सुख की प्राप्ति होती है। यदि धन नष्ट हो जाये तो मनुुष्य का कुछ भी नहीं बिगड़ता, स्वास्थ्य बिगड़ जाने पर कुछ हानि होती है पर चरित्रहीन होने पर मनुष्य का सर्वस्व नष्ट हो जाता है। इसलिए सभी को सदाचार के व्रत को जीवन में अपनाना चाहिए। सदाचार ही मनुष्य जीवन को सार्थक बनाता है।

सदाचार का मूल्य वास्तविक प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक है इसलिए हमें अपने जीवन में सदाचार को पूरी गंभीरता से शामिल करना चाहिए। इस प्रकार हम अपने जीवन को तो श्रेष्ठ करेंगे ही, साथ ही औरों के लिए भी मार्गदर्शक और प्रेरणादायी बनेंगे।

हमने यहां पर “  सदाचार पर निबंध (Sadachar Par Nibandh) ” शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

  • शिष्टाचार पर निबंध
  • समयनिष्ठता पर निबंध
  • दयालुता पर निबंध

Rahul Singh Tanwar

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सदाचार पर निबंध | Essay on Sadachar in Hindi

Essay on Sadachar in Hindi

सदाचार विषय पर हिंदी भाषा में निबंध | Essay on Sadachar (Good Behavior) in Hindi | Sadachar par Nibandh Hindi me

सदाचार शब्द संस्कृत के सत् और आचार शब्दों से मिलकर बना है. इसका अर्थ है सज्जन का आचरण अथवा शुभ आचरण. सत्य, अहिंसा, ईश्वर विश्वास, मैत्री भाव, महापुरुषों का अनुसरण करना आदि बाते सदाचार में गिनी जाती है. इस सदाचार को धारण करने वाला व्यक्ति सदाचारी कहलाता है. इसके विपरीत आचरण करने वाले व्यक्ति को दुराचारी कहते हैं.

सदाचार मनुष्य का लक्षण है. सदाचार को धारण करना मानवता को प्राप्त करना है. सदाचारी व्यक्ति समाज में पूजित होता है. आचारहीन का कोई भी सम्मान नहीं करता हैं. कोई भी उसका साथ नहीं देता हैं. वेद भी उनका कल्याण नहीं करते हैं इसलिए कहा गया है “आचारहीनं पुर्नान्त्ते वेदाः” अर्थात वेद भी आचार रहित व्यक्ति का उद्धार नहीं कर सकते हैं.

सच्चरित्रता

सदाचार का महत्व पूर्ण सच्चरित्रता है. सच्चरित्रता सदाचार का सर्वोत्तम साधन है. अंग्रेजी कहावत के अनुसार धन नष्ट हो जाए तो मनुष्य की विशेष हानि नहीं होती है. स्वास्थ्य बिगड़ जाने पर कुछ हानि होती है किंतु चरित्रहीन होने पर मनुष्य का सर्वस्व नष्ट हो जाता है. मनुष्य में जो कुछ भी मनुष्यत्व है, उसका प्रतिबिंब उसका चरित्र है. आचारहीन व्यक्ति तो निरा पशु या राक्षस के समान है. रावण के पास भी धन, वैभव और विद्या सब कुछ था किंतु अनाचार के कारण उसका सब कुछ नष्ट हो गया. महाभारत की एक कथा के अनुसार एक राजा का शील नष्ट हुआ तो उसका धर्म नष्ट हो गया. यस और लक्ष्मी उसका साथ छोड़ गए. भारत एवं पाश्चात्य के सभी विद्वानों ने शील, सदाचार और सच्चरित्रता को जीवन में सर्वाधिक महत्व दिया है.

सच्चरित्रता के लिए यह आवश्यक है कि भय की प्रवृत्ति पर नियंत्रण प्राप्त किया जाए तभी हमारे ह्रदय में ऊँचे आदर्श और स्वस्थ प्रेरणाएं पनप सकती हैं. जो भय के वश में होगा उसके चरित्र का विकास नहीं हो सकता हैं. जीवन में अच्छे चारित्रिक गुणों के विकास हेतु यह आवश्यक है कि स्वयं को बुरे वातावरण से दूर रखा जाए. अपने चरित्र निर्माण हेतु सदैव भले और बुद्धिमान लोगों का संगत करना चाहिए. बुरे लोगों का साथ छोड़कर अच्छे विचार मन में अनुग्रहित करना चाहिए. आदर्श चरित्र के लिए मन, वचन, और कर्म की एकरूपता का होना भी आवश्यक है. चरित्रवान व्यक्ति की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होता हैं. वे परोपदेशक नहीं होते हैं.

धर्म की प्रधानता

भारत एक आध्यात्मिक देश है. यहां की संस्कृति तथा सभ्यता धर्म प्रधान है. धर्म से मनुष्य की लौकिक एवं आध्यात्मिक उन्नति होती है. लोक और परलोक की भलाई धर्म से ही संभव है. धर्म आत्मा की उन्नति करता है उसे पतन की ओर ले जाने से रोकता है. इस प्रकार धर्म सदाचार का ही पर्यायवाची भी कहा जा सकता है. सदाचार में वह गुण है जो धर्म हमें हैं. सदाचार के आधार पर ही धर्म की स्थिति संभव है. जो आचरण मनुष्य को ऊंचा उठाया उसे चरित्रवान बनाए वह धर्म है वही सदाचार है. महाभारत में कहा गया है धर्म की उत्पत्ति आचार्य से ही होती है. शील, सत्य, भाषण, अहिंसा, क्षमा, करुणा और परोपकार जिनके सदाचार कहा जाता हैं, वही धर्म के प्रमुख गुण हैं. अतः सदाचार को धारण करना ही धर्म को धारण करना हैं.

शील सदाचार की शक्ति

शील मानसिक भूचाल के लियें अंकुश हैं. सदाचार मनुष्य की काम, क्रोध, मोह आदि बुराइयों से रक्षा करता है. अहिंसा की भावना सेमन की क्रूरता समाप्त होती है तथा उसमें करुणा, सहानुभूति एवं दया की भावना जागृत होती है. क्षमा, सहनशीलता आदि गुणों से मनुष्य का नैतिक उत्थान होता है तथा मनुष्य से लेकर पशु-पक्षी तक के प्रति उदारता की भावना पैदा होती है. इस प्रकार सदाचार का गुण धारण करने से मनुष्य का चरित्र उज्जवल होता है और उसमें कर्तव्यनिष्ठा पैदा होती है.

संपूर्ण गुणों का सार

सदाचार मनुष्य के संपूर्ण गुणों का सार है. जो उसके जीवन को सार्थकता प्रदान करता है. इसकी तुलना में विश्व का कोई भी मूल्यवान वस्तु नहीं टिक सकती है. सदाचार रहित व्यक्ति कभी पूजनीय नहीं हो सकता है. सदाचार ही मनुष्य को पूज्य बनाता है. सदाचार के बिना मनुष्य कभी भी अपने जीवन लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता है. सत्य भाषण, उदारता, विशिष्टता, विनम्रता, सुशीलता, सहानुभूति आदि गुण जिस व्यक्ति में होते हैं, वह सदाचारी कहलाता है. उस व्यक्ति की समाज में प्रतिष्ठा होती है. उसे समाज ने आदर और सम्मान मिलता हैं.

उपसंहार(Conclusion)

वर्तमान युग में शिक्षा के प्रभाव से भारत के युवक-युवतियां सदाचार के महत्व को निरर्थक मानने लगे हैं तथा सदाचार विरोधी जीवन को अपना आदर्श मानते हैं. इसी कारण देश तथा समाज पतन की ओर जा रहा है. आसन की रक्षा हेतु युवा वर्ग को सचेत रहना चाहिए. उन्हें राम कृष्ण और गांधी के चरित्र को आदर्श मानकर न्यायप्रिय आचरण करना चाहिए. राष्ट्र का सच्चा निर्माण, सच्ची प्रगति तभी संभव है, जब प्रत्येक भारतवासी सदाचारी बनने का संकल्प लें.

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1 thought on “सदाचार पर निबंध | Essay on Sadachar in Hindi”

very nice essay thanks sir

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सदाचार पर निबंध – Sadachar Par Nibandh in Hindi

दोस्तों, हमने अपने Hindi Essay वाले पिछले आर्टिकल में विद्यार्थी जीवन ( Student Life ) पर हिंदी में निबंध पढ़ा था।

अगर आप स्टूडेंट लाइफ के बारे में अच्छी तरह जानना चाहते है तो आप विद्यार्थी जीवन पर हिंदी में निबंध को जरूर पढ़े।

खैर, आज के इस आर्टिकल का टॉपिक “ सदाचार ” है, जिसके बारे में हम इस आर्टिकल में जानेंगे और सदाचार पर हिंदी में छोटा-सा निबंध भी पढ़ेंगे।

सदाचार पर निबंध हिंदी में – Sadachar Essay in Hindi Language

sadachar par nibandh

सदाचार का तात्पर्य है – अच्छा व्यवहार या शुभ आचरण। दया, करुणा, ममता, शिस्टता, सच्चाई, कर्तव्यनिष्ठता आदि मानवीय गुण हैं। मन, वाणी और कर्म द्वारा जो व्यवहार किया जाए, वह आचरण कहलाता हैं।

सदगुणों की प्रप्ति समान्य प्रयास से नहीं हो सकती। इनकी प्रप्ति के लिए कठोर साधना, संयम, त्याग और तपस्या की आवश्यकता होती हैं।

सम्पूर्ण संपदा एवं ऐस्वर्य से पूर्ण अथवा सम्पूर्ण विधाओं में पारंगत व्यक्ति भी यदि चरित्रहीन है, तो वह समाज में आदर का पात्र नहीं हो सकता हैं।

व्यक्ति की पूँजी उसका चरित्र-बल या सदाचरण हैं। सदाचरण के द्वारा मनुष्य अपना तथा समाज दोनों का कल्याण कर सकता हैं जिसके पास चरित्र-बल है, वह अजेय हैं।

जीवन के समस्त सुख और ऐस्वर्य का मूल आधार सदाचार ही है। व्यक्ति में सदाचार का गुण सुशिक्षा और सत्संगति से आता हैं।

सदाचार का पालन करने वाले व्यक्तिओ को विशेष रूप से अपने मन पर नियंत्रण रहना आवशयक हैं। मन तथा इंद्रियों पर नियंत्रण करने वाले सदा सन्मार्ग पर चलने वाले होते हैं।

सदाचार का गुण तो सब में होना चाहिए किन्तु छात्रों के लिए यह अनिवार्य है। सदाचार का गुण अपनाकर विद्यार्थी अपने जीवन में बहुत आसानी से सफल हो सकते हैं।

Final Thoughts – 

दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में आपने सदाचार पर हिंदी में निबंध पढ़ा। मुझे पूरा विस्वास है की आपको यह हिंदी निबंध (Hindi Essay) जरूर अच्छा लगा होगा।

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Sadachar essay in hindi सदाचार पर निबंध.

