

नशीली दवाओं के सेवन पर निबंध Essay on Drug Abuse in Hindi -Drug Addiction

मादक द्रव्य और नशीली दवाओं के सेवन पर निबंध Essay on Drug Abuse in Hindi (Drug Addiction Information)
आज के समय में मादक पदार्थों का सेवन एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। युवाओ का एक बड़ा वर्ग इसकी चपेट में आ गया है। कोकीन (चरस, हशीश), हेरोइन, अफीम, गांजा(मारिजुआना), शराब, व्हिस्की, रम, बियर, ब्राउन शुगर, हशीश, भांग जैसे नशीले पदार्थो का सेवन करके लोग अपना जीवन खराब कर रहे है।
ये पदार्थ कुछ समय के लिए नशा देते है जिसमे व्यक्ति को सुखद अनुभूति होती है, पर जैसे ही नशा खत्म होता है व्यक्ति फिर से उसे लेना चाहता है। कुछ ही दिनों में उसे इन पदार्थो की लत लग जाती है।
स्कूल, कॉलेजो में ड्रग्स, नशीली गोलियां चोरी छिपे बेचीं जा रही है जो युवाओं के भविष्य को नष्ट कर रही है। इन मादक पदार्थों का सेवन करने के बाद जल्द ही इसकी लत लग जाती है। उसके बाद लोग चाहकर भी इसे छोड़ नही पाते हैं।
बच्चे अपनी पॉकेट मनी को खर्च करके इसे लेने लग जाते हैं। जल्द ही यह सेवन करने वाले व्यक्ति को पूरी तरह से बर्बाद कर देती है। आज देश के कई राज्यों में इन मादक पदार्थों/ ड्रग्स को चोरी छिपे बेचा जा रहा है।
पंजाब जैसे राज्यों में नशीले पदार्थो के सेवन ने एक विकराल रूप धारण कर लिया है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई जैसे महानगरो में रेव पार्टिस में लोग इसका अधिक सेवन करते हैं। आमतौर पर पैसे वाले लोग इसका जादा शिकार होते है।
Table of Content
नशीली दवाओं के सेवन पर निबंध Essay on Drug Abuse in Hindi (Drug Addiction Information)
प्रमुख नशीले पदार्थ common drugs and narcotics.
कुछ प्रमुख नशीले पदार्थ –
- कोकीन (चरस), हेरोइन, अफीम, गांजा(मारिजुआना), शराब, व्हिस्की, रम, बियर, ब्राउन शुगर, भांग
- डॉक्टर द्वारा लिखी गयी- नींद की गोलियां, तनाव, चिंता, अवसाद कम करने वाली गोलियां
- कफ सीरप जैसे कोरेक्स का सेवन
- तम्बाकू वाले पदार्थ जैसे- बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, खैनी, जर्दा, पान मसाला
- वाष्पशील विलायक जैसे- नेल पॉलिश रिमूवर (Nail Polish Remover), पेट्रोल, पेंट (Paint)
मादक पदार्थ लेने के कारण REASONS OF DRUG ABUSE
इसके पीछे निम्न कारण है-
- आनन्द पाने के लिए युवा और अधेड़ दोनों वर्गों के लोग इसका सेवन करते हैं। इसके सेवन से कुछ समय के लिए शरीर में ताकत रहती है, मनोबल, आत्मविश्वास बढ़ जाता है। लोगो को इसका प्रयोग उपयोगी लगने लगता है।
- आजकल की महंगी जीवनशैली में माता-पिता दोनों ही पैसा कमाने के लिए नौकरियां करने लगे है। वो बच्चो का ख्याल नही रख पाते है। जादातर माता-पिता सुबह घर से निकलते है और रात में घर वापिस आते है। वो बच्चो को जेब खर्च के लिए अधिक से अधिक पैसा देते है जिससे वो ड्रग्स जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करने लग जाते है। कई बार बच्चे अपने अकेलापन को दूर करने के लिए नशीले पदार्थों का सेवन करने लग जाते हैं। उन्हें सही तरह का मार्गदर्शन नही मिलने के कारण वो भटक जाते हैं।
- अपने दोस्तों के प्रभाव में आकर बच्चे सबसे पहले ड्रग्स लेना शुरू करते हैं। वो इसे शौक-शौक में लेते है पर जल्द ही इसकी लत लग जाती है। कई बच्चे इसको फैशन समझने लगे हैं। अमीर बच्चो में ये समस्या कुछ जादा ही है। ये नशीले पदार्थ बहुत महंगे होते है, पर अमीर घर के बच्चे इसे आसानी से खरीद लेते है।
- कुछ लोग अपने दुःख दर्दों, जीवन की समस्याओं से पलायन करने के लिए नशीले पदार्थों का सेवन करने लग जाते है।
- कुछ लोग बोरियत, अनिद्रा, गुस्से से बचने के लिए इसका सेवन करते है।
मादक पदार्थो के सेवन का प्रभाव EFFECTS OF DRUG ABUSE
मादक पदार्थो के सेवन का निम्न दुष्परिणाम निकलता है-
- नशीले पदार्थो की लत लग जाने के बाद कुछ भी अच्छा नही लगता है। बार-बार नशीला पदार्थ लेने की तलब लगती है। व्यक्ति अपने भविष्य के बारे में कुछ नही सोच पाता है। जब वो पदार्थ नही लेता है तो उसे बड़ी बेचैनी लगती है। बदन दर्द होता है। चिड़चिड़ापन, भूख न लगना, गुस्सा, हाथ पैरो में दर्द और भारीपन, शरीर कांपना, अनियंत्रित रक्तचाप, उलटी मितली आना, जैसे लक्षण दिखने लग जाते हैं।
- इन नशीले पदार्थों का मस्तिष्क, यकृत, ह्रदय, गुर्दों पर बुरा प्रभाव होता है। हार्टअटैक का खतरा बढ़ जाता है।
- व्यक्ति अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों से विमुख हो जाता है। वो अपने रुचिकर कार्यों से भी विमुख हो जाता है।
- नशे के प्रभाव में व्यक्ति दूसरे लोगो के साथ बुरा व्यवहार करता है। महिलाओं से छेड़खानी, बलात्कार, हिंसा , आत्महत्या, मोटरवाहन दुर्घटना, हत्या, असुरक्षित यौन सम्बन्ध, बाल शोषण, घरेलू हिंसा जैसे अपराध नशीले पदार्थो के सेवन के बाद हो जाते है।
- मादक पदार्थों के सेवन के लिए व्यक्ति अपने सारे पैसे खर्च कर देता है। दूसरे लोगो के पैसे चोरी करने लग जाता है। कई बार वो अपनी जमीन, मकान, कार, घर का सामान, गहने और दूसरी सम्पदा भी नशा करने के लिए बेच देता है। व्यक्ति की आर्थिक स्तिथि बद से बदतर होती चली जाती है।
मादक पदार्थो की लत से कैसे बचे? HOW TO OVERCOME DRUGS ADDICTION?
नशीले पदार्थो के सेवन के लिए निम्न उपाय अपनायें –
- अपने मन में नशे की लत को छोड़ने की ठान लीजिये। मन में प्रबल इक्षा होना जरूरी है।
- पुनर्वास केंद्र/ नशा मुक्तिकेंद्र (Rehabilitation Centre) में भर्ती होना अच्छा विकल्प है। वहां पर और भी लोग आते है। सबका इलाज एक साथ डॉक्टरों की देख रेख में किया जाता है। समूह चिकित्सा (Group Therapy) में मरीज का इलाज किया जाता है।
- मनोवैज्ञानिक पद्धति से रोगी का इलाज किया जाता है।
- ध्यान और योग के द्वारा भी मादक पदार्थो की लत को छोड़ा जा सकता है।
- हर समय अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और हितैषियों के साथ रहे। जब आप उनके सामने हर समय रहेंगे तो आपको नशा करने का मौका ही नही मिलेगा।
- नशे से ग्रस्त रोगियों को रोज डायरी लिखनी चाहिये। ऐसा करने से बहुत लाभ होता है। जीवन की हर एक बात लिखनी चाहिये। नशा करने के बाद के दुषपरिणामो को लिखने से व्यक्ति को आभास होता है की किस तरह उसकी जिन्दगी नशे से खराब हो रही है।
निष्कर्ष CONCLUSION
नशीले पदार्थो का सेवन कुछ मिनटों के लिए आनन्द देता है पर इसके दूरगामी दुष्परिणाम होते है। यह व्यक्ति को धीरे धीरे निगल जाता है और उसके जीवन को हर तरह से बर्बाद कर देता है। ऐसे लोग आये दिन लोगो से झगड़ा करने लगते है, ऑफिस या कार्यस्थल पर साथी कर्मचारियों के साथ मारपीट, दुर्व्यवहार शुरू कर देते है।
काम करते हुए दुर्घटना ग्रस्त हो जाना, सस्पेंड होना, बार बार नौकरी बदलना, नौकरी छोड़ना, चिड़चिड़ा और गुस्सैल स्वभाव दिखाने से व्यक्ति का सब कुछ खत्म हो जाता है। व्यक्ति के बुरे दिन शुरू हो जाते है। अतः हमे नशीले पदार्थो का सेवन बिलकुल नही करना चाहिये। जो लोग इस समस्या से ग्रस्त है उनको दृढ़ निश्चय करके इसे छोड़ देना चाहिये। याद रखे नशा एक जहर है।
14 thoughts on “नशीली दवाओं के सेवन पर निबंध Essay on Drug Abuse in Hindi -Drug Addiction”
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Day Against Drug Abuse: नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ बहुआयामी दृष्टिकोण की जरूरत

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संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के कारण बढ़ती बेरोजगारी और घटते अवसरों का सबसे ज्यादा असर निर्धनतम समुदायों पर हो रहा है और मादक पदार्थों (ड्रग्स) या नशे की लत का शिकार होने की आशंका है।

