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भारत में बेरोजगारी की समस्या पर लेख निबंध | Unemployment is Big Problem in India Essay in Hindi

भारत में बेरोजगारी की समस्या पर लेख निबंध Unemployment in India Essay (Bharat me berojgari ki samasya) in hindi

अगर हम बहुत ही सरल शब्दो मे समझना चाहे, तो बेरोजगारी का सीधा सीधा संबंध काम या रोजगार के अभाव से है. या कहा जा सकता है कि जब किसी देश की जनसंख्या का अनुपात वहा उपस्थित रोजगार के अवसरो से कम हो, तो उस जगह बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो जाती है. बढ़ती बेरोजगारी के कई कारण हो सकते है जैसे बढ़ती जनसंख्या, शिक्षा का अभाव, ओधगिकरण आदि.

Berojgari ki samasya

Table of Contents

भारत में बेरोजगारी की समस्या (Unemployment in India in hindi)

बेरोजगारी / बेकारि से तात्पर्य उन लोगो से है, जिन्हे काम नहीं मिलता ना कि उन लोगो से जो काम करना नहीं चाहते. यहा रोजगार से तात्पर्य प्रचलित मजदूरी की दर पर काम करने के लिए तैयार लोगो से है. यदि किसी समय किसी काम की मजदूरी 110 रूपय रोज है और कुछ समय पश्चात इसकी मजदूरी घटकर 100 रूपय हो जाती है और कोई व्यक्ति इस कीमत पर काम करने के लिए तैयार नहीं है, तो वह व्यक्ति बेरोजगार की श्रेणी मे नहीं आएगा. इसके अतिरिक्त बच्चे, बुड़े, अपंग, वृध्द या साधू संत भी बेरोजगारी की श्रेणी मे नहीं आते.

जनसंख्या वृध्दी और बढ़ती बेरोजगारी :

जनसंख्या वृध्दी और शिक्षा की कमी मे गहरा संबंध है जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती गयी, उनके हिसाब से न तो शिक्षा के साधनो की वृध्दी हुई ना ही परिवार मे हर बच्चे को ठिक से शिक्षा का अधिकार मिल पाया ना व्यवस्था. आज भी भारत मे अधिक्तर जनसंख्या अशिक्षित है. परिवार मे ज्यादा बच्चो के चलते हर किसी को शिक्षा देने मे माता पिता असमर्थ पाये गए, जिसके परिणाम यह हुये,कि या तो परिवार मे बेटियो से शिक्षा का अधिकार छीना जाने लगा या पैसो की कमी के चलते परिवार के बड़े बच्चो को अपनी पढ़ाई छोड़कर मजदूरी मे लगना पढ़ा| जिसके परिणाम उन्हे आगे जाकर बेरोजगारी के रूप मे भुगतने पड़े.

जिस हिसाब से जनसंख्या मे वृध्दी हुई उस हिसाब से उद्योग और और उत्पादन मे वृध्दी नहीं हुई| यह भी बढ़ती बेरोजगारी का एक कारण है. तेजी से ओध्योगीकरण भी बढ़ती बेरोजगारी का एक कारण है. पहले भारत मे हस्तकला का काम किया जाता था, जो विश्वप्रसिध्द था, परंतु ओध्योगीकरण के चलते यह कला विलुप्त सी हो गयी और इसके कलाकार बेरोजगार.

शिक्षा और बेरोजगारी :

शिक्षा और बेरोजगारी का भी गहरा संबंध है, हमने पहले ही कहा आज भी भारत की जनसंख्या काफी बड़े अनुपात मे अशिक्षित है, तो आशिक्षा के चलते बेरोजगारी का आना तो स्वभाविक बात है. परंतु आज कल अशिक्षा के साथ साथ एक बहुत बड़ी समस्या है, हर छात्र के द्वारा एक ही तरह की शिक्षा को चुना जाना. जैसे आज कल हम कई सारे इंजीनीयर्स को बेरोजगार भटकते देखते है, इसका कारण इनकी संख्या की अधिकता है. आज कल हर छात्र दूसरे को फॉलो करना चाहता है, उसकी अपनी स्वयं की कोई सोच नहीं बची वो बस दूसरों को देखकर अपने क्षेत्र का चयन करने लगा है . जिसके परिणाम यह सामने आए है कि उस क्षेत्र मे रोजगार की कमी और उस क्षेत्र के छात्र बेरोजगार रहने लगे. आज कल न्यूज़ पेपर मे यह न्यूज़ मे आम बात है कि छोटी छोटी नौकरी के लिए भी अच्छे पढे लिखे लोग आवेदन करते है, इसका कारण उनकी बेरोजगारी के चलते उनकी मजबूरी है.

बेरोजगारी के प्रकार (Types of unemployment):

  • संरचनात्मक बेरोजगारी : यदि किसी देश की अर्थव्यवस्था मे कोई परिवर्तन होता है और उसके कारण जो बेरोजगारी उत्पन्न होती है उसे संरचनात्मक बेरोजगारी कहते है.
  • अल्प बेरोजगारी : जब कोई व्यक्ति जीतने समय काम कर सकता है, उससे कम समय उसे काम मिलता है या कह सकते है कि उसे अपनी क्षमता से कम काम मिलता है, उसे अल्प बेरोजगारी कहते है. इस अवस्था मे व्यक्ति वर्ष मे कुछ समय बेरोजगार रहता है. यह बेरोजगारी 2 प्रकार की है :
  • दृश्य अल्प बेरोजगारी
  • अदृश्य अल्प बेरोजगारी

दृश्य अल्प बेरोजगारी : इस बेरोजगारी मे व्यक्ति को अपनी क्षमता से कम समय काम मिलता है जिसके फलस्वरूप उसकी आय भी कम होती है.

अदृश्य अल्प बेरोजगारी : इस बेरोजगारी की अवस्था मे व्यक्ति को उसके द्वारा किए गए काम के अनुपात मे कम वेतन मिलता है . मतलब वह ज्यादा समय काम करता है और वेतन कम होता है.

  • खुली बेरोजगारी : यह बेरोजगारी का वह रूप है, जिसमे व्यक्ति काम करने के योग्य भी है और वह काम करना भी चाहता है, परंतु उसे काम नहीं मिलता . इस तरह की बेरोजगारी समान्यतः कृषि श्रमिकों, शिक्षित व्यक्तियों या उन लोगो मे पायी जाती है, जो काम की तलाश मे गाव से शहर की तरफ आए हो और उन्हे काम नहीं मिलता.
  • मौसमी बेरोजगारी : भारत कृषि प्रधान देश है, यहा साल मे कुछ समय जैसे फसलों की बुआई कटाई के समय श्रमिकों की आवश्यकता अधिक होती है, वही अन्य समय वे बेरोजगार हो जाते है. उसी प्रकार यदि किसान स्वयं भी साल मे केवल एक फसल लेता है, तो अन्य समय वह बेरोजगार हो जाता है.
  • छिपी बेरोजगारी : छिपी बेरोजगारी से तात्पर्य होता है, कि इसमे ऐसा लगता तो है कि व्यक्ति काम मे लगा है, परंतु वास्तविकता मे ईएसए नहीं होता और उसकी आय नहीं होती.

भारत में बेरोजगारी कैसे कम की जा सकती है

  • सरकार ने अनेक योजनायें शुरू की है, उनके तहत भारत में बेरोजगारी को कम किया जा सकता है. अगर इन योजनाओं का प्रसार सही से होता है तो बेरोगारी में कमी आ सकती है.
  • बढती जनसंख्या को कंट्रोल करना.
  • अपना खुद का व्यवसाय शुरू करें, अब सरकार भी बिजनेस लोन उपलब्ध करवा रही है.
  • भारत में डिग्री से ज्यादा अगर एक्सपीरिएंस को अहमियत दी जाए तो भारत में बेरोजगारी कम हो सकती है.
  • आरक्षण खत्म किया जाए, आज आरक्षण की वजह से अनेक प्रतिभाशाली लोग बेरोजगार हैं.

बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुये कई योजनाए लागू की गयी, उनमे से कुछ हम आपको बता रहे है:

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  • पुस्तकालय के लाभ पर लेख
  • खेल-कूद का महत्व पर लेख
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Berojgari Ki Samasya Par Nibandh: ऐसे लिखें बेरोजगारी की समस्या पर निबंध 100, 200 और 500 शब्दों में

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  • Updated on  
  • जनवरी 2, 2024

Berojgari Ki Samasya Par Nibandh

छात्रों को अध्ययन के अपने चुने हुए क्षेत्र में रोजगार के बारे में पता होना चाहिए। बेरोजगारी दर को प्रभावित करने वाले कारकों को समझने से उन्हें अपने करियर और भविष्य की नौकरी की संभावनाओं के बारे में भी निर्णय लेने में सहायता मिल सकती है। बेरोजगारी किसी अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य का एक प्रमुख संकेतक है। यह किसी भी देश के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसलिए कई बार छात्रों को बेरोजगारी की समस्या पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। Berojgari Ki Samasya Par Nibandh के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

बेरोजगारी की समस्या पर 100 शब्दों में निबंध, बेरोजगारी की समस्या पर 200 शब्दों में निबंध, बेरोजगारी को समझें, बेरोजगारी के प्रकार, बेरोजगारी के कारण, बेरोजगारी के परिणाम, बेरोजगारी पर सरकार के द्वारा उठाए गए कदम, बेरोजगारी की समस्या पर 10 लाइन्स.

Berojgari Ki Samasya Par Nibandh 100 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:

भारत में बेरोज़गारी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है क्योंकि जो कोई भी काम करना चाहता है उसके लिए पर्याप्त नौकरियाँ नहीं हैं। कई लोग इस समस्या से प्रभावित हैं, बेरोजगारी का कारण मुख्य रूप से नौकरी के विकल्पों की कमी, लोगों के कौशल और नियोक्ताओं को उनकी आवश्यकता के बीच एक मेल न होना। तेजी से बढ़ती आबादी के कारण यह मुद्दा और भी अधिक गंभीर हो गया है। 

इस समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार अधिक नौकरियाँ पैदा करने के लिए कदम उठा रही है। उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और प्रधान मंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमआरपीवाई) जैसे कार्यक्रम पेश किए हैं। इन पहलों का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना और नियोक्ताओं को नौकरी की तलाश कर रहे अधिक लोगों को नौकरी पर रखने के लिए बढ़ावा देना है।

Berojgari Ki Samasya Par Nibandh 200 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:

भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश में बेरोजगारी की समस्या को हल करना है तो हमें लोगों के कौशल को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भारत में बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है जिससे लाखों लोग प्रभावित हैं। ऐसा तब होता है जब कोई व्यक्ति काम करने के लिए तैयार और इच्छुक होता है लेकिन उसे नौकरी नहीं मिल पाती है, जिससे गरीबी और सामाजिक अशांति जैसी समस्याएं पैदा होती हैं।

भारत में बेरोजगारी का एक बड़ा कारण नौकरी के अवसरों की कमी है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि अर्थव्यवस्था पर्याप्त तेज़ी से नहीं बढ़ रही है, कुछ उद्योगों को अधिक निवेश की आवश्यकता है, या विशिष्ट नौकरियों के लिए बेहतर शिक्षा और प्रशिक्षण की आवश्यकता है। इसके अलावा, भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, इसलिए नौकरी बाजार में प्रवेश करने वाले लोगों की बढ़ती संख्या को बनाए रखने के लिए अधिक नौकरियों की आवश्यकता है।

बेरोज़गारी का एक अन्य कारण लोगों के पास मौजूद कौशल और नियोक्ता के बीच बेमेल होना है। भारत में कई लोगों को उपलब्ध नौकरियों के लिए क्वालिफिकेशन प्राप्त करने के लिए नए कौशल सीखने या अधिक शिक्षा प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, जिससे उनके लिए काम ढूंढना कठिन हो जाता है। कुछ नौकरियों के लिए विशिष्ट कौशल की भी आवश्यकता होती है जो कई लोगों के पास नहीं होता है।  हालाँकि, भारत सरकार विभिन्न कार्यक्रमों, नीतियों, निवेश और शिक्षा को बढ़ावा देकर बेरोजगारी को दूर करने के लिए काम कर रही है।

भारत सरकार ने लोगों को कौशल प्रदान करने के लिए प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना जैसे अभियान भी चलाएं हैं जिसमें लोगों को तीन महीने तक ट्रेनिंग दी जाती है। इसके अलावा भी सरकार कई प्रकार के अलग अलग आयोजन करती है जैसे की रोजगार मेला इत्यादि। 

यह भी पढ़ें : Essay on Vikram Sarabhai in Hindi : पढ़िए विक्रम साराभाई पर 500 शब्दों में निबंध

बेरोजगारी की समस्या पर 500 शब्दों में निबंध

Berojgari Ki Samasya Par Nibandh 500 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:

बेरोजगारी, एक व्यापक सामाजिक-आर्थिक चुनौती है। जैसे-जैसे व्यक्ति अपनी आजीविका बनाए रखने के लिए सार्थक रोजगार की तलाश करते हैं, बेरोजगारी में योगदान की जटिल परस्पर क्रिया सामने आती है। भारत को बढ़ती जनसंख्या के साथ यह मुद्दा और भी बढ़ता जा रहा है। 

इस जटिल मुद्दे से निपटने के लिए, आर्थिक संरचनाओं, तकनीकी बदलावों और नीति ढांचे की समझ जरूरी है। 

बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि यह देश के विकास को धीमा कर देती है। जब लोगों के पास नौकरियां नहीं होती हैं, तो इससे विभिन्न समस्याएं पैदा हो सकती हैं। रोजगार के बिना, व्यक्ति देश को नुकसान पहुंचाने वाली अनुचित गतिविधियों का सहारा ले सकते हैं।

बेरोज़गारी में वृद्धि अक्सर कई युवाओं को आपराधिक व्यवहार की ओर धकेलती है और पूरे देश को इसके परिणामों से जूझना पड़ता है। अधिक लोगों के बेरोजगार होने से देश भर में चोरी, डकैती, हत्या और अपहरण जैसे गंभीर अपराधों में वृद्धि हो रही है। इन अपराधों को कम करने का सबसे प्रभावी उपाय युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना है।

बेरोज़गारी का मतलब सिर्फ लोगों के पास नौकरियों की कमी नहीं है। इसमें वे स्थितियाँ भी शामिल हैं जहाँ लोग ऐसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं जो उनके कौशल से मेल नहीं खाते। बेरोजगारी विभिन्न प्रकार की होती है, जैसे छिपी हुई बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, खुली बेरोजगारी, तकनीकी बेरोजगारी और संरचनात्मक बेरोजगारी। इसके अतिरिक्त, चक्रीय बेरोजगारी, शिक्षित बेरोजगारी, अल्परोजगार, घर्षणात्मक बेरोजगारी, दीर्घकालिक बेरोजगारी और आकस्मिक बेरोजगारी है।

इनमें से भारत में सबसे आम प्रकार मौसमी बेरोजगारी, अल्परोज़गारी और छिपी हुई बेरोज़गारी हैं।

भारत एक महत्वपूर्ण बेरोजगारी चुनौती का सामना कर रहा है, और कई कारक इस समस्या में योगदान करते हैं। तेजी से बढ़ती जनसंख्या एक प्रमुख कारक है, क्योंकि अधिक लोग कार्य क्षेत्र में प्रवेश करते हैं, जिससे नौकरियों के लिए तीव्र प्रतिस्पर्धा होती है। यह स्थिति विशेषकर युवाओं में उच्च बेरोजगारी दर का कारण बन सकती है। बेरोजगारी को दूर करने के लिए भारत को अपनी जनसंख्या वृद्धि का प्रबंधन चाहिए। अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए स्टार्टअप इंडिया योजना जैसी पहल को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।

दूसरा कारण तकनीकी शिक्षा की कमी है। भारत में कई स्कूल और कॉलेज पुराने पाठ्यक्रम पेश करते हैं जो मौजूदा नौकरी बाजार की मांगों के अनुरूप नहीं हो सकते हैं। आज की दुनिया में तकनीकी कौशल के महत्व को देखते हुए, युवाओं को शुरुआत में ही तकनीकी शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि वे बाद में उपयुक्त रोजगार पा सकें।

देश में धीमी होती आर्थिक वृद्धि भी चिंता का विषय है। धीमी गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था पर्याप्त नई नौकरियाँ पैदा नहीं कर सकती है, जिससे बेरोजगारी की समस्या बढ़ जाती है। इससे निपटने के लिए सरकार को आर्थिक विकास में तेजी लाने, रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने के लिए काम करना चाहिए।

खेती जैसे मौसमी व्यवसायों पर भारत की निर्भरता बेरोजगारी में योगदान कर सकती है क्योंकि ये गतिविधियाँ केवल वर्ष के विशिष्ट समय में ही नौकरियाँ प्रदान करती हैं। इसके अतिरिक्त, औद्योगिक क्षेत्र की सुस्त वृद्धि और कुटीर उद्योग में गिरावट ने नौकरी के अवसरों को और सीमित कर दिया है।  इसका मुकाबला करने के लिए, इन क्षेत्रों को बढ़ावा देने और अधिक रोजगार संभावनाएं पैदा करने के लिए सरकारी समर्थन की आवश्यकता है।

नौकरियों के बिना, लोग अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए अवैध गतिविधियों का सहारा ले सकते हैं।  बेरोजगारी को कम करना न केवल आर्थिक विकास के बारे में है, बल्कि गरीबी और अपराध से जुड़े सामाजिक मुद्दों को रोकने के बारे में भी है।

यदि मौजूदा स्थिति बनी रहती है, तो बेरोजगारी एक महत्वपूर्ण समस्या बन सकती है, जो अर्थव्यवस्था के लिए कई अन्य समस्याएं लेकर आएगी।  इसमें गरीबी में वृद्धि, अधिक अपराध, श्रमिकों के साथ अनुचित व्यवहार, राजनीतिक अस्थिरता, मानसिक स्वास्थ्य में चुनौतियाँ और मूल्यवान कौशल का नुकसान शामिल है।  ये सभी कारक मिलकर अंततः राष्ट्र के पतन का कारण बन सकते हैं।

सरकार बेरोजगारी के मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और इसे धीरे-धीरे कम करने के लिए कई उपाय लागू किए हैं। इनमें से कुछ पहलों में आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई), प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमआरपीवाई), राष्ट्रीय करियर सेवा (एनसीएस) परियोजना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (एमजीनरेगा), गरीब कल्याण रोजगार अभियान (पीएमजीकेआरए), आजीविका – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम), पं. दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (डीडीयू-जीकेवाई), ग्रामीण स्वरोजगार और प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई), पीएम- स्वनिधि योजना, दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम), प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई), प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (एनएपीएस), उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, पीएम गतिशक्ति – मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान शामिल हैं। 

डिजिटल इंडिया, अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत),मेक इन इंडिया, स्मार्ट सिटीज, श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन, राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर, स्टैंड अप इंडिया योजना, स्टार्ट-अप इंडिया, प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी, स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण, स्वच्छ भारत मिशन – शहरी (एसबीएम-यू), प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई), लघु और कुटीर उद्योगों के लिए समर्थन, विदेशों में रोजगार को बढ़ावा देना, जवाहर ग्राम समृद्धि योजना और कई अन्य योजनाएं इसमें शामिल हैं। 

इसके अतिरिक्त, सरकार ने निजी क्षेत्र में भी रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ नियमों को और अधिक लचीला बना दिया है।

संक्षेप में कहें तो भारत में बेरोजगारी की समस्या बहुत गंभीर हो गई है।  हालाँकि, सरकार और स्थानीय अधिकारी अब बेरोजगारी को दूर करने और कम करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। समस्या को पूरी तरह से हल करने के लिए, मूल कारण, जो कि भारत की बड़ी आबादी है, पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है।