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hindiinhindi Sadachar Essay in Hindi

Sadachar Essay in Hindi

सत्+ आचार, सन्धि हो जाने पर बना सदाचर। सत् का अर्थ होता है – अच्छा, सच्चाई और मानव हित पर आश्रित। आचार का अर्थ है – मानवीय चरित्र, चाल चलन और व्यवाहर। इस प्रकार हमारा जो व्यवहार अपनी राष्ट्रीयता, अपने देश और अपने काल अर्थात् समय के अनुसार उचित, अच्छा, सभी का हित साधने वाला होता है, उसे सदाचार कहा जाता है। इस परिभाषा और व्याख्या से सदाचार का महत्त्व भी स्वत: ही उजागर हो जाता है।

यह ध्यान रहे, जैसे भूख-प्यास, नींद आदि जीवन के शाश्वत सत्य हैं, उसी प्रकार सदाचार का बाहरी, स्वरूप तो देश और समाज के अनुसार कुछ अवश्य बदल जाता है, पर उसके अनेक आन्तरिक तत्त्व हमेशा एक जैसे बने रहते हैं। बड़ों का आदर करना, सत्य, अहिंसा, प्रेम, भाईचारा, समानता, सभी धर्मों के प्रति समान आदर का भाव रखना ही सदाचार है। इन सब गुणों के बिना व्यक्ति और समाज दोनों का कार्य नहीं चल सकता। व्यक्ति और समाज इन का तिरस्कार कर सम्मान और मानवीय गौरव के अधिकारी कदापि नहीं बन सकते। एक अलिखित सामाजिक और नैतिक समझौते के अन्तर्गत इन बातों का पालन सभी के लिए आवश्यक होता है।

सामाजिक प्राणी होने के नाते मनुष्य को दूसरों के सम्पर्क में आना पड़ता है। वह अपने व्यवहार, बातचीत और क्रिया-कलापों से पहचाना जाता है। जीवन और समाज को ठीक से चलाने के लिए, उन्नत और विकसित बनाने के लिए यह जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी बोलचाल और व्यवहार ठीक रखे। यही सदाचार है।

इन तथ्यों के आलोक में ही व्यक्ति को सदाचारी बनने की शिक्षा तथा प्रेरणा दी जाती है। कठिन-से-कठिन परिस्थिति में भी सदाचार की राह से विचलित न होने को कहा जाता है। आज संसार जिन्हें महापुरुष कह कर पूजता है, वे इसी प्रकार के कभी विचलित न होने वाले सदाचारी पुरुष थे।

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Sadachar Essay in Hindi 500 Words

रूपरेखा : सदाचार का अर्थ, सदाचार के नियमों का स्वरूप, सदाचार और नैतिकता, सदाचार और शिष्टाचार, सदाचार के अंग, उपसंहार।

‘सदाचार’ शब्द दो शब्दों के मेल से बना है – सत् + आचार। इसका अर्थ है अच्छा आचरण। अच्छा आचरण वह है जिससे व्यक्ति और समाज दोनों का हित हो। सत्य, अहिंसा, प्रेम, उदारता, सदाशयता आदि सदाचार के कुछ सनातम लक्षण हैं। सभी देशों और सभी कालों में इन्हें मान्यता मिलती रही है। जो व्यक्ति अपने जीवन में इन्हें चरितार्थ करता है, सदाचारी कहलाता है। सदाचरण से व्यक्ति अपने जीवन में तो सुख और शांति का अनुभव करता ही है, उससे औरों का भला भी होता है।

सदाचार से संबंधित कुछ नियम ऐसे भी हो सकते हैं, जो समय और समाज-सापेक्ष हों। हर व्यक्ति अपने निजी जीवन में सदाचार के कुछ विशिष्ट नियम या सिद्धांत स्थिर कर सकता है। ऐसा करने में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसे नियमों या सिद्धांतों से पूरे समाज का हित हो और उससे किसी वर्ग अथवा संप्रदाय के हितों या भावनाओं पर कोई आघात न पहुंचे। स्मरणीय है कि सदाचरण वह है, जिससे व्यक्ति के साथ पूरे समाज के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और नैतिकता को प्रश्रय मिले।

सदाचार और नैतिकता का गहरा संबंध है। इन्हें एक दूसरे का पर्याय कहा जाए तो अत्युक्ति न होगी। सदाचार का संबंध मनुष्य के मन की भावनाओं से भी और उसके बाहरी आचरण या व्यवहार से भी है। वास्तव में मन की भावनाएँ और बाहरी आचरण एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जो मनुष्य मन से सत्यनिष्ठ और अच्छे विचारों वाला नहीं है, उसे सदाचारी नहीं माना जा सकता, भले ही परिस्थितिवश वह अच्छे व्यवहार का मिथ्या प्रदर्शन क्यों न कर रहा हो।

शिष्टाचार सदाचार का एक अंग ही नहीं है बल्कि सामाजिक व्यवहार में तो वह सदाचार का पर्याय ही हो जाता है। देश और काल के अनुसार शिष्टाचार के नियमों में न्यूनाधिक परिवर्तन होते रहते हैं। बड़ों के प्रति आदर-दर्शन सभी समाजों में मान्य है, आदर-प्रदर्शन के ढंग अलग-अलग हो सकते हैं; जैसे – दोनों हाथ जोड़कर या सिर झुकाकर प्रणाम करना या हाथ उठाकर सलाम करना। विभिन्न अवसरों के भी शिष्टाचार के नियम हैं; जैसे – ध्वजारोहण के समय सावधान की स्थिति में खड़े होना, राष्ट्रगान सुनाई पड़ने पर मौन खड़े हो जाना।

इसी प्रकार विनय, मधुर-भाषण, अथिति-सत्कार आदि भी शिष्टाचार के आवश्यक अंग हैं। गोष्ठी, औपचारिक सभा एवं समारोह, प्रीतिभोज आदि में देश-काल के अनुसार शिष्टाचार के अलग-अलग नियम हैं, जिनका पालन करना अपेक्षित है। बिना पूछे बोलना, आवश्यकता से अधिक बोलना, किसी समारोह में बिना बुलाए पहुँच जाना, किसी अन्य व्यक्ति के लिए निर्धारित स्थान पर बैठना, दो आदमियों की बातचीत में दखल देना आदि अशिष्ट व्यवहार के उदाहरण हैं।

सदाचार तभी संभव होगा जब मनुष्य संयम, श्रमनिष्ठा, अध्यवसाय, कर्तव्यपरायणता, क्षमाशीलता आदि गुणों के सतत् अभ्यास से अपने व्यक्तित्व का विकास करे। ऐसे ही व्यक्तित्व वाले मनुष्य समाज के समक्ष आदर्श उपस्थित करते हैं। उन्हीं के बारे में गीता में कहा गया है यद्यदाचरति श्रेष्ठः तत्तदेवेतरो जनः ।। स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते ।।

अर्थात् जैसा आचरण श्रेष्ठ जन करते हैं, वैसा ही दूसरे लोग भी करते हैं। वे जो मानदंड स्थापित करते हैं, लोग उसी का अनुकरण करते हैं।

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essay in hindi sadachar

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सदाचार पर निबंध इन हिंदी Essay on sadachar in hindi

Sadachar ka mahatva essay in hindi.

Sadachar – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से सदाचार पर लिखे निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस जबरदस्त लेख को पढ़कर सदाचार  के बारे में जानते हैं ।

Essay on sadachar in hindi

Image source –  https://www.dilsedeshi.com/hindi-lok/essay-on-sadachar-hindi/

sadachar par nibandh सदाचार के बारे में विस्तृत जानकारी – एक मनुष्य के जीवन में सदाचार की एक अहम भूमिका होती है । जो व्यक्ति अपना जीवन सदाचार के दायरे में रहकर , नियम कानून को अपनाकर अपना जीवन यापन करता है वह सफलता की हर ऊंचाई को प्राप्त कर लेता है । सदाचार शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है । सत + आचार = समाचार । जो व्यक्ति बचपन से अपने माता पिता के द्वारा एवं गुरु के द्वारा जो आचरण ग्रहण करता है , जो शिक्षा ग्रहण करता है वह उच्च शिक्षा  प्राप्त करके  व्यक्ति अपने अंदर सदाचार ग्रहण कर लेता है । एक सदाचारी व्यक्ति कभी भी झूठ नहीं बोलता है ।

एक सदाचारी व्यक्ति को कभी भी अपने ऊपर घमंड नहीं होता है । सदाचारी व्यक्ति कभी भी दूसरे को देखकर जलता नहीं है । कहने का तात्पर्य है कि सदाचारी व्यक्ति झूठ बोलने से डरता है । एक  अच्छे व्यक्ति  का सबसे बड़ा धन उसका व्यवहार , सदाचार होता है । किसी व्यक्ति के पास चाहे जितनी धन दौलत हो यदि उसके पास सदाचार नहीं हैं तो वह धन किसी काम का नहीं है । सदाचार व्यक्ति को सभी व्यक्ति पसंद करते हैं , उसका सम्मान करते हैं ।

जब किसी व्यक्ति के पास सदाचार रूपी धन होता है तब वह समाज में सम्मान प्राप्त करने के लायक होता है । मनुष्य अपना जीवन बना सकता है और अपने जीवन को नष्ट कर सकता है । यह मनुष्य के हाथ में होता है । मनुष्य यदि अच्छे-अच्छे कार्य करें , कभी झूठ ना बोलने का निश्चय करें तो उसके अंदर एक अच्छे व्यक्ति की छवि दिखाई देने लगती है । सदाचार शब्द मे जो सत्य है वह सत्य आचरण की ओर अंकित किया गया है । सदाचार से मनुष्य के जीवन में कभी भी दुख नहीं आते हैं । सदाचार जीवन जीने से मनुष्य को सुख प्राप्त होता है ।

सदाचार व्यक्ति कभी भी रोग ग्रस्त नहीं होता है क्योंकि वह कभी झूठ नहीं बोलता है , किसी असहाय व्यक्ति को सताता नहीं है ।सदाचार व्यक्ति निरंतर जानवरों और मनुष्यों के हित के लिए कार्य करता है । समाज में एक सदाचारी व्यक्ति को मान सम्मान प्राप्त होता है । समाज में यदि कोई व्यक्ति सदाचारी है तो वह समाज को प्रगति की राह पर ले जाने का कार्य करता है । सदाचार  देश के हित के लिए समाज के हित के लिए बहुत ही जरूरी है । इसीलिए हमारे देश में विद्यालय , गुरुकुल स्थापित किए गए हैं ।

जहां से बच्चे एक सदाचारी बनने का प्रण , शिक्षा प्राप्त करके वह अपने और अपने परिवार का नाम रोशन करते हैं । एक सदाचारी जीवन बहुत ही जरूरी होता है । सदाचार ही मनुष्य को जानवर बनने से रोकता है । यदि किसी व्यक्ति के अंदर सदाचार नहीं है तो वह एक जानवर के समान होता है । वह कभी भी झूठ बोल सकता है । दुराचारी व्यक्ति ना तो समाज के लिए अच्छा होता है ना ही देश के लिए अच्छा होता है । दुराचारी व्यक्ति  अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकता है , दूसरों को नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि उसको किसी ओर से कोई भी मतलब नहीं रहता है ।