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केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार देश में ड्रग का खतरा बढ़ता जा रहा है और युवा इसके शिकार होते जा रहे हैं। इसलिए गृह मंत्रालय ने भी ड्रग्स के खिलाफ जंग को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
राष्ट्रीय व्यापक सर्वेक्षण 2019 के अनुसार, देश में 2.1% लोग (करीब 2.26 करोड़ से अधिक) लोग ड्रग के शिकार हैं, वास्तविक आंकड़े कई गुणा अधिक होंगे। इस समूह में 10-17 वर्ष के आयु वर्ग के लोग भी हैं।
सरकारी आंकड़ों में बहुत ज्यादा नशा करने की वजह से 2017 में 745, 2018 में 875 एवं 2019 में लोगों की मौत हुई। सबसे ज्यादा मौत राजस्थान, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में हुई। इनमें 30 से 45 आयु वर्ग के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। नशाखोरी से उपजी समस्याओं के चलते औसतन सात आठ लोग रोज आत्महत्या करते हैं।
भारत में एनडीपीएस कानून में व्यक्ति को किसी भी मादक दवा या मनोदैहिक पदार्थ के उत्पादन, रखने, बेचने, खरीदने, परिवहन, भंडारण और/या उपभोग करने सजा का प्रावधान है। इस कानून में चल रहे अपराध पर बारीकी से देखें तो पता चलता है कि हम उपयोग करने वाले शख्स एवं कुछ छोटे-मोटे बिचैलिए पर अपना शिकंजा कसते हैं। मास्टरमाइंड कानून की पकड़ से दूर ही रहते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2020 में कुल 59,806 मामले में से 33,246 के पास नशा करने के लिए ड्रग्स मिला।

15 अगस्त 2020 को नशीले पदार्थों के सेवन की समस्या से निपटने के लिए सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय ने 272 जिलों में नशा मुक्त भारत अभियान शुरू किया।
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Drugs de-addiction: क्या होती है नशे की लत, जानें दिमाग को कैसे करती है प्रभावित

गंभीर मामलों में लंबे समय तक किसी नशे का इस्तेमाल करने से दिमाग पर इसका स्थायी असर पड़ सकता है.
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- Last Updated : September 8, 2020, 06:31 IST
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Tags: Health , Health tips , Lifestyle , News18-MyUpchar , Sushant singh Rajput , Sushant Singh Rajput Case , Sushant Singh Rajput Suicide

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नशे की लत हेल्थ सेंटर

नशे की लत - Drug Addiction in Hindi
Dr. ayush pandey mbbs,pg diploma october 10, 2018, august 31, 2023.

नशे की लत क्या है?
नशे की लत होना एक बीमारी है, जो किसी व्यक्ति के मस्तिष्क और व्यवहार को प्रभावित कर सकती है। कुछ पदार्थ जैसे अल्कोहल, मारिजुआना (marijuana; गांजा) और निकोटीन को भी नशे ही एक रूप माना जाता है, जब आप इनके आदी हो जाते हैं, तो इनके कारण होने वाले नुकसानों को जानने के बावजूद भी इनका उपयोग जारी रखते हैं।
नशे की लत, सामाजिक माहौल में खुद की संतुष्टि के लिए नशीले पदार्थों के उपयोग से शुरू हो सकती है। जिसके बाद लोग इनका प्रयोग बार-बार करने लगते हैं। इसके अलावा कुछ लोगों में ओपिओइड्स (opioids/ एक प्रकार की दवा) से पूर्ण नशीले पदार्थों की लत, किसी के द्वारा बताने और स्वंय के द्वारा इनका सेवन करने से प्रारंभ होती है। देखा जाता है कि शुरूआती दौर में कोई दोस्त या फिर रिश्तेदार इनको लेने की सलाह देते हैं।
आप कितनी तेजी से इन दवाओं आदी होते हैं वह इनके जोखिम, दवाओं की भिन्नता पर निर्भर करते हैं। कुछ दवाएं जैसे- ओपिओइड (दर्द निवारक दवा) से लत लगने का उच्च जोखिम होता है और यह अन्य की तुलना में लत लगने का मुख्य कारण भी होती है।
जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, आपको इन नशीले पदार्थों की अधिक खुराक की आवश्यकता होती है। जल्द ही आपको बेहतर महसूस करने के लिए इस की जरूरत होने लगती है। जैसे ही आप उपयोग बढ़ाते हैं, आपको लगता है कि इस के बिना आपका रहना मुश्किल हो जाएगा। नशीले पदार्थों के प्रयोग को रोकने के प्रयास में आप खुद को शारीरिक रूप से अक्षम व बीमार महसूस करते हैं।
आपको नशीले पदार्थों की लत से दूर करने और नशीली दवाओं से मुक्त रहने के लिए अपने डॉक्टर, परिवारिक सदस्यों, मित्रों, सहायता समूहों या संगठित उपचार कार्यक्रम से मदद लेने की आवश्यकता होती है।
(और पढ़ें - मनोवैज्ञानिक परीक्षण क्या है )
नशे की लत के प्रकार - Types of Drug Addiction in Hindi
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- नशे की लत के जोखिम और जटिलताएं - Drug Addiction Risks & Complications in Hindi

नशे की लत के प्रकार क्या है?
- सिगरेट और तंबाकू की तरह अन्य रूपों में निकोटीन लेना नशे की लत को बढ़ाता है। (और पढ़ें - सिगरेट पीने के नुकसान )
- शराब का सेवन मस्तिष्क और शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। (और पढ़ें - शराब पीने के नुकसान )
- मारिजुआना (कैनबिस) सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला अवैध नशीला पदार्थ है।
- आमतौर पर दर्द से राहत के लिए ओपिओइड्स को लिया जाता है।
- मेथिलफिनेडेट (Methylphenidate) और एम्फ़ैटेमिन्स (amphetamines) जैसे उत्तेजक।
- आमतौर पर नींद के लिए या चिंता को कम करने के लिए डिप्रेसेंट दवाओं का प्रयोग किया जाता है।
- एक्सटसी (Ecstasy; इसको एमडीएमए भी कहा जाता है)
(और पढ़ें - मानसिक रोग के प्रकार )

नशे की लत से जुड़े व्यवहार व लक्षण क्या होते हैं?
नशे की लत के लक्षण या व्यवहार में निम्न को शामिल किया जा सकता हैं:-
- शारीरिक या मनोवैज्ञानिक नुकसान हो जानने के बाद भी इस तरह के नशे को करते रहना। (और पढ़ें - मानसिक रोग दूर करने के उपाय )
- ड्रग हासिल करने के लिए चोरी जैसे काम भी करना, जो आप आम तौर पर नहीं करते।
- वाहन चलाना व इस तरह के जोखिम भरे काम नशे में होने के बावजूद भी करना।
- इसको छोड़ने के प्रयासों में विफल रहना।
- नशा बंद करने की स्थिति में आप इसके लक्षणों को कम होता पाते है।
- निश्चित समय की तुलना में लंबी अवधि तक दवा का सेवन करना।
- इस तरह की दवाओं की आपूर्ति को बनाए रखना।
- ज्यादा पैसे न होने पर भी इन दवाओं को लेना।
- नशे की लत के कारण अपने दायित्वों, काम की जिम्मेदारियों व सामाजिक गतिविधियों से दूर रहना।
- नियमित रूप से नशे का उपयोग करने की इच्छा होना- पूरे दिन में एक या कई बार।
- नशा करने के अलावा किसी भी बात के बारे में ना सोचना।
- किसी निश्चित समय में अधिक प्रभाव पाने के लिए अधिक दवाओं का सेवन करना।
आपका बच्चा या परिवार का कोई सदस्य नशे की लत का आदी हो चुका हो, तो उसमें निम्न तरह के संकेतों को देखा जाता हैं:
- व्यवहार में परिवर्तन, व्यक्ति अपने कमरे में किसी को आने नहीं देता और दोस्तों के साथ जाते समय भी इस बात का ध्यान रखता है कि उसकी बात किसी को पता न चलेे। परिवार के सदस्यों व करीबी दोस्तों के साथ व्यवहार में परिवर्तन आना।
- धन की परेशानी, बिना उचित स्पष्टीकरण दिए पैसे के लिए अचानक अनुरोध करना या दूसरों की जानकारी के बिना ही घर से पैसे ले जाना।
- स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां होना जैसे एनर्जी में कमी आना, वजन घटना या बढ़ना या आंखे लाल रहना। (और पढ़ें - वजन घटाने का तरीका )
- कपड़ों व संवरने में रुचि ना दिखाना।
- स्कूल या कार्यस्थल में समस्याएं होना। अक्सर स्कूल या कार्यस्थल से लापता रहना। कुछ दिनों से स्कूल व कार्यस्थल की गतिविधियों में रूचि न लेना। इसके अलावा कार्यक्षमता का तेजी से गिरना।
(और पढ़ें - वजन बढ़ाने के तरीके )