Berojgari Ki Samasya Par Nibandh के बाद बाद बेरोजगारी की समस्या पर 10 लाइन्स नीचे दी गई है:

  • भारत में बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है जिससे लाखों लोग प्रभावित हैं।
  • यह समस्या बहुआयामी है, जिसमें मौसमी और संरचनात्मक सहित विभिन्न प्रकार की बेरोजगारी है।
  • भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्या पर्याप्त नौकरियां उपलब्ध कराने की चुनौती को बढ़ा देती है।
  • तकनीकी शिक्षा की कमी और बेमेल कौशल बेरोजगारी में योगदान करते हैं।
  • सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए मनरेगा और पीएमआरपीवाई जैसी योजनाएं लागू की हैं।
  • धीमी आर्थिक वृद्धि और मौसमी व्यवसायों पर निर्भरता बेरोजगारी संकट को बढ़ाती है।
  • औद्योगिक और कुटीर उद्योग क्षेत्रों में गिरावट से नौकरी के अवसर और सीमित हो गए हैं।
  • बढ़ती बेरोजगारी से गरीबी, अपराध दर और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है।
  • इस मुद्दे के समाधान के लिए जनसंख्या नियंत्रण और कौशल विकास सहित समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
  • जबकि प्रयास किए जा रहे हैं, भारतीय बेरोजगारी से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए निरंतर और व्यापक रणनीतियाँ आवश्यक हैं।

भारत में बेरोजगारी नौकरी के अवसरों की कमी, धीमी आर्थिक वृद्धि, बेमेल कौशल और देश की तेजी से बढ़ती आबादी जैसे कारकों के कारण होती है।

सरकार ने रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए मनरेगा, पीएमआरपीवाई और अन्य जैसी विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम लागू किए हैं। इसके अतिरिक्त, कौशल विकास को प्रोत्साहित करने और उद्यमिता को बढ़ावा देने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।

भारत में बेरोजगारी को निम्न प्रकारों में बांट सकते हैं, छिपी हुई बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोजगारी और घर्षण बेरोजगारी शामिल है। प्रत्येक प्रकार की विशेषता नौकरी की उपलब्धता को प्रभावित करने वाले विशिष्ट कारकों से होती है।

बेरोजगारी से गरीबी, उच्च अपराध दर और सामाजिक अशांति में वृद्धि हो सकती है। यह व्यक्तियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और इसके परिणामस्वरूप कार्यबल के लिए मूल्यवान कौशल का नुकसान हो सकता है।  समाज की समग्र भलाई और स्थिरता के लिए बेरोजगारी को संबोधित करना महत्वपूर्ण है।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Berojgari Ki Samasya Par Nibandh के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। सी प्रकार के  अन्य निबंध से जुड़े ब्लॉग्स  पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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बेरोजगारी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Unemployment Essay in Hindi

आज हम आपके लिए बेरोजगारी पर निबंध लेकर आये हैं, आज बेरोजगारी की समस्या बेहद गंभीर है इस विषय पर हमने निचे 100 शब्दों में, 150, 250 शब्दों में और 500 शब्दों में हिंदी निबंध लिखा हुआ है जो की आपके काम आ सकती है।

बेरोजगारी पर निबंध

प्रस्तावना:

आज हमारे देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में बेरोजगारी बढ़ती ही जा रही है। ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो इस समस्या से जूझ रहे हैं क्योंकि उनके पास अपनी जीविका चलाने के लिए कोई काम धंधा नहीं है। यह ऐसा गंभीर मुद्दा है जिसको अगर सुलझाया ना जाए तो दिन पर दिन इससे लोग प्रभावित होते रहेंगे।

किसी भी देश की प्रगति तब तक संभव नहीं है जब तक वहां पर उचित रोजगार के अवसर ना हो। हमारी भारत सरकार हालांकि भारत से बेरोजगारी दूर करने के लिए बहुत से तरीके अपना रही है लेकिन बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण अभी भी भारी संख्या में लोग बेरोजगारी से जूझ रहे हैं।

बेरोजगारी बढ़ने के कारण:

हमारे देश में बेरोजगारी बढ़ने के कई सारे कारण हो सकते हैं उसमे कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं:

  • शिक्षा का अभाव
  • जनसंख्या वृद्धि
  • कौशल की कमी
  • सरकारी नौकरी की इच्छा
  • स्वरोजगार के लिए जागरूक नहीं होना
  • व्यवसाय के लिए पूंजी और जानकारी का आभाव

आज के समय में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या अधिक है उसका सबसे बड़ा कारण कौशल की कमी है। देश की शिक्षा व्यवस्था कुछ इस प्रकार है कि उसमें लोगों की कौशल विकास पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता जिसकी वजह से लोग नौकरी की तलाश करते हैं और स्वरोजगार के लिए तैयार नहीं हो पाते।

berojgari par nibandh in hindi

बेरोजगारी पर निबंध 100 शब्दों में 

वर्तमान समय में हमारे देश में ऐसी स्थिति बनी हुई है कि ज्यादातर लोग बेरोजगार हैं। देखा जाए तो बेरोजगारी किसी भी देश के लिए अभिशाप से कम नहीं है क्योंकि इससे सभी लोगों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

बेरोजगारी की वजह से किसी भी इंसान का जीवन खुशहाल नहीं हो सकता क्योंकि इसके साथ गरीबी और भुखमरी जैसी परेशानियां भी जन्म लेती हैं। हमारे देश में आज ऐसे बहुत सारे लोग हैं जिनको उनकी योग्यता के अनुसार काम नहीं मिलता और ऐसे में उन्हें कोई छोटा मोटा काम करके गुजारा करना पड़ता है।

बहुत से युवाओं को तो नौकरी मिलती ही नहीं है जिसकी वजह से उनका जीवन काफी दुखदायी हो जाता है। इसके पीछे एक नहीं अनेकों कारण है जैसे की जनसंख्या का तेजी से बढ़ना, नौकरी पर अधिक निर्भर होना, मशीनीकरण, शिक्षा की कमी, कुटीर उद्योग में गिरावट इत्यादि। 

बेरोजगारी पर निबंध 150 शब्दों में 

भारत में बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है और यह समस्या बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। वैसे तो बेरोजगारी की समस्या के पीछे बहुत सारे कारण हैं लेकिन शिक्षा और कौशल की कमी एक बड़ी वजह है जिससे भी हर दिन बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए भारत सरकार ने बहुत से कदम भी उठाए हैं लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल पायी है। 

वैसे तो भारत की गिनती विकासशील देशों में होती है लेकिन यहां बेरोजगारी ने अपने कदम जमाए हुए हैं। किसी भी देश के लिए बेरोजगारी में वृद्धि होना काफी खतरनाक होता है क्योंकि यह उसके विकास और उन्नति में काफी बुरा प्रभाव डालती है। 

बेरोजगारी दूर करने के उपाय 

बेरोजगारी जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं –

  • जनसंख्या पर नियंत्रण करना चाहिए।
  • केवल नौकरी पर निर्भर नही रहना चाहिए लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  • सरकार को चाहिए कि सभी वर्गों के लिए उचित रोजगार की सुविधा उपलब्ध कराए। 
  • देश की शिक्षा और व्यवस्था को बेहतरीन तरीके से चलाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।
  • शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सिमित नही होनी चाहिए बल्कि कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) पर ध्यान देना चाहिए।
  • औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने चाहिए ताकि रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करवाई जा सके। 

बेरोजगारी पर निबंध 250 शब्दों में 

बेरोजगारी की समस्या आम बन चुकी है जिसकी चपेट में हमारा पूरा देश आया हुआ है। देश का हर दूसरा तीसरा व्यक्ति बेरोजगार है। हजारों लाखों लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल की हुई है लेकिन फिर भी वो बेरोजगार हैं। स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि अधिक पढ़ाई करने के बाद भी लोग चपरासी जैसी छोटी मोटी नौकरियां करके गुजारा कर रहे हैं। 

बेरोजगारी के मुख्य कारण 

देश में बढ़ती हुई बेरोजगारी के अनेकों कारण हैं जिनमें से मुख्य कारण इस प्रकार से हैं –

  • लोगों में शिक्षा की कमी है जिसकी वजह से उन्हें रोजगार के नए अवसरों का लाभ नहीं मिल पाता।
  • लोग स्वरोजगार के लिए जागरूक नही हैं सिर्फ नौकरी पाने की होड़ लगी हुई है।
  • भारत में औद्योगिकरण की गति काफी धीमी है जिसकी वजह से केवल कुछ ही लोगों को नौकरी के अवसर मिलते हैं। 
  • देश में जनसंख्या काफी तेजी से बढ़ रही है ऐसे में रोजगार के उपलब्ध साधन सीमित हैं जिसकी वजह से बेरोजगारी में भी तीव्रता आ रही है।
  • बहुत से लोगों की सरकारी नौकरी करने की चाह होती है जिसकी वजह से अगर उन्हें कोई अच्छी प्राइवेट नौकरी मिलती भी है तो वो उसमें रुचि नहीं लेते। लेकिन सरकारी नौकरी के लिए जो कंपटीशन होता है उसमें भारी संख्या में लोग भाग लेते हैं और नौकरी केवल चुनिंदा लोगों को ही मिलती है। यह भी एक बहुत बड़ा कारण है बेरोजगारी को बढ़ाने के पीछे। 

बेरोजगारी के मुख्य प्रकार 

बेरोजगारी आमतौर पर दो तरह की होती है जो कि इस प्रकार से है –

  • स्वैच्छिक बेरोजगारी – स्वैच्छिक बेरोजगारी का मतलब होता है जब किसी इंसान को काम तो मिल जाए लेकिन उसकी काम करने की बिल्कुल भी इच्छा ना हो। ऐसे लोग किसी भी काम को करने के अधीन नहीं होते हैं और इसके अलावा वह अपने काम से किसी भी तरह का कोई भी समझौता नहीं करते। 
  • अनैच्छिक बेरोजगारी – अनैच्छिक बेरोजगारी कई तरह की होती है जैसे कि मौसमी बेरोजगारी, टेक्निकल बेरोजगारी, शिक्षित बेरोजगारी, पुरानी बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोजगारी और आकस्मिक बेरोजगारी। 

बेरोजगारी पर निबंध 500 शब्दों में 

बढ़ती हुई बेरोजगारी किसी भी देश के लिए बहुत ही ज्यादा चिंता की बात है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यदि देश में लोगों के पास रोजगार नहीं होगा तो ऐसे में खुशहाली भी नहीं होगी। जब लोगों की मूलभूत जरूरतें भी पूरी नहीं होती और उनके पास रोजगार भी नहीं होता तो ऐसे में उनके जीवन पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

भारत में बेरोजगारी के जो आंकड़े हैं वो लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। यह हमारे देश के लिए एक अत्यधिक चिंता का विषय है क्योंकि जिस तरह से बीते कुछ सालों में बेरोजगारी की दर में उछाल आया है वो काफी गंभीर विषय है। 

बेरोजगारी का क्या अर्थ है 

बेरोजगारी का मतलब होता है कि जब कोई बहुत ज्यादा कुशल और प्रतिभाशाली व्यक्ति किसी कारणवश उचित नौकरी हासिल नहीं कर पाता तो तब यह स्थिति बेरोजगारी को जन्म देती है। 

भारत में बेरोजगारी को जन्म देने वाले कारक 

हमारे देश भारत में बेरोजगारी को जन्म देने वाले कारक निम्नलिखित इस प्रकार से हैं –

  • हमारे देश भारत की जनसंख्या बहुत ज्यादा तेजी से बढ़ रही है जिसकी वजह से देश में बेरोजगारी भी बढ़ रही है। 
  • देश का आर्थिक विकास भी काफी धीमी गति से हो रहा है जिसकी वजह से लोगों को रोजगार के मौके बहुत ही कम मिल रहे हैं और ऐसे में बेरोजगारी की दर में वृद्धि हो रही है। 
  • मौजूदा समय में कुटीर उद्योग के उत्पादन में काफी ज्यादा गिरावट आई है और कहीं ना कहीं यह भी बेरोजगारी का एक बड़ा कारण है। 
  • भारत में तकनीकी उन्नति काफी धीमी गति से हो रही है और इस वजह से भी बेरोजगारी बढ़ रही है। 
  • बहुत से लोग अपनी शिक्षा बीच में ही अधूरी छोड़ देते हैं और इस वजह से उन्हें नौकरी के उचित अवसर नहीं मिल पाते। 
  • कुछ लोग सरकारी नौकरी करने के चक्कर में भी बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं। 

बेरोजगारी से उत्पन्न होने वाली समस्याएं 

बेरोजगारी से उत्पन्न होने वाली कुछ समस्याएं इस प्रकार से हैं –

  • बढ़ती हुई बेरोजगारी गरीबी को जन्म देती है। 
  • लोगों के पास यदि रोजगार नहीं होगा तो ऐसे में वह अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए अपराध करने लगेंगे। 
  • बेरोजगारी की वजह से व्यक्ति मानसिक तनाव में रहने लगता है जिसके काफी घातक परिणाम हो सकते हैं क्योंकि व्यक्ति इतना परेशान हो जाता है कि वह आत्महत्या तक भी कर लेता है। 

हालांकि बेरोजगारी को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है लेकिन इसे कुछ कोशिशों के द्वारा काफी हद तक कम किया जा सकता है – 

  • ज्यादा से ज्यादा मात्रा में लघु उद्योगो को और छोटे छोटे बिजनेस को बढ़ावा देना चाहिए। 
  • देश की बढ़ती हुई जनसंख्या पर काबू करना चाहिए।
  • सरकार को चाहिए कि वह स्वरोजगार जैसी योजनाओं के द्वारा नागरिकों की सहायता करे।
  • भारत एक कृषि प्रधान देश है और इसलिए जरूरी है कि यहां की खेती बाड़ी में सुधार होना चाहिए। इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकेंगे।
  • पुराने समय से जो शिक्षा नीति चली आ रही है उसमें बदलाव करना भी जरूरी है। छात्रों को व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा देने पर ज्यादा से ज्यादा जोर होना चाहिए। ‌

बेरोजगारी पर 10 लाइन निबंध

  • वर्तमान समय में बढती हुई बेरोजगारी सभी देशों के लिए एक बहुत ही बड़ी समस्या है।
  • बेरोजगारी के साथ गरीबी और भुखमरी जैसी परेशानियां भी जन्म लेती हैं।
  • जनसंख्या बहुत ज्यादा तेजी से बढ़ रही है जिसकी वजह से देश में बेरोजगारी भी बढ़ रही है। 
  • अशिक्षा, अयोग्यता और रोजगार के अवसर की कमी वजह से बेरोजगारी बढ़ रही है।
  • आजकल शिक्षित बेरोजगारी भी लगातार बढ़ रही है इसका मुख्य कारण लोग स्वरोजगार की जगह नौकरी पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।
  • कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
  • जनसँख्या नियंत्रण के लिए उचित प्रबंध करने चाहिए।
  • लघु और कुटीर उद्योगों के लिए लोगों को प्रेरित करना चाहिये।

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दोस्तों बेरोजगारी पर निबंध के इस आर्टिकल में हमने आपको बेरोजगारी से संबंधित सारी जानकारी दी। हमें पूरी उम्मीद है कि आपके लिए यह आर्टिकल काफी लाभदायक रहा होगा। हमारे इस लेख को सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें। 

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बेरोजगारी की समस्या पर निबंध | Essay on Unemployment in Hindi

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ADVERTISEMENTS:

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध | Essay on Unemployment in Hindi!

बेरोजगारी देश के सम्मुख एक प्रमुख समस्या है जो प्रगति के मार्ग को तेजी से अवरुद्‌ध करती है । यहाँ पर बेरोजगार युवक-युवतियों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है । स्वतंत्रता के पचास वर्षों बाद भी सभी को रोजगार देने के अपने लक्ष्य से हम मीलों दूर हैं ।

बेरोजगारी की बढ़ती समस्या निरंतर हमारी प्रगति, शांति और स्थिरता के लिए चुनौती बन रही है । हमारे देश में बेरोजगारी के अनेक कारण हैं । अशिक्षित बेरोजगार के साथ शिक्षित बेरोजगारों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है । देश के 90% किसान अपूर्ण या अर्द्ध बेरोजगार हैं जिनके लिए वर्ष भर कार्य नहीं होता है । वे केवल फसलों के समय ही व्यस्त रहते हैं ।

शेष समय में उनके करने के लिए खास कार्य नहीं होता है । यदि हम बेरोजगारी के कारणों का अवलोकन करें तो हम पाएँगे कि इसका सबसे बड़ा कारण देश की निरंतर बढ़ती जनसंख्या है । हमारे संसाधनों की तुलना में जनसंख्या वृद्‌धि की गति कहीं अधिक है जिसके फलस्वरूप देश का संतुलन बिगड़ता जा रहा है ।

इसका दूसरा प्रमुख कारण हमारी शिक्षा-व्यवस्था है । वर्षो से हमारी शिक्षा पद्‌धति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है । हमारी वर्तमान शिक्षा पद्‌धति का आधार प्रायोगिक नहीं है । यही कारण है कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् भी हमें नौकरी नहीं मिल पाती है ।

बेरोजगारी का तीसरा प्रमुख कारण हमारे लघु उद्‌योगों का नष्ट होना अथवा उनकी महत्ता का कम होना है । इसके फलस्वरूप देश के लाखों लोग अपने पैतृक व्यवसाय से विमुख होकर रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं ।

आज आवश्यकता इस बात की है कि बेरोजगारी के मूलभूत कारणों की खोज के पश्चात् इसके निदान हेतु कुछ सार्थक उपाय किए जाएँ । इसके लिए सर्वप्रथम हमें अपने छात्र-छात्राओं तथा युवक-युवतियों की मानसिकता में परिवर्तन लाना होगा ।

यह तभी प्रभावी हो सकता है जब हम अपनी शिक्षा पद्‌धति में सकारात्मक परिवर्तन लाएँ । उन्हें आवश्यक व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करें जिससे वे शिक्षा का समुचित प्रयोग कर सकें । विद्‌यालयों में तकनीकी एवं कार्य पर आधारित शिक्षा दें जिससे उनकी शिक्षा का प्रयोग उद्‌योगों व फैक्ट्रियों में हो सके और वे आसानी से नौकरी पा सकें ।

इस दिशा में सरकार निरंतर कार्य कर रही है । अपनी पंचवर्षीय व अन्य योजनाओं के माध्यम से लघु उद्‌योग के विकास के लिए वह निरंतर प्रयासरत है ।

सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विद्‌यालयों में तकनीकी तथा व्यवसायिक शिक्षा को प्रोत्साहन दिया जा रहा है । बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रण में लेने हेतु विभिन्न परिवार कल्याण योजनाओं को लागू किया गया है । सभी बड़े शहरों में रोजगार कार्यालय खोले गए हैं जिनके माध्यम से युवाओं को रोजगार की सुविधा प्रदान की जाती है ।

परंतु विभिन्न सरकारों ने यह स्वीकार किया है कि रोजगार कार्यालयों के माध्यम से बहुत थोड़ी संख्या में ही बेराजगारों को खपाया जा सकता है क्योंकि सभी स्थानों पर जितने बेकार हैं उसकी तुलना में रिक्तियों की संख्या न्यून है । इस कारण बहुत से लोग असंगठित क्षेत्र में अत्यंत कम पारिश्रमिक पर कार्य करने के लिए विवश हैं ।

वर्तमान में सरकार इस बात पर अधिक बल दे रही है कि देश के सभी युवक स्वावलंबी बनें । वे केवल सरकारी सेवाओं पर ही आश्रित न रहें अपितु उपयुक्त तकनीकी अथवा व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण कर स्वरोजगार हेतु प्रयास करें ।