जो सदाचारी व्यक्ति होता है वह जब किसी व्यक्ति को पीड़ा में देखता है तो उसके अंदर दया भाव की भावना जागृत हो जाती है और वह निष्पक्ष रूप से उस व्यक्ति की मदद करने के लिए तैयार हो जाता है । एक सदाचारी व्यक्ति जब किसी जानवर को पीड़ा में देखता है तब वह व्यक्ति उस जानवर की मदद करता है । यही सदाचारी व्यक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण है । एक सदाचारी  व्यक्ति अपने माता-पिता का मान सम्मान करता है , कभी भी उनको दुख नहीं देता है ।

जब एक सदाचारी बच्चे को उनके माता-पिता  अच्छाई के रास्ते पर चलने के लिए कहते हैं तब वह कठिनाइयों से लड़ते हुए सच्चाई के रास्ते पर चलता है क्योंकि वह जानता है कि सच्चाई के रास्ते पर चलने से उसके परिवार , उसके माता-पिता और उसको काफी लाभ प्राप्त होगा । जो व्यक्ति सदाचारी नहीं होता है वह अपने माता-पिता की बात को नहीं मानता है और गलत कार्य करने लगता है । जिससे उसके परिवार और उसको काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है । दुराचारी व्यक्ति अपने जीवन को नष्ट कर लेता है और समाज में उसकी कोई भी इज्जत नहीं करता है ।

इसलिए हम सभी को यह कोशिश करना चाहिए कि हम एक सदाचारी व्यक्ति बने और जो सदाचारी व्यक्ति में गुण होते हैं उन गुणों को अपनाकर हम अपने जीवन को सफलता की ऊंचाई पर ले जाएं ।

विद्यालय में सिखाए गए सदाचार के नियम – जब हम शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूल जाते हैं तब हमें एक शिक्षक के द्वारा सदाचार के नियम सिखाए जाते हैं । जब हम सुबह उठकर स्नान करके विद्यालय में ज्ञान प्राप्त करने के लिए जाते हैं तब वहां पर प्रार्थना करवाई जाती है और सभी को एक लाइन में खड़ा किया जाता है और सभी लोग भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हे भगवान हमें सद्बुद्धि देना , हम सदैव सच्चाई के रास्ते पर चलते रहें , अपने देश , अपने परिवार का नाम रोशन करते रहे । हमारे भारत देश की शिक्षा में एक सदाचारी व्यक्ति बनने के लिए कहा जाता है ।

जो व्यक्ति सदाचारी व्यक्ति के गुण अपना लेता है वह कभी भी अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों से नहीं डरता है । हर मां-बाप का एक सपना होता है कि उनकी संतान  स्कूल जाकर अच्छी शिक्षा प्राप्त करके एक सदाचारी पुत्र बने । सभी माता-पिता इसी उद्देश्य अपने बच्चे को स्कूल में पढ़ने के लिए भेजते हैं । जब एक सदाचारी बच्चा स्कूल जाकर अपने गुरु के पैर छूता है तब उस बच्चे का शिक्षक उस बच्चे का सम्मान करता है और उस बच्चे को और भी अधिक शिक्षा देने की कोशिश करता है ।

एक सदाचारी पुत्र सुबह उठकर अपने माता पिता के पैर स्पर्श करता है और उनका आशीर्वाद लेकर अपने भविष्य को सफलता की ऊंचाई पर ले जाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहता है । एक व्यक्ति को सदाचार के गुण उसके माता-पिता और उसके गुरुजनों से प्राप्त होते हैं ।

एक सदाचारी व्यक्ति और एक घमंडी व्यक्ति में अंतर के बारे में – जो व्यक्ति अपने जीवन में सदाचार अपना लेता है वह निरंतर सफलता की ओर आगे बढ़ता है और जो व्यक्ति अपने अंदर छल , कपट , घृणा रखता है वह कभी भी एक सफल व्यक्ति नहीं बन पाता है । एक सदाचारी व्यक्ति  सिर्फ अपने बारे में ही नहीं सोचता है बल्कि सभी व्यक्ति के कल्याण के लिए कार्य करता है और एक घमंडी व्यक्ति , दुराचारी व्यक्ति को दूसरों से कुछ भी मतलब नहीं रहता है । यदि उसके फायदे के लिए किसी को नुकसान पहुंचाना जरूरी हो तो वह दूसरे को नुकसान पहुंचाने से कभी भी पीछे नहीं हटता है ।

जिस व्यक्ति के अंदर सदाचार के गुण होते हैं वह सदैव अपने माता-पिता , अपने गुरुजनों का मान सम्मान करता है और जो व्यक्ति दुराचारी होता है वह अपने माता-पिता और अपने गुरुजनों का सम्मान नहीं करता है , उनके द्वारा बताए गए रास्तों पर नहीं चलता है । दुराचारी व्यक्ति गलत कामों में अपनी रुचि दिखाता है । जो व्यक्ति सदाचार के दायरे में रहकर अपना जीवन व्यतीत करता है वह कभी भी बीमार दुखी नहीं रहता है और जो व्यक्ति घमंडी होता है वह सच बोलने से डरता है वह अंदर से बहुत कमजोर होता है और धीरे-धीरे रोग ग्रस्त हो जाता है । दुराचारी व्यक्ति अपने घमंड से अपने जीवन को बर्बाद कर देता है ।

व्यापार में सदाचार व्यक्ति की अहम भूमिका – जो व्यक्ति सदाचारी होता है वह किसी भी क्षेत्र में रहकर व्यापार कर सकता है क्योंकि वह दूसरे मनुष्यों से मुस्कुरा कर और हाथ मिलाकर उसके साथ रहता है । जब कोई व्यक्ति सदाचार व्यक्ति से मिलता है तो वह उस व्यक्ति के अच्छे गुणों से प्रभावित होता है और उसकी मदद करता है ।व्यापार मे यदि कोई सच्चाई के साथ कार्य करें , सदाचार के साथ कार्य करें तो वह कभी भी असफल नहीं हो सकता है । व्यापार सच्चाई के साथ ही आगे बढ़ सकता है । जो व्यक्ति सच्चाई के साथ व्यापार नहीं करता है वह बर्बाद हो जाता है और अपनी किस्मत को कोसता है ।

मनुष्य अपनी किस्मत खुद बनाता है । जो व्यक्ति कर्म करता है उस कर्म के हिसाब से उसको फल प्राप्त होता है । एक सदाचारी व्यक्ति ही अच्छे कर्म करता है और व्यापार में अच्छे कर्म करने से , सच्चाई के रास्ते पर चलने से बहुत जल्द ही सफलता प्राप्त होती है । यदि कोई व्यापारी अपने फायदे के लिए ग्राहक को पागल बनाए , ग्राहक से झूठ बोले तब वह थोड़े समय के लिए तो फायदा प्राप्त कर सकता है पर जब उसका झूठ ग्राहकों को पता लग जाता है तब सभी ग्राहक उस व्यापारी से अपना नाता तोड़ लेते हैं और व्यापारी अपने व्यापार में असफलता प्राप्त कर लेता है ।

इसलिए व्यापार करने के लिए व्यक्ति को अपने जीवन में सदाचारी रूपी धन अपनाना चाहिए और सच्चाई के साथ व्यापार करना चाहिए क्योंकि सच्चाई के रास्ते पर चलने से थोड़ी परेशानी जरूर आती हैं परंतु जब सफलता प्राप्त होती है तो सभी कठिनाइयां फीकी पड़ जाती हैं ।इसलिए व्यापार करने से पहले सदाचारी गुण हमें हमारे अंदर ग्रहण कर लेना चाहिए ।

एक सदाचारी मित्र के बारे में – जब हमारा एक मित्र सदाचारी हो तब वह मित्र हमें अच्छाई के रास्ते पर ले जाने के निरंतर प्रयास करता रहता है और हम उसके साथ रहकर एक सदाचारी व्यक्ति बन जाते हैं क्योंकि हम जिस माहौल में रहते हैं हम उसी माहौल में ढल जाते हैं । यदि हम गलत व्यक्ति के साथ रहेंगे , गलत इंसान के साथ रहेंगे तो हम उस गलत व्यक्ति के गुणों को ग्रहण करने की कोशिश करेंगे और हम भी उस गलत व्यक्ति की तरह अपने जीवन में गलत , गलत कार्य करने लगते हैं और हम बर्बाद हो जाते हैं । इसलिए हमारे जीवन में एक सच्चे मित्र , एक सदाचारी मित्र का होना बहुत ही आवश्यक है ।

हमें एक सच्चे मित्र से दोस्ती करना चाहिए , उसके गुणों को अपने जीवन में ग्रहण करना चाहिए । जब कोई सच्चा मित्र हमारे साथ बैठता है , उठता है , खेलता है तब उसके अंदर अच्छे-अच्छे गुण दिखाई देते हैं । सदाचारी व्यक्ति कभी भी झूठ नहीं बोलता है । सदाचारी व्यक्ति कभी भी अपनी भलाई के लिए अपने दोस्त का उपयोग नहीं करता है । सदाचारी व्यक्ति अपने साथ अपने दोस्त को भी सफलता की ऊंचाई पर ले जाने का कार्य करता है । सदाचार व्यक्ति के अंदर एक अच्छे गुणों का होना बहुत ही आवश्यक है ।

जब हम किसी ऐसे व्यक्ति से दोस्ती करते हैं जो शराब पीता है , जुआ खेलता है तब हम भी उस व्यक्ति को देखकर शराब , जुआ खेलने लगते हैं और हमारा जीवन बर्बाद हो जाता है । जब हम एक ऐसे व्यक्ति से दोस्ती करते हैं जो कभी भी झूठ नहीं बोलता है और वह अपने माता-पिता , अपने गुरुजनों का सम्मान करता है तब हम भी अपने दोस्त की तरह सदाचार के गुण अपने अंदर समाहित कर लेते हैं । सदाचारी व्यक्ति कभी भी अपने दोस्तों को नुकसान नहीं पहुंचाता है ।

हम अच्छे मित्र का अच्छा व्यवहार देखकर दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करने लगते हैं । कहने का तात्पर्य यह है कि हम सदाचारी मित्र के साथ रहकर सदाचारी मित्र कि सच बोलने की आदत को सीख जाते हैं और एक सदाचारी व्यक्ति बन जाते हैं । एक सदाचारी मित्र ही हमें सदाचार के गुण सिखा सकता है ।

सदाचार व्यक्ति के प्रमुख गुणों के बारे में – एक सदाचार व्यक्ति के अंदर सहिष्णुता जैसा गुण होना चाहिए । सदाचारी व्यक्ति कभी भी क्रोध व्यक्त  नहीं करता है ।सदाचारी व्यक्ति सदैव दूसरों के हित के लिए कार्य करता है । एक सदाचारी व्यक्ति के अंदर क्षमा करने की शक्ति होना चाहिए । यदि किसी व्यक्ति से दुर्भाग्य पूर्वक कुछ गलत काम हो गया है तो एक सदाचारी व्यक्ति उसको क्षमा करने की शक्ति रखता है क्योंकि गलतियां सभी से हो जाती हैं । जो व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को क्षमा नहीं करता है , उसके साथ दुर्व्यवहार करता है वह कभी भी एक सदाचार व्यक्ति नहीं बन सकता है क्योंकि भगवान भी इंसानों के कई गुनाह करने के बाद भी क्षमा कर देते हैं ।