नशे की लत के कारण क्या होते हैं?
नशे की लत के मनोवैज्ञानिक कारण:
नशे की लत के कुछ मनोवैज्ञानिक कारणो में आघात (trauma) शामिल हैं। यह नशे की लत युवाओं में देखी जाती है।
घर में यौन या शारीरिक शोषण, उपेक्षा व हालातों का ठीक न होना, ये सभी स्थितियां मनोवैज्ञानिक तनाव पैदा करती है, जिनसे बचने के लिए लोग खुद से ही कुछ दवाएं ले लेते हैं। खुद से दवा लेना ही नशे की लत का कारण बनता है।
(और पढ़ें - यौन शोषण क्या है )
नशे की लत के अन्य मनोवैज्ञानिक कारणों में शामिल हैं:-
- मानसिक रूप से स्वस्थ न होना, जैसे- तनावग्रस्त रहना।
- दूसरों के साथ जुड़ने में मुश्किल होना, जैसे दोस्त बनाने में मुश्किल।
- कार्यस्थल व स्कूल में खराब प्रदर्शन।
- तनाव को दूर करने में मुश्किल होना।
(और पढ़ें - तनाव को दूर करने के तरीके )
आसपास के माहौल के कारण नशे की लत
व्यक्ति के आसपास का माहौल भी नशे की लत का कारण बन सकता है। जहां नशा लेना स्वीकार्य है और लोग नशा करते है वहां पर बच्चों में भी जल्द नशाखोरी के लक्षण पनप सकते हैं।
घरों में मौजूद नशे के आदि बड़ों को देख देख कर बड़े होते बच्चे खुद भी इसके आदी हो जाते हैं।
अधिकांश नशीली दवाओं और नशीले पदार्थों का प्रयोग किशोरावस्था में ही शुरू होता है, जो बच्चे अपमानजनक स्थिति या माता-पिता की उपेक्षा सहते हैं, वे धीरे-धीरे नशीले पदार्थों के आदी हो जाते हैं। नशे की लत के लिए जिम्मेदार कारणों में शामिल हैं:-
- किसी खेल में भागीदारी, जहां प्रदर्शन-बढ़ाने वाली दवाओं का उपयोग किया जाता है।
- मित्रों का समूह, जो इस तरह की चीजों का उपयोग करता हो या प्रचार करता हो।
- सामाजिक-आर्थिक स्थिति का निम्न होना भी नशे की लत के लिए जोखिम कारक हो सकता है।
(और पढ़ें - दवाओं की जानकारी )
नशे की लत के आनुवंशिक कारण
नशे की लत कई परिवारों में पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है, अनुवांशिक कारण भी नशे की लत की वजह हो सकते हैं।
यह ज्ञात है कि कुछ जींस (genes) मस्तिष्क को निकोटीन लेने के लिए प्रभावित करते है और यह नशे की लत के कारण में अपना योगदान देते हैं।
(और पढ़ें - अटैक्सिया का इलाज )
नशे की लत को कैसे रोंके?
नशे की लत को रोकने के लिए किशोरावस्था एक महत्वपूर्ण समय क्यों है?
जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, कम उम्र में नशीले पदार्थों का इस्तेमाल करना भी नशे के आदी होने की संभावनाओं को बढ़ा सकता है। इस दौरान नशीले पदार्थों और शराब को रोकने के लिए किए गए प्रयास लंबे समय तक चल सकते हैं।
जीवन में किसी बड़े परिवर्तन के दौरान नशे की लत से खतरा बढ़ जाता है। वयस्कों में नशे की लत का कारण तलाक होना या नौकरी के छूट जाना भी हो सकता है।
छोटी उम्र में नशे का उपयोग हमारे मस्तिष्क के कार्य पर जैसे- स्मृति, सीखने, निर्णय लेने और व्यवहार को नियंत्रण करने में बाधा उत्पन्न करता है।
(और पढ़ें - गुटखा छोड़ने के उपाय )
जब हम नशे की रोकथाम की बात करते हैं, तो इसमें कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो आपके जोखिम को बढ़ा सकती हैं, इनको आप आसानी से बदल नहीं सकते हैं। जिसमें नशे के अादी व्यक्ति का पारिवारिक इतिहास, किस तरह से आप नशे के आदी हुए और आघात का अनुभव करने की स्थिति को शामिल किया जाता है।
वैसे तो इस लत को रोकने का कोई भी तरीका एेसा नहीं है जो असफल हो ही न, फिर भी कुछ बातों का पालन कर आप खुद को नशे का आदी बनने से रोक सकते हैं। इसमें शामिल हैः-
- अपने स्कूल, धार्मिक समुदाय या किसी अन्य संगठन के साथ मजबूत रिश्ता बनाने के लिए जरूरी नहीं है कि आप इनके समारोह में शराब का जरूर ही सेवन करें।
- एंटी-ड्रग, तंबाकू और शराब से जुड़ी संस्थाओं के कार्यक्रमों में भाग लें।
- युवावस्था में नशे से बचें, जो लोग अपने शुरुआती किशोरावस्था में शराब पीने या नशीली दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, वे अपनी बाद की जिदंगी में इसके आदी हो जाते हैं।
- बीती जिंदगी में कोई पीड़ा या आघात होने पर आप इससे बाहर आने के लिए किसी विशेषज्ञ से काउंसिलिंग कर मदद ले सकते हैं।
- एक थेरेपिस्ट के साथ काम करें यदि खुद पर नियंत्रण करने में मुश्किल हो रही हो।
- अपने दोस्तों को सावधानी से चुनें। इसके अलावा सहकर्मियों के दबाव से भी किसी भी उम्र में आप नशे के आदी हो सकते हैं, इसलिए नशा करने वाले दोस्तों और करीबियों से दूरी बना कर ही रखें।
दोबारा सही स्थिति में आने के लिए क्या करें?
नशे के आदी व्यक्ति को अपने मस्तिष्क के सभी कार्यों को दोबारा से ठीक करने व इसके दुष्परिणामों को दूर करने लिए दवाओं की मदद लेनी होती है। ओपिओइड (हेरोइन, दर्द को कम करने वाली दवाएं ), तम्बाकू (निकोटीन), और शराब की लत के उपचार के लिए भी दवाएं उपलब्ध हैं।
(और पढ़ें - तम्बाकू के नुकसान )
नशे की लत का निदान कैसे करें?
- नशे की लत का निदान करने के लिए एक संपूर्ण मूल्यांकन की आवश्यकता होती है और अक्सर इसमें मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक द्वारा मूल्यांकन शामिल होता है। (और पढ़ें - शॉक थेरेपी क्या है )
- इमेजिंग स्कैन, छाती का एक्स-रे और रक्त परीक्षण पूरे शरीर पर होने वाले दीर्घकालिक हानिकारक प्रभावों को दिखाता हैं। (और पढ़ें - टेस्टोस्टेरोन टेस्ट क्या है )
- रक्त, मूत्र या अन्य प्रयोगशाला परीक्षणों का उपयोग दवा के उपयोग के आंकलन के लिए किया जाता है, लेकिन ये नशे की जांच के लिए नहीं हैं। हालांकि, इन परीक्षणों का इस्तेमाल उपचार और दोबारा ठीक होने की स्थिति की निगरानी के लिए किया जा सकता है।
(और पढ़ें - यूरिन टेस्ट क्या है )
नशे की लत का इलाज कैसे करें?
इसके सफल इलाज के कई तरीके है:-
- विषहरण (प्रक्रिया जिसके द्वारा शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर किए जाते हैं)
- नशे की लत छु़ड़ाने के लिए कांउसिलिंग
- दवा (ओपिओइड, तंबाकू, या शराब की लत के लिए)
- अवसाद और चिंता जैसे मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के लिए मूल्यांकन और उपचार
- पुनरावृत्ति को रोकने के लिए दीर्घकालिक बचाव
(और पढ़ें - डिप्रेशन के लिए योग )
दवाओं के उपयोग से इसके लक्षणों व दोबारा स्थिति पैदा करने वाले कारको को कम किया जा सकता है।
इससे बाहर आने के लिए क्या करें:
दवाएं नशे की लत से बाहर आने की स्थिति में विषहरण (detoxification) के दौरान होने वाले प्रभावों को कम कर देती है। विषहरण अपने आप में "उपचार" नहीं है, लेकिन इस प्रक्रिया को ठीक होने का केवल पहला कदम माना जाता है। जिन रोगियों को विषहरण (detoxification) के बाद कोई और उपचार नहीं मिलता है, वे आमतौर पर अपने नशीले पदार्थों के उपयोग को फिर से शुरू कर देते हैं।
(और पढ़ें - बॉडी को डिटॉक्स कैसे करें )