नवयुवकों को उद्‌यम लगाने हेतु सरकार उन्हें कम ब्याज दरों पर ऋण प्रदान कर रही है तथा उन्हें उचित प्रशिक्षण देने में भी सहयोग कर रही है । हमें आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि बदलते परिपेक्ष्य में हमारे देश के नवयुवक कसौटी पर खरे उतरेंगे और देश में फैली बेरोजगारी जैसी समस्या से दूर रहने में सफल होंगे ।

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Berojgari Essay In Hindi बेरोजगारी पर निबंध कारण, निवारण, और निष्कर्ष

Meghna

Berojgari Essay In Hindi बेरोजगारी पर निबंध कारण, निवारण, और निष्कर्ष : बेरोजगारी भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। ऐसे सैकड़ों और हजारों लोग हैं जिनके पास रोजगार नहीं है। इसके अलावा, बढ़ती आबादी और नौकरियों की मांग के कारण भारत में बेरोजगारी ( Berojgari Essay In Hindi ) की समस्या बहुत गंभीर है। इसके अलावा, अगर हम इस समस्या की उपेक्षा करते हैं तो यह राष्ट्र के विनाश का कारण बनने जा रहा है।

मनुष्य की तीन मूलभूत आवश्यकताएँ हैं- भोजन, घर और वस्त्र । इन सभी जरूरतों को ठीक से तभी पूरा किया जा सकता है जब व्यक्ति के पास पैसा हो। और इस धन को अर्जित करने के लिए व्यक्ति को नियोजित होना चाहिए, अर्थात उसके पास वेतनभोगी व्यवसाय होना चाहिए। हालाँकि, दुनिया में और हमारे देश में भी कई लोग ऐसे हैं जो नौकरी पाने में असफल रहे हैं। ( Essay On Unemployment )

सम्मानजनक जीवन जीने के लिए लोगों को पैसा कमाने और अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की जरूरत है। बेरोजगारी उनसे यह अधिकार छीन लेती है और उनका जीवन स्तर खराब हो जाता है। बेरोजगारी के कारण पैसे की कमी के कारण पौष्टिक भोजन की कमी हो जाती है, जिस वजह से उनका स्वस्थ्य भी प्रभावित होता है| जब बेरोजगार व्यक्तियों ( Berojgari Essay In Hindi )के बच्चों को उचित आहार नहीं मिल पाता है, तो ऐसे में वे तरह-तरह की बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। उनके जीवन की गुणवत्ता समय के साथ काफी कम हो जाती है।

तो आइये बेरोजगारी के मुद्दे पर बात करें, और जानें आखिर वो क्या वजह है जो बेरोजगारी ( Berojgari Essay In Hindi )को जन्म देती है, और इस परेशानी से निवारण कैसे पाएं| सभी जानकारियां हासिल करने के लिए पोस्ट के साथ अंत तक बने रहें|

Berojgari Essay In Hindi

बेरोजगारी क्या है? इसे एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें एक व्यक्ति जो नौकरी करने को तैयार है, उसके पास सभी आवश्यक कौशल हैं, लेकिन वह नौकरी पाने में विफल रहता है जिससे उसे आजीविका मिलती है। इसमें वे लोग शामिल नहीं हैं जो नौकरी की तलाश में नहीं हैं। ( Berojgari Essay In Hindi )

बेरोजगारी के प्रकार

अब हम जानते हैं कि बेरोजगारी क्या है लेकिन बेरोजगारी का मतलब केवल यह नहीं है कि व्यक्ति के पास नौकरी नहीं है। इसी तरह, बेरोजगारी में वे लोग भी शामिल हैं जो अपनी विशेषज्ञता से बाहर के क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। विभिन्न प्रकार की बेरोजगारी में प् रच्छन्न बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, खुली बेरोजगारी, तकनीकी बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोजगारी ( Best Essay On Unemployment ) शामिल हैं।

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बेरोजगारी के कारण

स्कूलों और कॉलेजों में कौशल आधारित शिक्षा की कमी बेरोजगारी का मुख्य कारण है। हमारी शिक्षा प्रणाली मुख्य रूप से व्यावहारिक आधारित कार्यों से अधिक गुणवत्ता और ज्ञान और लिखित परीक्षा से संबंधित है।

इन्हीं कारणों से ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद इंटरव्यू का सामना करने के दौरान छात्र अपने आप में आत्मविश्वास और कौशल की कमी महसूस करते हैं। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि भी खेती पर बोझ, कृषि क्षेत्र में कम उत्पादकता, दोषपूर्ण आर्थिक नियोजन, पूंजी की कमी आदि भी बेरोजगारी के कुछ प्रमुख कारण हैं।

बेरोजगारी के प्रभाव

बेरोजगारी का प्रभाव श्रमिकों और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था दोनों द्वारा महसूस किया जा सकता है| बेरोजगारी के कारण श्रमिकों को वित्तीय कठिनाई का सामना करना पड़ता है जो परिवारों, रिश्तों और समुदायों को प्रभावित करता है। जब ऐसा होता है, तो उपभोक्ता खर्च, जो कि अर्थव्यवस्था के विकास के प्रमुख चालकों में से एक है, नीचे चला जाता है, जिससे मंदी या अवसाद भी हो जाता है।

बेरोजगारी के परिणामस्वरूप मांग, खपत और क्रय शक्ति में कमी आती है, जिसके परिणामस्वरूप व्यवसायों के लिए कम लाभ होता है और बजट में कटौती और कार्यबल में कमी आती है। यह एक ऐसा चक्र बनाता है जो चलता रहता है और उस पर किसी प्रकार के हस्तक्षेप के बिना उलटना मुश्किल होता है।

बेरोजगारी का समाधान

  • बेरोजगारी का सबसे पहला उपाय हमारे देश की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करना है। सरकार को लोगों को छोटे परिवार रखने के लिए प्रेरित करना चाहिए। भारत सरकार ने जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए पहल शुरू की है लेकिन फिर भी जनसंख्या बढ़ रही है
  • भारतीय शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होना चाहिए
  • आज के युवाओं को उस संस्थान में शामिल होना चाहिए या उस पाठ्यक्रम का चयन करना चाहिए जहां उचित प्रशिक्षण दिया जाता है और पाठ्यक्रम वर्तमान उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुसार है। अपनी रुचि के अनुसार पाठ्यक्रम लें, जो आपका भविष्य उज्ज्वल करेगा
  • सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित और विकसित करना चाहिए ताकि ग्रामीण उम्मीदवार शहरी क्षेत्रों में पलायन न करें
  • तीव्र औद्योगीकरण का सृजन किया जाना चाहिए
  • ग्रामीण क्षेत्रों के विकास से ग्रामीण लोगों का शहरों की ओर पलायन रुकेगा और इससे शहरी नौकरियों पर अधिक दबाव नहीं पड़ेगा
  • सरकार को अधिक विदेशी कंपनियों को भारत में अपनी इकाई खोलने की अनुमति देनी चाहिए, ताकि रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध हो सकें

बेरोजगारी एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक मुद्दा है जिसके परिणामस्वरूप हर चीज पर जबरदस्त प्रभाव पड़ता है लेकिन अक्सर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है। इसके कारणों को निर्धारित करने और इसे बेहतर तरीके से कैसे संबोधित किया जाए, इसके लिए बेरोजगारी के आकलन की एक मजबूत प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए।

हम उम्मीद करते हैं बेरोजगारी के ऊपर इस निबंध ( Berojgari Essay In Hindi )ने आपको इस विषय पर बहुत सी नयी जानकारियां उपलब्ध कराई होंगी|

बेरोजगारी आज की बढ़ती महंगाई के ज़माने में एक गंभीर समस्या है, और इस पर विचार किया जाना बहुत ही आवश्यक है| कई नयी जानकारियों के लिए पेज के साथ बने रहें, और अपने सुझाव हमें कमेंट बॉक्स द्वारा भेजें|

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Berojgari ki Samasya par Nibandh

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध: बेरोजगारी का अर्थ: बेरोजगारी की समस्या का कारण: Unemployment Essay in Hindi

बेरोजगारी देश के लिए एक ज्वलंत समस्या है. महाविद्यालय से पढ़ाई पूरी करने के बाद डिग्री लेकर रोजगार की तलाश में भटकते हुए नवयुवक के चेहरे पर निराशा और चिंता का भाव होना सामान्य बात हो गई है. जब रोजगार की तलाश में भटकते हुए, युवक को अपनी योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिलती, तो युवक अपनी डिग्रियां फाड़ने, जलाने के लिए विवश हो जाते हैं. उस समय घर एवं समाज के लोग उसे निकम्मा समझते हैं. बेरोजगारी की समस्या आज देश का सबसे बड़ा मुद्दा बना गया है. तो आज हम आपसे बात करेंगे Berojgari ki Samasya par Nibandh के बारे में.

Table of Contents

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध

प्रस्तावना .

आज देश में बेरोजगारी एक वायरस की तरह फैल चुका है, जिसका जल्द से जल्द समाधान नहीं किया गया, तो हालात बद से बदतर होने में देर नहीं लगेगा. देश की तरक्की के रास्ते में कई सारे कारक पाव पसारे खड़े हैं, लेकिन बेरोजगारी उनमें से सबसे महत्वपूर्ण कारक है. महात्मा गाँधी जी ने बेरोजगारी को “समस्याओं का समस्या” कहा है.

युवाओं में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है, जिससे तनाव भी बढ़ता जा रहा है. हमारा देश युवाओं का देश कहा जाता है, क्योंकि यहाँ की जनसंख्या का सबसे बड़ा हिस्सा युवा हैं, जो की अच्छी बात है. लेकिन जब युवा जनसंख्या ही बेरोजगार हो, तो देश के लिए कोई लाभ नहीं है. क्योंकि बेरोजगार युवा आखिर देश के विकास में क्या योगदान दे सकती है.

बेरोजगारी का अर्थ

बेरोजगारी का अर्थ है, योग्यता होने के बावजूद कोई काम न मिलना .आज देश में कई ऐसे युवक हैं जो ग्रेजुएशन, बीएड की डिग्री प्राप्त करके रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं. रोजगार नहीं मिलने के कारण स्नातक, परास्नातक, शिक्षा-स्नातक की पढाई करके गाँव के गलियों में भटक रहे हैं. बेरोजगार होने के कारण अक्सर युवाएं तनाव में रहते हैं, जिससे कई तरह के रोग उनके शरीर में घर बना लेते हैं.

एक बेरोजगार इंसान न सिर्फ अपने परिवार बल्कि, देश के भी किसी काम नहीं आ सकता. बेरोजगार लोगों को उनके परिवार वाले एक बोझ की तरह देखते हैं, और बेरोजगार लोग भी समाज के तानों से तंग आकर गलत रास्ते चुन लेते हैं. ताकि उनके माथे पर निकम्मे होने का कलंक ना रहे.  बेरोजगारी बहुत छोटा सा शब्द है, लेकिन इसके अर्थ और परिणाम बहुत खतरनाक होते हैं.

बेरोजगारी के प्रकार 

अल्प बेरोजगारी.

अल्प बेरोजगारी का अर्थ है, क्षमता के अनुसार रोजगार न मिलना. यानि कुछ समय या घंटे का काम मिलना. उदहारण के लिए, एक व्यक्ति 8 घंटों तक कार्य करने में सक्षम होते हुए भी उसे सिर्फ 2-4 घंटे तक का हीं रोजगार मिल पा रहा है, तो इसे अल्प बेरोजगारी कहा जाता है. ये स्थिति मजदूरों में देखा जा सकता है. जैसे मान लीजिए उन्हें एक दीवार बनाना है जिसके लिए उन्हें लगभग 5 घंटे का समय लगेगा. इस हिसाब से उस मजदूर को मात्र 5 घंटे तक के लिए रोजगार उपलब्ध हुआ, बाकी समय वह बेरोजगार हीं कहलाएगा.

खुली बेरोजगारी 

खुली बेरोजगारी वह स्थिति है, जब एक व्यक्ति के पास पूरा समय कोई काम नहीं होता. इसमें व्यक्ति के पास किसी प्रकार का कोई भी रोजगार नहीं होता. ऐसे लोग अपने परिवार के किसी सदस्य के पर निर्भर होते हैं, खुली बेरोजगारी गाँव और शहर दोनों में हीं देखी जा सकती है. खुली बेरोजगारी की समस्या से अधिकतर युवा जूझ रहे हैं, जिन्हें कोई अच्छा काम उपलब्ध नहीं होता. और छोटी-मोटी काम को करने में ये लोग अपना अपमान समझते हैं.

मौसमी बेरोजगारी

मौसमी बेरोजगारी का मतलब होता है, एक मौसम के लिए काम का मिलना. इसमें एक इंसान के पास कोई निर्धारित काम नहीं होता, मौसम के आने पर काम का मिलना और मौसम के खत्म होते ही बेरोजगार हो जाए. जैसे अगर कोई व्यक्ति दीया बनाने का काम करता है, तो वह केवल दिपावली के समय तक हीं रोजी-रोटी कमा पा रहा है. बाकी समय वह बेरोजगार हीं रहेगा.

उसी तरह एक किसान को भी मौसमी बेरोजगारी का शिकार होना पड़ता है. जब मॉनसून आता है, तब किसान खेती का कार्य करते हैं, उसके बाद बाकी का समय उन्हें बेरोजगार रहना पड़ता है. भारत जैसी कृषि प्रधान देश में मौसमी बेरोजगारी विद्यमान है. क्योंकि यहाँ की अधिकांश जनसँख्या कृषि कार्य पर निर्भर रहते हैं.

Berojgari ke Karan: बेरोजगारी की का कारण

दूषित शिक्षा प्रणाली .

बेरोजगारी का सबसे प्रमुख कारण है, दूषित शिक्षा प्रणाली. हमारे देश में गुणवत्ता युक्त शिक्षा नहीं दिया जाता, यहाँ केवल साक्षारत दर में वृद्धि हो रहा है. शिक्षा के नाम पर छात्रों को रट के परीक्षा पास कैसे करना है? ये सिखाया जाता है. क्लास होते हीं दिमाग से रटंत ज्ञान भी निकल जाती हैं.ऐसी शिक्षा प्रणाली एक बेहतर शिक्षित जनसंख्या का निर्माण नहीं कर सकता.

गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के अभाव में विद्यार्थियों में व्यावसायिक कौशल विकसित नहीं हो पाता, जिसके कारण उन्हें रोजगार नहीं मिल पाता. क्योंकि    वर्त्तमान  समय में लगभग सभी कम्पनियाँ स्किल के अनुसार रोजगार देती है, और युवाओं में स्किल्स का अभाव होता है.

जनसंख्या वृद्धि

जनसंख्या वृद्धि बेरोजगारी की एक बहुत बड़ी समस्या है. बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण उपलब्ध अवसर की कमीं हो जाती है. बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण सरकार सभी को रोजगार नहीं दे पाती. सभी के लिए रोजगार उपलब्ध न होना, सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चिंता विषय बन गयी है.  बड़ी जनसंख्या के कारण न तो, शिक्षा पर ठीक से ध्यान दिया जाता है और ना हीं स्वास्थ्य पर. इसलिए अगर कम जनसंख्या होगा तो, अवसर सबको बराबर मिलेंगे और कोई भी बेरोजगार नहीं रहेगा.

पिछड़ी हुई कृषि 

ये तो सबको मालूम है कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है मगर कृषि कोई करना नहीं चहता. क्योंकि कृषि करने की तकनीक काफी पुरानी है. वही हल – फल और फसल लगाने की परंपारिक विधि, जिससे फसलों में मुनाफा नहीं दिखता और लोग कृषि क्षेत्र में दिलचस्पी नहीं दिखाते.

यही कुछ बेरोजगारी की समस्या का कारण है. इस ज्वलंत समस्या का निदान किए बिना देश का विकास असंभव है. इसलिए बेरोजगारी की समस्या का निदान करना बेहद जरुरी है.

बेरोजगारी की समस्या का समाधान करने के उपाय 

  • जनसंख्या पर नियंत्रण करके बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सकता है.
  • देश की जनसँख्या में कमी होगी, तो सभी को रोजगार के अवसर प्राप्त होगा.
  • शिक्षा प्रणाली में सुधार करके बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सकता है.
  • लघु, कुटीर उद्योग, हस्तकरघा उद्योगों का विकास किया जाए, औधोगीकरण से सभी को रोजगार के अवसर मिलेंगे.

इसे भी पढ़ें: खेल का महत्त्व पर निबंध 

1 thought on “बेरोजगारी की समस्या पर निबंध: बेरोजगारी का अर्थ: बेरोजगारी की समस्या का कारण: Unemployment Essay in Hindi”

You have shared very important information through Hindi essay on unemployment. Thank you

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बेरोजगारी की समस्या पर निबंध-Berojgari Ki Samasya Essay In Hindi

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध :.