एक सदाचार व्यक्ति के अंदर संयम का गुण होता है । सदाचारी व्यक्ति कभी भी अपने संयम को खोता नहीं है ।एक सदाचाारी व्यक्ति अपने आपको सदैव अहिंसा के रास्ते पर चलाता है और उसके साथ में रहने वाले लोगों को भी अहिंसा के रास्ते पर चलने के लिए कहता है क्योंकि अहिंसा के रास्ते पर चलकर ही व्यक्ति अपने जीवन को सफल बना सकता है । एक सदाचारी व्यक्ति के अंदर धैर्य होना चाहिए । कुछ लोग होते हैं जो अपने जीवन में धैर्य नहीं रखते हैं और वह सफलता प्राप्त करने के लिए गलत रास्ता अपना लेते हैं और अपने आप को बर्बाद कर देते हैं ।

इस तरह से एक सदाचार व्यक्ति के अंदर सत्य बोलने की शक्ति  होना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति सत्य बोलता है उसके अंदर सदाचार के सभी गुण दिखाई देने लगते हैं ।

समाज में सदाचार व्यक्ति की उपयोगिता के बारे में – समाज में एक सदाचार व्यक्ति का होना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि समाज में कई मानसिकता वाले लोग रहते हैं ।कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो समाज को बुराई के रास्ते पर ले जाने का कार्य करते हैं । यदि समाज में एक सदाचारी होता है तो वह सभी लोगों को एकत्रित करके पूरी समाज को विकास की ओर ले जाने का कार्य करता हैं । सदाचार व्यक्ति को देखकर पूरी समाज सदाचार व्यक्ति के बताए गए रास्ते पर चलने लगती है और समाज का विकास होता है ।

समाज के अंदर जब एक सदाचारी व्यक्ति होता है तब छोटे-छोटे बच्चे उस सदाचारी व्यक्ति को देखकर उसके गुणों को अपने अंदर समाहित कर लेते हैं और वह सदा के लिए एक सदाचारी बनने का वचन अपने आप से ले लेते हैं और वह सदाचारी बन जाते हैं । एक सदाचारी व्यक्ति समाज के अंदर फैली कुरीतियों को नष्ट करने का कार्य करता है । हमारे भारत देश में कई महान पुरुषों ने जन्म लिया है और उन महान पुरुषों ने सदाचार के रास्ते पर चलकर समाज की कई कृतियों को नष्ट किया है ।

भारत देश में यह इतिहास रहा है कि महान  लोगों के द्वारा अच्छे-अच्छे कार्य किए गए हैं । इससे यह है पता चल जाता है कि समाज के अंदर सदाचारी व्यक्ति का होना कितना जरूरी होता है । सदाचार व्यक्ति ही समाज में फैली कुरीतियों को नष्ट करने का कार्य कर सकता हैं क्योंकि कोई ना कोई व्यक्ति के अंदर सदाचार के गुण अवश्य होते हैं । जब भारत देश की समाज  सशक्त होंगी तब हमारा देश  सशक्त बनेगा । इसलिए समाज को अच्छाई के रास्ते पर चलाने के लिए सभी को सदाचार व्यक्ति अवश्य बनना चाहिए ।

सदाचारी व्यक्ति के गुणों से ही समाज और देश का भविष्य निर्धारित होता है । यदि समाज के अंदर कोई गलत व्यक्ति है तो उस गलत व्यक्ति को अच्छाई के रास्ते पर लाने का कार्य सदाचार व्यक्ति कर सकता है ।

सदाचार व्यक्ति के व्यवहार के बारे में – सदाचार व्यक्ति दूसरों के प्रति अच्छा व्यवहार रखता है । वह कभी भी किसी अन्य व्यक्ति के प्रति छल , कपट की भावना नहीं रखता है । सदाचार व्यक्ति का व्यवहार बहुत शांतप्रिय होता है । सदाचारी व्यक्ति कभी भी किसी पर क्रोध नहीं करता है । यदि कोई व्यक्ति उसके सामने रहता है तो वह उस व्यक्ति से सम्मान पूर्वक मिलता है और उस व्यक्ति से हाथ मिलाता है । एक सदाचार व्यक्ति जब किसी मेहमान या अपने दोस्त से मिलता है तब वह सबसे पहले अपने मित्र को मिलने के लिए धन्यवाद देता है और इसके बाद वह अपने मित्र के परिवार के बारे में यह पूछता है कि तुम्हारा परिवार ठीक है ना ।

एक सदाचार व्यक्ति का व्यवहार उसको सदैव सच्चाई के रास्ते पर चलने के लिए अग्रसर करता है । एक सदाचारी व्यक्ति का व्यवहार  सदाचारी व्यक्ति को भगवान की ओर अग्रसर करता है । कहने का तात्पर्य है कि एक सदाचारी व्यक्ति को भगवान पर बहुत विश्वास होता है ।

पूरे संसार में जन्मे महान सदाचारी व्यक्तियों के बारे में – संसार में कई महान लोगों ने जन्म लिया है । जिनकी सच्चाई के किस्से आज भी पूरे संसार में कहे जाते हैं । कई ऐसे उदाहरण हम लोगों को पढ़ने को मिल जाते हैं जिन लोगों ने सच्चाई के रास्ते पर चलकर समाज और देश को उन्नति की राह पर ले जाने का कार्य किया है । यदि हम बात करें ईसा मसीह की तो उन्होंने पूरी दुनिया को सच्चाई के रास्ते पर ले जाने का कार्य किया है । आज पूरी दुनिया ईसा मसीह के द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करती है और ईसा मसीह को भगवान मानती है क्योंकि जो व्यक्ति सदाचार के गुण अपनाकर सत्य रूपी धन समाज को बांटता है । वह भगवान कहलाने का अधिकारी होता है ।

जब ईसा मसीह जीने दुनिया में सत्य के माध्यम से उजाला किया तब ईसा मसीह के अंदर संसार के सभी लोगों ने अच्छे गुण देखें थे । इसीलिए आज ईसा मसीह पूरी दुनिया में भगवान के रूप में पूजनीय हैं । यदि हम भी अच्छे कार्य करना चाहते हैं और लोगों को सच्चाई के रास्ते पर ले जाना चाहते हैं तो हमें भी एक सदाचारी व्यक्ति बनने के लिए ईसा मसीह के गुणों को अपनाना पड़ेगी ।

मोहम्मद साहब एक ऐसे सदाचारी व्यक्ति थे जिन्होने समाज की उन्नति के लिए , समाज के विकास के लिए अपना जीवन लगा दिया था । मोहम्मद साहब के अंदर एक सदाचारी व्यक्ति के गुण समाहित थे क्योंकि वही व्यक्ति समाज की उन्नति के लिए अपना जीवन निछावर कर सकता है जो व्यक्ति एक समाज की दुर्दशा को देखकर उसके अंदर दया की भावना जागृत हो और मोहम्मद साहब एक ऐसे ही व्यक्ति थे । जिनके अंदर एक कमजोर व्यक्ति को देखकर दया भाव की भावना जागृत होती थी और उन्होंने समाज के हित में कई कार्य किए थे ।

वह निरंतर यह प्रयास में लगे रहते थे कि पूरी दुनिया को सच्चाई के , सत्य के रास्ते पर ले जाया जाए । इसी कोशिश में मोहम्मद साहब ने अपना पूरा जीवन लगा दिया था । जब मोहम्मद साहब किसी से मिलते थे तब उनके अंदर उनके व्यवहार से उनके सदाचारी गुण झलकते थे  । इसीलिए आज मोहम्मद साहब सदाचारी गुणों से पूरी दुनिया में पहचाने जाते हैं ।

हमारे भारत देश में भी कई महान लोगों ने जन्म लिया है और उन्होंने अपने सदाचारी गुणों के माध्यम से देश की  समाजों को सही रास्ते पर ले जाने का कार्य किया है । उन महान लोगों के नाम इस प्रकार से हैं गुरु नानक देव जी जिनकी आज जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है । गुरु नानक देव जी बचपन से ही एक सदाचारी व्यक्ति रहे हैं ।उन्होंने अपने माता-पिता से एक सदाचारी गुण प्राप्त किया है । जब भी अपनी समाज की रक्षा के लिए गुरु नानक देव जी को सामने आना पड़ता था तब वह निरंतर अपनी समाज की रक्षा के लिए तत्पर रहते थे ।

गुरु नानक देव जी एक वचनबद्ध व्यक्ति थे गुरु नानक देव जी कभी भी झूठ का सहारा नहीं लेते थे । गुरु नानक देव जी ने भारत देश में रहकर समाज को प्रगति के रास्ते पर ले जाने का काम किया है । आज हम गुरु नानक देव जी की जितनी प्रशंसा करें उतनी कम है । भारत  देश में और भी कई ऐसे सदाचारी व्यक्ति ने जन्म लिया है । जिन्होंने अपने सदाचारी गुणों के माध्यम से समाज को प्रगति के रास्ते पर ले जाने का कार्य किया है । उन व्यक्तियों के नाम इस प्रकार से हैं । स्वामी दयानंद सरस्वती जी जिन्होंने अपने सदाचारी गुणों से सत्य को पूरी दुनिया में उजागर किया है ।

रविंद्र नाथ टैगोर जी भी एक महान सदाचारी व्यक्ति रहे हैं । जिन्होंने राष्ट्र और भारत देश की समाजों के लिए कई कार्य किए हैं । आज हम स्वामी दयानंद सरस्वती जी और रविंद्र नाथ टैगोर जी की जितनी प्रशंसा करें उतनी कम है ।इसके बाद ईश्वर चंद्र विद्यासागर जी भी भारत के महान सदाचारी व्यक्ति रहे हैं । जिनके अंदर सदाचार के गुण छलकते थे और वह निरंतर भारत देश के विकास में भारत देश की समाजों को प्रगति के रास्ते पर ले जाने का कार्य करते रहते थे । हमारे भारत देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी भी एक सदाचारी व्यक्ति थे ।

जिन्होंने बचपन से ही सत्य बोलने का संकल्प लिया था ।  महात्मा गांधी जी के सदाचारी गुणों के कारण ही आज पूरा भारत स्वतंत्र है । महात्मा गांधी जी ने सत्य के रास्ते पर चलकर ब्रिटिश शासन की धज्जियां उड़ाई हैं । महात्मा गांधी जी ने कभी भी असत्य का रास्ता नहीं चुना और वह पूरे देश को सत्य की रास्ते पर ले जाने का कार्य करते रहते थे । महात्मा गांधी जी के सत्य के रास्ते पर चलने के कारण ही भारत देश को स्वतंत्रता प्राप्त हुई है ।  आज महात्मा गांधी जी को भारत देश ही नहीं बल्कि पूरा विश्व सदाचार व्यक्ति के रूप में पहचानते हैं ।