ओपिओइड: मेथाडोन (Methadone) और नाल्ट्रेक्सोन (naltrexone) का उपयोग ओपिओइड के आदि व्यक्ति के इलाज के लिए किया जाता है। ये दवाएं वापसी के लक्षणों को कम कर देती हैं और दुष्परिणामों से राहत देती हैं। ये सभी दवाएं, नशे की मांग और संबंधित आपराधिक व्यवहार को कम करने में सहायता करती हैं और उनके व्यवहार संबंधी उपचार के लिए सहायता करती हैं।
- तम्बाकू: निकोटीन को छोड़ने की थेरेपी कई रूप में की जाती हैं, जिनमें पैच (patch), स्प्रे, गम और लोजेंज (lozenges) शामिल हैं।
- शराब के लिए
- तीन अनुमोदित दवाएं निम्नानुसार हैं:
- नैलट्रीसोन (Naltrexone)
- अकेम्प्रोसेट (Acamprosate)
- डिसुलफिरम (Disulfiram)
- सहवर्ती स्थितियों: अवसाद या चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज के लिए भी अन्य दवाएं उपलब्ध हैं, जो कि व्यक्ति की लत को छुड़ाने में योगदान देती हैं।
(और पढ़ें - शराब के साथ एनर्जी ड्रिंक मिलाना के नुकसान )
व्यावहारिक थेरेपी (Behavioral therapies) रोगियों की सहायता करती हैं:
- नशीली दवाओं के उपयोग से संबंधित व्यवहार को कम व सही करना।
- स्वास्थ से जुड़े जीवन की कार्यक्षमताओं को बढ़ाना।
- उपचार के अन्य रूपों के साथ दवाओं को जारी रखना।
(और पढ़ें - ओपिओइड की विषाक्तता का इलाज )
ये बातें मरीजों की मदद करती हैं:
- उन स्थितियों की पहचान करना, बचाना और उनका सामना करना, जिनमें वे सबसे ज्यादा नशे का उपयोग कर सकते हैं।
- उनके व्यवहार को बदलने के लिए उपचार को अपनाना।
- डि-एडिक्शन (De- addiction) सेंटर- इन केंद्रों पर रहकर नशे के आदी इस आदत को छोड़ने का इलाज करते हैं। यह इलाज आमतौर पर 6 से 12 महीने तक चलता है। यह विषहरण (detoxification) व काउंसिलिंग पर केंद्रित होता है।
(और पढ़ें - एडीएचडी के लिए व्यवहार थेरेपी )
नशे की लत के जोखिम और जटिलताएं - Drug Addiction Risks & Complications in Hindi
नशे की लत से जुड़ी जटिलताएं क्या हैं?
स्वास्थ्य पर नशे की लत का प्रभाव:
नशे की लत के प्रभावों में शामिल हैं।
- एचआईवी / एड्स
- हेपेटाइटिस बी और सी (और पढ़ें - हेपेटाइटिस बी टेस्ट क्या है )
- फेफड़ों की बीमारी
- मानसिक विकार
(और पढ़ें - कैंसर में क्या खाना चाहिए )
नशे की लत क्या मानसिक विकार का कारण होता है?
नशे की लत और मानसिक बीमारी अक्सर एक दूसरे से जुड़ी होती है। कुछ मामलों में, मानसिक विकार जैसे कि चिंता या अवसाद नशे की लत से पहले हो सकती है, जबकि अन्य मामलों में नशे से मानसिक विकार उत्पन्न हो सकते हैं। (और पढ़ें - चिंता का इलाज )
नशे की लत अन्य लोगों को कैसे नुकसान पहुंचा सकती है?
नशे के आदी हो चुके व्यक्ति के शरीर पर कई अन्य हानिकारक प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं। नशे की लत में यह परेशानियां तेजी से होती है:
- शिशुओं और बच्चों पर प्रसव पूर्व इसके दुष्प्रभाव होना।
- धूम्रपान के धूंए के संपर्क में आने से होने वाले नकारात्मक प्रभाव।
- संक्रामक बीमारियों के बढ़ने की संभावनाएं अधिक होना।
(और पढ़ें - संक्रमण के इलाज )
नशे की लत के मनोवैज्ञानिक प्रभाव-
- नशे की लत के मनोवैज्ञानिक प्रभाव का आशय उपयोगकर्त्ता द्वारा नशे के आदी होने पर दिमाग में होने वाले बदलावों से है।
- प्रारंभ में लोग तनाव या दर्द को दूर करने के लिए दवाओं का उपयोग करना शुरू करते हैं। बाद में इन्हीं नशीली दवाओं की लत के प्रभाव का चक्र शुरू होता है और व्यक्ति को कभी भी तनाव या दर्द का सामना करना पड़ता है और बाद में वह दवा का उपयोग करने की आवश्यकता महसूस करने लगता है।
- मनोवैज्ञानिक प्रभावों के चलते एक बार इसका आदी हुआ व्यक्ति इस पर निर्भर हो जाए तो वह खुद की हर परेशानी के लिए इन्हीं नशीली दवाओं का प्रयोग करता है।
नशे की लत के अन्य मनोवैज्ञानिक प्रभावों में शामिल हैं:
- मूड में लगातार बदलाव आना, अवसाद, चिंता व हिंसा (और पढ़ें - अवसाद का इलाज )
- रोजमर्रा की जिंदगी में खुशी में कमी
- नशीली दवाओं के प्रभावों में लोग मनोवैज्ञानिक प्रभावों को कम करने के लिए दवाओं की बढ़ती मात्रा का उपयोग करना
- हमेशा खराब बर्ताव करना
(और पढ़ें - चिंता दूर करने के घरेलू उपाय )
नशे की लत का शारीरिक प्रभाव-
नशे की लत का शारीरिक प्रभाव नशीली दवा के आधार पर भिन्न होता है, लेकिन आमतौर पर इसके प्रभाव शरीर की सभी प्रणालियों में देखे जाते हैं। नशे की लत के कुछ प्राथमिक शारीरिक प्रभाव मस्तिष्क में होते हैं।
नशे की लत मस्तिष्क के कार्यों और शरीर के आराम की स्थिति में बदलाव लाती है। नशे की लत के इन प्रभावों की वजह से नशीली दवाओं के उपचार के दौरान इस्तेमाल दवाओं की मांग अधिक हो गई है।
नशे की लत के अन्य शारीरिक प्रभावों में शामिल हैं:
- एचआईवी, हेपेटाइटिस और अन्य बीमारियां होना (और पढ़ें - हेपेटाइटिस का इलाज )
- हृदय दर में अनियमितताएं व दिल का दौरा
- श्वसन समस्याएं, जैसे फेफड़े के कैंसर , वातस्फीति और श्वास संबंधी समस्याएं (और पढ़ें - सांस लेने में दिक्कत का इलाज )
- पेट में दर्द , उल्टी , कब्ज, डायरिया (और पढ़ें - दस्त रोकने के उपाय )
- गुर्दा और जिगर की क्षति (और पढ़ें - गुर्दे के संक्रमण का इलाज )
- दौरे, स्ट्रोक, मस्तिष्क क्षति (और पढ़ें - दौरे का इलाज )
- भूख, शरीर के तापमान में बदलाव और नींद के रूटीन में परिवर्तन
(और पढ़ें - अच्छी नींद के उपाय )
मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव-
कुछ दवाओं के लंबे समय तक इस्तेमाल से मस्तिष्क में लघु व दीर्घकालिक परिवर्तन हो सकते हैं, जिससे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं-
- व्यामोह (paranoia)
- डिप्रेशन (और पढ़ें - डिलीवरी के बाद डिप्रेशन का इलाज )
- दुस्वप्न (hallucinations)
लंबे समय तक इस्तेमाल से मस्तिष्क के कार्यों में परिवर्तन भी हो सकते हैं जिनमें शामिल हैं:-
- सीखने में परेशानी
- निर्णय पर पहुंचने
- निर्णय लेना
- याददाश्त कम होना (और पढ़ें - याददाश्त में कमी का इलाज )
- व्यवहार में परिवर्तन आना
(और पढ़ें - याददाश्त बढ़ाने के उपाय )
- National institute of drug abuse. Understanding Drug Use and Addiction . National Institute of health. [internet].
- Easy to read drug facts. What are some signs and symptoms of someone with a drug use problem? . National institute of drug abuse. [internet].
- MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Drug Abuse
- National institute of drug abuse. Principles of Drug Addiction Treatment: A Research-Based Guide (Third Edition) . National Institute of health. [internet].
- National institute of drug abuse. National Institute on Drug Abuse (NIDA) . National Institute of health. [internet].
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नशे की लत की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Drug Addiction in Hindi
नशे की लत के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