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भूमिका : बेरोजगारी उन्नति के रास्ते में बहुत बड़ी समस्या है। बेरोजगारी का अर्थ होता है काम करने की इच्छा करने वाले को काम न मिलना। आज भारत को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सभी समस्याओं में से बेरोजगारी की समस्या प्रमुख है। प्राचीनकाल में हमारा भारत पूर्ण रूप से संपन्न देश था इसी वजह से इसे सोने की चिड़िया कहा जाता था।

बहुत सालों से इस समस्या को दूर करने की कोशिशें की जा रही है। लेकिन अभी तक किसी को भी सफलता नहीं मिल पायी है। इसकी वजह से बहुत से परिवार आर्थिक दशा से खोखले हो चुके हैं। आर्थिक योजनाओं में यह सबसे बड़ी रुकावट है। हमारे देश में आर्थिक योजनाएँ तब तक सफल नहीं हो पाएंगी जब तक बेरोजगारी की समस्या खत्म नहीं हो जाती।

आज हम स्वतंत्र तो हैं लेकिन अभी तक आर्थिक दृष्टि से सक्षम नहीं हुए हैं। हम चारों तरफ से चोरी, छीना-छपटी, खून और लूटमार की बातें सुनते रहते हैं। आज के समय में सभी जगह पर हड़तालें की जा रही हैं। आजकल हर किसी को अपने परिवार के पेट को भरने की चिंता रहती है।

वो लोग अपने परिवार का पेट अच्छाई के मार्ग पर चलकर भरें या बुराई के मार्ग पर चलकर इस बात का कोई मूल्य नहीं है। बेरोजगारी सामाजिक और आर्थिक समस्या है। यह समस्या गांवों और शहरों में समान रूप से फैली हुई है।

जनसंख्या में वृद्धि :  हमारे देश की बेरोजगारी में रोज वृद्धि हो रही है। हमारी सरकार इस समस्या का हल ढूँढ रही है पर लगातार बढती जनसंख्या इसका हल नहीं ढूंढने देती है। हर साल जितने व्यक्तियों को काम दिए जाते हैं उनसे कई गुना लोग बेरोजगार हो जाते हैं। सरकार ने जनसंख्या को कम करने के कई अप्राकृतिक उपाय खोजे हैं लेकिन इसके बाद भी जनसंख्या लगातार बढती ही जा रही है।

जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण शिक्षा के साधनों में कमी होने लगी जिससे लोग अशिक्षित रह गये। हमारे देश में अशिक्षित पुरुष और स्त्रियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढती ही जा रही है। बढती जनसंख्या बेरोजगारी का बहुत ही बड़ा कारण है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण देश का संतुलन बिगड़ रहा है। जनसंख्या में वृद्धि के अनुपात की वजह से रोजगारों की कमी और अवसर में बहुत कम वृद्धि हो रही है इसी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है।

अधूरी शिक्षा प्रणाली :  हजारों सालों से हमारी शिक्षा पद्धति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। हमारी शिक्षा प्रणाली के अधुरा होने की वजह से भी बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है। अधूरी शिक्षा प्रणाली को अंग्रेजी सरकार ने परतंत्र के समय में भारतियों को क्लर्क बनाने के लिए शुरू किया था जैसे-जैसे समय बदलता गया वैसे-वैसे परेशानियाँ भी बदलने लगीं। इस शिक्षा प्रणाली से सिर्फ ऐसे लोग तैयार होते हैं जो बाबु बनते हैं।

जवाहरलाल नेहरु जी ने कहा था कि हर साल लाखों लोग शिक्षा प्राप्त करने के बाद नौकरी के लिए तैयार होते हैं लेकिन हमारे पास नौकरियां बहुत ही कम होती हैं। ऐसे लोगों को नौकरी न मिलने की वजह से ये बेकार हो जाते है। आजकल किसी को भी एम० ए० या बी० ए० किये लोग नहीं उन्हें सिर्फ विशेषज्ञ और वैज्ञानिक चाहिएँ। इसी कारण से बहुत कम लोग शिक्षा ग्रहण करते हैं।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में रोजगारोन्मुख शिक्षा की व्यवस्था नहीं होती है जिससे बेरोजगारी और अधिक बढती है। इसी वजह से जो व्यक्ति आधुनिक शिक्षा ग्रहण करते हैं उनके पास नौकरियां ढूंढने के अलावा और कोई उपाय नहीं होता है। शिक्षा पद्धिति में परिवर्तन करने से विद्यार्थी शिक्षा का समुचित प्रयोग कर पाएंगे।

विद्यार्थियों को तकनीकी और कार्यों के बारे में शिक्षा देनी चाहिए ताकि वे अपनी शिक्षा के बल पर नौकरी प्राप्त कर सकें। सभी सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों में व्यवसाय के ऊपर शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है। आज के युग में शिक्षित और कुशल लोगों की जरूरत होती है जिन लोगों के पास शिक्षा नहीं होती है उन लोगों को रोजगार प्राप्त नहीं होता है।

हमारी शिक्षा प्रणाली में साक्षरता को अधिक महत्व दिया जाता है। तकनीकी शिक्षा में केवल सैद्धांतिक पहलुओं पर ध्यान दिया जाता है इसमें व्यावहारिक शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया जाता है इसी वजह से लोग मशीनों पर काम करने से कतराते है। साधारण शिक्षा से हम सिर्फ नौकरी करने के योग्य बनते हैं इसमें मेहनत का कोई काम नहीं होता है।

उद्योग धंधों की अवनति :   उद्योग धंधो की अवनति के कारण भी बेरोजगारी बढती जा रही है। प्राचीनकाल में बेरोजगारी की समस्या ही नहीं थी उस समय हर व्यक्ति के पास काम था। कुछ लोग चरखा चलाते थे, कुछ गुड बनाते थे और कुछ लोग खिलौने बनाते थे। जब अंग्रेजी हुकुमत आई थी तो उन लोगों ने अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए इस सब कामों को नष्ट कर दिया था।

अंग्रेजों ने लोगों में से आत्मनिर्भरता को समाप्त कर दिया था। रोजगारों के दस्तावेजों के हिसाब से हर साल लाखों लोग बेरोजगार होते थे लेकिन अब इनकी संख्या करोंड़ों से भी ऊपर हो गई है। हमें बेरोजगार लोगों की पूरी संख्या का निश्चित पता नहीं होता क्योंकि बहुत से लोग रोजगार कार्यालय में अपना नाम ही दर्ज नहीं करवाते हैं।

पढ़े लिखे लोग भूखा मरना तो पसंद करते हैं पर मजदूरी करना पसंद नहीं करते हैं। वे लोगों के सामने छोटे काम को करने में संकोच करते हैं। वे यह सोचते हैं कि लोग कहेंगे कि पढ़ा-लिखा होकर भी मजदूरी कर रहा है। यही बात लोगों को कुछ नहीं करने देते हैं। लेकिन शिक्षा उन्हें यह तो नहीं कहती है कि तुम मजदूरी मत करो।

सरकारी नीतियाँ :  बेरोजगारी की समस्या शहर और गाँव दोनों में उत्पन्न हो रही है। जिससे धन की व्यवस्था ठीक नहीं रह पाई जिसकी वजह से बड़े-बड़े कारीगर भी बेकार होते हैं। गांवों में किसान खेती के लिए वर्षा पर आश्रित रहता है। उसे अपने खाली समय में कुटीर उद्योग चलाने चाहिएँ। इस वजह से उसकी और देश की हालत ठीक हो जाती है।

आजकल गाँव के लोग शहरों में आकर बसने लगे हैं जिसकी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है। गांवों में लोग कृषि करना पसंद नहीं करते जिसकी वजह से गांवों की आधी जनसंख्या बेरोजगार रह जाती है। पुराने समय में वर्ण व्यवस्था में पैतृक व्यवसाय को अपना लिया गया था जिस वजह से बेरोजगारी कभी पैदा ही नहीं होती थी।

जब वर्ण-व्यवस्था के भंग हो जाने से पैतृक व्यवसाय को नफरत की नजर से देखा जाता है तो बेटा पिता के व्यवसाय को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होता है। आज के युवाओं को ऐसी शिक्षा देनी चाहिए जो उन्हें रोजगार दिलाने में सहायता करे। औद्योगिक शिक्षा की तरफ ज्यादा ध्यान देना चाहिए ताकि शिक्षित लोगों की बेरोजगारी को कम किया जा सके।

शिक्षा से लोग स्वालम्बी होते हैं। उन लोगों में हस्तकला की भावना पैदा नहीं होती है। आधे से भी ज्यादा लोग रोजगार की तलाश में भटकते रहते हैं और बेरोजगारों की लाइन और लंबी होती चली जाती है। हमारे देश में बहुत अधिक जनसंख्या है जिस वजह से उद्योग धंधों में उन्नति की बहुत अधिक आवश्यकता है।

उद्योग धंधों को सार्वजनिक क्षेत्रों में ही स्थापित किया गया है , जब तक घरेलू दस्तकारों को प्रोस्ताहन नहीं दिया जाएगा तब तक बेरोजगारी की समस्या ठीक नहीं हो सकती है। सरकार कारखानों की संख्या में वृद्धि कर रही है। उद्योग धंधों की स्थापना की जा रही है। उत्पादन क्षेत्रों को विकसित किया जा रहा है।

सामाजिक और धार्मिक मनोवृत्ति और सरकारी विभागों में छंटनी :  सामाजिक और धार्मिक मनोवृत्ति से भी बेरोजगारी की समस्या बढती जा रही है। आज के समय में ऋषियों और साधुओं को भिक्षा देना पुण्य की बात मानी जाती है। जब स्वस्थ लोग दानियों की उदारता को देख कर भिक्षावृत्ति पर उतर आते हैं। इस प्रकार से भी बेरोजगारी की परेशानी बढती जा रही है।

हमारे यहाँ के सामाजिक नियमों के अनुसार वर्ण-व्यवस्था के अनुसार विशेष-विशेष वर्गों के लिए बहुत विशेष-विशेष कार्य होते हैं। सरकारी विभागों में वर्ण-व्यवस्था के अनुसार काम दिए जाते हैं। अगर उन्हें काम मिलता है तो करते हैं वरना हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं। इस तरीके की सामाजिक व्यवस्था से भी बेरोजगारी बढती है।

बेकारी की वजह से युवाओं में असंतोष ने समाज में अव्यवस्था और अराजकता फैला रखी हैं। हमें सरकारी नौकरियों के मोह को छोडकर उस काम को करना चाहिए जिसमें श्रम की जरूरत होती है। लाखों लोग अपने पैतृक व्यवसाय को छोडकर रोजगार की खोज में इधर-उधर घूमते रहते हैं।

जनसंख्या वृद्धि पर रोक और शिक्षा :  जनसंख्या वृद्धि को रोककर बेरोजगारी को नियंत्रित किया जा सकता है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए विवाह की आयु का नियम कठोरता से लागु किया जाना चाहिए। साथ ही शिक्षा-पद्धिति में भी सुधार करना चाहिए। शिक्षा को व्यावहारिक बनाना चाहिए। विद्यार्थियों में प्रारंभ से ही स्वालंबन की भावना को पैदा करना होगा।

देश के विकास और कल्याण के लिए पंचवर्षीय योजना को चलाया गया जिससे किसी भी राष्ट्र की पहली शर्त सब लोगों को रोजगार देना होता है। लेकिन पहली पंचवर्षीय योजना से बेरोजगारी की समस्या और अधिक बढ़ गई थी। बेरोजगारी की समस्या को सुलझाने के लिए मन की भावना को बदलना बहुत जरूरी है।

मन की भावना को बदलने से किसी काम को छोटा या बड़ा नहीं समझा चाहिए। डिग्री लेना ही ज्यादा जरूरी नहीं होता है जरूरी होता है अपनी कुशलता और योग्यता को प्राप्त करना।

उपसंहार :  बरोजगारी देश की एक बहुत बड़ी समस्या है। सरकार के द्वारा बेरोजगारी को खत्म करने के लिए बहुत से कदम उठाये जा रहे हैं। बेरोजगारी उस संक्रामक बीमारी की तरह होती है जो अनेक बिमारियों को जन्म देती है। लोगों का कहना है कि अभी सरकार को बेरोजगारी से छुटकारा नहीं मिल पाया है पर वो इतने साधन जुटा रही है जिससे भविष्य में बेरोजगारी की समस्या को खत्म किया जा सके।

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Unemployment Problem And Solution Essay In Hindi

बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – Unemployment Problem And Solution Essay In Hindi

बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – essay on unemployment problem and solution in hindi.

संकेत बिंदु –

  • बेरोज़गारी के कारण
  • बेरोज़गारी के परिणाम
  • बेरोज़गारी का अर्थ
  • समाधान के उपाय

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न  हिंदी निबंध  विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना – स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे देश को कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ा है। इन समस्याओं में मूल्य वृद्धि, जनसंख्या वृद्धि, प्रदूषण, भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी आदि प्रमुख हैं। इनमें बेरोजगारी का सीधा असर व्यक्ति पर पड़ता है। यही असर व्यक्ति के स्तर से आगे बढ़कर देश के विकास में बाधक सिद्ध होता है।

Unemployment Problem And Solution Essay In Hindi

बेरोज़गारी का अर्थ – ‘रोज़गार’ शब्द में ‘बे’ उपसर्ग और ‘ई’ प्रत्यय के मेल से ‘बेरोज़गारी’ शब्द बना है, जिसका अर्थ है वह स्थिति जिसमें व्यक्ति के पास काम न हो अर्थात जब व्यक्ति काम करना चाहता है और उसमें काम करने की शक्ति, सामर्थ्य और योग्यता होने पर भी उसे काम नहीं मिल पाता है। यह देश का दुर्भाग्य है कि हमारे देश में लाखों-हज़ारों नहीं बल्कि करोड़ों लोग इस स्थिति से गुजरने को विवश हैं।

Unemployment Problem And Solution Essay

बेरोज़गारी के कारण – बेरोज़गारी बढ़ने के कई कारण हैं। इनमें सर्वप्रमुख कारण हैं- देश की निरंतर बढ़ती जनसंख्या। इस बढ़ती जनसंख्या के कारण सरकारी और प्राइवेट सेक्टर द्वारा रोज़गार के जितने पद और अवसर सृजित किए जाते हैं वे अपर्याप्त सिद्ध होते हैं। परिणामतः यह समस्या सुरसा के मुँह की भाँति बढ़ती ही जाती है। बेरोज़गारी बढ़ाने के अन्य कारणों में अशिक्षा, तकनीकी योग्यता, सरकारी नौकरी की चाह, स्वरोज़गार न करने की प्रवृत्ति, उच्च शिक्षा के कारण छोटी नौकरियाँ न करने का संकोच, कंप्यूटर जैसे उपकरणों में वृद्धि, मशीनीकरण, लघु उद्योग-धंधों का नष्ट होना आदि है।

इनके अलावा एक महत्त्वपूर्ण निर्धनता भी है, जिसके कारण कोई व्यक्ति चाहकर भी स्वरोज़गार स्थापित नहीं कर पाता है। हमारे देश की शिक्षा प्रणाली भी ऐसी है जो बेरोजगारों की फौज़ तैयार करती है। यह शिक्षा सैद्धांतिक अधिक प्रयोगात्मक कम है जिससे कौशल विकास नहीं हो पाता है। ऊँची-ऊँची डिग्रियाँ लेने पर भी विश्वविद्यालयों और कालेजों से निकला युवा स्वयं को ऐसी स्थिति में पाता है जिसके पास डिग्रियाँ होने पर भी काम करने की योग्यता नहीं है। इसका कारण स्पष्ट है कि उसके पास तकनीकी योग्यता का अभाव है।

समाधान के उपाय – बेरोज़गारी दूर करने के लिए सरकार और बेरोज़गारों के साथ-साथ प्राइवेट उद्योग के मालिकों को सामंजस्य बिठाते हुए ठोस कदम उठाना होगा। इसके लिए सरकार को रोजगार के नवपदों का सृजन करना चाहिए। यहाँ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि नवपदों के सृजन से समस्या का हल पूर्णतया संभव नहीं है, क्योंकि बेरोजगारों की फ़ौज बहुत लंबी है जो समय के साथसाथ बढ़ती भी जा रही है। सरकार को माध्यमिक कक्षाओं से तकनीकी शिक्षा अनिवार्य कर देना चाहिए ताकि युवा वर्ग डिग्री लेने के बाद असहाय न महसूस करे।

सरकार को स्वरोजगार को प्रोत्साहन देने के लिए बहुत कम दरों पर कर्ज देना चाहिए तथा युवाओं के प्रशिक्षण की व्यवस्था करते हुए इन उद्योगों का बीमा भी करना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह लघु एवं कुटीर उद्योगों के अलावा पशुपालन, मत्स्य पालन आदि को भी बढ़ावा दे। प्राइवेट उद्यमियों को चाहिए कि वे युवाओं को अपने यहाँ ऐसी सुविधाएँ दे कि युवाओं का सरकारी नौकरी से आकर्षण कम हो। युवा वर्ग को अपनी सोच में बदलाव लाना चाहिए तथा उनकी उच्च शिक्षा बाधक नहीं बल्कि सफलता के मार्ग का साधन है जिसका प्रयोग वे समय आने पर कर सकते हैं। अभी जो भी मिल रही है उसे पहली सीढ़ी मानकर शुरुआत तो करें। इसके अलावा उच्च शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा अवश्य ग्रहण करें ताकि स्वरोजगार और प्राइवेट नौकरियों के द्वार भी उनके लिए खुले रहें।

बेरोज़गारी के परिणाम – कहा गया है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। बेरोज़गार व्यक्ति खाली होने से अपनी शक्ति का दुरुपयोग असामाजिक कार्यों में लगाता है। वह असामाजिक कार्यों में शामिल होता है और कानून व्यवस्था भंग करता है। ऐसा व्यक्ति अपना तथा राष्ट्र दोनों का विकास अवरुद्ध करता है। ‘बुबुक्षकः किम् न करोति पापं’ भूखा व्यक्ति कौन-सा पाप नहीं करता है अर्थात भूखा व्यक्ति चोरी, लूटमार, हत्या जैसे सारे पाप कर्म कर बैठता है। अत: व्यक्ति को रोज़गार तो मिलना ही चाहिए।

उपसंहार – बेरोज़गारी की समस्या पूरे देश की समस्या है। यह व्यक्ति, समाज और देश के विकास में बाधक सिद्ध होती है। जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगाने के साथ ही इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। बेरोज़गारी कम करने में सरकार के साथ-साथ समाज और युवाओं की सोच में बदलाव लाना आवश्यक है।

Nibandh

बेरोजगारी पर निबंध - Essay on Unemployment in Hindi - Berojgari Essay in Hindi - Berojgari par Nibandh

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बेरोजगारी पर हिंदी निबंध

रुपरेखा : प्रस्तावना - बेरोजगारी की बढ़ती संख्या - अशिक्षित होने के कारन - व्यापार में गिरावट - सरकार की नीतियाँ - सरकारी विभागों में सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण - बढ़ती बेरोजगारी का समाधान - उपसंहार।

जहाँ रोजगार नहीं होता तथा जिन लोगों के पास रोजगार नहीं होता उन्हें बेरोजगार कहते है। बेरोजगारी स्वंय तथा देश की उन्नति के रास्ते में एक बड़ी समस्या है। काम करने की इच्छा करने वाले को काम न मिलना को भी बेरोजगारी कहते है। आज भारत में बेरोजगारी की समस्या प्रमुख है। बेरोजगारी के कारन बहुत से परिवार आर्थिक दशा से खोखले हो चुके हैं। हमारे देश में आर्थिक योजनाएँ तब तक सफल नहीं हो पाएंगी जब तक बेरोजगारी की समस्या खत्म नहीं हो जाती। आज हम स्वतंत्र तो हैं लेकिन अभी तक आर्थिक दृष्टि से सक्षम नहीं हुए हैं।

हमारे देश में बेरोजगारी की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । देश में लगातार बढती जनसंख्या के कारन जितने व्यक्तियों को काम दिए जाते हैं उनसे दुगने लोग बेरोजगार हो जाते हैं। सरकार ने जनसंख्या को कम करने के कई अप्राकृतिक उपाय खोजे हैं लेकिन इसके बाद भी जनसंख्या लगातार बढती ही जा रही है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण देश का संतुलन बिगड़ रहा है। जनसंख्या में वृद्धि के अनुपात की वजह से रोजगारों की कमी हो रही है इसी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है।

देश में उचित शिक्षा प्रणाली न होने के कारण से भी बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है। उचित शिक्षा की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, कौशल की कमी, प्रदर्शन संबंधी मुद्दे और बढ़ती आबादी सहित कई कारक भारत में इस समस्या को बढ़ाने में अपना योगदान देते हैं। आधुनिक शिक्षा प्रणाली में रोजगार उन्मुख शिक्षा की व्यवस्था नहीं होती है जिससे बेरोजगारी और अधिक बढती है। इसी वजह से जो व्यक्ति आधुनिक शिक्षा ग्रहण करते हैं उनके पास नौकरियां ढूंढने के अलावा और कोई उपाय नहीं होता है। शिक्षा पद्धिति में परिवर्तन करने से विद्यार्थी शिक्षा का समुचित प्रयोग कर पाएंगे। विद्यार्थियों को तकनीकी और कार्यों के बारे में शिक्षा देनी चाहिए ताकि वे अपनी शिक्षा के बल पर नौकरी प्राप्त कर सकें। सभी सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के साथ व्यापार का भी ज्ञान देना चाहिए जिससे आगे चलकर नौकरी ना मिलने पर स्वंय का व्यापार स्थापित कर सके।

उद्योग धंधो की अवनति के कारण भी बेरोजगारी बढती जा रही है। आकलन के मुताबिक हर साल लाखों लोग बेरोजगार होते थे लेकिन अब इनकी संख्या करोंड़ों से भी ऊपर हो गई है। देश में महंगाई के कारन व्यापार में गिरावट हो गयी है। जिसके चलते रोजगार मिलना कम हो गया है। हमारे देश में बहुत अधिक जनसंख्या है जिस वजह से उद्योग धंधों में उन्नति की बहुत अधिक आवश्यकता है। उद्योग धंधों को सार्वजनिक क्षेत्रों में ही स्थापित किया गया है , जब तक घरेलू दस्तकारों को प्रोस्ताहन नहीं दिया जाएगा तब तक बेरोजगारी की समस्या ठीक नहीं हो सकती है। सरकार कारखानों की संख्या में वृद्धि कर रही है। उद्योग धंधों की स्थापना की जा रही है। उत्पादन क्षेत्रों को विकसित किया जा रहा है जिससे बेरोजगारी की संख्या कम हो सके।