महात्मा गांधी जी अपने माता-पिता का सम्मान करते थे और वह सदैव भारत देश को स्वतंत्रता दिलाने में अपना दिमाग लगाते रहते थे । महात्मा गांधी जी सदैव सत्य अहिंसा के रास्ते पर चलने वाले व्यक्ति थे ।इसलिए वह एक सदाचारी व्यक्ति के रूप में अपनी पहचान बना पाए हैं । उनका कहना भी था कि एक अच्छा व्यक्ति बनने के लिए एक सदाचारी व्यक्ति  बनना जरूरी है और एक सदाचारी व्यक्ति बनने के लिए व्यक्ति को सत्य के रास्ते पर चलना चाहिए ।

short essay on sadachar in hindi 

जिस व्यक्ति के अंदर क्षमा , धैर्य , अहिंसा सहिष्णुता , संयम जैसे  गुण होते हैं वह व्यक्ति एक सदाचारी व्यक्ति कहलाता है । यदि कोई व्यक्ति अपने मुंह से यह बोलता है कि मैं एक सदाचारी व्यक्ति हूं और वह व्यक्ति झूठ बोलता है , दूसरे को नुकसान पहुंचाता है तो वह सदाचारी व्यक्ति नहीं होता हैं । एक सदाचारी व्यक्ति अपने मुंह से अपनी भलाई नहीं करता  है । एक सदाचारी व्यक्ति के अंदर अच्छे गुण उसके व्यवहार से दिखाई देते हैं । एक सदाचारी व्यक्ति कभी भी झूठ नहीं बोलता है । यदि कोई व्यक्ति झूठ बोले तो वह एक सदाचार व्यक्ति नहीं है ।

यदि कोई व्यक्ति अपने माता-पिता का सम्मान नहीं करें तो वह सदाचारी व्यक्ति नहीं है । यदि कोई व्यक्ति भगवान पर विश्वास ना करें तो वह सदाचारी व्यक्ति नहीं है । यदि कोई व्यक्ति दूसरे मनुष्य  से घृणा करें , उसको दुश्मनी की नजर से देखें तो वह व्यक्ति सदाचारी व्यक्ति नहीं है क्योंकि सदाचारी व्यक्ति वही होता है जो दूसरों के दुखों में निष्पक्ष भाव से हिस्सा लें और उस व्यक्ति को उसके कष्टों से बाहर निकालने में उसकी मदद करें वहीं सदाचारी व्यक्ति होता है । एक सदाचारी व्यक्ति कभी भी अपने माता-पिता की बातों का अपमान नहीं करता है और वह सदैव अपने माता-पिता के सम्मान को बनाए रखता है ।

एक सदाचारी व्यक्ति के गुण अच्छे कपड़े पहनने से , सुंदर सुंदर श्रृंगार करने से नहीं बनता है बल्कि एक सदाचार व्यक्ति के अंदर दूसरे के लिए मान सम्मान की भावना , समाज को सही रास्ते पर ले जाने की भावना और उसका व्यवहार बहुत ही शांतिप्रिय होना चाहिए । यही सदाचार व्यक्ति के अच्छे गुण होते हैं । यदि किसी व्यक्ति से कुछ गलती हो जाती है तो एक सदाचारी व्यक्ति उस व्यक्ति की गलती को क्षमा करने मे कुछ भी देर नहीं करता है । एक सदाचार व्यक्ति कभी भी झूठ , फरेब के सहारे सफल व्यक्ति बनने की कोशिश नहीं करता है । दोस्तों सदाचार शब्द को 2 शब्दो से मिलाकर बनाया गया है ।

जिसमें सत्य शब्द को लिया गया है । कहने का तात्पर्य यह है कि सदाचारी व्यक्ति के अंदर सत्य बोलने की आदत अवश्य होनी चाहिए । जो सदाचारी व्यक्ति होता है वह कभी भी किसी भी कार्य को करने से घबराता नहीं है । जब सदाचारी व्यक्ति जिस कार्य को करने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाता है तब सदाचारी व्यक्ति अपना पहला कदम सच्चाई के साथ बढ़ाता है । सच्चाई की कीमत यदि कोई व्यक्ति जानता है तो वह व्यक्ति एक सदाचारी व्यक्ति होता है क्योंकि वह सदाचार के रास्ते पर चलकर अपने आप की गिनती उन सफल व्यक्तियों में  चुका होता है जिन लोगों को पूरी दुनिया एक सदाचार व्यक्ति के रूप में पहचानती है ।

paragraph on sadachar in hindi

एक व्यक्ति सदाचार व्यक्तित्व तब बनता है जब वह  उत्तम आचरण अपने अंदर समाहित कर लेता है । एक सदाचार व्यक्ति का सबसे बड़ा धन उसका आचरण होता है क्योंकि वह अच्छे आचरण और अच्छे व्यवहार से समाज में सम्मान प्राप्त करता है ।  हमारे भारत देश में राम एक सदाचारी व्यक्ति थे जिन्होंने कभी भी असत्य का रास्ता नहीं अपनाया और रावण एक अत्याचारी व्यक्ति था जिसे पूरी दुनिया दुराचारी व्यक्ति के रूप में पहचानती है । श्री राम भगवान सभी से मिलते थे ।

उनसे सम्मान पूर्वक बातचीत किया करते थे । इसलिए एक सदाचारी व्यक्ति के गुणों को उसका व्यवहार व्यक्त करता है । जो व्यक्ति जैसा व्यवहार दूसरों के प्रति रखता है । उस व्यवहार को देखकर यह पता लगाया जा सकता है कि वह सदाचार व्यक्ति है या नहीं । एक सदाचारी व्यक्ति के अंदर अहिंसा , क्षमा और धैर्य जैसे गुण अवश्य होना चाहिए और उस व्यक्ति को सदैव सत्य के रास्ते पर चलना चाहिए । यह सभी गुण हमें बचपन में स्कूल में पढ़ाई करने के दौरान सिखाए जाते हैं । यदि आज हम एक सदाचारी व्यक्ति के गुणों की बात करें तो एक सदाचारी व्यक्ति का सबसे अच्छा गुण उसकी सच्चाई है । यानी सत्य के रास्ते पर चलकर ही एक सदाचारी व्यक्ति बना जा सकता है ।

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Hindi Essay on “Sadachar , सदाचार” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

निबंध नंबर : 01

सदाचार दो शब्दों के मेल से बना है सत + आचार अर्थात हमेशा अच्छा आचरण करना । सदाचार मानव को अन्य मानवों से श्रेष्ठ साबित करता है। सदाचार का गुण मानवों में महानता का गुण सृजित करता है। सदाचार ही वह गुण है जिसे हर व्यक्ति लोगों में देखने की इच्छा रखता है।

मानव को समस्त जीवों में श्रेष्ठतम माना जाता है, क्योंकि मानव ने अपने विवेक और सदाचार से अपनी महानता सर्वत्र साबित की है। सदाचार का गुण व्यकित में सामाजिक वातावरण तथा पारिवारिक माहौल से उत्पन्न होता है। जो व्यकित इन गुणों को आत्मसात कर पाता है, वह समाज के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणादायी होता है। हम इतिहास के पन्नों में झांक कर देखें तो पाते हैं कि जितने भी महापुरूष, कवि, लेखक तथा महान व्यकित उत्पन्न हुए सभी ने सदाचार के गुणों को आत्मसात किया और उसे अपने जीवन में अपनाया। आज भी स्वामी विवेकानन्द, महर्षि दयानंद सरस्वती, महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, अब्राहम लिंकन, कार्ल मार्क्स, मदर टेरेसा आदि को उनके सदाचारी प्रवृत्ति के कारण ही याद किया जाता है।

हमें अपने जीवन में सदाचार को पूरी गंभीरता से शामिल करना चाहिए। इस प्रकार हम अपने जीवन को तो श्रेष्ठ करेंगे ही, साथ ही औरों के लिए भी मार्गदर्शक और प्रेरणादायी बनेंगे। आज के युवाओं में सदाचार के गुणों का अभाव होता जा रहा है- जिससे आए दिन भ्रष्टाचार, अपराध और आपराधिक घटनाओं को बढ़ावा मिल रहा है। जिसका प्रतिकूल प्रभाव हमारे राष्ट्र के विकास पर भी पड़ रहा है। अत: आज के युवाओं को यह प्रण लेना चाहिए कि वे सदाचार को अपने जीवन में अपनाएंगे।

निबंध नंबर : 02

सदाचार का महत्त्व

Sadachar ka Mahatva

प्रस्तावना- संसार को सभ्यता और संसार का पाठ पढ़ाने वाले देश के महापुरूष, साधु-संत, भगावान अपने सदाचार के बल पर ही संसार को शंति एवं अहिंसा का पाठ पढ़ाने में सफल रहे। गौतम बुद्ध सदाचार जीवन अपना कर भगवान कहलाये-उनके विचार, आचरण और बौद्ध धर्म भारत से फैलता हुआ एशिया के अनेक देशों में पहुंचा। मनुष्य सदाचार की राह पकड़ कर मनुष्य से ईश्वर तुल्य हो जाता है।

                सदाचारी मनुष्य को सदा सुख की प्राप्ति होती है। वह धर्मिक, बुद्धिमान और दीर्घायु होता है। सदाचार के बहुत से रूप हैं; जैसे माता-पिता और गुरू की आज्ञा का पालन करना उनकी वन्दना, परोपकार, अहिंसा, नम्रता और दया करना। इसीलिये नीतिकारों ने कहा है-

                                 आचाराल्लभते हयायुराचारादीप्सिताः प्रजा।                                 आचाराद्धनमक्ष्यामाचारो हन्त्यलक्षणम््।।

                इसका अर्थ है-सदाचार से आयु और अभीष्ट सन्तान प्राप्न होती है। सदाचार से ही अक्षय धन मिलता है। सदाचार ही बुराइयों को नष्ट करता है।

                सदाचार का अर्थ-सज्जन शब्द संस्कृृत भाषा के सत्् और आचार शब्दों से मिलकर बना है। इसका अर्थ है-सज्जन का आचरण ! सत्य, अहिंसा, ईष्वर, विष्वास, मैत्री-भाव, महापुरूषों का अनुसरण करना आदि बातें, सदाचार में आती हैं। सदाचार को धारण करने वाले व्यक्ति सदाचारी कहलाता है। इसके विपरीत आचरण करने वाले व्यक्ति दुराचारी कहलाते हैं। सदाचार का संधिविच्छद सद््$आचार बनता है। जो इन सबमें अच्छा है, वहीं सदाचारी है।

                दुराचारी व्यक्ति सदैव दुःख प्राप्त करता है-वह अल्पायु होता है और उसका सब जगह निरादर एवं अपमान होता है। सदाचाररहित व्यक्ति धर्म एवं पुण्य से हीन होता है।