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Drug addiction: ड्रग एडिक्शन क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 02/09/2020

ड्रग एडिक्शन (Drug Addiction) क्या है?
ड्रग एडिक्शन (Drug Addiction) यानी नशे की लत एक पुरानी या लंबे समय से बनी हुई आदत होती है। आमतौर पर ये मस्तिष्क की बीमारी को दूर करने वाली दवा हो सकती है, जिसका इस्तेमाल करते रहना लोगों की आदत बन सकती है। नशे की लत मस्तिष्क की संरचना और कार्य करने की क्षमता में परिवर्तन ला सकता है। हालांकि, इस खतरे को समझते हुए भी अधिकांश लोग नशे की लत का शिकार हैं। ड्रग एडिक्शन का निर्णय स्वैच्छिक होता है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण मस्तिष्क में होने वाले बदलाव किसी व्यक्ति के आत्म-नियंत्रण की क्षमता भी बिगाड़ सकता है।
नशे की लत को रोकना एक चुनौती भरा फैसला होता है। हालांकि, ऐसे उपचार हैं जो लोगों को ड्रग एडिक्शन से छुटकारा दिला सकते हैं। इसके लिए जीवनशैली और चिकित्सक उपचार दोनों ही बेहद जरूरी होते हैं।
अन्य पुरानी बीमारियों, जैसे कि डायबिटीज (मधुमेह), अस्थमा या हृदय रोग के साथ भी, नशीली दवाओं की लत को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है।
कितना सामान्य है ड्रग एडिक्शन?
ड्रग एडिक्शन की समस्या बहुत ही सामान्य है। साल 2009-10 के ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (विश्व वयस्क तम्बाकू सर्वेक्षण) के मुताबिक तकरीबन 7.13 करोड़ भारतीय तरह-तरह के नशों की गंभीर लत से जुझ रहे हैं। जिनमें सबसे ज्यादा 5.17 करोड़ लोग शराब, 72 लाख लोग भांग, 60 लाख लोग अफीम व चरस और 11 लाख लोग नशीली गोलियों या इंजेक्शन से होने वाले नशे की लत के आदी हैं। इस सर्वे में 70,293 लोग ऐसे भी शामिल हैं, जो नशे के लिए खतरान किस्म के ड्रग्स का भी इस्तेमाल करते हैं। कृपया अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
और पढ़ें : Toothache : दांत में दर्द क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
ड्रग एडिक्शन के लक्षण क्या हैं?
ड्रग एडिक्शन के सामान्य लक्षण हैंः
- अगर आप नियमित रूप से किसी दवा का उपयोग करने लगे हैं
- किसी दवा का सेवन करने की क्रेविंग होना
- समय के साथ, उस दवा की खुराक लेने की आदत बढ़ना
- बिना जरूरत के किसी दवा पर बहुत ज्यादा पैसा खर्च करना, फिर चाहे आप उसे खरीदने में सक्षम हैं या नहीं
- नशीली दवाओं के उपयोग के कारण जिम्मेदारियों और कामकाजों को प्रभावित करना
- दवा का सेवन करने के बाद कोई अपराध करना, जैसे- चोरी, डकैती, गाली-गलौज, मारपीट करना आदि
- बिना जरूरत और न चाहते हुए भी आपका मन उस दवा की खुराक के लिए आपको फोर्स करता है
इसके सभी लक्षण ऊपर नहीं बताएं गए हैं। अगर इससे जुड़े किसी भी संभावित लक्षणों के बारे में आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
अगर ऊपर बताए गए किसी भी तरह के लक्षण आपमें या आपके किसी करीबी में दिखाई देते हैं या इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें। हर किसी का शरीर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया करता है।
और पढ़ें : Water Retention : वॉटर रिटेंशन क्या है?
ड्रग एडिक्शन के क्या कारण हैं?
कई मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर की तरह, कई कारक नशे की लत बनने वाले पदार्थों और निर्भरता के विकास को बढ़ा सकते हैं। इनके मुख्य कारक हैं:
- आस-पास का माहौलः अगर आप ऐसे लोगों के बीच रहते हैं जो मादक पदार्थों का सेवन करते हैं, तो संभव हो सकता है कि आपको भी नशे की लत लग सकती है।
- आनुवंशिक कारणः हो सकता है कि एक बार आपने किसी दवा का उपयोग करना शुरू किया, लेकिन धीरे-धीरे आपको उसकी लत लग सकती है। अगर आपके परिवार में पहले कभी ड्रग एडिक्शन का इतिहास रहा है, तो आपके आनुवंशिक लक्षण इसके खतरे को और भी अधिक बढ़ा सकते हैं।
मस्तिष्क में परिवर्तन
शारीरिक नशा तब होता है जब किसी दवा के बार-बार इस्तेमाल से मस्तिष्क में खुशी महसूस करने का तरीका बदल जाता है। नशे की दवा मस्तिष्क में कुछ तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) में परिवर्तन करती है। न्यूरॉन्स संचार करने के लिए न्यूरोट्रांसमीटर नामक रसायन का उपयोग करते हैं। दवा का उपयोग बंद करने के बाद ये परिवर्तन लंबे समय तक दिमाग में रह सकते हैं।
और पढ़ें : इंकोप्रिसिस (Encopresis) क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
कैसी स्थितियां ड्रग एडिक्शन के जोखिम को बढ़ा सकती हैं?
ऐसी कई स्थितियां हैं जो ड्रग एडिक्शन के जोखिम को बढ़ा सकती हैंः
- ड्रग एडिक्शन का पारिवारिक इतिहासः ऐसे लोगों में नशे की लत होने का जोखिम अधिक होता है। क्योंकि, उन्हें यहआदत विरासत के तौर पर मिल सकती है। इसके अलावा अक्सर बच्चे अपने परिवार के सदस्यों की आदतें ही सीखते हैं।
- पुरुष होनाः नशे की लत महिलाओं में भी होती है। हालांकि, इसके मामले पुरुषों में अधिक देखे जाते हैं। भारत के आज भी कुछ क्षेत्रों में पुरुषों का नशा करना उनकी मर्दानगी को दर्शाने का एक जरिया माना जाता है।
- अन्य मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर होनाः अगर आपको मानसिक स्वास्थ्य विकार जैसे अवसाद, अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) या पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर है, तो आप नशे की लत का शिकार हो सकते हैं।
- साथियों का दबावः दोस्तों के दवाब के कारण नशे की लत लगना युवाओं में सबसे आम कारण पाया गया है।
- पारिवारिक कलेशः अगर परिवार के बीच रिश्ते किसी कलेश से गुजर रहे हैं, तो नशे की लत लगने का जोखिम भी बढ़ सकता है।
- एंग्जाइटी, डिप्रेशन और अकेलापनः इस तरह के मनोवैज्ञानिक भावनाओं की स्थितियों में भी ड्रग एडिक्शन का जोखिम बढ़ सकता है।
- अत्यधिक नशे की दवा लेनाः कुछ दवाओं, जैसे उत्तेजना बढ़ाने, कोकीन या दर्द निवारक दवाएं अन्य दवाओं की तुलना में नशे के तेजी से विकास करते हैं।
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
और पढ़ें : Vocal Cord Polyps: वोकल कॉर्ड पॉलीप्स क्या है?
ड्रग एडिक्शन का निदान कैसे किया जाता है?
नशीली दवाओं की लत जिसे केमिकल सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर(Chemical Substance Use Disorder) भी कहा जाता है) का निदान करने के लिए अक्सर मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक या लाइसेंस प्राप्त शराब और ड्रग काउंसलर की मदद ली जा सकती है। नशीली दवाओं के उपयोग का आकलन करने के लिए रक्त, मूत्र या अन्य लैब टेस्ट किए जा सकते हैं। ये टेस्ट सिर्फ उपचार और रिकवरी की प्रक्रिया की निगरानी करने के लिए किया जाता है।
केमिकल सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर के निदान के लिए, अधिकत तौर पर मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स की मदद ली जा सकती है।
इस मानसिक स्थिती का निदान करने के लिए अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन द्वारा मानसिक विकार के नैदानिक और सांख्यिकीय मैनुअल Diagnostic and Statistical Manual of Mental Disorders (DSM-5) प्रकाशित किया गया है। इस मैनुअल का उपयोग बीमा कंपनियों द्वारा उपचार की प्रक्रिया और उसके नियमों के पालन करने के लिए किया जाता है। इस गाइडलाइन को भारत सहित अन्य देशों में भी फॉलो किया जाता है।
सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर के लिए DSM-5 के मानदंड में यह बताया गया है कि रोगी के लत को सुधारने के लिए किस दवा के उपयोग किस तरह से करना है।
अगर आपको 12 महीने की अवधि में इनमें से कम से कम दो समस्याएं होती हैं, तो आपको सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर Chemical Substance Use Disorder )हो सकता है:
- नियमति खुराक की मात्रा से दवा की खुराक अधिक लेते हैं
- आप इस दवा की खुराक को बंद करना चाहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं कर पा रहे हैं
- किसी दवा के इस्तेमाल के बाद आपको अच्छा लगने लगता है जिसकी वजह से बार-बार आप उसका सेवन कर रहे हैं
- दवा के इस्तेमाल के कारण आप अपनी जिम्मेदारियों को भूल जाते हैं या आपना काम नहीं कर पाते हैं
- यह आपके स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है, इस बात को जानते हुए भी दवा का इस्तेमाल करना
- ड्राइविंग या किसी मशीनरी काम को करते समय भी आप उस दवा का इस्तेमाल करते हैं
- जब आप इस दवा को लेना बंद कर देते हैं तो आपको शारीरिक या मानसिक समस्याएं महसूस होने लगती हैं।
और पढ़ेंः Ulnar nerve injury: अलनर नस में चोट क्या है?
ड्रग एडिक्शन का इलाज कैसे होता है?
नीचे दिए गए उपचार के विकल्प आपको नशे की लत पर काबू पाने और नशीली दवाओं से मुक्त रहने में मदद कर सकते हैं।
केमिकल डिपेंडेंस ट्रीटमेंट प्रोग्राम
इस ट्रीटमेंट के जरिए किया जाने वाला उपचारः
- व्यक्तिगत, समूह या पारिवारिक थेरेपी सेशन का आयोजन
- लत की प्रकृति को समझने और दोबार उसकी लत को रोकने का ध्यान रखा जाता है
- आवश्यकताओं के आधार पर देखेभाल की जाती है
- शराब आदि की लत का इलाज (डिटाक्सिफिकैशन)
डिटाक्सिफिकैशन को डीटाक्स या विथड्राल थेरेपी भी कहा जाता है। यह नशे की लत को जल्दी से जल्दी और सुरक्षित रूप से रोकने में सक्षम होता है। इस दौरान कुछ लोगों को किसी संस्थान, अस्पताल या घर में उपचार की प्रक्रिया के लिए रखा जा सकता है।
डिटाक्सिफिकैशन के दौरान दवाओं की खुराक दी जाती है। जो धीरे-धीरे नशे की लत को दूर करता है। अधिकांश मामलों में पर उपचार अस्थायी भी हो सकता है।
इसे टॉक थेरेपी या मनोचिकित्सा भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक व्यक्ति और परिवार के साथ अलग-अलग या समूह में सभी के साथ बात करते हैं। जो कई तरह से मददगार हो सकते हैंः
- ड्रग की लत से बचने और दोबारा उसकी लत को वापस आने से कैसा रोका जा सकता है इस पर सुझाव देंगे
- आपने निजी जीवन, नौकरी, कानूनी समस्याओं और परिवार और दोस्तों के साथ संबंधों के बारे में बात करेंगे
- परिवार के सदस्यों के समूह के साथ बात करेंगे, ताकि परिवार के सदस्य भी आपकी स्थिति को बेहतर तरीके से समझ सकें।
सेल्फ-हेल्प ग्रुप
सेल्फ-हेल्प ग्रुप की मदद से भी लोग अपने नशे की लत पर काबू पा सकते हैं। ऐसे कई संस्थान है जो अलग-अलग देशों में कार्य करते हैं।
स्वंय सहायता समूह की मदद आप इंटरनेट के जरिए भी ले सकते हैं। आपका चिकित्सक या परामर्शदाता भी इसकी जानकारी दे सकते हैं।
[mc4wp_form id=’183492″]
और पढ़ें : Viral pharyngitis: वायरल फैरिन्जाइटिस (ग्रसनीशोथ) क्या है?
जीवनशैली में होने वाले बदलाव, जो मुझे ड्रग एडिक्शन को रोकने में मदद कर सकते हैं?
निम्नलिखित जीवनशैली और घरेलू उपचार आपको ड्रग एडिक्शन से बचने में मदद कर सकती हैं:
- थेरिपिस्ट की मदद लेंः अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें। मादक पदार्थों की लत कई मानसिक समस्याओं से जुड़ी हो सकती है, जिसके लिए चिकित्सक या मनोचिकित्सक की मदद ले सकते हैं।
- अपने मेंटल हेल्थ का ध्यान रखेंः अपनी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं पर समय-समय पर गौर करें। अगर आपको कोई मानसिक बीमारी के कोई लक्षण हैं, तो तत्काल प्रभाव से इसका उपचार करवाएं।
- सहायता समूह की मदद लेंः ऐसे कई समर्थन समूह हैं जो आपको नशे की लत को सुधारने में मददगार हो सकते हैं। अपने डॉक्टर या इंटरनेट के जरिए इनका पता लगा सकते हैं और इनकी मदद ले सकते हैं।
अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो उसकी बेहतर समझ के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।
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Drug Addiction, https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3039293/ Accessed November 09, 2019.
Current Version
Ankita mishra द्वारा लिखित
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील
Updated by: Sanket Pevekar
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दवाई का दुरूपयोग पर निबंध
By विकास सिंह