बेरोजगारी की समस्या शहर और गाँव दोनों में उत्पन्न हो रही है। कई लोग गाँव के लोग शहरों में आकर बसने लगे हैं जिसकी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है। गांवों में लोग कृषि करना पसंद नहीं करते जिसकी वजह से गांवों की आधी जनसंख्या बेरोजगार रह जाती है। पुराने समय में वर्ण व्यवस्था में पैतृक व्यवसाय को अपना लिया गया था जिस वजह से बेरोजगारी कभी पैदा ही नहीं होती थी। जब वर्ण-व्यवस्था के भंग हो जाने से पैतृक व्यवसाय को नफरत की नजर से देखा जाता है तो बेटा पिता के व्यवसाय को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होता है। औद्योगिक शिक्षा की तरफ ज्यादा ध्यान देना चाहिए ताकि शिक्षित लोगों की बेरोजगारी को कम किया जा सके। शिक्षा से लोग स्वालम्बी होते हैं। उन लोगों में हस्तकला की भावना पैदा नहीं होती है। आधे से भी ज्यादा लोग रोजगार की तलाश में भटकते रहते हैं और बेरोजगारों की लाइन और लंबी होती चली जाती है।

सरकारी विभागों में सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी बेरोजगारी की समस्या बढती जा रही है। आज के समय में ऋषियों और साधुओं को भिक्षा देना पुण्य की बात मानी जाती है। जब स्वस्थ लोग दानियों की उदारता को देख कर भिक्षावृत्ति पर उतर आते हैं। इस प्रकार से भी बेरोजगारी की परेशानी बढती जा रही है। हमारे यहाँ के सामाजिक नियमों, वर्ण-व्यवस्था के अनुसार विशेष-विशेष वर्गों के लिए कई विशेष कार्य होते हैं। सरकारी विभागों में वर्ण-व्यवस्था के अनुसार काम दिए जाते हैं। अगर उन्हें काम मिलता है तो करते हैं वरना हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं। इस तरीके की सामाजिक व्यवस्था से भी बेरोजगारी बढती है। युवाओं में असंतोष ने समाज में अव्यवस्था और अराजकता फैला रखी हैं। हमें सरकारी नौकरियों के मोह को छोडकर उस काम को करना चाहिए जिसमें श्रम की जरूरत होती है। आज लाखों लोग अपने पैतृक व्यवसाय को छोडकर रोजगार की खोज में इधर-उधर घूम रहे है।

जनसंख्या वृद्धि को रोककर बेरोजगारी को नियंत्रित किया जा सकता है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए विवाह की आयु का नियम कठोरता से लागु किया जाना चाहिए। साथ ही शिक्षा-पद्धिति में भी सुधार करना चाहिए। शिक्षा को व्यावहारिक बनाना चाहिए। विद्यार्थियों में प्रारंभ से ही स्वालंबन की भावना को पैदा करना होगा। देश के विकास और कल्याण के लिए पंचवर्षीय योजना को चलाया गया जिससे किसी भी राष्ट्र की पहली शर्त सब लोगों को रोजगार देना होता है। लेकिन पहली पंचवर्षीय योजना से बेरोजगारी की समस्या और अधिक बढ़ गई थी। बढ़ती बेरोजगारी का समाधान है स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना, अपने देश में अधिक से अधिक उत्पाद बनेंगे तो देश में रोजगार की संख्या बढ़ेगी जिससे बेरोजगारी का मसला हल होगा।

बेरोजगारी स्वंय तथा देश की उन्नति के रास्ते में एक बड़ी समस्या है। सरकार के द्वारा बेरोजगारी को खत्म करने के लिए बहुत से कदम उठाये जा रहे हैं। बेरोजगारी उस संक्रामक बीमारी की तरह होती है जो अनेक बिमारियों को जन्म देती है। बेरोजगारी व्यक्ति की सच्चाई, ईमानदारी और दया का गला घोट देती है। बेरोजगारी लोगों को अनेक प्रकार के अत्याचार करने के लिए मजबूर करती है। सरकार को नव युवकों को उद्यम लगाने के लिए ऋण दे रही है और उन्हें उचित प्रशिक्षण देने में भी साथ दे रही है। देश के नागरिक आशा कर रहे है की आने वाले कल में बेरोजगारी की समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाए और देश की अर्थव्यवस्था और विकास मजबूत रहे।

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बेरोजगारी पर निबंध- Unemployment Essay in Hindi

बेरोजगारी पर बड़े व छोटे निबंध (200, 300, 400, 600, 700, 800 से 1000 शब्दों में )- Short and long Essay on Unemployment in Hindi .

Unemployment Essay in Hindi

भारत में कई समस्याए है उसी एक समस्या में से एक बेरोज़गारी एक प्रमुख और गंभीर समस्या के रूप में उभर कर आयी है। बेरोजगारी का अर्थ है योग्यता और प्रतिभाओं के बावजूद रोजगार के अवसर पाने में नाकामयाब होना। हमारे देश में लाखो युवको के पास डिग्री और अच्छी शिक्षा है फिर भी किसी कारणवश उन्हें नौकरी नहीं मिल पाता है। बेरोजगार व्यक्ति यानी व्यक्ति हर मुमकिन या नामुमकिन कार्य करना चाहता है मगर दुर्भाग्यवश  उसे नौकरी नहीं मिल पाती है।

Table of Contents (विषय सूची- बेरोजगारी पर बड़े व छोटे निबंध )

निबंध 200-300 शब्दों में बेरोजगारी पर निबंध प्रस्तावना सहित।.

प्रस्तावना : आधुनिक युग में बेरोजगारी एक महत्वपूर्ण समस्या बन चुकी है जो विभिन्न देशों को प्रभावित कर रही है। यह न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि समाज और राष्ट्रीय स्तर पर भी गंभीर परिणाम उत्पन्न कर रही है।

बेरोजगारी का कारण: बेरोजगारी के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि अर्थव्यवस्था की अस्थिरता, तकनीकी उन्नति के कारण कामों की संख्या में कमी, शिक्षा संस्थानों में उचित शिक्षा की अभाव, विशेषज्ञता की कमी, और सरकारी नीतियों की अनुपयुक्तता आदि।

प्रभाव : बेरोजगारी का प्रभाव समाज के विभिन्न क्षेत्रों में महसूस होता है। यह न केवल आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक समर्थन, और समाज में सामाजिक स्थिति की दृष्टि से भी गहरा परिणाम डालता है।

समाधान : बेरोजगारी को कम करने के लिए सरकारों को उचित नीतियों की प्राथमिकता देनी चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में निवेश और तकनीकी शिक्षा की महत्वपूर्णता को समझते हुए, युवाओं को उनके कौशलों के अनुसार रोजगार प्रदान करने के उपाय अपनाने चाहिए। स्वामी विवेकानंद की भारतीय युवा को शिक्षित, उद्यमी और समर्थ बनाने की प्रेरणा को मानते हुए, युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अवसर प्रदान करने चाहिए।

निष्कर्ष : बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है जिसका समाधान समाज, सरकार और व्यक्तिगत स्तर पर साथ मिलकर कर सकते हैं। उचित नीतियों के अपनाने, शिक्षा के प्रति निवेश, और युवाओं के कौशल विकास के माध्यम से हम बेरोजगारी को कम कर सकते हैं और एक समृद्धि और सकारात्मक समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

निबंध 400-500 शब्दों में – भारत में बेरोजगारी और बेरोजगारी के कारन

प्रस्तावना: बेरोजगारी एक ऐसी समस्या है जो भारतीय समाज के उन आवामी वर्गों को प्रभावित करती है, जो उचित कौशल और योग्यता के साथ होते हुए भी उचित रोजगार नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं। इस निबंध में, हम भारत में बेरोजगारी के प्रकार, कारण, समस्या और इसके समाधान पर चर्चा करेंगे।

भारत में बेरोजगारी के प्रकार: बेरोजगारी के कई प्रकार हो सकते हैं, जैसे कि विद्युत बेरोजगारी, खाद्य बेरोजगारी, नौकरी की बेरोजगारी आदि। विद्युत बेरोजगारी में विद्युत योजनाओं की कमी के कारण लोगों को बिजली साप्लाई नहीं मिलती है। खाद्य बेरोजगारी में किसानों को सही मूल्य मिलने के बावजूद वे अपनी उत्पादन को बेचने में समस्या का सामना करते हैं। नौकरी की बेरोजगारी में युवाओं को विशिष्ट क्षेत्र में उचित रोजगार की कमी होती है।

भारत में बेरोजगारी के कारण:

  • अशिक्षा और योग्यता की कमी: अधिकांश लोग अवशिष्ट शिक्षा और योग्यता के बावजूद उचित रोजगार पाने में समस्या का सामना करते हैं।
  • आर्थिक संकट: भारत की अस्थिर अर्थव्यवस्था और आर्थिक संकट के कारण नौकरियों की संख्या में कमी हो सकती है, जिससे बेरोजगारी बढ़ सकती है।
  • विशेषज्ञता की कमी: कई क्षेत्रों में विशेषज्ञता की कमी के कारण युवा व्यक्तियों को उचित कौशल नहीं होता, जिससे उन्हें सही रोजगार नहीं मिलता।
  • नौकरी की अवसादना: विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी की अवसादना होने के कारण युवा लोग बेरोजगार हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें उनकी योग्यता और कौशल के आधार पर नौकरी नहीं मिलती।
  • असमानता: भारत में आर्थिक असमानता के कारण कुछ लोगों को उचित रोजगार पाने में समस्या हो सकती है, जबकि कुछ व्यक्तियों के पास उच्चतम शिक्षा और योग्यता होती है।

भारत में बेरोजगारी की समस्या: बेरोजगारी भारतीय समाज

के लिए एक महत्वपूर्ण समस्या है, जिससे कई समसामयिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। यह समस्या सामाजिक असमानता, आर्थिक दुर्बलता, युवा पीढ़ियों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है।

बेरोजगारी की समस्या और समाधान: बेरोजगारी को कम करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार ने नौकरियों के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं, जैसे कि ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्किल इंडिया’ आदि। यह योजनाएँ युवाओं को उचित कौशल प्रशिक्षण प्रदान करके स्वयं के उद्यम का संरचना करने का अवसर प्रदान कर रही हैं।

निष्कर्ष: भारत में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है जो समाज के विकास में बाधापूर्ण रूप से प्रभावित करती है। अशिक्षा, योग्यता की कमी, आर्थिक संकट, असमानता आदि बेरोजगारी के कारण हो सकते हैं। हमें योग्यता और कौशल में सुधार करने के साथ-साथ समाज में अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के उपायों पर विचार करने की आवश्यकता है ताकि युवा पीढ़ियों को समर्पित और उत्तम रोजगार के अवसर मिल सकें।

निबंध 600-700 शब्दों में- बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध

भारत में अन्य समस्याओं की तरह बेरोज़गारी एक प्रमुख और गंभीर समस्या के रूप में उभर कर आई है। बेरोज़गारी का अर्थ है योग्यता और प्रतिभाओं के बावजूद रोजगार के अवसर पाने में नाकामयाब होना। हमारे देश में लाखों युवकों के पास डिग्री और अच्छी शिक्षा है, फिर भी किसी कारणवश उन्हें नौकरी नहीं मिल पाती है। बेरोजगार व्यक्ति यानी व्यक्ति हर मुमकिन या नामुमकिन कार्य करना चाहता है, मगर दुर्भाग्यवश उसे नौकरी नहीं मिल पाती है।

हमारे देश में बेरोजगारी जैसी समस्याएं निरंतर ज़ोर पकड़ रही हैं। लाखों युवाओं के पास उच्च शिक्षा से संबंधित डिग्रियाँ होने के बावजूद वे अपनी क्षमता के अनुसार रोजगार के अवसर पाने में असमर्थ हो रहे हैं। हर दिन युवाएँ इंटरव्यू की लम्बी कतारों में खड़ी होती हैं और आये दिन कई दफ्तरों के चक्कर लगाते हैं ताकि उन्हें एक बेहतर नौकरी मिल सके।

बेरोज़गारी के प्रकार भिन्न-भिन्न होते हैं। ‘ओपन अनरोज़’ एक ऐसी स्थिति है जहाँ श्रम बल के एक बड़े हिस्से को नौकरी नहीं मिलती, जिससे उन्हें नियमित आय मिल सके। ‘प्रछन्न बेरोज़गारी’ भारतीय कृषि को प्रभावित करती है, जहाँ अधिक श्रमिकों की उत्पादकता शून्य होती है। ‘मौसमी बेरोज़गारी’ कुछ मौसमों में होने वाली बेरोज़गारी होती है, जैसे कृषि और बर्फ कारखानों में। ‘चक्रीय बेरोज़गारी’ व्यापार चक्रों के कारण होती है, जब व्यवसायिक गतिविधियों में गिरावट आती है। ‘शिक्षित बेरोज़गारी’ में शिक्षित युवक उचित रोज़गार पाने में असमर्थ होते हैं। ‘आद्योगिक बेरोज़गारी’ में अनपढ़ व्यक्तियों के लिए रोज़गार के अवसर नहीं मिल पाते हैं।

भारत में बेरोज़गारी की वृद्धि के कई कारण हैं। जनसंख्या की वृद्धि एक प्रमुख कारण है, जो बेरोज़गारी के

अवसरों को और भी कठिन बनाती है। विशेष रूप से युवा वर्ग बढ़ रहा है और उन्हें उच्च शिक्षा की आवश्यकता होती है, लेकिन उच्च शिक्षा के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिल पाने की समस्या होती है।

सरकार द्वारा बेरोज़गारी के खिलाफ़ कई पहलुओं का समर्थन किया गया है, जैसे कौशल विकास प्रोग्राम, रोज़गार मित्र योजना, मुद्रा योजना, और नौकरी पोर्टल जैसे पहलुओं की शुरुआत की गई है। ये पहलु सहायक हो सकते हैं, लेकिन बेरोज़गारी की समस्या को हमेशा के लिए हल नहीं कर सकते।

बेरोज़गारी को कम करने के लिए एक सामग्री समाधान शिक्षा में सुधार है। युवाओं को उच्च शिक्षा के साथ-साथ उद्यमिता की भावना और नौकरी नहीं सिर्फ नौकरीदाता, बल्कि नौकरी सृजनाता भी बनने की प्रेरणा देनी चाहिए।

इस समस्या का हल ढूँढने के लिए शिक्षा, सरकारी नीतियाँ, और समाज की भागीदारी की आवश्यकता है। बेरोज़गारी को कम करने के लिए एकमात्र सरकारी प्रयास ही काफी नहीं होता है, बल्कि हम सभी को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

आपके प्रश्न के अनुसार, यहाँ पर बेरोज़गारी पर एक निबंध का प्रतिष्ठान दिया गया है। आप इस निबंध का उपयोग करके अपने प्रोजेक्ट में उपयुक्त जानकारी को शामिल कर सकते हैं।

निबंध 800-1000 शब्दों में- बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध

भारत में अन्य समस्याओं की तरह बेरोज़गारी एक प्रमुख और गंभीर समस्या के रूप में उभर कर आयी है। बेरोजगारी का अर्थ है योग्यता और प्रतिभाओं के बावजूद रोजगार के अवसर पाने में नाकामयाब होना। हमारे देश में लाखो युवको के पास डिग्री और अच्छी शिक्षा है फिर भी किसी कारणवश उन्हें नौकरी नहीं मिल पाता है। बेरोजगार व्यक्ति यानी व्यक्ति हर मुमकिन या नामुमकिन कार्य करना चाहता है मगर दुर्भाग्यवश  उसे नौकरी नहीं मिल पाती है।

हमारे देश में बेरोजगार जैसी समस्याएं निरंतर ज़ोर पकड़ रही है। हमारे देश में नौजवान के पास उच्च शिक्षा संबंधित डिग्रीयां होने के बावजूद उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार रोजगार के अवसर नहीं मिल पा रहे है। हर रोज़ युवक इंटरव्यू की लम्बी कतारों में खड़े होते है और आये दिन कई दफ्तरों के चक्कर लगाते है ताकि उन्हें एक बेहतर नौकरी मिल जाए। कुछ एक को छोड़कर कई युवको को नौकरी ना मिलने के कारण अपने हाथ मलने पड़ते है।

बेरोजगारी के प्रकार

unemployment  – यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ श्रम बल के एक बड़े हिस्से को नौकरी नहीं मिलती है जिससे उन्हें नियमित आय मिल सके। यह ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति को संदर्भित करता है जहाँ लोग काम करने के लिए इच्छुक है मगर उन्हें कार्य नहीं मिल पाता है। वह लोग काम करने में सक्षम है पर रोजगार नहीं मिल पाता है।

प्रछन्न बेरोजगारी  -यह विशेष रूप से भारतीय कृषि परिदृश्य को प्रभावित करता है। इस मामले में आवश्यकता से अधिक श्रमिक खेत पर लगे हुए है , जहाँ सभी वास्तव में उत्पादक बनाने में योगदान नहीं कर रहे है और कई श्रमिकों की उत्पादकता शून्य है। यह तब होता है जब लगभग पूरा परिवार कृषि उत्पादन में संलग्न है। कुछ लोगो के निष्कासन से उत्पादन की मात्रा कम नहीं होती। जनसँख्या में तेज़ी से वृद्धि और वैकल्पिक रोजगार के अवसरों की कमी के कारण कृषि में भीड़भाड़ को भारत में प्रछन्न बेरोजगारी के मुख्या कारणों के रूप में देखा जा सकता है।

मौसमी बेरोज़गारी  -यह बेरोजगारी है जो वर्ष के कुछ मौसमो के दौरान होती है। कुछ उद्योग और व्यवसाय जैसे कृषि और बर्फ कारखानों आदि में उत्पादन गतिविधियां केवल कुछ मौसमो में होती है। इसलिए एक वर्ष में एक निश्चित अवधि के लिए रोजगार प्रदान करते है। लेकिन बाकी महीनो में इस प्रकार की गतिविधियों में लगे लोग बेरोजगार हो जाते है।

चक्रीय बेरोजगारी  -यह नियमित अंतराल पर व्यापार चक्रो के कारण होता है। आमतौर पर पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाएं व्यापार चक्र के अधीन होती है और व्यवसायिक गतिविधियों में गिरावट आने से बेरोजगारी बढ़ती है।

शिक्षित बेरोजगारी  -सबसे भयावह तरह की बेरोजगार है जब शिक्षित युवक अपने शिक्षा के अनुरूप उचित रोजगार पाने में असमर्थ है। अच्छे शिक्षित युवक तो है लेकिन उपलब्ध नौकरियों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि नहीं हो रही है।

आद्योगिक बेरोजगारी  -यह अनपढ़ व्यक्ति जो शहरी क्षेत्रों में कारखानों में कार्य करने में इच्छुक और सक्षम है लकिन इस श्रेणी में कार्य नहीं पा सकते है।

भारत में दिन प्रतिदिन बेरोज़गारी की वृद्धि के कई कारण है। सबसे प्रमुख है जनसंख्या वृद्धि। भारत की जनसंख्या लगभग 130 करोड़ है। जनसंख्या वृद्धि एक मुख्या समस्या है जो बेरोज़गारी के लिए 100 फीसदी जिम्मेदार है। जितनी ज़्यादा जनसंख्या होगी उतनी ही रोजगार के स्तर पर मुकाबला होगा जिसमे ज़्यादातर लोगो को रोजगार के अवसर नहीं मिलेंगे अर्थात नौकरी के पोस्ट यानी पद  कम होंगे और उम्मीदवार ज़्यादा होंगे और गिने चुने लोगो को ही योग्यता अनुसार नौकरी मिलेगी।