                कहा गया है-“आचारहीन व्यक्ति को वेद भी पवित्र नही कर पाते।“

                सदाचारी व्यक्ति से देश, राष्ट्रय और समाज का कल्याण होता है। सदाचार से मनुष्य का आदर होता है, संसार में उसकी प्रतिष्ठा होती हैै। भारतवर्ष में हर काल में सदाचारी महापुरूष जन्म लेते रहे हैं।

                श्री रामचन्द्र मर्यादा पुरूषोत्तम, भरत, राणा प्रताप आदि सदाचारी यहां पुरूष थे। सदाचार से मनुष्य राष्ट्र और समाज का कल्याण करता है। इसीलिये हमें सदाचार का पालन करना चाहिये। मनु ने कहा है-

                “समस्त लक्षणों से हीन होने पर भी जो मनुष्य सदाचारी होता है, श्रद्धा करने वाला एवं निन्दा न करने वाला होता है, वह सौ वर्षों तक जीवित रहता है।“

                सदाचार का महत्त्व-भारतीय संस्कृृति पूरे भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस संस्कृति में सदाचार का विशेष महत्त्व है। जिस आचरण से समाज का सर्वाधिक कल्याण होता है, जिससे लौकिक और आत्मिक सुख प्राप्त होता है, जिससे कोई व्यक्ति कष्ट का अनुभव नहीं करता, वह आचरण ही सदाचार कहलाता है। सदाचार और दुराचार में भेद करने की सामथ्र्य केवल मनुष्य में है। पशु, कीट आदि में नही! इसीलिये नीतिकारों ने शास्त्रों में सदाचार था। पालन करने का निर्देश दिया है।

                सच्चरिता-सच्चरित्रा सदाचार का महत्त्वपुर्ण अंग है। यह सदाचार का सर्वोत्तम साधन है। इस विषय में कहा गया है-“यदि धन नष्ट हो जाये तो मनुुष्य का कुछ भी नहीं बिगड़ता, स्वास्थ्य बिगड़ जाने पर कुछ हानि होती है पर चरित्रहीन होने पर मनुष्य का सर्वस्व नष्ट हो जाता है।“

                शील अथवा सदाचार की महिमा हमारे धर्म-ग्रन्थों में अनेक प्रकार से की गई है। मह््ाभारत की एक कथा के अनुसार-एक राजा का शील के नष्ट होने पर उसका धर्म नष्ट हो गया, यश तथा लक्ष्मी सभी उसका साथ छोड़ गयीं। इस प्रकार भारतीय और पाश्चात्य सभी विद्वानों ने शील, सदाचार एवं सच्चरित्रता को जीवन में सर्वाधिक महत्त्व दिया है। इसे अपना कर मनुष्य सुख-शान्ति पाता है समाज में प्रतिष्ठित होता है।

                धर्म की प्रधानता- भारत एक आध्यात्मिक देश है। यहां की सभ्यता एवं संस्कृृति धर्मप्रधान है। धर्म से मनुष्य की लौकिक एवं अध्यात्मिक उन्नति होती है। लोक और परलोक की भलाई भी धर्म से ही सम्भव है। धर्म आत्मा को उन्नत करता है और उसे पतन की ओर जाने से रोकता है। धर्म के यदि इस रूप को ग्रहण किया तो धर्म को सदाचार का पर्यायवाची कहा जा सकता है।

                दुसरे शब्दों मेें सदाचार में वे गुण हैं, जो धर्म में हैं। सदाचार के आधार पर ही धर्म की स्थिति सम्भव है। जो आचारण मनुष्य को ऊंचा उठाये, उसे चरित्रवान बनाय, वह धर्म है, वही सदाचार है। सदाचारी होना, धर्मात्मा होना है। इस प्रकार सदाचार को धारण करना धर्म के अनुसार ही जीवन व्यतीत करना कहलाता है। सदाचार को अपनाने वाला आप ही आप सभी बुराइयों से दूर होता चाला जाता है।

                सदाचार की शक्ति- सदाचार मनुष्य की काम, क्रोध, लोभ, मोह तथा अहंकार आदि तुच्छ वृृत्त्यिों से रक्षा करता है। अहिंसा की भावना जाग्रत होती है। इस प्रकार सदाचार का गुण धार करने से मनुष्य का चरित्र उज्ज्वल होता है, उसमें कत्र्तव्यनिष्ठा एवं धर्मनिष्ठा पैदा होती है। यह धर्मनिष्ठा उसे अलौकिक शक्ति की प्राप्ति में सहायक होती है। अलौकिक शान्ति को प्राप्त करके मनुष्य देवता के समान पूजनीय और सम्मानित हो जाता है।

                सदाचार  सम्पूर्ण गुणों का सार-सदाचार मनुष्य के सम्पूर्ण गुणों का सार है। सदाचार मनुष्य जीवन को सार्थकता प्रदान करता है। इसकी तुलना में विश्व की कोई भी मूल्यवान वस्त नहीं टिक सकती। व्यक्ति चाहे संसार के वैभव का स्वामी हो या सम्पूर्ण विधाओं का पण्डित यदि वह सदाचार से रहित है तो वह कदापि पूजनीय नहीं हो सकता। पूजनीय वही है जो सदाचारी है।

                मनुष्य को पूजनीय बनाने वाला एकमात्र गुण सदाचार ही है। सदाचार का बल संसार की सबसे बड़ी शक्ति है, जो कभी भी पराजित नहीं हो सकती। सदाचार के बल से मनुष्य मानसिक दुर्बलताओं का नाश करता है तथा इसके बिना वह कभी भी अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता है। इसलिए जीवन में उन्नति करना हो तो सदाचारी होने का संकल्प सवसे पहले लेना चाहिये।

                उपसंहार-वर्तमान युग में पाश्चात्य पद्धति की शिक्षा के प्रभाव से भारत के युवक-युवतियों सदाचार को निरर्थक समझ्ाने लगे हैं। वे सदाचार विरोधी जीवन को आदर्श मानने लगे हैं। इसी कारण आज हमारे देश और समाज की दुर्दशा हो रही है। युवक पतन की ओर बढ़ रहा है।

                बिगड़े हुए आचरण की रक्षा के लिए युवक वर्ग को होना चाहिये। उन्हें राम, कृृष्ण, युधिष्ठिर, गांधी एवं नेहरू के चरित्र आदर्श मानकर सदाचरण अपनाना चाहिये, अन्यथा वे अन्धकार में भटकने के अतिरिक्त और कुछ भी प्राप्त नहीं कर पायेगे।

                सदाचार आचरण निर्माण का ऐसा प्रहरी है जो मन को कुविचारों की ओर जाने से रोकता है। मन की चंचलता पर मानव ने काबू पा लिया तो उसने पूरे विश्व को अपने काबू में कर लिया। स्वामी राम कृृष्ण नरमहंस, स्वामी रामतीर्थ, स्वामी विवेकानन्द ऐसे सदाचारी पुरूष हुए हैं, जिन्होंने अपने आचरण और विचारों से पूरे विश्व को प्रभावित किया। जिस पाश्चात्य सभ्यता का अनुकरण करने में आज का युवा लगा हुआ है, उसी पाश्चात्य सभ्यता के देशों में जाकर स्वामी विवेकानन्द ने अपने विचारों से वहां के बड़े-बडे विद्वानों को नतमस्तक होने पर विवश कर दिया। 

निबंध नंबर : 03

संकेत बिंदु -“ सदाचार ‘ शब्द से तात्पर्य – सदाचारी कौन ? – सदाचार और नैतिकता – सदाचार के गुण

सदाचार शब्द दो शब्दों के मेल से बना है- सतआचार। इसका अर्थ है- अच्छा आचरण। सत्य, अहिंसा, प्रेम, उदारता, सदाशयता आदि सदाचार के कुछ प्रमुख लक्षण हैं। जो व्यक्ति अपने जीवन में इन्हें चरितार्थ करता है, वह सदाचारी कहलाता है। सदाचरण से व्यक्ति अपने जीवन में तो सुख और शांति का अनुभव करता ही है, उससे औरों का भी भला होता है। हर व्यक्ति अपने निजी जीवन में सदाचार के कुछ विशिष्ट नियम या सिद्धांत स्थिर कर सकता है। यह बात स्मरणीय है कि सदाचरण वह है जिससे व्यक्ति के साथ पूरे समाज के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और नैतिकता को प्रश्रय मिले। सदाचार का नैतिकता से गहरा संबंध है। इन्हें एक-दूसरे का पर्याय कहा जाए तो अत्युक्ति न होगी। सदाचार का संबंध मनुष्य के मन की भावनाओं से भी और उसके बाहरी आचरण या व्यवहार से भी है। वास्तव में मन की भावनाएँ और बाहरी आचरण एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। शिष्टाचार सदाचार का एक अंग ही नहीं, बल्कि सामाजिक व्यवहार में तो वह सदाचार का पर्याय ही हो जाता है। देश-काल के अनुसार शिष्टाचार के नियमों में न्यूनाधिक परिवर्तन होते रहते हैं। सदाचार तभी संभव होगा जब मनुष्य संयम, सत्यनिष्ठा, अध्यवसाय, कर्तव्यपराणता, क्षमाशीलता आदि गुणों का अपने व्यक्तित्व में विकास करे।

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Very small please post big essays this is not even like a essay it’s like a anuched in hindi

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dude chill stop being a showoff … u wont be able to learn this whole thing and ur saying to post bigger essays

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Hindi Essay on “Sadachar”, “सदाचार”, Hindi Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

अच्छा आचरण या सदाचार मनुष्य की सबसे बड़ी पूंजी है। अपने अच्छे आचरण । से मानव न केवल समाज में ऊँचा स्थान पाता है, बल्कि अपने सभी कार्यों में सफलता भी पाता है। सदाचारी व्यक्ति का हृदय सरल और शांत होता है। जिससे वह अपने कार्य सकुशल कर सकता है।

सत्य, अहिंसा, ईश्वर पर विश्वास, दूसरों के प्रति सम्मान व प्रेम यह सब सदाचार के गुण हैं। श्री राम एक सदाचारी व्यक्ति थे। वे सभी से प्रेम और आदर से मिलते थे। परंतु सीता का हरण करके रावण एक दुराचारी के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

सदाचारी व्यक्ति कभी कोई गलत कार्य नहीं करता इसलिए उसे किसी बात का भय नहीं होता। वह स्वयं को अच्छी संगति और अच्छे वातावरण में रखता है। वह अपने कार्यों से अपने वचन सिद्ध करता है।

विद्यार्थी जीवन में मैत्री-भाव, मीठे बोल, आदर व स्नेह, कार्य के प्रति लगन सदाचारी गुण हैं। ऐसे गुणों को धारण कर हम अपने आसपास सभी के हृदय में स्थान पाते हैं। हमारा मन प्रसन्न रहता है और हमारी कार्य क्षमता भी बढ़ जाती है।

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Sadāchāra means " Right conduct ." Synonyms include, caryapada , shishtachara , sucharita (" good behaviour "), sukrita (" good deeds "), and vinaya (" good conduct .")