नशीली दवाओं के दुरुपयोग का मतलब एक समय में दवाओं का अत्यधिक सेवन होता है। नशीली दवाओं के बार-बार उपयोग से नशे की लत विकसित होती है जिसमें हानिकारक परिणाम होते हैं। यह एक ऐसी समस्या है जो मस्तिष्क की संरचना और कार्यप्रणाली को सीधे प्रभावित करती है जिससे इसे गंभीर नुकसान पहुंचता है।
नशीली दवाओं का दुरुपयोग, जुनूनी और दवाओं के अत्यधिक उपयोग के लिए एक शब्द है, जो इन दिनों एक आम समस्या है। दवाओं का नियमित उपयोग स्वयं हानिकारक है। यह लत की ओर जाता है और व्यवहार में परिवर्तन का कारण बनता है। नशीली दवाओं का दुरुपयोग विशेष रूप से मस्तिष्क को प्रभावित करता है और अन्य स्वास्थ्य मुद्दों जैसे कि गुर्दे की विफलता और हृदय की समस्या को भी जन्म दे सकता है।
दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, essay on drug abuse in hindi (200 शब्द)
नशीली दवाओं का दुरुपयोग दवाओं का बार-बार और अत्यधिक उपयोग है। यह एक व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है जिससे मस्तिष्क को एक बड़ी क्षति होती है। नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक व्यक्ति की आत्म-नियंत्रण करने की शक्ति को बाधित करता है और ड्रग्स लेने के आग्रह का विरोध करने की उनकी क्षमता में हस्तक्षेप करता है।
ड्रग्स को शुरू में पसंद से बाहर ले जाया जाता है, हालांकि, जितना जल्दी आपको एहसास होता है, उनका विरोध करना कठिन हो जाता है। इस समस्या से उबरना मुश्किल है और यहां तक कि जो लोग इसे फिर से विकसित करने का एक उच्च जोखिम खड़ा करते हैं।
निम्न के कारण होने वाले तनाव पर अंकुश लगाने के लिए लोग आमतौर पर नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं:
- पारिवारिक मामले
- काम पर दबाव
- स्कूलों और कॉलेजों में बढ़ती प्रतियोगिता
- रिश्ते की समस्याएं
- वित्तीय समस्याएं
- खालीपन का एहसास
- इसके अलावा, यह एक आनुवांशिक समस्या भी हो सकती है। जो भी कारण हो, यह समझना आवश्यक है कि नशीली दवाओं का दुरुपयोग केवल समस्याओं को हल करने के बजाय उन्हें बढ़ाता है। इस प्रकार इससे दूर रहना ही बुद्धिमानी है। जो लोग पहले ही इस समस्या के शिकार हो चुके हैं, वे इससे उबरने के लिए विशेषज्ञ मार्गदर्शन ले सकते हैं। उचित दवा, प्रियजनों का समर्थन और दृढ़ इच्छा शक्ति नशाखोरी की अंधेरी दुनिया से बाहर ले जा सकती है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के लिए उपचार लंबी अवधि में बढ़ाया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि समस्या से छुटकारा न मिले।
दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, essay on drug abuse in hindi (300 शब्द)
नशीली दवाओं के दुरुपयोग का तात्पर्य दवाओं के अत्यधिक उपयोग से है। यह एक व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जिससे मुख्य रूप से मस्तिष्क को नुकसान होता है। ड्रग्स को शुरू में अलग-अलग कारणों से पसंद के कारण लिया जाता है। हालांकि, धीरे-धीरे उनका विरोध करना मुश्किल हो जाता है। अलग-अलग कारण हैं कि लोग दवाओं का रास्ता क्यों अपनाते हैं। यहाँ इन पर एक नज़र है और इस समस्या पर अंकुश लगाने के तरीके भी हैं।
नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण:
पारिवारिक / संबंध समस्याएँ कई लोगों के परिवार में समस्याएं हैं। उनके लिए, नशीली दवाओं का दुरुपयोग उन समस्याओं के कारण होने वाले तनाव से एक आसान लगता है। युवा, विशेष रूप से मादक पदार्थों के सेवन से अपने संबंधों की समस्याओं से निपटने की कोशिश करते हैं।
काम का दबाव स्कूल और कॉलेज स्तर पर या कार्य स्थल पर प्रतिस्पर्धा और दवा दुरुपयोग का एक और प्रमुख कारण है।
जीन अक्सर यह देखा जाता है कि एक व्यक्ति के जीन भी उसके / उसके मुड़ने वाले व्यसनी की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। समस्या आमतौर पर, परिवार में नहीं चलती है।
अकेलापन अकेलेपन या खालीपन की भावना भी एक व्यक्ति को दवाओं की ओर मुड़ने के लिए मजबूर कर सकती है।
दवा के दुरुपयोग समाधान:
नशीली दवाओं के दुरुपयोग के विभिन्न चरणों से पीड़ित लोगों को विभिन्न प्रकार की दवाएं दी जाती हैं। यहाँ इन पर एक नज़र है:
उपचार में रहना दवाओं की अनुपस्थिति के अनुकूल होने के लिए रोगी के मस्तिष्क को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता होती है। यह उपचार रोगियों को दवाओं के लिए उनकी लालसा को नियंत्रित करने में मदद करता है।
वापसी उपचार जो लोग दवाओं का उपयोग करना बंद कर देते हैं वे तनाव, चिंता, मनोदशा में बदलाव आदि जैसे लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं। इन लक्षणों को दूर करने के लिए उन्हें दवाएँ दी जाती हैं।
पलायन को रोकें कई कारक हैं जो एक रिलैप्स को ट्रिगर कर सकते हैं। इन ट्रिगर को नियंत्रित करने के लिए दवाएं विकसित की जा रही हैं।
निष्कर्ष:
इन दिनों ड्रग एब्यूज एक आम समस्या है। हालांकि प्रतिरोध करने में मुश्किल है, दवाओं का उपयोग उचित दवा और मार्गदर्शन के साथ नियंत्रित किया जा सकता है।
दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, essay on drug abuse in hindi (400 शब्द)
नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक पुरानी बीमारी है। जो लोग नशीली दवाओं का दुरुपयोग करते हैं, वे उनके हानिकारक परिणामों के बारे में पूरी तरह से जागरूक होने के बावजूद उनका विरोध करने में असमर्थ हैं। दवाओं का नियमित सेवन मस्तिष्क को प्रतिकूल रूप से नुकसान पहुंचा सकता है और विभिन्न अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दे सकता है।
दवाओं के भारी सेवन के कारण होने वाले मस्तिष्क परिवर्तन लगातार हो सकते हैं। इस प्रकार नशीली दवाओं की लत एक समस्या के रूप में जानी जाती है। यहाँ नशीली दवाओं के दुरुपयोग के विभिन्न कारणों पर एक नज़र है और इस समस्या को दूर करने के तरीके भी हैं:
नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारक:
नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारक मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किए गए हैं। यहाँ इनमें से प्रत्येक पर एक नज़र है:
पर्यावरणीय कारक किसी व्यक्ति के वातावरण में विभिन्न कारक शामिल होते हैं जैसे कि उसकी सामाजिक स्थिति, परिवार, दोस्त, पेशेवर जीवन, आदि। परिवार में समस्याएं, बुरी कंपनी, काम पर प्रतिस्पर्धा और उचित मार्गदर्शन और माता-पिता या शिक्षकों से समर्थन की कमी के कारण अक्सर नशीली दवाओं का सेवन हो सकता है।
जैविक कारक नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक आनुवंशिक समस्या भी हो सकती है। एक बच्चा नशीली दवाओं के दुरुपयोग के शिकार होने की एक उच्च संभावना रखता है यदि उसके माता-पिता में से कोई भी उसी के प्रभाव में रहा हो। कुछ मानसिक विकार भी व्यक्ति को दवाओं की ओर मोड़ सकते हैं।
आयु कारक हालांकि नशा किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है, लेकिन जो लोग कम उम्र में ड्रग्स लेना शुरू करते हैं, उन्हें नशे की लत लगने की संभावना अधिक होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके मस्तिष्क में वे क्षेत्र जो आत्म-नियंत्रण, निर्णय और निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार हैं, वे अभी भी अपने विकास के चरण में हैं। यही कारण है कि किशोरों में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की संभावना अधिक होती है।
नशीली दवाओं के दुरुपयोग का इलाज करने के तरीके
हालांकि मुश्किल है, नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या को ठीक करने के तरीके हैं। यहां कैसे:
विशेषज्ञ मार्गदर्शन इस समस्या को दूर करने के लिए डॉक्टर से मिलने और उचित दवा लेने का सुझाव दिया जाता है। जो लोग इस गंभीर समस्या से पीड़ित हैं, उनमें से अधिकांश को इसे नियंत्रित करने के लिए पुनर्वास केंद्र में शामिल होने की सिफारिश की जाती है।
सही खाएं और व्यायाम करें नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण होने वाली क्षति को शारीरिक और मानसिक रूप से ठीक होने के लिए फिर से भरना चाहिए और यह केवल एक स्वस्थ आहार के द्वारा किया जा सकता है। खाड़ी में तनाव बनाए रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करने का भी सुझाव दिया जाता है।
नशीली दवाओं का दुरुपयोग, मुख्य रूप से किसी के जीवन में भावनात्मक उथल-पुथल को दूर करने के प्रयास के कारण होता है, यह स्वयं हानिकारक हो सकता है। इसे एक व्यक्ति की जीवनशैली को खतरा हो जाता है और उसका स्वास्थ भी इससे खराब हो जाता है।
दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, essay on drug abuse in hindi (500 शब्द)