आद्योगिक क्षेत्र में बढ़ता मशीनीकरण भी बेरोजगारी का दूसरा प्रमुख कारण है जिसके अंतर्गत एक मशीन चुटकी भर में कई लोगो के काम कर देता है जिससे कई लोग बेरोज़गार के दर पर आकर खड़े हो जाते है। मशीने कम वक़्त में जल्दी कार्य कर सकता है। इसी वजह से लोगो को रोजगार के अवसर मिलना बिलकुल ना के बराबर हो जाते है।

प्रत्येक वर्ष मशीनो के आने से लघु व्यवसाय ठप होने लगे और बेरोजगारी का दल जमा होने लगा। कंप्यूटर का अविष्कार मानवजाति के लिए महत्वपूर्ण है मगर इसने कई लोगो के रोजगार के मौको को भी छीना है।

कभी कभी लोगो को मन मारकर एक ऐसी नौकरी करनी पड़ती है जो उसकी योग्यता अनुसार नहीं है। क्यों की वह यही सोचता है कि कुछ ना करने से तो कुछ करना बेहतर है। इसी कारण उन्हें विवश होकर ऐसी नौकरी करनी पड़ती है।

कभी मनुष्य को नौकरी न मिलने से वह गलत संगत में पड़ जाता है और शार्ट कट से पैसे कमाने के चक्कर में गलत रास्ता पकड़ लेता है। सरकारे आयी और गयी लेकिन बेरोजगारी की समस्या हल होने का नाम ही नहीं लेती है। बेरोजगारी की समस्या चोरी, डैकती और गलत गैरकानूनी चीज़ो का बढ़ावा देती है।

दुनिया में हर देश में बेकारी संबंधित समस्याएं है लेकिन भारत में इस समस्या ने चरम सीमा पकड़ ली है। जनसँख्या वृद्धि जिस रफ़्तार से बढ़ रही है वह दिन दूर नहीं भारत जनसँख्या वृद्धि में पहले पायदान पर खड़ा पाया जाएगा। बेकारी का अगला प्रमुख कारण है शिक्षा प्रणाली। शिक्षा प्रणाली में कोई सुधार नहीं हुआ है यहाँ बिज़नेस संबंधित शिक्षा का अभाव देखा जा सकता है। विद्यार्थिओं को तकनिकी शिक्षा पर ज़ोर देना चाहिए।  प्रैक्टिकल क्षेत्रों पर पढ़ाने की आवश्यकता है ताकि युवक रटे रटाये नागरिक न बने। इंजीनियर तो है पर उन्हें मशीनो पर कार्य करना नहीं आता है।

स्किल डेवेलपमेंट जैसी योजनाओं को प्रोत्साहन मिलना चाहिए और युवाओं को नविन चीज़ो और वस्तुओं की खोज करने की इच्छाशक्ति प्राप्त हो ताकि देश को तरक्की की राह पर ले जा सके और विदेशी कंपनी हमारे देश के उद्योगों पर निवेश करना चाहे।

घरेलु उद्योगों को सरकार द्वारा प्रोत्साहित ना किया जाना एक  प्रमुख कारण है जिससे बेरोजगारी में इजाफा हो रहा है। बड़े व्यापारियों को बड़े रकम आसानी से प्राप्त हो जाते है मगर लघु उधोगो पर कोई ध्यान नहीं देता है। आम नागरिको को लघु उद्योगों के लिए निवेश नहीं मिल पाता है जिससे लघु उद्योगों की प्रगति रुक ही जाती है।

समस्याओं   का   समाधान

हमे अपनी शिक्षण प्रणाली को रोजगार अनुकूलित बनाना होगा। व्यावसायिक शिक्षा को महत्व देने की आवश्यकता है। जो युवक स्वंग रोजगार करने की चाह रखते है उन्हें क़र्ज़ प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए। देश में कल -कारखानों और नए उद्योगों की स्थापना करनी होगी जहाँ बेहतर रोजगार के अवसर मिल सके। सबसे पहले भ्र्ष्टाचार जो पीढ़ियों दर चली आ रही समस्याएं है जिन पर पर रोक लगाना आवश्यक है युवाओं की उम्मीदों को सही दिशा में प्रोत्साहित करना होगा ताकि वह रोज़गार अवसर हेतु नविन विचारो को तय कर सके।

भारत में बेरोजगारी मिटाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है। आये दिन सरकार कई योजनाएं ले आयी है जैसे प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना और शिक्षित बेरोजगार लोन योजना जिनका हमे सोच समझकर उपयोग करने की ज़रूरत है। गरीबी की रेखा में जीने वाले लोगो की अशिक्षा को मिटाने की पुरज़ोर कोशिश करनी होगी।

बेरोजगारी की इन समस्याओं के प्रति सरकार को और अधिक गंभीर होना चाहिए। शिक्षण प्रणाली में सुधार के संग पूरे देश को शिक्षित करना चाहिए ताकि कोई  नागरिक रोजगार से वंचित न रहे। जनसंख्या वृद्धि की समस्याओं पर पूर्णविराम लगाने की आवश्यकता है।  भारत की भीषण आबादी बेरोजगार को बढ़ावा देने में सहायक है।  सरकार को नयी योजनाओं के साथ प्रशिक्षण केंद्र और शिक्षण व्यवस्था में बदलाव लाने की आवश्यकता है। नए विकास की नीतियों के साथ भारत को आगे बढ़ना है ताकि बेरोजगारी की इस समस्या को जड़ से मिटा सके।

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बेरोजगारी पर निबंध | Berojgari Par Nibandh

बेरोजगारी पर निबंध – आजादी के इतने साल बाद भी भारत में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बनी है। इस समस्या के कारण व्यक्ति व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी नहीं होते और और न ही देश के विकास का विकास हो पता है।

भारत सरकार ने इस बेरोजगारी दूर करने के लिए कई कदम उठाये लेकिन अभी तक कोई सफलता हासिल नहीं हुई है। देश में बेरोजगारी बढ़ने से भ्रष्टाचार, आतंकवाद, चोरी, डकैती, अशांति तथा अपहरण जैसी घटनाये होने लगती है। इसलिए अगर हम थोड़े नीति-नियम बनाकर चले तो यह समस्या काफी हद तक कम हो सकती है।

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बेरोजगारी क्या है – What is Unemployment in Hindi

बेरोजगारी से तात्पर्य ऐसे लोगो से है, जिनके पास कोई काम नहीं है या फिर वो लोग जो काम नहीं करते है। जब कोई शिक्षित या अशिक्षित काम करने योग्य हो और उसे काम न मिले तो वह बेरोजगारी की क्षेणी में आ जाता है।

बेरोजगारी होने से किसी भी देश का आर्थिक विकास रुक जाता है। इसके अलावा बेरोजगारी व्यक्तिगत और पूरे समाज पर भी एक साथ कई प्रकार से नकारात्मक प्रभाव डालती है, जो बहुत चिंता का विषय है।

बेरोजगारी के कारण – Causes of Unemployment in Hindi

भारत भी एक विकासशील देश है फिर भी यहाँ पर बेरोजगारी की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। देश में बेरोजगारी बढ़ने के पीछे कई कारण हो सकते हैं है, जो निम्नलिखित हैं।

जनसंख्या में वृद्धि – आज हमारे देश में जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि हम दुनियाँ में जनता की दृष्टि से दूसरे स्थान हैं। और यदि जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित नहीं किया गया तो, वो दिन दूर नहीं जब जनसंख्या के मामले में भारत पहले नंबर पर हो जाएगा और इतनी अधिक जनसंख्या को रोजगार देना संभव नहीं है। इसलिए बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए सबसे पहले जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना चाहिए।

शिक्षा का अभाव – आजादी के इतने वर्ष बाद भी भारत शिक्षा का अभाव देशभर में है। शिक्षा का अभाव होने से रोजगार के नए अवसर लोगों को नहीं मिल पाते हैं। आज के समय में भी भारत में कई ऐसे गाँव और शहर है जहाँ पर स्कूल और कॉलेज नहीं हैं और लोगो को अपने घर से दूर जाना पड़ता है।

सभी लोग अपने बच्चों को दूर पढ़ने के लिए नहीं भेजते हैं इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे पैसे का भाव, वाहन की सुविधा न होना आदि जिस वजह से वो शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। इसके अलावा हमें स्कूल और कॉलेजों में केवल किताबी ज्ञान के बारे में बताया जाता है, जब हमें किताबी ज्ञान के साथ-साथ एक कुशल श्रमिक या उद्यमी के रूप में तैयार करना चाहिए है।

औद्योगिकरण – बेरोजगारी को नियंत्रित करने के लिए देश में औद्योगिक विकास को तेज करना चाहिए। छोटे-छोटे लघु उद्योग के उत्पादन को बड़े स्तर पर करना चाहिए, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगो को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।

मौसमी व्यवसाय – हमारे देश में ज्यादातर मौसमी व्यवसाय किया जाता है और यह व्यवसाय कुछ दिनों या महीनो तक चलता है। उसके बाद इस व्यवसाय से जुड़े लोग बेरोजगार हो जाते हैं।

यातायात की सुविधा न होना – हमारे देश में आज भी कई ऐसे गाँव और शहर हैं जहाँ पर यातायात की सुविधा नहीं है। सड़क और रेल परिवहन का विकास न होने से जो व्यक्ति जहाँ पर है वहीं रुक जाता है जिससे लोगो को रोजगार नहीं मिल पाते।

बेरोजगारी रोकने के उपाय – Solution of Unemployment in Hindi

देश में बेरोजगारी एक अभिशाप है। इससे कारण देश और लोगो की तरक्की नहीं होती है। इसलिए इसे संगठित एवं योजनाबद्ध तरीके से दूर करने का प्रयास करना चाहिए। बेरोजगारी निवारण में निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं।

जनसँख्या वृद्धि को नियंत्रित करना – हमारे देश में जिस अनुपात में रोजगार के साधन उपलब्ध उससे कई गुना जनसंख्या है। इसीलिए बेरोज़गारी दूर करने के लिए सबसे पहले जनसंख्या में वृद्धि रोकना चाहिए है। भारत सरकार जनसंख्या नियंत्रण पर एक शक्त क़ानून लाना चाहिए और देश की जनता को छोटे परिवार के प्रति चेतना जागृत करनी चाहिए।

कृषि का विकास – भारत एक कृषि प्रधान देश है यहाँ की ज्यादातर आबादी कृषि पर निर्भर है। इसलिए सरकार आधुनिक तरीके से खेती करने के लिए बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही लोगो को बीज, खाद्य, सिचाई के साधन जैसे सुविधाएं लोगो को उपलब्ध कराना चाहिए।

शिक्षा-पद्धति में सुधार – बेरोजगारी दूर करने के लिए शिक्षा-पद्धति में सुधार लाना बहुत जरुरी है। विद्यालयों और महाविद्यालयों के छात्रों में केवल किताबी ज्ञान होता है, जबकि किताबी ज्ञान के साथ-साथ एक कुशल श्रमिक या उद्यमी के रूप में छात्रों को तैयार करना चाहिए है।

लघु और कुटीर उद्योगों का विकास – इस प्रकार के उद्योग ज्यादातर छोटे शहर व ग्रामीण इलाकों में किये जाते हैं। इन उद्योगों को करने के लिए कम पूजी के आवश्यकता पड़ती हैं और परिवार के सदस्यों द्वारा आसानी से संचालित होते हैं। सरकार को लघु और कुटीर उद्योगों का विकास और पूंजी उपलब्ध करवाना चाहिए, ताकि लोग अपनी क्षमता, श्रम, कला-कौशल के अनुसार खुद का रोजगार साधन पा सकें। अतः सरकार को इनके विकास के लिये पूंजी उपलब्ध करानी चाहिए।

औद्योगिकीकरण – सरकार को लोगों के लिए रोजगार के नए-नए अवशर प्रदान करना चाहिए। साथ ही अपने व्यापार को ज्यादा से ज्यादा दूसरे देशों में भी निर्यात करना चाहिए।

बेरोजगारी के दुष्परिणाम – Bad effect Of Unemployment in Hindi

बेरोजगारी न केवल एक व्यक्ति परेशान रहता है बल्कि पूरा समाज इससे प्रभावित होता है। एक बेरोज़गार व्यक्ति अनुशासनहीन, चरित्रहीन और अपराधिक प्रवृति का होने लगता है। इस प्रकार से बेरोजगारी से व्यक्ति, परिवार, समाज और सम्पूर्ण राष्ट्र प्रभावित होता है। बेरोजगारी के दुष्परिणाम निम्नलिखित होते हैं।

पारिवारिक विघटन – एक बेरोजगार व्यक्ति केवल खुद आहत नही होता है बल्कि उसके साथ-साथ उसका परिवार भी परेशान रहता है। बेरोजगार होने से घर पर हमेशा पैसे की तंगी बनी रहती है जिससे परिवार को भरपेट भोजन, पहनने के लिए कपड़े, रहने के लिए घर और भी कई सारी चीजों से वंचित रहना पड़ता है। इसके अलावा परिवार में चिंता और कलह का माहोल बना रहता है।

आतंकवाद को बढ़ावा – बेरोजगारी आतंकवाद को बढ़ावा देती है। एक बेरोजगार व्यक्ति पैसे की तंगी को दूर करने के लिए अपराधिक प्रवृति को अपनाता है। वह पैसा बनाने के लिए आसान उपाय ढूँढने लगता है चोरी, डकैती और अन्य खतरनाक अपराधों को अंजाम देने लगता है।

राष्ट्र का नुकसान – बेरोज़गार व्यक्ति जो अपने लिए कुछ नहीं कर सकता है वो राष्ट्र के लिए क्या योगदान देगा। और जब देश में ऐसे बेरोज़गार लोगों की संख्या बढ़ने लगती है तो इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।

इन्हें भी पढ़े –

  • अग्निपथ योजना पर निबंध
  • हर घर तिरंगा पर निबंध
  • महंगाई पर निबंध
  • आपदा प्रबंधन पर निबंध
  • राष्ट्रीय एकता पर निबंध

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बेकारी या बेरोजगारी की समस्या पर निबंध Essay on Unemployment in India Hindi

बेकारी या बेरोजगारी की समस्या पर निबंध Essay on Unemployment in India Hindi

आज के इस लेख मे हमने बेकारी या बेरोजगारी पर निबंध Essay on Unemployment in India Hindi लिखा है। इसमे हमने भारत मे बेरोजगारी की समस्या, इसके प्रभाव, कारण, समाधान के विषय मे पूरी जानकारी दी है।

प्रस्तावना Introduction (बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – 900 Words)

क्या आप भारत में बेरोजगारी की समस्या का समाधान चाहते हैं? क्या आप देश में बेकारी की समस्या के कारण को जानना चाहते हैं?

अगर हाँ तो, इस लेख को पूरा पढ़ें। बेरोजगारी ने लोगों की कमर को तोड़ सा दिया है। अब पढे-लिखे लोग होने के बाद भी लोगों को नौकरी मिलना मुश्किल हो चुका है। जो लोग स्व नियोजित हो रहे वह तो कुछ हद तक

भारत में बेरोजगारी की समस्या Unemployment problem in India

आज आज़ादी के इतने सालों बाद भी हमारा देश भारत कई प्रकार की समस्याओं से उभर नहीं पाया है। इन समस्याओं में एक सबसे बड़ी समस्या है – बेरोजगारी की समस्या। बेरोजगारी का अर्थ होता है – किसी व्यक्ति को उसकी योग्यता और ज्ञान के अनुसार सही काम या नौकरी ना मिल पाना। भारत में बेरोजगारी लोगों के जीवन में दो प्रकार से आक्रमण कर रही है।

इनमें दो वर्ग स्पष्ट एवं प्रमुख हैं। पहले वर्ग में वह शिक्षित लाखों लोग आते हैं जो नौकरी और रोजी-रोटी की तलाश में दर-बदर भटक रहे हैं।  ऐसे लोगों के पास  ना ही कोई काम है और ना ही कोई पैसे कमाने का अन्य ज़रिया , जिससे कि वह एक स्वतंत्र जीवन जी सकें।

दूसरे वर्ग में वह लोग आते हैं जो नौकरी तो कर रहे हैं परंतु उससे वह इतना कम पैसा कमाते हैं कि अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी भी सही तरीके से नहीं जुटा पा रहे हैं। क्या यह बेकारी की समस्या देश के लिए बड़ी समस्या हीं है?

बेरोजगारी का प्रभाव Unemployment Effect

बेरोजगारी धीरे धीरे एक अभिशाप बनते चले जा रहा। एक बड़ी कहावत है – खाली मन शैतान का घर होता है। इसीलिए तो नौजवानों के लिए करियर के अच्छे अवसर और बेरोजगारी न होने के कारण ही समाज में लूट-पाट, चोरी-चकारी, दंगा-फसाद, और नशा जैसी बड़ी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।

अन्य शिक्षा और स्वच्छ भारत अभियान की तरह ही बेरोजगारी की समस्या का भी हल निकालने की बहुत आवश्यकता है। जब तक देश में सभी नागरिकों को उनकी योग्यता व आवश्यकता के अनुसार काम नहीं मिलता तब तक एक स्वच्छ , सुखी और उन्नत देश का निर्माण असंभव है।

बेरोजगारी का कारण Reasons of unemployment

वैसे तो भारत में बेकारी और बेरोजगारी की समस्या ब्रिटिश सरकार के कारण उत्पन्न हुई परंतु ऐसे कई देश हैं जो पूरी तरीके से ध्वंस होने पर भी आज भारत से कई गुना विकसित है। किसी पर भी दोष देकर इसका कोई लाभ नहीं क्योंकि किसी ना किसी जगह गलती हमारी भी होती है।

आज दुनिया में पैसे के मुकाबले समय का मूल्य बहुत ज्यादा है इसलिए ज्यादातर कंपनियों ने लोगों की तादाद को कम करके मशीनों से काम करना शुरु कर दिया है जिसके कारण लोगों के लिए नौकरी के अवसर कम हो गए हैं।

बेरोजगारी का समाधान Solution to unemployment

हम भारतीयों को स्वयं को ज्ञान और नए आविष्कारों के माध्यम से इतना सक्षम बनाना होगा जिससे विश्व भर के बड़ी कंपनियों को हमारी ताकत का पता चल सके और वह भारत में निवेश करें तथा अपनी कंपनियां शुरू करें।

इससे हमारे देश के लोगों को करियर के नए अवसर प्राप्त होंगे और हमारे देश को विकसित होने में मदद मिलेगी। हाल ही में सरकार ने भी भारत के नौजवानों को आगे ले जाने के लिए कई प्रकार के योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना , मुद्रा लोन योजना , आवास योजना , बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान , सुकन्या समृद्धि योजना शुरू किया है।

हमारे समाज की एक और सबसे बड़ी समस्या यह है कि ज्यादातर युवा अपनी शिक्षा के बाद नौकरी करने के विषय में बहुत सोचते हैं। जबकि हमारे युवाओं को सोचना चाहिए कि वह अपनी शिक्षा के बाद अपने ज्ञान की मदद से कोई  लघु उद्योग शुरू करें जिससे उन्हें नौकरी की जरूरत ना पड़े।

उद्योग शुरू करने का एक सबसे बड़ा लाभ यह है कि वह स्वयं तो सफल बनेंगे साथ ही उनके उद्योग के माध्यम से और भी नौजवानों और देश के नागरिकों को नौकरी के नए अवसर प्राप्त होंगे। चाहे गांव हो या शहर आप हर जगह एक छोटे से व्यापार को शुरू कर सकते हैं और अगर आपके पास शुरू करने के लिए पूंजी नहीं है तो आप बैंक से लोन लेकर भी शुरू कर सकते हैं।

हमारे देश में बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए जनसंख्या वृद्धि को रोकना होगा। आज विश्व भर में जितने भी विकसित देश हैं उनकी जनसंख्या बहुत ही कम है जिसके कारण उन देशों में नौकरी के अवसर बहुत ज्यादा है और लोग ज्यादा सफल हैं। आज देश में लोगों की बढ़ती तादाद के कारण जनसँख्या के मुकाबले रोज़गार कम पड़ जा रहे हैं और बेरोजगारी की समस्या भी बढ़ते चले जा रही हैं।

आज के इस आधुनिक युग में यातायात की सेवाओं में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है। आज हमारे देश में सड़कें, रेलें, हवाई जहाज़ , भवन निर्माण, स्कूल, कॉलेज, पर्यटन तथा अस्पताल आदि कुछ ऐसी सेवाएं हैं जिनके प्रसार की बहुत ज्यादा मांग है। इन सभी सेवाओं के विकास के लिए सरकार हर दिन नए-नए योजनाएं शुरू कर रहे हैं।

आज भारत सरकार ने शिक्षित, अल्प शिक्षित और अनपढ़ लोगों के लिए भी रोजगार के नए रास्ते खुले हैं। प्रधानमंत्री जनधन योजना बैंक अकाउंट के माध्यम से सरकार करोड़ों गरीब किसानों और गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को कई प्रकार के आर्थिक सुविधाएं भी प्रदान कर रही है।

लोगों को सरकार की इन योजनाओं से जुड़ना चाहिए और इन योजनाओं के माध्यम से अपने आने वाली पीढ़ी को शिक्षित बनाना चाहिए जिससे वह हमारे देश भारत का भविष्य बन सकें। गांव से लेकर शहर तक हर एक व्यक्ति चाहे महिला हो या पुरुष को यह प्रण लेना चाहिए कि वह जीवन में कुछ ना कुछ कार्य क र ते रहेंगे और देश से गरीबी को मिटाकर खुशहाली लाएंगे।

निष्कर्ष Conclusion

आशा करते हैं बेरोजगारी और बेकारी की समस्या पर आपको यह निबंध अच्छा लगा होगा। अगर आपको हमारा यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो अपने सोशल मीडिया अकाउंट में शेयर करके देश को आगे ले जाने में अपना योगदान दें।

3 thoughts on “बेकारी या बेरोजगारी की समस्या पर निबंध Essay on Unemployment in India Hindi”

Thanks sir essay dhene ke liye kitne accha vichar apne unemployment ke bhare mein diya hai

Yaar aap asi Aisi Dalta raha karo hum aapke is www 1 hindi kaun se Aise dikhte Rahenge

fablous fantastic essay but if one have have enough knowledge he”ll get the job.