The Hindu credo refers to conduct with others. The translation of it is, " Shruti, smriti , good conduct, one’s own conscience. Proper and purposeful desire [for good resolution] is customary of the root of gentleness’ dharm. " While the Vedas (shruti) are not the official scriptures of Sanatan Dharm, they are the first ones and most other scriptures have Vedas’ concepts as source. What the Vedas mention about conduct is classed into 2 categories; Yamas (Five Precepts) and Niyamas. The smritis reaffirm them. Good conduct is expected towards the soul attaining Moksha . Finally, at times of confusion, one’s own conscience should be applied towards determining the best or moral outcome of the situation. Samyak Samkalpajo is also one of the 8 points in Gautam Buddha 's Eightfold Path (Ashtanga Marga.)

"Hinduism is not a religion: it's just a way of life thousands of Rishis have written about. It is such a democratic religion where everybody has a freedom to think, write or say whatever they want. We have no opposition to any other philosophy coming into us." - Sir Charles Norton Edgecumbe Eliot

Bhishma Kaurava in the Mahabharata too propounds shruti, smriti, and one’s consciousness , but maintains that āchāra (conduct) is the greatest of the sources. [1] Following proper conduct is more important that anything else from the Vedas, include more important than worship and ceremonies. Nonviolence towards all beings is the highest duty. " Nonviolence, speaking truth, and forgiveness are definitely more important than adherence to Vedas. " [2] The scripture further states, " Achāra lakshano dharmā " [3] , meaning " Conduct is the illustration of dharm (spiritual duty.) " Conduct is continuously emphasized over all else, even prayers, because conduct is karma . So the Vishnu Sahasranama declares, " Achāra Prabhavo Dharmā / Dharmasya Prabhu Achyutā ."

According to Bhishma, Dharm as right conduct is called āchāra or sadāchāra, śīla (" character "), and vịtta (" wealth [of good deeds] .") [4]

The idea that God blesses those who practice sadachara is reflect in the Lalitha Sahasranamam ’s verse " Sadachara pravarthika " (" She who makes things happen through good conduct. ") Charaka says that sadachara [among other virtues] is a drugless modalities to maintain Sama state of buddhi and cure imbalance. [5]

The words sadachara , shishtachara , and shila connote the same (with some marginal difference.) [6] A Vasishtha rishi declared, “Tadelabhe shishtachara pramanam ,” meaning when the Vedic authority is not available to resolve a scenario, shishtachara should be relied upon. He also declared that he does not accept all shishtachara as authority, meaning reasoning has to be used to resolve what is right and wrong. A Gautama rishi had declared that Vedas are the source of dharma and that both smriti texts and shila were its fountainheads.

Quotes regarding self-restrain from Sanatan and other Arya teachers:

  • 1 Aspects of Sadachara
  • 2 Humane Behaviour
  • 3 Related Articles
  • 4 External Resources
  • 5 References

Aspects of Sadachara [ edit ]

"But it is altruism for Hindus. The spirit of mutual good-will, esteem and veritable love which is the traditional spirit of the religions of Indian family. This is one of India's gift to the world." - Dr. Arnold Toynbee

Sadachara is said to typically consist of saptakani charitrani (" seven classes of conduct "):

  • Lobhadeya (reduction of greed)
  • Adeya (acceptability, i.e., earning what you deserve and not taking anything more)
  • Kshama (forgiveness)
  • Satya (truth)
  • Vidya (knowledge)
  • Ijya (sacrifice, i.e., worship, or revering others, such as ancestors)
  • Dana (charity)

Humane Behaviour [ edit ]

"Hinduism is synonymous with humanism. That is its essence and its great liberating quality." - H.G. Wells

N.P. Sangani had said, " Hinduism is the worldwide (people’s) religion or the human religion. " [11] It is from the Hindu objective worldview principles of samadarshan and loksangraha that the 3 humanistic philosophies have emerged - Gandhism, integral humanism, and neohumanism. The ideologies implemented politically, integral humanism (of BJP) and Gandhism (mainly applied by parties outside of India), have enabled political parties to govern in harmony without civil uprisings. Integral humanism, for example has allowed the pro-Hindu party BJP to be able to form coalitions with parties of different ideologies in able for it and any coalition partners to attain their goals (which may be different.) Gandhism has been implemented by freedom fighters to peacefully liberate their nations from imperialist and martial regimes. Neohumanism is a doctrine applied by the Ananda Marga.

As a result, there have been organizations that operate around the principle of Manav Dharm (" Duty to Humanity .") These include, Manav Utthan Sewa Samiti of Nepal, Manav Kendra Dehradun of Uttarakhand, and Manav Dharma Sabha of Gujarat, and Surat Shabd Yoga (and its Manavtva or " Humanness ") among others.

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External Resources [ edit ]

  • Aghamarshana Suktam

References [ edit ]

  • ↑ " Acāraḥ smțlir vedās trividham dharmalakṣaṇam / caturthamarthamityāhuḥ kavayo dharmalaksanam " - Mahabharata 12.59.3
  • ↑ Mahabharata 11.12-14
  • ↑ Mahabharata 13.104.9
  • ↑ P. 102 A Historical-developmental Study of Classical Indian Philosophy of Morals edited by Rajendra Prasad
  • ↑ P. 160 STUDY OF CHARAKA’S CONCEPT OF BUDDHI WITH SPECIAL EMPHASIS ON BUDDHI PAREEKSHA By Vaidya Girish Shyamarao Sarade; " Charaka says that Pooja (workship to God), Satyachara, Sadachara (behaving with good code of conducts), Tapa (penance), Gyana pradana (teaching), and Guru Seva (learning from Guru by Staying with him and serving him) are the drugless modalities to maintain Sama state of buddhi and cure imbalance (Ch. chi.9). "
  • ↑ P. 4022 Encyclopaedia of Indian Literature: Sasay to Zorgot by Sahitya Akademi
  • ↑ Bhagavad-Gītā 6.5-7
  • ↑ Bhagavad Purana 7.8.11[107]
  • ↑ Uttaradhyayana Sutra 9.34-36
  • ↑ Japu 26, Guru Granth 6
  • ↑ Dharmānk, Kalyan 30, no. 1 (1966): 242-49; said, " Sanātan dharm hi sarvabhaum dharm ya mānav dharm hai. "

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शिष्टाचार पर निबंध (Good Manners Essay in Hindi)

मानव एक सामाजिक प्राणी है। अतः समाज के हिसाब से ही उसका आचरण होना चाहिए। ‘स्तुति किम् न तुष्यते’ अर्थात तारीफ किसे नहीं अच्छी लगती, मतलब सभी को अच्छी लगती है। तारीफ बटोरने का सबसे आसान तरीका है – शिष्टाचार। शिष्ट आचरण से हर कोई प्रभावित होता है। सम्मान पाना और देना ही तो शिष्टाचार का नाम होता है।

शिष्टाचार पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Good Manners in Hindi, Shishtachar par Nibandh Hindi mein)

शिष्टाचार पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

मनुष्य पृथ्वी पर ईश्वर की सबसे बुद्धिमान रचना है। चूंकि हम सभी समाज में रहते है, इसलिए उसके अनुसार सोचने, बात करने और कार्य करने के बारे में हमें पता होना चाहिए। माता-पिता को अपने बच्चों को परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों, दोस्तों, शिक्षकों, आदि के साथ उनके व्यवहार के बारे में सिखाना चाहिए।

शिष्टाचार की परिभाषा

शील, विनम्रता, दया और शिष्टाचार एक अच्छे व्यवहार वाले व्यक्ति के अनिवार्य लक्षण हैं। इसलिए, एक अच्छा व्यवहार करने वाला व्यक्ति कभी भी गर्व या अभिमानी महसूस नहीं करता है और हमेशा दूसरों की भावनाओं का ख्याल रखता है। अच्छे शिष्टाचार का अभ्यास करना और दिन भर इनका पालन करना निश्चित रूप से जीवन को पल्लवित करता है और जीवन में गुणों को जोड़ देता है। हालांकि अच्छे शिष्टाचार के भीतर बेशुमार लक्षण हैं। ये अच्छे शिष्टाचार सभी के लिए आवश्यक हैं।

शिष्टाचार का महत्व

हमें दूसरों के साथ चीजें साझा करने की आदत सीखनी चाहिए। हमें हर संभव तरीके से दूसरों के लिए मददगार, और विनम्र होना चाहिए। हमें दूसरे की संपत्ति का सम्मान करना चाहिए और उपयोग करने से पहले हमेशा अनुमति लेनी चाहिए। हमें अपने शिक्षकों, माता-पिता, अन्य बुजुर्गों और वरिष्ठ नागरिकों के साथ विनम्र व्यवहार करना चाहिए।

जीवन में अच्छे शिष्टाचार बहुत आवश्यक हैं क्योंकि वे हमें समाज में अच्छा व्यवहार करने में मदद करते हैं। अच्छे शिष्टाचार हमें सार्वजनिक स्थान पर लोगों का दिल जीतने में मदद करते हैं। इसलिए, एक अच्छा और शिष्ट व्यवहार एक अद्वितीय व्यक्तित्व बनाने की क्षमता रखता है।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Good Manners in Hindi

निबंध – 2 (400 शब्द)

अच्छे शिष्टाचार हमारे दैनिक जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हैं। जीवन में इनका महत्व सर्वविदित है। अच्छा तरीका दोस्तों के साथ एक प्रभावी बातचीत बनाता है और साथ ही एक सार्वजनिक मंच पर एक अच्छी छाप छोड़ता है। यह हमें दिन भर सकारात्मक रहने में मदद करता है। इसलिए, माता-पिता को अपने बच्चों को उनकी आदत में सभी संभव अच्छे शिष्टाचारों को शामिल करने में मदद करनी चाहिए।

शिष्टाचार के नियम

शिष्टाचार एक आदमी के लिए आचरण या व्यवहार के नियम सिखाकर उसे समाज में रहने के लिए सक्षम बनाते हैं। अच्छे शिष्टाचार किसी व्यक्ति को विशिष्ट परिस्थितियों में व्यवहार, प्रतिक्रिया या कार्य करने का तरीका सिखाते हैं। वे मानव जीवन के आवश्यक अंग हैं जिनके बिना मानव जीवन, प्रगति और समृद्धि रुक सकती है। कुछ शिष्टाचार के नियम हैं जिनका पालन हम सभी को करना चाहिए। जैसे –

  • सभी को नमस्कार जो घर आए या कॉल करता है

शिष्टाचार के अन्तर्गत हमारे दोस्त, हमारे माता-पिता या दादा-दादी, या कोई और, हमेशा अपने से बड़ो का सम्मान खड़े होकर करना चाहिए। जब कोई हमारे घर आए और जब वे निकलते हैं। भारत में, हम बड़ो के पैर छूकर आशीर्वाद भी मांगते हैं।

  • ‘कृपया’ (प्लीज)

किसी से कुछ भी कहने या मांगने से पहले ‘कृपया’ कहना चाहिए।

  • ‘धन्यवाद’ (थैंक्यू)

हमेशा अपने बच्चे को बताना चाहिए कि जब भी कोई आपको कुछ देता है तब उसे ‘धन्यवाद’ कहकर आभार प्रकट करना चाहिए।