नशीली दवाओं का दुरुपयोग दवाओं के अत्यधिक, बाध्यकारी और दोहराया उपयोग है। यह एक पुरानी बीमारी है जो मरम्मत से परे एक व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है। प्रारंभ में, एक व्यक्ति पसंद से ड्रग्स लेता है। हालाँकि, कुछ समय बाद उनका विरोध करना उनके लिए लगभग असंभव हो जाता है। नशीली दवाओं की लत को नियंत्रित करना मुश्किल है और अक्सर इसे एक बीमारी के रूप में संदर्भित किया जाता है। यह मुख्य रूप से मस्तिष्क को प्रभावित करता है।
यह समस्या क्यों होती है?
अलग-अलग लोगों को अलग-अलग कारणों से ड्रग्स की लत लग जाती है। यहाँ कुछ मुख्य कारणों पर एक नज़र डाली गई है जो इस समस्या का कारण बनते हैं:
अकेलापन अकेलेपन की भावना को दूर करने के लिए कई लोग ड्रग्स लेते हैं। कई बार, लोगों को लगता है कि उनके पास अपने सुख और दुख साझा करने के लिए कोई नहीं है और वे अंततः इस भावना से छुटकारा पाने के लिए ड्रग्स लेते हैं।
प्रतियोगिता स्कूलों, कॉलेजों और काम पर बढ़ती प्रतिस्पर्धा से दबाव पैदा होता है जिसे संभालना अक्सर मुश्किल होता है। इस दबाव को संभालने के लिए कई लोग दवाओं का सहारा लेते हैं।
रिश्ते की समस्याएं यह नशीली दवाओं के दुरुपयोग का एक सामान्य कारण भी है। असफल रिश्तों के कारण होने वाली भावनात्मक उथल-पुथल को दूर करने के लिए युवा अक्सर ड्रग्स लेते हैं।
प्रयोग बहुत से लोग, ज्यादातर किशोर सिर्फ यह जानने के लिए उत्सुक होते हैं कि ड्रग्स का स्वाद और साथ ही उनके आफ्टर इफेक्ट्स कैसे होते हैं। बहुत कम लोगों को पता है कि इस प्रयोग से पहले से ही लत लग सकती है।
जीन नशीली दवाओं का दुरुपयोग अक्सर वंशानुगत होता है। यदि माता-पिता में से कोई भी नशे का आदी है, तो बच्चे को समस्या होने का खतरा अधिक होता है।
इस समस्या पर अंकुश कैसे लगाया जाए?
हालांकि नशीली दवाओं के दुरुपयोग की अंधेरी दुनिया से बाहर निकलना मुश्किल है और इस समस्या से छुटकारा पाने की बहुत अधिक संभावना है, कुछ चीजें हैं जो इस समस्या से छुटकारा पाने की कोशिश कर रहे लोगों की मदद कर सकती हैं। इन पर नीचे विस्तार से चर्चा की गई है:
विशेषज्ञ परामर्श यह एक डॉक्टर से परामर्श करने या बेहतर अभी भी एक पुनर्वास केंद्र में शामिल होने का सुझाव दिया जाता है ताकि नशीली दवाओं के दुरुपयोग से छुटकारा मिल सके। इस समस्या का शिकार होना जितना आसान है, उससे बाहर आना भी उतना ही मुश्किल। पुनर्वास केंद्रों पर कदम दर कदम दृष्टिकोण इस मुद्दे पर अंकुश लगाने का एक प्रभावी तरीका है।
स्वस्थ खाओ दवाओं के भारी सेवन से आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बिगड़ता है। खोए हुए पोषक तत्वों को फिर से भरने के लिए, एक स्वस्थ आहार का सुझाव दिया जाता है।
व्यायाम शारीरिक गतिविधियाँ जैसे जॉगिंग, डांसिंग, स्विमिंग, योगा आदि, एंडोर्फिन के विकास को बढ़ावा देते हैं, जिन्हें हैप्पी हार्मोन भी कहा जाता है। नशीली दवाओं की लत से छुटकारा पाने के लिए इस तरह की गतिविधियों में लिप्त होने का सुझाव दिया जाता है क्योंकि दवा की खुराक कम करने से तनाव का स्तर बढ़ सकता है।
ड्रग एब्यूज़ एक गंभीर समस्या है। इन दिनों युवाओं में विशेष रूप से आम है, यह उन लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है जो नशे के साथ-साथ उनसे जुड़े हैं। मुद्दे की संवेदनशीलता को पहचानना होगा और किसी भी स्थिति में इस अभ्यास को शुरू नहीं करना चाहिए। याद रखें, अकेलेपन, भय, चिंता और दिल टूटने जैसी समस्याओं से निपटने के बेहतर तरीके हैं।
दवाई का दुरूपयोग पर निबंध, 600 शब्द:
नशीली दवाओं का दुरुपयोग, दवाओं का अनिवार्य और अत्यधिक उपयोग, विशेष रूप से किसी व्यक्ति के मस्तिष्क को प्रभावित करता है। यह मस्तिष्क में परिवर्तन का कारण बनता है जो किसी व्यक्ति के लिए आत्म-नियंत्रण का अभ्यास करना और ड्रग्स लेने की इच्छा को रोकने के लिए उनकी शक्ति में हस्तक्षेप करना मुश्किल बनाता है।
मस्तिष्क के कामकाज में परिवर्तन अक्षम्य हैं और यही कारण है कि यह अक्सर रिलेप्स होता है। यहां तक कि जो लोग ठीक हो जाते हैं, वे पुनर्प्राप्ति के वर्षों के बाद भी दवाओं की वापसी का एक उच्च जोखिम रखते हैं। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि उपचार पर्याप्त प्रभावी नहीं है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उपचार बंद नहीं किया गया है। यह एक सतत प्रक्रिया है, हालांकि डॉक्टर मरीजों से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर समय-समय पर दवा बदलते रहते हैं।
क्या है ड्रग्स की लत?
अलग-अलग लोग अलग-अलग कारणों से इस आत्म-हानिकारक आदत के शिकार होते हैं। मादक पदार्थों की लत के कुछ प्रमुख कारण नीचे दिए गए हैं:
खालीपन का अहसास खालीपन का एहसास सबसे बुरा एहसास हो सकता है और अक्सर संभालना मुश्किल होता है। इन भावनाओं से छुटकारा पाने के लिए, बहुत से लोग दवाओं का रास्ता अपनाते हैं। उन्हें लगता है कि ड्रग्स उन्हें शून्य को भरने में मदद करेंगे।
काम का दबाव कई छात्र अध्ययन से संबंधित तनाव को दूर करने के लिए ड्रग्स लेना शुरू कर देते हैं। इसी तरह, कॉरपोरेट कार्यालयों में इन दिनों इतना दबाव है कि लोग इसका सामना नहीं कर पा रहे हैं। काम पर होने वाले तनाव और चिंता से निपटने के लिए वे अक्सर दवाओं की ओर रुख करते हैं।
परिवार / रिश्ते की समस्या कई लोग पारिवारिक मुद्दों या रिश्ते की समस्याओं के कारण होने वाले तनाव को दूर करने के लिए ड्रग्स लेना शुरू कर देते हैं और अंततः उसी के आदी हो जाते हैं।
प्रयोग किशोर अक्सर केवल प्रयोग करने के लिए दवाओं की कोशिश करते हैं और उन्हें महसूस होने से पहले ही आदी हो जाते हैं। किशोरों को उनकी लत लगने की संभावना अधिक होती है।
जेनेटिक ड्रग की लत आनुवांशिक भी हो सकती है। अक्सर देखा गया है कि यह समस्या परिवारों में चलती है। इसलिए, अगर उनके माता-पिता ड्रग्स का सेवन करते हैं, तो बच्चों को इसकी लत लगने का खतरा अधिक होता है।
पर्चे पर उपलब्ध दवाएं डॉक्टरों द्वारा निर्धारित अधिकांश दवाएं सड़क दवाओं के समान ही नशे की लत हैं। बहुत से लोग उन्हें सुरक्षित मानते हैं और इनका बार-बार उपयोग करने से व्यसन होता है।
नशीली दवाओं की लत पर काबू पाने के उपाय:
नशा पर काबू पाना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, यह असंभव नहीं है। दवा, विशेषज्ञ मार्गदर्शन और परिवार और दोस्तों के समर्थन की मदद से, कोई भी इस समस्या को दूर कर सकता है। मादक द्रव्यों के सेवन को दूर करने में आपकी सहायता के लिए नीचे चर्चा की गई है।
डॉक्टर से सलाह लें मादक पदार्थों की लत से छुटकारा पाने के लिए एक मजबूत इच्छा शक्ति की तुलना में बहुत अधिक है। यदि आपने ड्रग्स की अंधेरी दुनिया से बाहर निकलने का संकल्प लिया है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श करने का सुझाव दिया गया है।
व्यायाम दवा की खुराक कम करने से तनाव का स्तर बढ़ सकता है। आप शारीरिक गतिविधियों जैसे जॉगिंग, साइकलिंग, तैराकी, नृत्य और योग को दूसरों के बीच में शामिल करके इसे काफी हद तक दूर कर सकते हैं।
स्वस्थ खाओ दवाओं के नियमित सेवन से आपका शारीरिक स्वास्थ्य ख़राब होता है। इस प्रकार भोजन करने की सलाह दी जाती है जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं।
लोगों से बात करें अपनी भावनाओं को खुद पर रखने के बजाय, उन्हें बाहर निकालने का सुझाव दिया जाता है। अपने मुद्दों के बारे में अपने परिवार और दोस्तों से बात करें। यह ड्रग्स पर भरोसा करने के बजाय तनाव को दूर करने का एक अच्छा तरीका है।
नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक बढ़ती हुई समस्या है, खासकर युवाओं में। ऐसे कई कारण हैं जो इस समस्या का कारण बनते हैं और इसका जो प्रभाव पड़ता है वह बेहद हानिकारक है। उनके उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए दवाओं के नकारात्मक नतीजों के बारे में जागरूकता फैलाना आवश्यक है। इस समस्या की चपेट में आने वाले लोगों को एक डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और नशीली दवाओं के दुरुपयोग की नारकीय दुनिया से बाहर आने के लिए उन लोगों से मदद लेनी चाहिए।
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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.
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ड्रग्स फ्री इंडिया पर निबंध hindi essay on drugs free india नशीली दवाओं के सेवन – दुरुपयोग पर निबंध.
ड्रग्स के सेवन से नशे की लत को पूरा करना भारत की एक प्रमुख एवं व्यापक समस्या है। इस समस्या से जहाँ परिवार विघटित होता है, वहीं समाज संक्रमित होता है, तो राष्ट्र कमजोर होता है। यह मात्र एक सामाजिक समस्या ही नहीं है, अपितु चिकित्सकीय एवं मनोवैज्ञानिक समस्या भी है। एक ऐसा दलदल है, जिसमें धंसने वाला खुद तो तबाह होता ही है, साथ ही उसका पूरा परिवार भी तबाह होता है।