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बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध (berojgari ki Samasya aur Samadhan par Nibandh in Hindi)

👀 इस पेज पर नीचे लिखा हुआ बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध (berojgari ki Samasya aur Samadhan par Nibandh in Hindi) आप को अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए निबंध लिखने में सहायता कर सकता है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयों पर हिंदी में निबंध मिलेंगे (👉  निबंध सूचकांक ), जिन्हे आप पढ़ सकते है, तथा आप उन सब विषयों पर अपना निबंध लिख कर साझा कर सकते हैं

बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध berojgari ki Samasya aur Samadhan par Nibandh in Hindi Unemployment Problems and Solutions Essay in Hindi

💰 बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध (berojgari ki Samasya aur Samadhan par Nibandh in Hindi) पर यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

बेरोजगारी हमारे भारत देश की एक ऐसी समस्या है, जिसमें व्यक्ति काम करने योग्य होते हुए भी रोजगार से वंचित रहता है। पढ़ा लिखा व्यक्ति हो या अनपढ़ दोनों को ही बेरोजगारी की समस्या से चार होना पड़ता है। ऐसे में कुछ लोग बेरोजगारी से तंग आकर गलत काम करते हैं, जिससे वो कमाई कर सकें। वहीं कुछ लोग तंग आकर आत्महत्या तक का सहारा ले लेते हैं। यदि इस खतरनाक समस्या का जल्द से जल्द समाधान नहीं किया गया तो यह हमारे देश को बर्बाद करके ही छोड़ेगी।

इस पोस्ट में हम आपको बेरोज़गारी की समस्या की पूरी जानकारी देंगे। साथ इस इस समस्या का समाधान कैसे करना चाहिए यह भी बताएंगे। इसलिए इस बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध (berojgari ki Samasya aur Samadhan par Nibandh in Hindi) की पोस्ट को अंत तक ज़रूर पढ़ें।

प्रस्तावना (Introduction) –

वैसे तो हमारे देश में बहुत सारी समस्याएँ हैं, जिनसे हमारा देश जूझ रहा है। लेकिन उन समस्याओं में से जो एक बहुत बड़ी समस्या है वह बेरोजगारी है। बेरोजगारी कई तरह के अपराध का कारण है। साथ ही यह गरीबी, भूखमरी यहां तक की आत्महत्या का भी एक विशेष कारण है। बेरोजगार व्यक्ति खुद को हारा हुआ और तुच्छ महसूस करता है। उसके अंदर काम करने की इच्छा, योग्यता और क्षमता होने के बावजूद भी काम न मिलने से वह अवसाद का शिकार हो जाता है। यदि इस समस्या का कोई अच्छा उपाय नहीं निकाला गया तो इससे हमारे देश और देश के लोगों दोनों को नुकसान होगा।

बेरोज़गारी क्या है (What is Unemployment in Hindi)?

जब देश में काम करने वालों को संख्या अधिक होती है और उनमें कार्य करने की क्षमता भी होती है, लेकिन उन्हें प्रचलित मजदूरी दर पर काम नहीं मिल पाता है तो ऐसी स्थिति को बेरोजगारी की स्थिति माना जाता है। इसके अलावा जो व्यक्ति इस स्थिति में होता है उसे बेरोजगार कहा जाता है।

बेरोजगारी के प्रकार (Types of Unemployment in Hindi) –

हमारे भारत देश में बेरोजगारी कई तरह की होती है। लोग चाहें अनपढ़ हों या पढ़े-लिखे लगभग सभी बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं। अलग अलग तरह के लोगों को बेरोज़गारी से परेशान देखते हुए बेरोजगारी को निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा गया है –

• सामान्य बेरोजगारी (General Unemployment) –

सामान्य बेरोजगारी वह बेरोजगारी होती है, जिसमें व्यक्ति प्रचलित मजदूरी दर पर कार्य करने के लिए तैयार होता है, लेकिन उसे काम नहीं मिल पाता।

• अक्षमता बेरोजगारी (Disability Unemployment) –

जब किसी व्यक्ति में शारीरिक या मानसिक रूप से कार्य करने की क्षमता नहीं होती तो ऐसी स्थिति को अक्षमता बेरोजगारी कहते हैं।

• स्वैच्छिक बेरोजगारी (Voluntary Unemployment) –

स्वैच्छिक बेरोजगारी वह बेरोजगारी होती है, जिसमें व्यक्ति को वर्तमान मजदूरी दर पर काम मिलता है, लेकिन वह अपनी इच्छानुसार उसे नहीं करता। यानी जब कोई व्यक्ति अपने मनचाहे रोजगार के लिए कोई अन्य रोजगार छोड़ देता है तो वह स्वैच्छिक बेरोजगारी कहलाती है।

• प्रच्छन्न बेरोजगारी (Disguised Unemployment) –

जब किसी कार्यस्थल पर आवश्यकता से अधिक लोग कार्य कर रहे होते हैं, तो वह अतिरिक्त कार्य करने वाले लोग प्रच्छन्न बेरोजगारी के अंतर्गत आते हैं। इस तरह की बेरोज़गारी ग्रामीण इलाकों में कृषि के क्षेत्र में ज़्यादा पाई जाती है, जहां पर यदि लोगों को कम भी कर दिया जाए तो उत्पादन में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

• मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment) –

मौसमी बेरोजगारी वह बेरोजगारी होती है, जिसमें कार्य समूह को साल के कुछ ही महीने काम मिल पाता है। बाकि के महीने तो बेकारी में ही चले जाते हैं।

• शिक्षित बेरोजगारी (Educated Unemployment) –

शिक्षित बेरोजगारी शिक्षित लोगों में पाई जाती है। इसके अंतर्गत व्यक्ति शिक्षित होने के बावजूद बेरोजगार रहता है।

• चक्रीय बेरोजगारी (Cyclical Unemployment) –

चक्रीय बेरोजगारी भी एक तरह की बेरोज़गारी समस्या है। ऐसी बेरोजगारी व्यक्ति के जीवन में तब उत्पन्न होती है, जब देश की अर्थव्यवस्था में चक्रीय उतार-चढ़ाव होते हैं। 

बेरोजगारी के कारण (Cause of Unemployment) –

बेरोजगारी एक ऐसी समस्या है, जिसके निम्नलिखित कारण हैं –

(1) बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण अधिक जनसंख्या है।

(2) शिक्षा प्रणाली का ठीक न होना भी बेरोजगारी का एक कारण है।

(3) निर्धनता भी बेरोजगारी का एक मुख्य कारण है। निर्धनता की वजह से व्यक्ति अच्छी शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाता, जिस कारण वह बेरोजगार रहता है।

(4) जनसंख्या वृद्धि के कारण हमारे देश की कृषि-प्रणाली काफी पिछड़ गई है, जिस कारण बेरोजगारी बढ़ी है।

(5) मशीनीकरण का होना भी बेरोजगारी का एक कारण है। पहले जो कार्य लोगों द्वारा किया जाता था, वह आज मशीनें कर रही हैं।

(6) आज वर्तमान में हमारा देश जिस बेरोजगारी से गुजर रहा है, इसका मुख्य कारण कारोना है। कोरोना जैसी महामारी ने ही पूरे देश की अर्थव्यवस्था को बिगाड़ कर रख दिया है। जितने भी लोगों को रोज़गार के लिए परीक्षा देनी थी उन सभी परीक्षाओं पर रोक लग गई।

(7) बेरोजगारी का एक कारण प्रदूषण भी है। आजकल प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ गया है कि वो लोगों के स्वास्थ्य को खराब कर रहा है और लोग बीमारी की वजह से घर से बाहर निकलकर काम करने में असमर्थ होते हैं।

बेरोजगारी निवारण के उपाय (Unemployment Measures in India) –

बेरोजगारी दूर करने के निम्नलिखित उपाय हैं –

• सरकार और आम जनता को मिलकर जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रण करना होगा।

• शिक्षा का अधिक से अधिक प्रसार करना चाहिए। साथ ही तकनीकी शिक्षा को भी बढ़ावा देना चाहिए, जिससे कि रोज़गार के अवसर बढ़ सकें।

• भारत एक कृषि-प्रधान देश है, इसलिए कृषि का विकास करके भी रोजगार को बढ़ाया जा सकता है।

• ग्रामीण क्षेत्रों में सहायक उद्योगों का विकास करके भी बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सकता है। कृषि सहायक उद्योग जैसे – मुर्गीपालन, मछली पालन, बागवानी, फूलों को खेती, दुग्ध व्यवसाय आदि का विकास करने से भी बेरोजगारी की समस्या दूर की जा सकती है।

• देश की वर्तमान अर्थव्यवस्था बिल्कुल अच्छी नहीं है। इसे ठीक करके भी बेरोजगारी की समस्या का समाधान किया जा सकता है।

• अपने आस-पास के वातावरण को साफ सुथरा और स्वच्छ रखना चाहिए, जिससे कि व्यक्ति बीमार न पड़े। साथ ही उसके मस्तिष्क पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़े।

• देखने को मिला है कि कोरोना जैसी महामारी के समय सतर्कता की कमी की वजह से ये बीमारी खूब फैली। इस कारण दफ्तरों को बंद करना पड़ा और लोग बेरोजगार हुए। ऐसी स्थिति से बचने के लिए हमेशा सैनिटाइजर और मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। सुरक्षा के सभी नियमों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। 

निष्कर्ष (Conclusion) –

बेरोजागारी एक ऐसी समस्या है, जो सिर्फ हमारी नहीं, समाज की नहीं, बल्कि पूरे देश की समस्या है। इसका निवारण हम सबको मिलकर करना होगा, तभी हम इस बेरोजगारी की गंभीर समस्या से निकल पाएंगे और हमारे देश का विकास हो पाएगा। हम सबको मिलकर जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगानी होगी। हम सबको खुद और अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देनी होगी। हमें भविष्य की पीढ़ियों को नौकरी ढूंढने वाली मानसिकता से बाहर निकाल कर नौकरी देने वाला बनाना होगा। नई-नई तकनीकी शिक्षा को हासिल करके हम न केवल खुद को बेरोजगारी से बचा सकेंगे, बल्कि अपने भारत देश को भी पिछड़ने से रोक पाएंगे।

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विनम्र अनुरोध:

इस तरह “बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध (berojgari ki Samasya aur Samadhan par Nibandh in Hindi)” पूरा होता है। इस निबंध में कोई गलती न हो, इसकी हमने पूरी कोशिश की है। फिर भी यदि इसमें किसी प्रकार की त्रुटि हो तो आप अपने सुझाव हमें ईमेल कर सकते हैं। भविष्य में हम इसी प्रकार “त्यौहार के महत्व” जैसे विभिन्न विषयों पर अच्छी गुणवत्ता के, सरल हिंदी निबंध प्रदान करते रहेंगे।

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Hindi Essay on “Bekari ki Samasya”, “बेकारी की समस्या”, Hindi Nibandh, Anuched for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

बेकारी की समस्या

Bekari ki Samasya

भूमिका- जीवन में संघर्ष का लक्ष्य सुख प्राप्त करना है। जब जीवन में किसी प्रकार का आर्कषण नहीं रहता है जब जीवन भार रूप होता है। लक्ष्य प्राप्ति होने पर जीवन मुस्कराता है। वर्तमान युग में संघर्ष बढ़े हैं और सुःख साधन होने पर भी लक्ष्य की प्राप्ति असंभव सी हो गई है। इसके मूल में अनेक कदम व्याप्त हैं। जीवन में भोजन, आवास तथा वस्त्र प्राथमिक आवश्यकताएं हैं। इनकी पूर्ति होने पर ही जीवन सहज होता है तथा प्रगति की और बढ़ते

बेकारी के रूप- जब काम करने वालों की संख्या बढ़ जाती है और काम मिलता नहीं तो बेकारी बढ़ती है। भारत एक कृषि प्रधान देश है। इसकी अधिकांश जनसंख्या गाँव में रहती है। किसान खेतों में वर्ष भर फसल पैदा नहीं करते। वे कुछ महीने खेतों में काम करते हैं और बाद में बेकार हो जाते हैं। दूसरा बेकारी का रूप पढ़े-लिखे नौजवानों का है। आज हमारे देश में पढ़े-लिखे बेरोजगारों की समस्या भयानक रूप धारण कर चुकी है। बेकारों की संख्या प्रति वर्ष लाखों में बढ़ती है। इनके अतिरिक्त समाज में ऐसे भी लोग हैं जो श्रम और मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं। इस प्रकार का श्रमिक वर्ग भी आज बेकार है।

जनसंख्या में वृद्धि- हमारे देश की जनसंख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति नौकरी चाहता है। शिक्षित व्यक्ति चाहे किसान का बेटा हो, या एक बड़े व्यापारी का शिक्षा के बाद उसका लक्ष्य नौकरी ही है। हमारी सरकार पिछले कई वर्षों से इस समस्या का समाधान ढूंढ रही है लेकिन जनसंख्या में वृद्धि इस समस्या का हल नहीं होने देती।

बेकारी के कारण- भारत में बेकारी का पहला कारण है साधनों की कमी जहां दूसरे देशों में बेकारों को काम में लगाने के लिए पर्याप्त साधन मिल जाते हैं। भारत में साधनों की कमी है। दूसरा कारण भारत में कुटीर उद्योग की बहुत कमी है। जापान कुटीर उद्योगों में सबसे उन्नत देश है और भारत सबसे पिछड़ा हुआ। भारत एक कृषिप्रधान देश है। किसान छ: महीने काम करता है और छ: महीने बेकार रहता है। कृषि योग्य भूमि की भी दिन प्रतिदिन कमी होती जा रही है। किसान गाँवों को छोड़ कर शहरों की ओर भाग रहे हैं। नौकरी की तलाश करते हैं लेकिन नौकरी मिलती नहीं। आज के युग में शिक्षित व्यक्ति भी बेकार है। उनका बेकार रहने का कारण शिक्षा प्रणाली का ठीक न होना है। आदमी नौकरी चाहता है। हर शिक्षित को नौकरी नहीं मिल सकती है। नौकरी न मिलने पर वह बेकारी महसूस करता है।

बेकारी की समस्या के समाधान के उपाय- बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए सर्वप्रथम उपाय यह हो सकता है कि युवकों को ऐसी शिक्षा दी जाए जो उन्हें काम-धन्धा दिलाने में सहायक सिद्ध हो सके।

औद्योगिक शिक्षा की और अधिक ध्यान देना चाहिए जिससे पढ़े-लिखे बेकारों की संख्या को रोका जा सके। इस समस्या का समाधान करने के लिए देश में लघ उद्योग तथा कटीर उद्योग धन्धों का विकास होना आवश्यक है। यदि शिक्षित लोग स्वावलम्बन की भावना तथा श्रम के महत्त्व को समझ कर कार्य करें तो बेरोजगारी की समस्या दूर हो सकती है।

उपसंहार- बेकारी देश की एक विकट समस्या है। खाली दिमाग शैतान का घर होता है। राजनीतिक पार्टियां इन बेकार व्यक्तियों को किराए पर लेकर उनसे दगें फसाद करवाती हैं। सरकार का यह कर्त्तव्य है कि इस स्थिति से बचने के लिए युवकों को अपना काम करने के अवसर प्रदान करे।

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जनसँख्या पर निबंध (Population Essay in Hindi)

जनसंख्या एक विशेष क्षेत्र में रहने वाले जीवों की कुल संख्या को दर्शाती है। हमारे ग्रह के कुछ हिस्सों में आबादी का तेजी से विकास चिंता का कारण बन गया है। जनसंख्या को आमतौर पर किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या के रूप में जाना जाता है। हालांकि यह उन जीवों की संख्या को भी परिभाषित करता है जो इंटरब्रिड कर सकते हैं। कुछ देशों में मानव जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। इन देशों को मानव नियंत्रण उपायों को नियंत्रित करने की सलाह दी जा रही है।

जनसँख्या पर छोटे तथा लंबे निबंध (Short and Long Essay on Population in Hindi, Jansankhya par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द): जनसंख्या वृद्धि के कारण.