  • बड़ो के बीच में न बोलना

जब आपके बच्चे कुछ कहना चाहते हैं – तो उन्हें कहना सीखाएं ‘कृपया माफ कीजिए’। उन्हें बताएं कि जब बड़े बात कर रहे हों तो कभी भी बड़ों को बीच में न रोकें। बड़ो को भी अपने बच्चों की बात ध्यान से सुननी चाहिए। क्योंकि बच्चे हमेशा बड़ो का देखकर ही सीखते हैं।

  • दूसरों की राय का सम्मान करें

कभी भी किसी पर अपनी राय थोपने की कोशिश न करना चाहिए। सभी की राय का सम्मान करना चाहिए। हर व्यक्ति अलग और अनोखा होता है।

  • बाहरी स्वरुप को देखकर मज़ाक न उड़ाएं

बच्चों को शारीरिक सुंदरता से परे देखना सिखाना चाहिए। हर इंसान अपने में खास होता है। सभी की रचना विधाता ने की है। उसका सम्मान करना सिखाना चाहिए।

  • दरवाजा खटखटाना

हमेशा एक कमरे में प्रवेश करने से पहले दरवाजा खटखटाना सुनिश्चित करें। यह मूल शिष्टाचार है जो सभी लोगों को उनकी छोटी उम्र से ही सिखाया जाना चाहिए।

अच्छे शिष्टाचार समाज में प्रत्येक के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये निश्चित रूप से हमें लोकप्रियता और जीवन में सफलता पाने में मदद करते हैं। क्योंकि किसी को भी शरारत और दुर्व्यवहार पसंद नहीं होता है। अच्छे शिष्टाचार समाज में रहने वाले लोगों के लिए एक टॉनिक की तरह काम करता हैं।

निबंध – 3 (500 शब्द)

विनम्र और सुखद स्वभाव वाले लोग हमेशा बड़ी संख्या में लोगों द्वारा लोकप्रिय और सम्मानित होते हैं। जाहिर है, ऐसे लोग दूसरों पर चुंबकीय प्रभाव डाल रहे हैं। इस प्रकार, हमें अपने जीवन में हमेशा अच्छे व्यवहार का अभ्यास करना चाहिए।

अच्छे शिष्टाचार हमेशा लोगों के साथ एक नई बातचीत का अवसर देते हैं और यह आगे चलकर हमारा मार्ग प्रशस्त करती है। अगर कोई आपसे बुरी तरह से बात करता है, तो फिर भी उससे उसी तरह से बात न करें। उसे बदलने का मौका देने के लिए हमेशा अपने सकारात्मक तरीके से उससे बात करें।

कार्यालय शिष्टाचार

कार्यालय शिष्टाचार एक कंपनी की संस्कृति को बदलने में मदद कर सकता है और यहां तक कि व्यावसायिक सफलता और व्यावसायिक विफलता के बीच अंतर भी कर सकता है।

1) एक कार्यालय में शोर को न्यूनतम रखें

आवश्यकता से इतर, जैसे फोन पर बात करना और सहकर्मियों के साथ बात करना, एक कार्यालय में शोर कम रखना चाहिए।

2) एक सहयोगी के रूप में सहकर्मी के संदेशों का उत्तर दें

सहकर्मियों से ईमेल, वॉयस मैसेज, टेक्स्ट और अन्य प्रकार के पत्राचार प्राप्त करते समय, उन्हें प्रतीक्षा करते रहने के बजाय समय पर उत्तर देना चाहिए।

3) सहकर्मियों के प्रति सम्मान प्रकट करें

एक खुले कार्यालय के माहौल में काम करते समय, सम्मान, मिलनसार व्यवहार प्रभावी कंपनी संस्कृति का मूल है। सहकर्मियों के साथ उसी तरह का सम्मान करें, जिसकी हम स्वयं अपेक्षा करते हैं।

5) ऑफिस के दूसरे लोगों के प्रति विनम्र रहें

सभी से विनम्रता पूर्वक बात करनी चाहिए। बहुत बार हो सकता है कि, आपको किसी की बात अच्छी न लगी हो। धैर्य से काम लें, बाद में बेहद शालीनता से अपनी बात रखें।

6) कार्यालय में दूसरों के लिए सुखद बनें

सहकर्मियों के लिए सुखद और मैत्रीपूर्ण होना एक कंपनी संस्कृति को सफल बनाता है और जो इस प्रकार काम करने के लिए वांछनीय है। इस प्रकार कर्मचारियों को बनाए रखने और आकर्षित करने में मदद मिलेगी।

8) अन्य सहकर्मियों के साथ अपने खुद के हितों को साझा करें

अपने साथी कर्मचारियों के साथ अपने स्वयं के हितों और शौक को साझा करने के लिए तैयार होकर मित्रता दिखाना चाहिए।

9) अच्छे काम के लिए क्रेडिट साझा करें

यदि आपने एक सफल परियोजना या कार्य पर सह-काम किया है, तो सहयोगियों और टीमों के बीच क्रेडिट साझा करना चाहिए।

10) टीम के खिलाड़ी बनें

सहकर्मियों के साथ अच्छी तरह से काम करना और एक टीम का हिस्सा होने से हमारे सहकर्मियों के बीच अच्छी इच्छाशक्ति उत्पन्न होती है जो अक्सर पारस्परिक होती है।

11) उन्हें नियम दिखा कर नए कर्मचारियों और प्रशिक्षुओं की मदद करें

हम सभी एक नौकरी में अपने पहले कुछ दिन घबराते हैं। नए कर्मचारियों को कुछ निश्चित ‘नियमों’ के बारे में बताकर सम्मान दिखाना चाहिए, जैसे कि ब्रेक और लंच के समय।

शिष्टाचार व्यक्ति का आंतरिक गुण होता है, जिसके माध्यम से सभी के दिल में एक अच्छी छवि का निर्माण किया जा सकता है। भले ही आप भौतिक रुप से सुंदर न हो, किन्तु आपका कुशल शिष्ट व्यवहार आपको सबका चहेता बना सकता है। भौतिक सुंदरता तो क्षणभंगुर होती है, परंतु आपकी व्यवहारिक सुंदरता आजीवन साथ निभाती है।

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शिष्टाचार पर निबंध | Essay on Good Manner in Hindi

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शिष्टाचार पर निबंध | Essay on Good Manner in Hindi!

शिष्ट या सभ्य पुरुषों का आचरण शिष्टाचार कहलाता है । दूसरों के प्रति अच्छा व्यवहार, घर आने वाले का आदर करना, आवभगत करना, बिना द्वेष और नि:स्वार्थ भाव से किया गया सम्मान शिष्टाचार कहलाता है ।

शिष्टाचार से जीवन महान् बनता है । हम लघुता सं प्रभुत्ता की ओर, संकीर्ण विचारों से उच्च विचारों की ओर, स्वार्थ से उदार भावनाओं की ओर, अहंकार से नम्रता की ओर, घृणा से प्रेम की ओर जाते हैं । शिष्टाचार का अंकुर बच्चे के हृदय में बचपन से बोया जाता है । छात्र जीवन में यह धीरे-धीरे विकास की ओर अग्रसर होता है ।

शिक्षा समाप्त होने पर और समाज में प्रवेश करने पर यह फलवान् होता है । यदि उसका आचरण समाज के लोगों के प्रति घृणा और द्वेष से भरा हुआ है, तो वह तिरस्कृत होता है, साथ ही उन्नति के मार्ग बंद होने प्रारम्भ हो जाते हैं, उच्च स्तर प्राप्त करने की आकाक्षाएं धूमिल हो जाती हैं । इसके विपरीत मधुरभाषी शिष्ट पुरुष अपने आचरण से शत्रु को मित्र बना लेता है । उन्नति के मार्ग स्वत: खुल जाते हैं ।

बच्चे का पहले गुरु उसके माता-पिता हैं जो उसे शिस्टाचार का पहला पाठ पढ़ाते हैं । दूसरा पाठ वह विद्यालय में जाकर अपने आचार्य या गुरु से पढ़ता है । ज्ञान के बिना छात्र का जीवन अधूरा है । प्राचीन काल में एकलव्य, कर्ण, उपमन्यू इत्यादि ने गुरु की महिमा और गुरु भक्ति दोनों को अमर कर संसार में गुरु-महत्ता का उदाहरण प्रसूत किया ।

विनम्रता शिष्टाचार का लक्षण है । किसी के द्वारा बुलाए जाने पर हाँ जी, नहीं जी, अच्छा जी कहकर उत्तर देना चाहिए । घर आए मेहमानों का मुस्कराकर स्वागत करना उनका अभिवादन करना शिष्टाचार है । रेलगाड़ी या बस में वृद्ध, औरतों, बच्चों को सीट देना, अन्धों को सड़क पार करवाना, दूसरों की बातों में दखल न लेना, रोगी को अस्पताल ले जाना, दूसरों के मामलों में रुचि न लेना, दु:खी व्यक्ति को सान्त्वना देना, कष्ट में मित्र की सहायता करना शिष्टाचार है ।

ADVERTISEMENTS:

शिष्टाचार के विपरीत आचरण जैसे- दूसरों को देखकर अकारण मुस्कराना, दूसरों की बात काटकर अपनी बात कहना, सड़क पर चलते हुए लोगों से गाली-गलौच करना, लड़कियों को छेड़ना, उन्हें आँख फाड़कर देखना, दुर्घटना से घायल हुए व्यक्ति को वहीं छोड़कर आगे बढ़ जाना, पर निन्दा में रुचि रखना अशिष्टता है ।

समाज, धर्म, पुस्तकालय, विद्यालय, सरकारी संस्थाएं और व्यक्तिगत संस्थाएं इनके अपने-अपने नियम होते हैं । जैसे मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारे में जूते पहनकर जाना मना है, हमें यहाँ पर उन नियमों का पालन करना चाहिए । पुस्तकालय में जाकर जोर से बोलना, पुस्तकें फाड़ना, उन्हें देर से वापिस करना शिष्टाचार के विरूद्ध है ।

अध्यापक की अनुपस्थिति में अनुशासन भंग करना, गृह कार्य न करके लाना, कक्षा टैस्ट की तैयारी लगन के साथ न करना, राष्ट्र ध्वज का अपमान करना या उन्हें जलाना अपराध ही नहीं, अशिष्टाचार भी है । यह संसार शिक्षा का केन्द्र हैं । जहाँ जन्म से मृत्यु तक व्यक्ति कुछ न कुछ सीखता है । जो व्यक्ति इस ज्ञान को अपने अन्त: करण में समेट लेता है वह देववत् हो जाता है । अत: मनुष्य को प्रार्थना करनी चाहिए-

असतो मा सदगमय ।

उसे अपना आचरण पवित्र से पवित्रतर बनाये रखने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए ।

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    Know below (सदाचार संधि विच्छेद) sadachar sandhi vichchhed in hindi grammar. संधि का नाम. संधि विच्छेद. सदाचार (Sadachar) सत् + आचार. इस संधि को बनाने का नियम (Rule) : त वर्ग. सदाचार ...