ड्रग्स के दुष्प्रभाव सिर्फ उस व्यक्ति को तबाह नहीं करते, जो इसके आदी होते हैं, बल्कि ये परिवार, समाज और राष्ट्र को भी जर्जर करते हैं। यही कारण है कि राष्ट्र को मजबूत बनाने के लिए उसे ड्रग्स से मुक्त रखना अनिवार्य है। ड्रग्स का सेवन यानी नशाखोरी की देन थ्रीडी बुराइयां हैं। पहली ‘डार्कनेस’ यानी जीवन में अंधेरा, दूसरी ‘डिस्ट्रक्शन’ यानी बर्बादी के मोड़ पर पहुँचना तथा तीसरी ‘डिवास्टेशन’ यानी सम्पूर्ण रुप से तबाही। ड्रग्स की बुराइयों एवं दुष्प्रभावों से परिवार, समाज एवं राष्ट्र को बचाने के लिए ही हमने ‘ड्रग्स फ्री इंडिया’ का सपना देखा है और इस सपने को साकार करने के लिए मजबूत पहल शुरु हो चुकी है। स्वयं देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘ड्रग्स फ्री इंडिया’ का आह्वान कर अपने मन की बात देशवासियों से साझा की है।
सामान्य अर्थों में ड्रग्स से आशय उन रासायनिक पदार्थों से है, जिन्हें लेने से मस्तिष्क पर उसकी रासायनिक प्रतिक्रिया होती है तथा शरीर और मन के सामान्य कार्यकलापों पर प्रभाव पड़ता है। ड्रग्स का सामान्य अर्थ दवा या औषधि भले ही है, लेकिन सामाजिक विज्ञानों में यह शब्द उन मादक द्रव्यों के लिए प्रयुक्त होता है, जिनका सेवन गैरकानूनी माना जाता है। इन पदार्थों का अधिक मात्रा में बार-बार सेवन किए जाने से जब व्यक्ति के शारीरिक तथा मानसिक कार्यकलापों पर हानिकारक प्रभाव पड़ने लगता है, तो यह अवस्था ‘ड्रग अब्यूस’ या ‘ड्रग एडिक्शन’ कहलाती है। विडंबना यह है कि इस अवस्था में पहुंचने वाला कोई भी व्यक्ति प्रायः सामान्य जीवन जीने लायक नहीं रह पाता। वह स्वयं को शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक स्तरों पर तबाह कर लेता है। यह एक ऐसी अंधी सुरंग है, जो बर्बादी के मुहाने तक ले जाती है। भारत में ड्रग्स की समस्या का फैलाव छोटे-छोटे गांवों और कस्बों से लेकर महानगरों तक में है।
यह कहना असंगत न होगा कि समूचा देश इस समस्या से आच्छादित है। यह समस्या किसी वर्ग विशेष से भी जुड़ी नहीं है। गरीब मध्यम एवं आभिजात्य सभी वर्गों में ड्रग्स का चलन है। किसी के लिए यह मौजमस्ती का साधन एवं स्टेटस सिंबल का प्रतीक है, तो किसी के लिए थकान मिटाने का। कोई असफलता और हताशा को मिटाने के लिए ड्रग्स की ओर उन्मुख होता है। तुलनात्मक दृष्टि से देखें, तो युवा वर्ग ड्रग्स की गिरफ्त में कुछ ज्यादा हैं।
युवा वर्ग ड्रग्स की अंधेरी गली में कई कारणों से प्रवेश करता है। कभी इसका कारण जीवन का एकाकीपन होता है, तो कभी भावनात्मक असुरक्षा अथवा माता-पिता से मिलने वाले प्यार में कमी। घरेलू कलह, जीवन की असफलताएं, विभिन्न कारणों से मिलने वाला तनाव, गलत संगत, एक अनूठे आनंद की अनुभूति की ललक, पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव, समस्याओं से निजात की क्षणिक अनुभूति, मित्रों का दबाव या दुष्प्रेरणा आदि वे मुख्य कारण हैं, जो युवकों तथा कभी-कभी अल्पवयस्कों तक को नशे का आदी बना देते हैं। इसक अलावा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैले ड्रग्स माफिया के संजाल में सम्मिलित लोग भी अपना धंधा चमकाने के लिए युवकों को गुमराह कर ड्रग्स का व्यसनी बनाते हैं।
ड्रग्स के व्यसन के अनेक दुष्परिणाम सामने आते हैं। इन्हें व्यसनी खुद तो भुगतता ही है, उसका परिवार भी बर्बाद होता है। समाज और राष्ट्र भी प्रतिकूल रुप से प्रभावित होता है। ड्रग्स का दलदल इतना खतरनाक होता है कि इस दलदल में फंसने वाला व्यक्ति कहीं का नहीं रहता है। वह शारीरिक, आर्थिक एवं मनोवैज्ञानिक स्तरों पर तबाह हो जाता है। एक बार ड्रग्स का व्यसनी होने पर यह लत छूटती नहीं और इस लत का शिकार व्यक्ति जब आर्थिक रुप से खोखला हो जाता है, तब नशे की लत को पूरा करने लिए चोरीछिनैती जैसे अपराध करता है।
ऐसा भी देखा गया है कि नशे की अवस्था में पहुँचने के बाद व्यसनी हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध तक कर डालते हैं। वे अनेक प्रकार की शारीरिक व्याधियों के शिकार भी बन जाते हैं। इनमें प्रमुख व्याधियां होती हैं – रक्तचाप में गड़बड़ी, विक्षिप्तता, पागलपन, मोतियाबिंद, अवसाद, तनाव, मनोव्यथाएं, नपुंसकता तथा श्वास संबंधी बीमारियां। अधिक अवसाद की अवस्था में व्यसनी को आत्महत्या की ओर उन्मुख होते भी देखा गया है। ड्रग्स के व्यसनी को 3 डी बुराइयां कहीं का नहीं छोड़ती। डार्कनेस (जीवन का अंधियारा), डिस्ट्रक्शन (बर्बादी) एवं डिवास्टेशन (तबाही) उसे खोखला कर देती हैं।
ड्रग्स का एक घातक पक्ष यह भी है कि इससे प्राप्त होना वाला पैसा उन आतंकवादियों के पास पहुंचता है, जो खूरेजी में आगे हैं तथा अशांति एवं अस्थिरता फैलाने के लिए आतंकवाद का सहारा लेते हैं। यहाँ यह रेखांकित करना आवश्यक है कि संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार विगत वर्षों में पाकिस्तान विश्व में हेरोइन, ब्राउन शुगर, स्मैक एवं हशीश के सबसे बड़े उत्पादक व वितरक के रुप में विकसित हुआ है। पाकिस्तान में राजनेता से लेकर बड़े-बड़े फौजी अधिकारी भी ड्रग्स की तस्करी में सहयोग देते हैं। यह किसी से छिपा नहीं है कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ाने एवं आतंकवादियों को प्रश्रय देने में किस कदर आगे है। यह कहना असंगत न होगा कि आतंकवादी जो गोलियां दागते हैं, वे ड्रग्स के पैसे से ही खरीदी जाती हैं। इस प्रकार ड्रग्स के व्यसनी परोक्ष रुप से आतंकवादियों तक पहुंचता है, जिससे खरीदे गए अस्त्र-शस्त्रों से वे खून की होली खेलते हैं।
हमारी सरकार ड्रग्स की समस्या को रोकने के लिए कानूनी स्तर पर प्रयासरत रही है। संविधान के अनुच्छेद 47 के अनुसार चिकित्सकीय प्रयोग के अतिरिक्त स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद मादक पदार्थों व वस्तुओं के उपयोग को निषिद्ध करने कि लिए वर्ष 1985 में नशीली दवाएं एवं मनोविकारी पदार्थ कानून (ND PS Act) लागू करने के साथ ही मादक पदार्थों का सेवन करने वालों की पहचान, इलाज, शिक्षा, बीमारी के बाद देख-रेख, पुनर्वास व समाज में पुनर्स्थापना के लिए प्रयास किए गए, तथापि इनके सकारात्मक परिणाम प्राप्त नहीं हुए। ड्रग्स की समस्या धीरे-धीरे विकराल होती चली गई।
वस्तुतः ड्रग्स की समस्या एक ऐसी समस्या है, जिसे सिर्फ कानून बनाकर नहीं निपटा जा सकता है। यह एक ऐसी समस्या है, जिसके निवारण के लिए विधिक प्रयासों के साथ-साथ पारिवारिक एवं सामाजिक स्तर पर भी प्रयासों की जरुरत है। परिवार में माता-पिता का यह दायित्व बनता है कि वे अपने बच्चों को भटकाव और भ्रम से बचाने के लिए उन्हें ध्येयवादी बनाएं। ध्येय की तरफ बढ़ने में बच्चों की भरपूर मदद करें। ऐसा इसलिए आवश्यक है, क्योंकि जब जीवन का कोई लक्ष्य या ध्येय नहीं होता है, तो जीवन में एक प्रकार की रिक्तता आ जाती है। इस अवस्था में जीवन में ड्रग्स का प्रवेश आसान हो जाता है। ध्येय को सामने रखकर आगे बढ़ने वाले बच्चे भटकाव का शिकार नहीं होते हैं। अभिभावकों का यह दायित्व बनता है कि वे जीवन की भागदौड़ में से समय निकालें और अपना यह समय बच्चों को दें। बच्चों के साथ बैठकर सिर्फ उनकी लौकिक प्रगति पर ही चर्चा न करें, अपितु उनके मन में भी झांकें। उन्हें भरपूर भावनात्मक संरक्षण तो प्रदान करें हीं, उनकी गतिविधियों, साथ-संग पर भी नजर रखें। यदि बच्चे में कोई बदलाव दिख रहा हो, तो उसकी परख करें। ऐसा करके अभिभावक शुरु में ही बच्चे को ड्रग्स के दलदल की तरफ बढ़ने से रोक सकते हैं।
ड्रग्स की समस्या के निवारण में समाज की भी भूमिका निर्णायक हो सकती है। समाज के जिम्मेदार लोगों का यह दायित्व बनता है कि वे ड्रग्स के व्यसनियों को उपेक्षित न करें और न ही उन्हें समाज से बहिष्कृत करें। ऐसे लोग सहानुभूति के पात्र होते हैं, अतः सहानुभूतिपूर्वक उनमें बदलाव लाने तथा उन्हें सही मार्ग पर लाने की चेष्टा करें। खेल, शिक्षा, संस्कृति, धर्म, मीडिया, राजनीति एवं अन्य क्षेत्रों से जुड़े गणमान्य लोगों का यह दायित्व बनता है कि वे इस संदर्भ में जनजागृति लाने का काम करें। लोगों को ड्रग्स की बुराइयों से बचने का संदेश दें। इससे एक सकारात्मक वातावरण तैयार होगा, जो समस्या पर अंकुश लगाने में सहायक सिद्ध होगा।
‘ड्रग्स फ्री इंडिया’ के स्वप्न को साकार करने के लिए आज समग्र प्रयासों की आवश्यकता है। व्यक्ति को स्वयं, उसके परिवार, यार दोस्तों, समाज, सरकार और कानून सभी को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा। किसी भी व्यक्ति को नशे की लत से बाहर लाना असंभव नही है। यह थोड़ा मुश्किल जरुर है। यदि समग्र प्रयास किए जाएं तो यह काम आसान हो सकता है। हमारे समक्ष ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि व्यसनी नशे की लत से बाहर आए और उन्होंने एक अच्छा नागरिक बन कर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दिया। यकीनन एक मजबूत भारत के लिए एक आवश्यक है कि हम भारत को ड्रग्स मुक्त देश बनाएं। यह पहल शुरु भी हो चुकी है। नई सुबह करीब है।
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