जनसंख्या एक जगह पर रहने वाले लोगों की संख्या को दर्शाने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आबादी का घनत्व भिन्न-भिन्न कारणों से अलग-अलग होता है।

जनसंख्या का असमान वितरण

धरती पर जनसंख्या असमान रूप से वितरित है। जहाँ कुछ देश ऐसे हैं जो आबादी विस्फोट की समस्या का सामना कर रहे हैं वही कई देश कम आबादी वाले भी हैं। ऐसा सिर्फ मानव आबादी के मामले में नहीं है। यही बात जानवरों और अन्य जीवों के मामलों में भी देखी जाती है। कुछ जगहों पर आपको अधिक संख्या में जानवर दिखाई देंगे जबकि कुछ जगहों पर आपको शायद ही कोई जानवर देखने को मिलेगा।

चीजें जो जनसंख्या घनत्व प्रभावित करती हैं

किसी भी क्षेत्र में आबादी के घनत्व की गणना उस क्षेत्र की कुल संख्या को लोगों द्वारा विभाजित करके की जाती है। कई कारणों से जनसंख्या का घनत्व अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग होता है। कुछ कारक जो किसी क्षेत्र में आबादी की घनत्व को प्रभावित करते हैं वे इस प्रकार हैं:

अत्यंत गर्म या ठंडे मौसम वाले स्थान बहुत कम आबादी के हैं। दूसरी ओर जिन स्थानों पर लोग मध्यम जलवायु का आनंद लेते हैं वे घनी आबादी वाले हैं।

तेल, लकड़ी, कोयले जैसे संसाधनों की अच्छी उपलब्धता वाले क्षेत्रों में आबादी घनी होती है जहाँ इन बुनियादी संसाधनों की कमी होती है वे क्षेत्र कम आबादी वाले हैं।

  • राजनीतिक माहौल

जिन देशों में एक स्थिर सरकार और एक स्वस्थ राजनीतिक वातावरण है वे क्षेत्र घनी आबादी वाले हैं। ये देश दूसरे इलाकों से आबादी को आकर्षित करते हैं जिससे उस क्षेत्र की आबादी में बढ़ोतरी होती है। दूसरी ओर गरीब या अस्थिर सरकार वाले देश के कई लोग किसी अच्छे अवसर की उपलब्धता को देखकर उस जगह को छोड़कर चले जाते हैं।

विकसित देशों जैसे यू.एस.ए. बहुत सारे आप्रवासियों को आकर्षित करते हैं क्योंकि वे लोगों को बहुत बेहतर पैकेज और एक अच्छा मानक जीवन प्रदान करते हैं। दुनिया के विभिन्न हिस्सों के लोग ऐसे देशों में आकर बसते हैं। यही कारण है कि ऐसे देशों में आबादी का घनत्व बढ़ रहा है।

भले ही दुनिया भर में कुछ जगहों में जनसंख्या का घनत्व कम हो फिर भी पिछले कुछ दशकों में देश की कुल जनसंख्या में वृद्धि हुई है और आने वाले समय में कई गुना बढ़ने की संभावना है।

निबंध 2 (400 शब्द) – भारत में बढ़ती जनसंख्या व जनसंख्या नियंत्रण

जनसंख्या का मतलब एक विशेष स्थान पर रहने वाले कुल जीवों की संख्या है। दुनिया के कई हिस्सों में मुख्य रूप से गरीब देशों में मानव आबादी का विकास चिंता का विषय बन गया है। दूसरी ओर ऐसे भी स्थान हैं जहां जनसंख्या की दर बहुत कम है।

बढ़ती जनसंख्या – भारत में एक बड़ी समस्या

भारत को बढ़ती आबादी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। दुनिया की करीब 17% आबादी भारत में रहती है जिससे यह दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है। लगभग हर विकासशील देश की तरह भारत में जनसंख्या की वृद्धि के लिए कई कारण हैं। भारत में आबादी के विकास के मुख्य कारणों में से एक निरक्षरता है। अशिक्षित और गरीब वर्ग के लोग अधिक संख्या में बच्चों को जन्म देते हैं। इसके लिए दो कारण हैं।

सबसे पहले उनके लिए अधिक बच्चे काम करने और परिवार के लिए पैसे कमाने में मदद करते हैं। दूसरा उनमें से ज्यादातर जन्म नियंत्रण विधियों के बारे में नहीं जानते हैं। प्रारंभिक विवाह के परिणामस्वरूप बच्चों की संख्या अधिक होती है। आबादी में वृद्धि की वजह से मृत्यु दर कम हो सकती है। विभिन्न बीमारियों के लिए इलाज़ और उपचार विकसित किए गए हैं और इस तरह मृत्यु दर में कमी आई है।

भारत में जनसंख्या नियंत्रण के लिए उठाए गए कदम

भारतीय जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • न्यूनतम विवाहयोग्य आयु

सरकार ने पुरुषों के लिए न्यूनतम विवाह योग्य आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 साल तय की है। हालांकि इस पर कोई कड़ी जांच नहीं है। देश के ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में लोग अभी भी कम उम्र में अपने बच्चों की शादी करते हैं। सरकार को शादी की न्यूनतम उम्र में वृद्धि करना चाहिए और इसके लिए जांच भी कड़ी करनी चाहिए।

  • मुफ्त शिक्षा

भारत सरकार ने बच्चों को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा कानून के अधिकार के जरिए देश के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई है। जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक और तरीका है निरक्षरता को समाप्त करना।

  • दत्तक ग्रहण को बढ़ावा देना

भारत सरकार बच्चों को गोद लेने को भी बढ़ावा दे रही है। ऐसे कई लोग हैं जो विभिन्न कारणों की वजह से अपने बच्चों को जन्म देते हैं। अपने स्वयं के बच्चे करने की बजाए बच्चों को अपनाना जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक अच्छा तरीका है।

भारत में बढ़ती आबादी गंभीर चिंता का विषय है। हालांकि सरकार ने इस पर नियंत्रण रखने के लिए कुछ कदम उठाए हैं लेकिन ये नियंत्रण पर्याप्त प्रभावी नहीं हैं। इस मुद्दे को रोकने के लिए कई अन्य उपाय किए जाने की आवश्यकता है।

निबंध 3 (500 शब्द) – मानव विज्ञान, प्रौद्योगिकी व जनसंख्या विस्फोट

जनसंख्या सामान्यतः एक विशेष क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या को दर्शाती है। हालांकि आबादी शब्द का मतलब केवल मानव आबादी ही नहीं है बल्कि वन्यजीव आबादी और जानवरों तथा अन्य जीवित जीवों की कुल आबादी की पुनरुत्पादन करने की क्षमता है। विडंबना यह है कि जहाँ मानव आबादी तेजी से बढ़ रही है तो जानवरों की आबादी कम हो रही है।

कैसे मानव विज्ञान और प्रौद्योगिकी मानव जनसंख्या विस्फोट को बढ़ावा दिया है ?

कई कारक हैं जो पिछले कुछ दशकों से दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जनसंख्या विस्फोट को बढ़ावा दे रहे हैं। प्रमुख कारकों में से एक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति है। जहाँ पहले जन्म दर और मनुष्य की मृत्यु दर के बीच एक संतुलन था चिकित्सा विज्ञान में प्रगति ने उसमें असंतुलन पैदा कर दिया है। कई बीमारियों का इलाज करने के लिए दवाएं और आधुनिक चिकित्सा उपकरणों को विकसित किया गया है। इन की मदद से मनुष्य मृत्यु दर कम हो गई है और इससे जनसंख्या में वृद्धि हो गई है।

इसके अलावा तकनीकी विकास ने भी औद्योगीकरण को रास्ता दिखाया है। हालांकि पहले ज्यादातर लोग कृषि गतिविधियों में शामिल थे और उसी के माध्यम से अपनी आजीविका अर्जित करते थे पर अब कई अलग-अलग कारखानों में नौकरी करने की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे क्षेत्रों की आबादी, जहां इन उद्योगों की स्थापना की जाती है, दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

वन्यजीव जनसंख्या पर मानव जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव

जहाँ मानव आबादी विस्फोट के कगार पर है वहीं वन्यजीव आबादी समय गुज़रने के साथ कम हो रही है। पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों की आबादी काफी कम हो गई है जिसका केवल मनुष्य को ही जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इनमें से कुछ विवरण नीचे दिए गए हैं:

  • वनों की कटाई

वन्यजीव जानवर जंगलों में रहते हैं। वनों की कटाई का अर्थ है उनके आवास को नष्ट करना। फिर भी मनुष्य निर्दयता से अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जंगलों को काट और नष्ट कर रहा है। जानवरों की कई प्रजातियों में भी कमी आई है और कई लोग अन्य अपने निवास की गिरती गुणवत्ता या नुकसान के कारण विलुप्त हो गए हैं।

  • बढ़ता प्रदूषण

बढ़ता हवा, पानी और भूमि प्रदूषण एक और प्रमुख कारण है कि कई जानवरों की कम उम्र में मृत्यु हो जाती है। पशुओं की कई प्रजातियां बढ़ते प्रदूषण का सामना करने में सक्षम नहीं हैं। उन्हें इसके कारण कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है और उसके घातक परिणामों का सामना करना पड़ता है।

  • जलवायु में परिवर्तन

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जलवायु काफी तेजी से बदल गई है। कई क्षेत्र जिनमें पहले मध्यम बारिश होती थी वहां अब हालात बाढ़ की तरह दिखाई देने लगे हैं। इसी तरह गर्मी के मौसम में हल्के गर्म रहने वाले क्षेत्र अब बेहद गर्म मौसम का अनुभव करते हैं। जहाँ मनुष्य ऐसी स्थितियों के अनुकूल होने के लिए तैयार होते हैं वहीं जानवर इसका सामना नहीं कर सकते।

मनुष्य ने हमेशा अपने पौधों, जानवरों और उनके आसपास के समग्र वातावरण पर प्रभाव की अनदेखी करते हुए अपने आराम और सुख के बारे में सोचा है। अगर मनुष्य इस तरह से व्यवहार करते रहे तो पृथ्वी मनुष्य के अस्तित्व के लिए अब फिट नहीं रहेगी। यह सही समय है कि हमें मानव आबादी को नियंत्रित करने और साथ ही हमारे ग्रह को बर्बाद कर रही प्रथाओं को नियंत्रित करने के महत्व को स्वीकार करना चाहिए।

Essay on Population in Hindi

निबंध 4 (600 शब्द) – जनसंख्या नियंत्रण क्यों आवश्यक है व इसके उपाय क्या हैं

जनसंख्या एक क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या को दर्शाती है। यह न केवल मनुष्यों को संदर्भित करती है बल्कि जीवित जीवों के अन्य रूपों को भी संदर्भित करती है जिनमें पैदा करने और गुणा करने की क्षमता होती है। पृथ्वी के कई हिस्सों में जनसंख्या बढ़ रही है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकार विभिन्न तरीकों से इस मुद्दे को रोकने की कोशिश कर रही है लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए अभी भी बहुत कुछ करना होगा।

जनसंख्या को नियंत्रित करना क्यों आवश्यक है ?

आबादी की बढ़ती दर कई समस्याओं का कारण है। विकासशील देश विकसित देशों के स्तर तक पहुंचने में कड़ी मेहनत कर रहे हैं और इन देशों में जनसंख्या में तेजी से वृद्धि इस दिशा में मुख्य बाधाओं में से एक है। बढ़ती आबादी के कारण बेरोजगारी की समस्या उच्चतम स्तर पर है। नौकरियों की तलाश में कई लोग हैं लेकिन रिक्तियां सीमित हैं। बेरोजगारी गरीबी का कारण है जो एक और समस्या है। यह लोगों के बीच असंतोष पैदा करती है और अपराध को जन्म देती है। जो लोग अपनी वांछित नौकरियां प्राप्त नहीं कर पाते वे अक्सर पैसे कमाने के लिए अवांछित तरीके अपनाते हैं।

यह भी समझना चाहिए कि संसाधन सीमित हैं लेकिन लोगों की बढ़ती संख्या के कारण मांग बढ़ रही है। वनों को काटा जा रहा है और उनकी जगह विशाल कार्यालय और आवासीय भवन बनाए जा रहे हैं। क्यां करे? यह बढ़ती आबादी को समायोजित करने के लिए किया जा रहा है। प्राकृतिक संसाधन तेजी से कम हो रहे हैं क्योंकि अधिक संख्या में लोग उनका उपयोग कर रहे हैं। यह पर्यावरण में असंतुलन पैदा कर रहा है। लोगों की मांगों को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे पर्यावरण का क्षरण ही नहीं बल्कि जीवन की लागत भी बढ़ जाती है। इस प्रकार आबादी को नियंत्रित करना आज के समय की आवश्यकता बन गया है। पर्यावरण में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने के लिए यह आवश्यक है। इससे लोगों के लिए बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित होगा।

मानव जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए संभावित कदम

मानव आबादी को नियंत्रित करने के लिए यहां कुछ संभावित कदम दिए गए हैं:

गरीब और अशिक्षित वर्गों के लोग अधिकतर परिवार नियोजन योजना नहीं बनाते हैं। वे महिलाओं को एक के बाद एक बच्चे पैदा करने की मशीन के रूप में देखते हैं। लोगों को शिक्षित करना आवश्यक है। सरकार को सभी के लिए शिक्षा आवश्यक बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए।

  • परिवार नियोजन

परिवार के नियोजन के महत्व के बारे में लोगों को संवेदनशील बनाना सरकार के लिए आवश्यक है। यह रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट और संचार के अन्य रूपों के माध्यम से बार-बार किया जाना चाहिए।

  • मौद्रिक लाभ

सरकार को करों से छूट या उन परिवारों को अन्य मौद्रिक लाभ प्रदान करना चाहिए जिनके पास एक बच्चा है। चूंकि आज लोग पैसे के पीछे भाग रहे हैं इसलिए आबादी को नियंत्रित करने की दिशा में यह एक प्रभावी कदम होगा। कुछ देशों की सरकारें पहले ही ऐसी नीतियों को लागू कर चुकी हैं।

  • जुर्माना या दंड

जैसे सरकार उन लोगों को मौद्रिक लाभ प्रदान कर सकती है जो समुचित परिवार नियोजन करते हैं उसी तरह उन पर पैसों के रूप में जुर्माना भी लगा सकती है जो ऐसा नहीं करती है। दो से अधिक बच्चों वाले परिवारों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए।

  • सख्त मॉनिटरिंग

सरकार को केवल उपर्युक्त बिंदुओं को लागू नहीं करना चाहिए बल्कि इनकी एकदम सही जांच भी करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोग उनका पालन करें।

लोगों को आबादी नियंत्रित करने के महत्व को समझना चाहिए। यह न केवल उन्हें स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण तथा बेहतर जीवन स्तर प्रदान करेगा बल्कि अपने देश के समग्र विकास में भी मदद करेगा। सरकार को भी इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और जनसंख्या नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए उचित नियम और नीतियां बनानी चाहिए। इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए दोनों सार्वजनिक और सरकार को एक साथ काम करने की आवश्यकता है।

FAQs: Frequently Asked Questions on Population (जनसँख्या पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- वेटिकन सिटी

उत्तर- उत्तर प्रदेश की

उत्तर- शिक्षा एवं परिवार नियोजन के प्रति जागरुकता।

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    बेरोजगारी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Unemployment Essay in Hindi. ByJiya Iman. आज हम आपके लिए बेरोजगारी पर निबंध लेकर आये हैं, आज बेरोजगारी की समस्या बेहद ...

  6. बेरोजगारी की समस्या पर निबंध

    Article shared by: ADVERTISEMENTS: बेरोजगारी की समस्या पर निबंध | Essay on Unemployment in Hindi! बेरोजगारी देश के सम्मुख एक प्रमुख समस्या है जो प्रगति के मार्ग को तेजी से ...

  7. Berojgari Essay In Hindi बेरोजगारी पर निबंध कारण, निवारण, और निष्कर्ष

    Berojgari Essay In Hindi बेरोजगारी पर निबंध कारण, निवारण, और निष्कर्ष : बेरोजगारी भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। ऐसे

  8. बेरोजगारी की समस्या पर निबंध: Unemployment Essay in Hindi

    बेरोजगारी की समस्या आज देश का सबसे बड़ा मुद्दा बना गया है. तो आज हम आपसे बात करेंगे Berojgari ki Samasya par Nibandh के बारे में.

  9. बेरोजगारी की समस्या पर निबंध-Berojgari Ki Samasya Essay In Hindi

    भारत के गाँव पर निबंध-Essay On Indian Village In Hindi डॉ मनमोहन सिंह पर निबंध-Dr. Manmohan Singh in Hindi मानव और विज्ञान पर निबंध-Science and Human Entertainment Essay In Hindi

  10. बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध

    बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध - Essay On Unemployment Problem And Solution In Hindi. संकेत बिंदु -. साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से ...

  11. बेरोजगारी पर निबंध

    Essay In Hindi कक्षा 1 से 4 के लिए निबंध कक्षा 5 से 9 के लिए निबंध कक्षा 10 से 12 के लिए निबंध प्रतियोगी परीक्षा के लिए निबंध ऋतुओं पर निबंध त्योहारों ...

  12. बेरोजगारी पर निबंध- Unemployment Essay in Hindi

    बेरोजगारी पर निबंध- Unemployment Essay in Hindi. August 25, 2023 by harun shekh. 3.6/5 - (7 votes) बेरोजगारी पर बड़े व छोटे निबंध (200, 300, 400, 600, 700, 800 से 1000 शब्दों में )- Short and long Essay on Unemployment in Hindi . भारत ...

  13. बेरोजगारी पर निबंध

    बेरोजगारी पर निबंध हिंदी में। देश में बेरोजगारी बढ़ने से आर्थिक विकास रुक जाता है। berojgari par nibandh,berojgari ki samasya par nibandh,berojgari ki samasya essay in hindi

  14. Berojgari ki samasya Essay in Hindi

    Berojgari ki samasya Essay in Hindi 2021. बेरोजगारी के कारण. बढ़ती हुई जनसंख्या. लघु उद्योग नष्ट होना. बढ़ती हुई जनसंख्या. उद्योगों का कम होना. शिक्षा प्रणाली ...

  15. Essay on Unemployment in Hindi

    Unemployment Essay in Hindi Language- Berojgari Essay in Hindi - बेरोजगारी पर निबंध: Paragraph & Short Essay on Unemployment in Hindi Language for students of all Classes in 100, 250, 300, 500 words.

  16. गरीबी पर निबंध

    गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / January 13, 2017. गरीबी किसी भी व्यक्ति या इंसान के लिये अत्यधिक निर्धन होने की स्थिति है। ये एक ऐसी ...

  17. बेकारी या बेरोजगारी की समस्या पर निबंध Essay on Unemployment in India Hindi

    आज के इस लेख मे हमने बेकारी या बेरोजगारी पर निबंध Essay on Unemployment in India Hindi लिखा है। इसमे हमने भारत मे बेरोजगारी की समस्या, इसके प्रभाव, कारण, समाधान के विषय मे पूरी ...

  18. Berojgari Ki Samasya Aur Samadhan Par Nibandh In Hindi

    विनम्र अनुरोध: इस तरह "बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध (berojgari ki Samasya aur Samadhan par Nibandh in Hindi)" पूरा होता है। इस निबंध में कोई गलती न हो, इसकी ...

  19. Hindi Essay on "Berojgari ki Samasya" , " बेरोजगारी की समस्या" Complete

    बेरोजगारी की समस्या . Berojgari ki Samasya. बेरोजगारी देश के सम्मुख एक प्रमुख समस्या है जो प्रगति के मार्ग को तेजी से अवरूद्ध करती है। यहाँ पर बेरोजगार युवक ...

  20. बेरोजगारी की समस्या पर निबंध

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  21. Hindi Essay, Paragraph, Speech on "Berojgari ki Samasya", "बेरोजगारी की

    Hindi Essay, Paragraph, Speech on "Berojgari ki Samasya", "बेरोजगारी की समस्या" Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes. About. Vision; Website Inauguration Function. Vocational Placement Cell Inauguration; Media Coverage.

  22. Hindi Essay on "Bekari ki Samasya", "बेकारी की समस्या", Hindi Nibandh

    Hindi Essay on "Bekari ki Samasya", "बेकारी की समस्या", Hindi Nibandh, Anuched for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations. Absolute-Study October 21, 2019 Hindi Essays No Comments

  23. जनसँख्या पर निबंध (Population Essay in Hindi)

    संत रविदास पर निबंध (Sant Ravidas Essay in Hindi) स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay in Hindi) हमें सुधार करने में मदद के लिए अपने बहुमूल्य सुझाव प्रदान ...